02-02-2023, 03:37 PM
(This post was last modified: 02-02-2023, 04:08 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
कहानी में पढ़ते हैं कि क्या नैना और उसके ससुर के बीच कुछ हो पाया था या.........
अभी तक मैंने और आपने भी बहू और ससुर के बीच चुदाई की बहुत सी कहानियां पढ़ी होंगी.
आज तक मैं इस प्रकार की कहानियों पर ज्यादा यकीन नहीं करती थी क्योंकि ज्यादातर कहानियां मुझे बनावटी ही लगती थीं.
अपने जान पहचान में भी मैंने कभी ऐसी घटना के बारे में नहीं सुना था, जिसमें ससुर और बहू के बीच में शारिरिक सम्बन्ध हुए हों.
मेरी नजर में ये ऐसा रिश्ता है, जिसमें सेक्स होना बेहद मुश्किल है.
लेकिन दोस्तो, मेरा ये नजरिया गलत निकला और अब मैं ये पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि हॉट लड़की की वासना, जिस्म की प्यास एक ऐसी प्यास है, जिसे बुझाने के लिए इंसान किसी भी हद तक जा सकता है और वो सारे रिश्ते नाते भूल सकता है.
इस घटना ने मुझे पूरी तरह से चौंका दिया था.
आज जो कहानी मैं आप लोगों के साथ साझा करने जा रही हूं, यह पूरी तरह से सत्य घटना है और अभी 2020 की ही है.
मेरी एक बहुत खास सहेली है, जिसका नाम नैना है.
हम दोनों ने 12 वीं तक एक साथ पढ़ाई की थी और उसके बाद दोनों का साथ छूट गया था.
हालांकि हम दोनों हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहे, मैं उसकी शादी में भी गई थी.
उसके ससुराल चले जाने के बाद से अभी कुछ दिन पहले ही मेरी और उसकी मुलाकात हुई क्योंकि देश में लॉकडाउन के कारण 2 साल वो अपने मायके नहीं आई थी.
हम लोग अपनी अपनी जिंदगी के बारे में बातें कर रहे थे और साथ ही अपनी सेक्स लाइफ के बारे में भी बात कर रहे थे.
शादी के पहले भी नैना ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स के काफी मजे लिए थे.
हम दोनों पक्की सहेलियां थीं इसलिए एक दूसरे से हर चीज खुलकर बता देती थीं.
मैंने भी अपने बारे में हर बात उसे बताई और उसने भी शादी के बाद कि सभी बातें मुझे बताईं.
जब मैंने उसकी बातें सुनी तो मैं चौंक गई.
पहले तो मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ लेकिन उसने मुझे पूरे सबूत के साथ अपनी सच्चाई बताई और अपनी सच्चाई को साबित करने के लिए उसने मेरे सामने ही अपने ससुर से फोन पर बात भी की जिसमें उसने खुलकर अपने ससुर से चूत और लंड की बात की.
इसके अलावा भी उसने मुझे कुछ प्राइवेट फ़ोटो भी दिखाए जिसमें नैना और उसके ससुर पूरी तरह से नंगे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे.
दोस्तो, वो एक बेहद ही गर्म प्रवृत्ति की लड़की है और चुदाई को इतना ज्यादा पसंद करती है कि चुदाई के बिना रह पाना उसके लिए मुश्किल है.
जब मुझे यकीन हो गया कि वो जो भी बता रही है, वो सच है … तो मैंने सोचा क्यों न इसकी ये कहानी मैं अन्तर्वासना पर भेज दूँ.
इसलिए मैंने उसे सब कुछ बताया कि मैं कहानियां लिखती हूँ और तेरी कहानी को भी मैं वहां भेजना चाहती हूं.
इस पर उसने भी अपनी सहमति देते हुए मुझे हर एक बात बताई.
छोटी से छोटी जानकारी भी उसने मुझे दी, जिसके आधार पर मैंने आप लोगो के लिए ये कहानी लिखी है.
मुझे पूरा विश्वास है कि आपको ये कहानी जरूर पसंद आएगी.
मैंने इस कहानी को लिखने में बहुत समय लिया है क्योंकि बीच बीच में मैं नैना से फोन पर जानकारियां हासिल करती रही और उसे कहानी में जोड़ती रही.
नैना ने भी कहानी लिखने में मेरी काफी मदद की और मुझे हर वो छोटी से छोटी बात बताई, जिससे कहानी को और ज्यादा कामुक बनाया जा सकता था.
अभी मेरी कलम और नैना की जुबान से आपके सामने सेक्स कहानी पेश है.
मेरा नाम नैना है और मेरी उम्र 24 साल की है.
मेरी शादी को हुए 3 साल हो चुके हैं लेकिन अभी मुझे और मेरे पति को बच्चा नहीं चाहिए … इसलिए हम लोग फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं.
मैं आपको अपने जिस्म के बारे में बता दूँ.
मैं एक खूबसूरत लड़की हूं, बदन भरा हुआ है. मेरा रंग गोरा और फिगर 36-30-38 का है.
मेरे जिस्म का मुख्य आकर्षण अंग मेरे बड़े बड़े दूध और बड़ी सी गांड है जिस पर किसी भी मर्द की निगाहें अटक जाना स्वाभाविक है.
मेरे ससुराल में मैं, मेरे पति, एक देवर और मेरे ससुर जी ही हैं.
मेरी सास का देहांत हुए 12 साल हो चुके हैं और परिवार में हम चार लोग ही रहते हैं.
शादी के समय मेरे पति अपना खुद का एक बिजनेस चलाते थे लेकिन उसमें लगातार नुकसान होने के कारण उन्होंने उसे बंद कर दिया और शादी के 9 महीनों बाद ही वो सूरत में जाकर नौकरी करने लगे.
वो वहां अकेले रहते हैं और घर पर हम तीन लोग ही रह गए.
दोस्तो, जब से मैंने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तब से ही सेक्स मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया था.
कॉलेज टाइम से ही मेरा एक बॉयफ्रेंड बन गया था, जिसके साथ मैंने चुदाई की शुरूआत कर दी थी.
उसके बाद मेरे ही मोहल्ले में एक लड़के के साथ मेरा सम्बन्ध बना, जिसके साथ भी मेरा काफी समय तक जिस्मानी सम्बन्ध रहा.
शादी के पहले ही मैं चुदाई करवाने की आदी हो चुकी थी.
उसके बाद मेरी शादी हो गई और मैं अपनी ससुराल आ गई.
इसके बाद मेरे पति के अलावा मेरा किसी के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था.
मेरे पति मुझे हर तरह से संतुष्ट कर देते थे, जिससे मुझे कभी किसी और मर्द की जरूरत नहीं पड़ी.
शुरू के 9 महीने तक तो वो साथ में रहे लेकिन उसके बाद वो सूरत चले गए और मैं अपने देवर और ससुर जी के साथ घर पर अकेली रहने लगी.
वो छह महीने में एक बार ही आते थे और मुश्किल से एक हफ्ते रुकने के बाद चले जाते थे.
मेरी आदत ऐसी थी कि मुझे तो रोज ही चुदाई का सुख चाहिए था लेकिन अब वो मुझे नहीं मिल रहा था.
मैं रात में अपने कमरे में अकेली बिस्तर पर लेटी हुई करवट बदलती रहती थी और जब कभी मुझसे सहन नहीं होता था तो अपनी उंगलियों से ही अपने आप को शांत करने की कोशिश करती.
लेकिन उससे भी मेरी प्यास नहीं बुझती थी.
धीरे धीरे समय आगे बढ़ रहा था और मेरे बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी.
कई बार मेरे दिमाग में आया कि किसी मर्द को अपना दोस्त बनाया जाए, जिससे मेरी प्यास वैसे ही बुझती रहे जैसे कि शादी से पहले बुझती थी.
लेकिन यह बहुत मुश्किल काम था क्योंकि मेरे घर ऐसा कोई आता जाता भी नहीं था और मैं अकेली कहीं भी बाहर जाती नहीं थी जिससे मेरी किसी मर्द के साथ दोस्ती हो सके.
दोस्तो, दुनिया में इंसान हर चीज को कंट्रोल कर सकता है लेकिन चुदाई की भूख ऐसी चीज है कि उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता.
और ऐसी स्थिति में ही लोग सारे रिश्ते नाते भूल जाते हैं.
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ और मेरी गंदी निगाह मेरे देवर की तरफ जाने लगी.
मेरा देवर जो कि मुझसे काफी छोटा है और उसकी उम्र 19 साल की है.
वो दिखने में भी पतला दुबला है लेकिन हॉट लड़की की भूख ये सब भूल चुकी थी.
मुझे बस वो एक मर्द नजर आ रहा था जिसके पास एक लंड था, जिसकी मुझे जरूरत थी.
धीरे धीरे मैं वासना की मारी उसके ऊपर डोरे डालने लगी.
देवर भाभी का रिश्ता भी मजाक का होता है जिससे किसी को शक भी नहीं होता था.
घर पर मैं गाउन ही पहनती थी और उसे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अन्दर ब्रा और चड्डी नहीं पहनती थी ताकि मेरा गाउन मेरे जिस्म पर चिपका रहे और मेरे अन्दर के अंग उसके सामने झलकते रहे.
मैं जानबूझकर उसके सामने झुककर काम किया करती ताकि मेरे दूध उसे दिखे और उसके बदन में भी गर्मी आ जाए.
उसके सामने जब मैं बिस्तर पर या सोफे पर लेटती तो अपने गाउन को घुटनों के ऊपर तक उठा लेती ताकि मेरी गोरी जांघ पर उसकी नजर पड़े.
जब कभी भी मैं उसके साथ बाइक पर कहीं जाती तो उससे चिपक कर बैठती और अपने सीने को उसकी पीठ पर दबाती ताकि मेरे दूध का स्पर्श उसे मिले.
अब ये मेरा रोज का काम हो गया था.
जब भी ससुर जी घर पर नहीं होते तो मैं उसके सामने बार बार जाती और किसी न किसी बहाने से अपना अंग प्रदर्शन करती.
लेकिन मेरे ऐसा करने का उस पर किसी भी प्रकार से कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था.
वो एक पढ़ाकू किस्म का लड़का है और अपनी पढ़ाई में ही खोया रहता था.
मेरे अंग प्रदर्शन करने से उसके अन्दर कुछ होता ही नहीं था.
अब मैं सीधा उसका लंड तो पकड़ नहीं सकती थी.
बस मुझे उसके द्वारा एक इशारे का इंतजार था लेकिन वो मुझे बिल्कुल भी भाव नहीं दे रहा था.
कई महीनों तक मेरे द्वारा ये खेल चलता रहा लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलता देख मैंने अब आर या पार करने की सोच ली.
अब मैं ऐसा कुछ करना चाहती थी, जिससे कि मेरे देवर का दिमाग हिल जाए और वो मेरा दीवाना हो जाए.
इसलिए एक दिन सुबह 10 बजे तक मैंने घर का सारा काम खत्म कर लिया. घर पर मैं और मेरा देवर ही थे और ससुर जी किसी काम से बाजार गए हुए थे.
मेरा देवर सोफे पर लेटा हुआ टीवी देख रहा था.
उसी समय मैं नहाने के लिए बाथरूम चली गई. करीब 20 मिनट नहाने के बाद मैं चड्डी और ब्रा पहनी और अपनी चड्डी को और ऊपर की ओर सिकोड़ ली, जिससे कि मेरे बड़े बड़े चूतड़ चड्डी के बाहर निकल आए.
ऐसे ही ब्रा और चड्डी पहने हुए मैं बाथरूम से बाहर निकल आई.
मैंने सोफे पर लेटे हुए अपने देवर को ऐसे अनदेखा किया जैसे कि मैंने उसे देखा ही नहीं था.
बिना सोफे की तरफ देखे हुए हाथ में गीला तौलिया लिए मैं सोफे के सामने से गुजरी और थोड़ा आगे जाने के बाद जानबूझकर तौलिया नीचे फर्श पर गिरा दिया.
सोफे की तरफ मेरी पीठ थी और मैंने झुककर तौलिया उठाया, उसके बाद मैंने एक उंगली से अपनी चड्डी को ठीक की, जो कि मेरी गांड के दरार पर घुस गई थी.
मैं जान रही थी कि मेरे देवर की नज़र गांड से चड्डी ठीक करते हुए मुझ पर पड़ी होगी और उसने मेरी गांड को गौर से देखा होगा.
चड्डी ठीक करते हुए मैं धीरे धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी.
फिर मैंने सोचा कि पलटकर अपने देवर को देखूं कि उसका क्या हाल है.
मैंने अपने बालों को झटकारते हुए अपना सर पीछे की तरफ किया और पीछे का नजारा देख कर मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई.
दोस्तो सोफे पर उस वक्त मेरा देवर नहीं बल्कि मेरे ससुर जी लेटे हुए थे और वो एकटक मुझे घूरे जा रहे थे.
मेरी गांड फट गई और मैंने जोर से दौड़ लगाई और अपने कमरे में चली गई.
कमरे में पहुंचकर मेरी सांसें तेजी से चल रही थीं, दिल की धड़कन अपने पूरी रफ्तार में थी.
मेरे हाथ पैर कांप रहे थे.
मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि ये क्या हो गया.
मेरा देवर कहां गया और ससुर जी वहां कब आ गए?
मैंने अपना माथा ठोकते हुए खुद से कहा कि मुझसे ये क्या हो गया.
ये सब देखकर ससुर जी क्या सोचते होंगे?
मैं उनके सामने ब्रा चड्डी में कैसे चली गई और मेरी ऐसी गंदी हरकत देख वो क्या सोच रहे होंगे.
मैंने अपने कपड़े पहने और काफी देर तक बिस्तर पर बैठकर इस घटना के बारे में सोचती रही कि अब कैसे बाहर जाऊं, ससुर जी क्या सोचेंगे.
इधर खाना बनाने का समय होता जा रहा था और किसी तरह से मैं नजरें नीचे किए हुए बाहर निकली.
उस वक्त बाहर कोई नहीं था और मैं जल्दी से किचन में चली गई.
खाना बनाने के बाद मैंने नजरें नीचे किए हुए देवर और ससुर को खाना दिया और खाना खाने के बाद अपने कमरे में आ गई.
कुछ दिनों तक मैं ऐसी कोई भी हरकत नहीं की क्योंकि मेरे अन्दर काफी डर समा गया था.
लेकिन कुछ दिनों बाद मेरे अन्दर वासना का कीड़ा फिर से मचलने लगा.
मैंने अपने देवर के सामने अपनी हरकतें फिर से शुरू कर दीं, लेकिन मेरी किसी भी हरकत का उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था.
ऐसे ही एक दिन मैं गाउन पहने हुए घर का काम कर रही थी.
उस दिन मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी जिससे मेरा गाउन बार बार मेरी गांड की दरार में घुस रहा था.
मैं बार बार अपनी गांड से गाउन को बाहर निकाल रही थी.
उस वक्त मैं घर पर अकेली ही थी.
फिर अचानक से मेरी गांड के छेद में जोरों से खुजली हुई और मैं उंगली से गाउन के ऊपर से ही छेद को जोर जोर से खुजाने लगी.
उसी समय मेरे ससुर का आना हुआ और उन्होंने मुझे अपनी गांड खुजाते हुए देख लिया.
जैसे ही मेरी नजर उन पर पड़ी, मैं तुरंत वहां से चली गई.
मैं सोच में पड़ गई कि ‘हे भगवान … ये सब क्या हो रहा है. मेरी ऐसी हरकत बार बार ससुर जी क्यों देख लेते हैं.’
काफी दिनों तक ऐसा ही सब चलता रहा.
फिर एक दिन मुझे पता चला कि मेरा देवर अपनी पढ़ाई के लिए बाहर जाने वाला है.
उस दिन मेरी सारी उमीदें टूट गईं और मैं समझ गई कि अब मेरा कुछ नहीं हो सकता.
कुछ दिन बाद ही मेरा देवर पढ़ाई के लिए बाहर चला गया और अब मैं और ससुर जी ही घर पर अकेले रह गए.
मेरी जिंदगी भी पहले की तरह चलती रही और अभी भी मुझे अपनी उंगलियों का ही सहारा लेना पड़ता था.
लेकिन दोस्तो, मैंने कई बार गौर किया कि ससुर जी का नजरिया पहले से बदल गया था.
उनका मुझे देखने का तरीका मुझसे बात करने का तरीका, इन सबमें काफी फर्क आ गया था.
अब वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ खाने के लिए लाने लगे, मेरे लिए साड़ी खरीद कर लाने लगे और यहां तक कि मेरे लिए गाउन भी खरीद लाते थे.
इससे पहले वो कभी ऐसा नहीं करते थे इसलिए मुझे उन पर थोड़ा शक होने लगा था.
अब जब भी मैं साड़ी पहनती तो उनकी नजर मेरे पेट पर और कमर पर टिक जाती थी.
मैं घर का काम करती रहती और उनकी नजर मुझे ही देखती रहती थी.
धीरे धीरे ऐसा होना शुरू हो गया कि जब भी मैं उन्हें चाय पानी देने जाती तो वो मेरे हाथों को छूने लगे.
उनकी निगाहों में मुझे मेरे प्रति हवस साफ साफ दिखाई दे रही थी.
मेरे ससुर की उम्र 54 साल है और वो शरीर से काफी हट्टे-कट्टे मर्द हैं.
उनके शरीर पर बुढ़ापे का एक भी असर नहीं दिखाई देता और वो अभी पूरी तरह फिट हैं.
लेकिन वो थे तो मेरे ससुर ही … और मैं उनके लिए ऐसी गंदी बात सोच भी नहीं सकती थी.
अब कोई मुझे गलत समझे या सही … अपनी वासना से मजबूर होकर मैं भी उनके प्रति झुकने लगी.
जिस्म की आग तो मेरे अन्दर भी लगी हुई थी और मैंने भी उनको जलाना शुरू कर दिया और मैं जानबूझकर उनके सामने झुककर काम करने लगी, जिससे मेरे बड़े बड़े गोरे दूध उनको नजर आए.
धीरे धीरे मैं उनके साथ वैसा ही करने लगी, जैसा मैं अपने देवर के साथ किया करती थी.
मेरे ससुर इस मामले में होशियार थे और वो मेरी इन हरकतों को अच्छे से भांप गए.
जल्द ही वो मुझे देख कर मुस्कुरा देते और उन्हें देखकर मेरे चेहरे पर भी हल्की मुस्कुराहट आ जाती.
अब हाल ये हो गया था कि दोनों के बदन पर बारूद लगा हुआ था, बस कमी थी उस बारूद में आग लगाने की.
लेकिन पहल कोई भी नहीं कर रहा था दोनों के ही मन में एक दूसरे का डर था क्योंकि दोनों का रिश्ता ही ऐसा था और ऊपर से हम दोनों कि उम्र भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती थी.
मेरे ससुर मुझसे 30 साल के बड़े थे.
इधर मैंने भी सोच लिया था कि अगर ससुर जी ने मेरे साथ कुछ करना चाहा, तो मैं उन्हें मना नहीं करूंगी क्योंकि मुझे अपने जिस्म की आग अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
अभी तक मैंने और आपने भी बहू और ससुर के बीच चुदाई की बहुत सी कहानियां पढ़ी होंगी.
आज तक मैं इस प्रकार की कहानियों पर ज्यादा यकीन नहीं करती थी क्योंकि ज्यादातर कहानियां मुझे बनावटी ही लगती थीं.
अपने जान पहचान में भी मैंने कभी ऐसी घटना के बारे में नहीं सुना था, जिसमें ससुर और बहू के बीच में शारिरिक सम्बन्ध हुए हों.
मेरी नजर में ये ऐसा रिश्ता है, जिसमें सेक्स होना बेहद मुश्किल है.
लेकिन दोस्तो, मेरा ये नजरिया गलत निकला और अब मैं ये पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि हॉट लड़की की वासना, जिस्म की प्यास एक ऐसी प्यास है, जिसे बुझाने के लिए इंसान किसी भी हद तक जा सकता है और वो सारे रिश्ते नाते भूल सकता है.
इस घटना ने मुझे पूरी तरह से चौंका दिया था.
आज जो कहानी मैं आप लोगों के साथ साझा करने जा रही हूं, यह पूरी तरह से सत्य घटना है और अभी 2020 की ही है.
मेरी एक बहुत खास सहेली है, जिसका नाम नैना है.
हम दोनों ने 12 वीं तक एक साथ पढ़ाई की थी और उसके बाद दोनों का साथ छूट गया था.
हालांकि हम दोनों हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहे, मैं उसकी शादी में भी गई थी.
उसके ससुराल चले जाने के बाद से अभी कुछ दिन पहले ही मेरी और उसकी मुलाकात हुई क्योंकि देश में लॉकडाउन के कारण 2 साल वो अपने मायके नहीं आई थी.
हम लोग अपनी अपनी जिंदगी के बारे में बातें कर रहे थे और साथ ही अपनी सेक्स लाइफ के बारे में भी बात कर रहे थे.
शादी के पहले भी नैना ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स के काफी मजे लिए थे.
हम दोनों पक्की सहेलियां थीं इसलिए एक दूसरे से हर चीज खुलकर बता देती थीं.
मैंने भी अपने बारे में हर बात उसे बताई और उसने भी शादी के बाद कि सभी बातें मुझे बताईं.
जब मैंने उसकी बातें सुनी तो मैं चौंक गई.
पहले तो मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ लेकिन उसने मुझे पूरे सबूत के साथ अपनी सच्चाई बताई और अपनी सच्चाई को साबित करने के लिए उसने मेरे सामने ही अपने ससुर से फोन पर बात भी की जिसमें उसने खुलकर अपने ससुर से चूत और लंड की बात की.
इसके अलावा भी उसने मुझे कुछ प्राइवेट फ़ोटो भी दिखाए जिसमें नैना और उसके ससुर पूरी तरह से नंगे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे.
दोस्तो, वो एक बेहद ही गर्म प्रवृत्ति की लड़की है और चुदाई को इतना ज्यादा पसंद करती है कि चुदाई के बिना रह पाना उसके लिए मुश्किल है.
जब मुझे यकीन हो गया कि वो जो भी बता रही है, वो सच है … तो मैंने सोचा क्यों न इसकी ये कहानी मैं अन्तर्वासना पर भेज दूँ.
इसलिए मैंने उसे सब कुछ बताया कि मैं कहानियां लिखती हूँ और तेरी कहानी को भी मैं वहां भेजना चाहती हूं.
इस पर उसने भी अपनी सहमति देते हुए मुझे हर एक बात बताई.
छोटी से छोटी जानकारी भी उसने मुझे दी, जिसके आधार पर मैंने आप लोगो के लिए ये कहानी लिखी है.
मुझे पूरा विश्वास है कि आपको ये कहानी जरूर पसंद आएगी.
मैंने इस कहानी को लिखने में बहुत समय लिया है क्योंकि बीच बीच में मैं नैना से फोन पर जानकारियां हासिल करती रही और उसे कहानी में जोड़ती रही.
नैना ने भी कहानी लिखने में मेरी काफी मदद की और मुझे हर वो छोटी से छोटी बात बताई, जिससे कहानी को और ज्यादा कामुक बनाया जा सकता था.
अभी मेरी कलम और नैना की जुबान से आपके सामने सेक्स कहानी पेश है.
मेरा नाम नैना है और मेरी उम्र 24 साल की है.
मेरी शादी को हुए 3 साल हो चुके हैं लेकिन अभी मुझे और मेरे पति को बच्चा नहीं चाहिए … इसलिए हम लोग फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं.
मैं आपको अपने जिस्म के बारे में बता दूँ.
मैं एक खूबसूरत लड़की हूं, बदन भरा हुआ है. मेरा रंग गोरा और फिगर 36-30-38 का है.
मेरे जिस्म का मुख्य आकर्षण अंग मेरे बड़े बड़े दूध और बड़ी सी गांड है जिस पर किसी भी मर्द की निगाहें अटक जाना स्वाभाविक है.
मेरे ससुराल में मैं, मेरे पति, एक देवर और मेरे ससुर जी ही हैं.
मेरी सास का देहांत हुए 12 साल हो चुके हैं और परिवार में हम चार लोग ही रहते हैं.
शादी के समय मेरे पति अपना खुद का एक बिजनेस चलाते थे लेकिन उसमें लगातार नुकसान होने के कारण उन्होंने उसे बंद कर दिया और शादी के 9 महीनों बाद ही वो सूरत में जाकर नौकरी करने लगे.
वो वहां अकेले रहते हैं और घर पर हम तीन लोग ही रह गए.
दोस्तो, जब से मैंने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तब से ही सेक्स मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया था.
कॉलेज टाइम से ही मेरा एक बॉयफ्रेंड बन गया था, जिसके साथ मैंने चुदाई की शुरूआत कर दी थी.
उसके बाद मेरे ही मोहल्ले में एक लड़के के साथ मेरा सम्बन्ध बना, जिसके साथ भी मेरा काफी समय तक जिस्मानी सम्बन्ध रहा.
शादी के पहले ही मैं चुदाई करवाने की आदी हो चुकी थी.
उसके बाद मेरी शादी हो गई और मैं अपनी ससुराल आ गई.
इसके बाद मेरे पति के अलावा मेरा किसी के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था.
मेरे पति मुझे हर तरह से संतुष्ट कर देते थे, जिससे मुझे कभी किसी और मर्द की जरूरत नहीं पड़ी.
शुरू के 9 महीने तक तो वो साथ में रहे लेकिन उसके बाद वो सूरत चले गए और मैं अपने देवर और ससुर जी के साथ घर पर अकेली रहने लगी.
वो छह महीने में एक बार ही आते थे और मुश्किल से एक हफ्ते रुकने के बाद चले जाते थे.
मेरी आदत ऐसी थी कि मुझे तो रोज ही चुदाई का सुख चाहिए था लेकिन अब वो मुझे नहीं मिल रहा था.
मैं रात में अपने कमरे में अकेली बिस्तर पर लेटी हुई करवट बदलती रहती थी और जब कभी मुझसे सहन नहीं होता था तो अपनी उंगलियों से ही अपने आप को शांत करने की कोशिश करती.
लेकिन उससे भी मेरी प्यास नहीं बुझती थी.
धीरे धीरे समय आगे बढ़ रहा था और मेरे बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी.
कई बार मेरे दिमाग में आया कि किसी मर्द को अपना दोस्त बनाया जाए, जिससे मेरी प्यास वैसे ही बुझती रहे जैसे कि शादी से पहले बुझती थी.
लेकिन यह बहुत मुश्किल काम था क्योंकि मेरे घर ऐसा कोई आता जाता भी नहीं था और मैं अकेली कहीं भी बाहर जाती नहीं थी जिससे मेरी किसी मर्द के साथ दोस्ती हो सके.
दोस्तो, दुनिया में इंसान हर चीज को कंट्रोल कर सकता है लेकिन चुदाई की भूख ऐसी चीज है कि उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता.
और ऐसी स्थिति में ही लोग सारे रिश्ते नाते भूल जाते हैं.
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ और मेरी गंदी निगाह मेरे देवर की तरफ जाने लगी.
मेरा देवर जो कि मुझसे काफी छोटा है और उसकी उम्र 19 साल की है.
वो दिखने में भी पतला दुबला है लेकिन हॉट लड़की की भूख ये सब भूल चुकी थी.
मुझे बस वो एक मर्द नजर आ रहा था जिसके पास एक लंड था, जिसकी मुझे जरूरत थी.
धीरे धीरे मैं वासना की मारी उसके ऊपर डोरे डालने लगी.
देवर भाभी का रिश्ता भी मजाक का होता है जिससे किसी को शक भी नहीं होता था.
घर पर मैं गाउन ही पहनती थी और उसे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अन्दर ब्रा और चड्डी नहीं पहनती थी ताकि मेरा गाउन मेरे जिस्म पर चिपका रहे और मेरे अन्दर के अंग उसके सामने झलकते रहे.
मैं जानबूझकर उसके सामने झुककर काम किया करती ताकि मेरे दूध उसे दिखे और उसके बदन में भी गर्मी आ जाए.
उसके सामने जब मैं बिस्तर पर या सोफे पर लेटती तो अपने गाउन को घुटनों के ऊपर तक उठा लेती ताकि मेरी गोरी जांघ पर उसकी नजर पड़े.
जब कभी भी मैं उसके साथ बाइक पर कहीं जाती तो उससे चिपक कर बैठती और अपने सीने को उसकी पीठ पर दबाती ताकि मेरे दूध का स्पर्श उसे मिले.
अब ये मेरा रोज का काम हो गया था.
जब भी ससुर जी घर पर नहीं होते तो मैं उसके सामने बार बार जाती और किसी न किसी बहाने से अपना अंग प्रदर्शन करती.
लेकिन मेरे ऐसा करने का उस पर किसी भी प्रकार से कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था.
वो एक पढ़ाकू किस्म का लड़का है और अपनी पढ़ाई में ही खोया रहता था.
मेरे अंग प्रदर्शन करने से उसके अन्दर कुछ होता ही नहीं था.
अब मैं सीधा उसका लंड तो पकड़ नहीं सकती थी.
बस मुझे उसके द्वारा एक इशारे का इंतजार था लेकिन वो मुझे बिल्कुल भी भाव नहीं दे रहा था.
कई महीनों तक मेरे द्वारा ये खेल चलता रहा लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलता देख मैंने अब आर या पार करने की सोच ली.
अब मैं ऐसा कुछ करना चाहती थी, जिससे कि मेरे देवर का दिमाग हिल जाए और वो मेरा दीवाना हो जाए.
इसलिए एक दिन सुबह 10 बजे तक मैंने घर का सारा काम खत्म कर लिया. घर पर मैं और मेरा देवर ही थे और ससुर जी किसी काम से बाजार गए हुए थे.
मेरा देवर सोफे पर लेटा हुआ टीवी देख रहा था.
उसी समय मैं नहाने के लिए बाथरूम चली गई. करीब 20 मिनट नहाने के बाद मैं चड्डी और ब्रा पहनी और अपनी चड्डी को और ऊपर की ओर सिकोड़ ली, जिससे कि मेरे बड़े बड़े चूतड़ चड्डी के बाहर निकल आए.
ऐसे ही ब्रा और चड्डी पहने हुए मैं बाथरूम से बाहर निकल आई.
मैंने सोफे पर लेटे हुए अपने देवर को ऐसे अनदेखा किया जैसे कि मैंने उसे देखा ही नहीं था.
बिना सोफे की तरफ देखे हुए हाथ में गीला तौलिया लिए मैं सोफे के सामने से गुजरी और थोड़ा आगे जाने के बाद जानबूझकर तौलिया नीचे फर्श पर गिरा दिया.
सोफे की तरफ मेरी पीठ थी और मैंने झुककर तौलिया उठाया, उसके बाद मैंने एक उंगली से अपनी चड्डी को ठीक की, जो कि मेरी गांड के दरार पर घुस गई थी.
मैं जान रही थी कि मेरे देवर की नज़र गांड से चड्डी ठीक करते हुए मुझ पर पड़ी होगी और उसने मेरी गांड को गौर से देखा होगा.
चड्डी ठीक करते हुए मैं धीरे धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी.
फिर मैंने सोचा कि पलटकर अपने देवर को देखूं कि उसका क्या हाल है.
मैंने अपने बालों को झटकारते हुए अपना सर पीछे की तरफ किया और पीछे का नजारा देख कर मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई.
दोस्तो सोफे पर उस वक्त मेरा देवर नहीं बल्कि मेरे ससुर जी लेटे हुए थे और वो एकटक मुझे घूरे जा रहे थे.
मेरी गांड फट गई और मैंने जोर से दौड़ लगाई और अपने कमरे में चली गई.
कमरे में पहुंचकर मेरी सांसें तेजी से चल रही थीं, दिल की धड़कन अपने पूरी रफ्तार में थी.
मेरे हाथ पैर कांप रहे थे.
मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि ये क्या हो गया.
मेरा देवर कहां गया और ससुर जी वहां कब आ गए?
मैंने अपना माथा ठोकते हुए खुद से कहा कि मुझसे ये क्या हो गया.
ये सब देखकर ससुर जी क्या सोचते होंगे?
मैं उनके सामने ब्रा चड्डी में कैसे चली गई और मेरी ऐसी गंदी हरकत देख वो क्या सोच रहे होंगे.
मैंने अपने कपड़े पहने और काफी देर तक बिस्तर पर बैठकर इस घटना के बारे में सोचती रही कि अब कैसे बाहर जाऊं, ससुर जी क्या सोचेंगे.
इधर खाना बनाने का समय होता जा रहा था और किसी तरह से मैं नजरें नीचे किए हुए बाहर निकली.
उस वक्त बाहर कोई नहीं था और मैं जल्दी से किचन में चली गई.
खाना बनाने के बाद मैंने नजरें नीचे किए हुए देवर और ससुर को खाना दिया और खाना खाने के बाद अपने कमरे में आ गई.
कुछ दिनों तक मैं ऐसी कोई भी हरकत नहीं की क्योंकि मेरे अन्दर काफी डर समा गया था.
लेकिन कुछ दिनों बाद मेरे अन्दर वासना का कीड़ा फिर से मचलने लगा.
मैंने अपने देवर के सामने अपनी हरकतें फिर से शुरू कर दीं, लेकिन मेरी किसी भी हरकत का उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था.
ऐसे ही एक दिन मैं गाउन पहने हुए घर का काम कर रही थी.
उस दिन मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी जिससे मेरा गाउन बार बार मेरी गांड की दरार में घुस रहा था.
मैं बार बार अपनी गांड से गाउन को बाहर निकाल रही थी.
उस वक्त मैं घर पर अकेली ही थी.
फिर अचानक से मेरी गांड के छेद में जोरों से खुजली हुई और मैं उंगली से गाउन के ऊपर से ही छेद को जोर जोर से खुजाने लगी.
उसी समय मेरे ससुर का आना हुआ और उन्होंने मुझे अपनी गांड खुजाते हुए देख लिया.
जैसे ही मेरी नजर उन पर पड़ी, मैं तुरंत वहां से चली गई.
मैं सोच में पड़ गई कि ‘हे भगवान … ये सब क्या हो रहा है. मेरी ऐसी हरकत बार बार ससुर जी क्यों देख लेते हैं.’
काफी दिनों तक ऐसा ही सब चलता रहा.
फिर एक दिन मुझे पता चला कि मेरा देवर अपनी पढ़ाई के लिए बाहर जाने वाला है.
उस दिन मेरी सारी उमीदें टूट गईं और मैं समझ गई कि अब मेरा कुछ नहीं हो सकता.
कुछ दिन बाद ही मेरा देवर पढ़ाई के लिए बाहर चला गया और अब मैं और ससुर जी ही घर पर अकेले रह गए.
मेरी जिंदगी भी पहले की तरह चलती रही और अभी भी मुझे अपनी उंगलियों का ही सहारा लेना पड़ता था.
लेकिन दोस्तो, मैंने कई बार गौर किया कि ससुर जी का नजरिया पहले से बदल गया था.
उनका मुझे देखने का तरीका मुझसे बात करने का तरीका, इन सबमें काफी फर्क आ गया था.
अब वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ खाने के लिए लाने लगे, मेरे लिए साड़ी खरीद कर लाने लगे और यहां तक कि मेरे लिए गाउन भी खरीद लाते थे.
इससे पहले वो कभी ऐसा नहीं करते थे इसलिए मुझे उन पर थोड़ा शक होने लगा था.
अब जब भी मैं साड़ी पहनती तो उनकी नजर मेरे पेट पर और कमर पर टिक जाती थी.
मैं घर का काम करती रहती और उनकी नजर मुझे ही देखती रहती थी.
धीरे धीरे ऐसा होना शुरू हो गया कि जब भी मैं उन्हें चाय पानी देने जाती तो वो मेरे हाथों को छूने लगे.
उनकी निगाहों में मुझे मेरे प्रति हवस साफ साफ दिखाई दे रही थी.
मेरे ससुर की उम्र 54 साल है और वो शरीर से काफी हट्टे-कट्टे मर्द हैं.
उनके शरीर पर बुढ़ापे का एक भी असर नहीं दिखाई देता और वो अभी पूरी तरह फिट हैं.
लेकिन वो थे तो मेरे ससुर ही … और मैं उनके लिए ऐसी गंदी बात सोच भी नहीं सकती थी.
अब कोई मुझे गलत समझे या सही … अपनी वासना से मजबूर होकर मैं भी उनके प्रति झुकने लगी.
जिस्म की आग तो मेरे अन्दर भी लगी हुई थी और मैंने भी उनको जलाना शुरू कर दिया और मैं जानबूझकर उनके सामने झुककर काम करने लगी, जिससे मेरे बड़े बड़े गोरे दूध उनको नजर आए.
धीरे धीरे मैं उनके साथ वैसा ही करने लगी, जैसा मैं अपने देवर के साथ किया करती थी.
मेरे ससुर इस मामले में होशियार थे और वो मेरी इन हरकतों को अच्छे से भांप गए.
जल्द ही वो मुझे देख कर मुस्कुरा देते और उन्हें देखकर मेरे चेहरे पर भी हल्की मुस्कुराहट आ जाती.
अब हाल ये हो गया था कि दोनों के बदन पर बारूद लगा हुआ था, बस कमी थी उस बारूद में आग लगाने की.
लेकिन पहल कोई भी नहीं कर रहा था दोनों के ही मन में एक दूसरे का डर था क्योंकि दोनों का रिश्ता ही ऐसा था और ऊपर से हम दोनों कि उम्र भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती थी.
मेरे ससुर मुझसे 30 साल के बड़े थे.
इधर मैंने भी सोच लिया था कि अगर ससुर जी ने मेरे साथ कुछ करना चाहा, तो मैं उन्हें मना नहीं करूंगी क्योंकि मुझे अपने जिस्म की आग अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.