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Incest चचेरी बहन बबिता ने ........................
#11
छत पर ऐसे ही टहलते हुए एक पोर्न साइट खोल ली और एक मस्त वीडियो देखने लगा ये एक नार्मल चुदाई की वीडियो थी मैं थोड़ी देर देखता रहा पर मुझे खास मज़ा नही आया फिर मैंने एक दूसरी वीडियो प्ले करी उस वीडियो के ऊपर डिस्क्रिप्शन में लिखा था femdom उस वीडियो में दो बड़ी उम्र की मोटी गांड़ और भारी बदन की औरतें एक 19-20 साल के लड़के से साथ मस्ती कर रही थी एक औरत एकदम गोरी थी और दूसरी काली अफ्रीकन वो कुछ ज्यादा ही लंबी चौड़ी थी मुझे लगा अगर बबिता थोड़ी और मोटी हो जाये तो काफी हद तक इस अफ्रीकन औरत जैसी ही लगेगी उन दोनों औरतों ने उस लड़के के कपड़े खींच फाड़ कर फेंक दिया फिर उसे सोफे पर लिटा कर वो काली औरत उसके मुह पर बैठ गयी उस दुबले से लड़के का चेहरा उसकी काली मोटी गांड़ के नीचे दब कर गायब ही हो गया दूसरी अंग्रेज औरत उस लड़के का लंड चूसने लगी….. ये वीडियो देखते ही मेरा लंड गरम हो कर खड़ा हो गया और फिर मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद मेरी पसन्द ही अलग है सांवली/काली औरतें ही मेरे लंड को उत्तेजित करती हैं और नॉर्मल सेक्स से ज्यादा मुझे ऐसे डोमिनेट सेक्स पसन्द है जिसमे औरत मर्द को अपना गुलाम बना कर चुदती है…… मैं मन मे सोचने लगा कि आज रात बबिता से अपनी पसंद बता कर ऐसा ही कुछ करूँगा उसकी गांड़ भी भारी है उसे भी अपने मुह पर बिठा कर उसकी गांड़ चाटूगा ये सब सोच मेरा लंड झटके लेने लगा और मैं लोअर में हाथ डाल कर आगे का दृश्य देखने लगा लड़के का गोरा लंड अब सख्त हो चुका थ तो काली औरत उसके मुह से उठ कर उसकी कमर पर बैठ गयी उसका लंड पकड़ अपनी थूक से भीगी हुई गांड़ के छेद पर लगा कर बैठ गयी और पूरा लंड उसकी गांड़ में समा गया फिर वो तेजी से ऊपर नीचे गांड़ हिलाती अपनी मोटी गांड़ चुदवाने लगी और गोरी औरत उस लड़के के मुह पर अपना भोसड़ा रख कर रगड़ने लगी लड़का भी मस्ती में उसका भोसड़ा चाटते हुए काली औरत की गांड़ चोदने लगा मैं अपना लंड मसल रहा था तभी अचानक मुझे सुनीता की याद आ गयी मैंने उस से बाद मे बात करने को बोला कुछ भी हो वो हमारे यहां खेतों में काम करने वाली मजदूर सही पर सच तो यही था कि वो मस्त माल टाइप औरत थी काली थी पर छोटे कद की दुबली पतली तीखे नक्श वाली औरत थी और पहली बार चुदाई का मज़ा उसी ने दिया था मुझे उसका पति और देवर लुधियाना में किसी फैक्ट्री में काम करते थे वो गांव में अपनी सास के साथ रहती थी उसकी सास और वो दोनो ही हमारे खेतों में निराई गुड़ाई फसल काटने जैसे काम करती थीं बदले में उनके पशुओं के लिए मुफ्त चारा और थोड़ा अनाज हम उन्हें देते थे मैं उसे भाभी कहता था उसकी उम्र 29-30 की थी भरपूर जवानी में पति के परदेस में रहने की वजह से उसका भी झुकाव मेरी तरफ हो गया और वो अक्सर ही खेतों में काम करते हुए अपनी चूचियो के दर्शन मुझे कराने लगी मैं उसकी चुचियाँ देखने के चक्कर मे खेतों के काम मे रुचि लेने लगा था और मेरा ज्यादातर समय अब खेतों पर ही बीतता था फिर ऐसे ही हमारी नजदीकियां बढ़ती गयीं एक दोपहर जब हम दोनों ही अकेले थे उसने हिम्मत कर के मेरा लंड पकड़ लिया और फिर उस दिन खेतों पर बनी झोपड़ी में ही उसने दो बार अपनी चूत का मज़ा दिया मुझे उस दिन को 5 साल हो रहे थे इन 5 सालों में हजारों बार मैंने उसे चोदा खेतों में उसके घर मे अपने घर मे जहां मौका मिलता हमारी चुदाई हो जाती वो भी मेरे लंड की दीवानी थी और मुझसे चुदने का मौका ढूंढती रहती और पड़ोस की पिंकी की चूत भी मुझे उसी ने दिलवाई थी इतने अहसान काफी थे उसके मुझ पर मैंने उसका नंबर डायल किया दो घंटी में उसने कॉल रिसीव कर ली और बोली मिल गयी फुर्सत आ गयी मेरी याद मैंने कहा भाभी तुमको भूल ही नही सकता कभी तो याद आने जैसी कोई बात ही नही हां अभी नया काम है तो फुर्सत नही मिल रही पर दो चार दिन में सब सेट हो जाएगा फिर टाइम मिलने लगेगा वो मेरे काम वगैरह के बारे में पूछने लगी मैंने सब बताया तो वो खुश हो कर बोली देवर जी इस बार गांव आना तो मेरे लिए नई साड़ी ले कर आना मैंने कहा जरूर भौजी साड़ी के साथ नया पेटीकोट ब्लाउज और चड्ढी ब्रा भी ले आऊंगा फिर वही पहन कर अपनी बुर मरवाना मुझसे वो हंसती हुई बोली देवर जी बुर देने को कभी मना तो किया नही है तुम आओ तो सही जी भर के चोद लेना मैंने कहा अब बुर का दर्द कैसा है वो हंस के बोली दर्द तो खत्म हो गया लेकिन खुजली बढ़ गयी है आ के चोदोगे तभी खुजली मिटेगी मैने अगले संडे को आऊंगा भाभी तेरी नई साड़ी ले कर तेरी बुर की खुजली मिटाने वो फ़ोन पर ही थोड़ी नसीली आवाज़ में बोला हाय राजा तुम्हारी बात से ही बुर पनिया गयी है अब तो रात में उंगली कर के पानी निकालना पड़ेगा फिर वो बोली देवर जी रात में फ़ोन करना ना फ़ोन पर ही गंदी गंदी बातें कर के मज़ा लेंगे ( हम पहले गांव में अक्सर रात मे फ़ोन पर चुदाई की बातें या फ़ोन सेक्स कर के भी एक दूसरे को संतुष्ट किया करते थे ) मैंने कहा भाभी वो तो नही हो पायेगा मैं रात को अपने चाचा की लड़की के साथ सोता हूँ उसके सामने बात नही कर पाऊंगा तो भाभी थोड़ी मायूसी से बोलीं बहन की नई बुर के आगे भाभी की पुरानी बुर का खयाल थोड़े रखोगे मैंने कहा ओ मेरी बुरचोदी भाभी ऐसा कुछ नही है बस यहां दूसरे का घर है तो सब कुछ अपने मन का थोड़े कर सकता हूँ पर कल दिन में जुगाड़ लगा तो फोन करूँगा फिर निकाल दूंगा तेरी बुर का पानी साली छिनाल……. भाभी हंसने लगी और बोली हाय राजा आज तो बड़ी मस्त बातें कर रहा है ऐसे ही बोलता रह मैं जल्दी से उंगली चला लूं बुर मैं मैंने कहा ठीक है भोसड़ी वाली सुनीता चल कुतिया बन जा और अपनी बुर चटवा मुझे वो उधर से सिसियाते हुए बोली हां राजा बन गयी कुतिया आजा चाट अपनी रण्डी भाभी की बुर मैंने कहाँ हां भाभी तेरी बुर में जीभ डाल कर चाट रहा हूँ साली ऊम्म्म्म्म क्या रसीली काली काली मस्त बुर है तेरी जी करता है चाटता ही रहूं सुनीता बोली हाय राजा बड़ा मज़ा आ रहा है इस बार आया तो सच मे बुर चाटनी पड़ेगी मेरी मैंने कहा हाँ रण्डी इस बार आऊंगा तो तो तुझे नंगी कर के तेरी बुर और गांड़ दोनो चाट चाट के चोदूगा तुझे हरामजादी ( गालियां सुन कर सुनीता बड़ी जल्दी गरम हो कर झड़ जाती थी ये बात मुझे मालूम थी और मैं बस किसी तरह जल्दी से उसे ठंडी करना चाह रहा था ) सुनीता उधर से सिसकते हुए बोली हां मेरे चोदू राजा जैसे चाहे चोद लेना अपनी रण्डी को मैं मना नही करूंगी मैंने कहा भाभी माँ की लौड़ी मेरा बड़ा मन करता है कि मैं भी तुझे अपनी गांड़ चटवाऊं सुनीता तेजी से बुर में उंगली चलाते हुए बोली तो क्या हुआ राजा आना इस बार लंड तो चूसती ही हूँ इस बार अपने राजा की चिकनी गांड़ भी चाट कर मस्त कर दूंगी तुझे और इसी के साथ सुनीता के मुह से तेज आहें निकलने लगी और वो सिसियाते हुए बोली हाय संजय राजा झड़ गयी तेरी भाभी की रण्डी चूत टपका दिया मैंने बुर का रस तेरे गरम लौड़े पर राजा aaahhhhhhh फिर वो शांत हो गयी मैंने कहा अच्छा भाभी मैं रखता हूँ फिर अगले संडे को मिलते हैं…… भाभी ने फ़ोन पर एक जोरदार चुम्मा दे कर फोन काट दिया मेरा लंड इस गरम फ़ोन सेक्स से एकदम टनटना कर खड़ा था मैंने उसे हाथ से दबा कर शांत करने की कोशिश की पर वो और झटके मारने लगा अब खड़ा लंड गला दबाने से कहाँ शांत होता है उसे बस कोई गरम रसीला छेद चाहिए होता जिसमे घुस कर वो झटके लगा कर अपनी गर्मी निकाल सके…….. फिर मैं दीवार के पास बनी नाली के पास जा कर मूतने लगा छत पर हल्की रोशनी थी तभी मेरी नजर बगल वाली छत पर गयी वहां एक गोरी चिट्टी औरत नाइटी पहने खड़ी थी चाचा के और उसके घर की छत के बीच कोई 4 फुट की बाउंडरी थी वो उस पार खड़ी घूर के मेरे लंड को ही देख रही थी मुझे समझ नही आया वो अभी अचानक आ गयी है या पहले से ही थी यहां कहीं उसने मेरी और सुनीता की बातें ना सुन ली हों मैं थोड़ा घूम गया और उसकी ओर अपनी पीठ कर ली फिर मैं मूत कर फ्री हुआ तो लंड थोड़ा नरम हुआ अंडरवियर में घुसा कर मैं मुड़ा तो वो औरत अभी भी वहीं खड़ी थी इस बार मैंने गौर से उसे देखा वो कोई 38-40 साल की भरपूर जवान खूबसूरत औरत थी एकदम दूध जैसी गोरी और उसका जिस्म ना सन्तुलित था ना मोटी और ना ही दुबली मेरी उसकी बाजार मिली तो वो मुस्कुरा दी बोली क्या नाम है तुम्हारा पहले कभी यहां देखा नही तुम्हे, मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा जी मेरा नाम संजय है मैं अभय का चचेरा भाई हूं यहां काम के सिलसिले में आया हूँ अब यही रहूंगा वो बोली मेरा नाम नीलम है मैंने कहा वाह आपका नाम भी खूबसूरत है आपकी तरह तभी नीचे से बबिता ने आवाज़ दी भैया आओ खाना लग गया मैंने नीलम से कहा चलता हूँ खाना खाने वो बोली ठीक है जाओ और मैं नीचे आ गया आलू के पराठे और कद्दू की सब्जी के साथ टमाटर बाकी चटनी देख के मेरी भूख जाग गयी और मैं खाने पर टूट पड़ा 5 पराठे खत्म करने के बाद बबिता खीर को कटोरी ले आयी उसे भी साफ करने के बाद मैं हाथ मुह धो कर बबिता के कमरे में आ गया 10 मिनट बाद ही बबिता भी आ गयी बोली भैया आज टहलने नही चलेंगे क्या मैंने कहा क्यों नही और फिर हम बाहर आ गए टहलते हुए मैंने कहा बबिता तुम काम करने कहाँ जाती हो उसने तीन जगह का नाम बताया और ये भी की उनमें से दो जगह उसी साइट के पास हैं जहां मैं काम करता हूँ मैंने उस से उसकी पूरी टाइमिंग पूछी तो उसने बताया वो सुबह 10 बजे घर से निकलती है एक जगह खाना बना कर 12 बजे तक घर आ जाती है फिर बाकी दो जगह उसे शाम में ही जाना पड़ता है उनमें से एक घर मे एक बैंक के मैनेजर साहब रहते हैं वो शाम को ही उनके लिए रात और अगली सुबह का खाना बना देती है और दूसरी जगह एक मैडम अकेली रहती हैं उनके पति विदेश में जॉब करते हैं और बच्चे देहरादून के किसी बड़े स्कूल में पढ़ते हैं उनके यहां भी हल्का फुल्का साफ़ सफाई और रात का खाना बनाने के काम करती है और सब काम खत्म करके वो साढ़े 6 या 7 तक फ्री हो जाती है और फिर वहीं से ऑटो पकड़ कर घर आ जाती है मैंने कहा यार उसी टाइम तो मैं भी घर लौटता हूँ तो तू मेरे साथ ही वापसी आ जाया कर वो बोली ये भी सही है मेरे रोज के 15 रुपये बच जाएंगे मैंने कहा कितने पैसे कमा लेती है तू इस काम से वो बोली दो जगह तो 25-25 सौ मिलते हैं पर मैडम मुझे 4000 देती हैं मैंने कहा मैडम इतने पैसे क्यों देती हैं वो शरारत से बोली है एक वजह पर मैं वो तुम्हे नही बताऊंगी मैंने कहा क्यों ऐसी क्या खास वजह है जो तू मुझे नही बता सकती वो बोली कुछ नही मैं तो ऐसे ही कह रही थी हम फिर से उसी पार्क में दाखिल हो रहे थे आज भी इक्का दुक्का लड़के थे वहां लेकिन सब खुद में बिजी ज्यादातर तो वहां अपनी सेटिंग से बातें करने ही आते थे एकांत में हम टहलते हुए रोज की तरह पार्क में पीछे की ओर चले गए इस ओर कोई नही था हम उसी बेंच पर जा कर बैठ गए और आज बबिता एकदम मुझसे सट कर बैठी थी मैंने बबिता की मोटी पजामी में फंसी हुई जांघ पर हाथ रख दिया और सहलाते हुए कहा बबिता कल रात तू बड़ी आवाज़ें कर रही थी किसी ने सुन लिया तो प्रॉब्लम होगी वो बोली क्या करती इतना मज़ा आ रहा था कि मुझसे कंट्रोल ही नही हो रहा था मैंने कहा मुझे भी तेरी आवाज़ें सुन कर अच्छा लग रहा था और जोश आ रहा था पर डर भी लग रहा था वो बोली काश किसी दिन घर मे कोई ना हो फिर उस दिन हम जी भर के खुल के जैसे चाहें मस्ती करें व थोड़ा रुक कर बोली आवाज़ें निकालते हुए मैंने हाथ ऊपर सरकाते हुए उसकी जांघो के जोड़ में घुसा कर बुर पर रख दिया और उसकी फूली हुई बुर को मुट्ठी में भर के मसलने अलग उसने टांगे थोड़ी फैला दी और बोली आज क्रीम लानी थी भूल गयी मैंने कहा कैसी क्रीम वो बोली बाल साफ करने वाली मैंने कहा अच्छा हुआ जो भूल गयी वो बोली क्यों मैंने कहा मुझे झांटो वाली बुर ही अच्छी लगी तेरी मत साफ करना जब तक मैं ना कहूँ वो बोली छी कितनी गंदी लगती है बड़े बड़े बाल हो गए हैं मैंने उसकी ओर झुक कर उसके गाल चूम कर कहा बबिता अब तेरी चूत तेरी नही है मेरी है और मुझे जैसी पसन्द है वैसी रखनी होगी तुझे अपनी चूत समझी वो भी मेरे होंठ चूसती हुई बोली ठीक है संजू जैसा तुमहे पसन्द है वैसा ही होगा मैं अपने बाल नही साफ करूंगी बस मैंने कहा हां मेरी जान और फिर उसके चेहरे को पकड़ कर अच्छे से उसके होंठो को पीने लगा वो भी गरम हो उठी और अपनी जीभ मेरे मुह में डाल दी मेरा लंड फौरन ही खड़ा हो कर झटके देने लगा मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया उसने मेरे लंड को मुट्ठी में भर कर दबाना शुरू कर दिया और मैं उसकी जीभ चूसने लगा दो मिनट तक हम ऐसे ही लगे रहे ना वो हट रही थी ना मैं आखिर में वो उसने ही अपना मुह पीछे कर लिया और उखड़ी हुई सांस को सम्हालते हुए बोली अब घर चलो या यही शुरू हो जाओगे मैंने उसकी चुंची मुट्ठी में भर कर जोर से मसलते हुए कहा मन तो कर रहा है यही तुझे नंगी कर के कुतिया बना के चोद डालू तेरी रसीली बुर साली वो सिसियाते हुए बोली यहां नही घर चलो ना फिर जैसे दिल करे चोद लेना अपनी बबिता को मैंने उसकी चुंची मसलते हुए कहा बबिता सच बताना मेरे अलावा कभी किसी के साथ कुछ नही किया तूने वो मेरी आँखों मे देखती हुई बोली ऐसे क्यों पूछ रहे हो क्या तुम्हें मुझ पर शक है मैंने कहा नही पगली ऐसी कोई बात नही है तेरी जिंदगी है तू जो चाहे कर मैं रोक टोक नही पसन्द करता लेकिन बस ऐसे ही मुझे जानने का मन है वो बोली तुम्हारे अलावा मैंने सिर्फ दो और लोगों के साथ मज़े किये हैं मैंने कहा कौन है बता ना तो उसने कहा संजू जरूरी है क्या बताना ये सब मैंने कहा जरूरी तो नही है तुम्हारी मर्ज़ी मेरी उंगली उसके निप्पल पर घूम रही थी जो कि फूल कर अंगूर के दाने जैसे सखत हो गया था मैंने चुटकी में पकड़ कर उसका निप्पल जोर से रगड़ दिया उसके मुह से तेज आह निकल गयी मैंने कहा बबिता मुझे ऐसे सेक्स की गंदी बातें सुनने में मज़ा आता है बता ना प्लीज वो बोली संजू तुम्हे बुरा तो नही लगेगा किसी और के साथ मेरे बारे में सुन कर मैंने कहा नही पागल बल्कि मुझे अच्छा लगेगा बस जरा अच्छे से बताना खुल के उसने कहा एक तो वो मैडम हैं जिनके यहां मैं काम करने जाती हूँ मैंने कहा क्या बात कर रही हो औरत के साथ वो बोली हां संजय पर सच मे उनके साथ बड़ा मजा आता है मैंने कहा और दूसरा वो बोली दूसरा अब नही है यहां उसने बताया कि पहले वो एक और घर मे काम करती थी वो कोई पुलिस वाला था जी यहां नौकरी करता था और किराए के घर मे रहता था बबिता उसके यहां भी खाना बनाने जाती थी वो अधेड़ उम्र का 44-45 साल का इंसान था और धीरे धीरे बबिता को पैसे और पुलिस के रुतबे में फंसा कर वो उसके बदन से खेलने लगा लेकिन उसका लंड छोटा सा था और ठीक से खड़ा भी नही होता था तो वो बस बबिता को नंगी कर के उसके बदन को चूम चाट कर अपना लंड उसके चूत पर रगड़ कर झड़ जाता था वो कभी ठीक से बबिता को चोद नही पाया फिर साल हर बाद उसका तबादला हो गया और वो चला गया मैंने फ़ोन निकाल कर टाइम देखा 9:40 हो रहे थे मैंने कहा अब चलना चाहिए वो भी उठ खड़ी हुई मैं भी खड़ा था मैंने एक बार उसे बाहों में भर कर कस के सीने से लगा लिया वो भी मेरे सीने से लिपट गयी मैंने कहा बबिता वो बोली हां संजू मैंने कहा एक बार लंड चुसो ना वो बोली घर चलो न नंगी हो के चुसुंगी अपने यार का लौड़ा मैंने कहा अभी यहीं चूस ना एक मिनट वो एक कदम पीछे हो कर नीचे बैठ गयी और मेरे लोअर में हाथ डाल कर मेरे खड़ा लंड बाहर निकाल कर एक बार गौर से देखी फिर मुह खोल कर गप से सुपाड़ा मुह में ले लिया और गर्दन हिला हिला कर चूसने लगी कोई एक मिनट तक उसे लंड चुसवाने के बाद मैंने लंड उसके मुह से खींच लिया और लोअर में डाल लिया वो भी खड़ी हो गयी फिर बोली बस एक मिनट मैं जरा हल्की हो लूं मैंने सर हिला दिया वो बेंच की साइड में जा कर अपनी पजामी सरका कर बैठ गयी उसने अपनी कुर्ती पीछे से उठा दी और उसकी फैली हुई काली चमकीली गांड़ मुझे नजर आने लगी मैं उसके एकदम पीछे जा कर खड़ा हो गया उसकी बुर से सीटी की आवाज़ के साथ मूत निकल रहा था मूत कर जैसे ही वो खड़ी हुई मैं उसके पीछे बैठ गया और अपना चेहरा उसके चूतड़ों की दरार में घुसा दिया वो बोली संजू क्या कर रहे हो ये घर नही पार्क है मैंने कहा रानी बस एक बार गांड़ चटवा दे रहा नही जा रहा तेरी नंगी गांड़ देख कर उसने मुड़ कर अदा से मेरी ओर देखा और फिर थोड़ा सा आगे को झुक कर अपनी टांगे थोड़ी फैला कर अपने हाथों से अपने मोटे मोटे चूतड़ फैला कर बोली लो राजा जल्दी करो कोई आ ना जाये और मैंने फिर से अपना चेहरा उसकी गांड़ की गहरी दरार मे घुसा कर आपनी जीभ निकाल उसकी गांड़ के कैसे हुए काले छेद पर फिराई उसके मूत की कुछ बूंदे बह कर उसकी गांड़ की छेद तक आयी थीं उसका नमकीन सा स्वाद मेरे मुह में आ गया और मुझे वो स्वाद बेहद अच्छा लगा मैं जोश में और तेजी से उसकी गांड़ के छेद को जीभ से कुरेद कुरेद कर चाटने लगा और फिर वो एकदम से अलग हो कर अपनी पजामी ऊपर कर के बोली अब घर चलो फिर हम बाहर आ गए और घर की ओर चल पड़े 10 मिनट बाद हम अपने कमरे में थे……

continued…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरी बहन बबिता ने ........................ - by neerathemall - 30-01-2023, 01:26 AM



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