30-01-2023, 03:07 AM
017...
इतनी खूबसूरत नंगी लड़्की को अपनी गोद में पाकर तुषार तो जैसे पागल हो जाता है और वो पागलों की तरह से उसके चेहरे को चूमने लगता है और अपने एक हाथ को उसके स्तन पर रख उसे मसलना चालू कर देता है। वो रश्मी के कानों के पास अपना मुंह ले जा कर धीरे से बोलता है " तू ठीक बोलती है कि भाभी मां के समान होती है लेकिन तब जब वो ४५ या फ़िर ५० साल की हो लेकिन जानम तुम तो मेंरे से भी एक साल छोटी हो मैं २४ साल का हूं और तू तो २३ साल की ही है तो फ़िर तू मेंरी मां कैसे हो सकती है? जानेमन तू मेंरे लिये "मां" समान नही बल्कि "माल" के समान है। और वो अपने गोद में निढाल पड़ी रश्मी के स्तनों में हाथ घुमाने लगता है फ़िर वो अपना हाथ उसके पेट में घुमाते हुए उसकी बिना बालों वाली चिकनी चूत में रख देता है।
अपनी नरम चूत पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी चिहुंक उठती है और तुषार हौले हौले उसे सहलाने लगता है, और बड़े ही बेशर्म तरिके से और कामुक अंदाज में उससे कहता है आज इसके अंदर अपना ड़ालूंगा और इसको खूब प्यार करुंगा। आज से ये मेंरी है। बोल जानम देगी न मुझे इसके अंदर अपना लंबा वाला ड़ालने के लिये।
तुषार कहना जारी रहता है " ऐसा मैंने सुना है कि शर्म किसी भी औरत का आभूषण होता है लेकिन रश्मी मै इसमें आगे और एक बान जोड़्ना चाहता हूं कि नग्नता किसी भी खूबसूरत औरत का सबसे बढिया बस्त्र होता है। और आज तूने अपना सबसे अच्छा बस्त्र पहना है मेंरे सामने। रश्मी तू सदा इसी वस्त्र में आना मेंरे सामने मैं तुझे इसी बस्त्र में देखना चाहता हूं।
अब तुषार अपनी बातों में भी हल्कापन ले आता है उससे हल्के स्तर की सेक्सी बातें करने लगता है। वो कहने लगता है तू नंगी बहुत अच्छी लगती है रश्मी, तू सदा मेंरे सामने नंगी ही रहना। तेरे इस खूबसूरत नंगे बदन को देख कर मुझे बड़ा सकून मिल रहा है।
तुषार की बातों से उसे बड़ी लज्जा आ रही थी उसने उसकी बातों को सुन कर बेचैनी से अपना पहलू बदलने का प्रयास किया और तिरछी नजर से तुषार की तरफ़ देखा। उसकी नजर उससे मिल गई उसने देखा तुषार बड़े कामुक अंदाज में उसके शरीर का मुआयना कर रहा है। तुषार से नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दिया और फ़िर से उसे चूमते हुए उससे पूछने लगा " ड़ालने दोगी न?" दर असल अब वो पूरी तरह से रश्मी का मजा ले रहा था और केवल शारीरिक रुप से ही नहीं बल्की मान्सिक रुप से और अपनी बातों से भी वो उसको ये जता देना चाहता था कि तू पूरी तरह से मेंरे जाल मे फ़ंस चुकी है और मुझे तेरी खुशी और रजामंदि की कोई परवाह नहीं है। और ना ही मुझे किसी को पता चल जाने की कोई चिंता है। क्योंकि पता चल जाने पर भी नुकसान तो सबसे ज्यादा तेरा ही होना है।
कुछ देर तक इसी तरह से अपने पैरों पर पड़ी रश्मी के नंगे बदन का मन भर के मुआयना करने और हल्की कामुक बातें करने के बाद अब तुषार अत्यंत गरम हो चुका था और उसके सब्र का बांध टूट
चुका था उसके लिये खुद को रोक पाना संभव नहीं था। लंड़ उसका इतना कड़क हो चुका था कि अब वो दुखने लगा था जिसे बर्दाश्त करना अब तुषार के बस में नहीं था। और फ़िर अपनी योजना के मुताबिक
वो राज के आने के पहले रश्मी की चूत में अपना लंड़ डाल कर उसकी सेक्स की भूख को जगा देना चाहता था,ताकि राज के वापस जाने के बाद वो उसे अराम से जी-भर के चोद सके और उसके नंगे जिस्म से अपनी मर्जी के मुताबिक खिलवाड़ कर सके।वो उसके अंदर महिनों से दबी पड़ी कामवासना को जगा देना चाहता था। उसे पता था कि उसका बाकि काम उसका निकम्मा भाई उसके लिये आसान बना देगा।
अब उसने फ़िर से उसके नंगे जिस्म पर हाथ घुमाना चालू कर दिया और वो उसके विशाल स्तनों को मसलने लगा। कुछ देर तक उसके दोनों स्तनो को मसलने के बाद तुषार बेकाबू होने लगा और उसने एक हाथ से उसके स्तन को मसलना जारी रखा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसे मसलने लगा। रश्मी लाख चाहे कि उसे तुषार के साथ संबंध नही बनाना है लेकिन एक मर्द के इस तरह उसके नंगे बदन पर बार बार हाथ लगाने और उसके उत्तेजक अंगो को सहलाते रहने के कारण उसका शरीर धीरे धीरे गरम होने लगा। और उसे अपने अंग में अजिब सी सिहरन मह्सूस होने लगी। ना चाहते हुए भी उसे पुरुष के स्पर्श का आनंद तो मिल ही रहा था। और उसे ड़र था कि कहीं वो बहक ना जाय इसलिये वो छटपटा रही थी कि किसी तरह से वो उसके चंगुल से अजाद हो जाय तो खुद पर काबू कर ले लेकिन तुषार की मजबूत पकड़ से निकलना उसके लिये संभव नहीं था।
ईश्वर ने स्त्री को रुप,यौवन आदि दे कर उसे बड़ा वरदान दिया है जिसके बल पर वो पुरुषों पर बहुत इतराती है लेकिन एक अन्याय भी कर दिया है उसके साथ कि उसे शक्ति नहीं प्रदान की अपने यौवन की रक्षा के लिये और पुरुषों की किस्मत में ना स्त्रीयों की तरह ना रुप ना यौवन लेकिन उसे शक्ति और अधीरता प्रदान कर दी। और वही पुरुष जब अधीर हो कर किसी स्त्री के यौवन को हासिल करने के लिये जब अपनी शक्ति का प्रयोग करता तो स्त्री के लिये अपने यौवन को बचा पाना संभव नहीं होता।शायद ये स्त्री को उसके रुप पर घमंड़ करने की सजा है। रश्मी की हालत भी ऐसी ही थी उसके यौवन में और उसके गदराए बदन में वो ताकत तो थी कि वो तुषार जैसे मर्दों को आकर्षित कर अपने पास बुला ले लेकिन उसे दूर करने की शक्ति उसमें नहीं थी। नतिजा सामने था जिस तरह चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं उसी तरह रश्मी नंगे जिस्म पर तुषार लिपट चुका था।
अब धीरे धीरे तुषार ने उसकी चूत की दरार में अपनी उंगली ड़ाल दि और वो उसकी चूत के अंदर हिलाने लगा। रश्मी बुरी तरफ़ तडफ़ उठी । तुषार ने उसकी चूत में उंगली रगड़ने की गती जरा तेज कर दी । अब तो रश्मी के लिये खुद पर काबू रखना काफ़ी मुश्किल हो रहा था।
तुषार रश्मी की चूत में उंगली अब कुछ ज्यादा ही तेजी से रगड़ने लगा, रश्मी भी अब अपने आपे से बाहर होते जा रही थी। तभी तुशार ने रश्मी की चूत के दरारों पर उंगली रगड़्ना बंद कर दिया और धीरे से वो उसकी चूत का वो हसीन छेद तलाशने लगा जिसे पाना और उसका भोग करना हर कामुक मर्द की हसरत होती है। आखिर तुषार ने रश्मी की चूत के छेद पर उंगली रख दी और फ़िर हौले से उसे धक्का लगाते हुए उसने अपनी उंगली एक पोर उसमें ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगा।
रश्मी के लिये ये एक विचित्र अनुभव था हालांकि शादि के बाद राज के साथ उसके कुछेक बार शारीरिक संबंध बने जरुर थे लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया उसके था। उसने कभी रश्मी को उत्तेजित करने की जरुरत नहीं समझी थी या शायद उसे ये पता ही नहीं था कि सेक्स केवल खुद के मजा लेने का नाम नहीं है बल्कि अपने साथी को भी चरम सुख तक पहुंचाने का नाम है। वही सेक्स सच्चा सेक्स होता है जिसमें दोनों परमसुख की प्राप्ति कर सके। अगर एक भी पक्ष नासमझ हो खासकर पुरुष तो फ़िर वो सेक्स ना हो कर केवल एक नीरस शारीरिक क्रिया मात्र रह जाती है। राज इस मामले में फ़िसड्डी साबित हुआ था।
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Sharma
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May 7, 2021
#19
018....
इस तरह उंगली के अंदर बाहर होने से ना चाहते हुए भी रश्मी की चूत गीली होने लगी और उसमें से एक चिकना पदार्थ बाहर आने लगा जिससे तुषार और भी असानी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। तभी अचानक रश्मी की कमर ने एक हल्का सा झटका लगाया। ये रश्मी ने नहीं लगाया था लेकिन काम की अधिकता से अपने आप ही हो गया था जो अत्यंत स्वाभाविक था।तुषार ने भी इसे साफ़ महसूस किया और समझ गया कि अब मेंरी रानी वासना के समुंदर मे गोते लगाने के लिये तैयार हो चुकी है। उसने उसी तरह बैठे हुए पूछा " मजा आ रहा है जान, पूरी उंगली ड़ाल दूं क्या तेरी चूत में? अब तुषार ने रश्मी से सभ्य भाषा में बात करना छोड़ ही दिया था और वो उससे अश्लील भाषा का ही प्रयोग करने लगा था। ऐसा करने से उसे रश्मी की नंगी जवानी पर पूर्ण विजय और अधिकार का अहसास जो होता था।
अब तुषार ने उसकी चूत में अपनी उंगली और गहराई तक घुसा दी और उसे और भी तेजी से अंदर बाहर करने लगा । अब तो रश्मी का अपने शरीर से नियंत्रण खतम होने लगा और उसकी कमर उसकी इच्छा के विरुद्द झटके देने लगी। वो बड़ी लज्जित थी और शर्म के मारे उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी। वो शुरु से तुषार से हर क्षेत्र में लगातार हार ही रही थी और आज भी उसके सामने पूरी तरह से बेनकाब हो गई और अपनी इसी झेंप को मिटाने के लिये वो आंखे बंद किये हुए अपना सर दांए बांए घुमा रही थी और बड़बड़ाते जा रही थी " नहीं प्लीज छोड़ दो मुझे , बस अब नहीं आह मैं मर जाउंगी मेंरा सर चकरा रहा है मुझे छोड़ दो। रश्मी बोले जारही थी लेकिन तुषार के उपर इसका कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि वो तो और भी उत्तेजित हो रहा था।
तुषार अब और तेज गति से उसकी चूत में उंगली ड़ाल रहा था और रश्मी अब उत्तेजना के मारे अब अपनी कमर को जोर जोर से उपर तक उछालने लगी और बोलने लगी " पागल हो जाउंगी मैं मुझे छोड़ दो" लेकिन तुषार ने उसकी चूत को जो से भीच लिया और धीरे से बोला मैं तुम्हें अभी छोड़ दुंगा लेकिन तुम वादा करो कि तुम अपनी चूत में मुझे अपना लंड़ ड़ालने दोगी और वो भी आज ही , तुम बोलो तो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं लेकिन आज रात मैं तुझे जी भर के चोदुंगा। बोल है मंजूर ? रश्मी ने बला टालने की गरज से कह दिया ठीक है अभी छोड़ दो। लेकिन तुशार भी कम नहीं था उसने तुरंत कहा यदि धोखा दिया तो? परिणाम पता है न? उसने कहा अगर धोखा दिया याद रखना तेरी बहन के सगाई के साथ का प्रोग्राम केंसल ।
तुषार के मुंह से ऐसी बातें सुन कर रश्मी ने चौंक कर उसकी तरफ़ देखा लेकिन तुषार हंस रहा था उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी। रश्मी के इस तरह चौंकने से वो ये समझ गया कि उसका तीर निशाने पर लगा है।
रश्मी ने प्रत्युत्तर में कहा तुम्हें जो करना है वो करो मुझे क्या? और सुधा के लिये कोई लड़्को की कोई कमी नहीं है , वो नही मरे जा रही है तुमसे शादी करने के लिये तुम्हारी माँ ही पीछे पड़ी थी इस रिश्ते के लिये। और क्या इस तरह से ब्लेकमेल कर के शादी करोगे? अरे तुम क्या केंसल करवाओगे इस सगाई को तुम देखना मैं खुद ही केंसल करवाउंगी इस रिश्ते को और तुझे बेनकाब करवाउंगी सबके सामने। अच्छा हुआ तेरी सच्चाई सामने आ गई। तुझ जैसे से शादी करने से तो अच्छा है कि वो जीवन भर कुंवारी ही रह जाय।
अपनी मां और अपना अपमान तुषार सहन नहीं कर पाया और वो क्रोध में पागल हो उठा उसने अपने एक हाथ से रश्मी के बाल जोर से पकड़ लिये और दूसरे हाथ से उसकी चूत को बुरी तरह से रगड़ दिया , रश्मी के मुंह से आह निकल गई साथ ही साथ उसे ये भी अहसास हो गया कि वो कुछ ज्यादा ही बोल गई है ।
अब तुशार ने बोलना चालू किया " साली मादरचोद कभी घर में खाने के ठिकाने नहीं थे यहां खा खा कर गांड़ मोटा गई है तेरी, शादी के लिये तन ढकने के लिये दो कपड़े देते की हैसियत भी तो है नहीं तुम्हारे परिवार की और बोलती है कि उसके लिये लड़्कों की कमी नहीं है , कौन करेगा तुम जैसे भुख्खड़ भिखारियों से रिश्ता? जा, कर के देख तब पता चलेगा कैसे तय होते है रिश्ते? और मेंरी जिस मां के बारे में तू कह रही है कि वो पिछे पड़ी है इस रिश्ते के लिये तो सुन साली मादरचोद मेंरी उसी मां की बदौलत ही तू इस घर में है । ये उसी के विचार है कि तू गरीब परिवार की होने बाद भी हमरे घर की बहू है समझी।
तुषार अभी भी तनिक क्रोधित ही था उसने धक्का दे कर उसे अपने से दूर कर दिया । और रश्मी अब उससे एक हाथ की दूरी पर जमीन पर नंगी बैठी थी उसकी तफ़ पीठ किये हुए और वो उसे घूर रहा था। रश्मी ने अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया और सुबकने लगी।
ठुकराया जाना किसी भी स्त्री के लिये सबसे बड़ा अपमान होता है, तुषार ने जब रश्मी को धक्का दे कर दूर हटा दिया तो उसके मन में एक अघात सा लगा । एक जवान खुबसुरत औरत पूर्णत: नग्न किसी मर्द के सामने हो और वो उसे ठुकरा दे ये तो किसी भी स्त्री के लिये बड़ी शर्मनाक बात होती है और खतरे की घंटी भी। स्त्री के जिस नग्न रुप को देखने और पाने के लिये पुरुष तरह तरह की कवायदें करता है उसी स्त्री को यदि कोई पुरुष नंगी करके ठुकरा दे ये तो उसके लिये बलात्कार से भी बड़ा अपमान होता है।
तुषार की बातों का असर रश्मी पर हुआ जरुर लेकिन थोड़ी देर के बाद और दोनों की आपस में नोंक झोंक औत तू तू मैं मैं के बाद। अब जमीन पर अपने पांव मोड़ कर बैठी नंगी रश्मी सोचने लगी कि यदि इसने सचमुच सुधा के साथ सगाई से मना कर दिया तो? मेंरा परिवार नाहक ही बदनाम हो जायेगा । और फ़िर पता नहीं तुषार क्या कारण बतायेगा सगाई न करने के लिये? अब उसे कुछ घबराहट होने लगी , उसकी स्थिती सांप छछूंदर वाली हो गई थी न उगलते बन रहा था और ना ही निगलते।
रश्मी की स्थिती बड़ी ही दुविधा वाली हो गई थी , इधर कुंआ तो उधर खाई । तुषार की शर्त ही ऐसी थी यदि सुधा के साथ सगाई करवानी है तो उसे अपनी बुर चुदवानी होगा तुषार के लंड़ से और यदि तुषार कि बात ना मानी तो तुषार चोदेगा उसके परिवार की इज्जत को पूरे समाज के सामने। आपनी स्थिती पर खुद रश्मी को ही तरस आ रहा था लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था उसे इस विकट परिस्थिती से बाहर आने के लिये। वो तुषार को इतना ज्यादा बोल चुकी थी कि अब उससे वापस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था क्योंकि अपनी बात वापस लेने या उसके सामने विनम्र होने का मतलब था उसके सामने समर्पण करना, सो उसने उसका हिम्मत से सामना करने का निश्चय किया।
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May 7, 2021
#20
019...
रश्मी लगभग पिछले २० मीनट से तुशार के सामने नंगी पड़ी थी सो अब शर्म जैसी बात काफ़ी खतम हो चुकी थी । जिस शरीर को छुपाने में स्त्री अपना सर्वस्व लगा देती है उसे यदि तुषार ने देख लिया है तो थोडी देर और सही देख जितना देख सकता है फ़िर तो इसे कभी मेंरी परछाई भी देखने को नसीब नहीं होने वाली ऐसा सोच कर रश्मी पलटी और तुषार को बोली " सुन अब ना तो मैं यहां रहने वाली हूं और ना ही मुझे इस बात से कोई मतलब कि तुम क्या फ़ैसला लेते हो मेंरी नजर में तुम्हारी जो इज्जत थी वो खतम हो चुकी है और मैं ये बात अपने दिल से कह रही हूं कि यदि तुम्हारे साथ सुधा की सगाई ना हो तो सुधा से ज्यादा कोई भाग्यवान नहीं होगा, लेकिन तुम यदि ये सोच रहे हो कि अपनी गंदी मानसिकता और हरकतों से अपने और खासतौर मेंरे परिवार को जिस मुसीबत में ड़ालने की सोच रहे हो तो मैं तुम्हारे मंसूबे कभी भी पूरे नहीं होने दूंगी। उसने बोलना जारी रखा " यदि तुमने सगाई तोड़ने की कोशीश भी की तो मैं तुम्हारी सच्चाई तुम्हारे घर वालों को बता दूंगी और यदि जरुरत पड़ी तो तुम्हारे खिलाफ़ F.I.R. भी लिखवाउंगी। उसने तुषार को धमकाते हुए कहा तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम सुधा से बिना शर्त सगाई कर लो वर्ना इसका अंजाम बहुत बुरा होगा । और फ़िर मेंरी बातों से तुम्हारे परिवार की जो बेईज्जती होगी और मम्मी,पापा,दिया और राज को तकलिफ़ होगी उसका जिम्मेंदार केवल तू होगा तुषार। अब रश्मी ने भी उसके साथ सभ्यता से बात करना छोड़ दिया और वो उससे तू तड़ाक की भाषा बोलने लगी।
वो क्रोध में भभकते हुए कहे जा रही थी " कोई अहसान नही करते मुझे इस घर में खाना दे कर , मेंरा परिवार कितना ही गरीब क्यों न हो तुम्हारे परिवार के सामने लेकिन कभी दो वक्त की रोटी के लिये तरसना नहीं पड़ा हमें । किसी पराये पुरुष के सामने नग्न खड़े रहने से भी ज्यादा शर्म आती है मुझे तुम्हारी बातों से , अरे इंसान कुत्ता भी पालता है तो उसे रोटी देता है खाने के लिये , लेकिन तू तो जानवरों से भी गया गुजरा है कि अपने ही घर में ब्याह कर लाई अपनी भाभी की रोटियां गिनता है। अपने पूरे समाज को ले कर आये थे बारात में ले कर और शादी कर के लाये हो मुझे इस घर में , मैं कोई भाग कर नहीं आई हूं तेरे इस घर में और ना ही तेरे अहसानों तले दबी हुई हूं। छी धिक्कार है तुझे और तेरे घटिया संसकारो पर।
तुषार धैर्य पूर्वक रश्मी की बातों को सुनता रहा और उसकी नंगी जवानी को देखता रहा । रश्मी के नंगे जिस्म का जादू फ़िर से उसके सर पर चढ़ कर बोलने लगा था और उसका गुस्सा भी उतर चुका था। वैसे भी तुषार ने जब उसके रुम में बने रहने का फ़ैसला लिया था तभी उसने ठान लिया कि या तो आज इसके नंगे जिस्म को जी भर के चोदुंगा या हमेंशा के लिये बदनाम हो जाउंगा, वो दोनों ही बातों के लिये पूरी तरह से मानसिक रुप से तैयार था।
अब तुषार ने बोलना चालू किया " रश्मी मैं मानता हूं कि मैं गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गया और मुझे ऐसा नही कहना चाहिये था मैं खाने वाली बात के लिये तुमसे माफ़ी चाहता हूं लेकिन एक बात मैं तुमको साफ़ साफ़ बता देना चाहता हूं कि सुधा में मेंरी कोई दिलचस्पी नहीं है और ना ही मैं उससे प्यार करता हूं मेरे दिल में केवल तुम ही बसी हो और तुम्हारे लिये ही मैंने उससे सगाई की बात स्वीकार की है। तुम्हें जो करना है वो कर लो लेकिन ये बात तुम भी कान खोल कर सुन लो कि यदि रश्मी नहीं तो सुधा भी नहीं और ये सगाई भी नहीं। यदि तुम मेंरे साथ रिश्ते से खुश नहीं तो इतना तुम भी समझ लो कि सुधा के साथ रिश्ते से मैं भी खुश नहीं रह सकता।
अब तुषार को लगने लगा कि इस तरह बातों मे वक्त जाया करने से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि ये "सोन चिरैया" हाथ से निकल सकती है सो उसने अब अंतिम धमाका करने का फ़ैसला कर लिया । अब उसने फ़िर से बोलना चालू किया "रश्मी तुझ से जो बन सकता है वो तू कर मेंरे खिलाफ़ और तुझसे प्यार करने की जो सजा तू मुझे देना चाहती है वो तू दे मुझे लेकिन तू इतना याद रखना कि तू जो भी कदम मेंरे खिलाफ़ उठायेगी वो एक ऐसे इंसान के खिलाफ़ उठायेगी जो तुमसे बेइंतिहा प्यार करता है।
उसने कहना जारी रखा " मेरी हरकते मेंरे परिवार की बेइज्जती का करण बने या ना बने लेकिन तेरी हरकतें मेंरी मौत का कारण जरुर बनेंगे। बस रश्मी अब मैंने तय कर लिया है कि यदि मेंरे जीवन मे तू नही तो फ़िर मुझे कुछ भी नहीं चाहुये ये जीवन भी नहीं । मेंरा मरना तय है चाहे तू किसी को बता या ना बता। आज कुछ तो होगा या तो मैं अपने प्यार को हासिल करुंगा या फ़िर आज का दिन मेंरे जीवन का आखीरि दिन है। अब उसने रश्मी को तनिक धमकाते हुए कहा "लेकिन यदि तुमने मेंरे बारे में किसी को भी बताया तो समझ लेना मैं तो मरुंगा ही लेकिन तेरे चरित्र पर ऐसा दाग लगा कर जाउंगा कि तेरे दोनों बहनों की शादी इस जीवन में तो कम से कम नहीं हो पायेगी , और तेरा भी इस घर में रहना मुश्किल हो जायेगा और तू जीते जी समाज में किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह पायेगी। और जब तेरी वजह से ही तेरी दोनों बहनों की शादी नहीं हो पायेगी तो क्या तेरा परिवार तुझे रखेगा अपने साथ? राज को तो तुझ से कोई लगाव है ही नहीं सो उसे तो यदि ये बातें पता चल जायेगी तो वो तत्काल ही तुझे इस घर के बाहर का रास्ता दिखा देगा। न तू घर की रहेगी ना घाट की फ़िर तो तेरे पास भी मर कर मेंरे आने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
उसने बोलना जारी रखा " अगर तू जीना भी चाहेगी तो वो जिंदगी तेरे लिये मौत से भी बदतर होगी , ना तो तुझे अपने घर का सहारा मिलेगा ना ही तुझे अपने ससुराल का । तू एक कटी पतंग की भांती दिशाहीन लहराते रहेगी। और तुझे इतना तो पता है न कि कटि पतंग को लूटने अनेंक लोग उसके पिछे दौड़्ते है और आखिरकार कोई ना कोई उसे पकड़ ही लेता है। उसने बोलना जारी रखा "रश्मी अकेली जवान औरत के लिये समाज में सुरक्षित रह पाना बहुत कठिन है तुझे समाज में कदम कदम पर कई तुषार से भी खतरनाक लोग मिलेंगे। अब तू सोच तुझे क्या फ़ैसला लेना है ? मैने तो फ़ैसला ले लिया है और मुझे अंजाम की कोई परवाह नहीं , मैने तय कर लिया है अगर तू नहीं मिली तो ये मेंरे जीवन का अंतिम दिन है।अब मेंरी जिंदगी और दोनों परिवारों की खुशियां तेरे हाथ में है।
तुषार के मुंह से इस तरह की बात सुन कर रश्मी एकदम से सकते में आ जाती है। शर्म और भीरुता का आपस में चोली दामन का साथ होता है। जो भीरु याने ड़रपोक होते हैं वो अक्सर शर्म को अपना सहारा बनाते हैं खुद को ड़रपोक कहलाने से बचने के लिये, रश्मी भी वास्तव में ड़रपोक ही थी। तुषार की बातों ने उसके मन और मस्तिष्क में गहरा असर ड़ाला और वो मन ही मन बुरी तरह से ड़र गई। उसे अब अपनी बदनामी का ही ड़र सताने लगा और वो सोचने लगी यदि इसने ऐसा कुछ कर दिया तो दोनों ही परिवारों के सभी सदस्यों की चौतरफ़ा बदनामी होगी, और मेंरी दोनो बहनों की तो क्या? इसकी अपनी बहन की दिया की शादि में समस्या खड़ी हो जायेगी। तुषार की बातों ने उसे बुरी तरह से झकझोर दिया था और वो अपनी वर्तमान नग्न अवस्था को भूल कर तुषार की बातों का ही मंथन करने में उलझ गई।
इधर तुषार रश्मी की तरफ़ बारीकि से देख रहा था और अपने शब्दों की उस पर प्रतिक्रिया की थाह लेने की कोशिश कर रहा था । उसने देखा कि रश्मी पूरी तरह से विचार मग्न है और बुरी तरह से चिंतित भी है। वो समझ गया कि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है। रश्मी को इस तरह शांत बैठे देख वो मुस्कुरा दिया , इसी तरह जब दो, तीन मीनट तक वो इसी तरह प्रतिक्रिया विहीन बैठी रही तो वो समझ गया कि अब इसके तरकश में तीर नहीं बचे है और एक प्रकार से इसने हथियार ड़ाल दिये है।
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अपनी नरम चूत पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी चिहुंक उठती है और तुषार हौले हौले उसे सहलाने लगता है, और बड़े ही बेशर्म तरिके से और कामुक अंदाज में उससे कहता है आज इसके अंदर अपना ड़ालूंगा और इसको खूब प्यार करुंगा। आज से ये मेंरी है। बोल जानम देगी न मुझे इसके अंदर अपना लंबा वाला ड़ालने के लिये।
तुषार कहना जारी रहता है " ऐसा मैंने सुना है कि शर्म किसी भी औरत का आभूषण होता है लेकिन रश्मी मै इसमें आगे और एक बान जोड़्ना चाहता हूं कि नग्नता किसी भी खूबसूरत औरत का सबसे बढिया बस्त्र होता है। और आज तूने अपना सबसे अच्छा बस्त्र पहना है मेंरे सामने। रश्मी तू सदा इसी वस्त्र में आना मेंरे सामने मैं तुझे इसी बस्त्र में देखना चाहता हूं।
अब तुषार अपनी बातों में भी हल्कापन ले आता है उससे हल्के स्तर की सेक्सी बातें करने लगता है। वो कहने लगता है तू नंगी बहुत अच्छी लगती है रश्मी, तू सदा मेंरे सामने नंगी ही रहना। तेरे इस खूबसूरत नंगे बदन को देख कर मुझे बड़ा सकून मिल रहा है।
तुषार की बातों से उसे बड़ी लज्जा आ रही थी उसने उसकी बातों को सुन कर बेचैनी से अपना पहलू बदलने का प्रयास किया और तिरछी नजर से तुषार की तरफ़ देखा। उसकी नजर उससे मिल गई उसने देखा तुषार बड़े कामुक अंदाज में उसके शरीर का मुआयना कर रहा है। तुषार से नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दिया और फ़िर से उसे चूमते हुए उससे पूछने लगा " ड़ालने दोगी न?" दर असल अब वो पूरी तरह से रश्मी का मजा ले रहा था और केवल शारीरिक रुप से ही नहीं बल्की मान्सिक रुप से और अपनी बातों से भी वो उसको ये जता देना चाहता था कि तू पूरी तरह से मेंरे जाल मे फ़ंस चुकी है और मुझे तेरी खुशी और रजामंदि की कोई परवाह नहीं है। और ना ही मुझे किसी को पता चल जाने की कोई चिंता है। क्योंकि पता चल जाने पर भी नुकसान तो सबसे ज्यादा तेरा ही होना है।
कुछ देर तक इसी तरह से अपने पैरों पर पड़ी रश्मी के नंगे बदन का मन भर के मुआयना करने और हल्की कामुक बातें करने के बाद अब तुषार अत्यंत गरम हो चुका था और उसके सब्र का बांध टूट
चुका था उसके लिये खुद को रोक पाना संभव नहीं था। लंड़ उसका इतना कड़क हो चुका था कि अब वो दुखने लगा था जिसे बर्दाश्त करना अब तुषार के बस में नहीं था। और फ़िर अपनी योजना के मुताबिक
वो राज के आने के पहले रश्मी की चूत में अपना लंड़ डाल कर उसकी सेक्स की भूख को जगा देना चाहता था,ताकि राज के वापस जाने के बाद वो उसे अराम से जी-भर के चोद सके और उसके नंगे जिस्म से अपनी मर्जी के मुताबिक खिलवाड़ कर सके।वो उसके अंदर महिनों से दबी पड़ी कामवासना को जगा देना चाहता था। उसे पता था कि उसका बाकि काम उसका निकम्मा भाई उसके लिये आसान बना देगा।
अब उसने फ़िर से उसके नंगे जिस्म पर हाथ घुमाना चालू कर दिया और वो उसके विशाल स्तनों को मसलने लगा। कुछ देर तक उसके दोनों स्तनो को मसलने के बाद तुषार बेकाबू होने लगा और उसने एक हाथ से उसके स्तन को मसलना जारी रखा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसे मसलने लगा। रश्मी लाख चाहे कि उसे तुषार के साथ संबंध नही बनाना है लेकिन एक मर्द के इस तरह उसके नंगे बदन पर बार बार हाथ लगाने और उसके उत्तेजक अंगो को सहलाते रहने के कारण उसका शरीर धीरे धीरे गरम होने लगा। और उसे अपने अंग में अजिब सी सिहरन मह्सूस होने लगी। ना चाहते हुए भी उसे पुरुष के स्पर्श का आनंद तो मिल ही रहा था। और उसे ड़र था कि कहीं वो बहक ना जाय इसलिये वो छटपटा रही थी कि किसी तरह से वो उसके चंगुल से अजाद हो जाय तो खुद पर काबू कर ले लेकिन तुषार की मजबूत पकड़ से निकलना उसके लिये संभव नहीं था।
ईश्वर ने स्त्री को रुप,यौवन आदि दे कर उसे बड़ा वरदान दिया है जिसके बल पर वो पुरुषों पर बहुत इतराती है लेकिन एक अन्याय भी कर दिया है उसके साथ कि उसे शक्ति नहीं प्रदान की अपने यौवन की रक्षा के लिये और पुरुषों की किस्मत में ना स्त्रीयों की तरह ना रुप ना यौवन लेकिन उसे शक्ति और अधीरता प्रदान कर दी। और वही पुरुष जब अधीर हो कर किसी स्त्री के यौवन को हासिल करने के लिये जब अपनी शक्ति का प्रयोग करता तो स्त्री के लिये अपने यौवन को बचा पाना संभव नहीं होता।शायद ये स्त्री को उसके रुप पर घमंड़ करने की सजा है। रश्मी की हालत भी ऐसी ही थी उसके यौवन में और उसके गदराए बदन में वो ताकत तो थी कि वो तुषार जैसे मर्दों को आकर्षित कर अपने पास बुला ले लेकिन उसे दूर करने की शक्ति उसमें नहीं थी। नतिजा सामने था जिस तरह चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं उसी तरह रश्मी नंगे जिस्म पर तुषार लिपट चुका था।
अब धीरे धीरे तुषार ने उसकी चूत की दरार में अपनी उंगली ड़ाल दि और वो उसकी चूत के अंदर हिलाने लगा। रश्मी बुरी तरफ़ तडफ़ उठी । तुषार ने उसकी चूत में उंगली रगड़ने की गती जरा तेज कर दी । अब तो रश्मी के लिये खुद पर काबू रखना काफ़ी मुश्किल हो रहा था।
तुषार रश्मी की चूत में उंगली अब कुछ ज्यादा ही तेजी से रगड़ने लगा, रश्मी भी अब अपने आपे से बाहर होते जा रही थी। तभी तुशार ने रश्मी की चूत के दरारों पर उंगली रगड़्ना बंद कर दिया और धीरे से वो उसकी चूत का वो हसीन छेद तलाशने लगा जिसे पाना और उसका भोग करना हर कामुक मर्द की हसरत होती है। आखिर तुषार ने रश्मी की चूत के छेद पर उंगली रख दी और फ़िर हौले से उसे धक्का लगाते हुए उसने अपनी उंगली एक पोर उसमें ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगा।
रश्मी के लिये ये एक विचित्र अनुभव था हालांकि शादि के बाद राज के साथ उसके कुछेक बार शारीरिक संबंध बने जरुर थे लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया उसके था। उसने कभी रश्मी को उत्तेजित करने की जरुरत नहीं समझी थी या शायद उसे ये पता ही नहीं था कि सेक्स केवल खुद के मजा लेने का नाम नहीं है बल्कि अपने साथी को भी चरम सुख तक पहुंचाने का नाम है। वही सेक्स सच्चा सेक्स होता है जिसमें दोनों परमसुख की प्राप्ति कर सके। अगर एक भी पक्ष नासमझ हो खासकर पुरुष तो फ़िर वो सेक्स ना हो कर केवल एक नीरस शारीरिक क्रिया मात्र रह जाती है। राज इस मामले में फ़िसड्डी साबित हुआ था।
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Sharma
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May 7, 2021
#19
018....
इस तरह उंगली के अंदर बाहर होने से ना चाहते हुए भी रश्मी की चूत गीली होने लगी और उसमें से एक चिकना पदार्थ बाहर आने लगा जिससे तुषार और भी असानी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। तभी अचानक रश्मी की कमर ने एक हल्का सा झटका लगाया। ये रश्मी ने नहीं लगाया था लेकिन काम की अधिकता से अपने आप ही हो गया था जो अत्यंत स्वाभाविक था।तुषार ने भी इसे साफ़ महसूस किया और समझ गया कि अब मेंरी रानी वासना के समुंदर मे गोते लगाने के लिये तैयार हो चुकी है। उसने उसी तरह बैठे हुए पूछा " मजा आ रहा है जान, पूरी उंगली ड़ाल दूं क्या तेरी चूत में? अब तुषार ने रश्मी से सभ्य भाषा में बात करना छोड़ ही दिया था और वो उससे अश्लील भाषा का ही प्रयोग करने लगा था। ऐसा करने से उसे रश्मी की नंगी जवानी पर पूर्ण विजय और अधिकार का अहसास जो होता था।
अब तुषार ने उसकी चूत में अपनी उंगली और गहराई तक घुसा दी और उसे और भी तेजी से अंदर बाहर करने लगा । अब तो रश्मी का अपने शरीर से नियंत्रण खतम होने लगा और उसकी कमर उसकी इच्छा के विरुद्द झटके देने लगी। वो बड़ी लज्जित थी और शर्म के मारे उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी। वो शुरु से तुषार से हर क्षेत्र में लगातार हार ही रही थी और आज भी उसके सामने पूरी तरह से बेनकाब हो गई और अपनी इसी झेंप को मिटाने के लिये वो आंखे बंद किये हुए अपना सर दांए बांए घुमा रही थी और बड़बड़ाते जा रही थी " नहीं प्लीज छोड़ दो मुझे , बस अब नहीं आह मैं मर जाउंगी मेंरा सर चकरा रहा है मुझे छोड़ दो। रश्मी बोले जारही थी लेकिन तुषार के उपर इसका कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि वो तो और भी उत्तेजित हो रहा था।
तुषार अब और तेज गति से उसकी चूत में उंगली ड़ाल रहा था और रश्मी अब उत्तेजना के मारे अब अपनी कमर को जोर जोर से उपर तक उछालने लगी और बोलने लगी " पागल हो जाउंगी मैं मुझे छोड़ दो" लेकिन तुषार ने उसकी चूत को जो से भीच लिया और धीरे से बोला मैं तुम्हें अभी छोड़ दुंगा लेकिन तुम वादा करो कि तुम अपनी चूत में मुझे अपना लंड़ ड़ालने दोगी और वो भी आज ही , तुम बोलो तो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं लेकिन आज रात मैं तुझे जी भर के चोदुंगा। बोल है मंजूर ? रश्मी ने बला टालने की गरज से कह दिया ठीक है अभी छोड़ दो। लेकिन तुशार भी कम नहीं था उसने तुरंत कहा यदि धोखा दिया तो? परिणाम पता है न? उसने कहा अगर धोखा दिया याद रखना तेरी बहन के सगाई के साथ का प्रोग्राम केंसल ।
तुषार के मुंह से ऐसी बातें सुन कर रश्मी ने चौंक कर उसकी तरफ़ देखा लेकिन तुषार हंस रहा था उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी। रश्मी के इस तरह चौंकने से वो ये समझ गया कि उसका तीर निशाने पर लगा है।
रश्मी ने प्रत्युत्तर में कहा तुम्हें जो करना है वो करो मुझे क्या? और सुधा के लिये कोई लड़्को की कोई कमी नहीं है , वो नही मरे जा रही है तुमसे शादी करने के लिये तुम्हारी माँ ही पीछे पड़ी थी इस रिश्ते के लिये। और क्या इस तरह से ब्लेकमेल कर के शादी करोगे? अरे तुम क्या केंसल करवाओगे इस सगाई को तुम देखना मैं खुद ही केंसल करवाउंगी इस रिश्ते को और तुझे बेनकाब करवाउंगी सबके सामने। अच्छा हुआ तेरी सच्चाई सामने आ गई। तुझ जैसे से शादी करने से तो अच्छा है कि वो जीवन भर कुंवारी ही रह जाय।
अपनी मां और अपना अपमान तुषार सहन नहीं कर पाया और वो क्रोध में पागल हो उठा उसने अपने एक हाथ से रश्मी के बाल जोर से पकड़ लिये और दूसरे हाथ से उसकी चूत को बुरी तरह से रगड़ दिया , रश्मी के मुंह से आह निकल गई साथ ही साथ उसे ये भी अहसास हो गया कि वो कुछ ज्यादा ही बोल गई है ।
अब तुशार ने बोलना चालू किया " साली मादरचोद कभी घर में खाने के ठिकाने नहीं थे यहां खा खा कर गांड़ मोटा गई है तेरी, शादी के लिये तन ढकने के लिये दो कपड़े देते की हैसियत भी तो है नहीं तुम्हारे परिवार की और बोलती है कि उसके लिये लड़्कों की कमी नहीं है , कौन करेगा तुम जैसे भुख्खड़ भिखारियों से रिश्ता? जा, कर के देख तब पता चलेगा कैसे तय होते है रिश्ते? और मेंरी जिस मां के बारे में तू कह रही है कि वो पिछे पड़ी है इस रिश्ते के लिये तो सुन साली मादरचोद मेंरी उसी मां की बदौलत ही तू इस घर में है । ये उसी के विचार है कि तू गरीब परिवार की होने बाद भी हमरे घर की बहू है समझी।
तुषार अभी भी तनिक क्रोधित ही था उसने धक्का दे कर उसे अपने से दूर कर दिया । और रश्मी अब उससे एक हाथ की दूरी पर जमीन पर नंगी बैठी थी उसकी तफ़ पीठ किये हुए और वो उसे घूर रहा था। रश्मी ने अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया और सुबकने लगी।
ठुकराया जाना किसी भी स्त्री के लिये सबसे बड़ा अपमान होता है, तुषार ने जब रश्मी को धक्का दे कर दूर हटा दिया तो उसके मन में एक अघात सा लगा । एक जवान खुबसुरत औरत पूर्णत: नग्न किसी मर्द के सामने हो और वो उसे ठुकरा दे ये तो किसी भी स्त्री के लिये बड़ी शर्मनाक बात होती है और खतरे की घंटी भी। स्त्री के जिस नग्न रुप को देखने और पाने के लिये पुरुष तरह तरह की कवायदें करता है उसी स्त्री को यदि कोई पुरुष नंगी करके ठुकरा दे ये तो उसके लिये बलात्कार से भी बड़ा अपमान होता है।
तुषार की बातों का असर रश्मी पर हुआ जरुर लेकिन थोड़ी देर के बाद और दोनों की आपस में नोंक झोंक औत तू तू मैं मैं के बाद। अब जमीन पर अपने पांव मोड़ कर बैठी नंगी रश्मी सोचने लगी कि यदि इसने सचमुच सुधा के साथ सगाई से मना कर दिया तो? मेंरा परिवार नाहक ही बदनाम हो जायेगा । और फ़िर पता नहीं तुषार क्या कारण बतायेगा सगाई न करने के लिये? अब उसे कुछ घबराहट होने लगी , उसकी स्थिती सांप छछूंदर वाली हो गई थी न उगलते बन रहा था और ना ही निगलते।
रश्मी की स्थिती बड़ी ही दुविधा वाली हो गई थी , इधर कुंआ तो उधर खाई । तुषार की शर्त ही ऐसी थी यदि सुधा के साथ सगाई करवानी है तो उसे अपनी बुर चुदवानी होगा तुषार के लंड़ से और यदि तुषार कि बात ना मानी तो तुषार चोदेगा उसके परिवार की इज्जत को पूरे समाज के सामने। आपनी स्थिती पर खुद रश्मी को ही तरस आ रहा था लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था उसे इस विकट परिस्थिती से बाहर आने के लिये। वो तुषार को इतना ज्यादा बोल चुकी थी कि अब उससे वापस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था क्योंकि अपनी बात वापस लेने या उसके सामने विनम्र होने का मतलब था उसके सामने समर्पण करना, सो उसने उसका हिम्मत से सामना करने का निश्चय किया।
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May 7, 2021
#20
019...
रश्मी लगभग पिछले २० मीनट से तुशार के सामने नंगी पड़ी थी सो अब शर्म जैसी बात काफ़ी खतम हो चुकी थी । जिस शरीर को छुपाने में स्त्री अपना सर्वस्व लगा देती है उसे यदि तुषार ने देख लिया है तो थोडी देर और सही देख जितना देख सकता है फ़िर तो इसे कभी मेंरी परछाई भी देखने को नसीब नहीं होने वाली ऐसा सोच कर रश्मी पलटी और तुषार को बोली " सुन अब ना तो मैं यहां रहने वाली हूं और ना ही मुझे इस बात से कोई मतलब कि तुम क्या फ़ैसला लेते हो मेंरी नजर में तुम्हारी जो इज्जत थी वो खतम हो चुकी है और मैं ये बात अपने दिल से कह रही हूं कि यदि तुम्हारे साथ सुधा की सगाई ना हो तो सुधा से ज्यादा कोई भाग्यवान नहीं होगा, लेकिन तुम यदि ये सोच रहे हो कि अपनी गंदी मानसिकता और हरकतों से अपने और खासतौर मेंरे परिवार को जिस मुसीबत में ड़ालने की सोच रहे हो तो मैं तुम्हारे मंसूबे कभी भी पूरे नहीं होने दूंगी। उसने बोलना जारी रखा " यदि तुमने सगाई तोड़ने की कोशीश भी की तो मैं तुम्हारी सच्चाई तुम्हारे घर वालों को बता दूंगी और यदि जरुरत पड़ी तो तुम्हारे खिलाफ़ F.I.R. भी लिखवाउंगी। उसने तुषार को धमकाते हुए कहा तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम सुधा से बिना शर्त सगाई कर लो वर्ना इसका अंजाम बहुत बुरा होगा । और फ़िर मेंरी बातों से तुम्हारे परिवार की जो बेईज्जती होगी और मम्मी,पापा,दिया और राज को तकलिफ़ होगी उसका जिम्मेंदार केवल तू होगा तुषार। अब रश्मी ने भी उसके साथ सभ्यता से बात करना छोड़ दिया और वो उससे तू तड़ाक की भाषा बोलने लगी।
वो क्रोध में भभकते हुए कहे जा रही थी " कोई अहसान नही करते मुझे इस घर में खाना दे कर , मेंरा परिवार कितना ही गरीब क्यों न हो तुम्हारे परिवार के सामने लेकिन कभी दो वक्त की रोटी के लिये तरसना नहीं पड़ा हमें । किसी पराये पुरुष के सामने नग्न खड़े रहने से भी ज्यादा शर्म आती है मुझे तुम्हारी बातों से , अरे इंसान कुत्ता भी पालता है तो उसे रोटी देता है खाने के लिये , लेकिन तू तो जानवरों से भी गया गुजरा है कि अपने ही घर में ब्याह कर लाई अपनी भाभी की रोटियां गिनता है। अपने पूरे समाज को ले कर आये थे बारात में ले कर और शादी कर के लाये हो मुझे इस घर में , मैं कोई भाग कर नहीं आई हूं तेरे इस घर में और ना ही तेरे अहसानों तले दबी हुई हूं। छी धिक्कार है तुझे और तेरे घटिया संसकारो पर।
तुषार धैर्य पूर्वक रश्मी की बातों को सुनता रहा और उसकी नंगी जवानी को देखता रहा । रश्मी के नंगे जिस्म का जादू फ़िर से उसके सर पर चढ़ कर बोलने लगा था और उसका गुस्सा भी उतर चुका था। वैसे भी तुषार ने जब उसके रुम में बने रहने का फ़ैसला लिया था तभी उसने ठान लिया कि या तो आज इसके नंगे जिस्म को जी भर के चोदुंगा या हमेंशा के लिये बदनाम हो जाउंगा, वो दोनों ही बातों के लिये पूरी तरह से मानसिक रुप से तैयार था।
अब तुषार ने बोलना चालू किया " रश्मी मैं मानता हूं कि मैं गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गया और मुझे ऐसा नही कहना चाहिये था मैं खाने वाली बात के लिये तुमसे माफ़ी चाहता हूं लेकिन एक बात मैं तुमको साफ़ साफ़ बता देना चाहता हूं कि सुधा में मेंरी कोई दिलचस्पी नहीं है और ना ही मैं उससे प्यार करता हूं मेरे दिल में केवल तुम ही बसी हो और तुम्हारे लिये ही मैंने उससे सगाई की बात स्वीकार की है। तुम्हें जो करना है वो कर लो लेकिन ये बात तुम भी कान खोल कर सुन लो कि यदि रश्मी नहीं तो सुधा भी नहीं और ये सगाई भी नहीं। यदि तुम मेंरे साथ रिश्ते से खुश नहीं तो इतना तुम भी समझ लो कि सुधा के साथ रिश्ते से मैं भी खुश नहीं रह सकता।
अब तुषार को लगने लगा कि इस तरह बातों मे वक्त जाया करने से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि ये "सोन चिरैया" हाथ से निकल सकती है सो उसने अब अंतिम धमाका करने का फ़ैसला कर लिया । अब उसने फ़िर से बोलना चालू किया "रश्मी तुझ से जो बन सकता है वो तू कर मेंरे खिलाफ़ और तुझसे प्यार करने की जो सजा तू मुझे देना चाहती है वो तू दे मुझे लेकिन तू इतना याद रखना कि तू जो भी कदम मेंरे खिलाफ़ उठायेगी वो एक ऐसे इंसान के खिलाफ़ उठायेगी जो तुमसे बेइंतिहा प्यार करता है।
उसने कहना जारी रखा " मेरी हरकते मेंरे परिवार की बेइज्जती का करण बने या ना बने लेकिन तेरी हरकतें मेंरी मौत का कारण जरुर बनेंगे। बस रश्मी अब मैंने तय कर लिया है कि यदि मेंरे जीवन मे तू नही तो फ़िर मुझे कुछ भी नहीं चाहुये ये जीवन भी नहीं । मेंरा मरना तय है चाहे तू किसी को बता या ना बता। आज कुछ तो होगा या तो मैं अपने प्यार को हासिल करुंगा या फ़िर आज का दिन मेंरे जीवन का आखीरि दिन है। अब उसने रश्मी को तनिक धमकाते हुए कहा "लेकिन यदि तुमने मेंरे बारे में किसी को भी बताया तो समझ लेना मैं तो मरुंगा ही लेकिन तेरे चरित्र पर ऐसा दाग लगा कर जाउंगा कि तेरे दोनों बहनों की शादी इस जीवन में तो कम से कम नहीं हो पायेगी , और तेरा भी इस घर में रहना मुश्किल हो जायेगा और तू जीते जी समाज में किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह पायेगी। और जब तेरी वजह से ही तेरी दोनों बहनों की शादी नहीं हो पायेगी तो क्या तेरा परिवार तुझे रखेगा अपने साथ? राज को तो तुझ से कोई लगाव है ही नहीं सो उसे तो यदि ये बातें पता चल जायेगी तो वो तत्काल ही तुझे इस घर के बाहर का रास्ता दिखा देगा। न तू घर की रहेगी ना घाट की फ़िर तो तेरे पास भी मर कर मेंरे आने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
उसने बोलना जारी रखा " अगर तू जीना भी चाहेगी तो वो जिंदगी तेरे लिये मौत से भी बदतर होगी , ना तो तुझे अपने घर का सहारा मिलेगा ना ही तुझे अपने ससुराल का । तू एक कटी पतंग की भांती दिशाहीन लहराते रहेगी। और तुझे इतना तो पता है न कि कटि पतंग को लूटने अनेंक लोग उसके पिछे दौड़्ते है और आखिरकार कोई ना कोई उसे पकड़ ही लेता है। उसने बोलना जारी रखा "रश्मी अकेली जवान औरत के लिये समाज में सुरक्षित रह पाना बहुत कठिन है तुझे समाज में कदम कदम पर कई तुषार से भी खतरनाक लोग मिलेंगे। अब तू सोच तुझे क्या फ़ैसला लेना है ? मैने तो फ़ैसला ले लिया है और मुझे अंजाम की कोई परवाह नहीं , मैने तय कर लिया है अगर तू नहीं मिली तो ये मेंरे जीवन का अंतिम दिन है।अब मेंरी जिंदगी और दोनों परिवारों की खुशियां तेरे हाथ में है।
तुषार के मुंह से इस तरह की बात सुन कर रश्मी एकदम से सकते में आ जाती है। शर्म और भीरुता का आपस में चोली दामन का साथ होता है। जो भीरु याने ड़रपोक होते हैं वो अक्सर शर्म को अपना सहारा बनाते हैं खुद को ड़रपोक कहलाने से बचने के लिये, रश्मी भी वास्तव में ड़रपोक ही थी। तुषार की बातों ने उसके मन और मस्तिष्क में गहरा असर ड़ाला और वो मन ही मन बुरी तरह से ड़र गई। उसे अब अपनी बदनामी का ही ड़र सताने लगा और वो सोचने लगी यदि इसने ऐसा कुछ कर दिया तो दोनों ही परिवारों के सभी सदस्यों की चौतरफ़ा बदनामी होगी, और मेंरी दोनो बहनों की तो क्या? इसकी अपनी बहन की दिया की शादि में समस्या खड़ी हो जायेगी। तुषार की बातों ने उसे बुरी तरह से झकझोर दिया था और वो अपनी वर्तमान नग्न अवस्था को भूल कर तुषार की बातों का ही मंथन करने में उलझ गई।
इधर तुषार रश्मी की तरफ़ बारीकि से देख रहा था और अपने शब्दों की उस पर प्रतिक्रिया की थाह लेने की कोशिश कर रहा था । उसने देखा कि रश्मी पूरी तरह से विचार मग्न है और बुरी तरह से चिंतित भी है। वो समझ गया कि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है। रश्मी को इस तरह शांत बैठे देख वो मुस्कुरा दिया , इसी तरह जब दो, तीन मीनट तक वो इसी तरह प्रतिक्रिया विहीन बैठी रही तो वो समझ गया कि अब इसके तरकश में तीर नहीं बचे है और एक प्रकार से इसने हथियार ड़ाल दिये है।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
