Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
शर्मिली भाभी मूल कहानी
#7
...

रश्मी का नंगा बदन उसकी आंखों के आगे घूमने लगा और नंगी रश्मी की कल्पना कर के ही उसका लंड़ बुरी तरह से खड़ा हो गया। वो चाहता तो तुरंत बाहर कर भाभी को रोक सकता था और कमरे से बाहर जा सकता था लेकिन एक ही कमरें दोनों के होने और उसके सामने ही रश्मी के कपड़े बदले जाने से तुषार की अपनी भाभी के रसीले बदन को चोदने की तमन्ना के कारण वो ऐसा नहीं कर सका ।


और आज तो हद ही हो गई देवर,भाभी दोनों एक ही कमरे में और भाभी एक्दम नंगी । तुषार के लिये तो जैसे तमाम परिस्थिति उसके हाथ में थी जिस मौके को बनाने के लिये वो योजना बना रहा था वो तो उसे इतनी जल्दी मिल गया इसकी तो उसने कल्पना भी नहीं की थी। इसीलिये उसने रुम में पड़े रहने में ही अपना फ़ायदा नजर आया।


तुषार भूल गया कि वो उपर क्यों आया था अब वो भाभी के पूरी तरह से नंगी हो कर बाथरुम में जाने का इंतजार करने लगा। दर असल रश्मी उपर आ कर सीधे छत में चली जाती है कपड़े उठाने के लिये कल की व्यस्तता की वजह से वो कपड़े उटाना भूल गई थी वो जल्दी से कपड़े उठाकर अपने कमरे में आती है और उसके कपड़े उठाने के दौरान ही तुषार उसे पूछने के लिये उसके कमरे में आता है और उसे नहीं पा कर वो उसे देखने बाल्कनी में चला जाता है।


ये सब इतनी तेजी से हुआ कि न तो रश्मी को तुषार के आने का पता चला और न ही तुषार को रश्मी के रुम से बाहर निकलने का मौका मिला।


तभी तुषार को बाथरुम के नल के चालू होने की आवाज आई वो समझ गया कि मेंरी गुलबदन रश्मी बाथरुम में चली गई है। उसने हौले से परदा हटाया और वो रुम में आ गया । अंदर दृष्य तुषार को काफ़ी उत्तेजित करने वाला था ।


कमरे में एक तरफ़ रश्मी की उतारी हुई साडी बिखरी पडी थी तो दूसरे टेबल पर रश्मी की अंड़रवियर , ब्रा , लहंगा और साड़ी पड़े थे। इसका मतलब साफ़ था कि रश्मी नहाने के बाद कपड़े बाथरुम में पहनने के बदले अपने कमरे में ही पहनती थी , याने के बाद वो नंगी ही कमरे में आती थी।


उसे किसी बात का ड़र भी नही था क्यों कि उसका अपना कमरा था और किसी के भी वहां आने का कोई खतरा नहीं था।


तुषार समझ गया कि रश्मी नहाने के बाद नंगी बाहर आयेगी, और उसने सोच लिया कि उसे अब क्या करना है?


रश्मी के स्वभाव और अब तक उसने जो कुछ किया था उसके साथ उस आचरण को देखते वो ज्यादा भयभीत नहीं था लेकिन फ़िर भी दिल में एक धुक्धुकी मची हुई थी जो कि स्वाभाविक था। लेकिन उसने सोच लिया था कि यदि इसे चोदना है तो कभी न कभी तो इसके सामने खुलना ही पड़ेगा और हिम्मत तो झुटाने ही पड़ेगी ही तो आज ही क्यों नहीं? इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा? वो चाहता तो भी ऎसा मौका नहीं बना सकता था।


अब तुषार को फ़िर से बाथरुम के अंदर चूड़ियों की अवाज सुनाई देने लगी वो समझ गया कि रश्मी अब पूरी तरह से नंगी हो रही है। थोड़ी ही देर मे उसे पानी के खड़्खड़ाने की अवाज आने लगी याने उसने नहाना चालू कर दिया था। तभी रश्मी ने अंदर शावर चालू कर दिया और फ़ौवारे का मजा लेने लगी ।


अब तुषार हौले से अपने सर कॊ थोड़ा सा तिरछा करते हुए अंदर झांकने की कोशीश की ।


बाथरुम में पानी भरने के कारण उसके टाईल्स एक प्रकार से मिरर का काम कर रहे थे और रश्मी की नंगी छाया उसमें साफ़ दिखाई दे रही थी। अब तक तुषार काफ़ी सहज हो चुका था और उसका सारा भय समाप्त हो चुका था और वो पूरी तरह से वासना की गिरफ़्त में आ चुका था। उसने देखा रश्मी अपने शरीर पर साबुन लगा चुकी है उसका पूरा शरीर उअके झाग से भरा हुआ है, अब वो अपने चेहरे साबुन लगा रही थी और उसकी आंखे बंद थी और वो इस पूरी तरह से बेखबर थी कि तुषार उसे घूर रहा है वो शायद इस बात कि कल्पना ही नहीं कर सकती थी कि कभी ऎसा भी हो सकता है।


जैसे ही तुषार ने देखा कि वो अपने चेहरे में साबुन लगा रही है और उसकी आंखें बंद है वो तुरंत बाथरुम के दरवाजे के सामने आ गया और अपने सामने ही भाभी के नंगे बदन को घूरने लगा। पूरी तरह से साबुन लगा चुकने के बाद वो अब अपनी पीठ और कुल्हों पर साबुन लगाने लगी। तुषार का कलेजा बाहर आने लगा उसे खुद पर नियंत्रण करना संभव नहीं लग रहा था


लेकिन उसने थोड़ा और इंतजार करना ठीक समझा। अब उसने अपने पूरे शरीर पर हाथ घुमाया और हाथों को साबुन वाला कर के उसे अपनी चूत में लगा दिया और अपनी चूत में साबुन लगाने लगी।


वो धीरे धीरे अपनी चूत को सहला रही थी और अंदर तक साबुन लगा कर उसे साफ़ कर रही थी। अब तक उसकी आंखें बंद ही थी क्योंकि साबुन उसके चेहरे पर लगा हुआ था और तुषार उसी तरह बेखौफ़ रश्मी के नंगे बदन को घुरते रहा । उसने देखा अब रश्मी कुछ ज्यादा ही जोर से अपनी चूत को मसल रही थी शायद उसे ऐसा करने में मजा आ रहा था।
Reactions:Napster

Sharma
Member
374
1,024
May 7, 2021
#15
014...

अब उसने अपनी उंगली को हल्का सा साबुन वाला कर के उसे अपनी चूत के अंदर डाल दिया और उसे अंदर तक साफ़ करने लगी और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी।


स्त्री की योनी की बनावट ही ऎसी होती है कि उसे अपनी योनी की सफ़ाई पर खास ध्यान देना होता है अन्यथा उसके संक्रमित होने का खतरा बना रहता है और उसे यूरिन इन्फ़ेक्शन का खतरा हो सकता है।लेकिन तुषार को ऐसा लगा कि रश्मी चूत की सफ़ाई के अलावा भी कुछ और कर रही है। बेचारी बिना पति के आखिर करे भी क्या? लेकिन उसका नितांत गोपनीय रहस्य भी अब तुषार के सामने उजागर हो गया।


अंदर तक उंगली ड़ालने के कारण कई बार उसके मुंह से एक हल्की सी आह निकल जाती जिसे उसके एक्दम सामने खड़े तुषार को साफ़ सुनाई दे रही थी। कभी कभी उसके मुंह से सी सी की अवाज भी निकल जाती थी। तुषार इन बातों क मतलब अच्छी तरह्से समझता था। कुछ देर तक इसी तरह से अपनी चूत की सफ़ाई करने के बाद अब वो शावर चालू करने के लिये उसकी चकरी ढूंढने लगती है । आंखे बंद किये हुए वो दिवाल के पास हाथ को इधर उधर धूमाने लगती है और कुछ ही क्षणों में वो शावर की चकरी को पकड़ कर उसे घुमाने लगती है और शावर चालू हो जाता है और उसका पानी उसके चेहरे में पड़्ने लगता है और वो अपना मुंह से साबुन साफ़ कर लेती है।


मुंह से साबुन निकलते ही रश्मी फ़िर से अपनी आंख खोल देती है और जैसे वो अपनी आंख खोलती है तुषार तत्काल वहां से हट कर थोड़ा आगे चला जाता है और बाथरुम की दिवार से सट कर बांए तरफ़ चिपक कर खड़ा हो जाता है। अब यदी रश्मी बाहर आती तो उसे तुरंत तुषार दिखाई नही देता लेकिन कपड़े के पास आते ही उनका सामना होना तय था। अब तुषार उसके बाहर आने का इंतजार करने लगा।


लग्भग दो तीन मीनट के इंतजार के बाद बाथरुम के अंदर सारी अवाजें बंद हो गई और बाल्टियों और मग्गे को किनारे रखने की अवाज आई। अब तुषार एकदम सतर्क हो गया क्योंकि उसके जीवन का वो स्वर्णिम क्षण आने वाला था जिसके उसे काफ़ी लंबे समय से इंतजार था और अगले कुछ पलों के बाद होने वाली घटनाएं उन दोनों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाली थी।


तुषार को पता था कि या तो वो वो सब कुछ हासिल कर लेगा जो वो पाना चाहता है या फ़िर हमेशा के लज्जित या तिरकृत जीवन जीने के लिये मजबूर हो सकता था। लेकिन तुषार ने तय कर लिया था कि वो खतरा मोल लेगा चाहे नतीजा कुछ भी हो।


औरते आम तौर पर रोज सर नहीं धोती केवल हफ़्ते में एकध बार ही धोती हैं क्योंकि बाल लंबे होने के कारण उन्हें बनाने में उन्हें काफ़ी वक्त लगता है, सो जब वे अपना सर नहीं धोती तो नहाते समय अक्सर अपने सर टावेल से बांध लेती हैं ताकि बाल गीले न हो और उन्हें बनाने में उनका वक्त जाया न हो।


रश्मी के सर पर टावेल बंधा हुआ था और बाकी तमाम बदन नंगा था। वो बेखौफ़ थी क्योंकि किसी के कमरे में होने का उसे अनुमान ही नही था। और हो भी क्यों?


नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर निकलती है और सीधे अपने कपड़ों के पास जा कर खड़ी हो जाती है।

जैसे ही वो अपने कपड़ों के पास पहुंचती है उसे अपनी आंख की कोर से बाथरुम की दिवार के पास किसी के खड़े होने का अहसास होता है। वो तुरंत उधर देखती है।


बहां नजर पड़्ते ही उसकी आंखे फ़ट जाती है और वो फ़टी फ़टी निगाहों से टक्टकी लगाकर तुषार की तरफ़ देखने लगती है। उसके पूरे बदन में एक ठंड़ी सी सिहरन पैदा होती है। और उसके पांव थरथराने लगते है। उसका चेहरा भय से पीला पड़ जाता है और मुंह खुला का खुला रह जाता है। उसे अपनी आंखों के सामने अंधकार दिखाई देने लगता है, और उसे ऐसा लगता है कि वो अभी गश खा कर गिर जायेगी। जो कुछ वो अपने सामने देख रही थी उस पर उसे सहज विश्वास नहीं हो रहा था। ठंड़े पानी से नहा कर निकलने के बावजूद उसे पसीना आने लगता है और उसे ऐसा लगता है कि उसके दिल की धडकन अचानक बढ़ गई है ।


उस एक क्षण में ही रश्मी के चेहरे में क्रोध,भय और आश्चर्य के तमाम भाव आ गए और वो जड़वत खड़ी रह जाती है। वो एक पत्थर की मूर्ति की भांती स्थिर हो जाती है उसे ऐसा लगा मानो किसी ने उसके शरीर की सारी ताकत निचोड़ दी हो और उसका शरीर मानों निष्प्राण हो गया हो। क्रोध,भय और आश्चर्य की वजह से वो इतनी बदहवास हो जाती है कि वो ये भी कुछ क्षण के लिये भूल जाती है कि वो अपने देवर के सामने पूर्णत: नग्न खड़ी है।


कुछ क्षणों के बाद जब उसे अपनी स्थिति का भान होता कि वो तो पूरी नंगी खड़ी है और उसका देवर उसे घूर रहा है तो वो अन्यन्त लज्जा का अनुभव करती है और तुरंत हरकत में आती है और कपड़ो की तरफ़ तेजी से भागती है। इधर तुषार भी उसके नंगे शरीर को देखते हुए इतना मुग्ध हो जाता है कि उसे भी कुछ होश नहीं रहता और वो एक्टक रश्मी के नंगे बदन को घूरते रहता है। लेकिन जैसे ही रश्मी अपने कपड़ों की तरफ़ भागती है तो तुषार भी जैसे किसी सम्मोहन से जागा हो वैसे होश में आता है और रश्मी की तरफ़ दौड़ता है।
Reactions:Napster and Raj_Singh

Sharma
Member
374
1,024
May 7, 2021
#16
015...

वो तेजी से भाभी और उसके कपड़ों के बीच में आ कर खड़ा हो जाता है । उसने ठान लिया था कि या तो तुझे आज मैं सदा सदा के लिये अपनी बना लुंगा और जीवन भर तेरे रसीले बदन से तेरी जवानी का रस चूसूंगा और तुझे अपनी मर्जी के मुताबिक चोदूंगा या जीवन भर के लिये बदनामी के गर्त में चला जाउंगा।


रश्मी का मन चित्कार उठता है , वो अपार लज्जा का अनुभव कर रही थी । लेकिन उसे ये भी अहसास हो रहा था कि ये आज आसानी से उसे कपड़े नहीं पहनने देगा।


रश्मी को इस तरह देख वो काफ़ी रोमांचित था और उसने ठान लिया था कि बस अब आज तुझे कपड़े तब तक नहीं पहनने दूंगा जब तक तेरी चूत में मेंरा लण्ड़ घुस नहीं जाता या तेरा थप्पड़ मेंरे गालों में नहीं पड़ जाता।


उसने बातचित शुरु करने गरज से कहना शुरु किया " भाभी दर असल मुझे मम्मी ने उपर भेजा था, उसे किचन में बेसन नहीं मिल रहा था उसने नीचे से काफ़ी अवाज लगाई लेकिन आपने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने मुझे उपर भेजा पूछने के लिये। आपको मैने काफ़ी अवाज लगाई लेकिन रुम के अन्दर से कोई अवाज नही आई तो मैं अन्दर चला आया लेकिन रुम आपको मैने यहां भी नही पाया तो मैने सोचा कि शायद आप बाल्कनी में होंगी तो मै वहां गया लेकिन आप तो वहां भी नही थी न सो जैसे ही मैं बाहर निकलने वाला था कि तुम रुम के अन्दर आ गई और आते ही अपने कमरे का दरवाजा बंद कर कपड़े उतारने लगी।


मैने सोचा कि जब आप बाथरुम में चली जायेंगी तो मै चुपचाप बाहर चला जाउंगा लेकिन आप तो दरवाजा खुला कर नहाने लगी सो मै थोड़ी देर और रुक गया और जैसे ही मुझे मौका मिला मै बल्कनी से बाहर निकल कर दरवाजा खोलने ही वाला था कि पहले "दिया" आ गई और दरवाजा खटखटाने लगी और फ़िर मम्मी आ गई। अब तुम ही बताओ रश्मी यदि उनके सामने मैं कमरे के बाहर निकलता तो वे क्या सोचती तुम्हारे और मेंरे बारे में।


उसने रश्मी ड़राने के उद्देश्य से ही जानबूझ कर मां और "दिया" वाली झूठी कहानी सुना दी। दरअसल वो अप्रत्यक्ष रुप से ये समझाने की कोशीश कर रहा था कि इस बात का पता यदि घर में किसी को भी चल जाय तो तुषार के साथ उसकी भी इज्जत चली जायेगी। और शायद रश्मी पर इस बात का असर भी पड़ा था।


रश्मी ने उसकी बातों को लग्भग अन्सुना सा करते हुए अपने सर पर बंधा टावेल खोल लिया और झट से अपने बदन पर लपेट लिया । पहाड़ की चोटीयों की तरह तने हुए उसके विशाल स्तन और उसकी बड़ी बड़ी गांड़ो को छुपाने में वो नन्हा टावेल समर्थ नहीं था बल्कि उसकी मादकता को और भी बढा रहा था लेकिन फ़िर भी नंगी होने से तो ये अच्छा ही था।


अब रश्मी ने पिछले कई महीनों से चले आ रहे तुषार के इस खेल के खिलाफ़ बोलने का साहस जुटाया और तनिक धीमी अवाज में उससे कहा " ये क्या तरिका है आपका? पिछले कई महिनों से मैं आपको नजर अंदाज करती आ रही हूं शायद इसी लिये आपको मेंरे बारे में काफ़ी गलत फ़हमी हैं। मैं आपके बड़े भाई की ब्याहता बीवी हूं कोई इस घर की रखैल नहीं कि जिसके साथ जिसे जो मर्जी आये वो करता रहे। अगर तुम्हारे अंदर जरा सी तहजीब होती, शर्म होती तो तुम मेंरे कमरे में आते ही बाहर आ सकते थे, क्या इतना इंतजार करना जरुरी था? जाहिर है तुम्हारी नीयत में खोट है। अगर मैं ये सब बातें तुम्हारे भाई को बता दूं तो क्या इज्जत रहेगी तुम्हारी उनके सामने और इस घर में?


जवान लड़्कियों को नंगा देखने का बहुत शौख है न तुम्हें, क्या इस घर में मैं ही अकेली जवान लड़की हूं ? तुम्हारी बहन भी तो खासी जवान है कभी उसके बाथरुम में भी जाकर देखा करो उसकी जवानी को। उसने आगे कहा " अब चुपचाप जिस तरह दबे पांव यहां आये थे उसी तरह दबे पांव निकल जाओ और दोबारा ऐसी गलती मत करना वर्ना तुम काफ़ी तकलिफ़ में पड जाओगे।


तुषार इस प्रकार की तमाम बातों के लिये पहले से तैयार था, अरे रश्मी की जवानी से खेलने के लिये तो वो अपने घर में भी बदनाम होने के लिये तैयार बैठा था। सो उसे रश्मी के इस तरह बड़्बड़ाने से कोई फ़र्क पड़ता नहीं दिखा। बल्कि तुषार ने एक बात साफ़ नोटिस किया की वो नारजगी जरुर दिखा रही है और भाषा भी भले ही तल्ख हो लेकिन उसकी आवाज काफ़ी धीमी है।


मतलब साफ़ था उसे भी अपनी बदनामी का ड़र था।उसने इस बात का पूरा का प्रयास किया था कि उसकी अवाज इस रुम से बाहर ना जाने पाये।


अब तुशार ने बोलना चालू किया वो बिल्कुल भी भयभीत नहीं था बल्कि वो तनिक जोर से ही बोलने लगा । दर असल वो ये देखना चाहता था कि उसकी तेज अवाज जब बाहर तक जाती है तो उसका रश्मी पर क्या असर होता है? क्या वो वाकई आज बगावत के मूड़ में है या खाली गीदड़ भभकी दे रही है।
Reactions:Napster

Sharma
Member
374
1,024
May 7, 2021
#17
016....

उसने बोलना चालू किया " रश्मी ये सच है कि तुम इस घर की ब्याहता हो लेकिन जिसकी तुम पत्नि हो उसे तुम्हारी कितनी चिंता है कभी उसने तुम्हें अपने पास बुलाया कभी वो तुमसे मिलनेके लिये आया? अरे नौकरी सभी करते हैं लेकिन कोई अपनी इतनी सुंदर बीबी को भी भूल सकता है क्या? रश्मी उसे तुम्हारी जरा भी परवाह नहीं है उसे तुमसे ज्यादा अपनी नौकरी और तरक्की की पड़ी है और वो इसके लिये किसी भी हद तक जा सकता है। वो तुमसे जीवन भर ऐसे ही व्यहार करता रहेगा जीवनभर । उसने जानबूझ कर तुषार के खिलाफ़ उसके कान भरना चालू रखा।


उसने आगे बोलना जारी रखा " और जहां तक तमीज, तहजीब और शर्म की बात है न तो रश्मी मैं तुमसे ये बात साफ़ कह देना चाहता हूं कि प्यार और जंग मे सब जायज है। रश्मी मैं तो अपना दिल कब से तुमसे हार चुका हूं , मैं तो बस मौके का इंतजार कर रहा था और देखो आज मुझे मौका मिल गया। और दूसरी जवान लड़्कियो की बात जो तुमने की न तो मैं केवल इतना चाहता हूं कि मुझे केवल तुम में रुचि है और किसी में नहीं मेंरा दिल तुम पर आया है किसी और पर नहीं। मैं केवल तुमसे प्यार करता हूं किसी और से नहीं । जब से तुम इस घर में आई हो तभी से मैं तुम्हें अपनी बाहों मे लेकर तुम्हारे होठों का रस पीना चाहता हूं। तुषार जानबूझ ऐसी बात कर रहा था ताकि उसकी प्रतिक्रिया जान सके।


उसने आगे बोलना जारी रखा " केवल तुम्हारे प्यार की खातिर ही मैंने सुधा से रिश्ते की बात स्वीकार कर ली है वरना मुझे उसमें कोई रुचि नहीं हैं। रश्मी जिन रिश्ते में प्यार नहीं ऐसे बनावटी रिश्ते का क्या लाभ? शायद ये बात तुमसे ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। वो जान बूझ कर उसके मन में "राज" के प्रति नफ़रत के बीज बो रहा था।


तुषार ने कहना जारी रखा " रश्मी आई लव यू , मैं सच कह रहा हूं।

रश्मी : ये प्यार नहीं केवल एक वासना है जिसे तुम जैसे लोग प्यार का नाम दे देते है।

तुषार : रश्मी प्यार और वासना में बहुत ही झिना पर्दा होता है और हर प्यार का अंत तो इसी वासना में ही होता है। और फ़िर दस असल जिसे तुमवासना कह रही हो वो तो प्यार की अंतिम अभिव्यक्ति है जहां शब्द मौन हो जाते है , जहां पहुंच कर प्यार को शब्दों मे बयान नहीं किया जा सकता और उसकी परिभाषा समाप्त हो जाती है वहां दो प्यार करने वाले एक दूसरे में समा जाते हैं और दो जिस्म एक जान बन जाते है और उनका अपना अलग से कोई वजूद नहीं रह जाता और वो एक दूसरे को अपना सब कुछ सौंप कर एक बन जाते है रश्मी, ये सिर्फ़ सोच का फ़र्क है अब मेंरा अकेले कोई वजूद मुझे नहीं दिखता तुम्हारे बिना मेंरा कोई अस्तित्व नही है रश्मी।

रश्मी : ये सब फ़ालतू की बकवास मत करो और चुपचाप इस कमरे से बाहर निकल जाओ इसी में हम दोनों की भलाई है।


रश्मी की बातों का कोई उत्तर देने के बजाय अब तुषार उसकी बांह पकड़ कर बाथरुम की दिवार के पास खींच कर ले जाता है और उसे उसके साहारे खड़ा कर देता है वो उसके दोनों हाथ पकड़ कर उपर उठा देता है और उसे दिवार से लगा देता है । अब रश्मी एकदम असहाय हो जाती है और तनिक गुस्से से कहतीहै " छोड़ मुझे " , और जवाब में तुषार उसका टावेल उसके सीने के पास से पकड़ लेता है और जोर से खींच कर उसे अलग कर लेता है और दूर पलंग के उपर फ़ेंक देता है। अब रश्मी तुषार के सामने एकदम नंगी खड़ी थी और उसके दोनों हाथ दिवार से लगे थे। तुषार उसका नंगा जिस्म निहारने लगता है। और रश्मी उसकी पकड़ से अजाद होने के लिये छटपटाने लगती है । जब भी वो उसकी पकड़ से निकलने के लिये प्रयास करती और छटपटाती तो उसके बड़े बड़े विशाल स्तन बुरी तरह से हिलने लगते जिसे देख तुषार और भी उत्तेजित हो उठा।


रश्मी का चेहरा नीचे की तरफ़ झुका हुआ था वो पूरी तरह से शर्मसार थी और बेबसी के मारे उसकी आंखॊं से आंसू निकल आये थे लेकिन तुषार उसकी बेबसी और उसके मौन संघर्ष को अपनी विजय मान रहा था और बेहद खुश हो रहा था और अत्यन्त कामुक भी इतने लंबे इंतजार के बाद आज उसकी गदराई हसीना उसके सामने बिल्कुल नंगी और बेबस जो खड़ी थी।


अब वो रश्मी के बेहद करीब चले जाता है और उसके नंगे बदन से लगभग चिपक जाता है , रश्मी को अपनी लजा बचाने का एक ही उपाय सूझता है कि वो बैठ जाय और वो अपने पैरों को ढीला छोड़ देती है जिसके तुषार के लिये उसे खड़ा रखना संभव नहीं रह पाता अब रश्मी जमीन पर बैठ जाती है तो तुषार भी उसके सामने उकड़ू बैठ जाता है।


वो उसके हाथों को छोड़ देता है रश्मी दोनों हथों के अजाद होते ही अपने हाथों को अपने सीने से लगा देती है और अपने स्तनों को छुपाने का असफ़ल प्रयास करती है वो अपने दोनों पैरों को सिकोड़ लेती है और अपना सर घुटनों में दबा कर अपना मुंह छुपाने का प्रयास करती है। रश्मी को इस मुद्रा में देख कर तुषार को करीब करीब ये अंदाज तो हो ही जाता है कि अब इसका समर्पण लग्भग हो चुका है।


अब वो रश्मी के दांए तरफ़ बैठ जाता है और उसके दांए पैर को पकड़ कर सीधा कर देता है और उसके घुटनों पर अपना घुटना रख देता है और धीरे धीरे उसकी चिकनी जांघ को सहलाने लगता है। रश्मी उसी तरह अपना चेहरा घुटनों छुपाए हुए तुषार से कहती है " आप जो भी कर रहे हैं वो बहुत गलत है भाभी तो मां के समान होती है, प्लीज मुझे छोड़ दिजिये मैं आपके हाथ जोड़ती हूं। अपनी मां समान भाभी को ऐसे बेईज्जत मत किजिये।


तुषार पूरी तरह वासना की तरंग में झूम रहा था और इस तरह से रश्मी को अनुनय करते देख उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती है। अब वो रश्मी के बगल में बैठ जाता है और उसको बांए कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लेता है और अपनी गोद में उसका सर रख लेता है और उसके दोनों हाथों को पकड़ कर फ़िर से उसके सर के उपर कर लेता है। और उसके विशाल स्तन फ़िर से तुषार के सामने झूलने लगते हैं।
Reactions:Napster

Sharma
Member
374
1,024
May 7, 2021
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: शर्मिली भाभी मूल कहानी - by neerathemall - 30-01-2023, 02:59 AM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)