10-02-2023, 11:36 PM
नितिन कमर-बन्द लगाने के बहाने मेरे पतली कमरिया से खेलते हुए अपनी गरम साँसों से मुझ पर जादू चलाने लगा , फिर अचानक से नितिन नीचे मेरी नाभी के पास बैठ गया और कमर-बन्द लगाते हुए मेरी नाभी और उसके आस-पास अपनी उंगलियाँ फिराने लगा
, नितिन की उँगलिया मेरे सपाट चिकने पेट पर ऐसे विचरण कर रही थी जैसे कोई हिरण खुले मैदान मे करता है । नीचे बैठने की वजह से उसकी साँसों की गरमाहट मेरी नाभी और पेट को मिल रही थी । मैं जैसे-तैसे करके सीधी खड़ी रही और नितिन को टोकते हुए कहा - " नितिन ... और कितनी देर लगाओगे ?"
नितिन ने वैसे ही बैठे-बैठे जवाब दिया - " पदमा लगता है , ये अटक गया है कुछ करता हूँ । " कहकर नितिन ने कमर-बन्द के दोनों सिरों को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हे मिलाकर आपने मुहँ से उसे जोड़ने की कोशिश करने लगा जैसे ही नितिन के होंठ मेरे पेट से टकराए मेरी साँसों मे गजब का उफान आ गया और एक हल्की सी आह मेरे मुहँ से निकल गई ।
नितिन ने कमर-बन्द लगाने के बहाने मेरी नाभी और उसके आस पास गरमा-गरम तरीके से चूमा , मैंने अपनी आँखे बन्द कीये हुए अपने होंठ अपने दाँतों के बीच मे भिच लिए ।
कमर-बन्द अब लग चुका था और अब नितिन ने अपने हाथ वहाँ से हटा कर पीछे मेरे भारी नितम्बों को पकड़ लिया , उसके होंठ अभी भी मेरे पेट पर अपनी छाप छोड़ रहे थे और बेबाकी से मेरे पेट को चूम रहे थे । मेरी हालत खराब होने लगी और बदन मे गुदगुदी के साथ एक रोमांचक उत्तेजना जिस्म मे ऊबाल खाने लगी । मैंने नितिन के सर को आपने हाथों से पकड़कर उसे रोकते हुए कहा - "ओह ... नितिन ये तुम क्या कर रहे हो ....। "
नितिन ने अपना जवाब अपनी हरकतों से दे डाला और मेरी गाँड़ को मजबूती से पकड़कर दबाते हुए मेरी कमर पर अपने होंठों से चूमने लगा ।
मैं - " आह नितिन ...... रुक जाओ ना ..... प्लीज ..... अब मुझे जाने दो ... ।
मगर नितिन नहीं माना ओर तेजी से मेरी नाभी पर एक के बाद एक कई चुम्बन जड़ दिए ,
फिर मुझे चूमते हुए तेजी से ऊपर आया और मुझे अपनी बाहों मे कसकर मेरे होंठों पर भी तेजी से 3-4 चुम्बन दिए ।
मैंने नितिन को अपने से दूर करने के लिए उसे धक्का देना चाहा , लेकिन उसकी बाहों की मजबूत पकड़ से निकल पाना मेरे लिए नामुमकिन साबित हुआ ।
मैं - प्लीज ... ऑफ .. छोड़ दो ना ..। क्या इसीलिए तुम मुझे अपने रूम मे लाए थे ?
नितिन - पदमा ... मैं बोहोत तन्हा हूँ, मुझे तुम्हारा सहारा चाहिए ... आइ लव यू .... मुझसे दूर मत जाना । बोलते हुए नितिन फिर से एक बार मेरे होंठों की तरफ बढ़ा , मैं जान गई की नितिन मेरे होंठों को चूमने वाला है , मैंने नितिन को धक्का देते हुए उसके होंठों को अपने लबों से दूर रखना चाहा मगर नितिन ने तेजी से लपककर मेरे निचले होंठ को पकड़ लिया और अपने दाँतों मे भिच कर खिंच दिया ।
" आह ......। " मेरे मुहँ से दर्द भरी एक चीत्कार निकली जिसका फायदा उठाते हुए नितिन ने मेरे सर को पीछे से पकड़कर अपनी ओर धकेला और मेरे होंठों को अपने होंठों मे फँसा ही लिया और जोर-जोर से उन्हे चूसने लगा ।
नितिन ने मुझे अपनी बाहों मे इस कदर जकड़ा हुआ था की मेरे बड़े-बड़े गद्देदार बूब्स नितिन की छाती के नीचे दबे हुए थे और मेरी साड़ी मे बन्धी गाँड़ नितिन के निर्दयी हाथों मे थी जिसे वो बड़ी बेहरहमी से कुचल रहा था ,
नीचे से उसकी पेन्ट मे कैद लण्ड ने मेरी प्यासी चुत पर वार करके कोहराम मचा रखा था । कुल मिलाकर ऐसी स्थिति मे किसी भी औरत के अरमान बहक जाए , लेकिन मैं फिर भी अपने आप को रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी ।
, नितिन की उँगलिया मेरे सपाट चिकने पेट पर ऐसे विचरण कर रही थी जैसे कोई हिरण खुले मैदान मे करता है । नीचे बैठने की वजह से उसकी साँसों की गरमाहट मेरी नाभी और पेट को मिल रही थी । मैं जैसे-तैसे करके सीधी खड़ी रही और नितिन को टोकते हुए कहा - " नितिन ... और कितनी देर लगाओगे ?"
नितिन ने वैसे ही बैठे-बैठे जवाब दिया - " पदमा लगता है , ये अटक गया है कुछ करता हूँ । " कहकर नितिन ने कमर-बन्द के दोनों सिरों को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हे मिलाकर आपने मुहँ से उसे जोड़ने की कोशिश करने लगा जैसे ही नितिन के होंठ मेरे पेट से टकराए मेरी साँसों मे गजब का उफान आ गया और एक हल्की सी आह मेरे मुहँ से निकल गई ।
नितिन ने कमर-बन्द लगाने के बहाने मेरी नाभी और उसके आस पास गरमा-गरम तरीके से चूमा , मैंने अपनी आँखे बन्द कीये हुए अपने होंठ अपने दाँतों के बीच मे भिच लिए ।
कमर-बन्द अब लग चुका था और अब नितिन ने अपने हाथ वहाँ से हटा कर पीछे मेरे भारी नितम्बों को पकड़ लिया , उसके होंठ अभी भी मेरे पेट पर अपनी छाप छोड़ रहे थे और बेबाकी से मेरे पेट को चूम रहे थे । मेरी हालत खराब होने लगी और बदन मे गुदगुदी के साथ एक रोमांचक उत्तेजना जिस्म मे ऊबाल खाने लगी । मैंने नितिन के सर को आपने हाथों से पकड़कर उसे रोकते हुए कहा - "ओह ... नितिन ये तुम क्या कर रहे हो ....। "
नितिन ने अपना जवाब अपनी हरकतों से दे डाला और मेरी गाँड़ को मजबूती से पकड़कर दबाते हुए मेरी कमर पर अपने होंठों से चूमने लगा ।
मैं - " आह नितिन ...... रुक जाओ ना ..... प्लीज ..... अब मुझे जाने दो ... ।
मगर नितिन नहीं माना ओर तेजी से मेरी नाभी पर एक के बाद एक कई चुम्बन जड़ दिए ,
फिर मुझे चूमते हुए तेजी से ऊपर आया और मुझे अपनी बाहों मे कसकर मेरे होंठों पर भी तेजी से 3-4 चुम्बन दिए ।
मैंने नितिन को अपने से दूर करने के लिए उसे धक्का देना चाहा , लेकिन उसकी बाहों की मजबूत पकड़ से निकल पाना मेरे लिए नामुमकिन साबित हुआ ।
मैं - प्लीज ... ऑफ .. छोड़ दो ना ..। क्या इसीलिए तुम मुझे अपने रूम मे लाए थे ?
नितिन - पदमा ... मैं बोहोत तन्हा हूँ, मुझे तुम्हारा सहारा चाहिए ... आइ लव यू .... मुझसे दूर मत जाना । बोलते हुए नितिन फिर से एक बार मेरे होंठों की तरफ बढ़ा , मैं जान गई की नितिन मेरे होंठों को चूमने वाला है , मैंने नितिन को धक्का देते हुए उसके होंठों को अपने लबों से दूर रखना चाहा मगर नितिन ने तेजी से लपककर मेरे निचले होंठ को पकड़ लिया और अपने दाँतों मे भिच कर खिंच दिया ।
" आह ......। " मेरे मुहँ से दर्द भरी एक चीत्कार निकली जिसका फायदा उठाते हुए नितिन ने मेरे सर को पीछे से पकड़कर अपनी ओर धकेला और मेरे होंठों को अपने होंठों मे फँसा ही लिया और जोर-जोर से उन्हे चूसने लगा ।
नितिन ने मुझे अपनी बाहों मे इस कदर जकड़ा हुआ था की मेरे बड़े-बड़े गद्देदार बूब्स नितिन की छाती के नीचे दबे हुए थे और मेरी साड़ी मे बन्धी गाँड़ नितिन के निर्दयी हाथों मे थी जिसे वो बड़ी बेहरहमी से कुचल रहा था ,
नीचे से उसकी पेन्ट मे कैद लण्ड ने मेरी प्यासी चुत पर वार करके कोहराम मचा रखा था । कुल मिलाकर ऐसी स्थिति मे किसी भी औरत के अरमान बहक जाए , लेकिन मैं फिर भी अपने आप को रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी ।