11-02-2023, 01:08 AM
मुझे भी इसमे मजा आ रहा था , नितिन का जिस्म भी अब अकड़ने लगा और तभी नितिन तड़पते हुए बोला - " जल्दी अपना मुहँ खोलो पदमा ... आह .. मेरा छूटने ... वाला है ... आह ... । "
मुझे कुछ नहीं सूझा , हड़बड़ाहट मे मैंने भी कामुकता वश अपना मुहँ नितिन के लण्ड के सामने खोल दिया और जबतक मैं कुछ समझ पाती नितिन ने अपने लण्ड के वीर्य से मेरा सारा मुहँ भर दिया और मेरे गालों पर भी उसे गिराते हुए उन्हे सना दिया ।
नितिन निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और मैं भी उसी तरह बेड पर लेट गई । वासना और हवस का दौर अब थम चुका था और अब सिवाय लज्जित होने के अपनी हालत पर रोने के मेरे पास कोई रास्ता नहीं था । मेरे लिए एक-एक सेकंड नितिन के कमरे मे रुकना नरक मे रुकने ने समान था, मैं जल्दी से भागकर बाथरूम मे गई और झटपट शावर खोलकर उसके नीचे खड़ी होकर अपनी हालत और कीये हुए कुकर्मों पर रोने लगी , रोते-रोते ही मैंने नितिन के वीर्य से सना हुआ अपना चेहरा साफ किया
और बाहर आकर जल्दी से अपने कपड़े पहनकर नितिन के कमरे से निकल गई , जाने से पहले मैंने एक बार पीछे मुड़कर नितिन को देखा तो वो आराम से अपने बेड पर सोया हुआ था जैसे उसका तो कुछ नहीं गया, और सच भी यही था कि उसका तो कुछ गया ही नहीं था ।
नितिन के कमरे से बाहर आकर मुझे एहसास हुआ कि मैंने हवस की एक ऐसी दुनिया मे कदम रख दिए है जिसका कोई अंत नहीं । मेरे कदम आगे ही नहीं बढ़ रहे थे , इस होटल मे मैंने आज अपना बोहोत कुछ गंवा दिया था , चलते चलते मैं उस होटल की एक-एक इमारत को देख रही थी ।
जब मैं होटल से बाहर आई तो देखा मेरे पास नितिन का दिया हुआ कमर-बंद था , जिसके बदले मैं नितिन को अपनी इज्जत दे आई थी ।
मुझे कुछ नहीं सूझा , हड़बड़ाहट मे मैंने भी कामुकता वश अपना मुहँ नितिन के लण्ड के सामने खोल दिया और जबतक मैं कुछ समझ पाती नितिन ने अपने लण्ड के वीर्य से मेरा सारा मुहँ भर दिया और मेरे गालों पर भी उसे गिराते हुए उन्हे सना दिया ।
नितिन निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और मैं भी उसी तरह बेड पर लेट गई । वासना और हवस का दौर अब थम चुका था और अब सिवाय लज्जित होने के अपनी हालत पर रोने के मेरे पास कोई रास्ता नहीं था । मेरे लिए एक-एक सेकंड नितिन के कमरे मे रुकना नरक मे रुकने ने समान था, मैं जल्दी से भागकर बाथरूम मे गई और झटपट शावर खोलकर उसके नीचे खड़ी होकर अपनी हालत और कीये हुए कुकर्मों पर रोने लगी , रोते-रोते ही मैंने नितिन के वीर्य से सना हुआ अपना चेहरा साफ किया
और बाहर आकर जल्दी से अपने कपड़े पहनकर नितिन के कमरे से निकल गई , जाने से पहले मैंने एक बार पीछे मुड़कर नितिन को देखा तो वो आराम से अपने बेड पर सोया हुआ था जैसे उसका तो कुछ नहीं गया, और सच भी यही था कि उसका तो कुछ गया ही नहीं था ।
नितिन के कमरे से बाहर आकर मुझे एहसास हुआ कि मैंने हवस की एक ऐसी दुनिया मे कदम रख दिए है जिसका कोई अंत नहीं । मेरे कदम आगे ही नहीं बढ़ रहे थे , इस होटल मे मैंने आज अपना बोहोत कुछ गंवा दिया था , चलते चलते मैं उस होटल की एक-एक इमारत को देख रही थी ।
जब मैं होटल से बाहर आई तो देखा मेरे पास नितिन का दिया हुआ कमर-बंद था , जिसके बदले मैं नितिन को अपनी इज्जत दे आई थी ।