30-01-2023, 10:31 AM
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वो कुछ देर फ़िर रुका रहा ये देखने के लिये कि शायद कुछ सामान्य होने के बाद ये फ़िर कुछ प्रतिक्रिया दे लेकिन अब रश्मी कुछ बोल नहीं पा रही थी केवल फ़र्श पर नंगी बैठी हुई अपनी किस्मत और दुविधा दोनों पर आंसू बहा रही थी। ये बात एकदम सही थी कि यदि तुषार ने जो बोला था वो कर दे तो वाकई एक बड़ा धमाका हो सकता था और दोनों ही परिवारों की प्रतिष्ठा समाज में धूमिल हो जाती। लेकिन तुषार बड़ा ही कमीना और मक्कार था उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था, वो तो केवल रश्मी को ड़राने के लिये ऐसा बोल रहा था। और इसी ड़र की आड़ ले कर वो अपनी भाभी की बुर हासिल करना चाहता था। लेकिन बेचारी रश्मी तो नादान थी वो कोई ईश्वर की तरह अन्तर्यामी तो थी नहीं कि वो तुषार के मन की बात समझ सकती लिहाजा एक इंसान के रुप में उसका ड़रना और भयभीत होना लाजिमी था।
रश्मी उठ कर अपने कपड़ों तक जाना चाहती थी और कपड़े पहन किसी तरह रुम से बाहर निकल जाना चाहती थी, लेकिन अपनी नग्नता के अहसास ने उसे जमीन पर चिपका कर रखा था। उसे यूं तुषार के सामने नंगी चल कर जाने में बेहद लज्जा का अनुभव हो रहा था। वो इसी उहापोह मे पड़ी थी कि उसे उठ कर जाना चाहिये या नहीं इसी बीच तुषार उसके पास आ कर बैठ गया और उसकी नंगी पीठ पर हौले हौले हाथ घुमाने लगा। रश्मी का कलेजा जोर जोर से धक धक करने लगा, उसे लगने लगा कि यदि तत्काल कुछ नहीं किया तो इसके हाथों से अब बचना मुश्किल होगा। घबराहट के मारे उसकी रुलाई छूट पड़ी और वो फ़फ़कने लगी उसकी आंखों से आंसू की मोटी मोटी धारा निकलने लगी। वो कुछ कहने के लिये मुंह खोलना चाहती ही थी कि उसे तुषार की आत्महत्या की धमकी याद आ गई। उसके मस्तिष्क में एक के बाद एक अनेंक विचार आने लगे लेकिन वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी। यही रश्मी की सबसे बड़ी कमजोरी थी कि मुश्किल घड़ी में वो कभी ना तो सही सोच पाती थी और ना ही सही निर्णय ले पाती थी।
तुषार समझ चुका था अब ये ज्यादा विरोध करने की स्थिती में नहीं है, विरोध के नाम पर ये रोने के अलावा और कुछ नहीं करने वाली। तुषार की धमकी से वो इतना ड़र गई थी की उसके हाथ पैर ने हरकत करना ही बंद कर दिया था। उसने तुषार की बातों को सच मानते हुए उसकी मौत के बाद की स्थिती की ऐसी कल्पना अपने मन में करी कि उसके विरोध करने रही सही ताकत भी खतम हो गई, और रश्मी केवल अपनी झूठी कल्पना के भंवर जाल में फ़ंस कर रह गई।
अब तुषार उसकी पीठ से अपना हाथ घुमाते हुए उसके सीर पर ले गया और उस पर उसके सर और बालों से खेलने लगा । वो उसके सर पर उसी अंदाज में हाथ घुमा रहा था जिस अंदाज मे एक कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते के उपर घुमाता है। ऐसा कर के वो अपने कुत्ते से प्यार तो जताता ही है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उसे ये भी बता देता है कि तू मेंरा पालतू है और मैं तेरा मालिक तुझे अंतत: मेरे ही इशारों पर नाचना है। तुषार भी रश्मी के सर पर हाथ फ़ेर कर प्यार तो कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ ये भी जता रहा था कि अब मैं ही तेरे इस खूबसूरत नंगे जिस्म का मालिक हूं और तेरी मर्जी मेंरे लिये कोई अहमियत नहीं रखती।
तुषार अब अपना होंठ उसके गालों पर ले जाता है और उसे चूमने लगता है, रश्मी अपना मुंह शर्म के मारे नीचे करने की कोशीश करती है लेकिन तुषार उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों से अपना होंठ लगा देता है और उसके मीठे मीठे, नरम और रसीले होठों को चूसना शुरु कर देता है। रश्मी के लिये ये सब नितांत नये अनुभव थे और वो धीरे धीरे वासना के नशें ड़ूबती जा रही थी। उसका मन कह रहा था कि ड़ूब जा इस नशें में लेकिन दिमाग इंकार कर रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि रश्मी मन जीत रहा था और दिमाग हार रहा था। उसके मन से दिमाग का नियंत्रण खतम होते जा रहा था।
लगभग ३-४ मीनट तक अपनी भाभी के होठों चूसने के बाद वो धीरे से उसको उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है और अपना दांया पांव उपर उठा लेता है और उसका तकिया बना कर रश्मी का सर उसमें रख देता है। अब रश्मी का सर पीछे की तरफ़ लटक जाता है और उसके दोनों विशाल स्तन आगे की ओर उभर जाते हैं, तुषार हौले हौले उसके स्तनों को मसलना चालू कर देता है। रश्मी के मुंह से एक हल्की सी अवाज निकलती है आआआहहहहह , तुषार उसके स्तनों को मसलाना जारी रखता है। स्तनों को मसलते हुए वो अब उसकी नरम चूंचियों को भी मसलने लगता है। चूंचियों को मसलने से उसकी चूंची कुछ ही क्षणों में कड़क हो जाती है। तुषार समझ जाता है कि ये गदराई हसीना भी अब जवानी के मजे लूटने लगी है।अन्जाने ही सही या अनचाहे ही सही लेकिन स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलने पर काम का सुख तो दोनों को ही मिलता है, और रश्मी के साथ भी यही हो रहा था। अब तुषार बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसने उसके दूध को मसलना छोड़ कर अब उसके निप्पल पर अपना मुंह लगा दिया । अब रश्मी का बांया स्तन और उसकी निप्पल तुषार के मुंह मे था और वो उसे जोर जोर से चूस रहा था और दूसरा हाथ उसके दायें स्तन को बुरी तरह से मसल रहे थे। तुषार ने पागलों की तरह उसके एक स्तन पर अपना मुंह लगा रखा था और उसे चूस रहा था और इधर रश्मी की सांसे तेज होती जा रही थी और उसका पेट भी बुरी तरह से हिल रहा था। रश्मी ने अपने दोनो पैर जमीन पर फ़ैला दिये और उत्तेजना के मारे वो उसे इधर उधर फ़ेंकने लगी। अब उसका खुद से नियंत्रण समाप्त हो रहा था और उसके मुंह से अवाज निकलने लगी थी आह आह अह्ह आह उईमां ओफ़ ओफ़ आई आह।
अब तुषार ने उसके दांए स्तन को मसलना बंद किया और अपना बांया उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वो उस्का छेद तलाशने लगा। कुछ ही क्षणों मे उसने अपनी उंगली उसकी चूत के छेद पर रख दी और उसे मसलने लगा । रश्मी को मानो करंट लग गया और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। महीनों से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब जागने लगी थी। थोड़ी देर में तुषार अपना मुंह रश्मी के कान के पास ले जाता है और धीरे से उसके कान में कहता है " तेरे इसी छेद में मैं अभी अपना ड़ालूंगा और जीवनभर इसको अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था रश्मी तेरी इस चूत को पाने के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह कितनी नरम है रानी तेरी ये चूत, मैं तो धन्य हो गया रस्मी तुझे नंगी पा कर। कितनी खूबसूरत नंगी है तू रश्मी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कैसा गदराया बदन है तेरा मेंरी जान।
आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ला अब तेरी इस रसीली चूत को चूम लूं।
जैसे है तुषार रश्मी की चूत पर अपना मुंह लगाता है तभी दरवाजे पर किसी के खटखटाने की अवाज आती है। दोनो बुरी तरह से चौंक जाते है खासतौर पर रश्मी । रश्मी का चेहरा भय से पीला पड़ जाता है। औ वो ड़र के कभी दरवाजे की तरफ़ तो कभी अपने नंगे जिस्म की तरफ़ देखती है। वो घबराह के मारे उठ कर बैठ जाती है , इधर तुषार की पकड़ भी उसके बदन से खतम हो जाती है । दरअसल वो भी बुरी तरह से ड़र गया था। तभी दरवाजे से उसकी मां की अवाज सुनाई देती है वो जोर जोर से दरवाजे खटखटाते हुए रश्मी को अवाज लगा रही थी।
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बाहर से रश्मी की सास उसे अवाज लगा रही थी " रश्मी, ओ रश्मी कितनी देर हो गई तुम्हें उपर आये अभी तक नहाया नहीं तुमने ? क्या कर रही हॊ?
अन्दर दोनों की फ़टी पड़ी थी और रस्मी तो मारे ड़र के थरथराने लगी थी उसके मुंह से कुछ बोल ही नहीं फ़ूट रहा था। इधर तुषार को काफ़ी समय बाद ये याद आया कि वो दरअसल उपर आया क्यों था।
रश्मी मारे ड़र के तुषार की तरफ़ देखती है, वो मानो नजरों से ही उसे कह रही हो कि बचाव इस मुसीबत से वर्ना दोनों की खास तौर से मेरी तो इज्जत गई। तुषार उसे चुप रहने का इशारा करता है और कुछ क्षण सोचता है फ़िर तत्काल ही अपने सामने खड़ी नंगी रश्मी को अपने दोनों हाथों से उठाता है और बाथरुम की तरफ़ उसे ले जाता है। उसने रश्मी को ऐसे उठाया था कि उसकी पूरी गांड़ तुषार के बांए हाथ में और उसका दाहिना स्तन तुषार के दांये पंजो मे था।
वो उसे उसी तरह उठा कर बाथरुम में ले जाता है और वहीं खड़ी कर देता है और खुद बाल्टी को नल के नीचे रख कर उसे थोड़ा खोल देता है । अब पानी की अवाज कमरे के बाहर जाने लगती है जिससे उसकी सास को ऐसा लगता है कि वो अभी तक नहा रही है। वो बाहर से फ़िर चिल्ला कर कहती है " अभी तक नहाया नही क्या रश्मी तुमने?
रश्मी अभी तक घबराई हुई थी उसे कुछ सूझ नहीं रहा था , तभी तुषार उसके कान में फ़ुसफ़ुसा कर कहता है " बोलो नहा रही हूं , तबियत ठीक नहीं लग रही थी इस्लिये उपर आ कर थोड़ा लेट गई थी"
रश्मी ने घबराहट में तुषार की बात को दोहरा दिया।
अब उसकी मम्मी फ़िर उसे कहती है " कोई बात नहीं बेटा रात को नींद ठीक से नही होने की वजह से ऐसा हुआ होगा। तुम चाहो तो और अराम कर कर के नीचे उतरना। अब नाश्ता बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा आज सबके लिये होटल से नाश्ता ले कर आये हैं। नीचे आ कर खा लेना। और सुनो मैं तुम्हे ये बताने के लिये उपर आयी हूं कि आज दोपहर लग्भग ११:३० बजे हम सभी एक साथ बाजार जायेंगे और तुषार की सगाई के लिये जो भी खरीदी करनी है कर लेंगे। फ़िर कल राज और उसका बास भी आ जायेंगे तो समय नही मिलेगा । और उसके एक दिन बाद सगाई है न।
अब रश्मी जरा संभल जाती है और अंदर से जवाब देती है " जी,मम्मी जी मैं नहा कर नीचे आती हूं और सबका खाना बना देती हूं , मुझे थोडी हरारत जैसा है लेकिन ठीक हो जायेगा।
मम्मी : अरे नहीं बेटा खाना वाना बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा कह रहे थे कि आज दोपहर का खाना भी किसी होटल में ही खा लेंगे, समझी । तुम चाहो तो ११:३० तक अराम से तैयार हो कर नीचे आ जाना ।
रश्मी: जी, मम्मी जी । (तुषार उसके कान में कहता है उसको बोलो की तुम थोड़ा अराम कर के नीचे आओगी) लेकिन वो नहीं बोलती । तुषार तनिक गुस्से में जरा जोर से फ़ुसफ़ुसा कर रश्मी से बोलता है
" बोलती या मैं बोलूं" और वो मुंह खोल कर बोलने का नाटक करता है। रस्मी तुरंत उसका मुंह दबा कर जोर से उसकी कही बात दोहरा देती है। उसकी सास कहती ठीक है बेटा तुम ११:३० तक आराम कर के
नीचे आ जाना , अच्छा मैं जा रही हूं नीचे तुम्हारे पापा नाश्ते के लिये अवाज लगा रहे हैं तुम अराम कर के समय से नीचे पहुंच जाना। ऐसा बोल कर वो वहां से चली जाती है। तुषार और रश्मी दोनों ने उसके
पैरों कमरे से दूर होती अवाज को सुनी और जब उसकी सीढीयों से उतरने की अवाज उसे आने लगी तो तुषार समझ जाता है कि उसकी मां गई और उसका चेहरा खिल उठता है।
अब वो बाथरुम में ही नंगी खड़ी रश्मी को ताबड़्तोड़ चूमना शुरु कर देता है। रश्मी ने जिस तरह से उसकी मां से झूठ बोलने में तुषार का साथ दिया था और उसकी कही बातों को दोहराया था उससे तुषार को समझ आ गया कि इसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी है और इसके लिये वो चुद जायेगी लेकिन अपने चुदने का राज किसी को नहीं बतायेगी।
अब तुषार रस्मी को पीछे की तरफ़ घुमा देता है और उसकी गांड़ तुषार की तरफ़ हो जाती है , तुषार उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था । पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह
की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज उसके सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी तुषार उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। रश्मी पूरी
तरह से उसके कब्जे में थी। तुषार नीचे बैठ जाता है और उसकी गांड़ो को चूमने लगता है , रश्मी की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से तुषार उत्तेजना की नई उचांईयो में पहुंच जाता है। रश्मी की गांड़ो को उसने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास उसे आज पहली बार हो रहा था।
वो रश्मी की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब तुषार ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता है और उसको नीचे चूमना शुरु करता है पहले नंगी खड़ी रश्मी की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में उसकी गर्दन वो अब पूरी तरह से नंगी खड़ी रश्मी के पिछे खड़ा हो जाता है और उसे पिछे से दबोच लेता है अब उसक लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और वो अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता है।
अपना मुंह उसके गालों से लगा कर वो उसके गालों को चूमने लगता है। अब वो उसको कहता है " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " रश्मी कोई उत्तर नहीं देती है तो तुषार कहता है " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, रश्मी मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए वो अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आता है और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ से वो उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ उसने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।
रश्मी को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन तुशार आखिर उसका पति तो था नहीं और वो जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये रश्मी की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो तुषार मुझे जाने दो।
सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और रश्मी की सिस्कियां और आंसू भी तुषार की वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और वो पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता है।
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अब वो रश्मी को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता है , बाहर आ कर वो रश्मी को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता है। नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर आती है और तुशार फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके बदन को मसलना चालू कर देता है। कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद वो उसे अलग करता है, उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी । तुशार उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों को चूम लेता है। अब तुशार के लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और वो अपने कपड़े उतारने लगता है। पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को वो उतार के फ़ेंक देता ।
तुषार के इस तरह कपड़े उतारने से रश्मी की धड़्कन तेज हो जाती है और वो समझ जाती है कि अब आगे क्या होने वाला है।अब वो आंखे बंद किये आने वाले तूफ़ान का इंतजार करने लगती है।
तुषार ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब वो भी रस्मी के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता है। तुषार का लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। रश्मी में इतना साहस नहीं था कि वो उसके नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे तुषार ने रश्मी को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। रश्मी ने पहली बार उसके बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। रश्मी ने साफ़ मह्सूस किया कि तुशार इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ है कि उसका पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।
कुछ देर तक रश्मी को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद वो उससे अलग होता है और उसे खीच कर पलंग के पास लाता है और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता है, रश्मी के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े तुषार ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। तुषार का लंड़ अब रश्मी के मुठ्ठी में था और वो उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा। रश्मी के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया कि तुषार का लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद राज ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उसने कभी भी रश्मी को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उसे तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी।
रश्मी के नरम नरम हाथ जब तुषार के लंड़ पर आगे पिछे सरक रहे थे तो उसे एक अजीब आनंद का अनुभव हो रहा था। उसे कभी गुमान भी न था कि रश्मी के हाथों में ऐसा जादू छिपा है। तुषार का लंड़ अब बुरी तरह से कड़्क हो गया था और उसे निचे करना संभव नहीं था इसलिये रश्मी अब उसके लंड़ को उपर से नीचे की तरफ़ सहला रही थी। तुषार अब बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और लंड में अत्यधिक तनाव के कारण अब वो दुखने लगा था। तनाव और उत्तेजना के कारण उस अब ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्द ही इसकी चूत में ना ड़ाला तो ये अब फ़ट जायेगा।
उसने रश्मी के हाथों को अपने लंड़ से अजाद किया और वो रश्मी के और भी सामने आ कर खड़ा हो गया, अब तुशार का लंड़ रश्मी के एकदम मुंह के सामने था । उसने अपना लंड़ रश्मी के गालों में लगाया और वहां उसे रगड़ने लगा। वो रश्मी के पूरे जिस्म में अपना लंड़ रगड़ना चाहता था, अब उसने अपना लंड़ उसके गालों से हटा कर उसके पूरे चेहरे में घुमाने लगा। रश्मी बेहद शर्मसार थी और आंखे बंद किये हुए तुषार की अपने नंगे जिस्म के साथ खिलवाड़ को महसूस कर रही थी।
तुषार अब अपने लंड़ को उसके होठों पर घुमाने लगा मानो वो अपने लंड़ से उसके होठों लिपिस्टिक लगा रहा हो। रश्मी ने अपने मुंह को को जोर से भीच लिया और अपने होठोंं को भी जोर से बंद कर लिया कहीं गलती से तुषार का लंड़ उसके मुंह मे ना घुस जाय। किसी मर्द के लंड़ का अपने मुंह से खिलवाड़ उसके साथ पहली बार हो रहा था , उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसे उबकाई आ जायेगी और वो उल्टी कर देगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और कुछ ही क्षणों में वो उसके लंड़ की की अभ्यस्त हो गई।
तुषार ने अपने बांये हाथ से रश्मी के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो रश्मी का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अब तुषार उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन रश्मी ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये उसे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। उसने थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अब उसने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया । अब रश्मी गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि तुषार का मोटा लंड़ उसके मुंह में था।
तुषार ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकी तुषार के धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बाद उसने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।
रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज तुषार ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी तुषार के लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने तुषार के लंड़ के लिये अपने मुंह में और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन तुषार ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।
रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर तुषार आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी वो प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह रश्मी सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।
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वो कुछ देर फ़िर रुका रहा ये देखने के लिये कि शायद कुछ सामान्य होने के बाद ये फ़िर कुछ प्रतिक्रिया दे लेकिन अब रश्मी कुछ बोल नहीं पा रही थी केवल फ़र्श पर नंगी बैठी हुई अपनी किस्मत और दुविधा दोनों पर आंसू बहा रही थी। ये बात एकदम सही थी कि यदि तुषार ने जो बोला था वो कर दे तो वाकई एक बड़ा धमाका हो सकता था और दोनों ही परिवारों की प्रतिष्ठा समाज में धूमिल हो जाती। लेकिन तुषार बड़ा ही कमीना और मक्कार था उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था, वो तो केवल रश्मी को ड़राने के लिये ऐसा बोल रहा था। और इसी ड़र की आड़ ले कर वो अपनी भाभी की बुर हासिल करना चाहता था। लेकिन बेचारी रश्मी तो नादान थी वो कोई ईश्वर की तरह अन्तर्यामी तो थी नहीं कि वो तुषार के मन की बात समझ सकती लिहाजा एक इंसान के रुप में उसका ड़रना और भयभीत होना लाजिमी था।
रश्मी उठ कर अपने कपड़ों तक जाना चाहती थी और कपड़े पहन किसी तरह रुम से बाहर निकल जाना चाहती थी, लेकिन अपनी नग्नता के अहसास ने उसे जमीन पर चिपका कर रखा था। उसे यूं तुषार के सामने नंगी चल कर जाने में बेहद लज्जा का अनुभव हो रहा था। वो इसी उहापोह मे पड़ी थी कि उसे उठ कर जाना चाहिये या नहीं इसी बीच तुषार उसके पास आ कर बैठ गया और उसकी नंगी पीठ पर हौले हौले हाथ घुमाने लगा। रश्मी का कलेजा जोर जोर से धक धक करने लगा, उसे लगने लगा कि यदि तत्काल कुछ नहीं किया तो इसके हाथों से अब बचना मुश्किल होगा। घबराहट के मारे उसकी रुलाई छूट पड़ी और वो फ़फ़कने लगी उसकी आंखों से आंसू की मोटी मोटी धारा निकलने लगी। वो कुछ कहने के लिये मुंह खोलना चाहती ही थी कि उसे तुषार की आत्महत्या की धमकी याद आ गई। उसके मस्तिष्क में एक के बाद एक अनेंक विचार आने लगे लेकिन वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी। यही रश्मी की सबसे बड़ी कमजोरी थी कि मुश्किल घड़ी में वो कभी ना तो सही सोच पाती थी और ना ही सही निर्णय ले पाती थी।
तुषार समझ चुका था अब ये ज्यादा विरोध करने की स्थिती में नहीं है, विरोध के नाम पर ये रोने के अलावा और कुछ नहीं करने वाली। तुषार की धमकी से वो इतना ड़र गई थी की उसके हाथ पैर ने हरकत करना ही बंद कर दिया था। उसने तुषार की बातों को सच मानते हुए उसकी मौत के बाद की स्थिती की ऐसी कल्पना अपने मन में करी कि उसके विरोध करने रही सही ताकत भी खतम हो गई, और रश्मी केवल अपनी झूठी कल्पना के भंवर जाल में फ़ंस कर रह गई।
अब तुषार उसकी पीठ से अपना हाथ घुमाते हुए उसके सीर पर ले गया और उस पर उसके सर और बालों से खेलने लगा । वो उसके सर पर उसी अंदाज में हाथ घुमा रहा था जिस अंदाज मे एक कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते के उपर घुमाता है। ऐसा कर के वो अपने कुत्ते से प्यार तो जताता ही है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उसे ये भी बता देता है कि तू मेंरा पालतू है और मैं तेरा मालिक तुझे अंतत: मेरे ही इशारों पर नाचना है। तुषार भी रश्मी के सर पर हाथ फ़ेर कर प्यार तो कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ ये भी जता रहा था कि अब मैं ही तेरे इस खूबसूरत नंगे जिस्म का मालिक हूं और तेरी मर्जी मेंरे लिये कोई अहमियत नहीं रखती।
तुषार अब अपना होंठ उसके गालों पर ले जाता है और उसे चूमने लगता है, रश्मी अपना मुंह शर्म के मारे नीचे करने की कोशीश करती है लेकिन तुषार उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों से अपना होंठ लगा देता है और उसके मीठे मीठे, नरम और रसीले होठों को चूसना शुरु कर देता है। रश्मी के लिये ये सब नितांत नये अनुभव थे और वो धीरे धीरे वासना के नशें ड़ूबती जा रही थी। उसका मन कह रहा था कि ड़ूब जा इस नशें में लेकिन दिमाग इंकार कर रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि रश्मी मन जीत रहा था और दिमाग हार रहा था। उसके मन से दिमाग का नियंत्रण खतम होते जा रहा था।
लगभग ३-४ मीनट तक अपनी भाभी के होठों चूसने के बाद वो धीरे से उसको उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है और अपना दांया पांव उपर उठा लेता है और उसका तकिया बना कर रश्मी का सर उसमें रख देता है। अब रश्मी का सर पीछे की तरफ़ लटक जाता है और उसके दोनों विशाल स्तन आगे की ओर उभर जाते हैं, तुषार हौले हौले उसके स्तनों को मसलना चालू कर देता है। रश्मी के मुंह से एक हल्की सी अवाज निकलती है आआआहहहहह , तुषार उसके स्तनों को मसलाना जारी रखता है। स्तनों को मसलते हुए वो अब उसकी नरम चूंचियों को भी मसलने लगता है। चूंचियों को मसलने से उसकी चूंची कुछ ही क्षणों में कड़क हो जाती है। तुषार समझ जाता है कि ये गदराई हसीना भी अब जवानी के मजे लूटने लगी है।अन्जाने ही सही या अनचाहे ही सही लेकिन स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलने पर काम का सुख तो दोनों को ही मिलता है, और रश्मी के साथ भी यही हो रहा था। अब तुषार बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसने उसके दूध को मसलना छोड़ कर अब उसके निप्पल पर अपना मुंह लगा दिया । अब रश्मी का बांया स्तन और उसकी निप्पल तुषार के मुंह मे था और वो उसे जोर जोर से चूस रहा था और दूसरा हाथ उसके दायें स्तन को बुरी तरह से मसल रहे थे। तुषार ने पागलों की तरह उसके एक स्तन पर अपना मुंह लगा रखा था और उसे चूस रहा था और इधर रश्मी की सांसे तेज होती जा रही थी और उसका पेट भी बुरी तरह से हिल रहा था। रश्मी ने अपने दोनो पैर जमीन पर फ़ैला दिये और उत्तेजना के मारे वो उसे इधर उधर फ़ेंकने लगी। अब उसका खुद से नियंत्रण समाप्त हो रहा था और उसके मुंह से अवाज निकलने लगी थी आह आह अह्ह आह उईमां ओफ़ ओफ़ आई आह।
अब तुषार ने उसके दांए स्तन को मसलना बंद किया और अपना बांया उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वो उस्का छेद तलाशने लगा। कुछ ही क्षणों मे उसने अपनी उंगली उसकी चूत के छेद पर रख दी और उसे मसलने लगा । रश्मी को मानो करंट लग गया और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। महीनों से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब जागने लगी थी। थोड़ी देर में तुषार अपना मुंह रश्मी के कान के पास ले जाता है और धीरे से उसके कान में कहता है " तेरे इसी छेद में मैं अभी अपना ड़ालूंगा और जीवनभर इसको अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था रश्मी तेरी इस चूत को पाने के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह कितनी नरम है रानी तेरी ये चूत, मैं तो धन्य हो गया रस्मी तुझे नंगी पा कर। कितनी खूबसूरत नंगी है तू रश्मी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कैसा गदराया बदन है तेरा मेंरी जान।
आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ला अब तेरी इस रसीली चूत को चूम लूं।
जैसे है तुषार रश्मी की चूत पर अपना मुंह लगाता है तभी दरवाजे पर किसी के खटखटाने की अवाज आती है। दोनो बुरी तरह से चौंक जाते है खासतौर पर रश्मी । रश्मी का चेहरा भय से पीला पड़ जाता है। औ वो ड़र के कभी दरवाजे की तरफ़ तो कभी अपने नंगे जिस्म की तरफ़ देखती है। वो घबराह के मारे उठ कर बैठ जाती है , इधर तुषार की पकड़ भी उसके बदन से खतम हो जाती है । दरअसल वो भी बुरी तरह से ड़र गया था। तभी दरवाजे से उसकी मां की अवाज सुनाई देती है वो जोर जोर से दरवाजे खटखटाते हुए रश्मी को अवाज लगा रही थी।
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#22
021...
बाहर से रश्मी की सास उसे अवाज लगा रही थी " रश्मी, ओ रश्मी कितनी देर हो गई तुम्हें उपर आये अभी तक नहाया नहीं तुमने ? क्या कर रही हॊ?
अन्दर दोनों की फ़टी पड़ी थी और रस्मी तो मारे ड़र के थरथराने लगी थी उसके मुंह से कुछ बोल ही नहीं फ़ूट रहा था। इधर तुषार को काफ़ी समय बाद ये याद आया कि वो दरअसल उपर आया क्यों था।
रश्मी मारे ड़र के तुषार की तरफ़ देखती है, वो मानो नजरों से ही उसे कह रही हो कि बचाव इस मुसीबत से वर्ना दोनों की खास तौर से मेरी तो इज्जत गई। तुषार उसे चुप रहने का इशारा करता है और कुछ क्षण सोचता है फ़िर तत्काल ही अपने सामने खड़ी नंगी रश्मी को अपने दोनों हाथों से उठाता है और बाथरुम की तरफ़ उसे ले जाता है। उसने रश्मी को ऐसे उठाया था कि उसकी पूरी गांड़ तुषार के बांए हाथ में और उसका दाहिना स्तन तुषार के दांये पंजो मे था।
वो उसे उसी तरह उठा कर बाथरुम में ले जाता है और वहीं खड़ी कर देता है और खुद बाल्टी को नल के नीचे रख कर उसे थोड़ा खोल देता है । अब पानी की अवाज कमरे के बाहर जाने लगती है जिससे उसकी सास को ऐसा लगता है कि वो अभी तक नहा रही है। वो बाहर से फ़िर चिल्ला कर कहती है " अभी तक नहाया नही क्या रश्मी तुमने?
रश्मी अभी तक घबराई हुई थी उसे कुछ सूझ नहीं रहा था , तभी तुषार उसके कान में फ़ुसफ़ुसा कर कहता है " बोलो नहा रही हूं , तबियत ठीक नहीं लग रही थी इस्लिये उपर आ कर थोड़ा लेट गई थी"
रश्मी ने घबराहट में तुषार की बात को दोहरा दिया।
अब उसकी मम्मी फ़िर उसे कहती है " कोई बात नहीं बेटा रात को नींद ठीक से नही होने की वजह से ऐसा हुआ होगा। तुम चाहो तो और अराम कर कर के नीचे उतरना। अब नाश्ता बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा आज सबके लिये होटल से नाश्ता ले कर आये हैं। नीचे आ कर खा लेना। और सुनो मैं तुम्हे ये बताने के लिये उपर आयी हूं कि आज दोपहर लग्भग ११:३० बजे हम सभी एक साथ बाजार जायेंगे और तुषार की सगाई के लिये जो भी खरीदी करनी है कर लेंगे। फ़िर कल राज और उसका बास भी आ जायेंगे तो समय नही मिलेगा । और उसके एक दिन बाद सगाई है न।
अब रश्मी जरा संभल जाती है और अंदर से जवाब देती है " जी,मम्मी जी मैं नहा कर नीचे आती हूं और सबका खाना बना देती हूं , मुझे थोडी हरारत जैसा है लेकिन ठीक हो जायेगा।
मम्मी : अरे नहीं बेटा खाना वाना बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा कह रहे थे कि आज दोपहर का खाना भी किसी होटल में ही खा लेंगे, समझी । तुम चाहो तो ११:३० तक अराम से तैयार हो कर नीचे आ जाना ।
रश्मी: जी, मम्मी जी । (तुषार उसके कान में कहता है उसको बोलो की तुम थोड़ा अराम कर के नीचे आओगी) लेकिन वो नहीं बोलती । तुषार तनिक गुस्से में जरा जोर से फ़ुसफ़ुसा कर रश्मी से बोलता है
" बोलती या मैं बोलूं" और वो मुंह खोल कर बोलने का नाटक करता है। रस्मी तुरंत उसका मुंह दबा कर जोर से उसकी कही बात दोहरा देती है। उसकी सास कहती ठीक है बेटा तुम ११:३० तक आराम कर के
नीचे आ जाना , अच्छा मैं जा रही हूं नीचे तुम्हारे पापा नाश्ते के लिये अवाज लगा रहे हैं तुम अराम कर के समय से नीचे पहुंच जाना। ऐसा बोल कर वो वहां से चली जाती है। तुषार और रश्मी दोनों ने उसके
पैरों कमरे से दूर होती अवाज को सुनी और जब उसकी सीढीयों से उतरने की अवाज उसे आने लगी तो तुषार समझ जाता है कि उसकी मां गई और उसका चेहरा खिल उठता है।
अब वो बाथरुम में ही नंगी खड़ी रश्मी को ताबड़्तोड़ चूमना शुरु कर देता है। रश्मी ने जिस तरह से उसकी मां से झूठ बोलने में तुषार का साथ दिया था और उसकी कही बातों को दोहराया था उससे तुषार को समझ आ गया कि इसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी है और इसके लिये वो चुद जायेगी लेकिन अपने चुदने का राज किसी को नहीं बतायेगी।
अब तुषार रस्मी को पीछे की तरफ़ घुमा देता है और उसकी गांड़ तुषार की तरफ़ हो जाती है , तुषार उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था । पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह
की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज उसके सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी तुषार उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। रश्मी पूरी
तरह से उसके कब्जे में थी। तुषार नीचे बैठ जाता है और उसकी गांड़ो को चूमने लगता है , रश्मी की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से तुषार उत्तेजना की नई उचांईयो में पहुंच जाता है। रश्मी की गांड़ो को उसने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास उसे आज पहली बार हो रहा था।
वो रश्मी की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब तुषार ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता है और उसको नीचे चूमना शुरु करता है पहले नंगी खड़ी रश्मी की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में उसकी गर्दन वो अब पूरी तरह से नंगी खड़ी रश्मी के पिछे खड़ा हो जाता है और उसे पिछे से दबोच लेता है अब उसक लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और वो अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता है।
अपना मुंह उसके गालों से लगा कर वो उसके गालों को चूमने लगता है। अब वो उसको कहता है " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " रश्मी कोई उत्तर नहीं देती है तो तुषार कहता है " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, रश्मी मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए वो अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आता है और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ से वो उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ उसने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।
रश्मी को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन तुशार आखिर उसका पति तो था नहीं और वो जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये रश्मी की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो तुषार मुझे जाने दो।
सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और रश्मी की सिस्कियां और आंसू भी तुषार की वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और वो पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता है।
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अब वो रश्मी को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता है , बाहर आ कर वो रश्मी को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता है। नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर आती है और तुशार फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके बदन को मसलना चालू कर देता है। कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद वो उसे अलग करता है, उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी । तुशार उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों को चूम लेता है। अब तुशार के लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और वो अपने कपड़े उतारने लगता है। पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को वो उतार के फ़ेंक देता ।
तुषार के इस तरह कपड़े उतारने से रश्मी की धड़्कन तेज हो जाती है और वो समझ जाती है कि अब आगे क्या होने वाला है।अब वो आंखे बंद किये आने वाले तूफ़ान का इंतजार करने लगती है।
तुषार ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब वो भी रस्मी के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता है। तुषार का लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। रश्मी में इतना साहस नहीं था कि वो उसके नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे तुषार ने रश्मी को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। रश्मी ने पहली बार उसके बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। रश्मी ने साफ़ मह्सूस किया कि तुशार इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ है कि उसका पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।
कुछ देर तक रश्मी को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद वो उससे अलग होता है और उसे खीच कर पलंग के पास लाता है और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता है, रश्मी के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े तुषार ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। तुषार का लंड़ अब रश्मी के मुठ्ठी में था और वो उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा। रश्मी के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया कि तुषार का लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद राज ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उसने कभी भी रश्मी को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उसे तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी।
रश्मी के नरम नरम हाथ जब तुषार के लंड़ पर आगे पिछे सरक रहे थे तो उसे एक अजीब आनंद का अनुभव हो रहा था। उसे कभी गुमान भी न था कि रश्मी के हाथों में ऐसा जादू छिपा है। तुषार का लंड़ अब बुरी तरह से कड़्क हो गया था और उसे निचे करना संभव नहीं था इसलिये रश्मी अब उसके लंड़ को उपर से नीचे की तरफ़ सहला रही थी। तुषार अब बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और लंड में अत्यधिक तनाव के कारण अब वो दुखने लगा था। तनाव और उत्तेजना के कारण उस अब ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्द ही इसकी चूत में ना ड़ाला तो ये अब फ़ट जायेगा।
उसने रश्मी के हाथों को अपने लंड़ से अजाद किया और वो रश्मी के और भी सामने आ कर खड़ा हो गया, अब तुशार का लंड़ रश्मी के एकदम मुंह के सामने था । उसने अपना लंड़ रश्मी के गालों में लगाया और वहां उसे रगड़ने लगा। वो रश्मी के पूरे जिस्म में अपना लंड़ रगड़ना चाहता था, अब उसने अपना लंड़ उसके गालों से हटा कर उसके पूरे चेहरे में घुमाने लगा। रश्मी बेहद शर्मसार थी और आंखे बंद किये हुए तुषार की अपने नंगे जिस्म के साथ खिलवाड़ को महसूस कर रही थी।
तुषार अब अपने लंड़ को उसके होठों पर घुमाने लगा मानो वो अपने लंड़ से उसके होठों लिपिस्टिक लगा रहा हो। रश्मी ने अपने मुंह को को जोर से भीच लिया और अपने होठोंं को भी जोर से बंद कर लिया कहीं गलती से तुषार का लंड़ उसके मुंह मे ना घुस जाय। किसी मर्द के लंड़ का अपने मुंह से खिलवाड़ उसके साथ पहली बार हो रहा था , उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसे उबकाई आ जायेगी और वो उल्टी कर देगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और कुछ ही क्षणों में वो उसके लंड़ की की अभ्यस्त हो गई।
तुषार ने अपने बांये हाथ से रश्मी के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो रश्मी का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अब तुषार उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन रश्मी ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये उसे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। उसने थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अब उसने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया । अब रश्मी गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि तुषार का मोटा लंड़ उसके मुंह में था।
तुषार ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकी तुषार के धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बाद उसने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।
रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज तुषार ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी तुषार के लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने तुषार के लंड़ के लिये अपने मुंह में और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन तुषार ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।
रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर तुषार आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी वो प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह रश्मी सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
