11-02-2023, 12:57 AM
नितिन के मेरी लाल आँखों मे देखते हुए पूछा - " कैसा लग रहा है पदमा ? " और अपनी एक उँगली मेरी योनि मे धीरे से घुसा दी ।
" आह ....... बोहोत अच्छा ..... करते रहो ..... । " - मैंने कराहते हुए जवाब दिया ।
नितिन यहाँ नहीं रुका बल्कि ओर जोर से मेरी चुत मे उँगली करते हुए बोला - " क्या अशोक भी ऐसे ही करता है तुम्हारे साथ .... "
" आह .... नितिन .... चुप ... हो जाओ ... उन्हे .. बीच मे मत लाओ .... आह .. ऑफ ...। "
नितिन ने फिर पूछा - " बोलो ना पदमा .. क्या वो भी तुम्हारी चुत चाटता है ?"
नितिन के सवाल मुश्किल होते जा रहे थे और साथ ही मेरी आँखे भी पथराने लगी थी , मैं चरम-सुख पर पहुँचने की कगार पर थी और मैंने नितिन के सवाल का जवाब दिया
मैं - नहीं ...... वो .. नहीं ..... करते ऐसा .... आह ... ।
नितिन ने जब ये सुना तो उसने मुस्कुराकर एक ओर उँगली मेरी चुत मे डाल दी ओर जोर-जोर से उसे अन्दर बाहर करने लगा
नितिन - ये क्या पदमा तुम तो खुद ही मजे ले रही हो , और मेरा क्या ?
मैं ( आहे भरती हुई )- आह ... बोलो क्या चाहिए .... तुम्हें नितिन ...ऑफ ?
नितिन - जैसे मैंने तुम्हारी चुत चुसी है , तुम मेरा लण्ड चूसो ।
जब नितिन ने ये बोला मेरे दिमाग मे वही छाया-चित्र बन गए जब मैंने बस मे गुप्ता जी का लिंग चूसा था , और यहाँ नितिन मुझे फिर से वही करने को बोल रहा था ।
मैं - नितिन ..... उफ़ ... आह ..
नितिन समझ गया था कि मेरा बदन अकड़ने लगा है और मैं किसी भी समय झड़ सकती हूँ और इस समय मेरी कामवासना पूरे चरम पर है , नितिन ये इस मौके का पूरा फायदा उठाया और तेज-तेज मेरी चुत मे अपनी उँगलियाँ अन्दर बाहर करते हुए बोला - " जल्दी बोलो पदमा .. लोगी ना मेरा लोड़ा अपने इस प्यारे नरम होंठों मे "
नितिन की उँगलियों के वार से मेरी चुत , भर-भर के पानी छोड़ने लगी और मेरा पूरा जिस्म ऐंठ गया .. मैंने अपने बदन की कमान नितिन के हाथों मे सोपते हुए कह ही दिया - " हाँ ... लूँगी ... डाल दो .. इसे मेरे नरम होंठों के बीच ... आह.... आह.. "
नितिन ने ये सुनने के बाद एक पल की भी देरी करनी गलत समझी और मेरी योनि से अपने हाथ की उँगलियाँ निकालकर , बेड पर खड़ा हो गया और मेरे सर बाल पकड़कर मुझे घुटनों के बल बैठा दिया .. मेरे सामने नितिन का मोटा काला लण्ड झूल रहा था ... और उस समय मुझे किसी चीज का ध्यान नहीं था सिवाय इसके कि मुझे ये मोटा लण्ड अपने मुहँ मे चाहिए । मैंने उसके लण्ड को अपने मुहँ मे लेने के लिए अपना मुहँ खोल दिया लेकिन नितिन ने मेरे बालों को पकड़कर मुझे लण्ड से दूर किया हुआ था , जब मैंने खुद ही उसके लण्ड को मुहँ मे लेना चाहा तो उसने उसे मेरे मुहँ से दूर कर दिया और मेरे मुहँ मे नहीं घुसने दिया,बल्कि उसका लण्ड मेरे गालों से जरूर छू गया ।
नितिन को मुझे तड़पाने मे बोहोत मजा आ रहा था वो मुझे ऐसे इस्तेमाल कर रहा था जैसे मैं उसकी कोई गुलाम हूँ लेकिन अब मैं भी रुकने वाली नहीं थी , मैंने एक बार फिर से कोशिश की और इस बार नितिन के लण्ड को लपक ले आपने होंठों के बीच अपने मुहँ मे ले लिया और तरीके से उसे चूसने लगी ।
लण्ड के मुहँ मे जाते ही , नितिन की भी आहें फूट गई और वो भी .. " आह ..पदमा ... मेरी ... रांड ... । " बड़बड़ाते हुए हुए अपना लण्ड मेरे मुहँ मे तेजी से अन्दर - बाहर करने लगा ।
गुप्ता जी का लण्ड चूसने के बाद मैंने सोचा था कि अब कभी किसी का नहीं चूसूँगी, लेकिन पता नहीं था मेरी ये खुद से किया वादा बस दो दिन मे टूट जाएगा । मुझे सच मे नितिन का लण्ड चूसने मे मजा आने लगा , और मैं उसे मजे से चूसने लगी जैसे कोई आइसक्रीम हो ....
नितिन मेरे सर को उसके लण्ड पर दबाए आहें भरने लगा - " आह पदमा ... तुम तो बड़ा अच्छा लण्ड चुसती हो कहाँ से सीखा ..?
अब मैं नितिन को क्या बताती कि मैंने उससे पहले अपने एक 50 साल के टेलर का भी चूसा हुआ है , लेकिन सच बताऊँ तो मुझे नितिन के लण्ड को चूसने मे ज्यादा मजा आ रहा था गुप्ता जी से भी ज्यादा । नितिन का लिंग मेरे मुहँ मे पूरा घुसने को तैयार था और जब नितिन ने उसे पूरा मेरे मुहँ मे घुसाया तो मेरा साँस लेना दुर्भर हो गया .. वो जड़ तक मेरे हलक मे उतर गया और मेरे गले की गहराई को मापने लगा मैंने नितिन से आँखों ही आँखों मे मदद की गुहार लगाई , तब जाकर नितिन ने उसे मेरे मुहँ मे से निकाला और मेरे जान मे जान आई , मैं जोर जोर से साँसे लेने लगी ..
नितिन ने मुझे फिर से खड़ा किया मेरी चुत मे अपनी ऊँगली डाल कर जोर-जोर से अन्दर बाहर करते हुए .. मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया मेरी चुत से पानी की बोछार होने लगी
.. मेरी आँखे पथरा गई और मेरा बदन काँपते हुए मैं जोर जोर से चीखने लगी ...
" आह ..... आह ..... आआआआआआ............. ह ,,,,,,,,"
मुझे निढाल होता देख नितिन ने मेरी आहों को शांत करने के लिए फिर से मुझे नीचे बीठा के मेरे मुहँ मे अपना लण्ड दे दिया और उसे तेजी से मेरे मुहँ मे आगे पीछे करने लगा .. मेरे मुहँ से " घू घू .. "की आवाज पूरे कमरे मे गूंज गई अगर कोई ओर वहाँ होता तो यही सोचता कोई रंडी अन्दर चुद रही है ।
" आह ....... बोहोत अच्छा ..... करते रहो ..... । " - मैंने कराहते हुए जवाब दिया ।
नितिन यहाँ नहीं रुका बल्कि ओर जोर से मेरी चुत मे उँगली करते हुए बोला - " क्या अशोक भी ऐसे ही करता है तुम्हारे साथ .... "
" आह .... नितिन .... चुप ... हो जाओ ... उन्हे .. बीच मे मत लाओ .... आह .. ऑफ ...। "
नितिन ने फिर पूछा - " बोलो ना पदमा .. क्या वो भी तुम्हारी चुत चाटता है ?"
नितिन के सवाल मुश्किल होते जा रहे थे और साथ ही मेरी आँखे भी पथराने लगी थी , मैं चरम-सुख पर पहुँचने की कगार पर थी और मैंने नितिन के सवाल का जवाब दिया
मैं - नहीं ...... वो .. नहीं ..... करते ऐसा .... आह ... ।
नितिन ने जब ये सुना तो उसने मुस्कुराकर एक ओर उँगली मेरी चुत मे डाल दी ओर जोर-जोर से उसे अन्दर बाहर करने लगा
नितिन - ये क्या पदमा तुम तो खुद ही मजे ले रही हो , और मेरा क्या ?
मैं ( आहे भरती हुई )- आह ... बोलो क्या चाहिए .... तुम्हें नितिन ...ऑफ ?
नितिन - जैसे मैंने तुम्हारी चुत चुसी है , तुम मेरा लण्ड चूसो ।
जब नितिन ने ये बोला मेरे दिमाग मे वही छाया-चित्र बन गए जब मैंने बस मे गुप्ता जी का लिंग चूसा था , और यहाँ नितिन मुझे फिर से वही करने को बोल रहा था ।
मैं - नितिन ..... उफ़ ... आह ..
नितिन समझ गया था कि मेरा बदन अकड़ने लगा है और मैं किसी भी समय झड़ सकती हूँ और इस समय मेरी कामवासना पूरे चरम पर है , नितिन ये इस मौके का पूरा फायदा उठाया और तेज-तेज मेरी चुत मे अपनी उँगलियाँ अन्दर बाहर करते हुए बोला - " जल्दी बोलो पदमा .. लोगी ना मेरा लोड़ा अपने इस प्यारे नरम होंठों मे "
नितिन की उँगलियों के वार से मेरी चुत , भर-भर के पानी छोड़ने लगी और मेरा पूरा जिस्म ऐंठ गया .. मैंने अपने बदन की कमान नितिन के हाथों मे सोपते हुए कह ही दिया - " हाँ ... लूँगी ... डाल दो .. इसे मेरे नरम होंठों के बीच ... आह.... आह.. "
नितिन ने ये सुनने के बाद एक पल की भी देरी करनी गलत समझी और मेरी योनि से अपने हाथ की उँगलियाँ निकालकर , बेड पर खड़ा हो गया और मेरे सर बाल पकड़कर मुझे घुटनों के बल बैठा दिया .. मेरे सामने नितिन का मोटा काला लण्ड झूल रहा था ... और उस समय मुझे किसी चीज का ध्यान नहीं था सिवाय इसके कि मुझे ये मोटा लण्ड अपने मुहँ मे चाहिए । मैंने उसके लण्ड को अपने मुहँ मे लेने के लिए अपना मुहँ खोल दिया लेकिन नितिन ने मेरे बालों को पकड़कर मुझे लण्ड से दूर किया हुआ था , जब मैंने खुद ही उसके लण्ड को मुहँ मे लेना चाहा तो उसने उसे मेरे मुहँ से दूर कर दिया और मेरे मुहँ मे नहीं घुसने दिया,बल्कि उसका लण्ड मेरे गालों से जरूर छू गया ।
नितिन को मुझे तड़पाने मे बोहोत मजा आ रहा था वो मुझे ऐसे इस्तेमाल कर रहा था जैसे मैं उसकी कोई गुलाम हूँ लेकिन अब मैं भी रुकने वाली नहीं थी , मैंने एक बार फिर से कोशिश की और इस बार नितिन के लण्ड को लपक ले आपने होंठों के बीच अपने मुहँ मे ले लिया और तरीके से उसे चूसने लगी ।
लण्ड के मुहँ मे जाते ही , नितिन की भी आहें फूट गई और वो भी .. " आह ..पदमा ... मेरी ... रांड ... । " बड़बड़ाते हुए हुए अपना लण्ड मेरे मुहँ मे तेजी से अन्दर - बाहर करने लगा ।
गुप्ता जी का लण्ड चूसने के बाद मैंने सोचा था कि अब कभी किसी का नहीं चूसूँगी, लेकिन पता नहीं था मेरी ये खुद से किया वादा बस दो दिन मे टूट जाएगा । मुझे सच मे नितिन का लण्ड चूसने मे मजा आने लगा , और मैं उसे मजे से चूसने लगी जैसे कोई आइसक्रीम हो ....
नितिन मेरे सर को उसके लण्ड पर दबाए आहें भरने लगा - " आह पदमा ... तुम तो बड़ा अच्छा लण्ड चुसती हो कहाँ से सीखा ..?
अब मैं नितिन को क्या बताती कि मैंने उससे पहले अपने एक 50 साल के टेलर का भी चूसा हुआ है , लेकिन सच बताऊँ तो मुझे नितिन के लण्ड को चूसने मे ज्यादा मजा आ रहा था गुप्ता जी से भी ज्यादा । नितिन का लिंग मेरे मुहँ मे पूरा घुसने को तैयार था और जब नितिन ने उसे पूरा मेरे मुहँ मे घुसाया तो मेरा साँस लेना दुर्भर हो गया .. वो जड़ तक मेरे हलक मे उतर गया और मेरे गले की गहराई को मापने लगा मैंने नितिन से आँखों ही आँखों मे मदद की गुहार लगाई , तब जाकर नितिन ने उसे मेरे मुहँ मे से निकाला और मेरे जान मे जान आई , मैं जोर जोर से साँसे लेने लगी ..
नितिन ने मुझे फिर से खड़ा किया मेरी चुत मे अपनी ऊँगली डाल कर जोर-जोर से अन्दर बाहर करते हुए .. मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया मेरी चुत से पानी की बोछार होने लगी
.. मेरी आँखे पथरा गई और मेरा बदन काँपते हुए मैं जोर जोर से चीखने लगी ...
" आह ..... आह ..... आआआआआआ............. ह ,,,,,,,,"
मुझे निढाल होता देख नितिन ने मेरी आहों को शांत करने के लिए फिर से मुझे नीचे बीठा के मेरे मुहँ मे अपना लण्ड दे दिया और उसे तेजी से मेरे मुहँ मे आगे पीछे करने लगा .. मेरे मुहँ से " घू घू .. "की आवाज पूरे कमरे मे गूंज गई अगर कोई ओर वहाँ होता तो यही सोचता कोई रंडी अन्दर चुद रही है ।