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Adultery शर्मिली भाभी
...

रश्मी की शर्म भले ही ना खतम हुई हो लेकिन लगातार कई देर से तुषार के सामने नंगी पड़ी रहने से उसकी झीझक खतम हो चुकी थी और अपनी चूत के झटको से बचने के लिये व्प अब अपने दोनों पैर बिस्तर पर इधर उधर बार बार फ़ैला रही थी इससे उसके नग्न शरीर की मादकता और भी बढ़ रही थी जो तुषार को और भी उत्तेजित कर रही थी ।


अब तुषार ने रश्मी के बिस्तर पर फ़ैले दोनो पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे उसे दांए बांए फ़ैला दिया अब उसे रश्मी की चूत साफ़ दिखाई देने लगी , वो अपनी कमर को रश्मी की जांघो के बीच में ले जाता है और अपना लंड़ उसकी चूत पर रगड़्ने लगता है। तुषार का गरम लंड़ अपनी चूत से टकराते ही रश्मी के दिल की धड़्कन तेज हो जाती है, आखिर कई महीनों के बाद उसे किसी मर्द के लंड़ का स्वाद जो मिलने वाला था।


अपना लंड़ रश्मी की चूत में ड़ालने से पहले वो अपना मुंह रश्मी के गालों के पास ले जाता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है, और फ़िर काम की उत्तेजना में उससे कहता है " रश्मी जान आज से तुम सदा सदा के लिये मेंरी हो जाओगी, आज मैं तुम्हें वो सुख दूंगा और ऐसी दुनिया की सैर कराउंगा जिसे पाने के लिये तुम बार बार मेरे पास आओगी। तेरे इस खूबसुरत जिस्म की जरुरत "राज" जैसा इंसान कभी नहीं समझ सकता ।


तुम्हे आज इस बात का अफ़सोस होगा कि तुम इतए महीनों तक इस सुख से वंचित क्यों रही? (अब वो उसे राज के खिलाफ़ भड़्काने से नहीं चूकता था, क्योंकि उसे रश्मी का जिस्म एक दो दिनों के लिये नहीं बल्की जीवन भर के लिये हासिल करना था।) वो आगे बोलना जारी रखता है " कल "राज" आ रहा है न रश्मी तो देख लेना तुम अपने प्रति उसका रवैया ।


रश्मी के गालों को चूमने और उसे "राज" के प्रति भड़्काने के बाद वो वाहां से उठता है और फ़िर से अपना लंड़ उसकी चूत में रगड़्ने लगता है। उसका एक हाथ रश्मी की जांघो और उसकी गांड़ो को सहला रहे थे और दूसरे हाथ से वो रश्मी की छातियों को मसल रहा था । अब तुषार के सहन शक्ति जवाब दे जाती है और वो अपना लंड़ रश्मी की चूत में लगा देता है।


लंड़ के चूत में लगते ही रश्मी सतर्क हो जाती है और आगे होने वाली घटना का अनुभव करते हुए अपनी आंख और होठों को बुरी तरह से भींच लेती है। इधर तुषार भी बेहद उत्तेजित और खुश था आखिर पिछले कई महिनों की उसकी हसरत अब पूरी जो होने वाली थी। वो अपने लंड़ में थोड़ा सा दबाव ड़ालता है और हल्का सा धक्का देता है और अपने लंड़ का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसेड़ देता है। कई महीनों के बाद रश्मी की चूत में लंड़ घुसा था सो य्सकी चूत अंदर से सकरी हो गई थी, लंड़ के अंदर जाते ही उसके अंदर एक खलबली मच जाती है और दर्द से उसके मुंह से एक आह निकल जाती है।


कुछ क्षणों तक इसी तरह रश्मी को दर्द से कराहते देख तुषार उसका मजा लेता है फ़िर थोड़ा और धक्का वो अपने लंड़ मे लगाता है तो वो लगभग आधा उसकी चूत में चला जाता है। लंड़ के आधा अंदर जाते ही रश्मी दर्द से बिलबिलाने लग जाती है और कराहने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई मां , मर गई मै तो , मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, बस करो तुषार सहन नहीं हो रहा है, प्लीज छोड़ दो मुझे , निकलो न उसे बाहर । उसे इस तरफ़ फ़ड़्फ़ड़ाते हुए देख तुशार को मजा आने लगता है , वो कुछ क्षणों तक उसे इस तरह देखने के बाद अचानक एक जोर का धक्का लगाता है और उसका पूरा का पूरा मोटा लंड़ उसकी चूत में समा जाता है और रश्मी के मुंह से एक चीख निकल जाती है आईईईईईईईईई मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽ बचाओ मुझे , उसकी आंखो में दर्द के मारे आंसू आ जाते है लेकिन इन आंसूओं का मर्दों पर कोई कभी असर नहीं पड़्ता।


लंड़ को पूरी तरह से रश्मी की चूत मे उतार देने के बाद तुषार रश्मी के नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है और उसे अपनी बाहों मे जकड़ लेता है और अपना मुंह रश्मी के होठों पर लगा देता है , अब वो अपनी कमर को हौले हौले हिलाने लगता जिससे उसका लंड़ रश्मी की चूत में अंदर बाहर होने लगता है।


पराया धन, पराई स्त्री और मुफ़्त में मिली लाचार स्त्री तुषार जैसे अधिकांश पुरुषों की चाहत होती है , मर्द शुरु से ही स्त्री के शरीर को भोगने के लिये उसे पूरे दमखम के साथ और अधिकार से हासिल करना चाहता है। तुशार अपने मकसद में कामयाब हो चुका था और रश्मी के नंगे जिस्म पर बलात ही सही लेकिन अब वो लाचार स्त्री उसके अधिकार में थी।


रश्मी के बेपनाह खूबसूरत नंगे लाचार जिस्म के अपने अधिकार में होने की कल्पना से तुषार की उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और उसका लंण्ड़ लोहे के समान कड़्क हो जाता है। अपने ल्ण्ड़ के और भी कड़क हो जाने से वो और भी उत्तेजित हो जात है और रश्मी को बुरी तरह से अपनी बाहों में भीच लेता है और जोर जोर से अपनी कम्रर को हिलाने लगता है।


वो अपना ल्ण्ड़ इतनी जोर जोर से उसकी चूत में ड़ाल रहा था कि चूत और लण्ड़ की इस टक्कर में फ़च फ़च बद बद की आवजे कमरे में गूंजने लगती है और हर झटके के साथ रश्मी के मुंह के एक आह निकल जाती थी । आहह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उइईईईई मांम्म्म्मां बस्स्स्स्स्स ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ रश्मी के मुंह के से निकलने वाली कराहों से तुषार और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और वो पूरी मस्ती में झूम झूम कर रश्मी को चोदने लगता है।


दोनों की आखें बंद थी और दोनो एक दूसरे से बुरी तरह से लिपटे हुए थे , दोनों के मुह से थोड़ी थोडी देर में उह्ह आह्ह ओफ़्फ़ की हल्की से आवाजे निकल रही थी और कमरे के वतावरण को कामुक बना रही थी। रश्मी का हाथ अब तुषार के पीठ पर था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसकी पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगी थी।


तभी तुशार हौले से अपना सर उपर उठाता है और धीरे से अपनी आंख खोल कर रश्मी की तरफ़ देखता है, उसकी आंखे काम की उत्तेजना के कारण लाल सुर्ख थी । वो देखता है कि रश्मी हौले हौले अपना सर कभी दाएं तो कभी बांए घुमा रही थी वो बार बार अपने होठों को अपने दातों से दबा लेती थी। उसके ऐसा करने का मतलब साफ़ था कि वो भी चुदाई के खेल का भरपूर मजा ले रही थी।


रश्मी को इस तरह करते हुए देख तुषार उत्तेजना के आवेग में दो तीन जोर का झटका उसकी चूत में लगा देता है तो रश्मी के मुंह से जोर से चीख निकल जाती है आह्ह्ह्ह तो तुषार उसे जोर भीच कर ताबड़्तोड़ उसके गालों को चूमना शुरु कर देता है। इस तरह चूमने से रश्मी भी उत्तेजित हो जाती है और वो उसे जोर से भींच लेती है और वो और भी तेजी से उसकी पीठ पर हाथ घ्माने लगती है।
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कुछ देर तक इसी तरह से रश्मी भाभी को चोदने के बाद तुशार थोडा उपर उठता है और अपना बांया हाथ पलंग पर रख कर उसी के सहारे थोडा उंचा हो जाता है अब वो रश्मी को असानी से हरकते करते हुए देख सकता था । वो उसी अवस्था में अपनी कमर लगातार हिला रहा था और अपना लंड रश्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो अपना एक हाथ रश्मी के नंगे जिस्म पर घुमाने लगता है ।


उसके हाथ अब रश्मी के चेहरे पर घुम रहे थे कभी वो अपना हाथ उसके गालों पर घुमाता तो कभी उसके होठों पर तो कभी वो उसके बालों में अपना हाथ घुमाता इसी तरहअपने हाथों को घुमाते हुए अब वो अपना हाथ धीरे से उसकी जवानी के रस से भरी हुई उसकी छातियों पर रख देता है और उसके दोनों स्तनो को बारी बारी से मसलने लगता है।


उफ़, औरत की ये छातियां हमेंशा ही मर्दों के आकर्षण का केन्द्र रही है , इन्हें पाने और भोगने के लिये ये मर्द हमेंशा ही बड़ा से बड़ा कुकर्म करने के लिये तैयार रहते हैं। कभी तुशार भी रश्मी की छाती के क्लिवेज देखने के लिये तरसता था और उसे देखने के लिये उसके आगे पिछे घुमता रहता था आज उसी रशमी की गदराई छातियां उसके सामने एकदम नंगी खुली पड़ी थी और वो उसे जोर जोर से मसले जा रहा था।


अत्यधिक मसले जाने के कारण रश्मी की छातिय़ां लाल हो गई थी और उसमे तुषार की उंगलियों के लाल निशान साफ़ तौर पर दिख रहे थे। अब तुषार नें थोडा निचे झुकते हुए उसके बाएं बूब्स के निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और उसे जोर जोर से चूमने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसका दायां दूध मसलने लगा और निचे अपने लंड़ के धक्के उसने रश्मी की चूत में लगाने जारी रखे ।


इस तरह बूब्स को दबाने और चूसने और अपनी चूत में लगातार लंड़ के झटके पड़ने से रश्मी भी काम उत्तेजना में झूम जाती है और अपनी कमर को हौले हौले झटके देने लगती है एक दूसरे की बाहों में नग्न रश्मी और तुषार लगातार अपनी कमर को झटके दे कर चुदाई में इतने तल्लीन हो चुके थे कि कि वो दोनों ही अपनी सुध बुध खो चुके थे उन्हें खुद का भी खयाल नहीं था वे तो बस एक दूसरे में इतने तल्लीन हो चुके थे मानों संभोग करते हुए उन्हें समाधी लग गई हो।


कुछ देर तक इसी तरह अपनी सुध बुध खो देने वाली चुदाई के बाद तुषार तनिक उपर उठता है और उसका बूब्स चूसना छोड़ कर अब वो रश्मी के उपर उकडू बैठ जाता है उसका लन्*ड़ अभी भी रश्मी की चूत में था , अब वो उसके दोनों बूब्स को फ़िर अपने दोनों हाथों ले लेता है और उसे बुरि तरह्से मसलने लगता है और अपने लंड़ को और भी जोर जोर से उसकी चूत में पेलना शुरु कर देता है तो रश्मी का चेहरा आनंद से खिल उठता है तुषार की इस हरकत से उसे इतना आनंद मिलता है कि उसके मुंह से आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आउच्च्च्च्च्च्च्च ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ की अवाज निकलने लगती है और वो वासना के समुन्दर में गोते लगाने लगती है।


रश्मी को इतनी मजबूती से राज ने कभी नहीं चोदा था इसीलिये तुषार द्वारा उसकी ऐसी चुदाई करने से वो अपना सुध बुध को बैठी और अपने और तुषार के बीच के रिश्ते को भी भूल बैठी,पिछले कई महिनों से उसकी दमित वासना को तुषार ने न केवल भड़काया था बल्कि उसे उतनी ही खूबसरती से शांत भी कर रहा था। रश्मी आज काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी और वो अब तक की अपनी सारी हिचक और शरम को छोड़ उन्मुक्त भाव से तुषार का साथ दे रही थी और अपनी हवस शांत करने के लिये अपना नंगा शरीर उसे सौंप चुकी थी। अपना शरीर पूरी तरह से निढाल कर दिया था कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं था और अपने सम्पूर्ण शरीर को ढीला छोड़ के तुषार के हवाले कर दिया था और उसे अपने नंगे जिस्म के साथ मनमानी करने और उससे खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी थी।


रश्मी के इस उन्मुक्त समर्पण ने तुशार को और भी हब्शी बना दिया वो और भी कमातुर हो कर रश्मी को चोदने लगा , वो और जोरों से उसकी चूत में झटके मारने लगा रश्मी के पहाड़ के जैसे विशाल स्तनों को उसने और भी जोरों पकड़ लिया और उसे इस तरह से मसलने लगा मानों वो उसे उसकी छातीयों से उखाड़ कर निकालना चाहता था।


रश्मी अपना सर बड़ी ही तेजी से इधर उधर घुमा रही थी अपनी ऐसी चुदाई से अब वो हांफ़ने लगी थी और अब वो लंबी लंबी सांसे ले रही थी। तुषार उसकी इस अवस्था को देख उत्तेजना के सागर में डूबता चला जाता है और उसके दोनों विशाल स्तनों को छोड़कर अब अपने दोनों हाथ उसकी पीठ के नीचे ले जाता है और उसे आहिस्ता से उठा कर अपनी गोद में बिठा लेता है फुरी तरह से निढाल रश्मी के दोनों हाथ दाएं बाएं झूल जाते है और वो एक झटके में उसकी गोद में समा जाती है। तुषार का लंड़ रश्मी की चूत में था और नंगी रश्मी तुषार की गोद में उसके दोनों हाथ झूल रहे थे और गर्दन पिछे की तरफ़ झुकी हुई थी। चूंकी वो उसकी गोद में बैठी थी इसलिये उसके दोनों विशाल स्तन उसके मुंह के पास झूल रहे थे , तुषार ने मारे उत्तेजना के उसके विशाल स्तन को अपने मुंह से लगा लिया और उसमें भरे जवानी के रस को पीने लगा।


तुषार ने अब अपना एक हाथ उसकी पीठ से हटा कर उसकी चिकनी गांड़ पर रखा और उसे हल्के हल्के से उपर उठाने और छोड़्ने लेगा रश्मी अब उसकी गोद में उपर निचे होने लगी और तुषार की गोद में बैठे हुए ही उससे चुदने लगी। किसी मर्द की गोद में बैठ कर चुदने का रश्मी का ये पहला अनुभव था उसे ये अभास भी नही था कि मर्द की गोद में बैठ कर भी उसका लंड अपनी चूत में लिया जा सकता है, ये नया अनुभव उसके लिये काफ़ी रोमांचक था और वो इस रोमांच का भरपूर मजा ले रही थी उसने अपने दोनों लटके हुए हाथ अब तुषार के कंधो पर रख लिये और वो खुद भी अपने पैरों के पंजो के सहारे थोड़ा थोड़ा उपर नीचे होने लगी इससे तुषार को काफ़ी रोमांच होने लगा और उसका हाथ थोड़ी देर के लिये खाली हो गया ।


अब वो रश्मी को उपर नीचे करना छोड़ कर उसकी गांड़ को सहलाने लगा क्योंकि रश्मी खुद ही उसकी गोद में बैठ कर उसके लंड़ पर उपर नीचे हो रही थी और झटके मार रही थी। अपने हाथों से वो रश्मी की चिकनी गांड़ो को सहलाते हुए उसकी गांड़ का छेद तलाशने लगता है और अपना हाथ उसकी गांड़ के छेद पर रख देता है।


अपनी गांड़ के छेद पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी के शरीर में एक सनसनी दौड़ जाती है और वो तनिक जोर से उसके कंधो को पकड़ लेती है। इधर तुषार अब हौले हौले उसकी गांड़ के छेद को अपनी उंगली से रहड़ने लगता है। अपने शरीर के दोनों छेदों पर एक साथ घर्षण से रश्मी थरथरा जाती है।उसके जिस्म में ऐसी उत्तेजना होने लगती है जिसे सहन करना अब उसके बस में नहीं था ।

रश्मी की गांड़ मारने की तुषार की बहुत इच्छा थी लेकिन इससे पहले वो उसे अपने मोटे लंड़ के लिये तैयार करना चाहता था। कुछ देर तक उसकी गांड़ के छेद में अपनी उंगली रगड़्ने के बाद वो हौले से अपनी पहली उंगली को थोड़ा सा धक्का देते हुए उसकी गांड़ मे घुसा देता है और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगता है।


गांड़ में तुषार की उंगली और चूत में उसका लंड़ अपने दोनों छेदों की इस तरह से एक साथ चुदाई से रश्मी इससे एकदम बदहवास हो जाती है और वो तुषार को जोर से भींच लेती है और उसे ताबड़ तोड़ चूमने लगती है। उसे ऐसा लगा कि अब वो झड़ जायेगी। तुशार तेजी से उसकी गांड़ में उंगली से अंदर बाहर करने लगता है।थोडी देर तक इसी तरह अपनी उंगली अन्दर बाहर करने के बाद वो अपनी उंगली को थोडा और अंदर धक्का देता है, और अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ में घुसा देता है।और गांड़ में ही उसे हिलाने लगता है। कुछ देर तक अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ मे रखने के बाद वो एक और धक्का देता है और अब उसकी पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे समा जाती है।


अब तुषार अपनी पूरी की पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे अंदर बाहर करने लगता है, रश्मी जैसे अपना आपा खो बैठती है और अपनी कमर को जोर जोर से हीलाने लगती है और वो तुशार को बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लेती है।आज तो तुशार जैसे जन्नत की सैर कर रहा था । रश्मी की चूत में उसका लन्ड़ उसकी छाती तुषार के मुंह में और रश्मी की गांड़ मे तुषार की उंगली उसकी तो जैसे पांचो उंगलियां घी में थी।


लग्भग दस मीनट तक रश्मी को इसी तरह से चोदने के बाद वो फ़िर से रश्मी को लिटा देता है और खुद उसके नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है। तुषार अपने जिस्म की हवस तो रश्मी के नंगे जिस्म से मिटा रहा था लेकिन उसके दिमाग में भी वासना की हवस भरी हुई थी और इसी लिये वो अब रश्मी के साथ कामुक बातें करना चाहता था। रश्मी की चूत में लंड़ डालने से उसके शरीर को आराम मिल रहा था और उसके लंड़ की प्यास बुझ रही थी लेकिन कामुक बातें करने से उसके दिमाग को सुकुन मिल रहा था । तुषार रश्मी से कहता है बहुत खूबसूरत नंगी हो तुम रश्मी, तेरा ऐसा नंगा जवान जिस्म पाकर तो मैं धन्य हो गया । वो प्रतुत्तर में कुछ नहीं कहती के हूं कह के रह जाती है लेकिन तुषार अपनी बात कहना जारी रखता है:-


तुषार : अब रोज ड़ालुंगा तेरे अंदर डार्लिग, बोलो दोगी न रोज डालने के लिये?

रश्मी : ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : क्या ऊउउउउं ? बोलो न कुछ अपने मुंह से

रश्मी : हां

तुषार : अरे ऐसे नही फुरा बोलो " हां मै रोज डालने दूंगी" बोलो न ऐसा प्लीज।

रश्मी : मुझे शरम आती है मैं नही बोल सकती।

तुशार : अब क्या शरमाना ? मेंरा पूरा लंड़ आधे घंटे से तेरी चूत में घुसा हुआ है , और फ़िर खाली मुझे ही तो कहना है और कौन सुनेगा तेरी बात को? अब बोल दो प्लीज। मेंरे कान तरस रहे है ये सुनने के लिये तेरे मुंह से।

रश्मी थोड़ी ना नुकुर और शरमाने के बाद) हां मै रोज डालने दूंगी।

तुषार : कभी मना तो नहीं करोगी?

रश्मी : कभी मना नहीं करुंगी , तुम्हारी जब मरजी हो ड़ाल लेना?

तुषार : जब मर्जी हो तभी? याने ?

रश्मी : जब मर्जी याने " जब मर्जी" जब तुम कहोगे तुमको ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : क्या ड़ालने दोगी?

रश्मी : जो तुम्हारी इच्छा हो।

तुषार : जैसे?

रश्मी : जो अभी ड़ाल के रखा हुआ है।

तुषार : क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : (उसकी पीठ पर चपत लगाती हुई तनिक जोर से कहती है) ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : फ़िर वो ही बात , बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : मुझे नहीं पता

त्षार : देखो,, मजाक मत करो बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : सच मुझे नहीं पता इसका नाम।

तुषार : अच्छा!!! लो मैं बताता हूं इसका नाम । इसे "लंड़" कहते है रश्मी जो अभी तेरे अंदर मैंने

डाल रखा हुआ है। अब बोलो।

रश्मी : नहीं नहीं मैं नही बोल सकती।

तुषार : (रश्मी की गांड़ में हल्की चपत लगाते हुए) बोओओओओल प्लीज।

रश्मी: (थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं तुमको रोज ल्ल्ल्ल्लंड़ ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : कहां ड़ालने दोगी लंड़ को?

रश्मी : (तनिक गुस्से से) तुम भी न, मैं और नहीं बोलूंगी

तुषार : (प्यार से) बोल न प्लीज, अब ये मत बोलना तुझे ये भी नहीं पता की मैंने कहां ड़ाल के रखा हुअ है? ले मैं उसका भी नाम बता देता हुं उसेको "चूत" कहते हैं रश्मी जहां मेंरा लंड़ घुसा हुआ है अभी।

रश्मी फ़िर थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं रोज तुमको ल्ल्ल्लंड़ च्च्च्च्च्चूत में ड़ालने दूंगी कभी मना नही करुंगी।

तुषार : और पिछे?

रश्मी : अब मैं और कुछ नहीं बोलुंगी जो बोलना था सो बोल दिया?


तुषार उस्स्को और परेशान नहीं करता और उसको चूमने लगता है। दरासल वो ये चाहता था कि तन के साथ रश्मी उसके साथ मन से भी खुल जाय तो उसे चोदने में और भी मजा आयेगा।


वो फ़िर से अपने धक्के तेज कर देता है और रश्मी की बुर में अपना लंड़ पेलने लगता है। कुछ देर तक अपना लंड़ रश्मी की बुर में पेलने के बाद अचानक रश्मी जोर से तुषार को पकड़ लेती है फ़िर एकदम से निढाल पड़ जाती है और अपने दोनों हाथों को सर के उपर ले जा कर ढीला छोड़ देती है और अपना सर एक तरफ़ लुड़का देती है। उसकी आंखो में आंसू की बुंदे टपक जाती है। कई महिनों के बाद दमित इच्छा पूरी होने से खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकल जाते हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शर्मिली भाभी - by neerathemall - 30-01-2023, 02:45 PM



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