01-02-2023, 09:29 AM
मेरे पति एक मल्टीनेशनल कंपनी के मालिक हैं, इसलिए आए दिन उन्हें कंपनी के काम से विदेश आना-जाना लगा रहता था.
इसी तरह से उस वक्त भी मेरे पति को एक हफ्ते के लिए विदेश जाना पड़ा.
इसका फायदा उठाते हुए मेरी सहेली ने मेरे घर पर एक छोटी सी पार्टी करने के लिए कहा, जिसमें केवल हम तीन लोग ही रहने वाले थे.
जिस दिन मेरे पति विदेश गए, उस दिन शाम को मैंने पार्टी करने का प्लान बनाया.
दोपहर में मेरे पति चले गए और मैंने होटल से ही शाम के खाने का ऑर्डर कर दिया.
इसके साथ ही मेरी सहेली ने वाइन का इंतजाम किया.
शाम को 7 बजे मेरी सहेली मेरे घर आ गई और हमने सभी तैयारी करने के बाद 8 बजे सुब्बाराव को बुलाया.
मेरी सहेली ने पहले से ही सुब्बाराव को सब बता दिया था कि आज रात क्या होने वाला है.
शुरू में हम तीनों ने वाइन पीना शुरू किया.
उस वक्त मैंने एक पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई थी.
मैं सुब्बाराव की नजरों को भांप रही थी.
सुब्बाराव की नजर मेरी कमर की ओर ही जा रही थी क्योंकि साड़ी में कमर साफ साफ दिख रही थी.
धीरे धीरे वाइन का दौर चलता रहा और हम तीनों को ही नशा छाने लगा.
इसके बाद हम तीनों ने साथ में खाना खाया.
खाना खाने के बाद भी मेरी सहेली ने एक एक और वाइन का पैग तैयार किया और इस बार उसने मुझे कहा- तू सुब्बाराव की गोद में बैठकर वाइन पी.
सुब्बाराव सोफे पर बैठा हुआ था और मैं जाकर उसकी गोद में बैठ गई.
उसने अपने हाथों से मुझे वाइन पिलाई.
इतने में मैंने महसूस किया कि मुझे मेरी गांड में कुछ चुभ रहा है.
मैं समझ गई कि ये सुब्बाराव का लंड है जो फ़नफ़ना रहा था.
मौके का फायदा उठाकर सुब्बाराव ने भी अपना एक हाथ मेरी कमर में डालकर मुझे सहारा दिया हुआ था.
वाइन खत्म होने के बाद मेरी सहेली अपने घर जाने के लिए तैयार हुई और मैं उसे बाहर तक छोड़कर आई.
वापस आकर मैंने दरवाजा बंद किया और सुब्बाराव के बगल में आकर बैठ गई.
अब मेरे अन्दर का सारा डर निकल गया था और मेरे जिस्म में बस वासना की लहर दौड़ रही थी.
मेरा मन कर रहा था कि आज सुब्बाराव मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे वो मजा दे, जिसके लिए मैं तड़प रही थी.
सुब्बाराव भी अब मुझसे खुल गया था और उसने शुरुआत करते हुए मेरे हाथों को अपने हाथ में लिया और मेरी आंखों में देखते हुए मेरे हाथ को चूमने लगा.
ऐसे ही अब सुब्बाराव मेरे और करीब आता गया और मेरे चेहरे के पास आकर मेरे गालों को चूमने लगा.
मैंने भी अपनी आंखें बंद करके उसे हर चीज करने की इजाजत दे दी.
वह मेरे गालों को चूमते हुए मेरे होंठों तक पहुंच गया और जल्द ही उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया; कभी ऊपर के होंठ को कभी नीचे के होंठ को वो बारी बारी से चूसने लगा.
मेरे हाथ भी उसकी पीठ पर चले गए और मैं उसे अपनी तरफ खींचने लगी.
जल्द ही सुब्बाराव ने मुझे खड़ी कर लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन, कान हर जगह अपने चुम्बनों की झड़ी लगा दी.
इसके साथ ही उसका एक हाथ मेरी कमर को सहला रहा था.
उसकी बांहों में झूलती हुई मैं अभी से ही काफी जोश में आ गई थी और दुनिया की परवाह किए बिना बस चाह रही थी कि आज सुब्बाराव मेरी ऐसी चुदाई करे, जिसके लिए मैं न जाने कबसे तड़प रही थी.
उस वक्त मुझे इतना भी पता नहीं चला कि सुब्बाराव ने मेरी साड़ी निकाल दी है.
जब मेरी नजर नीचे गई, तो मेरी साड़ी नीचे पड़ी हुई थी और मैं ब्लाउज पेटीकोट में ही थी.
जल्द ही सुब्बाराव ने भी अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी और अब वो केवल लोवर में ही था.
मैंने उसके चौड़े फौलादी सीने को देखा, जिससे साफ पता चल रहा था कि वो एक मजबूत मर्द था.
उसने मेरी कमर में अपना एक हाथ डाला और मेरे गले को चूमते हुए मेरे सीने तक पहुंच गया.
मैं उसकी बांहों में झूल रही थी.
जल्द ही उसने मेरे ब्लाउज का हुक खोलकर मेरे ब्लाउज को भी अलग कर दिया.
मेरे दोनों दूध ब्रा के अन्दर से ही दिखने लगे.
इसी तरह से उस वक्त भी मेरे पति को एक हफ्ते के लिए विदेश जाना पड़ा.
इसका फायदा उठाते हुए मेरी सहेली ने मेरे घर पर एक छोटी सी पार्टी करने के लिए कहा, जिसमें केवल हम तीन लोग ही रहने वाले थे.
जिस दिन मेरे पति विदेश गए, उस दिन शाम को मैंने पार्टी करने का प्लान बनाया.
दोपहर में मेरे पति चले गए और मैंने होटल से ही शाम के खाने का ऑर्डर कर दिया.
इसके साथ ही मेरी सहेली ने वाइन का इंतजाम किया.
शाम को 7 बजे मेरी सहेली मेरे घर आ गई और हमने सभी तैयारी करने के बाद 8 बजे सुब्बाराव को बुलाया.
मेरी सहेली ने पहले से ही सुब्बाराव को सब बता दिया था कि आज रात क्या होने वाला है.
शुरू में हम तीनों ने वाइन पीना शुरू किया.
उस वक्त मैंने एक पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई थी.
मैं सुब्बाराव की नजरों को भांप रही थी.
सुब्बाराव की नजर मेरी कमर की ओर ही जा रही थी क्योंकि साड़ी में कमर साफ साफ दिख रही थी.
धीरे धीरे वाइन का दौर चलता रहा और हम तीनों को ही नशा छाने लगा.
इसके बाद हम तीनों ने साथ में खाना खाया.
खाना खाने के बाद भी मेरी सहेली ने एक एक और वाइन का पैग तैयार किया और इस बार उसने मुझे कहा- तू सुब्बाराव की गोद में बैठकर वाइन पी.
सुब्बाराव सोफे पर बैठा हुआ था और मैं जाकर उसकी गोद में बैठ गई.
उसने अपने हाथों से मुझे वाइन पिलाई.
इतने में मैंने महसूस किया कि मुझे मेरी गांड में कुछ चुभ रहा है.
मैं समझ गई कि ये सुब्बाराव का लंड है जो फ़नफ़ना रहा था.
मौके का फायदा उठाकर सुब्बाराव ने भी अपना एक हाथ मेरी कमर में डालकर मुझे सहारा दिया हुआ था.
वाइन खत्म होने के बाद मेरी सहेली अपने घर जाने के लिए तैयार हुई और मैं उसे बाहर तक छोड़कर आई.
वापस आकर मैंने दरवाजा बंद किया और सुब्बाराव के बगल में आकर बैठ गई.
अब मेरे अन्दर का सारा डर निकल गया था और मेरे जिस्म में बस वासना की लहर दौड़ रही थी.
मेरा मन कर रहा था कि आज सुब्बाराव मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे वो मजा दे, जिसके लिए मैं तड़प रही थी.
सुब्बाराव भी अब मुझसे खुल गया था और उसने शुरुआत करते हुए मेरे हाथों को अपने हाथ में लिया और मेरी आंखों में देखते हुए मेरे हाथ को चूमने लगा.
ऐसे ही अब सुब्बाराव मेरे और करीब आता गया और मेरे चेहरे के पास आकर मेरे गालों को चूमने लगा.
मैंने भी अपनी आंखें बंद करके उसे हर चीज करने की इजाजत दे दी.
वह मेरे गालों को चूमते हुए मेरे होंठों तक पहुंच गया और जल्द ही उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया; कभी ऊपर के होंठ को कभी नीचे के होंठ को वो बारी बारी से चूसने लगा.
मेरे हाथ भी उसकी पीठ पर चले गए और मैं उसे अपनी तरफ खींचने लगी.
जल्द ही सुब्बाराव ने मुझे खड़ी कर लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन, कान हर जगह अपने चुम्बनों की झड़ी लगा दी.
इसके साथ ही उसका एक हाथ मेरी कमर को सहला रहा था.
उसकी बांहों में झूलती हुई मैं अभी से ही काफी जोश में आ गई थी और दुनिया की परवाह किए बिना बस चाह रही थी कि आज सुब्बाराव मेरी ऐसी चुदाई करे, जिसके लिए मैं न जाने कबसे तड़प रही थी.
उस वक्त मुझे इतना भी पता नहीं चला कि सुब्बाराव ने मेरी साड़ी निकाल दी है.
जब मेरी नजर नीचे गई, तो मेरी साड़ी नीचे पड़ी हुई थी और मैं ब्लाउज पेटीकोट में ही थी.
जल्द ही सुब्बाराव ने भी अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी और अब वो केवल लोवर में ही था.
मैंने उसके चौड़े फौलादी सीने को देखा, जिससे साफ पता चल रहा था कि वो एक मजबूत मर्द था.
उसने मेरी कमर में अपना एक हाथ डाला और मेरे गले को चूमते हुए मेरे सीने तक पहुंच गया.
मैं उसकी बांहों में झूल रही थी.
जल्द ही उसने मेरे ब्लाउज का हुक खोलकर मेरे ब्लाउज को भी अलग कर दिया.
मेरे दोनों दूध ब्रा के अन्दर से ही दिखने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.