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Adultery शर्मिली भाभी
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वो कुछ देर फ़िर रुका रहा ये देखने के लिये कि शायद कुछ सामान्य होने के बाद ये फ़िर कुछ प्रतिक्रिया दे लेकिन अब रश्मी कुछ बोल नहीं पा रही थी केवल फ़र्श पर नंगी बैठी हुई अपनी किस्मत और दुविधा दोनों पर आंसू बहा रही थी। ये बात एकदम सही थी कि यदि तुषार ने जो बोला था वो कर दे तो वाकई एक बड़ा धमाका हो सकता था और दोनों ही परिवारों की प्रतिष्ठा समाज में धूमिल हो जाती। लेकिन तुषार बड़ा ही कमीना और मक्कार था उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था, वो तो केवल रश्मी को ड़राने के लिये ऐसा बोल रहा था। और इसी ड़र की आड़ ले कर वो अपनी भाभी की बुर हासिल करना चाहता था। लेकिन बेचारी रश्मी तो नादान थी वो कोई ईश्वर की तरह अन्तर्यामी तो थी नहीं कि वो तुषार के मन की बात समझ सकती लिहाजा एक इंसान के रुप में उसका ड़रना और भयभीत होना लाजिमी था।


रश्मी उठ कर अपने कपड़ों तक जाना चाहती थी और कपड़े पहन किसी तरह रुम से बाहर निकल जाना चाहती थी, लेकिन अपनी नग्नता के अहसास ने उसे जमीन पर चिपका कर रखा था। उसे यूं तुषार के सामने नंगी चल कर जाने में बेहद लज्जा का अनुभव हो रहा था। वो इसी उहापोह मे पड़ी थी कि उसे उठ कर जाना चाहिये या नहीं इसी बीच तुषार उसके पास आ कर बैठ गया और उसकी नंगी पीठ पर हौले हौले हाथ घुमाने लगा। रश्मी का कलेजा जोर जोर से धक धक करने लगा, उसे लगने लगा कि यदि तत्काल कुछ नहीं किया तो इसके हाथों से अब बचना मुश्किल होगा। घबराहट के मारे उसकी रुलाई छूट पड़ी और वो फ़फ़कने लगी उसकी आंखों से आंसू की मोटी मोटी धारा निकलने लगी। वो कुछ कहने के लिये मुंह खोलना चाहती ही थी कि उसे तुषार की आत्महत्या की धमकी याद आ गई। उसके मस्तिष्क में एक के बाद एक अनेंक विचार आने लगे लेकिन वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी। यही रश्मी की सबसे बड़ी कमजोरी थी कि मुश्किल घड़ी में वो कभी ना तो सही सोच पाती थी और ना ही सही निर्णय ले पाती थी।


तुषार समझ चुका था अब ये ज्यादा विरोध करने की स्थिती में नहीं है, विरोध के नाम पर ये रोने के अलावा और कुछ नहीं करने वाली। तुषार की धमकी से वो इतना ड़र गई थी की उसके हाथ पैर ने हरकत करना ही बंद कर दिया था। उसने तुषार की बातों को सच मानते हुए उसकी मौत के बाद की स्थिती की ऐसी कल्पना अपने मन में करी कि उसके विरोध करने रही सही ताकत भी खतम हो गई, और रश्मी केवल अपनी झूठी कल्पना के भंवर जाल में फ़ंस कर रह गई।


अब तुषार उसकी पीठ से अपना हाथ घुमाते हुए उसके सीर पर ले गया और उस पर उसके सर और बालों से खेलने लगा । वो उसके सर पर उसी अंदाज में हाथ घुमा रहा था जिस अंदाज मे एक कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते के उपर घुमाता है। ऐसा कर के वो अपने कुत्ते से प्यार तो जताता ही है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उसे ये भी बता देता है कि तू मेंरा पालतू है और मैं तेरा मालिक तुझे अंतत: मेरे ही इशारों पर नाचना है। तुषार भी रश्मी के सर पर हाथ फ़ेर कर प्यार तो कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ ये भी जता रहा था कि अब मैं ही तेरे इस खूबसूरत नंगे जिस्म का मालिक हूं और तेरी मर्जी मेंरे लिये कोई अहमियत नहीं रखती।


तुषार अब अपना होंठ उसके गालों पर ले जाता है और उसे चूमने लगता है, रश्मी अपना मुंह शर्म के मारे नीचे करने की कोशीश करती है लेकिन तुषार उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों से अपना होंठ लगा देता है और उसके मीठे मीठे, नरम और रसीले होठों को चूसना शुरु कर देता है। रश्मी के लिये ये सब नितांत नये अनुभव थे और वो धीरे धीरे वासना के नशें ड़ूबती जा रही थी। उसका मन कह रहा था कि ड़ूब जा इस नशें में लेकिन दिमाग इंकार कर रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि रश्मी मन जीत रहा था और दिमाग हार रहा था। उसके मन से दिमाग का नियंत्रण खतम होते जा रहा था।


लगभग ३-४ मीनट तक अपनी भाभी के होठों चूसने के बाद वो धीरे से उसको उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है और अपना दांया पांव उपर उठा लेता है और उसका तकिया बना कर रश्मी का सर उसमें रख देता है। अब रश्मी का सर पीछे की तरफ़ लटक जाता है और उसके दोनों विशाल स्तन आगे की ओर उभर जाते हैं, तुषार हौले हौले उसके स्तनों को मसलना चालू कर देता है। रश्मी के मुंह से एक हल्की सी अवाज निकलती है आआआहहहहह , तुषार उसके स्तनों को मसलाना जारी रखता है। स्तनों को मसलते हुए वो अब उसकी नरम चूंचियों को भी मसलने लगता है। चूंचियों को मसलने से उसकी चूंची कुछ ही क्षणों में कड़क हो जाती है। तुषार समझ जाता है कि ये गदराई हसीना भी अब जवानी के मजे लूटने लगी है।अन्जाने ही सही या अनचाहे ही सही लेकिन स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलने पर काम का सुख तो दोनों को ही मिलता है, और रश्मी के साथ भी यही हो रहा था। अब तुषार बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसने उसके दूध को मसलना छोड़ कर अब उसके निप्पल पर अपना मुंह लगा दिया । अब रश्मी का बांया स्तन और उसकी निप्पल तुषार के मुंह मे था और वो उसे जोर जोर से चूस रहा था और दूसरा हाथ उसके दायें स्तन को बुरी तरह से मसल रहे थे। तुषार ने पागलों की तरह उसके एक स्तन पर अपना मुंह लगा रखा था और उसे चूस रहा था और इधर रश्मी की सांसे तेज होती जा रही थी और उसका पेट भी बुरी तरह से हिल रहा था। रश्मी ने अपने दोनो पैर जमीन पर फ़ैला दिये और उत्तेजना के मारे वो उसे इधर उधर फ़ेंकने लगी। अब उसका खुद से नियंत्रण समाप्त हो रहा था और उसके मुंह से अवाज निकलने लगी थी आह आह अह्ह आह उईमां ओफ़ ओफ़ आई आह।


अब तुषार ने उसके दांए स्तन को मसलना बंद किया और अपना बांया उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वो उस्का छेद तलाशने लगा। कुछ ही क्षणों मे उसने अपनी उंगली उसकी चूत के छेद पर रख दी और उसे मसलने लगा । रश्मी को मानो करंट लग गया और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। महीनों से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब जागने लगी थी। थोड़ी देर में तुषार अपना मुंह रश्मी के कान के पास ले जाता है और धीरे से उसके कान में कहता है " तेरे इसी छेद में मैं अभी अपना ड़ालूंगा और जीवनभर इसको अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था रश्मी तेरी इस चूत को पाने के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह कितनी नरम है रानी तेरी ये चूत, मैं तो धन्य हो गया रस्मी तुझे नंगी पा कर। कितनी खूबसूरत नंगी है तू रश्मी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कैसा गदराया बदन है तेरा मेंरी जान।


आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ला अब तेरी इस रसीली चूत को चूम लूं।


जैसे है तुषार रश्मी की चूत पर अपना मुंह लगाता है तभी दरवाजे पर किसी के खटखटाने की अवाज आती है। दोनो बुरी तरह से चौंक जाते है खासतौर पर रश्मी । रश्मी का चेहरा भय से पीला पड़ जाता है। औ वो ड़र के कभी दरवाजे की तरफ़ तो कभी अपने नंगे जिस्म की तरफ़ देखती है। वो घबराह के मारे उठ कर बैठ जाती है , इधर तुषार की पकड़ भी उसके बदन से खतम हो जाती है । दरअसल वो भी बुरी तरह से ड़र गया था। तभी दरवाजे से उसकी मां की अवाज सुनाई देती है वो जोर जोर से दरवाजे खटखटाते हुए रश्मी को अवाज लगा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शर्मिली भाभी - by neerathemall - 30-01-2023, 02:23 PM



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