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Adultery शर्मिली भाभी
बाहर से रश्मी की सास उसे अवाज लगा रही थी " रश्मी, ओ रश्मी कितनी देर हो गई तुम्हें उपर आये अभी तक नहाया नहीं तुमने ? क्या कर रही हॊ?


अन्दर दोनों की फ़टी पड़ी थी और रस्मी तो मारे ड़र के थरथराने लगी थी उसके मुंह से कुछ बोल ही नहीं फ़ूट रहा था। इधर तुषार को काफ़ी समय बाद ये याद आया कि वो दरअसल उपर आया क्यों था।

रश्मी मारे ड़र के तुषार की तरफ़ देखती है, वो मानो नजरों से ही उसे कह रही हो कि बचाव इस मुसीबत से वर्ना दोनों की खास तौर से मेरी तो इज्जत गई। तुषार उसे चुप रहने का इशारा करता है और कुछ क्षण सोचता है फ़िर तत्काल ही अपने सामने खड़ी नंगी रश्मी को अपने दोनों हाथों से उठाता है और बाथरुम की तरफ़ उसे ले जाता है। उसने रश्मी को ऐसे उठाया था कि उसकी पूरी गांड़ तुषार के बांए हाथ में और उसका दाहिना स्तन तुषार के दांये पंजो मे था।


वो उसे उसी तरह उठा कर बाथरुम में ले जाता है और वहीं खड़ी कर देता है और खुद बाल्टी को नल के नीचे रख कर उसे थोड़ा खोल देता है । अब पानी की अवाज कमरे के बाहर जाने लगती है जिससे उसकी सास को ऐसा लगता है कि वो अभी तक नहा रही है। वो बाहर से फ़िर चिल्ला कर कहती है " अभी तक नहाया नही क्या रश्मी तुमने?


रश्मी अभी तक घबराई हुई थी उसे कुछ सूझ नहीं रहा था , तभी तुषार उसके कान में फ़ुसफ़ुसा कर कहता है " बोलो नहा रही हूं , तबियत ठीक नहीं लग रही थी इस्लिये उपर आ कर थोड़ा लेट गई थी"

रश्मी ने घबराहट में तुषार की बात को दोहरा दिया।


अब उसकी मम्मी फ़िर उसे कहती है " कोई बात नहीं बेटा रात को नींद ठीक से नही होने की वजह से ऐसा हुआ होगा। तुम चाहो तो और अराम कर कर के नीचे उतरना। अब नाश्ता बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा आज सबके लिये होटल से नाश्ता ले कर आये हैं। नीचे आ कर खा लेना। और सुनो मैं तुम्हे ये बताने के लिये उपर आयी हूं कि आज दोपहर लग्भग ११:३० बजे हम सभी एक साथ बाजार जायेंगे और तुषार की सगाई के लिये जो भी खरीदी करनी है कर लेंगे। फ़िर कल राज और उसका बास भी आ जायेंगे तो समय नही मिलेगा । और उसके एक दिन बाद सगाई है न।


अब रश्मी जरा संभल जाती है और अंदर से जवाब देती है " जी,मम्मी जी मैं नहा कर नीचे आती हूं और सबका खाना बना देती हूं , मुझे थोडी हरारत जैसा है लेकिन ठीक हो जायेगा।


मम्मी : अरे नहीं बेटा खाना वाना बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा कह रहे थे कि आज दोपहर का खाना भी किसी होटल में ही खा लेंगे, समझी । तुम चाहो तो ११:३० तक अराम से तैयार हो कर नीचे आ जाना ।

रश्मी: जी, मम्मी जी । (तुषार उसके कान में कहता है उसको बोलो की तुम थोड़ा अराम कर के नीचे आओगी) लेकिन वो नहीं बोलती । तुषार तनिक गुस्से में जरा जोर से फ़ुसफ़ुसा कर रश्मी से बोलता है

" बोलती या मैं बोलूं" और वो मुंह खोल कर बोलने का नाटक करता है। रस्मी तुरंत उसका मुंह दबा कर जोर से उसकी कही बात दोहरा देती है। उसकी सास कहती ठीक है बेटा तुम ११:३० तक आराम कर के

नीचे आ जाना , अच्छा मैं जा रही हूं नीचे तुम्हारे पापा नाश्ते के लिये अवाज लगा रहे हैं तुम अराम कर के समय से नीचे पहुंच जाना। ऐसा बोल कर वो वहां से चली जाती है। तुषार और रश्मी दोनों ने उसके

पैरों कमरे से दूर होती अवाज को सुनी और जब उसकी सीढीयों से उतरने की अवाज उसे आने लगी तो तुषार समझ जाता है कि उसकी मां गई और उसका चेहरा खिल उठता है।


अब वो बाथरुम में ही नंगी खड़ी रश्मी को ताबड़्तोड़ चूमना शुरु कर देता है। रश्मी ने जिस तरह से उसकी मां से झूठ बोलने में तुषार का साथ दिया था और उसकी कही बातों को दोहराया था उससे तुषार को समझ आ गया कि इसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी है और इसके लिये वो चुद जायेगी लेकिन अपने चुदने का राज किसी को नहीं बतायेगी।


अब तुषार रस्मी को पीछे की तरफ़ घुमा देता है और उसकी गांड़ तुषार की तरफ़ हो जाती है , तुषार उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था । पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह

की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज उसके सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी तुषार उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। रश्मी पूरी

तरह से उसके कब्जे में थी। तुषार नीचे बैठ जाता है और उसकी गांड़ो को चूमने लगता है , रश्मी की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से तुषार उत्तेजना की नई उचांईयो में पहुंच जाता है। रश्मी की गांड़ो को उसने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास उसे आज पहली बार हो रहा था।


वो रश्मी की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब तुषार ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता है और उसको नीचे चूमना शुरु करता है पहले नंगी खड़ी रश्मी की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में उसकी गर्दन वो अब पूरी तरह से नंगी खड़ी रश्मी के पिछे खड़ा हो जाता है और उसे पिछे से दबोच लेता है अब उसक लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और वो अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता है।


अपना मुंह उसके गालों से लगा कर वो उसके गालों को चूमने लगता है। अब वो उसको कहता है " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " रश्मी कोई उत्तर नहीं देती है तो तुषार कहता है " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, रश्मी मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए वो अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आता है और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ से वो उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ उसने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।


रश्मी को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन तुशार आखिर उसका पति तो था नहीं और वो जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये रश्मी की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो तुषार मुझे जाने दो।


सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और रश्मी की सिस्कियां और आंसू भी तुषार की वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और वो पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शर्मिली भाभी - by neerathemall - 30-01-2023, 02:25 PM



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