06-03-2023, 11:53 PM
उसने मेरे दोनों हाथों को बगल के कंधों के पास से पकड़ा हुआ था और वो खुद मुझे पीछे से कभी मेरे गीले बालों पर , कभी कंधों पर धीरे-धीरे अपने गरम होंठों से चूम रहा था ।
उसके बदन से निकलती हुई गरमी मेरे नग्न ठंडे जिस्म को भी गरमाई दे रही थी । आनंद के उस पल मे एक बार भी मुझे ये ख्याल नहीं आया कि एक बार आँखे खोलकर पीछे देख लूँ , मैं तो बस खोई हुई थी उसकी बाहों मे । उसकी पेंट मे एक बड़ा सा ऊभार बन गया था और वो पीछे से मेरे नंगे नितम्बों से टकरा रहा था । ये तो मेरे और उसके जिस्म के बीच मे उसकी पेन्ट थी नहीं तो उसके लिंग की अकड़न ही ये बता रही थी की वो मेरे नितम्बों के बीच मे घुसने को बेताब है । उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ा और अपनी ओर घूमा दिया ।
अब मेरे तने हुए ऊभार उसकी छाती से टकरा गए और मेरे दिल की धड़कने बेकाबू हो गई उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे थाम लिया और अपने होंठ मेरे होंठों के बोहोत करीब ले आया , वो मेरे होंठ चूमना चाहता था और मैं भी इसमे पीछे नहीं हटना चाहती थी हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों की ओर बढ़ने लगे और उसके होंठ मेरे होंठों को चूमने ही वाले थे कि उसी समय मैंने अपनी आँखे खोल दी ।
जैसे ही मैंने अपनी आँखे खोलकर उसका चेहरा देखा , मेरे होंठ वही के वही रुक गए और एक पल के लिए तो मुझे समझ ही नहीं आया के ये हुआ क्या है ?मेरे पीछे से अब तक जो मेरे साथ ये सब खेल कर रहा था वो कोई ओर नहीं वरुण था । वरुण को वहाँ देखकर मुझे जितनी हैरत हुई उतना ही गुस्सा भी आया । मैंने वरुण से तेजी से अलग होते हुए उसे एक जोर का धक्का दिया और आवेश मे आकर उसके गाल पर एक जोर का तमाचा रख दिया ।
गुस्से से मेरा चेहरा लाल हो गया था
मैंने उसे चीखते हुए कहा - " वरुण तुम यहाँ .....???? "
" तुम्हें शर्म नहीं आई ...ये सब करते हुए ??"
" अब बोलते क्यूँ नहीं .. "
वरुण चुप खडा था लेकिन उसकी नजरे सब बयां कर रही थी वो अभी भी खड़ा हुआ मेरे नंगे जिस्म को सामने से देख रहा था । इस मौके को वो हाथ से नहीं जाने देना चाहता था । उसकी नजरे मेरे बूब्स और नीचे योनि को बार-बार घूर रही थी । जब मैंने उसे अपने आप को इस तरह घूरते हुए पाया तो , मुझे मेरी हालत का एहसास हुआ और शर्मिंदगी से मैंने तेजी से अपने आप को कवर करने के लिए पास मे टँगे हुए टावल को उठाया और उसे अपने बदन पर लपेट लिया ।
जब मैंने अपने आप को वरुण की कमीनी निगाहों से बचा लिया तो उसका ध्यान मेरे जिस्म से टूटा और वो घबराते हुए तेजी से बाथरूम से निकल गया । मेरा थप्पड़ उसे बोहोत जोरों से पड़ा था । मुझे अभी भी बोहोत गुस्सा चढ़ा हुआ था । अपने आप को नॉर्मल करते हुए मैंने अपने आप को पोंछा और अपनी साड़ी पहनते हुए सोचने लगी - "ये वरुण को भी क्या हो गया है ?"
" ऐसा पहले तो नहीं था ... आज तो उसने हद ही करदी "
" लेकिन वो इस समय यहाँ क्या करने आया था ?"
यही सब सोचते हुए मैंने अपनी साड़ी पहन ली और बाथरूम से बाहर आ गई ।
मैं हॉल मे आई और मुझे मेरे सवाल का जवाब भी मिल गया । दरसल वरुण मेरी साड़ी गुप्ता जी के पास से ले आया था जो उसने हॉल मे सोफ़े पर रखी हुई थी । मुझे भी उस साड़ी को देखकर अपनी गलती का थोड़ा एहसास हुआ , जो भी हो मुझे वरुण को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था । वो तो मेरा ही काम करने आया था , लेकिन उसने भी तो गलत किया उसे ऐसे बाथरूम मे नहीं घुसना चाहिए था । मैंने फिर सोचा - " हो सकता है वो किसी को ढूंढ रहा हो और इसी चक्कर मे बाथरूम के पास आ गया , और मेरे हुस्न को देखकर खुद पर काबू नहीं रख पाया , आखिर वो भी एक मर्द है और मर्द की नियत औरत को देखकर अक्सर डोल जाती है । "
मैं अपनी सोच मे खोई हुई थी तभी अशोक ने आकर मुझे मेरे ख्यालों से बाहर निकाला ।
उसके बदन से निकलती हुई गरमी मेरे नग्न ठंडे जिस्म को भी गरमाई दे रही थी । आनंद के उस पल मे एक बार भी मुझे ये ख्याल नहीं आया कि एक बार आँखे खोलकर पीछे देख लूँ , मैं तो बस खोई हुई थी उसकी बाहों मे । उसकी पेंट मे एक बड़ा सा ऊभार बन गया था और वो पीछे से मेरे नंगे नितम्बों से टकरा रहा था । ये तो मेरे और उसके जिस्म के बीच मे उसकी पेन्ट थी नहीं तो उसके लिंग की अकड़न ही ये बता रही थी की वो मेरे नितम्बों के बीच मे घुसने को बेताब है । उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ा और अपनी ओर घूमा दिया ।
अब मेरे तने हुए ऊभार उसकी छाती से टकरा गए और मेरे दिल की धड़कने बेकाबू हो गई उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे थाम लिया और अपने होंठ मेरे होंठों के बोहोत करीब ले आया , वो मेरे होंठ चूमना चाहता था और मैं भी इसमे पीछे नहीं हटना चाहती थी हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों की ओर बढ़ने लगे और उसके होंठ मेरे होंठों को चूमने ही वाले थे कि उसी समय मैंने अपनी आँखे खोल दी ।
जैसे ही मैंने अपनी आँखे खोलकर उसका चेहरा देखा , मेरे होंठ वही के वही रुक गए और एक पल के लिए तो मुझे समझ ही नहीं आया के ये हुआ क्या है ?मेरे पीछे से अब तक जो मेरे साथ ये सब खेल कर रहा था वो कोई ओर नहीं वरुण था । वरुण को वहाँ देखकर मुझे जितनी हैरत हुई उतना ही गुस्सा भी आया । मैंने वरुण से तेजी से अलग होते हुए उसे एक जोर का धक्का दिया और आवेश मे आकर उसके गाल पर एक जोर का तमाचा रख दिया ।
गुस्से से मेरा चेहरा लाल हो गया था
मैंने उसे चीखते हुए कहा - " वरुण तुम यहाँ .....???? "
" तुम्हें शर्म नहीं आई ...ये सब करते हुए ??"
" अब बोलते क्यूँ नहीं .. "
वरुण चुप खडा था लेकिन उसकी नजरे सब बयां कर रही थी वो अभी भी खड़ा हुआ मेरे नंगे जिस्म को सामने से देख रहा था । इस मौके को वो हाथ से नहीं जाने देना चाहता था । उसकी नजरे मेरे बूब्स और नीचे योनि को बार-बार घूर रही थी । जब मैंने उसे अपने आप को इस तरह घूरते हुए पाया तो , मुझे मेरी हालत का एहसास हुआ और शर्मिंदगी से मैंने तेजी से अपने आप को कवर करने के लिए पास मे टँगे हुए टावल को उठाया और उसे अपने बदन पर लपेट लिया ।
जब मैंने अपने आप को वरुण की कमीनी निगाहों से बचा लिया तो उसका ध्यान मेरे जिस्म से टूटा और वो घबराते हुए तेजी से बाथरूम से निकल गया । मेरा थप्पड़ उसे बोहोत जोरों से पड़ा था । मुझे अभी भी बोहोत गुस्सा चढ़ा हुआ था । अपने आप को नॉर्मल करते हुए मैंने अपने आप को पोंछा और अपनी साड़ी पहनते हुए सोचने लगी - "ये वरुण को भी क्या हो गया है ?"
" ऐसा पहले तो नहीं था ... आज तो उसने हद ही करदी "
" लेकिन वो इस समय यहाँ क्या करने आया था ?"
यही सब सोचते हुए मैंने अपनी साड़ी पहन ली और बाथरूम से बाहर आ गई ।
मैं हॉल मे आई और मुझे मेरे सवाल का जवाब भी मिल गया । दरसल वरुण मेरी साड़ी गुप्ता जी के पास से ले आया था जो उसने हॉल मे सोफ़े पर रखी हुई थी । मुझे भी उस साड़ी को देखकर अपनी गलती का थोड़ा एहसास हुआ , जो भी हो मुझे वरुण को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था । वो तो मेरा ही काम करने आया था , लेकिन उसने भी तो गलत किया उसे ऐसे बाथरूम मे नहीं घुसना चाहिए था । मैंने फिर सोचा - " हो सकता है वो किसी को ढूंढ रहा हो और इसी चक्कर मे बाथरूम के पास आ गया , और मेरे हुस्न को देखकर खुद पर काबू नहीं रख पाया , आखिर वो भी एक मर्द है और मर्द की नियत औरत को देखकर अक्सर डोल जाती है । "
मैं अपनी सोच मे खोई हुई थी तभी अशोक ने आकर मुझे मेरे ख्यालों से बाहर निकाला ।