29-01-2023, 11:44 AM
7 इंच से थोडा कम ही होगा। हाँ लेकिन मोटा थोडा ज्यादा है। मैंने उसे अच्छे से अपना लिंग दिखाया, उसे बताया सुपाडा किसे कहते है वगैरह वगैरह। उसकी झिझक दूर हो चुकी थी। और उसे भी पहली बार का रोमांच आ रहा था। मैंने फिर से उसे किस करना शुरू कर दिया। पुरे शरीर पे चूमते-चाटते मैं उसकी योनि के पास पंहुचा। इस बार उसने अपनी टांगें नहीं जोड़ी। पहले तो मैंने उसकी प्यारी योनि को फैलाकर उसके दर्शन किये। ऐसा ग़जब का रोमांच मेरे जेहन में आया की में शब्दों में बयां नहीं कर सकता। हलकी सी गुलाबी-गुलाबी ऐसा लगा जैसे जन्नत दिख गया मुझे। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी योनि पे एक प्यारा सा चुम्बन दिया।
उसने कहा, ‘छि:’।
मैंने कोई जवाब नही दिया। मेरे चेहरे पे मुस्कान थी। पहली बार मैंने ऐसा किया था मुझे भी बहूत अच्छा नहीं लगा। लेकिन फिर भी मैंने उसे ज्यादा एक्साइट करने का सोच के फिर से नमकीन सागर में अपने होंठ लगा दिए। मै उसकी क्लाइटोरिस को चूसने लगा और कभी-कभी उसे काट भी लेता। मैंने पहले ही किताबों मे और फिल्मो मे देखा था की ये लडकियों मे सब से संवेदनशील अंग होता है। मेरे ऐसा करने से वो उत्तेजना में तडपने लगी। मै उसके बूब्स भी दबाने लगा। मैंने ऐसा ज्यादा देर तक नहीं किया। मैं नहीं चाहता था की वो उस वक़्त पानी छोड़े। मैं घुटनों के बल उठा और उसे मेरा लिंग चूसने को कहा। वो राजी नहीं हो रही थी।
मैंने कहा, “नहीं अच्छा लगे तो फिर मत करना।”
फिर वो तैयार हो गयी। उसने मेरे लिंग को हाथ में पकड़ा और थोडा सा अपने होंठों से लगाया। मैंने अन्दर की ओर थोडा दवाब लगाया। उसने अन्दर जाने दिया। लेकिन वो 2 इंच से ज्यादा नहीं ले पायी क्यूंकि उसके मुँह के हिसाब से मेरा लिंग मोटा था। फिर वो मेरे लिंग को चूसते हुए अन्दर बाहर करने लगी। मैंने उसे उसकी ऊँगली अपने मुँह ले कर बताया की वो कैसे करे। वो मेरा अनुसरण करने लगी। फिर तो जैसे मैं जन्नत में पंहुच गया। उस वक़्त मुझे मालूम नहीं था की उसे वाकई अच्छा लग रहा था या मुझे खुश करने क लिए कर रही थी लेकिन बाद में मुझे पता चला उसे मजा आ रहा था। वो ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पायी क्यूंकि उसके मुँह मे दर्द होने लगा। मैंने भी उसे फ़ोर्स नहीं किया चूँकि ये मेरे लिए पहला एक्सपीरियंस था तो मुझे पानी छुटने का भी डर था।
मैंने कंडोम निकाल लिया। मैंने उसे पहले भी फ़ोन पे बता रखा था की कंडोम फ्लेवर मे भी आते है। मैंने पूछा कौन सा फ्लेवर?? उसने स्ट्रोबेरी पसंद किया।
अब वो बिस्तर पे लेटी थी। मैंने कंडोम का पौच जैसे ही फाड़ा।
उसने कहा, “लाओ मुझे दो।”
मैंने पुछा , “तुम्हे आता है लगाना?”
जवाब मे उसने यही सवाल दोहरा दिया
मैंने कहा, “हाँ बिल्कुल आता है मुझे ”
फिर हम दोनों ने मिलकर कंडोम लगाया। सच कंहू तो मुझे अपने आप पे गर्व महसूस हो रहा था की मे बहुत धैर्य से ये सब कर रहा था।
मैं उसकी टांगों के बीच मे आ गया। मैंने उससे पूछा, डालूँ ??
उसने एक गहरी सांस ली और सहमति मे अपना सर हिलाया।
मै अपने लिंग के सुपाडे को उसकी क्लाइटोरिस पे रगड़ने लगा। मुझे लगा की वो फिर से एक्साइट है तो मैंने हलके से थोडा लिंग अन्दर दाल दिया। उसकी हलकी सी चीख निकली।
“बहुत दर्द हो रहा है।” उसने कहा
मै रुक गया।अपना लिंग अन्दर डाले हुए उसके होंठों को चूसने लगा साथ मे मम्मे भी दबाने लग गया। इस बार मे सबसे ज्यादा जोर से दबा रहा था। इतनी देर में मेरा करीब आधे से थोडा कम लिंग अंदर जा चूका था। जब मैंने देखा की दर्द पे उसका ध्यान नहीं है तो इस बार मैंने अचानक से पूरा लिंग डाल दिया। वो दर्द से हाथ पैर मारने लगी। मुझे पीछे की ओर धकलने लगी। लेकिन मैंने अपनी पकड़ बनायीं रखी। मैंने लिंग बाहर नहीं निकलने दिया। अगर वो होटल मे नहीं होती तो शायद वो बहुत जोर से चीखती। मै उसी तरह लिंग डाले हुए फिर से उसे चूमने लगा।
थोड़ी देर में जब उसका दर्द चला गया तो वो पुछी, “क्या सारा अन्दर चला गया??”
मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया, “एस डार्लिंग ”
“पूरा अन्दर चला गया !!!!!” उसने फिर से दोहराया और उठ कर देखने की कोशिश करने लगी।
“हाँ देखो न” मैंने उठने में उसकी मदद करते हुए कहा।कामुकता के पाठको ये मेरी पहली कहानी है
“कितना अजीब है न किसी चीज़ को अपने अन्दर ले लेना।”
उसकी इस बात में मुझे हंसी आ गयी। मैंने कहा, “ये तो नेचुरल है।”
उसने सहमती जतायी। मैंने फिर से धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे उसको भी मजा आने लगा। लेकिन अगर मे गति बढाता था तो उसे दर्द होता था। तब मैंने उसे डौगी पोजीशन के बारे में बताया। अभी तक मैंने उसके कुल्हे नहीं देखे थे तो मेरा भी मन था। वो ये सोच कर तॆयार हो गयी की उस मे दर्द कम हो। जब मैंने अपना लिंग उसकी योनि से निकाला तो देखा मेरे लिंग पे हल्का खून लगा था और पूरा लिंग उसके योनि रस मे सना हुआ था। अब मैंने उसको पेट के बल लिटा दिया। फिर कुल्हे के पास से उसे पीछे की तरफ उठा दिया जिससे वो डौगी पोजीशन मे आ गयी। पहले तो मैंने उसके कुलहो को गौर से देखा। क्या मासल कुल्हे थे। मैंने उसके कुल्हो की तारीफ करते हुए पीछे से उसके योनि मे अपना लिंग डाल दिया। फिर से मैंने शुरुआत धीरे-धीरे ही की। जब उसके कुल्हे मेरे शरीर से टकराते तो अदभुत आनंद मिल रहा था। कभी मै उसके कुल्हे को पकड़ लेता था तो कभी मैं उसके लटकते नारंगियों से खेलने लगता। यही कोई 4 मिनट इस पोजीशन मे अपना लिंग उसकी योनि में अन्दर-बाहर धके लगाता रहा।
फिर जब मुझे लगा में छुट जाऊँगा तो मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा। मैं पीठ के बल लेट गया और वो अपना चेहरा मेरी तरफ करके मेरे लिंग को अपनी योनि मे डालते हुए बैठ गयी। अभी भी उसे पूरा अन्दर लेने में तकलीफ हो रही थी। मैंने उसके कुल्हो को नीचे से अपने हाथों से सहारा देकर धके लगाने शुरु कर दिए। वो भी मेरा साथ दे रही थी। में धयान रख रहा था की अपना पूरा लिंग उसकी योनि मे न डालूँ। 3-5 मिनट हुए होंगे मुझे इस तरह धके लगते हुए फिर मुझे लगा मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने जल्दी से उसको पीठ के बल लिटा दिया और ऊपर आकर उसके टांगो को अपने कंधे पे टिका कर जोर-जोर से धके लगाने लगा। कुछ 12-15 धके के बाद मेरा पानी छुट गया। उसे दर्द तो हो रहा था लेकिन उस दर्द में मजा ज्यादा दिख रहा था। उसके चेहरे पे एक संतोष झलक रहा था।
हम इसी तरह नंगे एक दूसरे से चिपके हुए लेटे रहे। थोड़ी देर मे मैंने उससे बात शुरू की उसे कैसा लगा। जवाब मे उसने मुझे एक गहरा चुम्बन दिया और कहा मेरी स्माइल बहुत प्यारी है।
य
उसने कहा, ‘छि:’।
मैंने कोई जवाब नही दिया। मेरे चेहरे पे मुस्कान थी। पहली बार मैंने ऐसा किया था मुझे भी बहूत अच्छा नहीं लगा। लेकिन फिर भी मैंने उसे ज्यादा एक्साइट करने का सोच के फिर से नमकीन सागर में अपने होंठ लगा दिए। मै उसकी क्लाइटोरिस को चूसने लगा और कभी-कभी उसे काट भी लेता। मैंने पहले ही किताबों मे और फिल्मो मे देखा था की ये लडकियों मे सब से संवेदनशील अंग होता है। मेरे ऐसा करने से वो उत्तेजना में तडपने लगी। मै उसके बूब्स भी दबाने लगा। मैंने ऐसा ज्यादा देर तक नहीं किया। मैं नहीं चाहता था की वो उस वक़्त पानी छोड़े। मैं घुटनों के बल उठा और उसे मेरा लिंग चूसने को कहा। वो राजी नहीं हो रही थी।
मैंने कहा, “नहीं अच्छा लगे तो फिर मत करना।”
फिर वो तैयार हो गयी। उसने मेरे लिंग को हाथ में पकड़ा और थोडा सा अपने होंठों से लगाया। मैंने अन्दर की ओर थोडा दवाब लगाया। उसने अन्दर जाने दिया। लेकिन वो 2 इंच से ज्यादा नहीं ले पायी क्यूंकि उसके मुँह के हिसाब से मेरा लिंग मोटा था। फिर वो मेरे लिंग को चूसते हुए अन्दर बाहर करने लगी। मैंने उसे उसकी ऊँगली अपने मुँह ले कर बताया की वो कैसे करे। वो मेरा अनुसरण करने लगी। फिर तो जैसे मैं जन्नत में पंहुच गया। उस वक़्त मुझे मालूम नहीं था की उसे वाकई अच्छा लग रहा था या मुझे खुश करने क लिए कर रही थी लेकिन बाद में मुझे पता चला उसे मजा आ रहा था। वो ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पायी क्यूंकि उसके मुँह मे दर्द होने लगा। मैंने भी उसे फ़ोर्स नहीं किया चूँकि ये मेरे लिए पहला एक्सपीरियंस था तो मुझे पानी छुटने का भी डर था।
मैंने कंडोम निकाल लिया। मैंने उसे पहले भी फ़ोन पे बता रखा था की कंडोम फ्लेवर मे भी आते है। मैंने पूछा कौन सा फ्लेवर?? उसने स्ट्रोबेरी पसंद किया।
अब वो बिस्तर पे लेटी थी। मैंने कंडोम का पौच जैसे ही फाड़ा।
उसने कहा, “लाओ मुझे दो।”
मैंने पुछा , “तुम्हे आता है लगाना?”
जवाब मे उसने यही सवाल दोहरा दिया
मैंने कहा, “हाँ बिल्कुल आता है मुझे ”
फिर हम दोनों ने मिलकर कंडोम लगाया। सच कंहू तो मुझे अपने आप पे गर्व महसूस हो रहा था की मे बहुत धैर्य से ये सब कर रहा था।
मैं उसकी टांगों के बीच मे आ गया। मैंने उससे पूछा, डालूँ ??
उसने एक गहरी सांस ली और सहमति मे अपना सर हिलाया।
मै अपने लिंग के सुपाडे को उसकी क्लाइटोरिस पे रगड़ने लगा। मुझे लगा की वो फिर से एक्साइट है तो मैंने हलके से थोडा लिंग अन्दर दाल दिया। उसकी हलकी सी चीख निकली।
“बहुत दर्द हो रहा है।” उसने कहा
मै रुक गया।अपना लिंग अन्दर डाले हुए उसके होंठों को चूसने लगा साथ मे मम्मे भी दबाने लग गया। इस बार मे सबसे ज्यादा जोर से दबा रहा था। इतनी देर में मेरा करीब आधे से थोडा कम लिंग अंदर जा चूका था। जब मैंने देखा की दर्द पे उसका ध्यान नहीं है तो इस बार मैंने अचानक से पूरा लिंग डाल दिया। वो दर्द से हाथ पैर मारने लगी। मुझे पीछे की ओर धकलने लगी। लेकिन मैंने अपनी पकड़ बनायीं रखी। मैंने लिंग बाहर नहीं निकलने दिया। अगर वो होटल मे नहीं होती तो शायद वो बहुत जोर से चीखती। मै उसी तरह लिंग डाले हुए फिर से उसे चूमने लगा।
थोड़ी देर में जब उसका दर्द चला गया तो वो पुछी, “क्या सारा अन्दर चला गया??”
मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया, “एस डार्लिंग ”
“पूरा अन्दर चला गया !!!!!” उसने फिर से दोहराया और उठ कर देखने की कोशिश करने लगी।
“हाँ देखो न” मैंने उठने में उसकी मदद करते हुए कहा।कामुकता के पाठको ये मेरी पहली कहानी है
“कितना अजीब है न किसी चीज़ को अपने अन्दर ले लेना।”
उसकी इस बात में मुझे हंसी आ गयी। मैंने कहा, “ये तो नेचुरल है।”
उसने सहमती जतायी। मैंने फिर से धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे उसको भी मजा आने लगा। लेकिन अगर मे गति बढाता था तो उसे दर्द होता था। तब मैंने उसे डौगी पोजीशन के बारे में बताया। अभी तक मैंने उसके कुल्हे नहीं देखे थे तो मेरा भी मन था। वो ये सोच कर तॆयार हो गयी की उस मे दर्द कम हो। जब मैंने अपना लिंग उसकी योनि से निकाला तो देखा मेरे लिंग पे हल्का खून लगा था और पूरा लिंग उसके योनि रस मे सना हुआ था। अब मैंने उसको पेट के बल लिटा दिया। फिर कुल्हे के पास से उसे पीछे की तरफ उठा दिया जिससे वो डौगी पोजीशन मे आ गयी। पहले तो मैंने उसके कुलहो को गौर से देखा। क्या मासल कुल्हे थे। मैंने उसके कुल्हो की तारीफ करते हुए पीछे से उसके योनि मे अपना लिंग डाल दिया। फिर से मैंने शुरुआत धीरे-धीरे ही की। जब उसके कुल्हे मेरे शरीर से टकराते तो अदभुत आनंद मिल रहा था। कभी मै उसके कुल्हे को पकड़ लेता था तो कभी मैं उसके लटकते नारंगियों से खेलने लगता। यही कोई 4 मिनट इस पोजीशन मे अपना लिंग उसकी योनि में अन्दर-बाहर धके लगाता रहा।
फिर जब मुझे लगा में छुट जाऊँगा तो मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा। मैं पीठ के बल लेट गया और वो अपना चेहरा मेरी तरफ करके मेरे लिंग को अपनी योनि मे डालते हुए बैठ गयी। अभी भी उसे पूरा अन्दर लेने में तकलीफ हो रही थी। मैंने उसके कुल्हो को नीचे से अपने हाथों से सहारा देकर धके लगाने शुरु कर दिए। वो भी मेरा साथ दे रही थी। में धयान रख रहा था की अपना पूरा लिंग उसकी योनि मे न डालूँ। 3-5 मिनट हुए होंगे मुझे इस तरह धके लगते हुए फिर मुझे लगा मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने जल्दी से उसको पीठ के बल लिटा दिया और ऊपर आकर उसके टांगो को अपने कंधे पे टिका कर जोर-जोर से धके लगाने लगा। कुछ 12-15 धके के बाद मेरा पानी छुट गया। उसे दर्द तो हो रहा था लेकिन उस दर्द में मजा ज्यादा दिख रहा था। उसके चेहरे पे एक संतोष झलक रहा था।
हम इसी तरह नंगे एक दूसरे से चिपके हुए लेटे रहे। थोड़ी देर मे मैंने उससे बात शुरू की उसे कैसा लगा। जवाब मे उसने मुझे एक गहरा चुम्बन दिया और कहा मेरी स्माइल बहुत प्यारी है।
य
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.