10-02-2023, 11:56 PM
मेरे होंठों का शबाब पी जाने के बाद नितिन ने उन्हे छोड़ा और मेरे कान और उसके पास चूमते हुए बोला - " पदमा .... मैंने बोहोत दिनों से कोई चुदाई नहीं की , प्लीज आज मेरा साथ दो , मैं अपना लण्ड तुम्हारी चुत मे डालकर शांत करना चाहता हूँ । "
मैं नितिन की ये बाते सुन-सुनकर पागल हुए जा रही थी ।
" आह .... नहीं .....नितिन ..... मैं अशोक .... से क्या कहूँगी .... ओह ... प्लीज नितिन जाने दो मुझे .... ।
" हरगिज नहीं । "
"प्लीज ....आह ..."
" आज नहीं ... जाने दूँगा ... किसी कीमत पर नहीं ... "
" ऑफ ... नहीं नितिन ... मैं लूट जाऊँगी ...।"
" एक बार मेरा लण्ड लेकर देखो , रोज इसके लिए तड़पोगी । "
नितिन मेरे पीछे आ गया और मेरे बूब्स को अपने हाथों मे लेकर मसलते हुए मेरी गर्दन और कंधों पर चूमने लगा ,,,
मैं - " आह नितिन .... उफ़ ... भगवान के लिए मुझे छोड़ दो ... नहीं ... ओह .....मत लूटो मुझे ... ।"
बोले जा रही थी लेकिन नितिन पर इसका कोई असर नहीं था वो तो मजे से मुझे लूट रहा था । नितिन ने मेरी साड़ी के पल्लू को भी अपने हाथों से पकड़कर नीचे गिरा दिया और मेरी चुचियों को सख्ती से मसलते हुए बेहयाई से अपनी हवस मिटाने लगा ।
चुचियों के रगड़े जाने से मेरे चुचे बिल्कुल कडक हो गए और मेरी चुचियाँ तनाव मे आ गई , ना चाहते हुए भी मेरे मुहँ से कामुक आहे निकलने लगी जिन्हे मैं बोहोत देर से दबाए हुए थी ।
" आह .... ऑफ ..... नितिन .... धीरे ... मसलों .. इन्हे ... । "
मेरी बातों को तो नितिन कब का अनसुना कर चुका था और वो उसी बेदर्दी के साथ मेरी चुचियों का मान मर्दन करता रहा । चुचियों को साड़ी के ऊपर से मान मर्दन करने से अब उसका जी ऊबने लगा था तो उसने पीछे से मेरे ब्लाउज जी डोर को खोल दिया और आपने हाथ आगे ला कर मेरी ब्रा और ब्लाउज के पीछे छिपी हुई चुचियों को बाहर निकाल लिया और आपने हाथों से उन्हे बड़ी ही कठोरता से दबाने लगा ।
आहों के मारे मेरा बुरा हाल था मेरी योनि भर आई थी ओर चुतरस की बुँदे मेरी पेंटी को भी गीला करने लगी । पीछे से उसका पेंट मे कडक लिंग मेरी गाँड़ की दरार मे फँसा हुआ था ।
मैं -" आह .... आह .... छोड़ ... दो ... इन्हे....... नहीं .... आह .... । "
मेरी आहों को ज्यादा बढ़ता देख नितिन ने अपने होंठ फिर से मेरे होंठ से मिल दिए और अपने दूसरे हाथ से मेरी चुचियों को गुथने लगा , ठीक वैसे ही जैसे कोई हलवाई आटा गुथता है ।
नितिन ने एक बार फिर मेरे होंठों को छोड़ा और मेरी चुचियों को मसलता हुआ मुझे मेरे कंधों पर चूमते हुए मुझे अपने बेड पर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे गले पर चूमने लगा और ऊपर से अपने लण्ड का दबाव मेरी गीली योनि पर देते हुए धक्के देने लगा , हर पल के साथ नितिन की हवस की आग बढ़ती जा रही थी और मेरी मर्यादा की सीमाएं टूटती जा रही थी ।
फिर नितिन ने बेड के ड्रावर को खोलकर उसमे से एक लाल मुलायम पट्टी निकाली और उससे मेरे हाथों को बांध दिया और खुद नीचे आकर मेरे पेट और नाभी पर चूमने लगाआज नितिन ने मुझे इतना चूमा और चाटा था जितना पहले शायद ही किसी ने किया हो .... मैं कुछ बोल ना सकूँ इसके लिए नितिन ने अपनी एक उँगली मेरे मुहँ मे होंठों के बीच मे फँसा दी ।
मेरे पेट पर चूमते हुए नितिन फिर नीचे आया और मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाकर मेरे गोरी जांघों और पैरों पर भी चूमने लगा और अपनी एक उँगली मेरी नाभी मे डालकर हिलाने लगा ।,
नितिन की गरम साँसे और उसके होंठों की छुअन अपनी योनि के आस-पास पड़ते ही मेरी साँसों मे गजब का उछाल आ गया और मेरा पूरा जिस्म , उत्तेजना मे तपने लगा मेरी योनि मे खुजली मचने लगी और नितिन के बिस्तर पर मचलते हुए मैं आहें भरने लगी ।
मैं नितिन की ये बाते सुन-सुनकर पागल हुए जा रही थी ।
" आह .... नहीं .....नितिन ..... मैं अशोक .... से क्या कहूँगी .... ओह ... प्लीज नितिन जाने दो मुझे .... ।
" हरगिज नहीं । "
"प्लीज ....आह ..."
" आज नहीं ... जाने दूँगा ... किसी कीमत पर नहीं ... "
" ऑफ ... नहीं नितिन ... मैं लूट जाऊँगी ...।"
" एक बार मेरा लण्ड लेकर देखो , रोज इसके लिए तड़पोगी । "
नितिन मेरे पीछे आ गया और मेरे बूब्स को अपने हाथों मे लेकर मसलते हुए मेरी गर्दन और कंधों पर चूमने लगा ,,,
मैं - " आह नितिन .... उफ़ ... भगवान के लिए मुझे छोड़ दो ... नहीं ... ओह .....मत लूटो मुझे ... ।"
बोले जा रही थी लेकिन नितिन पर इसका कोई असर नहीं था वो तो मजे से मुझे लूट रहा था । नितिन ने मेरी साड़ी के पल्लू को भी अपने हाथों से पकड़कर नीचे गिरा दिया और मेरी चुचियों को सख्ती से मसलते हुए बेहयाई से अपनी हवस मिटाने लगा ।
चुचियों के रगड़े जाने से मेरे चुचे बिल्कुल कडक हो गए और मेरी चुचियाँ तनाव मे आ गई , ना चाहते हुए भी मेरे मुहँ से कामुक आहे निकलने लगी जिन्हे मैं बोहोत देर से दबाए हुए थी ।
" आह .... ऑफ ..... नितिन .... धीरे ... मसलों .. इन्हे ... । "
मेरी बातों को तो नितिन कब का अनसुना कर चुका था और वो उसी बेदर्दी के साथ मेरी चुचियों का मान मर्दन करता रहा । चुचियों को साड़ी के ऊपर से मान मर्दन करने से अब उसका जी ऊबने लगा था तो उसने पीछे से मेरे ब्लाउज जी डोर को खोल दिया और आपने हाथ आगे ला कर मेरी ब्रा और ब्लाउज के पीछे छिपी हुई चुचियों को बाहर निकाल लिया और आपने हाथों से उन्हे बड़ी ही कठोरता से दबाने लगा ।
आहों के मारे मेरा बुरा हाल था मेरी योनि भर आई थी ओर चुतरस की बुँदे मेरी पेंटी को भी गीला करने लगी । पीछे से उसका पेंट मे कडक लिंग मेरी गाँड़ की दरार मे फँसा हुआ था ।
मैं -" आह .... आह .... छोड़ ... दो ... इन्हे....... नहीं .... आह .... । "
मेरी आहों को ज्यादा बढ़ता देख नितिन ने अपने होंठ फिर से मेरे होंठ से मिल दिए और अपने दूसरे हाथ से मेरी चुचियों को गुथने लगा , ठीक वैसे ही जैसे कोई हलवाई आटा गुथता है ।
नितिन ने एक बार फिर मेरे होंठों को छोड़ा और मेरी चुचियों को मसलता हुआ मुझे मेरे कंधों पर चूमते हुए मुझे अपने बेड पर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे गले पर चूमने लगा और ऊपर से अपने लण्ड का दबाव मेरी गीली योनि पर देते हुए धक्के देने लगा , हर पल के साथ नितिन की हवस की आग बढ़ती जा रही थी और मेरी मर्यादा की सीमाएं टूटती जा रही थी ।
फिर नितिन ने बेड के ड्रावर को खोलकर उसमे से एक लाल मुलायम पट्टी निकाली और उससे मेरे हाथों को बांध दिया और खुद नीचे आकर मेरे पेट और नाभी पर चूमने लगाआज नितिन ने मुझे इतना चूमा और चाटा था जितना पहले शायद ही किसी ने किया हो .... मैं कुछ बोल ना सकूँ इसके लिए नितिन ने अपनी एक उँगली मेरे मुहँ मे होंठों के बीच मे फँसा दी ।
मेरे पेट पर चूमते हुए नितिन फिर नीचे आया और मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाकर मेरे गोरी जांघों और पैरों पर भी चूमने लगा और अपनी एक उँगली मेरी नाभी मे डालकर हिलाने लगा ।,
नितिन की गरम साँसे और उसके होंठों की छुअन अपनी योनि के आस-पास पड़ते ही मेरी साँसों मे गजब का उछाल आ गया और मेरा पूरा जिस्म , उत्तेजना मे तपने लगा मेरी योनि मे खुजली मचने लगी और नितिन के बिस्तर पर मचलते हुए मैं आहें भरने लगी ।