11-02-2023, 12:17 AM
मैं -आह ...... नितिन ..... अब .... बस .... करो ..... आह .... ऑफ .... नहीं ....वहाँ .. पर मत चूमो ... ।
नितिन ने नीचे मेरे पैरों पर चूमते हुए मेरी साड़ी को ओर भी ऊपर उठाकर अपनी जेब से एक ओर लाल पट्टी निकाली मेरे पैरों को भी उस लाल मुलायम पट्टी से बांध दिया ।
मैं - ऑफ ... नितिन ... ये ... क्या कर रहे हो ... आह... मत करो .. ।
नितिन कब का मेरी बातों को सुन रहा था वो तो वासना के नशे मे डूबा हुआ था और अब वही नशा मुझ पर छाने लगा और मेरे सोचने समझने की शक्ति जाती रही , हवस की गर्मी ने मुझे अपना गुलाम बना लिया .. । वहाँ ऑफिस मे मेरा पति , मेरे लिए काम मे लगा है और यहाँ उसका बॉस मुझे अपने ही बिस्तर पर लूट रहा है , इस बात से ही मेरी कामअग्नि चरम पर पहुँच गई । नितिन अब और आगे बढ़ा और मेरी टांगों से हाथ ले जाते हुए मेरी पेन्टी तक ले गया और एकदम से उसे पकड़कर नीचे खिंच दिया ,
मैं उसे ऐसा करने से रोकना भी चाहती थी मगर मेरे हाथों को उसने पहले ही बांध दिया था , मैं कुछ भी ना कर सकी केवल उसकी मिन्नते करने से ..
मैं - नितिन मत निकलो इसे ... प्लीज जो करना है ऊपर-ऊपर से कर लो..... आह ... ।
मेरी पेन्टी गीली थी नितिन के हाथों मे आते ही नितिन जान गया कि वो क्यूँ गीली है , नितिन ने मेरी ओर देखकर कहा - " वाह पदमा ... तुम्हारे चुतरस की खुशबू तो इत्र को भी मात देती है , .. आज मे इसे फिर से पियूँगा । "
इतना कहकर नितिन ने मेरी पेन्टी को नीचे फेंक दिया, नितिन फिर से मेरे ऊपर आया , मेरी मोटी चुचियों को मसलते हुए मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके दोनों भागों को अलग कर दिया ।
ब्लाउज के खुलते ही मेरी लाल ब्रा मे कैद गद्देदार चुचियाँ बाहर आ गई जिन्हे चूमते हुए नितिन ने जबरदस्त तरीके से मसला और दबाया । मुझे तो ऐसा लगने लगा जैसे आज नितिन मेरे बूब्स से दूध निकाल कर ही मानेगा । मेरी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूमते हुए नितिन मेरे पेट और जहाँ तक उसका हाथ पहुँच सकता था वहाँ तक जाते हुए , मेरे पूरे बदन को अपने सख्त हाथों से मसला और दबाया ।
नितिन - कैसा लग रहा है पदमा , मजा आ रहा है ना ....
मैं -आह .... .. नितिन ... अगर अशोक ने मुझे ... ऐसे देख लिया तो तो वो तो हार्ट-अटैक से ही मर जाएगा .... ओह .. ।
नितिन - अशोक तो चूतिया है , उसे ये भी नहीं पता , तुम जैसे माल को कैसे चोदा जाता है ।
मैं - आह ... उन्हे गाली मत दो नितिन .... उफ्फ़ ... ।
नितिन ने फिर नीचे आकर मेरे पेट पर चूमा और इस बार भी उसने अपने हाथ की उँगलियाँ मेरे मुहँ मे फँसा दी , मैं भी जिस्मानी आग के दरिया मे गोते लगा रही थी , मैंने नितिन की दोनों उँगलियों को अपने मुहँ मे भरकर चूसना शुरू कर दिया ।
नितिन अब रूकने के मूड मे नहीं था और ना ही मैं , उसने नीचे हाथ लेजाकर मेरी साड़ी मे हाथ डाला और मेरी योनि को मसलते हुए मेरे पेटीकोट के नाड़े को पकड़कर खिंच दिया , पेन्टी तो वो पहले ही उतार चुका था , नाड़ा खुलते ही पेटीकोट अपने आप नीचे सरकने लगा और नितिन को मेरी चुत मसलने मे आसानी हो गई । आज कोई बोहोत टाइम के बाद मेरी योनि को मसल रहा था , जिस्मानी आग ने मुझे पागल कर दिया और मैं बिस्तर से उछल पड़ी ।
नितिन मेरे जिस्म की तपिश को समझ गया था और वो जान गया था की मैं अब आपने बदन की गर्मी की गुलाम बन गई हूँ , और उसने बाजी मार ली है । नितिन ने मुझे मेरे कंधों से पकड़कर पलट दिया और अपनी पेन्ट मे कैद लम्बे लिंग से ही मेरे नितम्बों पर धक्के लगाने लगा ।
हालाँकि उसका लिंग अभी भी उसकी पेन्ट मे था लेकिन मेरी गाँड़ बिल्कुल नंगी थी , सिर्फ साड़ी थी जोकि कमर तक ऊपर उठी हुई थी , नितिन के लिंग का वार सीधे मेरे नंगे नितम्बों पर हो रहा था ।
मेरे नितम्बों पर पड़ने वाले ये धक्के मुझे अच्छे लग रहे थे , इसी बीच नितिन अचानक रुक गया , जिज्ञासावश मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो अपने कपड़े निकाल रहा था , पल भर की भी देर ना हुई और नितिन ने अपने कपड़े निकाल-कर बिल्कुल नंगा हो गया ,,, मेरी आँखे अभी भी उसके गठीले बदन पर टिकी हुई थी जब मेरी नजरे उसके लिंग पर गई तो हैरत और रोमांचक डर से मेरा मुहँ खुला रह गया ।
नितिन का लण्ड बोहोत ही लंबा था ,
इससे पहले मैंने उसे महसूस जरूर किया था लेकिन देखा आज पहली बार था .. नितिन का लिंग मेरी आँखों के सामने झूल रहा था और मेरी निगाहे उस पर ही टिकी हुई थी । नितिन मुझे उसके लिंग की ओर घूरता हुआ पाकर मुस्कुराते हुए बोला - " कैसा है मेरा लण्ड , पदमा । "
नितिन की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ और शर्मा-कर मैंने अपनी नजरे फेर ली । नितिन दोबारा से मेरे पास आया और उसका लोहे के सरिया के जैसा गरम लण्ड मेरे पेट से टकरा गया , मेरा दिल इतनी रफ्तार से धड़का जैसे मैं अभी बेहोश हो जाऊँगी ।
नितिन ने नीचे मेरे पैरों पर चूमते हुए मेरी साड़ी को ओर भी ऊपर उठाकर अपनी जेब से एक ओर लाल पट्टी निकाली मेरे पैरों को भी उस लाल मुलायम पट्टी से बांध दिया ।
मैं - ऑफ ... नितिन ... ये ... क्या कर रहे हो ... आह... मत करो .. ।
नितिन कब का मेरी बातों को सुन रहा था वो तो वासना के नशे मे डूबा हुआ था और अब वही नशा मुझ पर छाने लगा और मेरे सोचने समझने की शक्ति जाती रही , हवस की गर्मी ने मुझे अपना गुलाम बना लिया .. । वहाँ ऑफिस मे मेरा पति , मेरे लिए काम मे लगा है और यहाँ उसका बॉस मुझे अपने ही बिस्तर पर लूट रहा है , इस बात से ही मेरी कामअग्नि चरम पर पहुँच गई । नितिन अब और आगे बढ़ा और मेरी टांगों से हाथ ले जाते हुए मेरी पेन्टी तक ले गया और एकदम से उसे पकड़कर नीचे खिंच दिया ,
मैं उसे ऐसा करने से रोकना भी चाहती थी मगर मेरे हाथों को उसने पहले ही बांध दिया था , मैं कुछ भी ना कर सकी केवल उसकी मिन्नते करने से ..
मैं - नितिन मत निकलो इसे ... प्लीज जो करना है ऊपर-ऊपर से कर लो..... आह ... ।
मेरी पेन्टी गीली थी नितिन के हाथों मे आते ही नितिन जान गया कि वो क्यूँ गीली है , नितिन ने मेरी ओर देखकर कहा - " वाह पदमा ... तुम्हारे चुतरस की खुशबू तो इत्र को भी मात देती है , .. आज मे इसे फिर से पियूँगा । "
इतना कहकर नितिन ने मेरी पेन्टी को नीचे फेंक दिया, नितिन फिर से मेरे ऊपर आया , मेरी मोटी चुचियों को मसलते हुए मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके दोनों भागों को अलग कर दिया ।
ब्लाउज के खुलते ही मेरी लाल ब्रा मे कैद गद्देदार चुचियाँ बाहर आ गई जिन्हे चूमते हुए नितिन ने जबरदस्त तरीके से मसला और दबाया । मुझे तो ऐसा लगने लगा जैसे आज नितिन मेरे बूब्स से दूध निकाल कर ही मानेगा । मेरी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूमते हुए नितिन मेरे पेट और जहाँ तक उसका हाथ पहुँच सकता था वहाँ तक जाते हुए , मेरे पूरे बदन को अपने सख्त हाथों से मसला और दबाया ।
नितिन - कैसा लग रहा है पदमा , मजा आ रहा है ना ....
मैं -आह .... .. नितिन ... अगर अशोक ने मुझे ... ऐसे देख लिया तो तो वो तो हार्ट-अटैक से ही मर जाएगा .... ओह .. ।
नितिन - अशोक तो चूतिया है , उसे ये भी नहीं पता , तुम जैसे माल को कैसे चोदा जाता है ।
मैं - आह ... उन्हे गाली मत दो नितिन .... उफ्फ़ ... ।
नितिन ने फिर नीचे आकर मेरे पेट पर चूमा और इस बार भी उसने अपने हाथ की उँगलियाँ मेरे मुहँ मे फँसा दी , मैं भी जिस्मानी आग के दरिया मे गोते लगा रही थी , मैंने नितिन की दोनों उँगलियों को अपने मुहँ मे भरकर चूसना शुरू कर दिया ।
नितिन अब रूकने के मूड मे नहीं था और ना ही मैं , उसने नीचे हाथ लेजाकर मेरी साड़ी मे हाथ डाला और मेरी योनि को मसलते हुए मेरे पेटीकोट के नाड़े को पकड़कर खिंच दिया , पेन्टी तो वो पहले ही उतार चुका था , नाड़ा खुलते ही पेटीकोट अपने आप नीचे सरकने लगा और नितिन को मेरी चुत मसलने मे आसानी हो गई । आज कोई बोहोत टाइम के बाद मेरी योनि को मसल रहा था , जिस्मानी आग ने मुझे पागल कर दिया और मैं बिस्तर से उछल पड़ी ।
नितिन मेरे जिस्म की तपिश को समझ गया था और वो जान गया था की मैं अब आपने बदन की गर्मी की गुलाम बन गई हूँ , और उसने बाजी मार ली है । नितिन ने मुझे मेरे कंधों से पकड़कर पलट दिया और अपनी पेन्ट मे कैद लम्बे लिंग से ही मेरे नितम्बों पर धक्के लगाने लगा ।
हालाँकि उसका लिंग अभी भी उसकी पेन्ट मे था लेकिन मेरी गाँड़ बिल्कुल नंगी थी , सिर्फ साड़ी थी जोकि कमर तक ऊपर उठी हुई थी , नितिन के लिंग का वार सीधे मेरे नंगे नितम्बों पर हो रहा था ।
मेरे नितम्बों पर पड़ने वाले ये धक्के मुझे अच्छे लग रहे थे , इसी बीच नितिन अचानक रुक गया , जिज्ञासावश मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो अपने कपड़े निकाल रहा था , पल भर की भी देर ना हुई और नितिन ने अपने कपड़े निकाल-कर बिल्कुल नंगा हो गया ,,, मेरी आँखे अभी भी उसके गठीले बदन पर टिकी हुई थी जब मेरी नजरे उसके लिंग पर गई तो हैरत और रोमांचक डर से मेरा मुहँ खुला रह गया ।
नितिन का लण्ड बोहोत ही लंबा था ,
इससे पहले मैंने उसे महसूस जरूर किया था लेकिन देखा आज पहली बार था .. नितिन का लिंग मेरी आँखों के सामने झूल रहा था और मेरी निगाहे उस पर ही टिकी हुई थी । नितिन मुझे उसके लिंग की ओर घूरता हुआ पाकर मुस्कुराते हुए बोला - " कैसा है मेरा लण्ड , पदमा । "
नितिन की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ और शर्मा-कर मैंने अपनी नजरे फेर ली । नितिन दोबारा से मेरे पास आया और उसका लोहे के सरिया के जैसा गरम लण्ड मेरे पेट से टकरा गया , मेरा दिल इतनी रफ्तार से धड़का जैसे मैं अभी बेहोश हो जाऊँगी ।