06-03-2023, 11:23 PM
रात के वक्त जब मैं कीचेन मे खाना बना रही थी तो उसी समय अशोक ने आकर घर की डॉर बेल बजा दी मैंने जल्दी से भागकर गेट खोला ।
अशोक कल से नितिन वाली बात को लेकर मुझसे नाराज थे और मैं उन्हे इंतज़ार नहीं करवाना चाहती थी । जैसे ही मैंने मुस्कुराते हुए गेट खोला अशोक को सामने खड़े पाया , उनके चहरे पर कोई विशेष भाव नहीं थे वो बिल्कुल शान्त खड़े थे । अशोक को ऐसे खड़े देखकर मेरा मन भी उदास सा हो गया । मैं थोड़ी रुदासी से गेट खोलकर वापस हॉल की ओर जाने लगी तो अचानक अशोक ने मुझे पीछे से अपनी बाहों मे जकड़ लिया और मेरे गाल से अपने गाल सटाकर बोले - " नाराज हो क्या .... ?"
अशोक के इस तरह के रोमांस की मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी , उनसे ऐसे चिपककर मेरे मन भी खुशी से भर गया , और मैंने शर्माते हुए उनकी बाहों मे सिमटे हुए कहा - " नहीं मैं तो आपसे गुस्सा हो ही नहीं सकती... और आप ?"
अशोक - जिसकी इतनी खूबसूरत बीवी हो वो कैसे इतने समय तक उससे दूर रह सकता है ।
मैं और भी शर्मा गई और कहा - " अच्छा अब आप फ्रेश हो जाइए ... थक गए होंगे मैं खाना लगाती हूँ । "
अशोक - लव यू ।
इतना कहकर अशोक ने मुझे अपनी बाहों की पकड़ से छोड़ दिया और फ्रेश होने चले गए । मैं भी खुशी से अपने कामों मे लग गई कि चलो कम से कम , अशोक अब मुझसे गुस्सा तो नहीं है ।
खाना खाकर अशोक सोने चले गए और मैं भी अपना पूरा काम खत्म करके बेडरूम मे जा पहुँची । अन्दर बेडरूम मे आते ही मैंने पहले चेंज किया और रोज की तरह अपनी साड़ी निकाल-कर एक नाइटी पहनकर बेड पर लेट गई ।
मैं अभी लेटी ही थी के मेरे ध्यान वो बॉक्स आ गया जो मुझे आज दिन मे मेरे घर के दरवाजे पर रखा हुआ मिला था मैं तो उसके बारे मे बिल्कुल भूल ही गई थी मगर अब मेरे मन मे उसके अन्दर क्या है ये जानने की इच्छा हो रही थी , मैंने अपनी बगल मे अशोक की ओर देखा तो वो बिल्कुल गहरी नींद मे सोये हुए थे । मैं चुपचाप अपने बेड से उठी और बिना आवाज किये अलमारी खोलकर उस बॉक्स को बाहर निकाला । कहीं अशोक की नींद ना खुले इसलिए मैं उस बॉक्स को लेकर दूसरे कमरे मे आ गई ।
मैं बैठकर उसके अन्दर क्या है ये जानने के लिए उसे खोलकर देखने लगी । मैंने उत्सुकता के कारण जल्दी-जल्दी से उसे खोला ..
जब बॉक्स पूरा खुल गया तो जो मेरे सामने आया उसे देखकर हैरत से मेरी आँखे खुली की खुली रह गई । मैंने सोचा भी नहीं था कि इस बॉक्स मे ऐसा कुछ हो सकता है उस बॉक्स के अन्दर एक डिल्डो रखा हुआ था । मेरी समझ मे नहीं आया कि कौन ऐसा कर सकता है ? मैंने एक बार कमरे के गेट की ओर देखा और फिर बॉक्स के अन्दर हाथ डालकर उस डिल्डो को उसमे से बाहर निकाला और उसे हाथ मे लेकर बोहोत ध्यान से देखने लगी ।
ऐसा नहीं था कि मुझे ये नहीं पता था कि ये किस काम आता है लेकिन मैंने कभी इसे यूज करना तो दूर हाथ मे लेकर भी नहीं देखा था । वो बिल्कुल असली वाले लिंग के जैसा लग रहा था बल्कि ये कहूँ कि असली वाले लिंग से काफी लंबा और मोटा था ,,, कम से कम अशोक के लिंग से तो काफी ज्यादा .... ।
मैंने उसे अपने हाथ मे लेकर अच्छे से फ़ील किया , और कुछ समय के लिए तो मैं उसमे ही खो सी गई फिर मेरा ध्यान बॉक्स मे रखी एक ओर चीज पर गया । मैंने उसे बाहर निकाला तो देखा कि वो एक रिमोट कंट्रोल था , जो उस डिल्डो का ही रहा हो शायद । मेरे मन मे उसे चलाकर देखने की इच्छा होने लगी । मेरा दिल घबरा भी रहा था और ये भी चाह रहा था कि एक बार इसे चलाकर भी देखू ,क्या होता है ?
मैं रिमोट को एक हाथ मे लिया और डिल्डो को दूसरे हाथ मे और फिर रिमोट के प्ले के बटन पर क्लिक किया ........। जैसे ही मैंने उसे चलाया वो वाइब्रेट होना शुरू हो गया और मेरी दिल की धड़कने बढ़ गई , उसे हाथ मे लेकर मैं ओर भी घबरा गई और मेरी साँसे तेज-तेज चलने लगी ।
वो इतनी तेजी से वाइब्रेट हो रहा था कि मेरे हाथ से छूटने को बार-बार निकाल रहा था । मेरे माथे पर पसीना छलक आया और जिस्म मे एक अजीब सा रोमांच फिर से उठने लगा । मैं बोहोत डर गई क्योंकि बगल वाले कमरे मे अशोक सोये हुए थे और अगर वो मुझे ऐसे इस हालत मे पकड़ लेते तो मैं तो सारी जिंदगी के लिए शर्मशार हो जाती । डर के मारे मैंने जल्दी से उसके स्विच को ऑफ कर दिया और फिर तुरंत ही उसे उसी बॉक्स मे रखकर , कमरे मे छिपा दिया । मैंने सोचा कि इसका यहाँ घर पर होना ठीक नहीं .. अशोक को पता चल गया तो वो क्या सोचेंगे मेरे बारे मे , मैं इसे कल ही बाहर फेंक दूँगी जब अशोक घर नहीं होंगे ।
इसके बाद मैं उस कमरे से बाहर आई और फिर जल्दी से अपने बेडरूम मे आकर लेट गई मैंने अशोक को देखा तो वो सोये हुए ही थे , मेरी साँसे अभी भी तेज चल रही थी । उस डिल्डो ने एक बार फिर मेरे सोये अरमान जगा दिए और फिर से मेरा ध्यान लिंगों की उस दुनिया की ओर खिंच लिया जो मुझे गुप्ता जी , नितिन और एक बार तो वरुण ने भी दिखाई थी । मुझे तो ऐसा लगने लगा था जैसे कोई मेरे साथ खेल , खेल रहा है , नहीं तो ऐसे कोई क्यूँ इसे मेरे घर के सामने रखता । लेकिन ऐसा कौन कर सकता है ? जवाब मेरे पास नहीं था । लगभग 10 बजे मैं इसी उलझन के साथ सो गई ।
अशोक कल से नितिन वाली बात को लेकर मुझसे नाराज थे और मैं उन्हे इंतज़ार नहीं करवाना चाहती थी । जैसे ही मैंने मुस्कुराते हुए गेट खोला अशोक को सामने खड़े पाया , उनके चहरे पर कोई विशेष भाव नहीं थे वो बिल्कुल शान्त खड़े थे । अशोक को ऐसे खड़े देखकर मेरा मन भी उदास सा हो गया । मैं थोड़ी रुदासी से गेट खोलकर वापस हॉल की ओर जाने लगी तो अचानक अशोक ने मुझे पीछे से अपनी बाहों मे जकड़ लिया और मेरे गाल से अपने गाल सटाकर बोले - " नाराज हो क्या .... ?"
अशोक के इस तरह के रोमांस की मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी , उनसे ऐसे चिपककर मेरे मन भी खुशी से भर गया , और मैंने शर्माते हुए उनकी बाहों मे सिमटे हुए कहा - " नहीं मैं तो आपसे गुस्सा हो ही नहीं सकती... और आप ?"
अशोक - जिसकी इतनी खूबसूरत बीवी हो वो कैसे इतने समय तक उससे दूर रह सकता है ।
मैं और भी शर्मा गई और कहा - " अच्छा अब आप फ्रेश हो जाइए ... थक गए होंगे मैं खाना लगाती हूँ । "
अशोक - लव यू ।
इतना कहकर अशोक ने मुझे अपनी बाहों की पकड़ से छोड़ दिया और फ्रेश होने चले गए । मैं भी खुशी से अपने कामों मे लग गई कि चलो कम से कम , अशोक अब मुझसे गुस्सा तो नहीं है ।
खाना खाकर अशोक सोने चले गए और मैं भी अपना पूरा काम खत्म करके बेडरूम मे जा पहुँची । अन्दर बेडरूम मे आते ही मैंने पहले चेंज किया और रोज की तरह अपनी साड़ी निकाल-कर एक नाइटी पहनकर बेड पर लेट गई ।
मैं अभी लेटी ही थी के मेरे ध्यान वो बॉक्स आ गया जो मुझे आज दिन मे मेरे घर के दरवाजे पर रखा हुआ मिला था मैं तो उसके बारे मे बिल्कुल भूल ही गई थी मगर अब मेरे मन मे उसके अन्दर क्या है ये जानने की इच्छा हो रही थी , मैंने अपनी बगल मे अशोक की ओर देखा तो वो बिल्कुल गहरी नींद मे सोये हुए थे । मैं चुपचाप अपने बेड से उठी और बिना आवाज किये अलमारी खोलकर उस बॉक्स को बाहर निकाला । कहीं अशोक की नींद ना खुले इसलिए मैं उस बॉक्स को लेकर दूसरे कमरे मे आ गई ।
मैं बैठकर उसके अन्दर क्या है ये जानने के लिए उसे खोलकर देखने लगी । मैंने उत्सुकता के कारण जल्दी-जल्दी से उसे खोला ..
जब बॉक्स पूरा खुल गया तो जो मेरे सामने आया उसे देखकर हैरत से मेरी आँखे खुली की खुली रह गई । मैंने सोचा भी नहीं था कि इस बॉक्स मे ऐसा कुछ हो सकता है उस बॉक्स के अन्दर एक डिल्डो रखा हुआ था । मेरी समझ मे नहीं आया कि कौन ऐसा कर सकता है ? मैंने एक बार कमरे के गेट की ओर देखा और फिर बॉक्स के अन्दर हाथ डालकर उस डिल्डो को उसमे से बाहर निकाला और उसे हाथ मे लेकर बोहोत ध्यान से देखने लगी ।
ऐसा नहीं था कि मुझे ये नहीं पता था कि ये किस काम आता है लेकिन मैंने कभी इसे यूज करना तो दूर हाथ मे लेकर भी नहीं देखा था । वो बिल्कुल असली वाले लिंग के जैसा लग रहा था बल्कि ये कहूँ कि असली वाले लिंग से काफी लंबा और मोटा था ,,, कम से कम अशोक के लिंग से तो काफी ज्यादा .... ।
मैंने उसे अपने हाथ मे लेकर अच्छे से फ़ील किया , और कुछ समय के लिए तो मैं उसमे ही खो सी गई फिर मेरा ध्यान बॉक्स मे रखी एक ओर चीज पर गया । मैंने उसे बाहर निकाला तो देखा कि वो एक रिमोट कंट्रोल था , जो उस डिल्डो का ही रहा हो शायद । मेरे मन मे उसे चलाकर देखने की इच्छा होने लगी । मेरा दिल घबरा भी रहा था और ये भी चाह रहा था कि एक बार इसे चलाकर भी देखू ,क्या होता है ?
मैं रिमोट को एक हाथ मे लिया और डिल्डो को दूसरे हाथ मे और फिर रिमोट के प्ले के बटन पर क्लिक किया ........। जैसे ही मैंने उसे चलाया वो वाइब्रेट होना शुरू हो गया और मेरी दिल की धड़कने बढ़ गई , उसे हाथ मे लेकर मैं ओर भी घबरा गई और मेरी साँसे तेज-तेज चलने लगी ।
वो इतनी तेजी से वाइब्रेट हो रहा था कि मेरे हाथ से छूटने को बार-बार निकाल रहा था । मेरे माथे पर पसीना छलक आया और जिस्म मे एक अजीब सा रोमांच फिर से उठने लगा । मैं बोहोत डर गई क्योंकि बगल वाले कमरे मे अशोक सोये हुए थे और अगर वो मुझे ऐसे इस हालत मे पकड़ लेते तो मैं तो सारी जिंदगी के लिए शर्मशार हो जाती । डर के मारे मैंने जल्दी से उसके स्विच को ऑफ कर दिया और फिर तुरंत ही उसे उसी बॉक्स मे रखकर , कमरे मे छिपा दिया । मैंने सोचा कि इसका यहाँ घर पर होना ठीक नहीं .. अशोक को पता चल गया तो वो क्या सोचेंगे मेरे बारे मे , मैं इसे कल ही बाहर फेंक दूँगी जब अशोक घर नहीं होंगे ।
इसके बाद मैं उस कमरे से बाहर आई और फिर जल्दी से अपने बेडरूम मे आकर लेट गई मैंने अशोक को देखा तो वो सोये हुए ही थे , मेरी साँसे अभी भी तेज चल रही थी । उस डिल्डो ने एक बार फिर मेरे सोये अरमान जगा दिए और फिर से मेरा ध्यान लिंगों की उस दुनिया की ओर खिंच लिया जो मुझे गुप्ता जी , नितिन और एक बार तो वरुण ने भी दिखाई थी । मुझे तो ऐसा लगने लगा था जैसे कोई मेरे साथ खेल , खेल रहा है , नहीं तो ऐसे कोई क्यूँ इसे मेरे घर के सामने रखता । लेकिन ऐसा कौन कर सकता है ? जवाब मेरे पास नहीं था । लगभग 10 बजे मैं इसी उलझन के साथ सो गई ।