30-01-2023, 02:45 AM
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मैं बेचैनी में कुछ पहलु बदलने के बाद पलंग से उठ खड़ा हुआ, अपने शर्ट के पास गया और उसकी जेब से सिगरेट निकाल कर और उसे सुलगा ली, अब मै कमरे मेंचहक कदमी करते हुए सिगरेट पीने लगा और भाभी के बारे में सोचने लगा। छत से अपने कमरे में आए मुझे अब दो घंटे से भी ज्यादा बीत चुके थे।
मेंरे कमरे में सिगरेट का धुंआ भरने से मुझे कमरे में घुटन होने लगी तो मैने कमरे का दरवाजा खोल दिया और अपने रुम से बाहर आ कर गैलेरी में चल कदमी करने लगा। तभी मेंरी नजर भाभी के कमरे की तरफ़ गई उसके कमरे से अभी तक लाईट बाहर आ रही थी। याने वो अभी तक खुला हुआ था। मैं सोचने लगा क्या वो अभी तक किताब पढ़ रही है? मेंरी सिगरेट भी खतम हो चुकी थी सो मैंने उसे बुझाया और उसे फ़ेंकने के लिये छत की तरफ़ ही चला गया।
भाभी के दरवाजे के पास से मैंने अपनी सिगरेट छत पर फ़ेंक दी और दरवाजे की दरार से अंदर झांककर देखा। अन्दर का नजारा काफ़ी रोमांचित करने वाला था। भाभी गहरी नींद में सोई हुई थी और किताब आधी उसके सीने पर और आधी उसके चेहरे पर पड़ी थी।उसका चेहरा दाए तरफ़ मुड़ा हुआ था, और उसका बांया हाथ पलंग के बाहर लटक रहा था और उसका बांया पांव भी लटक कर जमीन पर पड़ा था, उसका गाऊन जांघ से भी थोड़ा उपर उठ़ गया था।
मेंरा लंड़ फ़िर से खड़ा होने लगा। मैने दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया वो चररररर की अवाज के साथ थोड़ा खुल गया,दरवाजे में अवाज होने के कारण मैं थोड़ा घबरा गया और झट से वहां हट गया। कुछ देर तक मैं वैसे ही दिवार से चिपक कर खड़ा रहा लेकिन मैने देखा दरवाजा उसी तरह से खुला पड़ा है। यानी भाभी उसी तरह से सोई पड़ी है गहरी नींद में।
अब मै फ़िर दरवाजे के सामने खड़ा हो गया और इस बार कुछ हिम्मत के साथ मै दरवाजे को धक्का मार कर पूरा खोल दिया और वहीं खड़ा रहा। भाभी उसी तरह से पड़ी रही उस पर कोई असर नही हुआ लेकिन फ़िर भी मैं निश्चिंत हो जाना चाहता था इसलिये मैने फ़िर से दरवाजे को बंद किया वो फ़िर से अवाज करते हुए बंद हो गया। लेकिन वो सोई पडी रही । ऎसा मैने चार पांच बार किया लेकिन वो तनिक भी नहीं हीली। अब मुझे यकीन हो गया की वो गहरी नीद में है।
मैं उसके कमरे के अंदर गया और धीरे से बोला भाभी , लेकिन वो उसी तरह से पड़ी रही,ऎसा मैने दो तीन बार किया लेकिन वो पूर्ववत सोई रही। अब मैने उसके लाईट और पंखे को भी तीन चार बार बंद चालू करके देखलीया लेकिन उसकी नींद मे कोई खलल नहीं हुआ और बेसुध हो कर सोती रही।
अपनी स्वप्न सुंदरी को अपने सामने इस प्रकार अर्धनग्न अवस्था में बेसुध हो कर सोते देख मैं फ़िर से कामवासना के दलदल में ड़ूब गया। मेंरा लण्ड़ बुरी तरह से खड़ा हो गया था। मैं उसे छूने के लिये बेचैन हो गया। मैंने अपने कदम पलंग की तरफ़ बढ़ाये। अब मैं उसके एकदम करीब आ कर खड़ा हो गया। अब मैने अपना मुंह निचेझुकाते हुए उसके मुंह के एक्दम करीब ले गया और धीरे से बोला भाभी ........ उठो , लेकिन वो सोई पड़ी रही।
मेंरी रश्मी मेंरे एक्दम सामने पड़ी थी उसे देखकर मुझे अपने अंदर एक लावा बहता हुआ मह्सूस हुआ। मेंरी नजर उसकी छातीयों पर पड़ी उसने ब्रा नहीं पहना था लेकिन फ़िर भी उसके कसाव में कोई कमी नही आई थी,वो लटके हुए नहीं थे पूरी तरह से तने हुए थे और उसकी सांसो के साथ पूरी तरह से ताल मिलाते हुए बड़े आकर्षक अंदाज में हील रहे थे।मेंरा मन किया कि उसे मसल ड़ालूं और उसका रस चूसने लग जाऊं।लेकिन मैंने सब्र से काम लेना ठीक समझा। अब मैंने उसके लटके हुए हाथ की कलाईयों को हौले से अपनी उंगलियों की गिरफ़्त में लिया और उसको आहिस्ता से उपर की तरफ़ उठाया। थोड़ा सा उपर उठाने के बाद उसके चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई रही। अब मैने उसके हाथ को छोड़ दिया अब वो झटके से नीचे आ गिरे, ऎसा २-३ बार करने के बाद भी जब वो नहीं हिली तो मैं समझ गया कि वो मुर्दों से शर्त लगा कर सोई है।अब मैं काफ़ी बेखौफ़ हो गया और मैंने भाभी के पंजो को धीरे से अपने हाथों पकड़ लिया और धीरे धीरे प्यार से उसको सहलाने लगा। कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद मैने रश्मी को सहलाने का दायरा बढ़ा लिया और अब मैं धीरे धीरे उसके बांए हाथ को कंधे तक सहलाने लगा।
इस तरह उन्मुक्त और बेसुध सोती हुई रश्मी बेहद मादक लग रही थी, उसका अर्धनग्न जवान शरीर किसी भी मर्द को पागल करने के लिये काफ़ी था। अपने सामने उसे पा कर पिछले आठ माह की मेंरी दमित कामवासना जागृत होने लगी थी, मैं अत्यन्त कामुक नजरों से उसके बदन को घूर रहा था और उसके शरीर के स्पर्श का आनंद ले रहा था। इस स्त्री को इस तरह अपने सामने बेसुध पड़ा पाकर मैं तमाम रिश्तों को भूल गया और उस जवान कली के हुस्न को अपने हाथों से मसलने के लिये मैं बेचैन होने लगा।
मैने अपना हाथ अब उसके कंधे पर ही रख दिया और उसे हल्के हल्के मसलने लगा और फ़िर धीरे से मैने अपने हाथॊं की उंगलियां उसके स्तन का उभार जहां से शुरु हो रहा था वहां रख दी। आहहह कितना नर्म था उसका स्तन। अब मैं बेचैन होने लगा और धीरे धीरे मेंरा पूरा पंजा उसके बांए स्तन के उपर रख दिया।पूरा स्तन मेंरे हाथ में आते ही मेंरा लण्ड़ अपने काबू के बाहर हो गया अब वो अंदर मे बुरी तरह से झटके मारने लगा।अब मैं खिसक कर उसके पलंग से एकदम चिपक गया और उसका बांया हाथ अपने घुटनों पर रख लिया, मेंरा एक हाथ उसके बांये स्तन को धीरे धीरे मसल रहा था और अब मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके बांए हाथ के पंजो को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा। २-३ मीनट तक ऎसे ही मैं उसके स्तन को हौले हौले मसलते रहा और उसके हाथों को चूमते रहा फ़िर मैंने अपने दांये हाथ से उसके स्तन को मसलना छोड़ कर उसको धीरे से उसके गाऊन के बटन के उपर रखा और अपने हाथों की ऊंगलियों से ही एक छोटे से प्रयास से उसका पहला बटन खोल दिया।
पहला बटन खुलते ही मुझे उसका क्लीवेज साफ़ दिखाई देने लगा , कामवासना के अतिरेक के कारण मेंरी आंख लाल सुर्ख हो गई थी और मैं अत्यंत कामुक नजरों से उसके बदन को घूर रहा था और स्पर्श कर रहा था। मैंने अपना हाथ उसके क्लीवेज पर घुमाते हुए धीरे से अपना हाथ उसके गाऊन के अंदर ड़ाल दिया और अब मैं उसके दांए स्तन को मसलने लगा।
इंसान को जितना मिलता है उसकी भूख और बढ़ती जाती है,कभी मैं रश्मी के शरीर के स्पर्श मात्र से अभीभूत हो जाता था लेकिन आज उसके दोनों स्तनों पर हाथ फ़ेरने के बाद भी मेंरी अधीरता बढ़ती जा रही थी। मैं हौले हौले उसके दोनों स्तनों को बारी बारी मसलते रहा, अब मैंने अपना हाथ उसके गाऊन से बाहर निकाला और धीरे धीरे उसके गाऊन के बाकी बचे तीनों बटन भी खोल दिये।गाऊन के चारों बटन खोल्ने के बाद मुझे उसकी नाभी तक का शरीर साफ़ दिखने लगा। बटन खोल देने के बाद मैने उसके दोनों स्तनों के उपर से गाऊन को धीरे से हटा दिया,उसके दोनों स्तन मेंरे सामने अपने पूर्ण उभारों के साथ मेंरे सामने नग्न पडे़ थे, और मैं पूरी तरह से स्वतन्त्र था उनके साथ खेलने के लिये। अब मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और हौले हौले उन्हें मसलने लगा। तभी अचानक उसके नाक से हल्की हल्की अवाज आने लगी याने वो और गहरी नींद मे चली गई।धीरे धीरे उसके नाक की अवाज बढ़ती गई और अब वो खर्राटे लेने लगी।
उसके नाक से निकलने वाली खर्राटों की अवाज ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया अब मैं तनिक और दबाव के साथ उसके स्तनों को दबाने लगा।उसके खर्रटों की ध्वनी और तेज होने लगी। उसकी इस कदर गहरी नींद ने मुझे पूर्णतया बेखौफ़ कर दिया और अब मै उसके स्तनों से खिलवाड़ करने लगा। मैनें उसके स्तनों में हल्की हल्की थपकियां मारी तो वो बड़े ही मादक तरीके से उपर नीचे होने लगे।उसके स्तन क्या थे वो तो पूरे पहाड़ की पूरी तरह से भरपूर गोलाईयां लिये और उचाई लिये उसकी पूरी छाती में फ़ैले हुए थे। उसके स्तनों को देख कर ऎसा लगता था मानों उसकी छातीयों में दो विशाल गुंबद रख दिये हो। अब मैं उसे चूमने के लिये बेताब होने लगा, मेंरी अधीरता बढ़ती जा रही थी। मैंने अपना मुंह धीरे से उसके स्तनों के करीब ले गया और अपनी नाक उस पर रगड़ने लगा , आहहहह क्या मादक खुशबु थी उसके बदन की, रश्मी के तने हुए विशाल स्तनों की मादक खुशबू से मैं मदहोश होने लगा और मेंरी लालसा बढ़ती जा रही थी,अब मैने अपनी जीभ बाहर निकाली और धीरे धीरे उसके स्तनों पर फ़िराने लगा और उसे जीभ से ही धक्के लगाने लगा। जीभ क धक्का लगते ही वो थोड़ा दब जाते और पीछे हो जाते और जैसे ही मैं अपनी जीभ अंदर करता वो पुनः तन जाते और मेंरी नाक से टकराने लगते और अपनी मादक खुशबू से मुझे मदहोश करने लगते।
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May 7, 2021
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कुछ देर तक इसी तरह से करने के बाद मैंने अपनी जीभ पूरी तरह बाहर निकाल ली और उसे उसके पूरे स्तन पर घुमाते हुए उसे चाटने लगा, मेंरी गदराई भाभी के उन्नत जवान स्तन के मीठे मीठे स्वाद ने मेंरे उन्माद को और भी बढ़ा दिया , इस तमाम उन्माद के दौरान भी मैं पूरी तरह से सतर्क था और अपना ध्यान भाभी के खर्राटों पर लगा कर रखा था, जब तक उसकी नाक बजेगी तब तक मेंरे हाथ उसके जिस्म से खेलते रहेंगे। बहरहाल, उसके स्तनों को चाटने के कारण उसका बांया स्तन पूरी तरह से मेंरे मुंह की लार से गीला हो चुका था और इस दौरान मैंने उसके दाए स्तन को अपने बांए हाथ पकड़ रखा था और उसे मसल रहा था।
उसकी नींद और भी गहरी होते जा रही थी और अब उसके खर्रटों की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी और सांस मुंह से छोड़ने के कारण उसके ऒठ भी फ़ड़क रहे थे। अब मैने उसके दूध के निप्पल को अपने मुंह मे ले लिया और उसे हौले हौले से चूसने लगा और उसके दोनों स्तनों को भी मसने लगा । लगभग पन्द्रह से बीस मीनट तक इसी तरह से उसके स्तनों से उसकी जवानी का रस चूसने के बाद मैंने उसका निप्पल छोड़ा और दोनों हाथों से उसके स्तनों को पकड़े हुए मैंने उन दोनों स्तनों को कई बार चूमा।
अब अपना मुंह उसके चेहरे के पास ले गया और उसके बांए गाल को चूमने लगा। कुछेक "किस" उसके गालों पर देने के बाद मैने उसे चूमना छोड़ दिया और फ़िर से उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और एक भरपूर कामुक दृष्टी उसके अर्धनग्न जवान शरीर पर डाली।
रश्मी की जिन उन्नत विशाल छातियों को पिछले आठ माह से देख कर मैं उसमें भरे यौवन के रस को पीने के लिये मचल रहा था और मुठ्ठ मार रहा था उसे छुने और मसलने का कोई क्षण मैं व्यर्थ नहीं करना चाहता था। आज की ये रात मेंरे जीवन में कितनी अनमोल थी इसका बयान करने के लिये मेंरे पास शब्द नही है। रश्मी के जवान नंगे बदन को देखना और फ़िर उसे भोगना ये एक ऎसा सुख था मेंरे लिये जिसे मैं शब्दों के जाल में नहीं बांध सकता था, ये तो गूंगे का गुड़ था जिसे वो खा तो सकता था लेकिन उसका स्वाद नहीं बता सकता था।
खर्राटों की तरफ़ ध्यान रखते हुए अब मैने उसकी चूत की तरफ़ देखा, उसका गाउन मैने पेट के उपर तक उठा दिया था और अब वो लग्भग नंगी ही कही जा सकती थी। मैं अपना मुंह उसकी चूत के पास ले कर गया और अपनी नाक उसकी चूत पर रख दी और उसकी जवान चूत की मदहोश करने वाली खुशबू को सूंघने लगा। उसकी चूत की खुशबू ने मुझे लग्भग पागल बना दिया और अब मै उसकी चूत पर अपना हाथ घुमाने लगा। नरम नरम क्लीनशेव जवान चूत पर मेंरा हाथ असानी से फ़िर रहा था, कुछ देर तक इसी तरह से उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने के बाद मैंने अपनी पूरी हथेली उसकी चूत पर रख दी और अब उसकी पूरी चूत मेंरी हथेली में समा गई। और अब मैंने अपनी पहली उंगली उसकी चूत की दरार में हौले से घुसा दी और धीरे धीरे उसे सहलाने लगा।थोडी देर तक इसी तरह से उसकी चूत को सहलाने के बाद मैंने अपने बांए हाथ के अंगूठे और उंगली से उसकी चूत की दोनों फ़ांको को फ़ैलाया, अब मुझे उसकी चूत का गुलाबीपन साफ़ दिखाई देने लगा। अब मैं उसकी जवान बुर का रस पीने के लिये बेचैन होने लगा और मैंने धीरे से अपना मुंह उसकी चूत में लगा दिया और उसकी चूत से जवानी का रस चूसने लगा।
मैं लगभग १० मीनट तक इसी प्रकार से उसकी चूत से खेलता रहा, इस दौरान मैं रश्मी की चूत में इतना तल्लीन रहा की मैं अपनी सुध बुध भी भूल गया और मुझे इतना भी याद नहीं रहा कि मैं अपनी ही सोई हुई भाभी के जिस्म से खेल रहा हूं और उसके खर्राटों पर से भी मेंरा ध्यान हट गया था, अचानक इसका खयाल आते ही मैं चौंका और उसके खर्राटों पर ध्यान दिया, कमरे में गूंजने वाले उसके खर्राटों की अवाज बंद हो चुकी थी और कमरे में सन्नाटा छाया हुआ था, अब मैं बुरी तरह से हड़्बड़ा कर वहां से उठा और भाभी के चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई पड़ी थी, मैं हिम्मत करके उसके चेहरे के पास अपना मुंह ले जा कर देखा मुझे वो पूर्व की तरह ही गहन नींद में लगी और मुझे उसके नाक से सांसो की सीऽऽऽऽऽसीऽऽऽऽऽ आवाज सुनाई देने लगी।
अब मैंने पुनः राहत की सांस ली और धीरे अपना हाथ उसके उसके बांए स्तन पर रख दिया वो प्रतिक्रिया विहीन निष्चेट पड़ी रही। अब मैंने पुनः उसके स्तनों को धीरे धीरे मसलना चालू कए दिया,रश्मी के बदन की मादक खुशबू को सूंधने और उसके स्तनों और चूत का स्वाद चख लेने के बाद मेंरे लिये खुद पर नियंत्रण काफ़ी कठिन हो गया था। भाभी का गदराया मदमस्त नग्न शरीर मेंरे सामने पड़ा था और मैं उसे देख कर आहें भर रहा था। मुझे ऎसा लग रहा था कि अब मैं इस नग्न सोई हुई इस सुंदरी के शरीर से लिपट जाऊं और अपनी बलिष्ठ भुजाओं मे उसे कैद कर उसे अपनी बाहों मे भर लूं और अपना लंड़ उसकी चूत में ड़ाल दूं , लेकिन ऎसा करने की अभी मुझमें हिम्मत नहीं थी और मेंरा इरादा भी नहीं था।
अपनी बाएं हाथ से उसके स्तनों को बारी बारी से मसलते हुए मैने अब उसके पलंग से बाहर लटके हुए बांए हाथ को अपने हाथ में लिया और उसके मुठ्ठी को धीरे खोला और अपने फ़ौलाद की तरह कड़क हो चुके धधकते हुए लंड़ को उसके हाथों मे पकड़ा दिया और फ़िर से उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। अब मेंरा लंड़ उसके बांए हाथ में था, आहहहह रोमांच का चरम क्षण था वो मेंरे लिये और अब मेंरा लंड़ अपने आप ही झटके मारने लगा था।
अब मैने अपने हाथों में उसका बांया पंजा पकड़ लिया जिसमें मेंरा लंड़ था और अब मैंने अपनी मुठ्ठी जोर से बंद कर दी इस तरह अब मेंरा लंड़ उसके नरम हाथॊं मे समा गया। उसके हाथों में मेंरा लंड़ समाते ही मैं बेकाबू हो गया और उसके स्तनों को और भी जरा जोरों से मसलने लगा और अपने दांए हाथ से उसके मेंरे लंड़ पकड़े हाथ को हिलाने लगा, इस तरह मेंरी हसीन भाभी नींद में ही मेंरा मुठ्ठ मारने लगी।
अब उसके स्तनों को मैंने उत्तेजना में बुरी तरह से पकड़ लिया और इधर अपने एक हाथ से उसके अपने लंड़ पकड़े हाथ को जोर जोर से हिलाने लगा, इस तरह करने से उसका शरीर पलंग पर उसी तरह से हिलने लगा जैसे ट्रेन में सोए इंसान का शरीर हिलता है। उसके शरीर के इस प्रकार धीरे धीरे हिलने से उसके उन्नत स्तन भी हौले हौले हिल रहे थे जिसके कारण वातावरण और भी कामुक हो रहा था।
अब उत्तेजना के वशीभूत मैं अपने दांए हाथ को उसके पूरे शरीर पर फ़ेरने लगा तथा और भी तेजी से उसके हाथों को पकड़े हुए मुठ्ठ मारने लगा।
मेंरी उत्तेजना और वासना के अंत का अब समय आ चुका था और मुझे ऎसा लगने लगा कि कीसी भी समय मैं झड़ सकता हूं , अब मैं और तेजी से उसके हाथों को हिलाने लगा और अब मेंरे लंड़ की नसे फ़ड़कने लगी और मेंरी कमर भी हीलने लगी मुझे ऎसा लगा कि मेंरा वीर्य अब लंड़ में पहुंच चुका है तो मैंने तुरंत नींद मे बेखबर रश्मी के हाथ से अपना लंड़ बाहर निकाल लिया और अपना बांया पैर पलंग पर रखा और दांया पांव निचे ही रहने दिया। इस तरह अब मैं सोई हुई रश्मी के नंगे बदन के उपर था और मैंने उसी मुद्रा में खड़े खड़े ही उसके नंगे बदन को घूरते हुए और एक हाथ से उसके स्तनों को पकड़े हुए तेजी से अपना लंड़ हिलाने लगा। मै अपना पूरा वीर्य भाभी के नंगे जिस्म पर उंड़ेलना चाहता था।
Last edited: May 7, 2021
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कुछ क्षणों तक इसी तरह से करने के बाद अचानक मेंरे लंड़ ने वीर्य की एक गरम पिचकारी छोड़ी जो सीधे ही नंगी रश्मी भाभी के पेट और स्तन पर गिरी और फ़िर इसी तरह मेंरे लंड़ ने एक के बाद एक पांच बार वीर्य की पिचकारी छोड़ी और वो पूरा का पूरा वीर्य मैने अपनी गदराई मदमस्त हसीना के नंगे शरीर पर उड़ेल दिया और उसका पूरा शरीर वीर्य से भर दिया। उसकी छाती पर पड़े हुए वीर्य की बूंदो को मैंने उसके पूरे स्तनों पर लगाया और कपड़ो पर पड़े हुए वीर्य को हाथ में ले कर उसके चेहरे पर धीरे से मल दिया और हाथों के बचे हुए वीर्य को उसकी चूत पर लगा दिया।
अब अपने लंड़ को दो तीन बार मैंने झटका तो उसमें बची हुई कुछेक बुंदे बाहर आ गई उसे मैंने अपने लंड़ को दबाते हुए झटका और उसकी नंगी चूत पर टपका दिया।
इस प्रकार उसके शरीर को अपने वीर्य से नहलाने के बाद मैने अपना पैर पलंग से निचे रखा और वही निचे बैठ गया और उसकी चूत पर एक "किस" किया फ़िर उसके दोनों स्तनों और चेहरे को प्यार से चूमा और उसकी निचे लटकी टांग को हौले उठाकर पलंग पर रखा और उसके हाथ को भी उसी तरह उठाकर पलंग पर रखा और उसको हौले से दांई करवट सुलाया और एक नजर उसके नंगे बदन पर ड़ालने के बाद मै दरवाजे की तरफ़ बढ़ा वहां से उसे देखा तो वो उसी तरह से सोई पड़ी है और गाउन के कमर के भी उपर होने के कारण उसकी दोनों बड़ी बड़ी गांड़ दिखाई दे रही थी।
उसे देख मैं पुनः उसके पास गया और उसकी दोनों गांड़ो को कई बार चूमा और उठकर उसके कमरे से तेजी से बाहर निकल गया।
तुषार वहां से निकल कर अपने कमरे में आया कमरे में नाईट लैंप पहले ही जल रहा था, वो उसकी रोशनी में ही अपने कमरे में टहलने लगाऔर सोचने लगा जो अभी अभी वो अपनी ही सगी भाभी के साथ कर के आया था, उस निर्दोष स्त्री के गहन नींद में होने का अनुचित लाभ उठाते हुए उसने अपनी हवस का जो वहशीपन उसके साथ किया था उससे उसकी कामवासना तो शांत हुई लेकिन उसके अन्तर्मन का ताप बढ़ गया और अब वो उसे कचोटने लगा और अपनी कमजोरी पर पश्चाताप करने लगा। उसका मन उसे धिकारने लगा यही सोच सोच कर वो परेशान कमरे में टहलने लगा और सोच रहा था कि "आखिर मैं खुद पर नियंत्रण क्यों नही रख पाता, मैं उसे देख कर पागल क्यों हो जाता हूं ?" , बेचारी सीधी साधी भाभी मैं उसके भोलेपन और शर्मिलेपन का अनुचित लाभ उठा रहा हूं। मेंरे भाई ने कितने विश्वास से उसे यहां रखा है, कितने विश्वास से वो मुझे ये कहता है कि उसे अपने साथ ले कर जाया कर घुमाया कर और मेंरे मां-बाप, बहिन सब मुझ पर कितना भरोसा करते हैं, और एक मैं हूं कि मैने सबके विश्वास को धोखा दिया है, सबके साथ दगाबाजी की है, छी: धिक्कार है मुझ पर।ऎसा सोचते हुए वो जब थक गया तो पलंग पर लेट गया और सोचते हुए ही वो कुछ ही क्षणों में नींद के आगोश में समा गया।
इधर तुषार के कमरे से निकलते के लगभग डेढ़ मीनट के बाद रश्मी ने हौले से अपनी आंख खोली और अपनी अधखुली आंखों से धीरे से कमरे का जायजा लिया जब उसे पक्का यकीन हो गया कि उसका देवर तुषार उसके कमरे से जा चुका है तो वो झट से उठ कर पलंग पर बैठ गई और उसने शरीर का जायजा लिया।
उसने देखा कि उसे गहन नींद में समझ कर कामवासना में अंधे हो चुके उसके देवर तुषार ने उसके सोते हुए जिस्म के साथ हवस का जो खेल खेला था और जिस तरीके से उसके कपड़ों को अस्त व्यस्त कर दिया था उसे देख उसे लगभग नंगी ही कहा जा सकता था।केवल कपड़े नहीं उतारे थे तुषार ने के,लेकिन उसके शरीर के किसी अंग को उसने अनछुआ नहीं रखा था और उसके शरीर के सभी अंगो का उसने काफ़ी करीब से मुआयना किया था और उसके जिस्म के भूगोल को अच्छी तरह से समझ गया था,शायद राज से भी ज्यादा।
रश्मी ने अपने उपर एक नज़र ड़ाली,अपनी हालत देखते हुए उसे घोर लज्जा का अनुभव हुआ । उसके गाऊन के सभी बटन खुले हुए थे और उसके दोनों विशाल स्तन पूरी तरह अनावृत्त थे, उसका गाऊन कमर से उपर चढा हुआ था तथा उसकी दोनों मोटी चिकनी जांघे और उसके बीच दबी उसकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी। अपनी हालत देख कर वो सोच रही थी कि "कितनी बेरहमी से नोंच कर गया था उसका देवर उसका बदन"। अपने प्रति तुषार की हवस को काफ़ी समय से मह्सूस कर रही थी लेकिन वो इस हद तक जा सकता है ऎसा उसने सोचा भी नहीं था। जवानी के जोश में उसके कदम बहक गए हैं और उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गए लेकिन सुधा से शादी होते ही वो अपने रास्ते पर आ जायेगा और मेंरे प्रति उसका आकर्षण खत्म हो जायेगा ऎसा सोच कर और अपनी बहन की जिंदगी संवर जाये इस कारण वो चुपचाप सहती रही।लेकिन अब बात काफ़ी बढ़ चुकी थी और उसे साफ़ मह्सूस हो रहा था कि उसकी हरकतें अब और बढ़ेंगी। उसकी इसी उहापोह का नतीजा था कि वो खुल्लमखुल्ला उसके जिस्म को एक घंटे तक नोच कर अपनी हवस शांत करके चलता बना और उपर से उसकी ये हिमाकत की उसने अपना पूरा का पूरा वीर्य ही उसके सोते जिस्म में ड़ाल दिया।
दरअसल रश्मी तो उसी समय उठ चुकी थी जब तुषार ने उसकी चूत में मुंह लगाया था।लेकिन वासना में अंधे हो चुके मूर्ख तुषार को ये बात समझ नहीं आई कि वो भाभी के जिस अंग से खिलवाड़ कर रहा है और उसमें मुंह लगा जवानी का रस चूस रहा है वो किसी भी स्त्री के लिये ऎसा संवेदनशील अंग होता है जिसके प्रति एक स्त्री हमेंशा सजग रहती है।जो स्त्री अपने अबोध बालक की शक्तिहीन करुण पुकार मात्र से अपनी गहरी नींद का परित्याग कर उसे अपने सीने से लगा कर अपने मातृत्व और वात्सल्य के रस से उसकी भूख मिटाने के लिये हर क्षण तत्पर रहती हो उसे क्या अपनी चूत पर किसी (पराये)पुरुष के स्पर्श का आभास नहीं होगा?लेकिन मूर्खों को ये बातें कहां समझ आती है?
काम अपना प्रथम प्रहार इंसान के दिमाग पर ही करता है और उसके सोचने समझने की शक्ती को खत्म कर देता है और आचार-विचार विहीन मनुष्य मूर्ख ही होता है।
जैसे ही तुषार ने रश्मी की चूत में मुंह लगाया था उसी क्षण उसकी नींद उड़ गई थी उसने मुंह उपर उठाया और देखा तो उसके होश उड़ गए। सामने उसका सगा देवर तुषार था जो बड़े ही अजीबो गरीब तरिके से अपना मुंह बना रहा था और परम संतोष के भाव के साथ उसकी चूत को चूस रहा था।
चूत का रस पीने में वो इतना मशगूल था कि उसे तनिक भी अभास नहीं हुआ कि उसकी भाभी जाग चुकी है और उसकी चोरी पकड़ी जा चुकी है।उस एक क्षण में ही रश्मी के दिमाग में कई बातें कौंध गई और वो निढ़ाल पड़ी रही। वो चाहती तो उसी क्षण उठ कर उसे चांटा मार सकती थी या शोर मचा कर घर के सदस्यों को बता सकती थी लेकिन उसने सोचा ऎसा करने में खतरा ही खतरा है।हो सकता है तुषार उल्टा उस पर ही लांछन लगा दे और घर वालों ने यदि उसकी बात को सच मान लिया तो? यदि किसी ने पुछ लिया कि वो तेरे कमरे में घुसा कैसे? तो मैं क्या जवाब दूंगी ? कैसे खुद को निर्दोष साबित करुंगी? कौन है मेरे पक्ष में ? परिस्थितियां भी तो नहीं है मेरे पक्ष में।
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May 7, 2021
#9
08...
जब एक धोबी ने सीता जैसी देवी पर लांछन लगा दिया तो स्वयं भगवान श्रीराम ने ये जानते हुए कि सीता निर्दोष है उसे अग्नी परिक्षा का आदेश दिया ताकि युगों युगों तक लोगों को ये संदेश जाता रहे की देवी सीता पवित्र है।
मुझे बचाने वाला कौन है यहां?निर्बल पुरुष न तो अपनी रक्षा कर सकता है न अपनी संपत्ति और न अपनी स्त्री ,कदाचित ईश्वर ही दया कर उसे बचाने आ जाए कुंती की तरह तो अलग बात है लेकिन रश्मी ने सोचा मेंरा चीरहरण तो इस तुषार ने कर ही ड़ाला है।मैं क्या जवाब दूंगी घर के लोगों को कि "तू नंगी होते तक क्यों चुप पड़ी रही?"
दूसरा खतरा ये था कि कहीं बात इतनी न बिगड़ जाय कि तुषार की सुधा से शादी ही टूट जाय अगर ऎसा हुआ तो मेंरा परिवार मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा। विशेषकर सुधा और मेंरी माँ। वो तो सीधा यही पूछेगी की बात इतनी कैसे बढ़ी की वो इतनी हिम्मत कर बैठा ? ताली एक हाथ से बजती है क्या ? कोई पुरुष किसी स्त्री को दो या तीन बार जाने अन्जाने स्पर्श का प्रयास कर सकता है बार बार नहीं। स्त्री की एक क्रोध भरी नजर ही किसी पुरुष को पस्त करने के लिये काफ़ी होती है। फ़िर यदि कोई पुरुष बार बार किसी स्त्री के साथ ऎसा करता है तो इसका मतलब साफ़ है कि इसमें उसकी भी रजामंदी है।
तीसरी परेशानी रश्मी की ये थी कि यदि इस वक्त उसने आंख खोली और दोनों की नजर मिली तो फ़िर दोनों के लिये ही जीवन भर एक दूसरे से नजर मिलाना संभव नहीं था। कम से कम रश्मी के लिये तो संभव था ही नहीं।और ऎसी अवस्था में तुषार से नजर मिलाने का साहस रश्मी में था ही नहीं। इसीलिये उसने इस शुतुरमुर्ग की तरह रेत में मुंह छुपा कर इस तूफ़ान को गुजर जाने देने में ही अपनी भलाई समझी और वो आंखे बंद किये पड़ी रही।
अब तक उसके शरीर में लगाया हुआ तुशार का वीर्य सूखने लगा था और उसकी चमड़ी खीचाने लगी थी। उसने अपने चेहरे और स्तनों पर हाथ लगाया वहां एक परत सी बन गई थी।
वो पलंग से उठी और कांच के सामने जा कर खड़ी हो गई और अपने जिस्म को निहारने लगी।उसने अपना गाऊन निचे गिरा दिया, अब वो नंगी कांच्के सामने खड़ी थी। उसने उसमे अपने बदन को देखते हुए अपना हाथ चूत में लगाया वहां लगाया हुआ तुषार का वीर्य अभी भी गीला था और उसे वहां चिपचिपा पन मह्सूस हो रहा था। वहां हाथ लगाते ही उसके हाथ में उसके हाथ में उसके देवर का वीर्य आ गया और उसका हाथ भी चिपचिपाने लगा। उसने दरवाजे की तरफ़ नजर उठाकर देखा वो अभी तक अधखुला था,वो तत्काल दरवाजे की तरफ़ दौड़ी और उसे अंदर से बंद किया।
जवानी का लूटना किसी स्त्री के लिये दौलत लूट जाने से भी बड़ी घटना होती है। रश्मी दरवाजे के पास ही नंगी खड़ी हो कर पलंग की तरफ़ देख रही थी जहां अभी कुछ ही मीनटों पहले तुषार उसकी जवानी को लूट रहा था। उसने पलंग की तरफ़ देखते हुए अपार शर्म और लज्जा का अनुभव हो रहा था उसने अपने दोनों हाथों की हथेलियों से अपने चेहरे को ढ़क लिया और फ़फ़क कर रोने लगी। उसी तरह रोते हुए वो पलंग के पास गई और वहीं जमीन पर बैठ गई और पलंग पर अपना सर रख कर फ़फ़कने लगी।
रश्मी लज्जित थी और रो रही थी,उसे चुप कराने वाला वहां कोई नहीं था,हर गलत काम के समय कचोटने वाला उसका अन्तर्मन भी मौन था।दर असल वो अपनी ही अन्तरात्मा के सामने बेनकाब होने से लज्जित थी और फ़फ़क कर रो रही थी। उसके अन्तर्मन ने उसके राम,सीता,कुंती और सुधा की शादी वाले तमाम तर्कों को नकार दिया था और ये साबित कर दिया था कि जिस्मानी तौर पर तुषार के हाथों से नंगी होने से पहले ही वो चारित्रिक रुप से अपने ही अन्तर्मन के सामने उसी समय नंगी हो चुकी थी जब तुषार ने उसका गाऊन उठा कर उसकी चूत में मुंह लगा कर उसे चूसना शुरु किया था। किसी पुरुष के साथ संसर्ग की अपनी दमित इच्छा को अपने देवर से पूरी होते पा कर वो यूं ही निढ़ाल पड़ी रही और नींद का बहाना उसकी ढ़ाल का काम रहा था।
अब उसे इस बात की बेहद ग्लानी हो रही थी कि जब तुषार उसकी चूत को चूस रहा था तो कैसे रोमांचित हो रही थी और रोमांच में उसने कैसे अपने होठों को अपने दातों से काट लिया था। कहीं तुषार को उसके जागने का अभास ना हो जाय इस ड़र से वो संयत हो गई और आंख बंद किये पड़ी रही।फ़फ़कते हुए वो सोच रही थी कि कैसे जब तुषार ने उसकी चूत को चूसना बंद किया तो वो कितनी बुरी तरह से तड़्फ़ी थी और उसका मन किया था कि वो उठ कर उसके सर को फ़िर से उसकी जांघो के बीच में फ़ंसा कर उसकी चूत को चूसवाना चालू रखे।उसे अच्छी तरह से याद था कि जब वो हड़्बड़ा कर उठा और उसने देखा कि मेंरे खर्राटे की अवाज को बंद पाकर वो कैसे भय से पीला पड़ गया था तो उसने किस चतुराई से अपनी नाक से सीऽऽऽऽऽसीऽऽऽऽऽ कि अवाज निकाल कर उसे अपने सोते होने का अहसास करवाया था और अपने जिस्म से खेलते रहने के लिए उकसाया था।
उसकी अन्तरात्मा ने साक्षी भाव से उसके तमाम मनोभावों देखा था और उसकी दमित कामवासना को मह्सूस किया था।उसने एक हंस की तरह दूध से पानी को अलग कर दिया था। और अपनी ही अन्तरात्मा का सामना करने का साहस रश्मी में नहीं था, खुद के ही सामने बेनकाब होने और अपनी कमजोरी पर नियंत्रण न रख पाने के कारण वो बेहद लज्जित थी और अपनी अन्तरात्मा के तीखे सवालों का जवाब न दे पाने के कारण वो फ़फ़क फ़फ़क कर रो रही थी।
कुछ देर तक इसी तरह मंथन करने और लगातार रोने के कारण वो मानसिक रुप से बुरी तरह से थक गई तो वो पलंग के पास से उठी नंगी ही सिसकते हुए बाथरुम में चली गई। वहां उसने शावर चालू किया और नहाने लगी और अपने जिस्म से तुषार के वीर्य को साफ़ किया।नहाते समय वो यही सोच रही थी कि अब वो इस खेल को बंद करेगी और अब वो तुषार को और अधिक स्पेस नहीं देगी।
चार दिनों के बाद राज तो आ ही रहा है वो उससे बात करेगी और उस पर दबाव बानायेगी कि वो उसे अपने साथ ले जाय।नहाने के बाद उसने अपना बदन पोंछा और बाहर निकल कर आल्मारी से एक दूसरा
गाऊन निकाल कर पहना और पलंग पर जा कर सो गई।
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मैं बेचैनी में कुछ पहलु बदलने के बाद पलंग से उठ खड़ा हुआ, अपने शर्ट के पास गया और उसकी जेब से सिगरेट निकाल कर और उसे सुलगा ली, अब मै कमरे मेंचहक कदमी करते हुए सिगरेट पीने लगा और भाभी के बारे में सोचने लगा। छत से अपने कमरे में आए मुझे अब दो घंटे से भी ज्यादा बीत चुके थे।
मेंरे कमरे में सिगरेट का धुंआ भरने से मुझे कमरे में घुटन होने लगी तो मैने कमरे का दरवाजा खोल दिया और अपने रुम से बाहर आ कर गैलेरी में चल कदमी करने लगा। तभी मेंरी नजर भाभी के कमरे की तरफ़ गई उसके कमरे से अभी तक लाईट बाहर आ रही थी। याने वो अभी तक खुला हुआ था। मैं सोचने लगा क्या वो अभी तक किताब पढ़ रही है? मेंरी सिगरेट भी खतम हो चुकी थी सो मैंने उसे बुझाया और उसे फ़ेंकने के लिये छत की तरफ़ ही चला गया।
भाभी के दरवाजे के पास से मैंने अपनी सिगरेट छत पर फ़ेंक दी और दरवाजे की दरार से अंदर झांककर देखा। अन्दर का नजारा काफ़ी रोमांचित करने वाला था। भाभी गहरी नींद में सोई हुई थी और किताब आधी उसके सीने पर और आधी उसके चेहरे पर पड़ी थी।उसका चेहरा दाए तरफ़ मुड़ा हुआ था, और उसका बांया हाथ पलंग के बाहर लटक रहा था और उसका बांया पांव भी लटक कर जमीन पर पड़ा था, उसका गाऊन जांघ से भी थोड़ा उपर उठ़ गया था।
मेंरा लंड़ फ़िर से खड़ा होने लगा। मैने दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया वो चररररर की अवाज के साथ थोड़ा खुल गया,दरवाजे में अवाज होने के कारण मैं थोड़ा घबरा गया और झट से वहां हट गया। कुछ देर तक मैं वैसे ही दिवार से चिपक कर खड़ा रहा लेकिन मैने देखा दरवाजा उसी तरह से खुला पड़ा है। यानी भाभी उसी तरह से सोई पड़ी है गहरी नींद में।
अब मै फ़िर दरवाजे के सामने खड़ा हो गया और इस बार कुछ हिम्मत के साथ मै दरवाजे को धक्का मार कर पूरा खोल दिया और वहीं खड़ा रहा। भाभी उसी तरह से पड़ी रही उस पर कोई असर नही हुआ लेकिन फ़िर भी मैं निश्चिंत हो जाना चाहता था इसलिये मैने फ़िर से दरवाजे को बंद किया वो फ़िर से अवाज करते हुए बंद हो गया। लेकिन वो सोई पडी रही । ऎसा मैने चार पांच बार किया लेकिन वो तनिक भी नहीं हीली। अब मुझे यकीन हो गया की वो गहरी नीद में है।
मैं उसके कमरे के अंदर गया और धीरे से बोला भाभी , लेकिन वो उसी तरह से पड़ी रही,ऎसा मैने दो तीन बार किया लेकिन वो पूर्ववत सोई रही। अब मैने उसके लाईट और पंखे को भी तीन चार बार बंद चालू करके देखलीया लेकिन उसकी नींद मे कोई खलल नहीं हुआ और बेसुध हो कर सोती रही।
अपनी स्वप्न सुंदरी को अपने सामने इस प्रकार अर्धनग्न अवस्था में बेसुध हो कर सोते देख मैं फ़िर से कामवासना के दलदल में ड़ूब गया। मेंरा लण्ड़ बुरी तरह से खड़ा हो गया था। मैं उसे छूने के लिये बेचैन हो गया। मैंने अपने कदम पलंग की तरफ़ बढ़ाये। अब मैं उसके एकदम करीब आ कर खड़ा हो गया। अब मैने अपना मुंह निचेझुकाते हुए उसके मुंह के एक्दम करीब ले गया और धीरे से बोला भाभी ........ उठो , लेकिन वो सोई पड़ी रही।
मेंरी रश्मी मेंरे एक्दम सामने पड़ी थी उसे देखकर मुझे अपने अंदर एक लावा बहता हुआ मह्सूस हुआ। मेंरी नजर उसकी छातीयों पर पड़ी उसने ब्रा नहीं पहना था लेकिन फ़िर भी उसके कसाव में कोई कमी नही आई थी,वो लटके हुए नहीं थे पूरी तरह से तने हुए थे और उसकी सांसो के साथ पूरी तरह से ताल मिलाते हुए बड़े आकर्षक अंदाज में हील रहे थे।मेंरा मन किया कि उसे मसल ड़ालूं और उसका रस चूसने लग जाऊं।लेकिन मैंने सब्र से काम लेना ठीक समझा। अब मैंने उसके लटके हुए हाथ की कलाईयों को हौले से अपनी उंगलियों की गिरफ़्त में लिया और उसको आहिस्ता से उपर की तरफ़ उठाया। थोड़ा सा उपर उठाने के बाद उसके चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई रही। अब मैने उसके हाथ को छोड़ दिया अब वो झटके से नीचे आ गिरे, ऎसा २-३ बार करने के बाद भी जब वो नहीं हिली तो मैं समझ गया कि वो मुर्दों से शर्त लगा कर सोई है।अब मैं काफ़ी बेखौफ़ हो गया और मैंने भाभी के पंजो को धीरे से अपने हाथों पकड़ लिया और धीरे धीरे प्यार से उसको सहलाने लगा। कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद मैने रश्मी को सहलाने का दायरा बढ़ा लिया और अब मैं धीरे धीरे उसके बांए हाथ को कंधे तक सहलाने लगा।
इस तरह उन्मुक्त और बेसुध सोती हुई रश्मी बेहद मादक लग रही थी, उसका अर्धनग्न जवान शरीर किसी भी मर्द को पागल करने के लिये काफ़ी था। अपने सामने उसे पा कर पिछले आठ माह की मेंरी दमित कामवासना जागृत होने लगी थी, मैं अत्यन्त कामुक नजरों से उसके बदन को घूर रहा था और उसके शरीर के स्पर्श का आनंद ले रहा था। इस स्त्री को इस तरह अपने सामने बेसुध पड़ा पाकर मैं तमाम रिश्तों को भूल गया और उस जवान कली के हुस्न को अपने हाथों से मसलने के लिये मैं बेचैन होने लगा।
मैने अपना हाथ अब उसके कंधे पर ही रख दिया और उसे हल्के हल्के मसलने लगा और फ़िर धीरे से मैने अपने हाथॊं की उंगलियां उसके स्तन का उभार जहां से शुरु हो रहा था वहां रख दी। आहहह कितना नर्म था उसका स्तन। अब मैं बेचैन होने लगा और धीरे धीरे मेंरा पूरा पंजा उसके बांए स्तन के उपर रख दिया।पूरा स्तन मेंरे हाथ में आते ही मेंरा लण्ड़ अपने काबू के बाहर हो गया अब वो अंदर मे बुरी तरह से झटके मारने लगा।अब मैं खिसक कर उसके पलंग से एकदम चिपक गया और उसका बांया हाथ अपने घुटनों पर रख लिया, मेंरा एक हाथ उसके बांये स्तन को धीरे धीरे मसल रहा था और अब मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके बांए हाथ के पंजो को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा। २-३ मीनट तक ऎसे ही मैं उसके स्तन को हौले हौले मसलते रहा और उसके हाथों को चूमते रहा फ़िर मैंने अपने दांये हाथ से उसके स्तन को मसलना छोड़ कर उसको धीरे से उसके गाऊन के बटन के उपर रखा और अपने हाथों की ऊंगलियों से ही एक छोटे से प्रयास से उसका पहला बटन खोल दिया।
पहला बटन खुलते ही मुझे उसका क्लीवेज साफ़ दिखाई देने लगा , कामवासना के अतिरेक के कारण मेंरी आंख लाल सुर्ख हो गई थी और मैं अत्यंत कामुक नजरों से उसके बदन को घूर रहा था और स्पर्श कर रहा था। मैंने अपना हाथ उसके क्लीवेज पर घुमाते हुए धीरे से अपना हाथ उसके गाऊन के अंदर ड़ाल दिया और अब मैं उसके दांए स्तन को मसलने लगा।
इंसान को जितना मिलता है उसकी भूख और बढ़ती जाती है,कभी मैं रश्मी के शरीर के स्पर्श मात्र से अभीभूत हो जाता था लेकिन आज उसके दोनों स्तनों पर हाथ फ़ेरने के बाद भी मेंरी अधीरता बढ़ती जा रही थी। मैं हौले हौले उसके दोनों स्तनों को बारी बारी मसलते रहा, अब मैंने अपना हाथ उसके गाऊन से बाहर निकाला और धीरे धीरे उसके गाऊन के बाकी बचे तीनों बटन भी खोल दिये।गाऊन के चारों बटन खोल्ने के बाद मुझे उसकी नाभी तक का शरीर साफ़ दिखने लगा। बटन खोल देने के बाद मैने उसके दोनों स्तनों के उपर से गाऊन को धीरे से हटा दिया,उसके दोनों स्तन मेंरे सामने अपने पूर्ण उभारों के साथ मेंरे सामने नग्न पडे़ थे, और मैं पूरी तरह से स्वतन्त्र था उनके साथ खेलने के लिये। अब मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और हौले हौले उन्हें मसलने लगा। तभी अचानक उसके नाक से हल्की हल्की अवाज आने लगी याने वो और गहरी नींद मे चली गई।धीरे धीरे उसके नाक की अवाज बढ़ती गई और अब वो खर्राटे लेने लगी।
उसके नाक से निकलने वाली खर्राटों की अवाज ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया अब मैं तनिक और दबाव के साथ उसके स्तनों को दबाने लगा।उसके खर्रटों की ध्वनी और तेज होने लगी। उसकी इस कदर गहरी नींद ने मुझे पूर्णतया बेखौफ़ कर दिया और अब मै उसके स्तनों से खिलवाड़ करने लगा। मैनें उसके स्तनों में हल्की हल्की थपकियां मारी तो वो बड़े ही मादक तरीके से उपर नीचे होने लगे।उसके स्तन क्या थे वो तो पूरे पहाड़ की पूरी तरह से भरपूर गोलाईयां लिये और उचाई लिये उसकी पूरी छाती में फ़ैले हुए थे। उसके स्तनों को देख कर ऎसा लगता था मानों उसकी छातीयों में दो विशाल गुंबद रख दिये हो। अब मैं उसे चूमने के लिये बेताब होने लगा, मेंरी अधीरता बढ़ती जा रही थी। मैंने अपना मुंह धीरे से उसके स्तनों के करीब ले गया और अपनी नाक उस पर रगड़ने लगा , आहहहह क्या मादक खुशबु थी उसके बदन की, रश्मी के तने हुए विशाल स्तनों की मादक खुशबू से मैं मदहोश होने लगा और मेंरी लालसा बढ़ती जा रही थी,अब मैने अपनी जीभ बाहर निकाली और धीरे धीरे उसके स्तनों पर फ़िराने लगा और उसे जीभ से ही धक्के लगाने लगा। जीभ क धक्का लगते ही वो थोड़ा दब जाते और पीछे हो जाते और जैसे ही मैं अपनी जीभ अंदर करता वो पुनः तन जाते और मेंरी नाक से टकराने लगते और अपनी मादक खुशबू से मुझे मदहोश करने लगते।
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May 7, 2021
#7
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कुछ देर तक इसी तरह से करने के बाद मैंने अपनी जीभ पूरी तरह बाहर निकाल ली और उसे उसके पूरे स्तन पर घुमाते हुए उसे चाटने लगा, मेंरी गदराई भाभी के उन्नत जवान स्तन के मीठे मीठे स्वाद ने मेंरे उन्माद को और भी बढ़ा दिया , इस तमाम उन्माद के दौरान भी मैं पूरी तरह से सतर्क था और अपना ध्यान भाभी के खर्राटों पर लगा कर रखा था, जब तक उसकी नाक बजेगी तब तक मेंरे हाथ उसके जिस्म से खेलते रहेंगे। बहरहाल, उसके स्तनों को चाटने के कारण उसका बांया स्तन पूरी तरह से मेंरे मुंह की लार से गीला हो चुका था और इस दौरान मैंने उसके दाए स्तन को अपने बांए हाथ पकड़ रखा था और उसे मसल रहा था।
उसकी नींद और भी गहरी होते जा रही थी और अब उसके खर्रटों की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी और सांस मुंह से छोड़ने के कारण उसके ऒठ भी फ़ड़क रहे थे। अब मैने उसके दूध के निप्पल को अपने मुंह मे ले लिया और उसे हौले हौले से चूसने लगा और उसके दोनों स्तनों को भी मसने लगा । लगभग पन्द्रह से बीस मीनट तक इसी तरह से उसके स्तनों से उसकी जवानी का रस चूसने के बाद मैंने उसका निप्पल छोड़ा और दोनों हाथों से उसके स्तनों को पकड़े हुए मैंने उन दोनों स्तनों को कई बार चूमा।
अब अपना मुंह उसके चेहरे के पास ले गया और उसके बांए गाल को चूमने लगा। कुछेक "किस" उसके गालों पर देने के बाद मैने उसे चूमना छोड़ दिया और फ़िर से उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और एक भरपूर कामुक दृष्टी उसके अर्धनग्न जवान शरीर पर डाली।
रश्मी की जिन उन्नत विशाल छातियों को पिछले आठ माह से देख कर मैं उसमें भरे यौवन के रस को पीने के लिये मचल रहा था और मुठ्ठ मार रहा था उसे छुने और मसलने का कोई क्षण मैं व्यर्थ नहीं करना चाहता था। आज की ये रात मेंरे जीवन में कितनी अनमोल थी इसका बयान करने के लिये मेंरे पास शब्द नही है। रश्मी के जवान नंगे बदन को देखना और फ़िर उसे भोगना ये एक ऎसा सुख था मेंरे लिये जिसे मैं शब्दों के जाल में नहीं बांध सकता था, ये तो गूंगे का गुड़ था जिसे वो खा तो सकता था लेकिन उसका स्वाद नहीं बता सकता था।
खर्राटों की तरफ़ ध्यान रखते हुए अब मैने उसकी चूत की तरफ़ देखा, उसका गाउन मैने पेट के उपर तक उठा दिया था और अब वो लग्भग नंगी ही कही जा सकती थी। मैं अपना मुंह उसकी चूत के पास ले कर गया और अपनी नाक उसकी चूत पर रख दी और उसकी जवान चूत की मदहोश करने वाली खुशबू को सूंघने लगा। उसकी चूत की खुशबू ने मुझे लग्भग पागल बना दिया और अब मै उसकी चूत पर अपना हाथ घुमाने लगा। नरम नरम क्लीनशेव जवान चूत पर मेंरा हाथ असानी से फ़िर रहा था, कुछ देर तक इसी तरह से उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने के बाद मैंने अपनी पूरी हथेली उसकी चूत पर रख दी और अब उसकी पूरी चूत मेंरी हथेली में समा गई। और अब मैंने अपनी पहली उंगली उसकी चूत की दरार में हौले से घुसा दी और धीरे धीरे उसे सहलाने लगा।थोडी देर तक इसी तरह से उसकी चूत को सहलाने के बाद मैंने अपने बांए हाथ के अंगूठे और उंगली से उसकी चूत की दोनों फ़ांको को फ़ैलाया, अब मुझे उसकी चूत का गुलाबीपन साफ़ दिखाई देने लगा। अब मैं उसकी जवान बुर का रस पीने के लिये बेचैन होने लगा और मैंने धीरे से अपना मुंह उसकी चूत में लगा दिया और उसकी चूत से जवानी का रस चूसने लगा।
मैं लगभग १० मीनट तक इसी प्रकार से उसकी चूत से खेलता रहा, इस दौरान मैं रश्मी की चूत में इतना तल्लीन रहा की मैं अपनी सुध बुध भी भूल गया और मुझे इतना भी याद नहीं रहा कि मैं अपनी ही सोई हुई भाभी के जिस्म से खेल रहा हूं और उसके खर्राटों पर से भी मेंरा ध्यान हट गया था, अचानक इसका खयाल आते ही मैं चौंका और उसके खर्राटों पर ध्यान दिया, कमरे में गूंजने वाले उसके खर्राटों की अवाज बंद हो चुकी थी और कमरे में सन्नाटा छाया हुआ था, अब मैं बुरी तरह से हड़्बड़ा कर वहां से उठा और भाभी के चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई पड़ी थी, मैं हिम्मत करके उसके चेहरे के पास अपना मुंह ले जा कर देखा मुझे वो पूर्व की तरह ही गहन नींद में लगी और मुझे उसके नाक से सांसो की सीऽऽऽऽऽसीऽऽऽऽऽ आवाज सुनाई देने लगी।
अब मैंने पुनः राहत की सांस ली और धीरे अपना हाथ उसके उसके बांए स्तन पर रख दिया वो प्रतिक्रिया विहीन निष्चेट पड़ी रही। अब मैंने पुनः उसके स्तनों को धीरे धीरे मसलना चालू कए दिया,रश्मी के बदन की मादक खुशबू को सूंधने और उसके स्तनों और चूत का स्वाद चख लेने के बाद मेंरे लिये खुद पर नियंत्रण काफ़ी कठिन हो गया था। भाभी का गदराया मदमस्त नग्न शरीर मेंरे सामने पड़ा था और मैं उसे देख कर आहें भर रहा था। मुझे ऎसा लग रहा था कि अब मैं इस नग्न सोई हुई इस सुंदरी के शरीर से लिपट जाऊं और अपनी बलिष्ठ भुजाओं मे उसे कैद कर उसे अपनी बाहों मे भर लूं और अपना लंड़ उसकी चूत में ड़ाल दूं , लेकिन ऎसा करने की अभी मुझमें हिम्मत नहीं थी और मेंरा इरादा भी नहीं था।
अपनी बाएं हाथ से उसके स्तनों को बारी बारी से मसलते हुए मैने अब उसके पलंग से बाहर लटके हुए बांए हाथ को अपने हाथ में लिया और उसके मुठ्ठी को धीरे खोला और अपने फ़ौलाद की तरह कड़क हो चुके धधकते हुए लंड़ को उसके हाथों मे पकड़ा दिया और फ़िर से उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। अब मेंरा लंड़ उसके बांए हाथ में था, आहहहह रोमांच का चरम क्षण था वो मेंरे लिये और अब मेंरा लंड़ अपने आप ही झटके मारने लगा था।
अब मैने अपने हाथों में उसका बांया पंजा पकड़ लिया जिसमें मेंरा लंड़ था और अब मैंने अपनी मुठ्ठी जोर से बंद कर दी इस तरह अब मेंरा लंड़ उसके नरम हाथॊं मे समा गया। उसके हाथों में मेंरा लंड़ समाते ही मैं बेकाबू हो गया और उसके स्तनों को और भी जरा जोरों से मसलने लगा और अपने दांए हाथ से उसके मेंरे लंड़ पकड़े हाथ को हिलाने लगा, इस तरह मेंरी हसीन भाभी नींद में ही मेंरा मुठ्ठ मारने लगी।
अब उसके स्तनों को मैंने उत्तेजना में बुरी तरह से पकड़ लिया और इधर अपने एक हाथ से उसके अपने लंड़ पकड़े हाथ को जोर जोर से हिलाने लगा, इस तरह करने से उसका शरीर पलंग पर उसी तरह से हिलने लगा जैसे ट्रेन में सोए इंसान का शरीर हिलता है। उसके शरीर के इस प्रकार धीरे धीरे हिलने से उसके उन्नत स्तन भी हौले हौले हिल रहे थे जिसके कारण वातावरण और भी कामुक हो रहा था।
अब उत्तेजना के वशीभूत मैं अपने दांए हाथ को उसके पूरे शरीर पर फ़ेरने लगा तथा और भी तेजी से उसके हाथों को पकड़े हुए मुठ्ठ मारने लगा।
मेंरी उत्तेजना और वासना के अंत का अब समय आ चुका था और मुझे ऎसा लगने लगा कि कीसी भी समय मैं झड़ सकता हूं , अब मैं और तेजी से उसके हाथों को हिलाने लगा और अब मेंरे लंड़ की नसे फ़ड़कने लगी और मेंरी कमर भी हीलने लगी मुझे ऎसा लगा कि मेंरा वीर्य अब लंड़ में पहुंच चुका है तो मैंने तुरंत नींद मे बेखबर रश्मी के हाथ से अपना लंड़ बाहर निकाल लिया और अपना बांया पैर पलंग पर रखा और दांया पांव निचे ही रहने दिया। इस तरह अब मैं सोई हुई रश्मी के नंगे बदन के उपर था और मैंने उसी मुद्रा में खड़े खड़े ही उसके नंगे बदन को घूरते हुए और एक हाथ से उसके स्तनों को पकड़े हुए तेजी से अपना लंड़ हिलाने लगा। मै अपना पूरा वीर्य भाभी के नंगे जिस्म पर उंड़ेलना चाहता था।
Last edited: May 7, 2021
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May 7, 2021
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कुछ क्षणों तक इसी तरह से करने के बाद अचानक मेंरे लंड़ ने वीर्य की एक गरम पिचकारी छोड़ी जो सीधे ही नंगी रश्मी भाभी के पेट और स्तन पर गिरी और फ़िर इसी तरह मेंरे लंड़ ने एक के बाद एक पांच बार वीर्य की पिचकारी छोड़ी और वो पूरा का पूरा वीर्य मैने अपनी गदराई मदमस्त हसीना के नंगे शरीर पर उड़ेल दिया और उसका पूरा शरीर वीर्य से भर दिया। उसकी छाती पर पड़े हुए वीर्य की बूंदो को मैंने उसके पूरे स्तनों पर लगाया और कपड़ो पर पड़े हुए वीर्य को हाथ में ले कर उसके चेहरे पर धीरे से मल दिया और हाथों के बचे हुए वीर्य को उसकी चूत पर लगा दिया।
अब अपने लंड़ को दो तीन बार मैंने झटका तो उसमें बची हुई कुछेक बुंदे बाहर आ गई उसे मैंने अपने लंड़ को दबाते हुए झटका और उसकी नंगी चूत पर टपका दिया।
इस प्रकार उसके शरीर को अपने वीर्य से नहलाने के बाद मैने अपना पैर पलंग से निचे रखा और वही निचे बैठ गया और उसकी चूत पर एक "किस" किया फ़िर उसके दोनों स्तनों और चेहरे को प्यार से चूमा और उसकी निचे लटकी टांग को हौले उठाकर पलंग पर रखा और उसके हाथ को भी उसी तरह उठाकर पलंग पर रखा और उसको हौले से दांई करवट सुलाया और एक नजर उसके नंगे बदन पर ड़ालने के बाद मै दरवाजे की तरफ़ बढ़ा वहां से उसे देखा तो वो उसी तरह से सोई पड़ी है और गाउन के कमर के भी उपर होने के कारण उसकी दोनों बड़ी बड़ी गांड़ दिखाई दे रही थी।
उसे देख मैं पुनः उसके पास गया और उसकी दोनों गांड़ो को कई बार चूमा और उठकर उसके कमरे से तेजी से बाहर निकल गया।
तुषार वहां से निकल कर अपने कमरे में आया कमरे में नाईट लैंप पहले ही जल रहा था, वो उसकी रोशनी में ही अपने कमरे में टहलने लगाऔर सोचने लगा जो अभी अभी वो अपनी ही सगी भाभी के साथ कर के आया था, उस निर्दोष स्त्री के गहन नींद में होने का अनुचित लाभ उठाते हुए उसने अपनी हवस का जो वहशीपन उसके साथ किया था उससे उसकी कामवासना तो शांत हुई लेकिन उसके अन्तर्मन का ताप बढ़ गया और अब वो उसे कचोटने लगा और अपनी कमजोरी पर पश्चाताप करने लगा। उसका मन उसे धिकारने लगा यही सोच सोच कर वो परेशान कमरे में टहलने लगा और सोच रहा था कि "आखिर मैं खुद पर नियंत्रण क्यों नही रख पाता, मैं उसे देख कर पागल क्यों हो जाता हूं ?" , बेचारी सीधी साधी भाभी मैं उसके भोलेपन और शर्मिलेपन का अनुचित लाभ उठा रहा हूं। मेंरे भाई ने कितने विश्वास से उसे यहां रखा है, कितने विश्वास से वो मुझे ये कहता है कि उसे अपने साथ ले कर जाया कर घुमाया कर और मेंरे मां-बाप, बहिन सब मुझ पर कितना भरोसा करते हैं, और एक मैं हूं कि मैने सबके विश्वास को धोखा दिया है, सबके साथ दगाबाजी की है, छी: धिक्कार है मुझ पर।ऎसा सोचते हुए वो जब थक गया तो पलंग पर लेट गया और सोचते हुए ही वो कुछ ही क्षणों में नींद के आगोश में समा गया।
इधर तुषार के कमरे से निकलते के लगभग डेढ़ मीनट के बाद रश्मी ने हौले से अपनी आंख खोली और अपनी अधखुली आंखों से धीरे से कमरे का जायजा लिया जब उसे पक्का यकीन हो गया कि उसका देवर तुषार उसके कमरे से जा चुका है तो वो झट से उठ कर पलंग पर बैठ गई और उसने शरीर का जायजा लिया।
उसने देखा कि उसे गहन नींद में समझ कर कामवासना में अंधे हो चुके उसके देवर तुषार ने उसके सोते हुए जिस्म के साथ हवस का जो खेल खेला था और जिस तरीके से उसके कपड़ों को अस्त व्यस्त कर दिया था उसे देख उसे लगभग नंगी ही कहा जा सकता था।केवल कपड़े नहीं उतारे थे तुषार ने के,लेकिन उसके शरीर के किसी अंग को उसने अनछुआ नहीं रखा था और उसके शरीर के सभी अंगो का उसने काफ़ी करीब से मुआयना किया था और उसके जिस्म के भूगोल को अच्छी तरह से समझ गया था,शायद राज से भी ज्यादा।
रश्मी ने अपने उपर एक नज़र ड़ाली,अपनी हालत देखते हुए उसे घोर लज्जा का अनुभव हुआ । उसके गाऊन के सभी बटन खुले हुए थे और उसके दोनों विशाल स्तन पूरी तरह अनावृत्त थे, उसका गाऊन कमर से उपर चढा हुआ था तथा उसकी दोनों मोटी चिकनी जांघे और उसके बीच दबी उसकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी। अपनी हालत देख कर वो सोच रही थी कि "कितनी बेरहमी से नोंच कर गया था उसका देवर उसका बदन"। अपने प्रति तुषार की हवस को काफ़ी समय से मह्सूस कर रही थी लेकिन वो इस हद तक जा सकता है ऎसा उसने सोचा भी नहीं था। जवानी के जोश में उसके कदम बहक गए हैं और उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गए लेकिन सुधा से शादी होते ही वो अपने रास्ते पर आ जायेगा और मेंरे प्रति उसका आकर्षण खत्म हो जायेगा ऎसा सोच कर और अपनी बहन की जिंदगी संवर जाये इस कारण वो चुपचाप सहती रही।लेकिन अब बात काफ़ी बढ़ चुकी थी और उसे साफ़ मह्सूस हो रहा था कि उसकी हरकतें अब और बढ़ेंगी। उसकी इसी उहापोह का नतीजा था कि वो खुल्लमखुल्ला उसके जिस्म को एक घंटे तक नोच कर अपनी हवस शांत करके चलता बना और उपर से उसकी ये हिमाकत की उसने अपना पूरा का पूरा वीर्य ही उसके सोते जिस्म में ड़ाल दिया।
दरअसल रश्मी तो उसी समय उठ चुकी थी जब तुषार ने उसकी चूत में मुंह लगाया था।लेकिन वासना में अंधे हो चुके मूर्ख तुषार को ये बात समझ नहीं आई कि वो भाभी के जिस अंग से खिलवाड़ कर रहा है और उसमें मुंह लगा जवानी का रस चूस रहा है वो किसी भी स्त्री के लिये ऎसा संवेदनशील अंग होता है जिसके प्रति एक स्त्री हमेंशा सजग रहती है।जो स्त्री अपने अबोध बालक की शक्तिहीन करुण पुकार मात्र से अपनी गहरी नींद का परित्याग कर उसे अपने सीने से लगा कर अपने मातृत्व और वात्सल्य के रस से उसकी भूख मिटाने के लिये हर क्षण तत्पर रहती हो उसे क्या अपनी चूत पर किसी (पराये)पुरुष के स्पर्श का आभास नहीं होगा?लेकिन मूर्खों को ये बातें कहां समझ आती है?
काम अपना प्रथम प्रहार इंसान के दिमाग पर ही करता है और उसके सोचने समझने की शक्ती को खत्म कर देता है और आचार-विचार विहीन मनुष्य मूर्ख ही होता है।
जैसे ही तुषार ने रश्मी की चूत में मुंह लगाया था उसी क्षण उसकी नींद उड़ गई थी उसने मुंह उपर उठाया और देखा तो उसके होश उड़ गए। सामने उसका सगा देवर तुषार था जो बड़े ही अजीबो गरीब तरिके से अपना मुंह बना रहा था और परम संतोष के भाव के साथ उसकी चूत को चूस रहा था।
चूत का रस पीने में वो इतना मशगूल था कि उसे तनिक भी अभास नहीं हुआ कि उसकी भाभी जाग चुकी है और उसकी चोरी पकड़ी जा चुकी है।उस एक क्षण में ही रश्मी के दिमाग में कई बातें कौंध गई और वो निढ़ाल पड़ी रही। वो चाहती तो उसी क्षण उठ कर उसे चांटा मार सकती थी या शोर मचा कर घर के सदस्यों को बता सकती थी लेकिन उसने सोचा ऎसा करने में खतरा ही खतरा है।हो सकता है तुषार उल्टा उस पर ही लांछन लगा दे और घर वालों ने यदि उसकी बात को सच मान लिया तो? यदि किसी ने पुछ लिया कि वो तेरे कमरे में घुसा कैसे? तो मैं क्या जवाब दूंगी ? कैसे खुद को निर्दोष साबित करुंगी? कौन है मेरे पक्ष में ? परिस्थितियां भी तो नहीं है मेरे पक्ष में।
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May 7, 2021
#9
08...
जब एक धोबी ने सीता जैसी देवी पर लांछन लगा दिया तो स्वयं भगवान श्रीराम ने ये जानते हुए कि सीता निर्दोष है उसे अग्नी परिक्षा का आदेश दिया ताकि युगों युगों तक लोगों को ये संदेश जाता रहे की देवी सीता पवित्र है।
मुझे बचाने वाला कौन है यहां?निर्बल पुरुष न तो अपनी रक्षा कर सकता है न अपनी संपत्ति और न अपनी स्त्री ,कदाचित ईश्वर ही दया कर उसे बचाने आ जाए कुंती की तरह तो अलग बात है लेकिन रश्मी ने सोचा मेंरा चीरहरण तो इस तुषार ने कर ही ड़ाला है।मैं क्या जवाब दूंगी घर के लोगों को कि "तू नंगी होते तक क्यों चुप पड़ी रही?"
दूसरा खतरा ये था कि कहीं बात इतनी न बिगड़ जाय कि तुषार की सुधा से शादी ही टूट जाय अगर ऎसा हुआ तो मेंरा परिवार मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा। विशेषकर सुधा और मेंरी माँ। वो तो सीधा यही पूछेगी की बात इतनी कैसे बढ़ी की वो इतनी हिम्मत कर बैठा ? ताली एक हाथ से बजती है क्या ? कोई पुरुष किसी स्त्री को दो या तीन बार जाने अन्जाने स्पर्श का प्रयास कर सकता है बार बार नहीं। स्त्री की एक क्रोध भरी नजर ही किसी पुरुष को पस्त करने के लिये काफ़ी होती है। फ़िर यदि कोई पुरुष बार बार किसी स्त्री के साथ ऎसा करता है तो इसका मतलब साफ़ है कि इसमें उसकी भी रजामंदी है।
तीसरी परेशानी रश्मी की ये थी कि यदि इस वक्त उसने आंख खोली और दोनों की नजर मिली तो फ़िर दोनों के लिये ही जीवन भर एक दूसरे से नजर मिलाना संभव नहीं था। कम से कम रश्मी के लिये तो संभव था ही नहीं।और ऎसी अवस्था में तुषार से नजर मिलाने का साहस रश्मी में था ही नहीं। इसीलिये उसने इस शुतुरमुर्ग की तरह रेत में मुंह छुपा कर इस तूफ़ान को गुजर जाने देने में ही अपनी भलाई समझी और वो आंखे बंद किये पड़ी रही।
अब तक उसके शरीर में लगाया हुआ तुशार का वीर्य सूखने लगा था और उसकी चमड़ी खीचाने लगी थी। उसने अपने चेहरे और स्तनों पर हाथ लगाया वहां एक परत सी बन गई थी।
वो पलंग से उठी और कांच के सामने जा कर खड़ी हो गई और अपने जिस्म को निहारने लगी।उसने अपना गाऊन निचे गिरा दिया, अब वो नंगी कांच्के सामने खड़ी थी। उसने उसमे अपने बदन को देखते हुए अपना हाथ चूत में लगाया वहां लगाया हुआ तुषार का वीर्य अभी भी गीला था और उसे वहां चिपचिपा पन मह्सूस हो रहा था। वहां हाथ लगाते ही उसके हाथ में उसके हाथ में उसके देवर का वीर्य आ गया और उसका हाथ भी चिपचिपाने लगा। उसने दरवाजे की तरफ़ नजर उठाकर देखा वो अभी तक अधखुला था,वो तत्काल दरवाजे की तरफ़ दौड़ी और उसे अंदर से बंद किया।
जवानी का लूटना किसी स्त्री के लिये दौलत लूट जाने से भी बड़ी घटना होती है। रश्मी दरवाजे के पास ही नंगी खड़ी हो कर पलंग की तरफ़ देख रही थी जहां अभी कुछ ही मीनटों पहले तुषार उसकी जवानी को लूट रहा था। उसने पलंग की तरफ़ देखते हुए अपार शर्म और लज्जा का अनुभव हो रहा था उसने अपने दोनों हाथों की हथेलियों से अपने चेहरे को ढ़क लिया और फ़फ़क कर रोने लगी। उसी तरह रोते हुए वो पलंग के पास गई और वहीं जमीन पर बैठ गई और पलंग पर अपना सर रख कर फ़फ़कने लगी।
रश्मी लज्जित थी और रो रही थी,उसे चुप कराने वाला वहां कोई नहीं था,हर गलत काम के समय कचोटने वाला उसका अन्तर्मन भी मौन था।दर असल वो अपनी ही अन्तरात्मा के सामने बेनकाब होने से लज्जित थी और फ़फ़क कर रो रही थी। उसके अन्तर्मन ने उसके राम,सीता,कुंती और सुधा की शादी वाले तमाम तर्कों को नकार दिया था और ये साबित कर दिया था कि जिस्मानी तौर पर तुषार के हाथों से नंगी होने से पहले ही वो चारित्रिक रुप से अपने ही अन्तर्मन के सामने उसी समय नंगी हो चुकी थी जब तुषार ने उसका गाऊन उठा कर उसकी चूत में मुंह लगा कर उसे चूसना शुरु किया था। किसी पुरुष के साथ संसर्ग की अपनी दमित इच्छा को अपने देवर से पूरी होते पा कर वो यूं ही निढ़ाल पड़ी रही और नींद का बहाना उसकी ढ़ाल का काम रहा था।
अब उसे इस बात की बेहद ग्लानी हो रही थी कि जब तुषार उसकी चूत को चूस रहा था तो कैसे रोमांचित हो रही थी और रोमांच में उसने कैसे अपने होठों को अपने दातों से काट लिया था। कहीं तुषार को उसके जागने का अभास ना हो जाय इस ड़र से वो संयत हो गई और आंख बंद किये पड़ी रही।फ़फ़कते हुए वो सोच रही थी कि कैसे जब तुषार ने उसकी चूत को चूसना बंद किया तो वो कितनी बुरी तरह से तड़्फ़ी थी और उसका मन किया था कि वो उठ कर उसके सर को फ़िर से उसकी जांघो के बीच में फ़ंसा कर उसकी चूत को चूसवाना चालू रखे।उसे अच्छी तरह से याद था कि जब वो हड़्बड़ा कर उठा और उसने देखा कि मेंरे खर्राटे की अवाज को बंद पाकर वो कैसे भय से पीला पड़ गया था तो उसने किस चतुराई से अपनी नाक से सीऽऽऽऽऽसीऽऽऽऽऽ कि अवाज निकाल कर उसे अपने सोते होने का अहसास करवाया था और अपने जिस्म से खेलते रहने के लिए उकसाया था।
उसकी अन्तरात्मा ने साक्षी भाव से उसके तमाम मनोभावों देखा था और उसकी दमित कामवासना को मह्सूस किया था।उसने एक हंस की तरह दूध से पानी को अलग कर दिया था। और अपनी ही अन्तरात्मा का सामना करने का साहस रश्मी में नहीं था, खुद के ही सामने बेनकाब होने और अपनी कमजोरी पर नियंत्रण न रख पाने के कारण वो बेहद लज्जित थी और अपनी अन्तरात्मा के तीखे सवालों का जवाब न दे पाने के कारण वो फ़फ़क फ़फ़क कर रो रही थी।
कुछ देर तक इसी तरह मंथन करने और लगातार रोने के कारण वो मानसिक रुप से बुरी तरह से थक गई तो वो पलंग के पास से उठी नंगी ही सिसकते हुए बाथरुम में चली गई। वहां उसने शावर चालू किया और नहाने लगी और अपने जिस्म से तुषार के वीर्य को साफ़ किया।नहाते समय वो यही सोच रही थी कि अब वो इस खेल को बंद करेगी और अब वो तुषार को और अधिक स्पेस नहीं देगी।
चार दिनों के बाद राज तो आ ही रहा है वो उससे बात करेगी और उस पर दबाव बानायेगी कि वो उसे अपने साथ ले जाय।नहाने के बाद उसने अपना बदन पोंछा और बाहर निकल कर आल्मारी से एक दूसरा
गाऊन निकाल कर पहना और पलंग पर जा कर सो गई।
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Sharma
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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