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Misc. Erotica द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
अपडेट - 16 
 


राज चाय और पकोड़े देख कर खुश था। राज नानी को थैंक्स बोल कर चाय पकोड़े नानी के साथ बैठ कर खाने लगा। 


चाय और पकोड़े खत्म करते करते बारिश भी रुक गयी थी। नानी झूठे बर्तन बाहर ले गयी और राज अंदर अपने कमरे में जाकर सो गया।



अब आगे....



करीब पंद्रह मिनट बाद नानी ने आकर राज को देखा तो राज घोड़े बेच कर सो रहा था। नानी मुस्कुराते हुए राज के पास आई और राज के सर पर हाथ फिरा कर वह से फिर बाहर आ गयी। वैसे नानी आयी तो राज को डांटने थी लेकिन राज के भोले चेहरे को देख कर नानी का सारा गुस्सा काफ़ूर हो गया।

करीब आधे घंटे बाद राज फिर से उसी खेत में लता के साथ चुदाई करने चला गया था। लता मज़े से सिसकियाँ ले रही थी। राज अपनी आंखें बंद किये अपना लन्ड लता की चूत पर रगड़ रहा था। 




तभी लता राज के नीचे और राज लता के ऊपर आ गया। राज जल्दी से अपना लन्ड लता की चूत पर सेट करके एक धक्का मारता है। धक्का मारते ही राज के लन्ड मैं भयंकर दर्द होने लगता है और लता की चीख निकल जाती है। 





लता की चीख निकलते ही राज मुस्कुराते हुए लता की तरफ देखता है तो राज का मुह खुला का खुला रह जाता है। वो वो लता नही थी। बल्कि राज की अपनी बड़ी बहन रानी थी।




रानी जो कि राज के लन्ड के प्रहार से, दर्द से तड़प रही थी। रानी की चूत से खून निकल रहा था। राज अपने नीचे रानी को देखते ही तुरंत वहां से उठ जाता है।

राज के उठते ही राज धड़ाम से बेड से नीचे गिर जाता है। राज जोर जोर से सांसे ले रहा था। राज बुरी तरह से डरा हुआ और घबराया हुआ था। थोड़ा शांत होकर राज अपने आसपास नज़र घूमाता है तो उसे एहसास होता है वो खेत में नही बल्कि नानी के पास है। नानी के अपने घर में है। तब जा कर राज को एहसास होता है कि उसने अभी जो कुछ भी किया और देखा सब सपना था। एक डरावना सपना। जो कभी भी सच नही होना चाहिए।

______________________________
 

राज वहां से उठकर मुह धोने के लिए जाने लगता है कि राज को अपने लन्ड मैं फिर से दर्द महसूस होता है। लेकिन ये दर्द और दिनों से अलग था। 

राज धीरे धीरे चलता हुआ बाथरूम में जाता है और वहां जाकर अपना लन्ड देखता है। राज अपना लन्ड देखता है तो देखते ही रह जाता है। राज का लन्ड अभी पूरी तरह से खड़ा नही था लेकिन फिर भी उसकी लम्बाई करीब करीब साढ़े आठ इंच की थी। राज का सूपड़ा बुरी तरह से सूजा हुआ था।

खैर ऐसा तो होना ही था। आज राज की नथ उतरी थी तो दर्द तो बनता ही था। राज अपने लन्ड को पानी से धो कर फिर से आराम करने के लिए अपने कमरे में जाने लगता है। 

जब राज अपने कमरे में जाने के लियर आगे बढ़ता है तो राज को किसी लड़की की जानी पेहचानी आवाज सुनाई पड़ती है। हाँ! ये आवाज किसी और कि नहीं बल्कि कालू की बड़ी बहन लता की आवाज है। लता को आवाज सुनते ही राज तुरंत बाहर की तरफ दौड़ता है।




राज चोंक जाता है। राज तुरंत बाहर आकर देखता है तो लता राज की नानी से बात कर रही थी। लता ने जब राज को दरवाजे पर देखा तो नानी से साइड में गर्दन करके लता राज को देखते हुए नानी से पूछती है।

लता: ये कौन है काकी?

नानी: कौन ??? ओह ये... ये मेरा नाती है राज! तुम तो आज ही इसे देख रही हो! बहुत शैतान है 

लता: अच्छा! ज़रा मैं भी तो देखो इस शैतान को। मैं मिलकर आती हूँ। 

नानी: हाहाहा हाँ जाओ मिल लो।

लता नानी से इतना बोलकर राज के पास चली जाती है और नानी वापस अपना काम करने में व्यस्त हो जाती है।

लता राज के पास जाकर राज से हाथ मिलाती है। राज जैसे ही लता से हाथ मिलाता है राज को अपने हाथ में कुछ महसूस होता है।

लता: ये ले लेना रात को दर्द नही होगा.|

इतना बोलकर लता राज को आंख मारते हुए राज के पास से चली जाती है और नानी को मिलकर वापस अपने घर को निकल जाती है।

रात को राज खाना खा कर पेनकिलर कहा लेता है। और सोने की कोशिश करता है लेकिन हर बार जब भी राज सोने की कोशिश करता है उसे बार बार रानी नज़र आती है। बार रानी का चेहरा राज को परेशान करने लगता है। इसलिए पूरी रात राज बैचैन होकर गुजर देता है। 

अगली सुबह राज बहुत जल्दी तैयार हो जाता है इस वक़्त राज की नानी सो रही थी। रात के करीब 3 बज रहे थे। राज नक्शा और कंपास दोनो को अपने कपड़ों में छिपा कर तैयार हो जाता है। नक्शे और कंपास के लिए राज एक प्लास्टिक का बैग ले लेता है ताकि बारिश हो तो भीगे नही।

राज की तैयारी खत्म होते होते 4 बज जाते है। 4 बजते ही नानी की पुरानी घड़ी बहुत ही हल्की आवाज में बज पड़ती है। और बाहर मुर्गे भी बोल पड़ते है।

नानी बिस्तर से उठती है तो राज के बिस्तर पर नज़र पड़ती है। राज बिस्तर में दुबका पड़ा था। नानी राज के सर पर हाथ फिरा कर बाहर अपने काम करने लग जाती है। 

करीब पांच बजे के करीब राज बाहर आता है। राज बाहर आते ही नानी के पैर छूता है। नानी राज को एक कप चाय देती है जिसे राज बहुत जल्दी जल्दी पीने लगता है। चाय पीने के बाद राज नानी को बोलता है नानी मैं दोस्तों के पास जा रहा हूँ।

नानी राज को कुछ बोलती उस से पहले तो राज वहां से भाग निकलता है। नानी राज की जल्दबाजी देख कर मुस्कुरा पड़ती है।


नानी मन ही मन सोचती ही " इसे लगा होगा की आज मैं इसे जाने नही दूंगी इसलिए बिना सुने ही भाग गया। बहुत शैतान हो गया है ये लड़का"


नानी वापस अपने काम में लग जाती है। राज भागते हुए सीधे नदी किनारे पहुंच जाता है। राज अब नदी किनारे होते हुए थोड़ा और दूर जाता है कि उसे वहां एक चट्टान के पीछे कुछ नज़र आता है जिसे देख कर राज मुस्कुरा पड़ता है। वो कुछ और नही एक नाव थी। 


देखते ही देखते सूरज की किरणें पानी पर चमकने लगती है। जिससे सोने की तरह नदी और नाव दोनो चमक ने लगते है। जैसा कि नक्शे में था एक सोने की नाव। ये नाव वास्तव में सोने की नहीं थी बल्कि सोने की तरह चमक रही थी।




राज आसपास नज़र घुमा कर देखता है कि कोई है तो नही। जब राज पूरी तरह से सुनिश्चित कर लेता है कि उसे कोई नही देख रहा है तो राज नाव में बैठ कर नक्शे के मुताबिक चलता रहता है। 

आज से पहले राज ने कभी नाव चलाई नही थी तो जाहिर है राज को नाव चलाने और उसी के साथ नक्शे को पढ़ने में बहुत दिक्कत हो रही थी। लेकिन फिर भी राज कैसे जैसे करके नक्शे के मुताबिक आगे बढ़ता रहा।

राज आगे बढ़ते ही जा रहा था कि अचानक से राज की नाव एक भंवर में फंस जाती है। राज बहुत संभलने की कोशिश करता है लेकिन नही संभल पाता। जब राज को बचने का कोई रास्ता नज़र नही आता तो राज जोर जोर से मदद के लिए चिल्लाता है

लेकिन इस वक़्त राज जहां पर था वहाँ से कोई भी राज की चीख पुकार नहीं सुन सकता था। कुछ ही वक़्त मैं राज और राज की नाव पानी में डूब जाती है। देखते ही देखते वो भंवर राज और उसकी नाव दोनो को नदी के बिल्कुल नीचे गर्भ स्थान पर ले जा कर डूबा देता है।

राज पानी में तैरना जानता था लेकिन तेज भंवर में फंसने के कारण और राज की घबराहट के कारण राज की सांस फूलने लगती है और देखते ही देखते राज पानी में डूब गया।

राज की सांसें फूलने लगी। धीरे-धीरे नदी का पानी राज के पेट में भरने लगा। राज की आंखें आहिस्ता- आहिस्ता बन्द होने लगी। और राज का शरीर नदी के नीचे की और तलहट मैं दूर गहरे अंधेरों की और बढ़ने लगा। राज अपने दिल की धड़कन धकssss धकssss धकssss धकssss बिल्कुल आहिस्ता से धीमी होते महसूस कर पा रहा था। 


राज को अब तक ये एहसास हो चला था कि राज अब मारने वाला है। राज अपनी हल्की खुली आँखों से नदी के ऊपरी हिस्से के पानी से होकर आ रही सूर्या की गिनी चुनी किरणों को, उनकी चमक को देख सकता था। 





राज पूरी तरह नाउम्मीद होकर अपनी मृत्यु को स्वीकार कर लिया। जहां राज एक पल को स्लो मोशन सा नीचे डूबता जा रहा था वही पानी में एक अजीब सी हलचल हो रही थी। जो भंवर बना था वो पानी के नीचे था। भंवर जैसा इस वक़्त नदी के ऊपर कुछ भी नहीं था। यहां तक कि राज की नाव भी नदी के उस स्थान पर जाकर रुक गयी थी जहां से राज और नाव दोनो भंवर में फंस कर डूबे थे।



धीरे-धीरे राज की आंखें बंद हो गयी। राज के मुह से बुल बुले निकलना भी बंद हो चुके थे जो कि अक्सर डूबते वक़्त फेंफड़ों से निकलती हवा के कारण बनते है। राज अब नदी के नीचे तलहट की और डूबता जा रहा था कि अचानक से भंवर उल्टा घूमने लगा और देखते ही देखते गायब हो गया। राज तेजी से नदी के तलहट की और डूब रहा था। लेकिन राज पानी में नदी के तल की तरफ ऐसे गिर रहा था जैसे कोई उल्कापात आसमान से ज़मीन की और गिर रहा हो। अचानक से राज एक सुखी ज़मीन पर आ गिरता है।






करीब 45 मिनट तक बेहोशी के बाद राज की आंख खुलती है। राज खांसता हुआ उठ खड़ा होता है। राज जब खांसता है तो काफी सारा पानी उसके मुंह से निकल कर गिरता है। राज जोर जोर से सांस लेता है। 


राज को लगता है ये सब एक सपना था। लेकिन राज जब अपने आस पास का माहौल देखता है तो राज को एहसास होता है की ये कोई सपना नहीं बल्कि हक़ीक़त है। राज के सामने एक खँडहर सा था। जिसपर कुछ सीढ़ियां बनी हुई थी जो कुछ दूरी पर जाकर खत्म हो जाती है। 


राज ऊपर आसमान में गर्दन करके देखता है तो राज का सर चकरा जाता है। नदी का सारा पानी ऊपर था। राज नदी के पानी से होकर नीचे आया था। ऐसा लग रहा था जैसे ग्रेविटी से नदी का सारा पानी ऊपर की और उड़ रहा हो। लेकिन उस पानी के स्थायी होने से इसे ग्रेविटी का नही बल्कि किसी चमत्कार या जादू का नाम दिया जाना उचित है। 





राज तुरंत अपनी कमर पर बंधे नक्शे को निकलता है और कंपास की और नज़र करता है तो कंपास उसे उसी खँडहर की और जाने का इशारा करता है जिस पर सीढ़ियां कुछ ही दूरी पर खत्म हो जाती है। राज उन सीढ़ियों पर चढ़ते हुए ऊपर तक जाता है।लेकिन आगे रास्ता नही था। राज परेशान होकर सोचने लगता है कि आखिर ये जगह है क्या?


तभी राज उस खँडहर की आखिरी सीडी पर पैर रखता है कि सीढ़ियां टूटने लगती है। राज एक बार तो सोचता है कि नीचे कूद जाऊं लेकिन जहां सीढ़ियां खत्म हो रही थी उसके ठीक नीचे एक बहुत गहरी खाई थी।




बेशक राज वापस नीचे उतरने की सोच सकता था। लेकिन उसे इतना टाइम नही मिला क्योंकि सिड्यां तेजी से टूटती हुई नीचे गिर रही थी। ऐसे में राज उस खाई में कूद जाता है सीढ़ियों के नीचे भी मरता और खाई में भी फिर भी राज ने खाई का रास्ता चुना।


सभी सीढ़ियां टूट कर नीचे ज़मीन में समा जाती है और राज वही हवा में अटक जाता है। ना नीचे गिरता है और ना ही ऊपर जाता है। ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ हवा में कोई अद्रश्य सीडिया बनी हों। अचानक से राज के सामने ऊपर नदी से तैरते हुए एक लड़की आती है।





राज ऊपर की और देखता है लेकिन वो लड़की गायब हो जाती है राज को उसकी बस एक झलक मिलती है । लेकिन तभी अचानक से राज को एक हाथ अपने कंधे पर महसूस होता है। 


राज डर जाता है। ये वही लड़की थी जो राज को तैरते हुए दिखी थी। वो लड़की अपने हाथ में एक कटोरा लेकर आती है। और उसे अपने दोनों हाथों से राज की और बढ़ा देती है। राज वो कटोरा लेकर उस लड़की से पूछता है इसका क्या करूँ ?


लड़की: "इसमे उस चीज का दान दो जिस से तुम्हे आगे का रास्ता नज़र आ सके।" 


राज ने अपने ऊपर के कपड़े खोल कर उस कटोरे में डाले। राज के कपड़े कटोरे में डालते ही जल कर नष्ट हो गए। राज को अब एहसास हो गया था कि ये चीज ये कटोरा स्वीकार नहीं करेगा। राज कुछ सोच ही रह था कि राज की कमर पर बंधा कंपास उस कटोरे के किनारों से छू जाता है और कटोरा देखते ही देखते उसे निगल जाता है।


राज ये देख कर हैरान हो जाता है और फिर तुरंत उस नक्शे को याद करके उसे भी उस कटोरे में डाल देता है वो नक्शा भी कटोरा निगल जाता है। 


तब लड़की बोलती है "ये तो बहुत छोटा सा दान है। कुछ और है जो दे सकते हो। यदि नहीं है तो लौट जाओ"।


तब राज काफी सोच कर अपने बाएं हाथ की एक उँगली को अपने दांतों के बीच दबा कर काटता है और जो खून निकलता है उसे उस कटोरे में डाल देता है। देखते ही देखते कटोरा सारा खून पी जाता है।


तभी अचानक से अचानक से वो कटोरा चमकने लगता है। कटोरे की चमक से हो रहे प्रकाश में वहां सब कुछ गायब हो जाता है। वहां कुछ भी नहीं था सिवा उस सफेद रोशनी के और राज भी उस कटोरे में समा जाता है।


थोड़ी देर बाद जब राज को थोड़ा होश आता है तो राज एक अजीब से महल में खड़ा था....









जिसके सामने कोई रानी हो एसी एक औरत बैठी थी। 




उस औरत के रानी होने का अंदाज़ा राज को इस बात से लगा कि वो औरत एक तो सिंघासन पर बैठे हुए थी। दूसरी बात बात ये भी थी कि उस औरत के चेहरे पर बहुत तेज था और उसके कपड़े गहने और उसका चेहरा सब रोशनी की तरह चमक रहे थे।


वो औरत राज को हुकु सुनाने वाली आवाज में बोलती है। "तुम्हारा स्वागत है इस आईने की दुनिया में। या फिर तुम्हारी भाषा में कहूँ तो यु आर मोस्ट वेलकम इन दिस मिरर वर्ल्ड।"


राज झुक कर उस औरत का सम्मान करता है। राज समझ नही पा रहा था कि ये औरत उनकी भाषा कैसे जान सकती है।


औरत: यहां आने का क्या कारण है?


राज: जी मुझे मेरे नाना जी के कमरे में एक नक्शा और कंपास मिला था। मैं उसे फॉलो करते हुए यहां आ गया।


औरत: तुम्हारे खून में जो नीलांकर है, ये कैसे आया?






राज:????? जी? मैं कुछ समझा नहीं?



औरत: तुम्हारे खून मैं सदियों पुराने चंद्रमा, नील गगन और काल की छाया से बने नील पानी का समावेश है। 




जिस कारण से तुम्हे बिना किसी परेशानी के इस नदी के रक्षक ने आईने की दुनियां में पहुंचा दिया।


राज: जी मुझे नहीं पता ये कैसे?


औरत कोई बात नही मैं देख लेती हूं। वो औरत ने अपने सिंगासन मैं जड़े पत्थर में कुछ डाला जो बड़ा ही अजीब था। उस पत्थर ने उसे निगल लिया। थोड़ी देर बाद उस औरत ने कहा " तुमने नील पानी पिया है? लेकिन ये तुम्हारे पास कैसे आया वो औरत उसे उस पत्थर मैं दिखाती है।


राज: "ये तो वो पानी है जो नानाजी के झोपड़े में था। नीले रंग का पानी जिस पर लिखा था ड्रिंक मी" जी उस वक़्त मुझे पानी की सख्त जरूरत थी और आसपास सिर्फ यही था तो पी लिया।


औरत उस सिंघासन से खड़ी हो कर राज से बोलती है " इस पानी का सेवन तुम्हे काले आईने का उत्तराधिकारी बनाता है। ऐसा बोलकर वो औरत उसे अपने सिंघासन से पत्थर निकाल कर राज को दे देती है और राज के सर पर हाथ रखती है।


उस औरत के ऐसा करते ही ऊपर ठहरा हुआ पानी नीचे भी भरने लगता है। राज का ध्यान पानी के बढ़ने पर था कि वो औरत वहां से गायब हो गयी। गायब होने से पहले वो औरत राज से बोलती है कि तुम अपने अंगूठे के निशान इस सिंघासन को दो।


(थोड़ी रुक कर)


अपने खून से.....


राज बिना कुछ सोचे समझे उस सिंघासन पर अपना अंगूठे का निशान लगता है कि पूरी मिरर वर्ल्ड उस पत्थर मैं समा जाती है जो उस औरत ने सिंघासन से निकाल कर राज को दिया था। और राज फिर से एक भंवर में फंस कर नदी के ऊपर आ जाता है।


राज जैसे ही ऊपर आता है वो बिल्कुल अपनी नाव के पास होता है। राज तुरंत अपनी नाव में बैठ जाता है लेकिन राज धीरे धीरे चक्कर खा कर वही बेहोश हो जाता है। 


जब राज को होश आता है तो राज के सामने एक लड़की थी जो कि गर्दन के निचले हिस्से तक पानी में थी। वो लड़की राज की नाव को पकड़ कर राज से बोलती है। 





तुम्हारे नाना की किताब पढ़ना। उसमे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। और इतना बोलकर अपने गले में लटक रहे एक पत्थर को तोड़ कर राज के हाथ में दे देती है। राज उस पत्थर को और जो नदी के तलहट से पत्थर निकला था इसे लेकर वापस नदी किनारे आता है। जैसे ही राज नाव से उतरता है। वो नाव तुरंत पानी की तरह पिघल कर नदी के पानी में लुप्त हो जाती है। तभी एक बार फिर से वो औरत पानी से बाहर निकल कर आती है और राज की तरफ देख कर राज से बोलती है " वो एक लंबे समय से तुम्हारा इंतजार कर रहे है" इतना बोलकर वो लड़की वापस लौट जाती है।


राज को अभी तक यकीन नही हो रहा था कि इतनी मेहनत की वो सब इस पत्थर के लिए। और वो महारानी आखिर ये सब था क्या? तभी राज वहां से निकल कर जैसे ही अपने नाना की झोपड़ी की तरफ बढ़ता है सूरज की रोशनी उस पत्थर पर पड़ती है। जो अचानक से चमकने लगता है और चमकते हुए वो लड़की का दिया पत्थर उस दूसरे पत्थर से जुड़ जाता है। और उस पत्थर के जुड़ते ही वो पत्थर एक आईने में बदल जाता है।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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RE: द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism} - by Rocksanna999 - 01-06-2019, 08:43 AM



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