06-03-2023, 10:54 PM
13. भीगी हुई पलकों से अपने जिस्म को कपड़ों मे समेटे अपने कुछ ही देर पहले कीये हुए कुकर्मों पर पछताती हुई , मैं होटल ग्रीन-सी से बाहर आ रही थी ।
![[Image: Screenshot-20220907-190039-Chrome.jpg]](https://i.postimg.cc/DzGL25xF/Screenshot-20220907-190039-Chrome.jpg)
एक चोर को हमेशा ही ऐसा लगता है कि कही ना कही उसे कोई देख रहा है , कोई उस पर नजर रखे हुए है जो उसकी हर चोरी को पकड़ रहा है बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ हो रहा था मुझे भी एक अनजाना डर चढ़ा हुआ था एक ऐसा डर जो मेरे मन मे ये ख्याल पैदा कर रहा था कि मुझे किसी ने देख लिया है , किसी अनजान शख्स की निगाहे मेरा पीछा कर रही है । घबराहट मे मैंने कई बार अपने चारों ओर देखा लेकिन अन्त तक भी मुझे कोई ऐसा नहीं दिखा जिसे देखकर लगे कि वो मुझ पर नजर बनाए हुए है ।
![[Image: 3zKFjQS.jpg]](https://i.postimg.cc/SRxnzGfn/3zKFjQS.jpg)
मैंने अपने मन मे ही ये सोच लिया कि ये सिर्फ मेरे अन्दर का डर है जो मुझे पकड़े जाने के भय से परेशान कर रहा है । मैं चुपचाप होटल से निकलने लगी । नितिन को मेरे जाने की खबर तक नहीं थी , अपने जिस्म की हवस की प्यास मेरे कामुक बदन से मिटाने के बाद वो बेहोश होकर आराम से अपने कमरे के मखमली बिस्तर पर सोया हुआ था , उसे अब किसी चीज का होश नहीं था और मेरे बदन का रोम-रोम अब भी धूप मे जल रहा था , मेरे जिस्म का ऐसा शायद ही कोई हिस्सा बचा हो जहाँ पर नितिन ने ना चूमा हो । उसके होंठों से निकले चुम्बनों की तपिश मुझे मेरे बदन के हर हिस्से पर महसूस हो रही थी ।
![[Image: 239716340-c440.jpg]](https://i.postimg.cc/HLmsy2pT/239716340-c440.jpg)
होटल से बाहर आकर मैंने टाइम देखा तो पाया 3:00 बज चुके थे । मेरे दिमाग मे आपने आप ही ये बात आ गई कि " मैं क्या सोचकर आई थी और क्या कर बैठी ? मैंने सोचा था नितिन से मिलकर उससे कुछ सवालों के जवाब लेकर 1:00 बजे तक अपने घर लौट आऊँगी लेकिन कभी-कभी सोची हुई बात के बिल्कुल उल्टा ही हो जाता है । "
मैंने ज्यादा देर सोचने मे नहीं लगाई और एक टैक्सी करके घर जाने के लिए उसमे बैठ गई । टैक्सी मे बैठी हुई मे अपने ही ख्यालों मे गुम थी , एकाक मैंने ध्यान दिया कि वो टैक्सी वाला बीच-बीच मे टैक्सी के सामने वाले शीशे मे मेरे चेहरे को अजीब तरह से घूर रहा था । उसे ऐसा करते देख मैं एक बार को घबरा गई और सोचा कहीं मेरे चेहरे पर कुछ लगा तो नहीं या कहीं नितिन के वीर्य का कोई दाग तो नहीं जिन्होंने इस टैक्सी ड्राइवर का ध्यान अपनी ओर खींचा हो । मैंने जल्दी से अपने पर्स को खोला और उसमे से एक छोटा आईना निकाल-कर अपने चेहरे को गौर से उसमे देखने लगी ।
![[Image: 7ad370de433aae4ea1896cfc06b35aaf.jpg]](https://i.postimg.cc/j2vty0ST/7ad370de433aae4ea1896cfc06b35aaf.jpg)
मेरे मन को शांति मिली ये जानकर कि चेहरे पर कुछ नहीं लगा था बस , होंठों पर से लिपस्टिक की लाली गायब थी । मैंने तुरंत अपने पर्स से एक हल्की गुलाबी लिपस्टिक निकाली और अपने होंठों को फिर से रसीला बनाया ।
![[Image: ezgif-4-cb44604e61c4.gif]](https://i.postimg.cc/8ckVpKB0/ezgif-4-cb44604e61c4.gif)
मेरे चेहरे पर नितिन के वीर्य से जो दाग लग गए थे वो तो मैंने पानी से धो लिए थे , मगर उसके लिंग का वो स्वाद और आखिर मे उसके लिंग से निकली वो बूँदे जो मेरे होंठ से लेकर मुहँ तक गई थी , मेरे मन पर ऐसी अमिट चाप छोड़ गई थी जो शायद अब कभी ना मिटे । अपना थोड़ा हल्का सा मेक-अप करके मैं सीधी हुई
![[Image: 189890518-ezgif-com-gif-maker-13-ss.gif]](https://i.postimg.cc/qv3WTHH7/189890518-ezgif-com-gif-maker-13-ss.gif)
तो देखा वो टैक्सी ड्राइवर अभी भी सामने वाले आईने मे से मुझे घूरते हुए मुझे एक गन्दी सी स्माइल दे रहा था । उसे अपनी ओर ऐसा करते देख मुझे गुस्सा तो बोहोत आया और मन किया कि अभी उसे दो-चार बात सुना दूँ लेकिन फिर ना जाने क्या सोचकर बस मौन हो गई ।
![[Image: 221410888-e3gmiohuyammp9u.jpg]](https://i.postimg.cc/L82QrYDx/221410888-e3gmiohuyammp9u.jpg)
लगभग 3:45 पर मैं अपने मोहल्ले की गली के ठीक सामने ऊतर गई , और फिर अपने घर जाने के लिए वहाँ से पैदल गली मे चल दी । अपनी बलखाती चाल से मोहल्ले के लड़कों और आवारा मर्दों की दिल की धड़कने बढ़ाती हुई मे चलती गई ।
![[Image: 246710663-8vbrtsk-imgur.gif]](https://i.postimg.cc/8zZ49yjC/246710663-8vbrtsk-imgur.gif)
पीछे से जो फूस-फूस की आवाजे मेरे कानों मे पड़ रही थी उनसे मुझे इतना अंदाजा तो हो गया था कि लोग मेरे बारे मे ही बात कर रहे है , ये मेरे लिए हर बार का एक प्रकरण था लेकिन आज एक आदमी ने तो हद ही कर दी । मेरी गदराई जवानी और उभरी हुई गाँड़ पर अपनी कातिल नजरे जमाते हुए उसने पीछे से भारी आवाज मे कहा - " मेरी जान कितनों से चुदकर आई है आज...... "
उसने इतने जोर से कहा कि उसके एक-एक शब्द को मैंने अच्छे से सुना । ये सुनते ही मेरे कदम अपने आप धीमे होकर ठहर गए
![[Image: yguhf.jpg]](https://i.postimg.cc/htn46rNN/yguhf.jpg)
और दिल की धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली , घबराहट के मारे माथे पर पसीना छलक आया । मेरी 'काटों तो खून नहीं वाली हालत हो गई ' पीछे मुड़कर उस बदतमीज आदमी को जवाब देने की हिम्मत मे चाहकर भी नहीं कर पाई , शायद इसका कारण वो घटना थी जो मेरे और नितिन के बीच होटल ग्रीन-सी मे हुई थी । मैंने चुप-चाप अपना थूक गले मे गटका और वहाँ से तेजी से निकल गई आगे चलने पर भी मुझे उन लोगों की गंदे तरीके से हँसने की आवाजे आती रही । मुझे आपने आप पर बोहोत शर्म आ रही थी । मैंने तो एक बार भी पलट-कर नहीं देखा कि किसने मुझ पर इतनी भद्दी टिप्पणी कसी है । मैं दौड़कर अपने घर की तरफ तक आ गई और उस गली को छोड़कर अपने घर की तरफ मुड़ी , मैंने जल्दी से मैन गेट खोलकर अन्दर आँगन मे पहुँची जैसे ही मैं घर का दरवाजा खोलने वाली थी मेरी नजर दरवाजे के पास नीचे रक्खे एक गत्ते के बॉक्स पर गई । उस बॉक्स को ऐसे रखा गया था जैसे उसमे कोई गिफ्ट हो उसे वहाँ देखकर मुझे कुछ शंका हुई ।
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एक चोर को हमेशा ही ऐसा लगता है कि कही ना कही उसे कोई देख रहा है , कोई उस पर नजर रखे हुए है जो उसकी हर चोरी को पकड़ रहा है बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ हो रहा था मुझे भी एक अनजाना डर चढ़ा हुआ था एक ऐसा डर जो मेरे मन मे ये ख्याल पैदा कर रहा था कि मुझे किसी ने देख लिया है , किसी अनजान शख्स की निगाहे मेरा पीछा कर रही है । घबराहट मे मैंने कई बार अपने चारों ओर देखा लेकिन अन्त तक भी मुझे कोई ऐसा नहीं दिखा जिसे देखकर लगे कि वो मुझ पर नजर बनाए हुए है ।
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मैंने अपने मन मे ही ये सोच लिया कि ये सिर्फ मेरे अन्दर का डर है जो मुझे पकड़े जाने के भय से परेशान कर रहा है । मैं चुपचाप होटल से निकलने लगी । नितिन को मेरे जाने की खबर तक नहीं थी , अपने जिस्म की हवस की प्यास मेरे कामुक बदन से मिटाने के बाद वो बेहोश होकर आराम से अपने कमरे के मखमली बिस्तर पर सोया हुआ था , उसे अब किसी चीज का होश नहीं था और मेरे बदन का रोम-रोम अब भी धूप मे जल रहा था , मेरे जिस्म का ऐसा शायद ही कोई हिस्सा बचा हो जहाँ पर नितिन ने ना चूमा हो । उसके होंठों से निकले चुम्बनों की तपिश मुझे मेरे बदन के हर हिस्से पर महसूस हो रही थी ।
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होटल से बाहर आकर मैंने टाइम देखा तो पाया 3:00 बज चुके थे । मेरे दिमाग मे आपने आप ही ये बात आ गई कि " मैं क्या सोचकर आई थी और क्या कर बैठी ? मैंने सोचा था नितिन से मिलकर उससे कुछ सवालों के जवाब लेकर 1:00 बजे तक अपने घर लौट आऊँगी लेकिन कभी-कभी सोची हुई बात के बिल्कुल उल्टा ही हो जाता है । "
मैंने ज्यादा देर सोचने मे नहीं लगाई और एक टैक्सी करके घर जाने के लिए उसमे बैठ गई । टैक्सी मे बैठी हुई मे अपने ही ख्यालों मे गुम थी , एकाक मैंने ध्यान दिया कि वो टैक्सी वाला बीच-बीच मे टैक्सी के सामने वाले शीशे मे मेरे चेहरे को अजीब तरह से घूर रहा था । उसे ऐसा करते देख मैं एक बार को घबरा गई और सोचा कहीं मेरे चेहरे पर कुछ लगा तो नहीं या कहीं नितिन के वीर्य का कोई दाग तो नहीं जिन्होंने इस टैक्सी ड्राइवर का ध्यान अपनी ओर खींचा हो । मैंने जल्दी से अपने पर्स को खोला और उसमे से एक छोटा आईना निकाल-कर अपने चेहरे को गौर से उसमे देखने लगी ।
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मेरे मन को शांति मिली ये जानकर कि चेहरे पर कुछ नहीं लगा था बस , होंठों पर से लिपस्टिक की लाली गायब थी । मैंने तुरंत अपने पर्स से एक हल्की गुलाबी लिपस्टिक निकाली और अपने होंठों को फिर से रसीला बनाया ।
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मेरे चेहरे पर नितिन के वीर्य से जो दाग लग गए थे वो तो मैंने पानी से धो लिए थे , मगर उसके लिंग का वो स्वाद और आखिर मे उसके लिंग से निकली वो बूँदे जो मेरे होंठ से लेकर मुहँ तक गई थी , मेरे मन पर ऐसी अमिट चाप छोड़ गई थी जो शायद अब कभी ना मिटे । अपना थोड़ा हल्का सा मेक-अप करके मैं सीधी हुई
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लगभग 3:45 पर मैं अपने मोहल्ले की गली के ठीक सामने ऊतर गई , और फिर अपने घर जाने के लिए वहाँ से पैदल गली मे चल दी । अपनी बलखाती चाल से मोहल्ले के लड़कों और आवारा मर्दों की दिल की धड़कने बढ़ाती हुई मे चलती गई ।
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पीछे से जो फूस-फूस की आवाजे मेरे कानों मे पड़ रही थी उनसे मुझे इतना अंदाजा तो हो गया था कि लोग मेरे बारे मे ही बात कर रहे है , ये मेरे लिए हर बार का एक प्रकरण था लेकिन आज एक आदमी ने तो हद ही कर दी । मेरी गदराई जवानी और उभरी हुई गाँड़ पर अपनी कातिल नजरे जमाते हुए उसने पीछे से भारी आवाज मे कहा - " मेरी जान कितनों से चुदकर आई है आज...... "
उसने इतने जोर से कहा कि उसके एक-एक शब्द को मैंने अच्छे से सुना । ये सुनते ही मेरे कदम अपने आप धीमे होकर ठहर गए
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और दिल की धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली , घबराहट के मारे माथे पर पसीना छलक आया । मेरी 'काटों तो खून नहीं वाली हालत हो गई ' पीछे मुड़कर उस बदतमीज आदमी को जवाब देने की हिम्मत मे चाहकर भी नहीं कर पाई , शायद इसका कारण वो घटना थी जो मेरे और नितिन के बीच होटल ग्रीन-सी मे हुई थी । मैंने चुप-चाप अपना थूक गले मे गटका और वहाँ से तेजी से निकल गई आगे चलने पर भी मुझे उन लोगों की गंदे तरीके से हँसने की आवाजे आती रही । मुझे आपने आप पर बोहोत शर्म आ रही थी । मैंने तो एक बार भी पलट-कर नहीं देखा कि किसने मुझ पर इतनी भद्दी टिप्पणी कसी है । मैं दौड़कर अपने घर की तरफ तक आ गई और उस गली को छोड़कर अपने घर की तरफ मुड़ी , मैंने जल्दी से मैन गेट खोलकर अन्दर आँगन मे पहुँची जैसे ही मैं घर का दरवाजा खोलने वाली थी मेरी नजर दरवाजे के पास नीचे रक्खे एक गत्ते के बॉक्स पर गई । उस बॉक्स को ऐसे रखा गया था जैसे उसमे कोई गिफ्ट हो उसे वहाँ देखकर मुझे कुछ शंका हुई ।
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