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Adultery शर्मिली भाभी
022...

अब वो रश्मी को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता है , बाहर आ कर वो रश्मी को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता है। नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर आती है और तुशार फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके बदन को मसलना चालू कर देता है। कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद वो उसे अलग करता है, उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी । तुशार उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों को चूम लेता है। अब तुशार के लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और वो अपने कपड़े उतारने लगता है। पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को वो उतार के फ़ेंक देता ।


तुषार के इस तरह कपड़े उतारने से रश्मी की धड़्कन तेज हो जाती है और वो समझ जाती है कि अब आगे क्या होने वाला है।अब वो आंखे बंद किये आने वाले तूफ़ान का इंतजार करने लगती है।


तुषार ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब वो भी रस्मी के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता है। तुषार का लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। रश्मी में इतना साहस नहीं था कि वो उसके नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे तुषार ने रश्मी को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। रश्मी ने पहली बार उसके बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। रश्मी ने साफ़ मह्सूस किया कि तुशार इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ है कि उसका पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।


कुछ देर तक रश्मी को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद वो उससे अलग होता है और उसे खीच कर पलंग के पास लाता है और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता है, रश्मी के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े तुषार ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। तुषार का लंड़ अब रश्मी के मुठ्ठी में था और वो उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा। रश्मी के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया कि तुषार का लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद राज ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उसने कभी भी रश्मी को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उसे तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी।


रश्मी के नरम नरम हाथ जब तुषार के लंड़ पर आगे पिछे सरक रहे थे तो उसे एक अजीब आनंद का अनुभव हो रहा था। उसे कभी गुमान भी न था कि रश्मी के हाथों में ऐसा जादू छिपा है। तुषार का लंड़ अब बुरी तरह से कड़्क हो गया था और उसे निचे करना संभव नहीं था इसलिये रश्मी अब उसके लंड़ को उपर से नीचे की तरफ़ सहला रही थी। तुषार अब बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और लंड में अत्यधिक तनाव के कारण अब वो दुखने लगा था। तनाव और उत्तेजना के कारण उस अब ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्द ही इसकी चूत में ना ड़ाला तो ये अब फ़ट जायेगा।


उसने रश्मी के हाथों को अपने लंड़ से अजाद किया और वो रश्मी के और भी सामने आ कर खड़ा हो गया, अब तुशार का लंड़ रश्मी के एकदम मुंह के सामने था । उसने अपना लंड़ रश्मी के गालों में लगाया और वहां उसे रगड़ने लगा। वो रश्मी के पूरे जिस्म में अपना लंड़ रगड़ना चाहता था, अब उसने अपना लंड़ उसके गालों से हटा कर उसके पूरे चेहरे में घुमाने लगा। रश्मी बेहद शर्मसार थी और आंखे बंद किये हुए तुषार की अपने नंगे जिस्म के साथ खिलवाड़ को महसूस कर रही थी।


तुषार अब अपने लंड़ को उसके होठों पर घुमाने लगा मानो वो अपने लंड़ से उसके होठों लिपिस्टिक लगा रहा हो। रश्मी ने अपने मुंह को को जोर से भीच लिया और अपने होठोंं को भी जोर से बंद कर लिया कहीं गलती से तुषार का लंड़ उसके मुंह मे ना घुस जाय। किसी मर्द के लंड़ का अपने मुंह से खिलवाड़ उसके साथ पहली बार हो रहा था , उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसे उबकाई आ जायेगी और वो उल्टी कर देगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और कुछ ही क्षणों में वो उसके लंड़ की की अभ्यस्त हो गई।


तुषार ने अपने बांये हाथ से रश्मी के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो रश्मी का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अब तुषार उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन रश्मी ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये उसे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। उसने थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अब उसने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया । अब रश्मी गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि तुषार का मोटा लंड़ उसके मुंह में था।


तुषार ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकी तुषार के धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बाद उसने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।


रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज तुषार ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी तुषार के लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने तुषार के लंड़ के लिये अपने मुंह में और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन तुषार ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।


रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर तुषार आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी वो प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह रश्मी सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।






[Image: 66903.jpg?1627989505]

[size=undefined]नंगी रश्मी ड़ागी स्टाइल में पलंग मे थी और तुषार पलंग के नीचे खड़ा था रश्मी के दोनों विशाल स्तन झूल रहे थे तुषार बीच बीच में अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड़ो को सहलाने लगा और अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ और उसकी चूत के छेद मे मसलने लगा इससे रश्मी की उत्तेजना और बढ़ गई और वो और भी जोरों से उसके लंड़ को चूसने लगी और अब वातावरण में दोनॊं जवान जिस्मॊ के मुंह से निकलने वाली सिसकियां गुंजने लगी । अचानक रश्मी को होश आया कि तुषार ने उसका सर कभी का छोड़ दिया है और वो खुद ही उसका लंड़ चूसे जा रही है वो हड़्बड़ा कर उसका लंड़ चूसना छोड़ देती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और तुषार के सामने उसकी हकीकत जाहिर हो चुकी थी । उसने मारे शर्म के अपनी आंखे बंद कर ली और पलंग पर ही बैठी रही।


तुषार ने अब उसकी तरफ़ गौर करने बजाय उसे हौले से धक्का दिया और उसे पलंग पर धकेल दिया रश्मी अब पलंग पर पीठ के बल पड़ी थी उसका सर एक तरफ़ झुका हुआ था और दाहिना हाथ उपर की तरफ़ उठते हुए उसके सर के पास पड़ा था और दूसरा हाथ उसके स्तन के ठीक नीचे और पेट के ठोड़ा उपर पड़ा था , उसकी आंखे बंद थी और उसके विशाल स्तन उत्तेजना के मारे जोर जोर से हील रहे थे । किसी कामतुर मर्द के सामने ऐसी समर्पित बेबाक नग्न सुंदरी पड़ी हो तो उसका उत्तेजना के मारे पागल होना लाजिमी है। तुषार भी रश्मी को इस तरह पड़े देख पागल हो जाता है और वहीं पलंग के पास नीचे बैठ जाता है , वो उसकी दोनों टांगो को फ़ैलाता है और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।अब तुषार रश्मी चूत को चूसना शुरु कर देता है उसके मुंह से चप चप चपड चपड की अवाज आने लगती है । रश्मी के मुंह से उत्तेजना के मारे आह निकलने लगती है और वो अपना सर पलंग में इधर उधर घुमाने लगती है अपने दोनों हाथों को उपर कर के वो तकिये के कोनों को जोर से पकड़ लेती है और उसे मसलने लगती है।


तुषार अपने दोनों हाथों को उसकी गांड़ो के नीचे ले जा कर उसे थोड़ा जोर लगा कर उपर उठा देता है अब उसकी चूत और भी असानी से उसके मुंह मे आ जाती है ,तुषार अपने मुंह में ढेर सारा थूक भर कर रश्मी चूत में उंड़ेल देता है इससे उसकी चूत और भी चिकनी हो जाती है |


अब वो उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता है । रश्मी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब तुषार के लिये उसकी चूत मे मुंह लगाये रखना कठिन हो जाता है तो वो और भी ताकत से अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है और अपनी जीभ उसकी जवान चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है।


इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रश्मी थरथराने लगती और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो जाती है। वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगती है, उसकी बदहवासी ने तुषार को और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया तथा वो और भी अधिक जोश से रश्मी की बुर को चूसने लगता है ।


चूत के के इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रश्मी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगता है, उसके बुर के मादक पानी ने तुषार की उत्तेजना को और भी अधिक बढा दिया । उसके लिये अब अपना लंड़ रश्मी की चूत से बाहर रखना संभव नहीं हो पा रहा था वो अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था, तुषार को ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्दी से रश्मी भाभी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।


तुषार, रश्मी की जवान बुर के रस का अभी और मजा लेना चाहता था , उसका मन अभी उसकी चूत से भरा नहीं था वो उसे और भी कुछ देर तक चूसना चाहता था लेकिन वो भी अपने लंड़ की बगावत के आगे मजबूर हो जाता है और ना चाहते हुए भी अपना मुंह रश्मी की रसीली चूत से अलग करता है । तुषार पलंग पर चढ़ जाता है और लाल सुर्ख आंखों से अपने सामने पड़ी नंगी पड़ी अपनी रश्मी भाभी के जिस्म कामुक निगाहों से देखने लगता है ,उसके देखने का अंदाज ऐसा था मानो वो उसे अपनी नजरों से ही उसे चोद देना चाहता हो। उसके संपूर्ण शरीर पर भरपूर निगाह ड़ालने के बाद उसकी निगाहें अब रश्मी की उभरी हुई चूत पर जा टिकती है , बिना बालों वाली उसकी चिकनी सलोनी चूत जिसे अभी कुछ ही क्षणों पहले तुषार चूस चूस कर उससे रश्मी की जवानी का रस पी रहा था , वो चूसे जाने के कारण फूल कर बाहर की तरफ उभर रही थी और उसकी दरार साफ़ दिखाई दे रही थी।


रश्मी की चूत अभी भी गीली थी और उसके मन की कामवासना चिकने पानी के रुप में उसकी चूत से बाहर आ रही थी , तुषार ने जैसे ही उसे चूसना बंद किया रश्मी को अपनी चूत में एक अजीब सा खालीपन महसूस होने लगा । उसे महसूस होने लगा कि उसकी चूत में कुछ होना चाहिये जो इस वक्त नहीं है , चूत के इस खालीपन को भरने के लिये उसकी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी और उसकी वजह से रश्मी की चूत अपने आप झटके मारने लगी।


रस्मी ने आंखे खोल कर तुशार की तरफ़ देखा तो उसे अपनी चूत को घूरते हुए पाया , तुषार को इस तरह अपनी चूत को घूरते और अपनी चूत के लगातार झटके मारने के कारण वो शर्मा जाती है , उसका चेहरा मारे शर्म के लाल सुर्ख हो जाता है और वो फ़िर से अपनी आंखों को बंद कर अपना चेहरा घुमा लेती है।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: शर्मिली भाभी - by neerathemall - 30-01-2023, 02:40 PM



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