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Misc. Erotica ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण
पूनम अपने घर पहुँच गयी। एक तरफ तो वो शादी की और दूसरी ओर बंटी से चुदाई की थकी हुई थी, लेकिन उसके मन में उत्साह भी था की वो जवानी का भरपूर मज़ा लूट कर आई थी। बंटी ने उसे जीवन के अनमोल सुख से परिचय करवा दिया था। वो वहाँ ठीक से कभी सो ही नहीं पायी थी। दिन भर तो शादी की तैयारी और रात में पहले ज्योति और बंटी की पहरेदारी और फिर बाद में खुद की चुदाई। लेकिन उसके मन में अब इतना उत्साह था कि इतने थके होने के बाद भी अगर अभी गुड्डू उसे कहीं भी बुला लेता तो वो तुरंत जाने के लिए और चुदवाने के लिए तैयार थी। अब वो जान गयी थी की चुदाई कितनी मजेदार चीज़ है और गुड्डू का तो हक है उसके बदन पर। उसी ने तो सिखाया की जवानी की मस्ती क्या होती है। उसकी चुत रास्ते भर भी गीली ही रही थी और वो सोंचती आ रही थी की गुड्डू उसे कैसे कैसे चोदेगा। बंटी ने तो हर उस तरह से उसके बदन को मज़ा दिया था जैसे जैसे वो सोची थी या चाही थी, अब गुड्डू और विक्की की बारी थी। पूनम उत्साहित थी की दोनों एक साथ कैसे चोदेंगे उसे। उसे वो पिक्स याद आ रहे थे जिसमें वो गोरी सी लड़की दो लड़कों से एक साथ चुदवा रही थी।

पूनम रात में अपने कमरे में सोने पहुंची तो वो गुड्डू को कॉल लगायी ताकि उसे बता दे की वो लौट आई है और अब वो जब चाहे तब उसकी चूत में अपना लंड घुसा सकता है। और वो विक्की के लिए भी अपनी चूत के दरवाज़े खोलने के लिए तैयार थी। उसे अब इस चीज़ का भी मज़ा लेना था कि दो लोगों से एक साथ चुदवाने में कैसा लगता है। लेकिन गुड्डू का फ़ोन लगा नहीं। पूनम उदास हो गयी। वो रास्ते से भी गुड्डू को फ़ोन की थी लेकिन तब भी उसका फोन नहीं लगा था। पूनम की चुत गीली ही थी। उसे पर्सों रात छत पर बंटी से हुई अपनी चुदाई याद आ गयी। जिस जगह पर दो दिन पहले ज्योति चुदवा रही थी, उसी जगह पर उसी लड़के से पूनम पुरे मस्ती से चुदी थी।

बंटी ने उसे हर बार पहले से ज्यादा मज़ा दिया था और वो रात तो सबसे ज्यादा मज़ेदार थी। शादी की रात बंटी ने उसे फसा कर मजबूर कर दिया था और दिन में वो नींद में थी। लेकिन रात में वो अपनी मर्ज़ी से छत पर गयी थी और .....। पूनम उस पल को याद करने लगी तो उसकी चूत और गीली हो गयी। वो बहुत दिन बाद अपने कमरे में थी और अकेली थी। वो अपने सारे कपड़े उतार दी और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी और अपनी गीली चूत सहलाते हुए कल रात को याद करने लगी।

बंटी के फ़ोन आने के बाद वो छत पर गयी थी तो छत पर अँधेरा था लेकिन आसपास के घरों की रौशनी से वो देख पा रही थी की बंटी पूरा नंगा होकर एक हाथ से अपने लंड को सहलाता हुआ और दूसरे हाथ से पूनम को आने का इशारा करता हुआ खड़ा था और उसका इंतज़ार कर रहा था। पूनम जब उसके करीब गयी तब उसे बंटी की हालत का एहसास हुआ और शर्म से उसकी ऑंखें नीची झुक गयी। इसी मोटे मुसल लंड से वो दो बार खुद चुद चुकी थी और तीन बार अपनी बहन ज्योति को चुदवाते देख चुकी थी, लेकिन अभी जिस तरह से बंटी खड़ा था उसे शर्म आने लगी की वो भी गुड्डू की उन्ही रंडियों की तरह हो गयी है जिनकी वो फोटो भेजता था। वो भी उसी तरह नीचे अपने घरवालों को सोता छोड़ कर छत पर चुदवाने आ गयी थी, बिल्कुल बेशर्म बनकर, रण्डी बनकर।

बंटी ने उसके कंधे पे हाथ रखा और अपने बदन से चिपका कर उसके होठ चूसने लगा। पूनम भला उसे क्या मना करती या रोकती, वो तो आई ही यहाँ चुदवाने के लिए थी। बंटी पूनम की कमर पकड़ कर उसके बदन से चिपक गया और अपने हाथ को पीछे से उसकी शॉर्ट्स और पैंटी के अन्दर करता हुआ नीचे करने लगा। पूनम की गुदाज गांड बंटी मसल रहा था और उसकी सीने की गोलाई बंटी के सीने से दब रही थी। बंटी के नंगे बदन से सटी हुई पूनम अपनी चुत में हो रही हलचल को महसूस कर रही थी।

बंटी ने पूनम की शॉर्ट्स और पैंटी को गांड के नीचे कर दिया और अब बंटी ने अपना हाथ ऊपर किया और टॉप के अन्दर हाथ डालकर पीठ को सहलाता हुआ टॉप को ऊपर कर दिया और ना चाहते हुए भी पूनम अपना हाथ ऊपर कर दी। पूनम चुदवाना तो चाहती थी, लेकिन अभी नंगी नहीं होना चाहती थी। उसे डर लग रहा था की कहीं कोई आ गया तो अगर उसके बदन पे कपड़े रहेंगे तो वो छिप या भाग तो सकेगी, लेकिन बंटी को बिना नंगी किये चुदाई में मज़ा नहीं आने वाला था। वैसे भी वो यहाँ पर कई बार ज्योति को पूरी नंगी कर चोद चूका था। छत का दरवाज़ा बंद था तो नीचे से कोई ऊपर आ नहीं सकता था। और वो तो पूनम के बदन के हर हिस्से का भरपूर लुत्फ़ उठाना चाहता था। पूनम जैसी मज़ेदार माल कपड़े पहनकर चोदने लायक नहीं थी। उसे तो पूरी नंगी करके आराम से उसके बदन से खेलते हुए चोदा जाना चाहिए था।

बंटी ने ब्रा का हुक खोल दिया और अगले ही पल पूनम ऊपर से नंगी होकर बंटी के मर्दाने बदन का एहसास कर रही थी। उसकी ब्रा भी ज़मीन पर गिर कर पूनम को जवानी के मज़े लेते देख रही थी। बंटी ने पूनम को अपने नंगे सीने से चिपका लिया और आधी रात में छत पर नंगी होकर बंटी के बदन से चिपकती ही पूनम होश खोने लगी। बंटी पूनम के बदन को चूमता हुआ नीचे होने लगा और कमर तक आते आते उसने पूनम के शॉर्ट्स और पैंटी को पकड़ लिया और उसे भी नीचे की तरफ खीचने लगा। एक पल के लिए पूनम का हाथ अपने कपड़े को पकड़ने के लिए नीचे आया लेकिन अगले ही पल उसे लगा की ये कपड़ा उतरेगा तभी तो वो चुद पायेगी, तो इसे उतारने से रोकने का तो कोई मतलब नहीं ही बनता है।

बंटी ने उसके शॉर्ट्स को पूरा नीचे कर दिया और पूनम अपने पैर ऊपर करके उसे अपने बदन से अलग कर लेने दी। अब पूनम छत पर पूरी तरह नंगी खड़ी थी और नीचे उसके घरवाले सो रहे थे। बंटी ने पूनम को कमर के पास से पकड़ लिया और नाभि और चूत के पास वाले हिस्से को चूमने लगा और उसके बदन को सहलाने लगा। बंटी का हाथ पूनम के नंगे चिकने बदन पर फिसल रहा था और पूनम गरमा कर पिघलने लगी थी। बंटी पूनम की गांड को दबाता हुआ अपनी तरफ खींचे हुए था और फिर वो चूत के पास अपने होठ फिराने लगा। नंगे गुदाज मखमली बदन से खेलता हुआ बंटी मज़े कर रहा था और मन ही मन ज्योति का शुक्रिया अदा कर रहा था जिसकी वजह से उसे पूनम जैसी माल के हसीन बदन से खेलने का मौका मिल रहा था।

चुत के पास कुछ झांटें उग आयी थी। नंगी चुत गांड जाँघ पर बंटी के हाथ और होठ का असर था कि पूनम का बदन सिहरने लगा था। छत पर आते वक़्त ही उसकी चुत गीली हो गयी थी की वो चुदवाने जा रही है, और अभी तो बंटी उसे नंगी खड़ा करके उसकी चुत को चूम रहा था। बंटी ने उसे पैर फ़ैलाने का इशारा किया और तुरंत ही पूनम के पैर फ़ैल गए। बंटी अब पूनम की टाँगों के बीच में बैठा हुआ था और चूत को पूरी तरह से मुँह में भरकर ऐसे चूस रहा था जैसे खा रहा हो। पूनम की हालत ख़राब हो रही थी। उसके मुंह से सिसकारी निकलने लगी थी। रात के सन्नाटे में मुँह से निकलने वाली हलकी सी आवाज़ भी दूर तक जा सकती थी। पूनम खुद पे नियंत्रण की, लेकिन फिर भी उस सिसकारी को बंटी तो सुन ही पा रहा था।

उसने पूनम को बिछे हुए गद्दे पर गिरा दिया और पल भर में ही उसके ऊपर आकर अपने लंड को चूत से रगड़ने लगा। पूनम टाँगों को फैलाये बंटी के अंदर समाने का इंतज़ार कर रही थी। पूनम आज दिन में ही बंटी से चुदी थी, लेकिन जैसे ही वो मोटा मुसल लंड फिर से उसकी कसी हुई चूत में गया, पूनम को तेज़ दर्द हुआ और वो अपने मुँह को अपने हाथ से दबा कर अपनी चीख रोकी।

बंटी अच्छे से पूनम के ऊपर लेट गया और पूरी ताकत से अपनी साली रंडी की चुदाई करने लगा। अभी बंटी थकने या रुकने के मूड में नहीं था। अगले एक घंटे तक वो हर तरह से उलट पुलट कर पूनम को चोदता रहा और उसके नशीले जिस्म का मज़ा लेता रहा और फिर ढेर सारा वीर्य पूनम के मुँह में भरकर उसे पिला दिया। पूनम बेसुध होकर गद्दे पर ही गिरी रही। पूनम को मज़ा आ गया था चुदवा कर। वो ऐसे ही चुदाई के बारे में सोचती थी, गुड्डू की दी हुई पिक्स और कहानी पढ़ कर।

थोड़ी देर बाद वो उठने लगी तो बंटी ने उसे रोक लिया। उसे पता था की उसके पास बस आज की ही रात है। कल ज्योति की रिसेप्शन पार्टी होगी तो वो पूनम को चोद नहीं पायेगा और फिर उसे पूनम के संगमरमरी बदन से खेलने का मौका मिलेगा या नहीं, ये वक़्त और किस्मत की बात है। उसने लेटे लेटे ही पूनम को अपने बाँहों में ले लिया और फिर बातें करने लगा, अपने और ज्योति के बारे में और और लड़कियों औरतों के बारे में भी जिस जिस को उसने चोदा था या कुछ किया था। उसने पूनम से भी पूछा तो पूनम भी उसे गुड्डू के बारे में तो नहीं, लेकिन अमित के बारे में और उससे चुदाई के बारे में बता दी।

थोड़ी देर तक तो दोनों गद्दे पर लेटे लेटे ही एक दुसरे को बाँहों में भरकर बातें कर रहे थे, फिर बंटी ने पूनम को खड़ा कर दिया और फिर दोनों नंगे बदन छत पर टहलते हुए बातें करने लगे। जब पूनम अमित के बारे में बताई तो वो बंटी से प्यार और शादी के बारे में पूछी तो बंटी बताया की वो ज्योति से सच में प्यार करता है लेकिन उसके साथ उसकी शादी नहीं हो सकती थी, और अब किससे प्यार होगा और किससे शादी होगी ये नहीं बताया जा सकता। उसे पूनम भी बहुत अच्छी लगी थी, लेकिन पूनम के साथ भी उसकी शादी नहीं हो सकती थी तो इस बारे में सोचना ही बेकार था।

पूनम को बहुत अच्छा लग रहा था। वो छत पर नंगी टहल रही थी और बंटी उसके कमर में हाथ डाले उसके साथ चल रहा था। फिर दोनों छत पर खड़े होकर ही एक दुसरे को चूमने लगे और फिर पूनम नीचे बैठकर बंटी के लंड को पूरी शिद्दत के साथ चूसने लगी। बंटी का लंड बहुत बड़ा था लेकिन अभी वो उसे अपने गले तक में उतार ली और पुरे लंड को अपने मुँह में भर ही ली। जब तक उसकी नाक बंटी के पेट में सट नहीं गयी, तब तक वो लंड अन्दर लेने की कोशिश करती ही रही और ऐसा करके ही वो मानी। ऐसा करने में उसका चेहरा और ऑंखें लाल हो गयी थी, लेकिन उस मोटे मूसल लण्ड को गले के अंदर तक वो उतार ही ली। बंटी को भी बहुत मज़ा आया था। पूनम पहली लड़की थी जो ऐसा की थी, नहीं तो बंटी का लंड किसी के मुँह के अन्दर पूरा नहीं गया था।

फिर से बंटी ने उसकी दमदार चुदाई की और 3 बजे सुबह वो अपने कपड़े पहन कर, दवाई लेकर नीचे आ पाई, वो भी इस वादे के साथ की वो फिर कभी बंटी से जरूर मिलेगी और उससे चुदवायेगी भी। पूनम की चूत पूरी छिल गयी थी। उस कमसिन कोमल चुत पर बंटी ने अपने मोटे तगड़े लण्ड से दो दिन में इतना हमला किया था कि उसकी चुत की हालत बिगड़ गयी थी। वो सुबह बाथरूम में अपनी चूत को देखी थी की किस तरह दो ही दिन में उसकी चूत की हालत कैसी हो गयी है। उसके चूत का दाना बाहर की तरफ लटक गया था।

रात में ज्योति की रिसेप्शन पार्टी में पूनम ज्योति को रात के बारे में बताई तो ज्योति बहुत ही खुश हुई थी और वो भी बंटी की तारीफ की थी। बंटी के प्यार की भी और उसकी चुदाई की भी। पूनम उससे सुहागरात के बारे में पूछी तो ज्योति बोली की "असली सुहागरात तो तू बनायीं है।" पूनम शर्मा गयी थी की उधर ज्योति अपने पति के साथ चुद रही होगी और उसी वक़्त मैं उसके यार के साथ चुदवा रही थी। रिसेप्शन की रात घर लौटने में ही काफी देर हो गयी थी और जैसा की उम्मीद था,दोनों को मौका नहीं मिला था। वैसे पूनम तो फिर से चुदवाने के लिए तैयार ही थी। वो एक बार और बंटी के लण्ड का हमला अपनी चुत पर झेलने के लिए तैयार थी, लेकिन आज की रात उसकी चुत को प्यासी ही सोना था।

सोचती हुई पूनम अभी खड़ी होकर आईने में अपनी चूत देखने लगी। उसकी चूत अभी भी चुदी हुई लग रही थी। चुत बंटी के लण्ड के सदमे से उबरी नहीं थी। शायद अब उसकी चुत ऐसी ही रहने वाली थी हमेशा। पूनम को बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था और उसकी चुत तड़प रही थी। उसका मन हुआ की बंटी को कॉल करे, लेकिन वो नहीं की कि फिर उसे बंटी और गुड्डू दोनों से रात में बात करना पड़ेगा। वो अपनी चूत को सहलाती हुई बंटी से हुई अपनी चुदाई याद करके और गुड्डू से होने वाली चुदाई सोंचते हुए सो गयी। वो अपनी चुत से पानी नहीं निकाली की अब कल गुड्डू ही उसकी चुत में झरना खोदेगा।

फिर से पूनम का रोज का दिनचर्या शुरू हो गया। पूनम अपनी चूत को आज फिर से हेयर रिमुभर लगा कर साफ़ कर ली और फेसिअल क्रीम लगा कर चमका ली। वो पूरी तरह तैयार थी गुड्डू से मिलने के लिए और उसके अड्डे पर जाने के लिए। पूनम अपने चूत में एक और, या कहिये की दो और लंड लेने के लिए पूरी तैयार थी। उसकी चुत गीली ही थी गुड्डू के लण्ड के स्वागत के लिए। पूनम उसी स्कर्ट टॉप को पहनी जिसे वो शादी वाली सुबह पहनी थी और जिसमे बंटी ने दिन में नींद में उसे चोदा था। वो एक बार सोची की आज भी पैंटी नहीं पहनूँ, लेकिन फिर वो पहन ली। वो घर से शर्माती हुई निकली की आज फिर वो चुदवाने के लिए जा रही है जैसे रात में बंटी के पास गयी थी, लेकिन उसे रोड पर दोनों में से कोई भी नहीं दिखा। पूनम उदास हो गयी। उसे अपनी पूरी तैयारी पानी में बहती दिखाई दी।

वो रास्ते भर गुड्डू को फ़ोन लगाती रही, लेकिन गुड्डू का फ़ोन लग ही नहीं रहा था। पूनम ऑफिस नहीं जाना चाहती थी। वो आज गुड्डू के अड्डे पर जाना चाहती थी, अपनी चुदाई करवाना चाहती थी। लेकिन जब गुड्डू का फ़ोन नहीं ही लगा तो उसे बेमन से ऑफिस जाना पड़ा। दिन भर भी गुड्डू का फ़ोन नहीं लगा और शाम में वापस लौटते वक़्त भी उसे दोनों में से कोई नहीं दिखा। पूनम का मन बैचैन हो रहा था। उसकी चुत लण्ड के लिए तड़प रही थी। उसका मन हुआ की जहाँ दोनो खड़े रहते हैं, उस दुकान में जाकर उनके बारे में पूछे या विक्की का नंबर मांग ले, लेकिन वो इतना हिम्मत कर नहीं पायी। वो उदास मन से घर वापस आ गयी।

आज रात में पूनम फिर से नंगी होकर सो रही थी। उसके पास न तो पिक्स थे और न ही कहानियाँ थी। जाने से पहले वो सब फाड़ कर फ्लश में बहा चुकी थी। उसकी चुत गीली ही थी और उसे बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। मजबूर होकर वो बंटी को कॉल लगायी, लेकिन हाय रे फूटी किस्मत, बंटी का फ़ोन भी नहीं लगा। पूनम उसी तरह अपनी चूत रगड़ते हुए आज भी बिना पानी निकाले सो गयी। अब चुत में ऊँगली करने में उसे मज़ा नहीं आ रहा था। उसे लण्ड चाहिए था, वो भी मोटा, मूसल लण्ड। उसे समझ में आ गया की वक़्त उसके हिसाब से नहीं चलता। कभी यही गुड्डू और बंटी उसके लिए कितना तड़प रहे थे और वो उनसे दूर रहती थी, और आज जब वो नंगी होकर अपनी चूत सहलाते हुए उनका इंतज़ार कर रही है, तो वो लोग कहाँ है, पता भी नहीं।

अगले दिन पूनम का गुड्डू से बात हुआ तो पता चला की वो दोनों कहीं बाहर आये हुए हैं और अभी उन्हें आने में 12-15 दिन और लगेंगे। पूनम उदास हो गयी। उसे 15 दिन तक अब बिना चुदे रहना था, अपनी चूत को तड़पाना था। जब वो चुदवाने से दूर भाग रही थी तो लोग लण्ड हाथ में लिए उसे चोदने के चक्कर में थे, और अब जब वो चुदवाना चाहती है तो लोग दूर हैं। पूनम सोचने लगी की पता होता तो वहीँ मौसी के यहाँ ही रह जाती, वहां बंटी से तो रोज चुदवाती। उसे छत पर बंटी के साथ बिताए पल याद आने लगे की वहीँ रुक जाती कुछ दिन और तो रोज रात उसी तरह की गुजरती।

पूनम गुड्डू का इंतज़ार करने लगी। वो बंटी को कॉल नहीं की। उसने बंटी को ज्योति के लिए ही छोड़ दिया। वो मान ली की बंटी के साथ जितना होना था वो करवा ली और अब अगर कभी किस्मत ने चाहा तभी वो उससे मिलेगी। हाँ, ये जरूर तय रहा की जब भी मिलेगी और चुदवाने का मौका रहा तो वो जरूर चुदवायेगी। उसके लण्ड के लिए पूनम की चुत हमेशा खुली रहेगी।

10 दिन बीत गए थे और पूनम वापस से पहले वाली पूनम बनने लगी थी। उसे लगने लगा था की वो बेकार में ऐसा की और उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। ये सब गन्दी बात है, लड़कों का क्या है, उन्हें और चाहिए ही क्या। चाहे जैसे मिल जाए। इसीलिए तो लड़के पटाते हैं लड़कियों को, और बंटी गुड्डू जैसे लोग थोड़े और ज्यादा आगे हैं तो जो मिल जाए उसे पटाते हैं और उसके साथ मज़ा करते हैं। तभी तो तीनों इतनी लड़कियों औरतों को चोद चुके हैं। उसे लगने लगा की उसे इस सबसे दूर रहना चाहिए।
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RE: ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण - by Bunty4g - 31-05-2019, 10:38 PM



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