01-02-2023, 06:07 PM
पायल अपनी साँसों को संवारती हुई, अपने जोश को इकठ्ठा करती हुई एक झटके के साथ पलट गयी।
तो मैं समझ गया कि अब पायल कमान को अपने हाथ में लेना चाहती है।
मैं भी थोड़ा मौज करने के मूड में था तो सीधा होकर लेट गया और पायल को खुली छूट दे दी।
पायल ने मेरे पूरे शरीर का जायज़ा लिया और थोड़े गुस्से से मुझे देखा।
मेरे बदन के कपड़े अभी जैसे के तैसे ही थे क्यूंकि अभी तक शिकारी तो मैं ही था।
पर अब मेरा शिकार होने का नंबर था।
पायल ने बड़े प्यार से पहले मेरी कमीज खोली, फिर बेल्ट खोली, फिर जीन्स … धीरे से मेरी जीन्स को मेरे बदन से अलग करते हुए पायल मुझे सवालिया निगाह से देखने लगी।
मैं भी बेशरम सा लेटा रहा क्यूंकि मैं जानता था कि मैं पूरी तरह से पायल के जज्बात भड़का चुका था और यह भी कि अब पायल बहुत देर तक इंतज़ार नहीं कर सकती थी।
हुआ भी ऐसा ही … पायल बहुत देर इंतज़ार नहीं कर सकी और उसने झटके से मेरी कमीज़ मेरे बदन से अलग करने की कोशिश की।
थोड़ी ही देर में मैं पायल के सामने निर्वस्त्र पड़ा था और वो मुझे ललचाती नज़रों से ऐसे देख रही थी कि एक बार को तो मुझे ये सोच कर डर लग गया, जाने ये भूखी शेरनी अब क्या करेगी!
अगर मेरे बदन पर कुछ बचा था तो वो थी मेरी फ्रेंची और पायल की ललचाती नज़र!
पायल ने कोई समय व्यर्थ ना करते हुए सीधे मेरे होंठों से शुरुआत की और उसके हाथ मेरे बदन को एक कोने से दूसरे कोने तक नापने का काम कर रहे थे।
कुछ ही देर में पायल के हाथ मेरे लण्ड पर थे और होंठ मेरी गर्दन से होते हुए मेरी छाती को गीला और लाल कर रहे थे।
पायल बहुत कामुक हो चुकी थी और बेदर्दी से मेरे लण्ड से खेल रही थी।
उसके दांत भी मेरे शरीर पर जगह जगह काटते हुए निशान छोड़ते जा रहे थे।
पायल ने मुझे बेइंतहा लव बाईट दी थीं और वो इतनी गर्म थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
नीचे जाते हुए पायल ने मेरी नाभि को तबीयत से चूमा-चाटा और फिर वो मेरे लण्ड पर पहुंच कर रुक गयी जो अब भी मेरी फ्रेंची में कैद था।
मेरा लण्ड अपने विकराल रूप में था और पायल की आँखों में उसका वहशीपन मैं साफ़ देख सकता था।
इससे पहले मैं कुछ करता, पायल ने मेरी फ्रेंची को दोनों हाथों से पकड़ कर खींचा।
पायल का झटकना इतना तेज़ था कि उससे मेरी फ्रेंची कुछ फट भी गयी।
मैंने उसको उतारने की कोशिश की पर पायल तो जैसे पागलपन के आगोश में थी।
उसने मेरी एक ना सुनी और वो मेरी फ्रेंची को फाड़ कर मेरे बदन से अलग करने की कोशिश करती रही … जब तक कि वो मेरे बदन से अलग नहीं हो गयी।
इतने पर भी पायल रुकी नहीं, उसने सीधा मेरे लण्ड पर निशाना लगाया और अगले ही पल वो मेरे लण्ड और गेंदों को बेदर्दी से को मसल रही थी; कभी उसको चाट लेती तो कभी चूसने लगती।
ब्लोजॉब सेक्स के बीच बीच में पायल मेरे टट्टों को भी अपने हाथों में भर लेती जिससे मुझे दर्द भी होता पर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी।
मैंने उसको रोकने की कोशिश भी की तो वो सिर्फ इतना कहती- राहुल, आज मत रोकना। मैं बहुत समय से अधूरी हूँ। मुझे पूरा कर दो आज!
पायल ने मेरा लण्ड चूसा, मेरे टट्टे भी चूसे, यहाँ तक कि पायल ने अपनी जीभ को मेरे लण्ड से लेकर मेरी गांड तक फिराया।
उसने मेरे पैरों को ऊपर उठाते हुए मेरे घुटनों को मेरे सीने से लगा दिया जिससे मेरी गांड खुल कर पायल के सामने आ गयी।
आप सभी मेरी पोजीशन को अपने जेहन में सोच सकते हैं कि कैसे पायल ने मुझे एक गुलाम की तरह हासिल कर रखा था।
अब पायल ने अपनी जीभ को मेरी गांड पे फेरना शुरू कर दिया और बीच बीच में वो मेरी गांड में अपनी जीभ को थोड़ा नुकीली करके अंदर को भी धकेलने लगी।
उसने मेरी गांड पर अपने दांत भी जमाने चाहे पर ऐसा करने में उसको कोई खासी सफलता नहीं मिली।
मैंने उसकी गिरफ्त से छूटने की नाकाम कोशिश भी की पर पायल ने मेरे घुटनों को ढंग से पकड़ रखा था जिससे उसको अपने मन की करने देने के अलावा मैं कुछ भी नहीं कर सका।
पायल ने मेरी गांड को बहुत देर तक चाटा और फिर ये मेरे लिए एक नया अनुभव था क्यूंकि कभी किसी ने मेरी गांड को नहीं चाटा था।
जब भी वो मेरी गांड पर अपनी जीभ फेरती, मेरी सांसें तो जैसे रुक ही जाती।
पायल ने मेरी टांगों को हवा में उठा कर मेरी गांड पर पूरा स्वामित्व जमा लिया और अपनी जीभ मेरी गांड में खूब फेरी।
पायल कभी मेरी गांड चूसती तो कभी लण्ड को चूसती तो कभी टट्टों को चाट लेती।
वो बीच बीच में मेरी जाँघों पर भी जीभ फेर देती तो कभी जाँघों पर काट लेती।
पायल के साथ ये अनुभव अपने आप में एक नया अनुभव था।
जितना मैंने पायल को तड़पाया था, उससे कुछ ज्यादा ही वो मुझे तड़पा रही थी … पर मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था।
पर सबसे ज्यादा खौफ तो मेरे मन में इस बात का था कि कहीं वो मेरी गांड में अपनी उंगली या अंगूठा ना घुसेड़ दे।
मैंने अपनी गांड आज तक सबसे बचा कर रखी थी.
लण्ड तो वो कुछ ऐसे चूस रही थी जैसे मेरे लण्ड से ही मेरे प्राण निकाल लेगी चूसते चूसते!
पायल मेरी गांड को छोड़ने को तैयार नहीं थी और मुझे इस मुद्रा में अब थोड़ी तकलीफ महसूस हो रही थी।
उसकी पकड़ से छूटने के मेरे अब तक के सभी प्रयास विफल हो चुके थे।
तो मैंने पायल के सिर को अपनी गांड में दबाना शुरू किया।
शुरू में तो उसको कोई दिक्कत नहीं हुई पर मैंने थोड़ा जोर लगाया जिससे उसका दम घुटने लगा और पायल ने मेरे घुटने छोड़ पहले खुद को संभाला।
मैं पायल की पकड़ से आज़ाद हुआ और समझ गया कि इस भूखी शेरनी को ऐसा मौका दोबारा नहीं देना है।
मैंने अभी तक पायल के चूचे नहीं चूसे थे और मेरा मन उनको चूसने को मतवाला हुआ जा रहा था।
यहाँ तक कि अब तक पायल की ब्रा भी मैंने खोली नहीं थी।
यूँ तो पायल की ब्रा उसके बड़े खरबूजे जैसे चूचों को छुपाने में असमर्थ थी पर उसकी चूचियां नंगी किये बिना कहाँ समां बनता।
जैसा आप जानते हो कि मुझे स्खलित होने को चूत की गर्मी या हाथों की फुर्ती, दोनों में से एक तो चाहिए … इसलिए, पायल के कितने भी प्रयासों से मैंने झड़ना तो था ही नहीं।
तो मैंने पायल को अपने लण्ड और गांड से अलग करने के बाद लेटने को कहा और उसके ऊपर आकर मैंने अगला वार सीधा पायल के चूचों पर किया।
एक चूचे को एक हाथ से मसलता तो दूसरे को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसता और काट लेता।
उसके चूचों को चूस – चूस कर मैंने उसकी ब्रा को यूँ गीला कर दिया था जैसे उसने गीली ब्रा ही पहनी हो।
पायल ने थक कर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरे बूब्स नंगे नहीं देखना चाहते राहुल?
उसका इतना कहना था कि मैंने पायल की ब्रा को उसके बदन से अलग करने में एक पल की भी देरी नहीं की.
और मेरे होश तब उड़ गए जब मैंने देखा कि उसकी निप्पल हल्के भूरे थे पर उसके निप्पल का सिक्का एकदम गुलाबी।
इतना गुलाबी कि गौर से देखने पर ही वो नज़र आ रहा था।
आज मैंने इन गुलाबी सिक्कों को लाल करके ही छोड़ना था।
और अभी तो जो उसने मेरे साथ किया था, उसका परिणाम भी पायल को भुगतना ही था।
मैंने आव देखा ना ताव, सीधा पायल के निप्पल पर होंठ रख दिए और उनको बेदर्दी से चूसने और काटने लगा।
पायल भी जैसे हवा में उड़ रही थी पर उसने अभी तक किसी चीज़ को ना नहीं कहा था।
कुछ ही देर में मैंने पायल के दोनों चूचों को चूस चूस कर कहीं लाल तो कहीं गुलाबी कर दिया था।
बीच बीच में रहकर मैं पायल के चूचों पर एक दो चांटे भी लगा देता जिससे वो दर्द से तड़प कर रह जाती।
जब मैं उसके चूचों को ज़ोरों से दबा कर चूसता तो उसके निप्पल से हल्का सा पानी भी बाहर आता जिसका स्वाद जरा खट्टा सा था।
पर मुझे तो हर चीज़ अमृत जैसा ही स्वाद दे रही थी तो मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे आज इसके सारे बदन का स्वाद चख लेना था।
आखिर मैं कई सालों से इसको भोगने को तरस जो रहा था।
और अभी तो पायल को मुझे इतने सालों तक सताने की सज़ा भी मिलनी बाकी थी।
मैं पायल के चूचे चूसते हुए कभी कभी उसकी चूत में भी उंगली कर रहा था और अब तक उसकी चूत मेरी उंगली के लिए अभ्यस्त भी हो चुकी थी।
पायल आसानी से मेरी पूरी उंगली अपनी चूत में ले रही थी और अपनी गांड उठा उठा कर मुझे इशारा भी कर रही थी कि अब और नहीं सहा जाता … आओ और काम पूरा करो।
मैंने पायल के ऊपर खुद को कुछ यूँ पोजीशन किया कि मैं जब चाहूँ पायल की चूत में अपना लण्ड पेल सकूँ।
बीच बीच में पायल की चूत पर लण्ड से टक्कर भी मार देता पर इंतज़ार उस पल का था जब पायल का ध्यान मेरे लण्ड पर ना हो और मैं उसकी चूत में प्रहार कर सकूँ।
मैंने पायल के चूचों से चूत की तरफ रुख किया, उसकी चूत को चूमा और वापस चूचों पर आकर जो उसके निप्पल पर अपने दांत जमाये … उसका ध्यान मेरे काटने से होने वाले दर्द की तरफ हुआ … पायल थोड़ी पगलाई और मुझे उसकी चूत में लण्ड पेलने का मौका मिल गया.
मैंने एक ज़ोरदार धक्के के साथ अपना लण्ड पायल की चूत में समां दिया।
पायल की चूत इतनी टाइट थी कि इतने ज़ोरदार धक्के के बाद भी मेरा पूरा लण्ड उसके अंदर नहीं घुस पाया।
वह इसके लिए तैयार नहीं थी और उसकी इतनी ज़ोर की चीख निकली कि मैं यह सोच कर डर गया कहीं कोई अड़ोसी पड़ोसी उसकी चीख सुनकर आ ना जायें।
पर आप सब जानते हो कि चोदने की अगन के आगे सब बेकार है।
पकड़े जाने के डर पर पायल की चूत को भोगने की ललक ज्यादा हावी रही.
और इससे पहले कि पायल अपनी सांस संभालती, मैंने एक और ज़ोरदार झटका उसकी चूत में लगा दिया।
इतने पर भी मेरा लण्ड अभी उसकी चूत से थोड़ा बाहर ही था … पूरा अंदर नहीं पंहुचा था.
मगर पायल की हालत यूँ हो गयी जैसे उसका दम ही घुट के रह गया हो।
शायद वो इसके लिए तैयार ही नहीं थी।
उसने सोचा होगा कि जैसे उसका पति उसके साथ प्यार से सम्भोग करता है, वैसे ही ये आशिक़ भी करेगा।
पर वो नहीं जानती थी कि मेरे अंदर की आग उसके लिए कई सालों से हिलौरें मार रही थी और पहली चुदाई होनी ही ताबड़तोड़ थी।
फिर जैसे उसने थोड़ी देर पहले मुझे तड़पाया था, उसका हिसाब भी तो मैंने सूद समेत करना ही था।
मैंने पायल को देखा, उसकी गर्दन दीवान से नीचे को झूल गयी थी … चेहरा लाल हो चुका था … आँखें आधी बंद थीं और आधी खुली … आँखों के कोनों से छोटे छोटे भी आंसू बह रहे थे … मुँह से एक कराह निकल रही थी … उसने चादर को मुट्ठी में भींच लिया जैसे उस पर बहुत ज़ोर पड़ रहा हो … चेहरे पर संतुष्टि थी.
पायल जैसे थोड़ी काँप रही थी पर उसकी चूत में गर्मी बढ़ती जा रही थी।
ये तपिश मेरे लण्ड को पिघलाने को काफी से भी ज्यादा थी।
पायल की कराहटें तेज़ थीं तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करने की सोची।
मेरे लण्ड को उसकी चूत में समाने के लिए एक आखरी धक्के की जरूरत थी और मैं शायद अपने आपे में नहीं था।
पायल की हालत देख कर भी मुझे उस पर कोई तरस नहीं आया … दिमाग में कुछ था तो सिर्फ और सिर्फ अपने लण्ड को उसकी चूत में पूरा पेलने का इरादा।
मैंने अपने होंठ पायल के होंठों पर रखे और आखरी प्रहार कर दिया।
तो मैं समझ गया कि अब पायल कमान को अपने हाथ में लेना चाहती है।
मैं भी थोड़ा मौज करने के मूड में था तो सीधा होकर लेट गया और पायल को खुली छूट दे दी।
पायल ने मेरे पूरे शरीर का जायज़ा लिया और थोड़े गुस्से से मुझे देखा।
मेरे बदन के कपड़े अभी जैसे के तैसे ही थे क्यूंकि अभी तक शिकारी तो मैं ही था।
पर अब मेरा शिकार होने का नंबर था।
पायल ने बड़े प्यार से पहले मेरी कमीज खोली, फिर बेल्ट खोली, फिर जीन्स … धीरे से मेरी जीन्स को मेरे बदन से अलग करते हुए पायल मुझे सवालिया निगाह से देखने लगी।
मैं भी बेशरम सा लेटा रहा क्यूंकि मैं जानता था कि मैं पूरी तरह से पायल के जज्बात भड़का चुका था और यह भी कि अब पायल बहुत देर तक इंतज़ार नहीं कर सकती थी।
हुआ भी ऐसा ही … पायल बहुत देर इंतज़ार नहीं कर सकी और उसने झटके से मेरी कमीज़ मेरे बदन से अलग करने की कोशिश की।
थोड़ी ही देर में मैं पायल के सामने निर्वस्त्र पड़ा था और वो मुझे ललचाती नज़रों से ऐसे देख रही थी कि एक बार को तो मुझे ये सोच कर डर लग गया, जाने ये भूखी शेरनी अब क्या करेगी!
अगर मेरे बदन पर कुछ बचा था तो वो थी मेरी फ्रेंची और पायल की ललचाती नज़र!
पायल ने कोई समय व्यर्थ ना करते हुए सीधे मेरे होंठों से शुरुआत की और उसके हाथ मेरे बदन को एक कोने से दूसरे कोने तक नापने का काम कर रहे थे।
कुछ ही देर में पायल के हाथ मेरे लण्ड पर थे और होंठ मेरी गर्दन से होते हुए मेरी छाती को गीला और लाल कर रहे थे।
पायल बहुत कामुक हो चुकी थी और बेदर्दी से मेरे लण्ड से खेल रही थी।
उसके दांत भी मेरे शरीर पर जगह जगह काटते हुए निशान छोड़ते जा रहे थे।
पायल ने मुझे बेइंतहा लव बाईट दी थीं और वो इतनी गर्म थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
नीचे जाते हुए पायल ने मेरी नाभि को तबीयत से चूमा-चाटा और फिर वो मेरे लण्ड पर पहुंच कर रुक गयी जो अब भी मेरी फ्रेंची में कैद था।
मेरा लण्ड अपने विकराल रूप में था और पायल की आँखों में उसका वहशीपन मैं साफ़ देख सकता था।
इससे पहले मैं कुछ करता, पायल ने मेरी फ्रेंची को दोनों हाथों से पकड़ कर खींचा।
पायल का झटकना इतना तेज़ था कि उससे मेरी फ्रेंची कुछ फट भी गयी।
मैंने उसको उतारने की कोशिश की पर पायल तो जैसे पागलपन के आगोश में थी।
उसने मेरी एक ना सुनी और वो मेरी फ्रेंची को फाड़ कर मेरे बदन से अलग करने की कोशिश करती रही … जब तक कि वो मेरे बदन से अलग नहीं हो गयी।
इतने पर भी पायल रुकी नहीं, उसने सीधा मेरे लण्ड पर निशाना लगाया और अगले ही पल वो मेरे लण्ड और गेंदों को बेदर्दी से को मसल रही थी; कभी उसको चाट लेती तो कभी चूसने लगती।
ब्लोजॉब सेक्स के बीच बीच में पायल मेरे टट्टों को भी अपने हाथों में भर लेती जिससे मुझे दर्द भी होता पर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी।
मैंने उसको रोकने की कोशिश भी की तो वो सिर्फ इतना कहती- राहुल, आज मत रोकना। मैं बहुत समय से अधूरी हूँ। मुझे पूरा कर दो आज!
पायल ने मेरा लण्ड चूसा, मेरे टट्टे भी चूसे, यहाँ तक कि पायल ने अपनी जीभ को मेरे लण्ड से लेकर मेरी गांड तक फिराया।
उसने मेरे पैरों को ऊपर उठाते हुए मेरे घुटनों को मेरे सीने से लगा दिया जिससे मेरी गांड खुल कर पायल के सामने आ गयी।
आप सभी मेरी पोजीशन को अपने जेहन में सोच सकते हैं कि कैसे पायल ने मुझे एक गुलाम की तरह हासिल कर रखा था।
अब पायल ने अपनी जीभ को मेरी गांड पे फेरना शुरू कर दिया और बीच बीच में वो मेरी गांड में अपनी जीभ को थोड़ा नुकीली करके अंदर को भी धकेलने लगी।
उसने मेरी गांड पर अपने दांत भी जमाने चाहे पर ऐसा करने में उसको कोई खासी सफलता नहीं मिली।
मैंने उसकी गिरफ्त से छूटने की नाकाम कोशिश भी की पर पायल ने मेरे घुटनों को ढंग से पकड़ रखा था जिससे उसको अपने मन की करने देने के अलावा मैं कुछ भी नहीं कर सका।
पायल ने मेरी गांड को बहुत देर तक चाटा और फिर ये मेरे लिए एक नया अनुभव था क्यूंकि कभी किसी ने मेरी गांड को नहीं चाटा था।
जब भी वो मेरी गांड पर अपनी जीभ फेरती, मेरी सांसें तो जैसे रुक ही जाती।
पायल ने मेरी टांगों को हवा में उठा कर मेरी गांड पर पूरा स्वामित्व जमा लिया और अपनी जीभ मेरी गांड में खूब फेरी।
पायल कभी मेरी गांड चूसती तो कभी लण्ड को चूसती तो कभी टट्टों को चाट लेती।
वो बीच बीच में मेरी जाँघों पर भी जीभ फेर देती तो कभी जाँघों पर काट लेती।
पायल के साथ ये अनुभव अपने आप में एक नया अनुभव था।
जितना मैंने पायल को तड़पाया था, उससे कुछ ज्यादा ही वो मुझे तड़पा रही थी … पर मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था।
पर सबसे ज्यादा खौफ तो मेरे मन में इस बात का था कि कहीं वो मेरी गांड में अपनी उंगली या अंगूठा ना घुसेड़ दे।
मैंने अपनी गांड आज तक सबसे बचा कर रखी थी.
लण्ड तो वो कुछ ऐसे चूस रही थी जैसे मेरे लण्ड से ही मेरे प्राण निकाल लेगी चूसते चूसते!
पायल मेरी गांड को छोड़ने को तैयार नहीं थी और मुझे इस मुद्रा में अब थोड़ी तकलीफ महसूस हो रही थी।
उसकी पकड़ से छूटने के मेरे अब तक के सभी प्रयास विफल हो चुके थे।
तो मैंने पायल के सिर को अपनी गांड में दबाना शुरू किया।
शुरू में तो उसको कोई दिक्कत नहीं हुई पर मैंने थोड़ा जोर लगाया जिससे उसका दम घुटने लगा और पायल ने मेरे घुटने छोड़ पहले खुद को संभाला।
मैं पायल की पकड़ से आज़ाद हुआ और समझ गया कि इस भूखी शेरनी को ऐसा मौका दोबारा नहीं देना है।
मैंने अभी तक पायल के चूचे नहीं चूसे थे और मेरा मन उनको चूसने को मतवाला हुआ जा रहा था।
यहाँ तक कि अब तक पायल की ब्रा भी मैंने खोली नहीं थी।
यूँ तो पायल की ब्रा उसके बड़े खरबूजे जैसे चूचों को छुपाने में असमर्थ थी पर उसकी चूचियां नंगी किये बिना कहाँ समां बनता।
जैसा आप जानते हो कि मुझे स्खलित होने को चूत की गर्मी या हाथों की फुर्ती, दोनों में से एक तो चाहिए … इसलिए, पायल के कितने भी प्रयासों से मैंने झड़ना तो था ही नहीं।
तो मैंने पायल को अपने लण्ड और गांड से अलग करने के बाद लेटने को कहा और उसके ऊपर आकर मैंने अगला वार सीधा पायल के चूचों पर किया।
एक चूचे को एक हाथ से मसलता तो दूसरे को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसता और काट लेता।
उसके चूचों को चूस – चूस कर मैंने उसकी ब्रा को यूँ गीला कर दिया था जैसे उसने गीली ब्रा ही पहनी हो।
पायल ने थक कर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरे बूब्स नंगे नहीं देखना चाहते राहुल?
उसका इतना कहना था कि मैंने पायल की ब्रा को उसके बदन से अलग करने में एक पल की भी देरी नहीं की.
और मेरे होश तब उड़ गए जब मैंने देखा कि उसकी निप्पल हल्के भूरे थे पर उसके निप्पल का सिक्का एकदम गुलाबी।
इतना गुलाबी कि गौर से देखने पर ही वो नज़र आ रहा था।
आज मैंने इन गुलाबी सिक्कों को लाल करके ही छोड़ना था।
और अभी तो जो उसने मेरे साथ किया था, उसका परिणाम भी पायल को भुगतना ही था।
मैंने आव देखा ना ताव, सीधा पायल के निप्पल पर होंठ रख दिए और उनको बेदर्दी से चूसने और काटने लगा।
पायल भी जैसे हवा में उड़ रही थी पर उसने अभी तक किसी चीज़ को ना नहीं कहा था।
कुछ ही देर में मैंने पायल के दोनों चूचों को चूस चूस कर कहीं लाल तो कहीं गुलाबी कर दिया था।
बीच बीच में रहकर मैं पायल के चूचों पर एक दो चांटे भी लगा देता जिससे वो दर्द से तड़प कर रह जाती।
जब मैं उसके चूचों को ज़ोरों से दबा कर चूसता तो उसके निप्पल से हल्का सा पानी भी बाहर आता जिसका स्वाद जरा खट्टा सा था।
पर मुझे तो हर चीज़ अमृत जैसा ही स्वाद दे रही थी तो मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे आज इसके सारे बदन का स्वाद चख लेना था।
आखिर मैं कई सालों से इसको भोगने को तरस जो रहा था।
और अभी तो पायल को मुझे इतने सालों तक सताने की सज़ा भी मिलनी बाकी थी।
मैं पायल के चूचे चूसते हुए कभी कभी उसकी चूत में भी उंगली कर रहा था और अब तक उसकी चूत मेरी उंगली के लिए अभ्यस्त भी हो चुकी थी।
पायल आसानी से मेरी पूरी उंगली अपनी चूत में ले रही थी और अपनी गांड उठा उठा कर मुझे इशारा भी कर रही थी कि अब और नहीं सहा जाता … आओ और काम पूरा करो।
मैंने पायल के ऊपर खुद को कुछ यूँ पोजीशन किया कि मैं जब चाहूँ पायल की चूत में अपना लण्ड पेल सकूँ।
बीच बीच में पायल की चूत पर लण्ड से टक्कर भी मार देता पर इंतज़ार उस पल का था जब पायल का ध्यान मेरे लण्ड पर ना हो और मैं उसकी चूत में प्रहार कर सकूँ।
मैंने पायल के चूचों से चूत की तरफ रुख किया, उसकी चूत को चूमा और वापस चूचों पर आकर जो उसके निप्पल पर अपने दांत जमाये … उसका ध्यान मेरे काटने से होने वाले दर्द की तरफ हुआ … पायल थोड़ी पगलाई और मुझे उसकी चूत में लण्ड पेलने का मौका मिल गया.
मैंने एक ज़ोरदार धक्के के साथ अपना लण्ड पायल की चूत में समां दिया।
पायल की चूत इतनी टाइट थी कि इतने ज़ोरदार धक्के के बाद भी मेरा पूरा लण्ड उसके अंदर नहीं घुस पाया।
वह इसके लिए तैयार नहीं थी और उसकी इतनी ज़ोर की चीख निकली कि मैं यह सोच कर डर गया कहीं कोई अड़ोसी पड़ोसी उसकी चीख सुनकर आ ना जायें।
पर आप सब जानते हो कि चोदने की अगन के आगे सब बेकार है।
पकड़े जाने के डर पर पायल की चूत को भोगने की ललक ज्यादा हावी रही.
और इससे पहले कि पायल अपनी सांस संभालती, मैंने एक और ज़ोरदार झटका उसकी चूत में लगा दिया।
इतने पर भी मेरा लण्ड अभी उसकी चूत से थोड़ा बाहर ही था … पूरा अंदर नहीं पंहुचा था.
मगर पायल की हालत यूँ हो गयी जैसे उसका दम ही घुट के रह गया हो।
शायद वो इसके लिए तैयार ही नहीं थी।
उसने सोचा होगा कि जैसे उसका पति उसके साथ प्यार से सम्भोग करता है, वैसे ही ये आशिक़ भी करेगा।
पर वो नहीं जानती थी कि मेरे अंदर की आग उसके लिए कई सालों से हिलौरें मार रही थी और पहली चुदाई होनी ही ताबड़तोड़ थी।
फिर जैसे उसने थोड़ी देर पहले मुझे तड़पाया था, उसका हिसाब भी तो मैंने सूद समेत करना ही था।
मैंने पायल को देखा, उसकी गर्दन दीवान से नीचे को झूल गयी थी … चेहरा लाल हो चुका था … आँखें आधी बंद थीं और आधी खुली … आँखों के कोनों से छोटे छोटे भी आंसू बह रहे थे … मुँह से एक कराह निकल रही थी … उसने चादर को मुट्ठी में भींच लिया जैसे उस पर बहुत ज़ोर पड़ रहा हो … चेहरे पर संतुष्टि थी.
पायल जैसे थोड़ी काँप रही थी पर उसकी चूत में गर्मी बढ़ती जा रही थी।
ये तपिश मेरे लण्ड को पिघलाने को काफी से भी ज्यादा थी।
पायल की कराहटें तेज़ थीं तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करने की सोची।
मेरे लण्ड को उसकी चूत में समाने के लिए एक आखरी धक्के की जरूरत थी और मैं शायद अपने आपे में नहीं था।
पायल की हालत देख कर भी मुझे उस पर कोई तरस नहीं आया … दिमाग में कुछ था तो सिर्फ और सिर्फ अपने लण्ड को उसकी चूत में पूरा पेलने का इरादा।
मैंने अपने होंठ पायल के होंठों पर रखे और आखरी प्रहार कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.