01-02-2023, 09:39 AM
हम दोनों एक बार चुदाई करने के बाद बिस्तर पर लेटे हुए थे और मैं उसके सो चुके लंड को देख रही थी.
उसका लंड सिकुड़ा हुआ भी काफी बड़ा लग रहा था.
मैं इतना जान गई थी कि मेरी चूत जो कि अभी तक लंड की भूखी रहा रही थी, वो पूरी तरह से खुश रहा करेगी.
दोस्तो, आधा घंटा आराम करने के बाद मेरे अन्दर फिर से चुदाई का कीड़ा जागने लगा.
सुब्बाराव उस वक्त भी आंख बंद किए हुए लेटा हुआ था.
मैंने एक करवट ली और सुब्बाराव के और पास पहुंच गई.
अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए मैंने उसके सीने में रखा, जिससे सुब्बाराव की आंख खुल गई.
उसने मेरी तरफ देखा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई.
बेबाक तरीके से उसने मुझसे पूछा- कैसा लगा मैडम आपको?
मैं- बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा, आज तुमने मुझे वो मजा दिया है, जो मैं चाहती थी.
सुब्बाराव- तो इसका मतलब है कि मैं आपको अच्छा लगा?
मैं- हां बिल्कुल, क्यों नहीं. लेकिन ये बात इतनी ज्यादा गुप्त रहनी चाहिए कि कभी किसी को भनक तक नहीं लगनी चाहिए कि हम दोनों ऐसा काम करते हैं.
सुब्बाराव- बिल्कुल भी नहीं मैडम जी, आप इसके लिए पूरी तरह से बेफिक्र रहिए. मैं पूरी तरह से कोशिश करूंगा कि आपको हर तरह से खुश करूं.
उससे बात करते हुए मेरा हाथ उसके सीने पर चल रहा था और मैंने उससे कहा- सुब्बाराव, तुम अपने सीने के बाल साफ करवा लो.
वो- क्यों मैडम जी?
मैं- बस ऐसे ही, मुझे सीने के बाल पसंद नहीं हैं.
वो- जी बिल्कुल मैडम जी, कल ही साफ हो जाएंगे.
मैंने उससे पूछा- सुब्बाराव, तुम्हें मैं कैसी लगी?
वो- सच बताऊं मैडम जी, आप इतनी खूबसूरत हो कि आपके साथ ये सब करना मेरे लिए नसीब की बात है. आप जैसी परी को भोगना मेरे जैसे छोटे आदमी के लिए बहुत बड़ी बात है. आपका हर अंग किसी कयामत से कम नहीं है और खासकर आपकी चूत इतनी गुलाबी है कि ऐसी चूत मैंने आज पहली बार देखी है.
अब मेरा हाथ सुब्बाराव के लंड पर चला गया जो ढीला पड़ा हुआ था. मैंने उसे अपनी मुट्ठी में भर कर सहलाना शुरू कर दिया.
जल्द ही उसके लंड में कसाव आना शुरू हो गया.
मैंने सुब्बाराव से बोला- तुम मेरे साथ बिल्कुल खुलकर सेक्स करना, बिल्कुल भी शर्माना मत, जो बोलना हो बोल देना, जितना ही गंदा करना हो, मेरे साथ करना. मुझे कभी बुरा नहीं लगेगा.
इसके बाद उसने कहा- एक बात पूछ सकता हूँ मैडम जी?
मैं- हां पूछो.
वो- क्या आपने लंड चूसा है?
मैं उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुराई और बोली- आज तक तो नहीं, लेकिन चूसना जरूर चाहती हूँ.
इतना बोलने के बाद मैं उठी और उसके लंड की तरफ बढ़ गई.
उसके लंड के पास अपना चेहरा ले जाकर अपने होंठों से उसके लंड को एक बार चूमा.
लंड से एक अजीब सी गंध आ रही थी लेकिन वो गंध पाकर मुझमें और ज्यादा उत्तेजना आ गई.
वो बेहद ही कामुक गंध थी.
मैं अपने होंठों को लंड पर चारों तरफ चलाने लगी और एक हाथ से उसके अंडकोष को सहलाने लगी.
जल्द ही सुब्बाराव का लंड अपने पूरे आकार में आ गया.
इधर सुब्बाराव अपना एक हाथ बढ़ाकर मेरी बड़ी और चिकनी गांड को सहला रहा था.
अब मैं उसके सुपारे को गौर से देखने लगी और अपनी जीभ निकाल कर सुपारे पर चलाने लगी.
उसका लंड काला जरूर था लेकिन मुझे बेहद रोमांचित कर रहा था.
उसे देखकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी अफ्रीकन नीग्रो के साथ हूँ.
मैंने पोर्न फिल्मों में देखा था कि अफ्रीकी काला आदमी एक गोरी विदेशी लड़की के साथ सेक्स करता है. सुब्बाराव भी मुझे कुछ कुछ वैसा ही लग रहा था.
मैं अपनी जीभ उसके सुपारे पर चलाती जा रही थी.
जल्द ही मैंने उसका सुपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और किसी कुल्फी की तरह आगे पीछे करते हुए चूसने लगी.
यह मेरे लिए पहला अनुभव था कि मैं किसी का लंड चूस रही थी लेकिन पोर्न फिल्में देखने से मुझे सब पता था कि लंड कैसे चूसा जाता है.
कुछ देर तक उसके लंड को चूसने के बाद मैं पूरी तरह से सुब्बाराव के ऊपर लेट गई.
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ चुके थे और अब मेरी गांड सुब्बाराव की तरफ थी.
सुब्बाराव ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को फैलाया और अपने मुँह को मेरी गांड में लगाकर मेरी चूत में अपनी जीभ चलाने लगा.
जल्द ही मेरी चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
इधर मैं भी उसके लंड को पूरी तरह से अपने मुँह में भरती हुई चूसने लगी.
उसका लंड मेरे गले तक उतर जा रहा था.
काफ़ी देर तक हम दोनों इसी पोजीशन में एक दूसरे के लंड और चूत को चाटते रहे.
फिर मैं उसके ऊपर से उठी और मुड़कर अपने दोनों पैरों को फैला कर उसके सीने की तरफ आ गई.
मैंने अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी.
उसने भी मेरी गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और मेरी चूत को अपने मुँह में भर लिया.
जैसे ही उसने मेरी चूत को मुँह में डाला, मैं अपनी कमर हिलाने लगी और सुब्बाराव मेरी चूत को बुरी तरह से चूसने लगा.
वो मेरी चूत से निकलते हुए पानी की एक एक बूंद को पीता जा रहा था.
मुझे उस वक्त असीम आनन्द मिल रहा था.
जब मैं चूत चुसवाने के बाद संतुष्ट हो गई तो मैं उसके मुँह के ऊपर से हट गई.
अब मुझे मेरी चूत में लंड चाहिए था और अब मैं लंड की सवारी करना चाहती थी.
लेकिन सुब्बाराव को समझ नहीं आया और वो उठने लगा.
तभी मैंने उसे धक्का देकर वापस से लेटने के लिए कहा.
अब मैंने अपनी टांगें फैलाईं और उसके लंड के ऊपर चढ़ गई.
मैंने लंड को थामा और सुपारे को अपनी चूत पर मसलने लगी.
ऐसे करते हुए मैंने सुपारे को अपनी चूत के अन्दर ले लिया और लंड पर बैठती चली गई.
जल्द ही पूरा लंड मेरी चूत में समा गया था.
इसके बाद मैं थोड़ा झुक गई और सुब्बाराव ने मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
उसका हाथ बेहद ही कड़क था क्योंकि वो मेहनत वाला काम करता था.
उसकी हथेलियां काफी खुरदुरी थीं और जब वो अपनी खुरदुरी हथेली मेरे कोमल मुलायम मम्मों पर चला रहा था तो मुझे बेहद मजा आ रहा था.
अब मैं अपने चूतड़ों को हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी और लंड अपने आप अन्दर बाहर होने लगा.
धीरे धीरे मैंने अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया.
मुझे इस तरह से बेइंतहा आनन्द मिल रहा था जैसा मुझे आज तक नहीं मिला था.
जल्द ही मैं बुरी तरह से लंड पर कूदने लगी और लंड अन्दर लेने लगी.
सुब्बाराव मेरे पूरे बदन को सहलाते हुए मुझे और ज्यादा गर्म कर रहा था.
जल्द ही मैं थककर उसके ऊपर लेट गई.
फिर सुब्बाराव ने मुझे उठाया और मुझे घोड़ी बना दिया; वो मेरे पीछे घुटनों के बल आ गया.
उसने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से थामा और लंड को चूत में लगाकर एक बार में ही अन्दर तक पेल दिया.
‘आआह आआ… आई मम्मीईई …’
उसने तुरंत ही धक्के लगाना शुरू कर दिए और चटचट करते हुए चुदाई शुरू कर दी.
पूरे कमरे में चट चट की तेज आवाज गूंज उठी.
मैं बुरी तरह से बिलखने लगी, उसका हथौड़े जैसा लंड गपागप मेरी चूत को चीर रहा था.
‘ऊईईईई आहाह आआऊच आआह ऊऊऊह आआऊच आआई मम्मीईई.’
बीच बीच में वो मेरे चूतड़ों में चपत भी लगाता जा रहा था और मजे के साथ मुझे चोदता जा रहा था.
जल्द ही मैं झड़ गई.
लेकिन वो लंबी रेस का घोड़ा था, मेरी दनादन चुदाई करता जा रहा था.
काफी देर तक उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा और फिर मुझे उठाकर बिस्तर से नीचे ले आया.
नीचे लाकर उसने मेरे हाथों को अपनी गर्दन में फंसाया और एक झटके में मुझे अपनी गोद में उठा लिया; मेरे दोनों पैरों को अपनी कमर में फंसा लिया और अपने लंड को चूत में पेल कर दोनों हाथों से मेरी गांड को थाम लिया.
अब वो मुझे ऐसे ही अपने लंड पर उचकाने लगा.
उस पोजीशन में उसका लंड चूत की अंतिम गहराई तक पहुंच रहा था क्योंकि मेरी दोनों जांघें पूरी तरह से फैली हुई थीं.
गपागप गपागप लंड मेरी चूत में घुस रहा था.
इसके साथ ही उसने मेरे एक निप्पल को दांत में दबा लिया था.
मुझे बेहद दर्द हो रहा था लेकिन इससे कहीं ज्यादा मुझे मजा भी आ रहा था.
करीब दस मिनट तक ऐसे ही बिना रुके वो मुझे चोदता रहा और इस बीच मैं दूसरी बार भी झड़ गई.
फिर उसने मुझे नीचे उतारा और कपड़े से मेरी चूत को साफ किया जो कि पानी से भर चुकी थी.
इसके बाद उसने मुझे पेट के बल बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी गांड तक पहुंच गया.
मेरे चूतड़ों को फैलाते हुए उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर लगा दी और उसे चाटने लगा.
इसके कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा- मैडम, क्या मैं आपको पीछे से मतलब आपकी गांड को चोद सकता हूँ?
मैंने मना कर दिया ।
इति
उसका लंड सिकुड़ा हुआ भी काफी बड़ा लग रहा था.
मैं इतना जान गई थी कि मेरी चूत जो कि अभी तक लंड की भूखी रहा रही थी, वो पूरी तरह से खुश रहा करेगी.
दोस्तो, आधा घंटा आराम करने के बाद मेरे अन्दर फिर से चुदाई का कीड़ा जागने लगा.
सुब्बाराव उस वक्त भी आंख बंद किए हुए लेटा हुआ था.
मैंने एक करवट ली और सुब्बाराव के और पास पहुंच गई.
अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए मैंने उसके सीने में रखा, जिससे सुब्बाराव की आंख खुल गई.
उसने मेरी तरफ देखा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई.
बेबाक तरीके से उसने मुझसे पूछा- कैसा लगा मैडम आपको?
मैं- बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा, आज तुमने मुझे वो मजा दिया है, जो मैं चाहती थी.
सुब्बाराव- तो इसका मतलब है कि मैं आपको अच्छा लगा?
मैं- हां बिल्कुल, क्यों नहीं. लेकिन ये बात इतनी ज्यादा गुप्त रहनी चाहिए कि कभी किसी को भनक तक नहीं लगनी चाहिए कि हम दोनों ऐसा काम करते हैं.
सुब्बाराव- बिल्कुल भी नहीं मैडम जी, आप इसके लिए पूरी तरह से बेफिक्र रहिए. मैं पूरी तरह से कोशिश करूंगा कि आपको हर तरह से खुश करूं.
उससे बात करते हुए मेरा हाथ उसके सीने पर चल रहा था और मैंने उससे कहा- सुब्बाराव, तुम अपने सीने के बाल साफ करवा लो.
वो- क्यों मैडम जी?
मैं- बस ऐसे ही, मुझे सीने के बाल पसंद नहीं हैं.
वो- जी बिल्कुल मैडम जी, कल ही साफ हो जाएंगे.
मैंने उससे पूछा- सुब्बाराव, तुम्हें मैं कैसी लगी?
वो- सच बताऊं मैडम जी, आप इतनी खूबसूरत हो कि आपके साथ ये सब करना मेरे लिए नसीब की बात है. आप जैसी परी को भोगना मेरे जैसे छोटे आदमी के लिए बहुत बड़ी बात है. आपका हर अंग किसी कयामत से कम नहीं है और खासकर आपकी चूत इतनी गुलाबी है कि ऐसी चूत मैंने आज पहली बार देखी है.
अब मेरा हाथ सुब्बाराव के लंड पर चला गया जो ढीला पड़ा हुआ था. मैंने उसे अपनी मुट्ठी में भर कर सहलाना शुरू कर दिया.
जल्द ही उसके लंड में कसाव आना शुरू हो गया.
मैंने सुब्बाराव से बोला- तुम मेरे साथ बिल्कुल खुलकर सेक्स करना, बिल्कुल भी शर्माना मत, जो बोलना हो बोल देना, जितना ही गंदा करना हो, मेरे साथ करना. मुझे कभी बुरा नहीं लगेगा.
इसके बाद उसने कहा- एक बात पूछ सकता हूँ मैडम जी?
मैं- हां पूछो.
वो- क्या आपने लंड चूसा है?
मैं उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुराई और बोली- आज तक तो नहीं, लेकिन चूसना जरूर चाहती हूँ.
इतना बोलने के बाद मैं उठी और उसके लंड की तरफ बढ़ गई.
उसके लंड के पास अपना चेहरा ले जाकर अपने होंठों से उसके लंड को एक बार चूमा.
लंड से एक अजीब सी गंध आ रही थी लेकिन वो गंध पाकर मुझमें और ज्यादा उत्तेजना आ गई.
वो बेहद ही कामुक गंध थी.
मैं अपने होंठों को लंड पर चारों तरफ चलाने लगी और एक हाथ से उसके अंडकोष को सहलाने लगी.
जल्द ही सुब्बाराव का लंड अपने पूरे आकार में आ गया.
इधर सुब्बाराव अपना एक हाथ बढ़ाकर मेरी बड़ी और चिकनी गांड को सहला रहा था.
अब मैं उसके सुपारे को गौर से देखने लगी और अपनी जीभ निकाल कर सुपारे पर चलाने लगी.
उसका लंड काला जरूर था लेकिन मुझे बेहद रोमांचित कर रहा था.
उसे देखकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी अफ्रीकन नीग्रो के साथ हूँ.
मैंने पोर्न फिल्मों में देखा था कि अफ्रीकी काला आदमी एक गोरी विदेशी लड़की के साथ सेक्स करता है. सुब्बाराव भी मुझे कुछ कुछ वैसा ही लग रहा था.
मैं अपनी जीभ उसके सुपारे पर चलाती जा रही थी.
जल्द ही मैंने उसका सुपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और किसी कुल्फी की तरह आगे पीछे करते हुए चूसने लगी.
यह मेरे लिए पहला अनुभव था कि मैं किसी का लंड चूस रही थी लेकिन पोर्न फिल्में देखने से मुझे सब पता था कि लंड कैसे चूसा जाता है.
कुछ देर तक उसके लंड को चूसने के बाद मैं पूरी तरह से सुब्बाराव के ऊपर लेट गई.
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ चुके थे और अब मेरी गांड सुब्बाराव की तरफ थी.
सुब्बाराव ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को फैलाया और अपने मुँह को मेरी गांड में लगाकर मेरी चूत में अपनी जीभ चलाने लगा.
जल्द ही मेरी चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
इधर मैं भी उसके लंड को पूरी तरह से अपने मुँह में भरती हुई चूसने लगी.
उसका लंड मेरे गले तक उतर जा रहा था.
काफ़ी देर तक हम दोनों इसी पोजीशन में एक दूसरे के लंड और चूत को चाटते रहे.
फिर मैं उसके ऊपर से उठी और मुड़कर अपने दोनों पैरों को फैला कर उसके सीने की तरफ आ गई.
मैंने अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी.
उसने भी मेरी गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और मेरी चूत को अपने मुँह में भर लिया.
जैसे ही उसने मेरी चूत को मुँह में डाला, मैं अपनी कमर हिलाने लगी और सुब्बाराव मेरी चूत को बुरी तरह से चूसने लगा.
वो मेरी चूत से निकलते हुए पानी की एक एक बूंद को पीता जा रहा था.
मुझे उस वक्त असीम आनन्द मिल रहा था.
जब मैं चूत चुसवाने के बाद संतुष्ट हो गई तो मैं उसके मुँह के ऊपर से हट गई.
अब मुझे मेरी चूत में लंड चाहिए था और अब मैं लंड की सवारी करना चाहती थी.
लेकिन सुब्बाराव को समझ नहीं आया और वो उठने लगा.
तभी मैंने उसे धक्का देकर वापस से लेटने के लिए कहा.
अब मैंने अपनी टांगें फैलाईं और उसके लंड के ऊपर चढ़ गई.
मैंने लंड को थामा और सुपारे को अपनी चूत पर मसलने लगी.
ऐसे करते हुए मैंने सुपारे को अपनी चूत के अन्दर ले लिया और लंड पर बैठती चली गई.
जल्द ही पूरा लंड मेरी चूत में समा गया था.
इसके बाद मैं थोड़ा झुक गई और सुब्बाराव ने मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
उसका हाथ बेहद ही कड़क था क्योंकि वो मेहनत वाला काम करता था.
उसकी हथेलियां काफी खुरदुरी थीं और जब वो अपनी खुरदुरी हथेली मेरे कोमल मुलायम मम्मों पर चला रहा था तो मुझे बेहद मजा आ रहा था.
अब मैं अपने चूतड़ों को हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी और लंड अपने आप अन्दर बाहर होने लगा.
धीरे धीरे मैंने अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया.
मुझे इस तरह से बेइंतहा आनन्द मिल रहा था जैसा मुझे आज तक नहीं मिला था.
जल्द ही मैं बुरी तरह से लंड पर कूदने लगी और लंड अन्दर लेने लगी.
सुब्बाराव मेरे पूरे बदन को सहलाते हुए मुझे और ज्यादा गर्म कर रहा था.
जल्द ही मैं थककर उसके ऊपर लेट गई.
फिर सुब्बाराव ने मुझे उठाया और मुझे घोड़ी बना दिया; वो मेरे पीछे घुटनों के बल आ गया.
उसने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से थामा और लंड को चूत में लगाकर एक बार में ही अन्दर तक पेल दिया.
‘आआह आआ… आई मम्मीईई …’
उसने तुरंत ही धक्के लगाना शुरू कर दिए और चटचट करते हुए चुदाई शुरू कर दी.
पूरे कमरे में चट चट की तेज आवाज गूंज उठी.
मैं बुरी तरह से बिलखने लगी, उसका हथौड़े जैसा लंड गपागप मेरी चूत को चीर रहा था.
‘ऊईईईई आहाह आआऊच आआह ऊऊऊह आआऊच आआई मम्मीईई.’
बीच बीच में वो मेरे चूतड़ों में चपत भी लगाता जा रहा था और मजे के साथ मुझे चोदता जा रहा था.
जल्द ही मैं झड़ गई.
लेकिन वो लंबी रेस का घोड़ा था, मेरी दनादन चुदाई करता जा रहा था.
काफी देर तक उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा और फिर मुझे उठाकर बिस्तर से नीचे ले आया.
नीचे लाकर उसने मेरे हाथों को अपनी गर्दन में फंसाया और एक झटके में मुझे अपनी गोद में उठा लिया; मेरे दोनों पैरों को अपनी कमर में फंसा लिया और अपने लंड को चूत में पेल कर दोनों हाथों से मेरी गांड को थाम लिया.
अब वो मुझे ऐसे ही अपने लंड पर उचकाने लगा.
उस पोजीशन में उसका लंड चूत की अंतिम गहराई तक पहुंच रहा था क्योंकि मेरी दोनों जांघें पूरी तरह से फैली हुई थीं.
गपागप गपागप लंड मेरी चूत में घुस रहा था.
इसके साथ ही उसने मेरे एक निप्पल को दांत में दबा लिया था.
मुझे बेहद दर्द हो रहा था लेकिन इससे कहीं ज्यादा मुझे मजा भी आ रहा था.
करीब दस मिनट तक ऐसे ही बिना रुके वो मुझे चोदता रहा और इस बीच मैं दूसरी बार भी झड़ गई.
फिर उसने मुझे नीचे उतारा और कपड़े से मेरी चूत को साफ किया जो कि पानी से भर चुकी थी.
इसके बाद उसने मुझे पेट के बल बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी गांड तक पहुंच गया.
मेरे चूतड़ों को फैलाते हुए उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर लगा दी और उसे चाटने लगा.
इसके कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा- मैडम, क्या मैं आपको पीछे से मतलब आपकी गांड को चोद सकता हूँ?
मैंने मना कर दिया ।
इति
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.