08-02-2023, 10:02 PM
उसके बाद अशोक अपने रूम मे चले गए और थोड़ी देर वहीं यूँ ही खड़ी रही और आज हुई घटना पर विचार करने लगी---" अभी तो तू झूठ बोलकर बच गई पदमा ... लेकिन अगर अशोक ने कल फिर तुझसे पूछ लिया कि कमरबन्द कहाँ है तो क्या जवाब देगी ?
अपना बचा हुआ काम खत्म करके मैं भी सोने चली । अशोक आँखे बन्द किये हुए बेड पर लेटे हुए थे शायद सो गए थे । मैंने उन्हे डिस्टर्ब नहीं किया अपने बेडरूम के बाथरूम मे जाकर चेंज करके एक नाइटी पहन ली
और अशोक की बगल मैं जाकर लेट गई और थोड़ी देर आज हुई बातों को याद करते हुए सोने की कोशिश करने लगी । नींद कब आई ये तो पता नहीं लेकिन जागने तक बस यही दिमाग मे घूम रहा था कि " अब पता नहीं गुप्ता जी कौन सा नया जाल फेंकेगे मुझपर ,,,, अब तो मैं उनसे नजरे भी नहीं मिला पाऊँगी । उनके पास मेरी पेन्टी तो पहले से ही थी और आज उन्होंने मेरा कमरबन्द भी ले लिया और आगे पता नहीं और क्या-क्या लेंगे वो मेरा ?????"
सुबह मेरी नींद थोड़ी जल्दी ही खुल गई
और एक नए दिन की शुरुवात के साथ मैं भी एक तरोताजा मिजाज से बिस्तर से उठकर अपने रोजमर्रा के कामों मे लग गई फ्रेश होकर अशोक के लिए ब्रेकफ़ास्ट बनाया और ठीक 8 बजे अशोक अपने ऑफिस के लिए निकल गए । उनके जाने के बाद मैं नहाने चली गई ,
इस दौरान मैं अपने साथ कल हुई सभी बातों को पूरे तरीके से भूला चुकी और अपनी ही दुनिया मे मस्त थी नहाकर मैंने अपनी साड़ी पहनी और फिर थोड़ी धूप सेकने की चाहत से अपनी खिड़की के पास आकर खड़ी हो गई । खिड़की के बाहर से अन्दर की ओर आती हुई उन धूप की मीठी किरणों ने मुझे उत्साहित कर दिया
और फिर मैं अपने घर के दूसरे कामों मे व्यस्त हो गई । वरुण तो अभी कुछ दिन आने वाला नहीं था तो मुझे ज्यादा काम भी नहीं था । वैसे तो पूरा दिन बोहोत ही अच्छे से शांति और सुकून से गुजर रहा था लेकिन लगभग 5 बजे मेरे मोबाईल फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आई ,पहले तो उसे देखकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा 'ना जाने कौन अनजान नंबर से कॉल कर रहा है ' लेकिन फिर मैंने उसे रिसीव किया ।।
मैं - हैलो
कॉलर - " हैलो पदमा ....! "
वह एक मर्द की आवज थी आवाज मुझे कुछ जानी पहचानी सी लगी , लेकिन मैं सही से माँझ नहीं पाई कि किसकी आवाज है ?
मैं - कौन बोल रहा है ?
कॉलर - पदमा , मैं नितिन बोल रहा हूँ ।
'नितिन ' का नाम सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए , ' अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है ? इसे क्या परेशानी है ? और इससे भी बड़ा सवाल इसे मेरा नम्बर कैसे मिला ?' सवाल तो कई थे और मैं अपनी ओर से नितिन से कोई भी बात नहीं करना चाहती थी । कल गुप्ता जी के साथ बस मे हुई घटना के बाद से ही मेरा मन कुछ चिड़चिड़ा सा हो गया था ।
मैं - तुम .......। तुम्हें मेरा नंबर कैसे मिला ?
नितिन - ये नहीं पूछोगी की कैसा हूँ ?
मैं - साफ साफ बातों तुम्हें मेरा नम्बर कैसे मिला ?
नितिन - ये कोई मुश्किल काम नहीं है ।
मैं - फोन क्यूँ किया ?
नितिन - तुम कैसी हो पदमा ?
मैं -मैं ठीक हूँ और बोहोत खुश हूँ अपने पति से साथ , तुम ये बताओ फोन क्यूँ किया ?
नितिन - क्या हुआ पदमा तुम इतनी रुडली क्यूँ बात कर रही हो ?
मैं - नितिन मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है , मैंने तुम्हें पहले भी कहा था कि मुझे तुमसे कोई रिस्ता नहीं रखना ।
नितिन - रिस्ता रखने को तो मैं भी नहीं कह रहा हूँ मेरी पदमा , बस ये बता दो इतना मूड ऑफ क्यूँ है ? अशोक से झगड़ा हो गया क्या ?
मैं - तुम्हें इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए ।
नितिन - चलो इससे ना सही तुमसे तो है ।
मैं - नहीं मुझसे भी नहीं ।
नितिन - ऐसा क्यूँ कह कह रही तो मेरी कामा-महारानी , तुम नहीं जानती कितनी दिलों-जान से चाहता हूँ मैं तुम्हें । काश तुम मेरी पत्नी होती तो बस ...........
मैं - तुम अपनी ये बेकार की बातें बन्द करते हो या नहीं ?
नितिन - ये तो कोई बेकार की बाते नहीं है , जो भी है सच है ।
मैं - मुझे तुम्हारे सच मैं कोई दिलचस्पी नहीं है , तुम अपना फोन करने का कारण बताओ ।
नितिन - कारण .... तो तुम जानती हो मेरी प्यारी पदमा ।
मैं समझ गई थी कि नितिन जरूर उस फाइल का जिक्र करेगा जो उसने पहले मुझसे मांगी थी और जिसके बारे रफीक और अशोक भी बात कर रहे थे ।
मैं - तुम फाइल के बारे मे बोल रहे हो ना ?
नितिन - हाँ मेरी प्यारी पदमा ।
मैं - देखो नितिन , मेरी बात साफ साफ सुन लो मैं किसी भी हालत मे अपने पति को धोखा नहीं दूँगी , अगर तुम्हें वो फाइल चाहिए तो अशोक से ही ले लो ।
नितिन - लेकिन वो मुझे नहीं देगा प्लीज समझो मेरी बात को .....।
मैं - तो मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकती ।
नितिन - पदमा जिस पति से के लिए तुम इतना सब कर रही हो ना जिसे तुम इतना भला आदमी समझे बैठी हो वो कोई दूध का धुला नहीं है , आज अगर मैं अपनी ही कम्पनी से निकला हुआ हूँ तो ये सब उसकी वजह से ही है ।
मैं - तो मैं क्या करूँ ? वो मेरे पति है , ऑफिस मे तुम्हारे और उनके बीच क्या होता है इससे मुझे कोई ताल्लूक नहीं । मेरे लिए तो उन्होंने सब कुछ किया है ।
नितिन - अच्छा और मैं ? मैं कुछ नहीं हूँ ! भूल गई वो सारे पल जो हमने साथ मे बिताए । भूल गई जब मैं तुम्हारे घर आया था पहली बार तुम्हें अपनी बाहों मे भरकर अपनी गोद मे उठा लिया था मैंने । जब उस दिन पार्टी मे तुमने मुझसे वादा किया था कि हम दोस्त है और फिर उससे अगले दिन जब मैं तुम्हें केक बनाना सिखाने आया था तब हम दोनों ने कितनी मस्ती की थी साथ मे । और फिर जब उस दिन मॉर्निंग वॉक पर हम दोनों ने कितने मजे कीये ,,,,,, तुम तो सब भूल गई ।
नितिन अपनी बातों से मुझे कमजोर बना रहा था , जैसे-जैसे उसने अपनी एक-एक बात दोहराई , मेरे जहन मे उसकी की हुई वो सभी हरकते एक बार फिर से चलने लगी । भले ही गुप्ता जी का लिंग चूसने के बाद मुझे अफसोस और पश्चाताप हुआ लेकिन ये भी सच है कि उनका लिंग चूसते हुए मुझमे मजे और वासना की ऐसी लहर दौड़ गई थी ,
जिसमे मैं सब कुछ भूल गई थी और अब नितिन अपनी बातों से फिर से मुझे उसी रंगीन दुनिया की ओर खिंच रहा था ।