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शर्मिली भाभी मूल कहानी
#11
026...

रश्मी की गांड़ मारने की तुषार की बहुत इच्छा थी लेकिन इससे पहले वो उसे अपने मोटे लंड़ के लिये तैयार करना चाहता था। कुछ देर तक उसकी गांड़ के छेद में अपनी उंगली रगड़्ने के बाद वो हौले से अपनी पहली उंगली को थोड़ा सा धक्का देते हुए उसकी गांड़ मे घुसा देता है और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगता है।


गांड़ में तुषार की उंगली और चूत में उसका लंड़ अपने दोनों छेदों की इस तरह से एक साथ चुदाई से रश्मी इससे एकदम बदहवास हो जाती है और वो तुषार को जोर से भींच लेती है और उसे ताबड़ तोड़ चूमने लगती है। उसे ऐसा लगा कि अब वो झड़ जायेगी। तुशार तेजी से उसकी गांड़ में उंगली से अंदर बाहर करने लगता है।थोडी देर तक इसी तरह अपनी उंगली अन्दर बाहर करने के बाद वो अपनी उंगली को थोडा और अंदर धक्का देता है, और अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ में घुसा देता है।और गांड़ में ही उसे हिलाने लगता है। कुछ देर तक अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ मे रखने के बाद वो एक और धक्का देता है और अब उसकी पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे समा जाती है।


अब तुषार अपनी पूरी की पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे अंदर बाहर करने लगता है, रश्मी जैसे अपना आपा खो बैठती है और अपनी कमर को जोर जोर से हीलाने लगती है और वो तुशार को बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लेती है।आज तो तुशार जैसे जन्नत की सैर कर रहा था । रश्मी की चूत में उसका लन्ड़ उसकी छाती तुषार के मुंह में और रश्मी की गांड़ मे तुषार की उंगली उसकी तो जैसे पांचो उंगलियां घी में थी।


लग्भग दस मीनट तक रश्मी को इसी तरह से चोदने के बाद वो फ़िर से रश्मी को लिटा देता है और खुद उसके नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है। तुषार अपने जिस्म की हवस तो रश्मी के नंगे जिस्म से मिटा रहा था लेकिन उसके दिमाग में भी वासना की हवस भरी हुई थी और इसी लिये वो अब रश्मी के साथ कामुक बातें करना चाहता था। रश्मी की चूत में लंड़ डालने से उसके शरीर को आराम मिल रहा था और उसके लंड़ की प्यास बुझ रही थी लेकिन कामुक बातें करने से उसके दिमाग को सुकुन मिल रहा था । तुषार रश्मी से कहता है बहुत खूबसूरत नंगी हो तुम रश्मी, तेरा ऐसा नंगा जवान जिस्म पाकर तो मैं धन्य हो गया । वो प्रतुत्तर में कुछ नहीं कहती के हूं कह के रह जाती है लेकिन तुषार अपनी बात कहना जारी रखता है:-


तुषार : अब रोज ड़ालुंगा तेरे अंदर डार्लिग, बोलो दोगी न रोज डालने के लिये?

रश्मी : ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : क्या ऊउउउउं ? बोलो न कुछ अपने मुंह से

रश्मी : हां

तुषार : अरे ऐसे नही फुरा बोलो " हां मै रोज डालने दूंगी" बोलो न ऐसा प्लीज।

रश्मी : मुझे शरम आती है मैं नही बोल सकती।

तुशार : अब क्या शरमाना ? मेंरा पूरा लंड़ आधे घंटे से तेरी चूत में घुसा हुआ है , और फ़िर खाली मुझे ही तो कहना है और कौन सुनेगा तेरी बात को? अब बोल दो प्लीज। मेंरे कान तरस रहे है ये सुनने के लिये तेरे मुंह से।

रश्मी थोड़ी ना नुकुर और शरमाने के बाद) हां मै रोज डालने दूंगी।

तुषार : कभी मना तो नहीं करोगी?

रश्मी : कभी मना नहीं करुंगी , तुम्हारी जब मरजी हो ड़ाल लेना?

तुषार : जब मर्जी हो तभी? याने ?

रश्मी : जब मर्जी याने " जब मर्जी" जब तुम कहोगे तुमको ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : क्या ड़ालने दोगी?

रश्मी : जो तुम्हारी इच्छा हो।

तुषार : जैसे?

रश्मी : जो अभी ड़ाल के रखा हुआ है।

तुषार : क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : (उसकी पीठ पर चपत लगाती हुई तनिक जोर से कहती है) ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : फ़िर वो ही बात , बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : मुझे नहीं पता

त्षार : देखो,, मजाक मत करो बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : सच मुझे नहीं पता इसका नाम।

तुषार : अच्छा!!! लो मैं बताता हूं इसका नाम । इसे "लंड़" कहते है रश्मी जो अभी तेरे अंदर मैंने

डाल रखा हुआ है। अब बोलो।

रश्मी : नहीं नहीं मैं नही बोल सकती।

तुषार : (रश्मी की गांड़ में हल्की चपत लगाते हुए) बोओओओओल प्लीज।

रश्मी: (थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं तुमको रोज ल्ल्ल्ल्लंड़ ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : कहां ड़ालने दोगी लंड़ को?

रश्मी : (तनिक गुस्से से) तुम भी न, मैं और नहीं बोलूंगी

तुषार : (प्यार से) बोल न प्लीज, अब ये मत बोलना तुझे ये भी नहीं पता की मैंने कहां ड़ाल के रखा हुअ है? ले मैं उसका भी नाम बता देता हुं उसेको "चूत" कहते हैं रश्मी जहां मेंरा लंड़ घुसा हुआ है अभी।

रश्मी फ़िर थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं रोज तुमको ल्ल्ल्लंड़ च्च्च्च्च्चूत में ड़ालने दूंगी कभी मना नही करुंगी।

तुषार : और पिछे?

रश्मी : अब मैं और कुछ नहीं बोलुंगी जो बोलना था सो बोल दिया?


तुषार उस्स्को और परेशान नहीं करता और उसको चूमने लगता है। दरासल वो ये चाहता था कि तन के साथ रश्मी उसके साथ मन से भी खुल जाय तो उसे चोदने में और भी मजा आयेगा।


वो फ़िर से अपने धक्के तेज कर देता है और रश्मी की बुर में अपना लंड़ पेलने लगता है। कुछ देर तक अपना लंड़ रश्मी की बुर में पेलने के बाद अचानक रश्मी जोर से तुषार को पकड़ लेती है फ़िर एकदम से निढाल पड़ जाती है और अपने दोनों हाथों को सर के उपर ले जा कर ढीला छोड़ देती है और अपना सर एक तरफ़ लुड़का देती है। उसकी आंखो में आंसू की बुंदे टपक जाती है। कई महिनों के बाद दमित इच्छा पूरी होने से खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकल जाते हैं।
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Sharma
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May 7, 2021
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#28
027...

तुषार भी उसे देख कर समझ जाता है की अब ये झड़ चुकी है। कुछ ही क्षणों मे वो तुषार से कहने लगती है प्लीज अब बस करो छोड़ दो मुझे । तुषार भी काफ़ी थक चुका था वो रश्मी को जोर से भींच कर अपने धक्के तेज कर देता है और उसे तेजी से चोदने लगता है। कुछ ही क्षणों में उसका वीर्य भी बाहर आने लगता है, जैसे ही वो स्खलित होता है वो अपना लंड़ तुरंत रश्मी की चूत से बाहर निकालता है और रश्मी का हाथ पकड़ कर अपना लंड़ रश्मी के हाथ में रख देता है और उसे हिलाने लगता है। कुछ ही क्षणों में उसके लंड़ से वीर्य की एक पिचकारी निकलती है जिसे वो रश्मी के में उंड़ेल देता है और हांफ़ता हुआ पलंग में रश्मी के बगल में लेट जाता है और रश्मी के नंगे बदन से लिपट जाता है।


लग्भग १५ मीनट तक दोनों इसी तरह से पलंग पर पड़े रहते है दोनो ही इस लंबी चुदाई के बाद बूरी तरह से थक चुके थे। रश्मी की ऐसी धमाकेदार चुदाई पहली बार हुई थी इससे पहले उसके साथ राज ने जो भी किया था वो तो चुदाई के नाम पर उसके अंगो से खिलवाड़ भर था, और वो बेचारी इसे ही संभॊग समझती रही। किसी मर्द के कड़क लंड़ की ताकत का उसे पहली बार अहसास हुआ था और शायद आज की इस चुदाई के बाद उसे "मर्द"शब्द का अर्थ भी समझ में आ चुका था।


हांलाकि रश्मी को इस बात का थोड़ा दु:ख और क्रोध जरूर था कि जो कुछ भी तुशार ने उसके साथ किया उसमें उसकी मर्जी नहीं थी , लेकिन तुषार ने इस बुरी तरह से अपने लंड़ से उसकी चूत में प्रहार किये कि कई महिनों से वासना की आग में भीतर ही भीतर जलते रहने के कारण स्खलन का जो पानी उसकी चूत से बाहर आने के लिये उबाल मार रहा था वो तुषार के लंड़ के प्रहार से ही बाहर आया था और । एक स्त्री तभी स्खलित होती है जब वो संतुष्ठ होती है। स्खलन के इस पानी ने रश्मी के न केवल दुख को समाप्त किया बल्कि उसने रश्मी के हल्के से ही लेकिन क्रोध पर भी पानी फ़ेर दिया और वो परम संतुष्त के भाव से तुषार की तरफ़ देखने लगी।


पति चाहे लाख कामाये या अपनी पत्नी को उपर से नीचे तक गहनों से लाद कर रखे लेकिन यदि वो बिस्तर पर अपनी पत्नी को संतुष्त नहीं कर सकता तो ऐसी धन दौलत और गहनों को पा कर भी वो कभी संतुष्त नहीं रह सकती और मर्द की यही कमजोरी या लापरवाही एक दिन उसकी पत्नी को पतिता बनने के लिये मजबूर कर देती है।ऐसा पति और उसका दौलतखाना किसी पत्नी के लिये "सोने" की जेल से कम नहीं होता।


राज ने रश्मी को सब कुछ दिया लेकिन वो उसकी शारीरिक जरुरतों के प्रति जागरुक नहीं रहा और अपनी पत्नी के शरीर में लगी अगन को समझ नहीं पाया और उसके प्रति उपेक्षित रवैया अपनाते रहा। वो सोचता रहा कि रश्मी तो एक भारतीय स्त्री है जब पति के साथ रहेगी तभी वो ये सब काम करेगी। और वैसे भी रश्मी का शर्मिला स्वभाव और कम बोलने की उसकी आदत के कारण राज तो क्या कोई भी ये सोच भी नहीं सकता था कि उसके जैसी स्त्री भी अपनी सारी मर्यादायें ताक में रख कर किसी पुरुष से

संभोग करने जैसा काम कर सकती है। लेकिन दुनिया का इतिहास गवाह है कि रावण की लंका भी उसके अपने सगे भाई ने ही ढहाई थी और भी दुनिया में जितनी भी बड़ी सत्ताओं का पतन हुआ है उन सबमें आस्तिन के सापों का पूरा योगदान रहा है , दुनिया का इतिहास जयचंदो से भरा पड़ा है।


तुषार ने भी यदि अपने बड़े भाई के घर में सेंध मारी थी और उसके साथ विश्वासघात किया था तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी । इसमें सबसे बड़ा दोष तो स्वयं "राज" और उससे भी ज्यादा उसेके परिवार का था जिन्होंने एक जवान शरीर की जरुरतों को नजरांदाज किया और केवल शादी करवा कर अपने कर्तव्य की समाप्ति समझ ली।


घर की तीसरी मंजिल पर २३ साल की खूबसूरत जवान बहू का कमरा और ठीक उसके बगल में उसके २४ साल के जवान देवर का कमरा यानी आग और पेट्रोल साथ साथ। दुनिया के ९९.९% लोग अपने घर के लोगों को सच्चरित्र और शरीफ़ ही समझते हैं और वे तमाम बुराई अपने घर के बाहर ही देखते हैं।


राज की माँ यदि चाहती तो रश्मी को अपने साथ अपने कमरे में सुला सकती थी लेकिन ६० साल की उम्र में भी वो अपने पति के साथ ही रहना चाहती थी। लेकिन उसे इस बात का तनिक भी विचार नहीं आया कि यदि वो ६० साल की उम्र में भी अपने पति से अलग नहीं हो सकती और उसके बिना नहीं रहना चाहती तो फ़िर २३ साल की जवान लड़्की अपने पति के बिना कैसे रह पायेगी?उसके मन पर क्या बीत रही होगी? परिवार के बुजिर्गों की इसी घनघोर लापरवाही और मूर्खता के कारण ना जाने ऐसे कितने ही चारित्रिक अपराध हुए होंगे और आगे भी होते रहेंगे जिनके बारे में ना तो कोई जानता है और ना ही कभी कोई जान पायेगा।


मर्द तो स्वभाव से ही पहलगामी होते हैं, उन्हें पृक्रति ने ही ऐसा बनाया है चंचल और उतावला,किसी जवान लड़की की तरफ़ आकर्षित होना और उससे सहवास का प्रयास करना या उसके सपने देखना ही उसका स्वभाव होता है। अगर औरतों के शर्मिलें स्वभाव की तरह ही यदि मर्द भी शर्मिले होते तो शायद ये संसार का चक्र कभी का रुक गया होता। क्योंकि ना तो तब औरतें अपनी शर्म के कारण कुछ कह पाती और ना ही मर्द पहल करते तब तो हो चुकी होती संसार की रचना। लेकिन ऐसा है नहीं,पृक्रति ने पुरुष को बनाया ही उतावला अधीर और बेशर्म और ये बात एक पुरुष होने के नाते राज के पिता को समझनी चाहिये थी कि दो जवान जिस्मों को पास पास रखने के घातक परिणाम आ सकते हैं। लेकिन शायद खुद के बूढे हो जाने के कारण उनकी शारीरिक जरुरत समाप्त हो चुकी थी और वे यह भूल गये की दो जवान स्त्री पुरुष का एक दूसरे प्रति एक आकर्षण होता है और एक दूसरे की जरुरत भी और उनकी इसी भूल ने तुषार और रश्मी के ना(जायज) रिश्ते को जन्म दे दिया।


१५-२० मीनट के बाद रश्मी के शरीर में थोड़ी हरकत होती है शायद चुदाई की उसकी थकान अब कम होने लगी थी,वो थोड़ा खड़ी होने का प्रयास करती है लेकिन तुषार का दांयां पैर उसकी जांघो पर पड़ा हुआ था और उसका एक हाथ उसके स्तन पर । शायद उसे झपकि लग चुकी थी ।उसने पहले तुषार के हाथ को अपने स्तन से हटाया और फ़िर उठ कर बैठ गई,फ़िर उसने उसकी जांघों को अपने उपर से हटाया और पलंग से उठ खड़ी हुई।


रश्मी पूरी तरह से नंगी थी और बला की खूबसूरत लग रही थी । बाहर की तरफ़ निकली हुई उसकी गोल गोल भारों वाली उसकी गांड़ो और बड़े बड़े विशाल स्तन उसे बेहद कामुक बना रहे थे। वो वैसे ही नंगी चलती हुई बाथरुम की तरफ़ जाने लगी लेकिन कमरे भीतर रखे ड़्रेसिंग टेबल के सामने से गुजरते हुए उसमें अपनी छाया देख कर वो रुक जाती है।
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Sharma
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May 7, 2021
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#29
028...

वो उस्के थोड़ा और करीब जाती है और अपने नंगे जिस्म को निहारने लगती है। अपने नंगे जिस्म को देखते हुए कभी तो वो शर्मा जाती और कभी गौरव और अहंकार से उसका मन भर जाता कि मेंरे इसी जिस्म को पाने के लिये तुषार इतना ललायित रहता है। उसे इस बात के लिये खुद पर बेहद घमंड़ हो रहा था कि तुषार मेंरे इस जिस्म के लिये पागल है। लेकिन ये अहंकार तो दुनिया की हर स्त्री को होता है कि पुरुष उसके जिस्म का दिवाना है और उसके पिछे पागल है।


अपने जिस्म पर घमंड़ करना हर स्त्री का स्वभाव होता है,और उसे भोगना हर पुरुष का। वो इस बात से शायद अन्जान होती है कि पुरुष का अंतिम लक्ष्य तो उसके जिस्म में बसी उसकी चूत होती है फ़िर शरीर चाहे किसी रश्मी का हो या किसी सुनीता,अनिता या अंजली का हो।


कुछ देर तक इसी तरह अपने जिस्म को आईने में निहारने के बाद वो मंद मंद मुस्कुराते हुए एक निगाह पलंग पर पड़े नंगे सोये पड़े तुषार पर ड़ालती है और बाथरुम में चली जाती है।


बाथरुम में पहुंच कर रश्मी ने शावर चालू किया और अपने शरीर की सफ़ाई करने लगी । दोनों जिस्मों के गुत्थम गुत्था होने से पैदा होने वाला पसीना और तुशार के वीर्य ने उसके शरीर को चिपचिपा बना दिया था और चुदाई के दौरान हुई कसरत ने उसको काफ़ी थका दिया था। लेकिन पानी के बौछार के शरीर में लगने से उसे काफ़ी राहत महसूस हो रही थी और ताजगी का अह्सास उसके शरीर में नवीन उर्जा का संचार करने लगा।


लगभग १० मीनट तक नहाने के बाद रश्मी पूरी तरह ताजगी महसूस करने लगी और अब उसने शावर बंद किया अपने बदन को पोंछने के बाद वो बिना तौलिया लपेटे नंगी ही वापस कमरे में आ गई । अब उसे तुषार से शर्म जैसी कोई बात नहीं थी ।


इधर तुषार भी लगभग ३० मीनट की नींद पूरी करने के बाद जाग चुका था और काफ़ी तरोतजा मह्सूस कर रहा था । उसने अपनी आंखे खोली और पलंग पर ही पड़ा रहा।


पलंग पर लेटे हुए ही उसने एक नजर रश्मी पर ड़ाली लेकिन वो बिस्तर पर नहीं थी , उसे बिस्तर पर ना पा कर उस्की निगाहें रश्मी को खोजने लगी। नहाने के कारण रश्मी के बदन में एक अलग ही चमक दिखाई दे रही थी और उसका गोरा बदन नंगा होने के वजह से और भी मादक लग रहा था ।रश्मी नहा कर कमरे में नग्न खड़ी थी उसका एक पैर स्टूल पर था और दूसरा पैर जमीन था और वो अब अपने पैरों को पोछ रही थी । उसके बाल खुले हुए थे और उसकी कमर तक लटक रहे थे।


अपनी खूबसूरत हसीना के चिकने नंगे बदन को देख कर तुशार के लंड़ में फ़िर हरकत होने लगी । उसकी बड़ी बड़ी नग्न गांड़े ,मोटी जांघ और सुमेरु पर्वत की तरह विशाल लटकते हुए स्तन को देख तुषार का लंड फ़िर अपने अकार में आने लगा और फ़िर से रश्मी की चूत में जाने के लिये मचलने लगा। वो तुरंत हरकत में आता है और पलंग से खड़ा हो जाता है। उसका लंड़ अब फ़िर से बूरी तरह से कड़क हो चुका था और वो उसी अवस्था में रश्मी के पीछे जा कर खड़ा हो जाता है और उसके बदन को पीछे से कामुक नजरों से घूरने लगता है।


रश्मी इस बात से बेखबर थी की तुशार जाग चुका है और उसके एकदम पिछे आ कर खड़ा हो चुका है, वो अपनी ही धुन में थी और पूरी तन्मयता से अपने नंगे बदन को पोछे जा रही थी । वो ये सोच रही थी की अब कपड़े पहनने के बाद तो नीचे पहुंचेगी और घर के बाकी सदस्यों के साथ बाजार जा कर तुषार और सुधा की सगाई का समान खरिदेगी । उसे पता था कि इस काम काफ़ी वक्त लगने वाला है।लेकिन तुषार को इस बात की कोई भी जल्दी नहीं थी। और उसे तो कुछ और ही मंजूर था।


कुछ क्षणों तक रश्मी के नंगे बदन को घूरने के बाद तुषार ने रश्मी को पिछे से पकड़ लिया और अपना लंड़ रश्मी की नंगी गांड़ो की दरारों मे जोर से दबा दिया और उसने अपने दोनों हाथों को आगे कर के उसके दोनों विशाल स्तनों को पकड़ लिया।


अचानक इस तरह पकड़ने से रश्मी चौंक जाती है,वो पिछे मुड़ने कर देखने का प्रयास करती है लेकिन तुषार ने उसे इतनी जोर से पिछे से भींच कर रखा था कि वो पलट नहीं पाती वो केवल अपनी गर्दन थोड़ी उपर उठा कर पिछे खड़े तुषार की तरफ़ देखने का प्रयास करती है और कहती है " अरे ये क्या! छोड़ो मुझे, नीचे मम्मी,पापा इंतजार कर रहे होंगे बजार जाना है, अभी सगाई का सामान खरिदना और पूरी तैयारी करनी है और तुम हो कि फ़िर शुरु हो गये। अभी मन नहीं भरा क्या? छोड़ो मुझे प्लीज।


तुषार पर रश्मी की इन बातों का कोई असर नहीं होता वो और भी जोर से रश्मी को पकड़ लेता है और उसकी गांड पर अपने लंड़ का दबाव और भी बढ़ा देता है और उसके दोनों स्तनों को और भी ज्यादा जोरों से पकड़ लेता है और अपना लंड़ धीरे धीरे रश्मी गांड़ मे उपर निचे रगड़ने लगता है। रश्मी की नरम नरम विशाल गद्देदार गांड़ में अपना लंड़ रगड़ने से उसे एक अलग ही सुख का अहसास हो रहा था और उसकी उत्तेजना भी अपने चरम में पहुंच जाती है।


वो उसी तरह से उसकी गांड मे अपने लंड़ को रगड़ते हुए ही रश्मी के गालों को चूमता है और कहता है " अभी क्या जल्दी है जान? अभी तो १० ही बजा है, और तुम्हें तो मम्मी ने ११:३० तक नीचे आने को कहा है। अभी नीचे जाओगी तो भी वो अपने समय से ही निकलेंगे और बेकार में तुम्हें किचन का काम बता देंगे। इसलिये ११:३० तक उपर ही रहॊ फ़िर दोनों देवर भाभी साथ ही नीचे उतरेंगे। रश्मी प्रत्युत्तर में कुछ कहने के लिये मुंह खोलने का प्रयास करती है लेकिन तुषार अपने होंठ रश्मी के होठों से लगा देता है और उसकी मदमस्त जवानी का रस पीने लगता है।


तुषार अब अपना लंड़ रश्मी की गांड मे रगड़ रहा था , उसके दोनों हाथ रश्मी के स्तनों को मसल रहे थे और उसके होठों से जवानी का रस चूम रहा था । रश्मी चाह कर भी कुच बोल नहीं बोल पा रही थी और लगातार अपने बदन को मसले जाने के कारण वो भी धीरे धीरे गरम होने लगी और उसकी दमित वासना फ़िर उछाल मारने लगी।


अब तुशार अपने दांये हाथ को रश्मी के स्तन से हटाता है और धीरे धीरे उसके पेट को स्पर्श करते हुए वो अपना दांया हाथ रश्मी की उभरी हुई जवान चूत पर रख देता है।


अपनी जवान चूत पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी पर मदहोशी छाने लगती है और वो तुषार का लंड़ अपनी चूत में लेने के लिये मचलने लगती है।


तुषार के हाथ अब रश्मी की चूत की दरारों के उपर घूम रहे थे और इधर रस्मी का बदन फ़िर से उत्तेजना के मारे थरथराने लगता है। कुछ देर तक रश्मी की चूत को सहलाने के बाद त्षार अपनी एक उंगली रश्मी की चूत के अंदर ड़ाल देता है और उसे हौले हौले अंदर बाहर करने लगता है।रश्मी मारे उत्तेजना के गरम हो जाती और उसकी चूत से पानी निकलने लगता है। उसके पैरों की शक्ति अब जवाब देने लगती है और अब खड़े रह पाना उसके लिये काफ़ी कठिन था।


चूत से निकलने वाले पानी के अपने हाथों से लगते ही तुशर समझ जाता है कि भाभी अब फ़िर से गरम हो चुकी है।अब वो और भी तेजी से उसकी चूत से खेलने लगता है और अपनी उंगली उसकी चूत से और भी तेजी से रगड़ने लगता है।
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Sharma
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#30
029...

रश्मी अब बेकाबू हो जाती है और उसके मुंह से आह्ह्ह आह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़ सीऽऽऽऽऽ सीऽऽऽऽऽऽऽऽ की अवाजें निकलने लगती है। उसके लिये अब उस पोजीशन में खड़े रहना अब संभव नहीं था तुषार का लंड़ बुरी तरह से उसकी गांड़ से चिपका हुआ था और उसका एक हाथ रश्मी के दोनों स्तनों को भीच रहे थे और उसे मसल रहे थे और दूसरा हाथ उसकी चूत से खिल्वाड़ कर रहा था। रश्मी को बेहद आनंद आ रहा था लेकिन कुछ ही देर पहले वो तुषार के लंड के स्वाद चख चुकी थी इसलिये अपनी चूत में केवल

एक छोटी सी उंगली से उसे वो सुख और संतुष्टी नहीं प्राप्त हो रही थी जो उसे कुछ देर पहले तुशार के लंड़ से मिली थी।


वो बदहवास हो जाती है और अपना पूरा जोर लगा कर गोल घुम जाती है और तुषार से लिपट जाती है । तुशार भी उसे उसे अपनी बाहों में भीच लेता है और उसके चेहरे को बेतहशा चूमने लगता है। रश्मी के विशाल स्तन अब तुशार की छातियों से चिपके हुए थे और वो उसकी बाहों में । तुशार उसे चूमे जा रहा था और अपने हाथों से उसकी दोनों बड़ी बड़ी गांड़ो को मसलते जा रहा था।


कमरे का वतावरण अत्यंत ही कामुक हो चुका था कमरे में दो नंगे जवान स्त्री पुरुष एक दूसरे से गुत्थम गुत्था खड़े थे और उनके शरीरों की गर्मी भी बढती जा रही थी और कमरे मे उन दोनों के मुंह से निकलने वाली आंहे और कामुक अवाजें गूंज रही थी।थोडी थोडी देर में रश्मी की चूड़ियों की खनक और पैर की पायल की छन छन की अवाज से माहौल और भी उत्तेजनापूर्ण होते जा रहा था।


तुषार कुछ देर तक और रश्मी को अपनी बाहों में थामे खड़ा रहा और उसके बदन की गर्मी का सुख लेते रहा तथा उसके नंगे जिस्म को सहलाते रहा लेकिन जब उसकी शक्ती जवाब दे जाती है तो वो अपने पैरों को ढीला छोड़ देता है और घुटनों के बल नीचे बैठ जाता है और अपने दोनों हाथों से उसकी गांड़ो को पकड़ लेता है और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।रश्मी खड़ी थी और तुषार उसकी बुर चूस रहा था,रश्मी के हाथ तुषार के सर पर तेजी से घुम रहे थे,उसकी आंखे बंद थी और मुंह से सिसकियां निकल रही थी।रश्मी के आचरण से ऐसा लग रहा था कि उसे तुषार का अपने जिस्म से खिलवाड़ मंजूर था और वो चाहती थी कि तुशार उसके नंगे जिस्म से जी भर कर खेले।


कुछ देर तक खड़ी रह कर अपनी बुर चूसवाने के बाद रश्मी का हौसला पस्त हो जाता है उसके पैरों में शकि नहीं बची थी कि वो उसके शरीर का भार उठा सके। उसके पांव ढीले पड़ जाते है और वो नीचे बैठ जाती है । उसके नीचे बैठते ही तुषार उसे हौले से धक्का दे कर वहीं सुला देता है चूंकी जमीन पर कालीन बिछी थी जो कि अब बिस्तर का काम कर रही थी। तुषार और रश्मी दोनों में अब वो हिम्मत और धैर्य नहीं बचा था कि वो पलंग तक जाये लिहाजा रश्मी भी बिना किसी विरोध के कालीन पर पीठ के बल सो जाती है। ये कालीन "राज" ने अपनी खास पसंद पर कमरे में लगवाया था और वो उस बेहद पसंद था लेकिन इसे लगवाते हुए उसने कभी ये गुमान भी ना हुआ होगा कि इसी कालीन पर सो कर कभी मेंरी ही औरत पतिता बन कर मेंरे ही भाई का लंड़ अपनी चूत में ड़्लवायेगी।


नंगी रश्मी नीचे सॊई पड़ी थी और अपने दोनों पैरों को उपर नीचे कर रही थी और अपने दोनों स्तनों को अपने ही हाथों से मसल रही थी थोड़ी थोड़ी देर में वो अपने होठों को अपने ही दातों से काट लेती और मुंह से सिसकारियां निकाल रही थी।रश्मी का मौन निमंत्रण पा कर पहले से ही उत्तेजित तुषार और भी कामांध हो जाता है और वो उसकी दोनों जांघो को को फ़ैला कर उसके बीच में बैठ जाता है और अपने लंड़ में मुंह से थुक निकाल कर उसमें लगाता है और उससे अपने लंड़ को चिकना करता है और उसे रश्मी की चूत में लगा कर एक हल्का सा धक्का देता है तो वो आधा रश्मी की चूत मे घुस जाता है।

रश्मी भी अपनी बुर में होने वाली वासना की खुजली से बचैन थी और इस बात का इंतजार कर रही थी तुषार अब उसके जिस्म से खेलना छोड़ कर अपना लंड़ उसकी बुर में ड़ाले और उसकी बुर चोदना शुरु करे। तुशार का लंड़ अपनी चूत में पा कर वो बेहद आनंद का अनुभव करने लगी और अपनी चूत को उपर उछाल उछाल कर वो तुषार का पूरा लंड़ अपनी चूत मे लेने की कोशीश करने लगी।


तुषार उसकी मंशा समझ जाता है और एक जोर के झटके के साथ अपना पूरा का पूरा लंड़ रश्मी की चूत में ड़ाल देता है।


लंड़ के झटके के साथ अंदर जाने के साथ ही रश्मी के मूह से एक जोर की आह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है । उसकी आंखे बंद थी लेकिन मुंह खुला हुआ था और वो बार बार अपनी जीभ अपने होठों पर फ़ेर रही थी । कामवासना के अतिरेक के कारण उसका सर कभी दाएं तो कभी बायें घूम रहा था। पूर्णत: उन्मुक्त और नंगी रश्मी ने अपने जिस्म को पूरी तरह से ढ़ीला करके तुषार को समर्पित कर दिया था और तुषार के लंड़ के लिये अपनी चूत में प्रवेश को और भी असान बना दिया था। वो तुषार के लंड़ को को अपनी चूत की गहराईयों तक महसूस करना चाहती थी। नंगी रश्मी नागीन की तरह कमरे के कालीन में बलखा रही थी और उसके ऐसे बलखाने से वो और भी मादक लग रही थी और तुषार को और तेजी से अपनी चूत में प्रहार करने के लिये उकसा रही थी।


तुषार ने रश्मी के जिस्म पर ऐसा अधिकार जमा लिया था कि उसे पाने और भोगने के लिये उसे रश्मी की सहमति की भी जरुरत नहीं रह गई थी । आठ महीनों से अपनी कामवासना को लगातार दबाने और अपने मनोभावों को दबाने के कारण जो कुंठा उसके भीतर पैदा हो गई थी उसमें वो ये भी भूल चुकी थी वो एक जवान स्त्री है। शादी का मतलब उसके लिये केवल दो वक्त का खाना बनाना और अपने सास ससुर की सेवा करना भर रह गया था । पति से दूर संभोग विहीन स्त्री के लिये शादी एक बोझ बन गई थी और उसकी भावनाएं मुरझा गई थी और वो भी खुद को अपनी सास की तरह बूढी औरत समझने लगी थी और उसी तरह व्यवहार करने लगी थी। लेकिन तुषार ने जबरन ही सही लेकिन जब उसे मजबूर करके नंगी किया और उसकी बूर को चोदा तब उसे अपने जवान होने का अहसास हुआ और उसे ये भी अहसास हुआ कि उसके जवान शरीर की भी कुछ जरुरत ऐसी हैं जिसे केवल एक मर्द ही पूरा कर सकता है।


रश्मी की हालत ऐसी हो गई थी कि तुषार का लंड़ पाने के लिये एक ही चीज की जरुरत थी और वो थी एकांत । दुनिया की नजरों से दूर किसी बंद कमरे में वो किसी भी रुप में तुषार का लंड़ अपनी चूत में लेने के लिये तैयार थी।और इसके लिये न तो उसे किसी मखमली बिस्तर की जरुरत और ना ही पलंग की और इसीलिये तुषार ने जब उसे कमरे के कालीन में चोदने के लिये सुलाया तो वो बिना किसी विरोध के उसी जगह चुदने के लिये तैयार हो गई।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शर्मिली भाभी मूल कहानी - by neerathemall - 30-01-2023, 10:38 AM



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