01-02-2023, 07:41 PM
उसके पति का नाम अभिषेक था. मैं सोचने लगा कि साले अभिषेक की क्या किस्मत है, भैन के लौड़े को कितनी हॉट माल मिली है.
भाभी का साइज 36-32-40 का था और उसका नाम रेखा था.
अब मैं उधर से जब भी निकलता और उस वक्त यदि वो मुझे दिख जाती,तो उसकी मोटी मोटी चूचियों को देखकर मेरा तो लौड़ा ही खड़ा हो जाता था.
मैं बस उसको चोदने का सपना देखने लगता था.
जब रहा न गया तो मैंने भाभी को पटाने की सोची कि किसी तरह से मैं इस हॉट भाभी को पटाकर इसकी चूत का स्वाद ले लूं.
अब मैं भाभी को पटाने में लग गया.
कभी कभी भाभी के सामने बोलने का मौका मिलता था तो मैं भाभी को इंप्रेस करने के लिए अच्छी मीठी मीठी बातें करता था.
भाभी नई थी तो एकदम से तो मैं उससे बोल नहीं सकता था.
और कभी अकेले में बोलने का टाइम नहीं मिलता था.
आप तो जानते ही हैं कि जब किसी की नई नई शादी होती है तो कोई भी नई बहू को घर में अकेली नहीं छोड़ता.
भाभी के घर के पास मेरे ताऊ जी का घर था.
मैं ताऊ जी के घर पर आते जाते भाभी को देखता था.
एक दिन मैं ताऊ जी के घर के पास खड़ा होकर भाभी के सामने में किसी से बात कर रहा था और भाभी अन्दर से मेरी बात सुन रही थी.
मैं इस तरीके से बात कर रहा था कि भाभी को मेरी बातें अच्छी लग रही थीं.
मुझको तो पता ही था कि भाभी मेरी सारी बातें सुन रही हैं.
मेरी बातें सुनकर वो मेरी तरफ थोड़ी आकर्षित हुईं लेकिन मैं अभी भी भाभी से सीधे सीधे कैसे बोलता, ये बात समझ नहीं आ रही थी.
साथ ही मेरी गांड भी फट रही थी और भाभी को देखकर मेरा लौड़ा भी मेरे पैंट के अन्दर लकड़ी की तरह टाईट होकर मेरी पैंट फाड़कर बाहर निकल कर आना चाहता था.
चुदाई का मूड एकदम बढ़ता जा रहा था.
मेरा भाभी को पटाने का प्रयास जारी था.
मैं भाभी को पटाने के लिए अपने फार्मूले का इस्तेमाल करने लगा.
मेरा फार्मूला यह था कि जब भी मैं भाभी की तरफ को जाता था तो मैं भाभी की तरफ को जरूर देखता था.
मेरा देखना कुछ इस तरह से होता था कि भाभी की नजर मुझ पर सीधी पड़ती.
वो मुझको देख कर झट से पल्ला कर लेती थी.
लेकिन उसी बीच मुझे उसकी नजरें देख कर समझ आ जाता था कि ये भी मुझे पसंद करती है.
ऐसा काफी दिन तक चलता रहा पर मैंने एक दो बार ऐसा होने पर भाभी का मुँह देख लिया.
भाभी देखने में काफी सुंदर थी और गोरी भी.
एक दिन जब मैंने भाभी को पल्लू करते देखा, तो उसका मुँह के साथ साथ भाभी के गोरे गोरे बूब्स देख लिए.
उस दिन भाभी ने लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था. लाल रंग में भाभी की मोटी मोटी और गोरी चूचियां देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इस बार भाभी का गोरा बदन और गोरी गोरी चूचियां देख कर रहा नहीं गया और मैंने ताऊ जी के यहां पर ऊपर जाकर भाभी को देखते हुए मुठ मार दी.
ऐसा काफी दिन तक चलता रहा.
एक दिन जब मैं ताऊ जी के घर गया तो मैंने भाभी को पहले ही देख लिया था कि भाभी बैठी हुई है.
अब मैं भाभी की तरफ बिना देखे ही जाता था ताकि वो अपना पल्लू डालकर अपना सुंदर मुखड़ा न छिपा ले.
फिर मैं भाभी को छुप कर देखता.
उस दिन मैंने देखा कि भाभी मेरी तरफ को थी और मुझे ही देख रही थी.
नजरें मिलते ही वो हंस दी.
मैं समझ गया कि भाभी पट सकती है.
वो मेरा वापस आने का इंतजार कर रही थी कि मैं कब ताऊ जी के यहां से वापस आऊं और वो मुझे देखे, फिर से मुझे नजरें चुरा कर पल्ला कर सके.
मुझे खुद भाभी को पटाना था इसलिए मैं जब वापस गया तो मैंने भाभी की तरफ नहीं देखा और सीधा आने लगा.
मैं रास्ते में खड़ा हो गया और भाभी को सुनाते हुए फोन पर झूठ मूठ की बात करने लगा.
मैंने आह भरते हुए कहा- सच में यार … तुम मुझे समझ ही नहीं रही हो. एक बार मुझे मिलने का मौका तो दो, खुश न कर दूँ तो कहना!
इसके बाद मैं भाभी की तरफ देखा तो वो समझ गई कि ये मैं उसी से कह रहा था.
मैंने भी कुछ ऐसी तिरछी नजर करके भाभी को देखा कि उसका खूबसूरत मुखड़ा दिख जाए.
वो हंसती हुई मुड़ गई और मैं अपना दिल सम्भालते हुए वापस आ गया.
मैंने दाना डाल दिया था, जो भाभी ने चुग लिया था.
इस बार भाभी ने मुँह नहीं ढका था.
वो इसलिए क्योंकि मैं अब भाभी की तरफ को बिना देखे आने जाने लगा था.
अब मेरे मन में सिर्फ एक ही बात चल रही थी कि भाभी को किस तरह से चोदूं.
मैंने एक दिन देखा कि भाभी के पास एक लड़की जाती है, उसका नाम कोमल था.
तो मैंने सोचा क्यों ना कोमल के जरिए अपनी बात भाभी के पास तक पहुंचा दी जाए.
दोस्तो, अच्छी बात यह थी कि कोमल मेरी क्लासमेट थी.
अब मैंने कोमल के पास भी जाना शुरू कर दिया.
जब भी मैं कोमल के पास जाता तो मैं भाभी की बात शुरू कर देता और भाभी की तारीफ भी खूब करता.
भाभी की मोटी मोटी चूची और उठी हुई मोटी गांड देखकर दिन पर दिन मेरी तो उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी.
मैंने एक दिन कोमल से कहा- कोमल, रेखा भाभी मुझे बहुत पसंद है. तू भाभी से मेरी बात करा दे. मुझे रात को नींद भी नहीं आती है और भूख भी नहीं लगती है. मेरा बहुत बुरा हाल है.
कोमल बोली- अंकित, तू क्या कह रहा है तू पागल तो नहीं है, उसकी अभी शादी हुई है. तू मुझे मरवाएगा क्या. देख मैं उससे कुछ नहीं कहने वाली.
मैं उदास होकर वहां से आ गया और सोचने लगा कि ये ही तो एक तरीका था भाभी को चोदने का, ये मौका भी गया.
अब मैं जब भी कोमल के पास जाता, तो उदास चेहरा लेकर जाता.
कोमल मुझसे पूछती- क्या हुआ?
और मैं कुछ नहीं कह कर जवाब देता.
कोलम को सब पता था कि मैं उदास क्यों हूं.
फिर एक दिन रेखा भाभी का फोन आया.
उस समय में कॉलेज में था.
जैसे ही मैंने कॉल उठाया, उधर से रेखा भाभी की हैलो कहने की आवाज आई.
रेखा भाभी की आवाज सुनकर तो मेरे रौंगटे खड़े हो गए, सारे शरीर में सनसनी सी होने लगी.
मैं आपको बता दूँ कि मैं रेखा भाभी की आवाज पहले ही सुन चुका था.
जिस नंबर से ये कॉल आई थी, वो नंबर मेरे फोन में पहले से ही सेव था तो मुझे लग ही रहा था कि कहीं फोन पर भाभी तो नहीं हैं.
भाभी के हैलो कहते ही मेरा लंड तो अंगड़ाई लेने लगा और मेरी पैंट के अन्दर लंड तंबू बनाता जा रहा था.
मैं मन ही मन में खुश हो रहा था कि अब भाभी को चोदने को मिल जाएगा.
मैंने भी कहा- हैलो जी कौन?
भाभी हंस कर बोलीं- आपको नहीं पता है क्या?
मैं- नहीं, वैसे कौन बोल रही हो?
भाभी- पहचानो, कौन बोल रही हूं?
मैं- आप रेखा भाभी बोल रही हो ना!
भाभी- हां, मैं ही बोल रही हूं लेकिन अपने मुझे पहचाना कैसे?
मैं- जिसकी याद रात दिन आती हो, उसे कैसे नहीं पहचान सकता.
भाभी- कहां हो?
मैं- अभी कॉलेज में हूं.
भाभी- ठीक है, कॉलेज से आ जाओ … फिर बात करते हैं.
मैं- ठीक है.
मैं घर आया और आते ही जैसे भाभी को देखा, तो भाभी साड़ी बांध कर मस्त लग रही थीं.
भाभी की पतली कमर देखकर मेरा लंड उफान मार रहा था और भाभी के बड़े बड़े गोल स्तनों को देखते ही लंड में भाभी को चोदने की बेचैनी हो रही थी.
तभी मैंने भाभी को इशारा किया और फोन करने को कहा.
भाभी मेरा इशारा देखकर फोन लेकर अन्दर को चली गई.
भाभी को मानो फोन का ही इंतजार था.
जैसे ही भाभी अन्दर गई, मैंने तुरंत कॉल मिला दी.
भाभी फोन के पास पहुंची ही होगी कि मेरे फोन की घंटी बज उठी.
भाभी कॉल उठकर बोली- हां बोलो.
मैं- और सुनाओ कैसी हो?
भाभी बोली- देखा नहीं क्या अभी कि कैसी थी?
मैं- देखा तो था, बड़ी कातिल लग रही हो, किसी का कत्ल करोगी क्या?
भाभी हंस कर बोली- कत्ल मतलब कैसे?
मैं- आप एकदम सेक्सी लग रही हो.
भाभी बोली- अच्छा जी, ये बताओ कि तुम कोमल से क्या कह रहे थे?
मैंने भी देर ना करते हुए कहा- भाभी, तुम्हें बहुत पसंद करता हूं, तुमको देखे बिना मन नहीं लगता है. मैं तुमसे बस एक बार मिलना चाहता हूँ.
भाभी- मैं एक शादीशुदा हूं.
मैं- मैं नहीं जानता, बस एक बार मिलना चाहता हूँ.
भाभी- एक बार मिलना चाहते हो या चोदना चाहते हो?
मैं भाभी की इतनी बेबाक बात से एकदम डर सा गया कि भाभी तो एकदम लाइन पर आ गई.
अब तो मैं भी भाभी से खुलकर बात करने लगा.
मैं- हां, कुछ भी समझ लो.
भाभी- क्या समझ लूं. साफ़ साफ कहो न?
मैं- सुनो यार मैं सच्ची बताऊं, तो तुमको देखकर तुम्हें चोदने का मन करता है.
भाभी- कैसे चोदोगे, क्या फोन से ही चोद दोगे?
मैं- नहीं यार तुम्हारे ऊपर चढ़कर चोदूंगा.
भाभी- तो देर किस बात की है … आ जाओ रात में!
मैंने कहा- मैं अभी आ जाता हूँ.
भाभी- अभी कैसे आओगे, वो यहीं पास में कहीं काम कर रहे हैं. कभी भी आ सकते हैं.
मैं- एक बार आने तो दो यार!
भाभी- नहीं, अभी रहने दो, फिर कभी.
मैं बात करते करते भाभी के घर पहुंच गया.
वहां कोई नहीं था.
भाभी किचन में खड़ी होकर मुझसे फोन पर बात कर रही थी.
मैंने धीरे से दरवाजा लगाया और किचन में चला गया.
भाभी की नंगी कमर को देखकर मैं मचल गया और अब तो मेरा लंड भी बाहर आना चाह रहा था.
मैंने पीछे से भाभी की कोली भर ली.
भाभी एकदम से डर गई और पलट कर मुझे देख कर बोली- अरे तुम इतनी जल्दी यहां भी आ गए. अभी नहीं, रात में आना, हटो कोई आ जाएगा, अभी तुम जाओ.
वे मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी.
तभी मैंने भाभी की गर्दन चूमते हुए कहा- मैंने दरवाजा लगा दिया है, कोई नहीं आ सकता है.
ये सुनकर भाभी थोड़ी ढीली पड़ गई.
अब मैंने भाभी की पीछे से मोटी सी गांड की दरार में अपना लंबा लंड लगा दिया और भाभी के मोटे मोटे मम्मे दबाने लगा.
मैं भाभी को पकड़ कर उसके होंठ चूसने चूमने लगा.
कुछ ही पलों में भाभी भी धीरे धीरे मेरा साथ देने लग गई थी.
मैंने भाभी का साड़ी का पल्लू नीचे गिराया और उसकी पहाड़ जैसे चूचियों पर टूट पड़ा.
जल्दी ही भाभी गर्म होने लगी. भाभी ने मेरी गर्दन पकड़कर अपने पहाड़ जैसे चूचों में दबाने लगी.
मैंने अपने दोनों हाथ भाभी की गांड पर रखकर उसकी गांड को भींचने लगा.
फिर मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया.
अन्दर भाभी ने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी.
मैंने ब्रा के हुक को खोल दिया.
जैसे ही हुक खुला, तो भाभी के मोटे मम्मे एकदम से बाहर आ गए.
आह सच में देखने लायक जलवा था.
भाभी की चूचियां एकदम गोल और आपस में चिपकी हुई तनी थीं, थोड़ी सी भी नीचे को नहीं गिर रही थीं.
सीन देख कर मेरा जोश और बढ़ गया. मैंने भाभी को ऊपर उठाया और किचन की स्लैब पर बैठा दिया. अगले ही पल मैंने भाभी के दोनों पैरों को खोल दिया और टांगों के बीच में खड़ा हो गया.
मैं भाभी के बड़े बड़े मम्मों से खेलने लगा. एक को चूसने लगा, दूसरे को मसलने लगा.
भाभी अपनी गर्दन पीछे को लटकाकर ‘आह आह उह उह …’ करने लगी.
नीचे से भी मेरा लंड भाभी की चूत पर टच हो रहा था.
शायद भाभी भी मेरा लंड लेने को बेताब थी.
मैंने ब्लाउज और ब्रा को उतार दिया और भाभी की कमर पकड़ कर अपनी जीभ को दोनों चुचियों के बीच फेरता हुआ भाभी के पेट पर फेरने लगा.
इससे भाभी मछली की तरह फड़फड़ाने लगी थी.
भाभी भी अपने एक हाथ को मेरे लंड पर फेरने लगी थी.
फिर भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया.
मेरा टाइट और गर्म लंड को भाभी ने कस कर अपने मुठ्ठी में भर लिया था.
मैं समझ गया था कि भाभी का मन करने लगा है कि वो मेरे लंड को अपनी चूत में घुसवा ले.
भाभी को मैंने उठाया और कमरे में आकर बिस्तर पर लिटा दिया.
मैंने उसकी साड़ी उतार कर अलग कर दी.
अगले ही पल मैंने भाभी का पेटीकोट खींचा और चड्डी उतार कर उसको बिल्कुल नंगी कर दिया.
भाभी का गोरा बदन मोती सा चमक रहा था और भाभी अपने गुलाबी होंठों को मींजती हुई काट रही थी.
ऐसा लग रहा था, जैसे भाभी बरसों की प्यासी थी.
आज मैं भाभी को चरम सीमा तक पहुंचाने वाला था.
मैंने भाभी के एक पैर को पकड़ कर उसे उलटा कर दिया और नंगा होकर भाभी की कमर से लग गया.
मैं भाभी से चिपक गया और बड़े बड़े स्तनों को दबाने लगा.
साथ ही मैं भाभी की कमर पर अपनी जीभ फेरने लगा.
भाभी अपनी कमर को हिलाने लगी.
मैंने भाभी के सारे बदन को अपनी जीभ से चाट रहा था.
कभी पेट चाट रहा था, कभी भाभी के बड़े मम्मे को मुँह में भर लेता, तो कभी गर्दन को चाटने लगता.
अब भाभी पूरी तरह से बेचैन हो गई थी और उसे रहा नहीं जा रहा था.
उसके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- आई आई अहा उह उह ईई … पागल ही कर दिया तुमने … आह मैं बहुत प्यासी हूँ. मेरी आग बुझा दो … अब मारोगे क्या … बस मुझसे और रुका नहीं जा रहा है.
मैंने भाभी की टांगों को खोला और भाभी के ऊपर चढ़ गया.
मैं अपने लंड का सुपारा भाभी की चूत पर फेरने लगा.
भाभी अब अपनी मस्ती में होकर मछली की तरह फड़फड़ाने लगी थी.
मैंने भाभी की चूत को खोलकर उसके बीच में अपने लंड के सुपारे को रख दिया और घुसाने लगा.
भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी थी. चुत के पानी से सुपारा चमचम करने लगा था.
मुझे गर्म चुत का अहसास बड़ा अच्छा लग रहा था.
मैं चुत में लंड नीचे से ऊपर को फेरने लगा.
भाभी बिस्तर से ऊपर को खिसकने लगी.
तभी मैंने अपना लंड भाभी के चूत के छेद पर ले जाकर अड़ा दिया और भाभी के ऊपर झुक कर उसके गुलाबी होंठों को चूसने लगा.
वो भी मेरे होंठों का मजा लेने लगी और गर्म सांसें छोड़ने लगी.
मैं अपनी छाती से भाभी की चूचियों को दबाने लगा.
भाभी अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर फेरती हुई मेरे पिछवाड़े पर फेरने लगी और मेरे पिछवाड़े को पकड़कर अपनी तरफ को खींच कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी.
मैंने भी हल्का सा दाब दे दिया.
जैसे ही चूत में लंड घुसा तो भाभी की सारी मस्ती काफूर हो गई और उसकी चीख निकलने को हो गई.
मगर होंठों पर मेरे होंठों का ढक्कन लगा था तो आवाज बाहर न निकल सकी.
फिर मैंने भाभी की चूत में लंड को दबाना शुरू किया.
धीरे से आधा लंड चुत में पेवस्त हो गया.
वो कुछ शांत हुई तो मैं जोर जोर से धक्के देने लगा. वो भी आह उन्ह करके लंड से चुदने का मजा लेने लगी.
कुछ ही मिनट में उसकी आंखों में तृप्ति के भाव आने लगे थे और बदन ऐंठने लगा था.
मैं समझ गया था कि ये जाने वाली है.
मैंने धक्के देता गया और तभी भाभी की चूत से थोड़ा थोड़ा पानी बाहर निकलने लगा था.
मैं भी अपने कठोर लंड को भाभी की चूत के रस में भिगोकर चूत चोदता जा रहा था.
सारे कमरे में पच पच की आवाज सुनाई दे रही थी.
अब भाभी का पानी निकलने वाला था.
वो एकदम से ऐंठ कर मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगी थी.
उस वक्त भाभी की वासना चरम पर आ गई थी. उसने अपनी जांघों को और ज्यादा खोल दिया था और अपनी चूत को मेरे लंड में घुसाने लगी थी.
वो जोर जोर से सिसकारियां निकालने लगी थी- आह चोदो … आह मजा आ रहा है आह चोदो आंह …
मैं भाभी का ये रूप देख कर मस्त हो गया और उसकी चूत में और जोर जोर से धक्का देने लगा.
मैं उस समय अपनी पूरी जान लगाकर भाभी की चूत में धक्के लगा रहा था.
तभी मेरे दमदार धक्कों को झेलती हुई भाभी ने अपनी चूत का पानी बाहर निकाल दिया.
जैसे ही भाभी की चूत से लंड बाहर निकाला, तो मैंने देखा कि भाभी की चूत से लावा बाहर निकलकर बिस्तर पर टपकने लगा था.
पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था.
भाभी ने एक दो पल बाद आंखें खोलीं और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई.
मैंने लंड हिलाया तो बोली- अभी झड़ा नहीं ये?
तो मैंने कहा- मेरी जान, ये तेरे देवर का हथियार है. इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं है. अब तुम जल्दी से घोड़ी बन जाओ.
भाभी जैसे ही घोड़ी बनी, मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और ताबड़तोड़ चोदने लगा.
मेरे तेज तेज धक्कों से भाभी की चीख निकल पड़ी थी.
कुछ देर बाद मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था, तो मैंने उससे पूछा- किधर लोगी?
वो बोली- अन्दर ही आ जाओ देवर जी.
बस मैं मानो पिल पड़ा.
मैंने 6-7 धक्के मारे तो मेरा भी पानी निकल गया.
फिर मैंने भाभी की चूत से अपना लंड बाहर निकाला और भाभी के मुँह के तरफ देखा तो भाभी की आंखों से आंसू निकल आए थे.
भाभी की आंखों में मेरे लिए प्यार उमड़ आया था और ये ख़ुशी के आंसू थे.
अभिषेक के लंड में जान ही नहीं थी
भाभी का साइज 36-32-40 का था और उसका नाम रेखा था.
अब मैं उधर से जब भी निकलता और उस वक्त यदि वो मुझे दिख जाती,तो उसकी मोटी मोटी चूचियों को देखकर मेरा तो लौड़ा ही खड़ा हो जाता था.
मैं बस उसको चोदने का सपना देखने लगता था.
जब रहा न गया तो मैंने भाभी को पटाने की सोची कि किसी तरह से मैं इस हॉट भाभी को पटाकर इसकी चूत का स्वाद ले लूं.
अब मैं भाभी को पटाने में लग गया.
कभी कभी भाभी के सामने बोलने का मौका मिलता था तो मैं भाभी को इंप्रेस करने के लिए अच्छी मीठी मीठी बातें करता था.
भाभी नई थी तो एकदम से तो मैं उससे बोल नहीं सकता था.
और कभी अकेले में बोलने का टाइम नहीं मिलता था.
आप तो जानते ही हैं कि जब किसी की नई नई शादी होती है तो कोई भी नई बहू को घर में अकेली नहीं छोड़ता.
भाभी के घर के पास मेरे ताऊ जी का घर था.
मैं ताऊ जी के घर पर आते जाते भाभी को देखता था.
एक दिन मैं ताऊ जी के घर के पास खड़ा होकर भाभी के सामने में किसी से बात कर रहा था और भाभी अन्दर से मेरी बात सुन रही थी.
मैं इस तरीके से बात कर रहा था कि भाभी को मेरी बातें अच्छी लग रही थीं.
मुझको तो पता ही था कि भाभी मेरी सारी बातें सुन रही हैं.
मेरी बातें सुनकर वो मेरी तरफ थोड़ी आकर्षित हुईं लेकिन मैं अभी भी भाभी से सीधे सीधे कैसे बोलता, ये बात समझ नहीं आ रही थी.
साथ ही मेरी गांड भी फट रही थी और भाभी को देखकर मेरा लौड़ा भी मेरे पैंट के अन्दर लकड़ी की तरह टाईट होकर मेरी पैंट फाड़कर बाहर निकल कर आना चाहता था.
चुदाई का मूड एकदम बढ़ता जा रहा था.
मेरा भाभी को पटाने का प्रयास जारी था.
मैं भाभी को पटाने के लिए अपने फार्मूले का इस्तेमाल करने लगा.
मेरा फार्मूला यह था कि जब भी मैं भाभी की तरफ को जाता था तो मैं भाभी की तरफ को जरूर देखता था.
मेरा देखना कुछ इस तरह से होता था कि भाभी की नजर मुझ पर सीधी पड़ती.
वो मुझको देख कर झट से पल्ला कर लेती थी.
लेकिन उसी बीच मुझे उसकी नजरें देख कर समझ आ जाता था कि ये भी मुझे पसंद करती है.
ऐसा काफी दिन तक चलता रहा पर मैंने एक दो बार ऐसा होने पर भाभी का मुँह देख लिया.
भाभी देखने में काफी सुंदर थी और गोरी भी.
एक दिन जब मैंने भाभी को पल्लू करते देखा, तो उसका मुँह के साथ साथ भाभी के गोरे गोरे बूब्स देख लिए.
उस दिन भाभी ने लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था. लाल रंग में भाभी की मोटी मोटी और गोरी चूचियां देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इस बार भाभी का गोरा बदन और गोरी गोरी चूचियां देख कर रहा नहीं गया और मैंने ताऊ जी के यहां पर ऊपर जाकर भाभी को देखते हुए मुठ मार दी.
ऐसा काफी दिन तक चलता रहा.
एक दिन जब मैं ताऊ जी के घर गया तो मैंने भाभी को पहले ही देख लिया था कि भाभी बैठी हुई है.
अब मैं भाभी की तरफ बिना देखे ही जाता था ताकि वो अपना पल्लू डालकर अपना सुंदर मुखड़ा न छिपा ले.
फिर मैं भाभी को छुप कर देखता.
उस दिन मैंने देखा कि भाभी मेरी तरफ को थी और मुझे ही देख रही थी.
नजरें मिलते ही वो हंस दी.
मैं समझ गया कि भाभी पट सकती है.
वो मेरा वापस आने का इंतजार कर रही थी कि मैं कब ताऊ जी के यहां से वापस आऊं और वो मुझे देखे, फिर से मुझे नजरें चुरा कर पल्ला कर सके.
मुझे खुद भाभी को पटाना था इसलिए मैं जब वापस गया तो मैंने भाभी की तरफ नहीं देखा और सीधा आने लगा.
मैं रास्ते में खड़ा हो गया और भाभी को सुनाते हुए फोन पर झूठ मूठ की बात करने लगा.
मैंने आह भरते हुए कहा- सच में यार … तुम मुझे समझ ही नहीं रही हो. एक बार मुझे मिलने का मौका तो दो, खुश न कर दूँ तो कहना!
इसके बाद मैं भाभी की तरफ देखा तो वो समझ गई कि ये मैं उसी से कह रहा था.
मैंने भी कुछ ऐसी तिरछी नजर करके भाभी को देखा कि उसका खूबसूरत मुखड़ा दिख जाए.
वो हंसती हुई मुड़ गई और मैं अपना दिल सम्भालते हुए वापस आ गया.
मैंने दाना डाल दिया था, जो भाभी ने चुग लिया था.
इस बार भाभी ने मुँह नहीं ढका था.
वो इसलिए क्योंकि मैं अब भाभी की तरफ को बिना देखे आने जाने लगा था.
अब मेरे मन में सिर्फ एक ही बात चल रही थी कि भाभी को किस तरह से चोदूं.
मैंने एक दिन देखा कि भाभी के पास एक लड़की जाती है, उसका नाम कोमल था.
तो मैंने सोचा क्यों ना कोमल के जरिए अपनी बात भाभी के पास तक पहुंचा दी जाए.
दोस्तो, अच्छी बात यह थी कि कोमल मेरी क्लासमेट थी.
अब मैंने कोमल के पास भी जाना शुरू कर दिया.
जब भी मैं कोमल के पास जाता तो मैं भाभी की बात शुरू कर देता और भाभी की तारीफ भी खूब करता.
भाभी की मोटी मोटी चूची और उठी हुई मोटी गांड देखकर दिन पर दिन मेरी तो उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी.
मैंने एक दिन कोमल से कहा- कोमल, रेखा भाभी मुझे बहुत पसंद है. तू भाभी से मेरी बात करा दे. मुझे रात को नींद भी नहीं आती है और भूख भी नहीं लगती है. मेरा बहुत बुरा हाल है.
कोमल बोली- अंकित, तू क्या कह रहा है तू पागल तो नहीं है, उसकी अभी शादी हुई है. तू मुझे मरवाएगा क्या. देख मैं उससे कुछ नहीं कहने वाली.
मैं उदास होकर वहां से आ गया और सोचने लगा कि ये ही तो एक तरीका था भाभी को चोदने का, ये मौका भी गया.
अब मैं जब भी कोमल के पास जाता, तो उदास चेहरा लेकर जाता.
कोमल मुझसे पूछती- क्या हुआ?
और मैं कुछ नहीं कह कर जवाब देता.
कोलम को सब पता था कि मैं उदास क्यों हूं.
फिर एक दिन रेखा भाभी का फोन आया.
उस समय में कॉलेज में था.
जैसे ही मैंने कॉल उठाया, उधर से रेखा भाभी की हैलो कहने की आवाज आई.
रेखा भाभी की आवाज सुनकर तो मेरे रौंगटे खड़े हो गए, सारे शरीर में सनसनी सी होने लगी.
मैं आपको बता दूँ कि मैं रेखा भाभी की आवाज पहले ही सुन चुका था.
जिस नंबर से ये कॉल आई थी, वो नंबर मेरे फोन में पहले से ही सेव था तो मुझे लग ही रहा था कि कहीं फोन पर भाभी तो नहीं हैं.
भाभी के हैलो कहते ही मेरा लंड तो अंगड़ाई लेने लगा और मेरी पैंट के अन्दर लंड तंबू बनाता जा रहा था.
मैं मन ही मन में खुश हो रहा था कि अब भाभी को चोदने को मिल जाएगा.
मैंने भी कहा- हैलो जी कौन?
भाभी हंस कर बोलीं- आपको नहीं पता है क्या?
मैं- नहीं, वैसे कौन बोल रही हो?
भाभी- पहचानो, कौन बोल रही हूं?
मैं- आप रेखा भाभी बोल रही हो ना!
भाभी- हां, मैं ही बोल रही हूं लेकिन अपने मुझे पहचाना कैसे?
मैं- जिसकी याद रात दिन आती हो, उसे कैसे नहीं पहचान सकता.
भाभी- कहां हो?
मैं- अभी कॉलेज में हूं.
भाभी- ठीक है, कॉलेज से आ जाओ … फिर बात करते हैं.
मैं- ठीक है.
मैं घर आया और आते ही जैसे भाभी को देखा, तो भाभी साड़ी बांध कर मस्त लग रही थीं.
भाभी की पतली कमर देखकर मेरा लंड उफान मार रहा था और भाभी के बड़े बड़े गोल स्तनों को देखते ही लंड में भाभी को चोदने की बेचैनी हो रही थी.
तभी मैंने भाभी को इशारा किया और फोन करने को कहा.
भाभी मेरा इशारा देखकर फोन लेकर अन्दर को चली गई.
भाभी को मानो फोन का ही इंतजार था.
जैसे ही भाभी अन्दर गई, मैंने तुरंत कॉल मिला दी.
भाभी फोन के पास पहुंची ही होगी कि मेरे फोन की घंटी बज उठी.
भाभी कॉल उठकर बोली- हां बोलो.
मैं- और सुनाओ कैसी हो?
भाभी बोली- देखा नहीं क्या अभी कि कैसी थी?
मैं- देखा तो था, बड़ी कातिल लग रही हो, किसी का कत्ल करोगी क्या?
भाभी हंस कर बोली- कत्ल मतलब कैसे?
मैं- आप एकदम सेक्सी लग रही हो.
भाभी बोली- अच्छा जी, ये बताओ कि तुम कोमल से क्या कह रहे थे?
मैंने भी देर ना करते हुए कहा- भाभी, तुम्हें बहुत पसंद करता हूं, तुमको देखे बिना मन नहीं लगता है. मैं तुमसे बस एक बार मिलना चाहता हूँ.
भाभी- मैं एक शादीशुदा हूं.
मैं- मैं नहीं जानता, बस एक बार मिलना चाहता हूँ.
भाभी- एक बार मिलना चाहते हो या चोदना चाहते हो?
मैं भाभी की इतनी बेबाक बात से एकदम डर सा गया कि भाभी तो एकदम लाइन पर आ गई.
अब तो मैं भी भाभी से खुलकर बात करने लगा.
मैं- हां, कुछ भी समझ लो.
भाभी- क्या समझ लूं. साफ़ साफ कहो न?
मैं- सुनो यार मैं सच्ची बताऊं, तो तुमको देखकर तुम्हें चोदने का मन करता है.
भाभी- कैसे चोदोगे, क्या फोन से ही चोद दोगे?
मैं- नहीं यार तुम्हारे ऊपर चढ़कर चोदूंगा.
भाभी- तो देर किस बात की है … आ जाओ रात में!
मैंने कहा- मैं अभी आ जाता हूँ.
भाभी- अभी कैसे आओगे, वो यहीं पास में कहीं काम कर रहे हैं. कभी भी आ सकते हैं.
मैं- एक बार आने तो दो यार!
भाभी- नहीं, अभी रहने दो, फिर कभी.
मैं बात करते करते भाभी के घर पहुंच गया.
वहां कोई नहीं था.
भाभी किचन में खड़ी होकर मुझसे फोन पर बात कर रही थी.
मैंने धीरे से दरवाजा लगाया और किचन में चला गया.
भाभी की नंगी कमर को देखकर मैं मचल गया और अब तो मेरा लंड भी बाहर आना चाह रहा था.
मैंने पीछे से भाभी की कोली भर ली.
भाभी एकदम से डर गई और पलट कर मुझे देख कर बोली- अरे तुम इतनी जल्दी यहां भी आ गए. अभी नहीं, रात में आना, हटो कोई आ जाएगा, अभी तुम जाओ.
वे मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी.
तभी मैंने भाभी की गर्दन चूमते हुए कहा- मैंने दरवाजा लगा दिया है, कोई नहीं आ सकता है.
ये सुनकर भाभी थोड़ी ढीली पड़ गई.
अब मैंने भाभी की पीछे से मोटी सी गांड की दरार में अपना लंबा लंड लगा दिया और भाभी के मोटे मोटे मम्मे दबाने लगा.
मैं भाभी को पकड़ कर उसके होंठ चूसने चूमने लगा.
कुछ ही पलों में भाभी भी धीरे धीरे मेरा साथ देने लग गई थी.
मैंने भाभी का साड़ी का पल्लू नीचे गिराया और उसकी पहाड़ जैसे चूचियों पर टूट पड़ा.
जल्दी ही भाभी गर्म होने लगी. भाभी ने मेरी गर्दन पकड़कर अपने पहाड़ जैसे चूचों में दबाने लगी.
मैंने अपने दोनों हाथ भाभी की गांड पर रखकर उसकी गांड को भींचने लगा.
फिर मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया.
अन्दर भाभी ने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी.
मैंने ब्रा के हुक को खोल दिया.
जैसे ही हुक खुला, तो भाभी के मोटे मम्मे एकदम से बाहर आ गए.
आह सच में देखने लायक जलवा था.
भाभी की चूचियां एकदम गोल और आपस में चिपकी हुई तनी थीं, थोड़ी सी भी नीचे को नहीं गिर रही थीं.
सीन देख कर मेरा जोश और बढ़ गया. मैंने भाभी को ऊपर उठाया और किचन की स्लैब पर बैठा दिया. अगले ही पल मैंने भाभी के दोनों पैरों को खोल दिया और टांगों के बीच में खड़ा हो गया.
मैं भाभी के बड़े बड़े मम्मों से खेलने लगा. एक को चूसने लगा, दूसरे को मसलने लगा.
भाभी अपनी गर्दन पीछे को लटकाकर ‘आह आह उह उह …’ करने लगी.
नीचे से भी मेरा लंड भाभी की चूत पर टच हो रहा था.
शायद भाभी भी मेरा लंड लेने को बेताब थी.
मैंने ब्लाउज और ब्रा को उतार दिया और भाभी की कमर पकड़ कर अपनी जीभ को दोनों चुचियों के बीच फेरता हुआ भाभी के पेट पर फेरने लगा.
इससे भाभी मछली की तरह फड़फड़ाने लगी थी.
भाभी भी अपने एक हाथ को मेरे लंड पर फेरने लगी थी.
फिर भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया.
मेरा टाइट और गर्म लंड को भाभी ने कस कर अपने मुठ्ठी में भर लिया था.
मैं समझ गया था कि भाभी का मन करने लगा है कि वो मेरे लंड को अपनी चूत में घुसवा ले.
भाभी को मैंने उठाया और कमरे में आकर बिस्तर पर लिटा दिया.
मैंने उसकी साड़ी उतार कर अलग कर दी.
अगले ही पल मैंने भाभी का पेटीकोट खींचा और चड्डी उतार कर उसको बिल्कुल नंगी कर दिया.
भाभी का गोरा बदन मोती सा चमक रहा था और भाभी अपने गुलाबी होंठों को मींजती हुई काट रही थी.
ऐसा लग रहा था, जैसे भाभी बरसों की प्यासी थी.
आज मैं भाभी को चरम सीमा तक पहुंचाने वाला था.
मैंने भाभी के एक पैर को पकड़ कर उसे उलटा कर दिया और नंगा होकर भाभी की कमर से लग गया.
मैं भाभी से चिपक गया और बड़े बड़े स्तनों को दबाने लगा.
साथ ही मैं भाभी की कमर पर अपनी जीभ फेरने लगा.
भाभी अपनी कमर को हिलाने लगी.
मैंने भाभी के सारे बदन को अपनी जीभ से चाट रहा था.
कभी पेट चाट रहा था, कभी भाभी के बड़े मम्मे को मुँह में भर लेता, तो कभी गर्दन को चाटने लगता.
अब भाभी पूरी तरह से बेचैन हो गई थी और उसे रहा नहीं जा रहा था.
उसके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- आई आई अहा उह उह ईई … पागल ही कर दिया तुमने … आह मैं बहुत प्यासी हूँ. मेरी आग बुझा दो … अब मारोगे क्या … बस मुझसे और रुका नहीं जा रहा है.
मैंने भाभी की टांगों को खोला और भाभी के ऊपर चढ़ गया.
मैं अपने लंड का सुपारा भाभी की चूत पर फेरने लगा.
भाभी अब अपनी मस्ती में होकर मछली की तरह फड़फड़ाने लगी थी.
मैंने भाभी की चूत को खोलकर उसके बीच में अपने लंड के सुपारे को रख दिया और घुसाने लगा.
भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी थी. चुत के पानी से सुपारा चमचम करने लगा था.
मुझे गर्म चुत का अहसास बड़ा अच्छा लग रहा था.
मैं चुत में लंड नीचे से ऊपर को फेरने लगा.
भाभी बिस्तर से ऊपर को खिसकने लगी.
तभी मैंने अपना लंड भाभी के चूत के छेद पर ले जाकर अड़ा दिया और भाभी के ऊपर झुक कर उसके गुलाबी होंठों को चूसने लगा.
वो भी मेरे होंठों का मजा लेने लगी और गर्म सांसें छोड़ने लगी.
मैं अपनी छाती से भाभी की चूचियों को दबाने लगा.
भाभी अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर फेरती हुई मेरे पिछवाड़े पर फेरने लगी और मेरे पिछवाड़े को पकड़कर अपनी तरफ को खींच कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी.
मैंने भी हल्का सा दाब दे दिया.
जैसे ही चूत में लंड घुसा तो भाभी की सारी मस्ती काफूर हो गई और उसकी चीख निकलने को हो गई.
मगर होंठों पर मेरे होंठों का ढक्कन लगा था तो आवाज बाहर न निकल सकी.
फिर मैंने भाभी की चूत में लंड को दबाना शुरू किया.
धीरे से आधा लंड चुत में पेवस्त हो गया.
वो कुछ शांत हुई तो मैं जोर जोर से धक्के देने लगा. वो भी आह उन्ह करके लंड से चुदने का मजा लेने लगी.
कुछ ही मिनट में उसकी आंखों में तृप्ति के भाव आने लगे थे और बदन ऐंठने लगा था.
मैं समझ गया था कि ये जाने वाली है.
मैंने धक्के देता गया और तभी भाभी की चूत से थोड़ा थोड़ा पानी बाहर निकलने लगा था.
मैं भी अपने कठोर लंड को भाभी की चूत के रस में भिगोकर चूत चोदता जा रहा था.
सारे कमरे में पच पच की आवाज सुनाई दे रही थी.
अब भाभी का पानी निकलने वाला था.
वो एकदम से ऐंठ कर मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगी थी.
उस वक्त भाभी की वासना चरम पर आ गई थी. उसने अपनी जांघों को और ज्यादा खोल दिया था और अपनी चूत को मेरे लंड में घुसाने लगी थी.
वो जोर जोर से सिसकारियां निकालने लगी थी- आह चोदो … आह मजा आ रहा है आह चोदो आंह …
मैं भाभी का ये रूप देख कर मस्त हो गया और उसकी चूत में और जोर जोर से धक्का देने लगा.
मैं उस समय अपनी पूरी जान लगाकर भाभी की चूत में धक्के लगा रहा था.
तभी मेरे दमदार धक्कों को झेलती हुई भाभी ने अपनी चूत का पानी बाहर निकाल दिया.
जैसे ही भाभी की चूत से लंड बाहर निकाला, तो मैंने देखा कि भाभी की चूत से लावा बाहर निकलकर बिस्तर पर टपकने लगा था.
पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था.
भाभी ने एक दो पल बाद आंखें खोलीं और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई.
मैंने लंड हिलाया तो बोली- अभी झड़ा नहीं ये?
तो मैंने कहा- मेरी जान, ये तेरे देवर का हथियार है. इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं है. अब तुम जल्दी से घोड़ी बन जाओ.
भाभी जैसे ही घोड़ी बनी, मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और ताबड़तोड़ चोदने लगा.
मेरे तेज तेज धक्कों से भाभी की चीख निकल पड़ी थी.
कुछ देर बाद मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था, तो मैंने उससे पूछा- किधर लोगी?
वो बोली- अन्दर ही आ जाओ देवर जी.
बस मैं मानो पिल पड़ा.
मैंने 6-7 धक्के मारे तो मेरा भी पानी निकल गया.
फिर मैंने भाभी की चूत से अपना लंड बाहर निकाला और भाभी के मुँह के तरफ देखा तो भाभी की आंखों से आंसू निकल आए थे.
भाभी की आंखों में मेरे लिए प्यार उमड़ आया था और ये ख़ुशी के आंसू थे.
अभिषेक के लंड में जान ही नहीं थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.