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Adultery ससुर बहू की चुदाई
#4
और ससुर जी एक बार चुदाई करने के बाद बिस्तर पर लेटे हुए थे.
मैंने तो चादर ओढ़ रखी थी लेकिन ससुर जी ऐसे ही खुले में नंगे लेटे हुए थे.

जल्द ही उनका बड़ा सा लंड सिकुड़ कर बैठ गया.
ससुर जी का बदन पसीने से भीग चुका था और वो आंख बंद किए लेटे हुए थे.

मैं भी लेटी हुई पहली चुदाई के बारे में सोच रही थी.
हम दोनों के बीच आज से एक नए रिश्ते की शुरूआत हो गई थी लेकिन इस रिश्ते को हम दोनों ही किसी के सामने नहीं ला सकते थे.

मुझे खुशी इस बात की थी कि अब मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए घर पर ही एक लंड का सहारा मिल गया था.
भले ही वो मेरे ससुर हैं और मेरे बाप की उम्र के थे लेकिन हम दोनों ही एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए यह सब कर रहे थे.

मुझे इस बात का बिल्कुल भी पछतावा नहीं था क्योंकि अगर मैं बाहर किसी से चुदाई करवाती तो भी बदनामी होनी ही थी. इससे अच्छा है कि घर में ही मुझे अब सब कुछ मिल जाएगा.
यही सब सोचते हुए मैं ससुर जी के लंड की तरफ देख रही थी जो कि सिकुड़ गया था और उसका सुपारा बाहर निकला हुआ मेरी तरफ ही था.

इतने बड़े सुपारे को मैं पहली बार ही देख रही थी क्योंकि इतना बड़ा लंड और सुपारा न तो मेरे बॉयफ्रेंड का था और न ही मेरे पति का.

कुछ देर बाद मेरे ससुर जी ने अपनी आंख खोली और मेरी तरफ देखा.
मैंने शर्म से अपनी आंखें बंद कर लीं.

उन्होंने मुझसे कहा- नैना, तुम चिंता न करो, ये सब बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी हम दोनों ही इस बात को गुप्त रखेंगे.
मैंने भी अपना सर हिलाकर सहमति जताई.

इसके बाद ससुर जी ने मेरे चादर को एक झटके में हटा दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
इसके बाद तो हम दोनों फिर से गुत्थमगुत्था होने लगे.

कभी मैं ससुर जी के ऊपर आती, कभी वो मेरे ऊपर आते.
इस तरह हम दोनों ही बिस्तर पर पलटते रहे.

कुछ देर बाद हम दोनों रुके और मैं ससुर जी के ऊपर थी. मेरे बड़े बड़े दूध उनके सीने पर दबे हुए थे.

उन्होंने मेरे सर को नीचे किया और मेरे होंठों को चूमने लगे.
मैं भी उनका साथ देने लगी.

ससुर जी अपने दोनों हाथों से मेरे उभरे हुए चूतड़ों को सहलाते हुए दबा रहे थे.
फिर मेरे चूतड़ को फैलाकर अपनी एक उंगली को गांड के छेद पर रगड़ते हुए नीचे चूत तक ले जाते और उंगली को चूत में डाल देते.

उनके बार बार ऐसा करने से मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और मैं अपनी जीभ ससुर जी के मुँह के अन्दर डालने लगी, जिसे वो बड़े प्यार से चूस लेते.

मेरे पेट में उनका गर्म गर्म लंड महसूस हो रहा था जो कि अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और उनका सुपारा मेरी नाभि में घुस रहा था.
उनके लंड से निकल रहा चिपचिपा पानी मेरी नाभि को गीला कर चुका था.

फिर कुछ देर बाद ससुर जी ने मेरे दोनों निप्पलों को अपने सीने के बगल से बाहर निकाला क्योंकि मेरे दूध उनके सीने में दबे हुए थे.
वो मेरे दोनों निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगे.

ऐसा करने से मेरे बदन के अन्दर करंट सा दौड़ने लगा और मैं अपने दूध को उनके सीने पर रगड़ने लगी.
उनके सीने पर बहुत बाल थे जिसके कारण जल्द ही मेरे दूध पर कई जगह जलन होने लगी.

फिर ससुर जी ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद घुटनों पर बैठ गए. उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.
मैंने भी अपनी दोनों टांगें फैलाईं और उनकी कमर में टांग डालकर उनके गले में अपनी बांहें डाल दीं.

ससुर जी ने नीचे से मेरे चूतड़ को एक हाथ से थामते हुए मुझे सहारा दिया और मुझे चूमने लगे.
कभी गाल पर कभी गले पर, कभी होंठ पर कभी सीने पर.

वो एक हाथ से मेरी गदराई हुई पीठ को सहलाते जा रहे थे.
मैं भी आंख बंद किये उस हसीन पल का मजा ले रही थी.

कुछ देर में ही मेरी चूत पानी से भर गई और टप टप करते हुए पानी ससुर जी के हाथ में गिरने लगा.
ससुर जी ने उस पानी को मेरी गांड पर लगाने लगे.

जल्द ही मेरी गांड पूरी तरह से चिपचिपा गई.
अब ससुर जी ने अपने नीचे लगाए हुए हाथ की एक उंगली मेरी चूत में डाल दिया.

‘ऊईईई अम्मा … हाय आह.’

ससुर जी उंगली को अन्दर बाहर करने लगे जिससे कि पोच्च पोच्च की आवाज निकल रही थी.

मैंने कहा- ये क्या कर रहे हैं आहह!
ससुर जी- यही सब में तो मजा आता है, तू बस मजा लेती रह!

कुछ देर तक ऐसे ही मैं उनसे लिपटी रही.
फिर उन्होंने अपने लंड को चूत में रगड़ना शुरू कर दिया.
वो बोले- ऐसे ही डाल रहा हूँ मजा आएगा.
ऐसा बोलते ही उन्होंने लंड अन्दर डाल दिया और मेरी गांड को जोर से अपनी तरफ दबा लिया जिससे उनका पूरा लंड एक बार में ही अन्दर तक समा गया.

ससुर जी ने मेरी कमर को थामा और मुझे ऊपर नीचे करने का इशारा किया.

मैं अपनी कमर को नागिन की तरह लहराने लगी जिससे लंड अन्दर बाहर होने लगा.
ऐसा मैंने कभी नहीं किया था और मुझे इस पोजीशन में काफी मजा आ रहा था.

ससुर जी भी दोनों हाथों से मेरी गांड को थामे हुए गांड को आगे पीछे कर रहे थे और उनका लंड मेरी चूत में बिल्कुल अन्दर तक जा रहा था.

इसके बाद ससुर जी ने मुझसे कहा- तुम घुटनों पर होकर बैठ जाओ.
और मैं वैसे ही हो गई.

वो मेरे पीछे आए और मेरी गांड की तरफ से मुझे जकड़ लिया.
अब वो लंड चूत में डाल कर हल्के हल्के से मुझे चोदने लगे.

इस पोजीशन में भी मुझे काफी मजा मिल रहा था लेकिन मैं चाह रही थी कि ससुर जी मुझे जोर जोर से चोदें जिससे मेरा पानी निकल जाए.

कुछ देर ऐसे चोदने के बाद ससुर जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे दोनों पैरों को फैला दिया.
एक बार फिर से वो मेरी चूत को चाटने लगे.

उन्होंने मेरी चूत को हाथ से फैलाया और मेरे चूत के दाने, जिसे कुछ लोग लहसुन भी कहते हैं, उसे अपने मुँह में भरकर चूसने लगे.

मुझे उस वक्त फुल सेक्स का असीम आनन्द मिल रहा था.
‘सीईईई ईई ऊईईई आह आह.’ की आवाज के साथ मैं उस मजे को ले रही थी.

कुछ देर बाद ससुर जी मेरे ऊपर आ गए और उन्होंने एक झटके में अपना लंड चूत में पेल दिया.

इस बार उनकी रफ्तार शुरू से ही काफी तेज थी और वो दनादन मेरी चुदाई शुरू करने लगे थे.

मैंने बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ लिया और आंख बंद किए हुई लंड का मजा लेती रही.

सारा कमरा मेरी आवाजों से गूंज रहा था.

ससुर जी ने मेरे एक हाथ को ऊपर की तरफ उठा लिया और मेरे अंडरआर्म को चाटने लगे.
पूरा पलंग उनकी चुदाई से बुरी तरह से हिल रहा था.

मेरी चूत पानी से भर गई थी और फच फच की आवाज निकल रही थी.
इस पोजीशन में उन्होंने मुझे करीब 10 मिनट तक बुरी तरह से चोदा, जिससे मैं झड़ गई और उनसे लिपट गई.

अभी भी ससुर जी मुझे चोदे जा रहे थे और उनका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था.

कुछ देर बाद ससुर जी ने मुझे बिस्तर से बाहर उतार कर मुझे खड़ी कर दिया और मेरे पीछे आ गए.
मेरी कमर को दोनों हाथ से थाम लिया और लंड मेरी गांड की तरफ से चूत में डाल कर जोर जोर से चोदने लगे.

मुझे खड़े होते नहीं बन रहा था क्योंकि उनके हर धक्के से मैं आगे की ओर चली जाती थी.
उन्होंने मुझे बुरी तरह से जकड़ लिया और अपनी पूरी ताकत से मुझे चोदने में लगे थे.

इस बीच मैं दूसरी बार भी झड़ गई और मेरी चूत का पानी फर्श पर गिरने लगा.

ससुर जी ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरा एक पैर उठाकर पलंग पर रख दिया और अब सामने से चूत में लंड डाल दिया.
मैं उनके गले में बांहें डालकर एक पैर पर खड़ी थी और वो मेरी गांड को थामे हुए जोर जोर से चोदने लगे.

बीच बीच में वो मेरी जांघ को सहला रहे थे और अपने सीने से मेरे दूध को दबाये जा रहे थे.
ससुर जी को मुझे चोदते हुए अभी तक आधा घंटा हो गया था और मैं दो बार झड़ गई थी लेकिन उनका पानी नहीं निकल रहा था.
मैं जानती थी कि ये लंबी रेस के घोड़े हैं और अब वो वैसा ही कर भी रहे थे.

उन्होंने इस पोजीशन में चोदते हुए मेरे गदराए जिस्म को निचोड़ लिया था. सारा बदन पसीने से भीग चुका था और मेरी हालत खराब हो गई थी.

फिर एकाएक ससुर जी ने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी और मेरे अन्दर ही झड़ गए.
उनके गर्म गर्म पानी के कारण मैं भी उसी समय झड़ गई.
ये मेरा झड़ने का तीसरा अवसर था.

इस धुंआधार चुदाई से हम दोनों ही बेहद बुरी तरह से थक गए थे और जल्द ही दोनों लोग नंगे बदन ही सो गए.

सुबह 8 बजे मेरी नींद खुली. उस वक्त भी हम दोनों नंगे एक दूसरे से लपटे हुए सो रहे थे.
मैं ससुर जी से अलग हुई और अपने कपड़े लेकर बाथरूम चली गई.

नहा धोकर हम दोनों ने चाय नाश्ता किया.

जब मैं रसोई में दोपहर का खाना बना रही थी, उस वक्त ससुर जी बाहर कमरे में बैठे हुए मुझे देख रहे थे.
मैं उस वक्त केवल गाउन पहने हुई थी.

अचानक से ससुर जी रसोई में आए और पीछे से मुझे जकड़ लिया और मेरे गाउन को कमर तक उठा लिया.

मैं दोनों हाथ से आटा गूंथ रही थी.
मैंने उनसे कहा- अभी नहीं, अभी ऐसा कुछ न कीजिए, पहले मुझे खाना बना लेने दीजिए.

बड़ी मिन्नतों के बाद उन्होंने मुझे छोड़ा, नहीं तो वो वहीं मुझे चोद देते.

खाना बनाने के बाद जब मैं रसोई से बाहर निकली, ससुर जी सोफे पर बैठे हुए लुंगी के ऊपर से ही अपना लंड सहला रहे थे.

उन्होंने मुझे देखा और इशारे से अपने पास बुलाया.
मैं समझ गई कि इनका फिर से मुझे चोदने का मन है.

मैंने अपने गाउन को पूरी तरह से उतारा और पूरी तरह से नंगी हो गई.

ससुर जी ने भी अपनी लुंगी निकाल दी और पूरी तरह से नंगे होकर सोफे पर बैठ गए.

मैं उनके पास गई और अपनी दोनों टांगें फैलाकर उनके लंड को चूत पर लगा कर उस पर बैठ गई.
फचफचाता हुआ पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.

मैं उनके गले में अपनी बांहें डालीं और लंड पर कूदने लगी.
ससुर जी मेरे एक दूध को मुँह में भर कर चूसने लगे.

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आकर मेरी धुंआधार चुदाई करने लगे.
जल्द ही मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मुझे घोड़ी बनाये चोदे जा रहे थे.

फिर उन्होंने लंड बाहर निकाला और मेरी गांड के छेद में लंड डालने लगे लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
मैंने कहा- नहीं नहीं पापा जी, वहां मत डालो, वहां नहीं जाएगा.

‘जाएगा क्यों नहीं … जब छेद है तो पक्का जाएगा, तू बस देखती जा.’
‘अरे यार अभी नहीं, वहां से बाद में कर लेना न.’

‘क्यों पीछे से चालू नहीं है क्या?’
मैंने कहा- हां, मगर उधर से ज्यादा नहीं किया है.

मैं मना करती रही, पर ससुर जी नहीं माने और अपना थूक छेद में लगाकर लंड डालने लगे.

जैसे ही उनका सुपारा अन्दर गया उन्होंने एक बार में ही पूरा लंड अन्दर पेल दिया.

मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुआ और मेरी चीख़ निकल गई.
उन्होंने मुझे जकड़ लिया और सोफे पर लेटा दिया.

कुछ देर में ही उन्होंने मेरी गांड की ज़ोर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी.
जल्द ही मुझे भी मजा आने लगा और उन्होंने मुझे फिर से घोड़ी बना दिया.

मेरे ससुर ने मेरी गांड की बहुत बुरी तरह से चुदाई की.

मैं चुत से फिर से झड़ गई और उन्हें रोकती रही लेकिन वो तब तक नहीं माने जब तक कि अपना पानी मेरी गांड में नहीं डाल दिया.
इस बार भी उन्होंने लगभग आधे घंटे तक मुझे चोदा था.

उसके बाद तो लगातार चार दिन तक हम दोनों के ऊपर बस चुदाई का भूत सवार था.
बिस्तर पर, बाथरूम में, रसोई में, सोफ़े पर. जहां जहां हमारा मन करता, हम लोग चुदाई करते रहे.

हम लोग दिन और रात मिलाकर 7 से 8 बार तक चुदाई करने लगे.

चार दिन के बाद ये सिलसिला थोड़ा कम हुआ और फिर केवल 2 या 3 बार ही चुदाई होती थी.

तीन महीने लॉक डाउन में हम दोनों अकेले रहे और दोनों ने ही फुल सेक्स, चुदाई का भरपूर मजा लिया.
उसके बाद मेरे पति और देवर आ गए और वो एक महीने तक साथ रहे.

उसके बाद मैं और ससुर जी फिर से अकेले हो गए और अब मैं रात में उनके साथ ही सोती हूँ.

लगभग दो सालों में ससुर जी ने मुझे इतना चोदा है कि जितना मेरे पति ने भी नहीं चोदा है.
एक बार मैं उनसे प्रग्नेंट भी हो गई थी, तब ससुर जी ने मुझे टेबलेट लाकर दी, जिससे सब ठीक हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: ससुर बहू की चुदाई - by neerathemall - 02-02-2023, 04:20 PM



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