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Adultery मेंरी शर्मिली भाभी
#2
लग्भग १५ मीनट तक दोनों इसी तरह से पलंग पर पड़े रहते है दोनो ही इस लंबी चुदाई के बाद बूरी तरह से थक चुके थे। रश्मी की ऐसी धमाकेदार चुदाई पहली बार हुई थी इससे पहले उसके साथ राज ने जो भी किया था वो तो चुदाई के नाम पर उसके अंगो से खिलवाड़ भर था, और वो बेचारी इसे ही संभॊग समझती रही। किसी मर्द के कड़क लंड़ की ताकत का उसे पहली बार अहसास हुआ था और शायद आज की इस चुदाई के बाद उसे "मर्द"शब्द का अर्थ भी समझ में आ चुका था।

हांलाकि रश्मी को इस बात का थोड़ा दु:ख और क्रोध जरूर था कि जो कुछ भी तुशार ने उसके साथ किया उसमें उसकी मर्जी नहीं थी , लेकिन तुषार ने इस बुरी तरह से अपने लंड़ से उसकी चूत में प्रहार किये कि कई महिनों से वासना की आग में भीतर ही भीतर जलते रहने के कारण स्खलन का जो पानी उसकी चूत से बाहर आने के लिये उबाल मार रहा था वो तुषार के लंड़ के प्रहार से ही बाहर आया था और । एक स्त्री तभी स्खलित होती है जब वो संतुष्ठ होती है। स्खलन के इस पानी ने रश्मी के न केवल दुख को समाप्त किया बल्कि उसने रश्मी के हल्के से ही लेकिन क्रोध पर भी पानी फ़ेर दिया और वो परम संतुष्त के भाव से तुषार की तरफ़ देखने लगी।

पति चाहे लाख कामाये या अपनी पत्नी को उपर से नीचे तक गहनों से लाद कर रखे लेकिन यदि वो बिस्तर पर अपनी पत्नी को संतुष्त नहीं कर सकता तो ऐसी धन दौलत और गहनों को पा कर भी वो कभी संतुष्त नहीं रह सकती और मर्द की यही कमजोरी या लापरवाही एक दिन उसकी पत्नी को पतिता बनने के लिये मजबूर कर देती है।ऐसा पति और उसका दौलतखाना किसी पत्नी के लिये "सोने" की जेल से कम नहीं होता।

राज ने रश्मी को सब कुछ दिया लेकिन वो उसकी शारीरिक जरुरतों के प्रति जागरुक नहीं रहा और अपनी पत्नी के शरीर में लगी अगन को समझ नहीं पाया और उसके प्रति उपेक्षित रवैया अपनाते रहा। वो सोचता रहा कि रश्मी तो एक भारतीय स्त्री है जब पति के साथ रहेगी तभी वो ये सब काम करेगी। और वैसे भी रश्मी का शर्मिला स्वभाव और कम बोलने की उसकी आदत के कारण राज तो क्या कोई भी ये सोच भी नहीं सकता था कि उसके जैसी स्त्री भी अपनी सारी मर्यादायें ताक में रख कर किसी पुरुष से
संभोग करने जैसा काम कर सकती है। लेकिन दुनिया का इतिहास गवाह है कि रावण की लंका भी उसके अपने सगे भाई ने ही ढहाई थी और भी दुनिया में जितनी भी बड़ी सत्ताओं का पतन हुआ है उन सबमें आस्तिन के सापों का पूरा योगदान रहा है , दुनिया का इतिहास जयचंदो से भरा पड़ा है।

तुषार ने भी यदि अपने बड़े भाई के घर में सेंध मारी थी और उसके साथ विश्वासघात किया था तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी । इसमें सबसे बड़ा दोष तो स्वयं "राज" और उससे भी ज्यादा उसेके परिवार का था जिन्होंने एक जवान शरीर की जरुरतों को नजरांदाज किया और केवल शादी करवा कर अपने कर्तव्य की समाप्ति समझ ली।

घर की तीसरी मंजिल पर २३ साल की खूबसूरत जवान बहू का कमरा और ठीक उसके बगल में उसके २४ साल के जवान देवर का कमरा यानी आग और पेट्रोल साथ साथ। दुनिया के ९९.९% लोग अपने घर के लोगों को सच्चरित्र और शरीफ़ ही समझते हैं और वे तमाम बुराई अपने घर के बाहर ही देखते हैं।

 

Posted : 02/10/2011 5:38 am

  Anonymous

(@Anonymous)

 

राज की माँ यदि चाहती तो रश्मी को अपने साथ अपने कमरे में सुला सकती थी लेकिन ६० साल की उम्र में भी वो अपने पति के साथ ही रहना चाहती थी। लेकिन उसे इस बात का तनिक भी विचार नहीं आया कि यदि वो ६० साल की उम्र में भी अपने पति से अलग नहीं हो सकती और उसके बिना नहीं रहना चाहती तो फ़िर २३ साल की जवान लड़्की अपने पति के बिना कैसे रह पायेगी?उसके मन पर क्या बीत रही होगी? परिवार के बुजिर्गों की इसी घनघोर लापरवाही और मूर्खता के कारण ना जाने ऐसे कितने ही चारित्रिक अपराध हुए होंगे और आगे भी होते रहेंगे जिनके बारे में ना तो कोई जानता है और ना ही कभी कोई जान पायेगा।

मर्द तो स्वभाव से ही पहलगामी होते हैं, उन्हें पृक्रति ने ही ऐसा बनाया है चंचल और उतावला,किसी जवान लड़की की तरफ़ आकर्षित होना और उससे सहवास का प्रयास करना या उसके सपने देखना ही उसका स्वभाव होता है। अगर औरतों के शर्मिलें स्वभाव की तरह ही यदि मर्द भी शर्मिले होते तो शायद ये संसार का चक्र कभी का रुक गया होता। क्योंकि ना तो तब औरतें अपनी शर्म के कारण कुछ कह पाती और ना ही मर्द पहल करते तब तो हो चुकी होती संसार की रचना। लेकिन ऐसा है नहीं,पृक्रति ने पुरुष को बनाया ही उतावला अधीर और बेशर्म और ये बात एक पुरुष होने के नाते राज के पिता को समझनी चाहिये थी कि दो जवान जिस्मों को पास पास रखने के घातक परिणाम आ सकते हैं। लेकिन शायद खुद के बूढे हो जाने के कारण उनकी शारीरिक जरुरत समाप्त हो चुकी थी और वे यह भूल गये की दो जवान स्त्री पुरुष का एक दूसरे प्रति एक आकर्षण होता है और एक दूसरे की जरुरत भी और उनकी इसी भूल ने तुषार और रश्मी के ना(जायज) रिश्ते को जन्म दे दिया।

१५-२० मीनट के बाद रश्मी के शरीर में थोड़ी हरकत होती है शायद चुदाई की उसकी थकान अब कम होने लगी थी,वो थोड़ा खड़ी होने का प्रयास करती है लेकिन तुषार का दांयां पैर उसकी जांघो पर पड़ा हुआ था और उसका एक हाथ उसके स्तन पर । शायद उसे झपकि लग चुकी थी ।उसने पहले तुषार के हाथ को अपने स्तन से हटाया और फ़िर उठ कर बैठ गई,फ़िर उसने उसकी जांघों को अपने उपर से हटाया और पलंग से उठ खड़ी हुई।

रश्मी पूरी तरह से नंगी थी और बला की खूबसूरत लग रही थी । बाहर की तरफ़ निकली हुई उसकी गोल गोल भारों वाली उसकी गांड़ो और बड़े बड़े विशाल स्तन उसे बेहद कामुक बना रहे थे। वो वैसे ही नंगी चलती हुई बाथरुम की तरफ़ जाने लगी लेकिन कमरे भीतर रखे ड़्रेसिंग टेबल के सामने से गुजरते हुए उसमें अपनी छाया देख कर वो रुक जाती है।

वो उस्के थोड़ा और करीब जाती है और अपने नंगे जिस्म को निहारने लगती है। अपने नंगे जिस्म को देखते हुए कभी तो वो शर्मा जाती और कभी गौरव और अहंकार से उसका मन भर जाता कि मेंरे इसी जिस्म को पाने के लिये तुषार इतना ललायित रहता है। उसे इस बात के लिये खुद पर बेहद घमंड़ हो रहा था कि तुषार मेंरे इस जिस्म के लिये पागल है। लेकिन ये अहंकार तो दुनिया की हर स्त्री को होता है कि पुरुष उसके जिस्म का दिवाना है और उसके पिछे पागल है।

अपने जिस्म पर घमंड़ करना हर स्त्री का स्वभाव होता है,और उसे भोगना हर पुरुष का। वो इस बात से शायद अन्जान होती है कि पुरुष का अंतिम लक्ष्य तो उसके जिस्म में बसी उसकी चूत होती है फ़िर शरीर चाहे किसी रश्मी का हो या किसी सुनीता,अनिता या अंजली का हो।

कुछ देर तक इसी तरह अपने जिस्म को आईने में निहारने के बाद वो मंद मंद मुस्कुराते हुए एक निगाह पलंग पर पड़े नंगे सोये पड़े तुषार पर ड़ालती है और बाथरुम में चली जाती है।

 

Posted : 02/10/2011 5:38 am

  Anonymous

(@Anonymous)

 

बाथरुम में पहुंच कर रश्मी ने शावर चालू किया और अपने शरीर की सफ़ाई करने लगी । दोनों जिस्मों के गुत्थम गुत्था होने से पैदा होने वाला पसीना और तुशार के वीर्य ने उसके शरीर को चिपचिपा बना दिया था और चुदाई के दौरान हुई कसरत ने उसको काफ़ी थका दिया था। लेकिन पानी के बौछार के शरीर में लगने से उसे काफ़ी राहत महसूस हो रही थी और ताजगी का अह्सास उसके शरीर में नवीन उर्जा का संचार करने लगा।

लगभग १० मीनट तक नहाने के बाद रश्मी पूरी तरह ताजगी महसूस करने लगी और अब उसने शावर बंद किया अपने बदन को पोंछने के बाद वो बिना तौलिया लपेटे नंगी ही वापस कमरे में आ गई । अब उसे तुषार से शर्म जैसी कोई बात नहीं थी ।

इधर तुषार भी लगभग ३० मीनट की नींद पूरी करने के बाद जाग चुका था और काफ़ी तरोतजा मह्सूस कर रहा था । उसने अपनी आंखे खोली और पलंग पर ही पड़ा रहा।

पलंग पर लेटे हुए ही उसने एक नजर रश्मी पर ड़ाली लेकिन वो बिस्तर पर नहीं थी , उसे बिस्तर पर ना पा कर उस्की निगाहें रश्मी को खोजने लगी। नहाने के कारण रश्मी के बदन में एक अलग ही चमक दिखाई दे रही थी और उसका गोरा बदन नंगा होने के वजह से और भी मादक लग रहा था ।रश्मी नहा कर कमरे में नग्न खड़ी थी उसका एक पैर स्टूल पर था और दूसरा पैर जमीन था और वो अब अपने पैरों को पोछ रही थी । उसके बाल खुले हुए थे और उसकी कमर तक लटक रहे थे।

अपनी खूबसूरत हसीना के चिकने नंगे बदन को देख कर तुशार के लंड़ में फ़िर हरकत होने लगी । उसकी बड़ी बड़ी नग्न गांड़े ,मोटी जांघ और सुमेरु पर्वत की तरह विशाल लटकते हुए स्तन को देख तुषार का लंड फ़िर अपने अकार में आने लगा और फ़िर से रश्मी की चूत में जाने के लिये मचलने लगा। वो तुरंत हरकत में आता है और पलंग से खड़ा हो जाता है। उसका लंड़ अब फ़िर से बूरी तरह से कड़क हो चुका था और वो उसी अवस्था में रश्मी के पीछे जा कर खड़ा हो जाता है और उसके बदन को पीछे से कामुक नजरों से घूरने लगता है।

रश्मी इस बात से बेखबर थी की तुशार जाग चुका है और उसके एकदम पिछे आ कर खड़ा हो चुका है, वो अपनी ही धुन में थी और पूरी तन्मयता से अपने नंगे बदन को पोछे जा रही थी । वो ये सोच रही थी की अब कपड़े पहनने के बाद तो नीचे पहुंचेगी और घर के बाकी सदस्यों के साथ बाजार जा कर तुषार और सुधा की सगाई का समान खरिदेगी । उसे पता था कि इस काम काफ़ी वक्त लगने वाला है।लेकिन तुषार को इस बात की कोई भी जल्दी नहीं थी। और उसे तो कुछ और ही मंजूर था।

कुछ क्षणों तक रश्मी के नंगे बदन को घूरने के बाद तुषार ने रश्मी को पिछे से पकड़ लिया और अपना लंड़ रश्मी की नंगी गांड़ो की दरारों मे जोर से दबा दिया और उसने अपने दोनों हाथों को आगे कर के उसके दोनों विशाल स्तनों को पकड़ लिया।

अचानक इस तरह पकड़ने से रश्मी चौंक जाती है,वो पिछे मुड़ने कर देखने का प्रयास करती है लेकिन तुषार ने उसे इतनी जोर से पिछे से भींच कर रखा था कि वो पलट नहीं पाती वो केवल अपनी गर्दन थोड़ी उपर उठा कर पिछे खड़े तुषार की तरफ़ देखने का प्रयास करती है और कहती है "अरे ये क्या! छोड़ो मुझे, नीचे मम्मी,पापा इंतजार कर रहे होंगे बजार जाना है, अभी सगाई का सामान खरिदना और पूरी तैयारी करनी है और तुम हो कि फ़िर शुरु हो गये। अभी मन नहीं भरा क्या? छोड़ो मुझे प्लीज।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: मेंरी शर्मिली भाभी - by neerathemall - 30-01-2023, 02:06 AM



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