29-01-2023, 11:40 AM
फिर क्या मेरी बेताबी और बढती गयी और मैं मई महीने का इंतज़ार करने लगा। हमने ऐसा कोई प्लान नहीं किया था की हमें सेक्स करना है वैसे मेरे दिमाग में कुछ तो था ,लेकिन कोई फिक्स्ड नहीं था क्या करना है कैसे करना है। क्यूंकि मैं वर्जिन था। मैंने बस पोर्न में ही देखा था। अक्सर पोर्न देखते हुए masterbate (मुठ मारना) किया करता था। इतना ही नहीं एक दिन में 3-4बार masterbate जरुर कर लेता था। सेक्स चैट करते हुए भी बहुत बार किया था। लेकिन masterbate करना और सेक्स करने में बहुत फर्क होता है। जो भी हो मैंने घर में ही सारा इन्तेजाम कर लिया था। घर से निकलने से 2-3 दिनों पहले मैंने अपने प्यूबिक हेयर को शेव किया। 3 पैकेट कंडोम्स MF अलग अलग फ्लेवर्स के रख लिए।
एग्जाम के एक दिन पहले मैं पुणे पंहुच गया। उसी दिन मैं उससे मिलने उसके कॉलेज पंहुचा। ये थी हमारी पहली मुलाक़ात। वो अपने कुछ दोस्तों के साथ थी, मैं भी अपने पुणे वाले दोस्त क साथ था। मैं तो काफी शर्मा रहा था क्यूंकि ये मेरी पहली डेट थी। उसे भी थोड़ी शर्म आ रही थी। उसने ब्लैक जींस और वाइट टॉप पहना था। उसकी फिगर थी 34 28 32 जैसा की उसने फ़ोन पे बताया था। थोड़ी देर में हमारे दोस्त चले गए। हम दोनों कॉलेज कैंपस मे ही बेंच पे बैठे थे। मैं अभी भी शर्म से उसकी तरफ नहीं देख पा रहा था। आखिर उसने कह ही दिया की “तुम तो लड़की की तरह शरमा रहे हो।”
मैं झेंप गया और कहा “नहीं मै कंहा शरमा रहा हूँ।”
मैंने इधर -उधर नजरे दौड़ाई दूर में कुछ लोग थे पर वो हमारी तरफ नही देख रहे थे। मैं अपनी बात साबित करने के लिए उसके गालो को चूमने के लिए बढ़ा। लेकिन वो मुझसे दूर हो गयी।
देखा, “मैं नहीं शरमा रहा हूँ, तुम शरमा रही हो।”
फिर हम इधर-उधर की बातें करने लगे। कॉलेज कैंटीन से वो मेरे लिए कुछ खाने को ले कर आई थी। हमने साथ-साथ खाया। फिर थोड़ी देर में मै वंहा से चला आया। चूँकि मेरा दोस्त हॉस्टल मे रहता था तो मैंने ठहरने के लिए होटल ले लिया था।
अगले दिन ही मेरा एग्जाम भी था। हमारा प्लान था की हम मेरे एग्जाम के बाद मिलेंगे। लेकिन मेरा मन अब एग्जाम देने का नहीं था।
होटल आने के बाद मैंने रात को उससे कहा की,”मेरा एग्जाम देने का मन नहीं है और वैसे भी ये बहुत जरुरी एग्जाम नहीं है।” तुम सुबह को ही होटल आ जाओ।
उसने भी हामी भर दी। शायद वो भी मेरे साथ ज्यादा समय बिताना चाहती थी।
अगले दिन सुबह मै जल्दी जागकर फ्रेश होकर उसका इंतज़ार करने लगा।मैंने उस दिन जीन्स और शर्ट पहनी थी। मैंने कंडोम का एक पैकेट जिन्स मे रख लिया ताकि जरुरत पढने पे ढूंढना न पड़े। करीब आधे घंटे बाद वो आ गयी। उसे होटल में जाने में बहुत डर लग रहा था।कामुकता के पाठको ये मेरी पहली कहानी है
मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “बिना कुछ बात किये मेरे साथ चलो।”
थोड़ी ही देर में हम होटल के कमरे में थे। वो आकर बेड पे बैठ गयी। मैंने टी वी ओन किया। मै उससे थोड़ी दूर जा बैठा। आज उसने सलवार कमीज पहना हुआ था। उसके बाल खुले हुए थे और कानो में एअरिंग लटक रहे थे। हम टी वी देखते हुए बात करने लगे। मैं अभी भी उसकी तरफ देख नहीं पा रहा था। कुछ समय बाद हमने ब्रेकफास्ट में चाय और ब्रेड आमलेट मँगा लिया।
चाय खत्म करने के बाद हमने बेड पे ही ब्रेड आमलेट खाना शुरु किया। खाते हुए भी हमारी बातचीत जारी थी। अचानक से मैंने उसे होंठों पे किस किया और करता ही चला गया, लगभग 30 सेकंड मेरे होंठ उसके होंठो से चिपके रहे। वो मुझसे दूर नहीं जा पायी। उसने अपनी आँखें बंद कर ली। ये मेरा,उसका और हमारा पहला किश था। जब मैंने उसे छोड़ा तो वो मुझसे नजरे नहीं मिला पा रही थी। उसकी सांसें तेज़ हो गयी थी और वो बेड पे लेट गयी। हमने खाना खत्म नहीं किया था। मैंने उसे हाथ पकड़ कर बिठाने की कोशिश की…मैंने उसे खाने को कहा, उसने कुछ जबाव नहीं दिया बस ना मे गर्दन हिला दी। मेरी भी धड़कने तेज़ हो चली थी। उस के बाद हम खाने की हालत में नहीं थे।
वो अभी भी बिस्तर पे ही लेटी थी पर शायद थोड़ी डरी हुई थी। मैं भी बिस्तर पर उसके बगल में लेट गया। उसने अपनी आँखें बंद की हुई थी। बगल में लेटे हुए ही मैं उसे निहारने लगा। उसकी सांसें अभी भी तेज़ थी और मैं उसके स्तनों को ऊपर नीचे होता देख पा रहा था। इसी तरह लेटे-लेटे मैं अपने होठों को उसके होठों के करीब ले गया। मेरी सांसें उसकी सांसो से मिल रही थी। उसकी सांसें और भी तेज़ हो गयी और अब तो उसके स्तन साफ-साफ नीचे-ऊपर होते दिखाई दे रहे थे। मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लग रहा था। मेरा लिंग मे तनाव में आ चूका था और शायद उसके स्तन भी शख्त हो चुके थे। फिर मेरे होंठो ने उसके होठों से मिलने मे देरी नहीं की। ये चुम्बन पिछली बार से ज्यादा गहरा और प्रगाढ़ था। मैं उसके दोनों होंठों का रस ले रहा था। चंद सेकंडो में वो भी मेरा साथ देने लगी। उसके हाथ कुछ हरकत में आये। शायद वो मुझे गले लगाना चाहती थी। पर मैं बगल से उसके ऊपर था तो उसने मुझे गर्दन से पकड़ कर और भी ज्यादा करीब खिंच लिया। मुझे और ज्यादा जोश आ गया। मैं पागलों की तरह उसके नरम होठों को चूसने लग गया। अकस्मात ही मेरा बायाँ हाँथ उसके स्तनों पे चला गया और उसके दाहिने गोलाइयों को दबाने लग गया। मेरा अनुमान सही था, वो काफी सख्त हो चुके थे। उसने एक जोर की आंह भरी और मेरी गर्दन पे उसका दबाव बढ़ गया। मैंने चूमना नहीं छोड़ा था। फिर मैं थोडा उठा और दोनों हाथों से दोनों स्तनों को दबाते हुए उसके गालो से होते हुए उसके गर्दन और सीने को चूमने लगा। वो जोर-जोर से आहें भरती गयी।
अब मैंने उसे चूमना छोड़ कर उसके स्तनों की तरफ ध्यान दिया।उसकी सांसें थोड़ी थमी हुई थी। मैंने गले के तरफ से कमीज़ में हाथ डाल कर उसके स्तनों को छुआ और कमीज़ थोड़ी ऊपर करके उसके सख्त हो चुके स्तनों को देखने की कोशिश कर रहा था।उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी।मैं उसके स्तनों का कुछ ही भाग देख पा रहा था।
उसने अपनी आँखें खोली और मुझे देखते हुए उसने कहा, “मत करो।”
लेकिन मैं नहीं रुका या फिर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। मैं जल्द से जल्द उसके गोलाइयों को निहारना चाहता था। मैं कमीज़ के गले की ओर से ही उन दो उभारो को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा।
उसने कहा, “ये ऐसे बाहर नहीं आयेंगे। ”
मैंने जल्दी से उसकी कमीज़ नीचे से गर्दन तक मोड़ दिया। अब मै उसके कप्नुमा ब्रा देख सकता था। पर मुझे फिर भी चैन नहीं मिला और मै कमीज़ को पूरा निकालने लगा।
उसने आपत्ति जताते हुए कहा, “अब पूरा बाहर निकालोगे क्या??”
मैंने कहा, “हाँ प्लीज निकालो न।”
वो उठकर बैठी और अपनी कमीज़ निकाल दी। बैठे बैठे ही मैं दोनों हाथों से उसके नारंगियो को प्यार से गोलाई में मसलने लगा। और फिर से मैंने अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिया। चुमते हुए मैंने ब्रा के कप को बूब्स के ऊपर खिसका दिया। पहली बार मै उसके नगन बूब्स को अपने हाथो में ले रखा था। ये मेरे अन्दर तूफान से कम नहीं था। मैंने अपने लिंग को इतना सख्त कभी नहीं महसूस किया था जितना की आज कर रहा था। मैंने चूमना छोड़ दिया और उसके स्तनों के दर्शन करने लगा। उसके निप्पलस नुकीले और हलके ब्राउन रंग के थे और उसके आस-पास का घेरा 2 रुपये के सिक्के के माप का था। जल्दी ही उसके निप्पल मेरे मुँह मे थे। मैं उसके दायें निप्पल को चूस रहा था और दूसरा मेरे दायें हथेली मे कैद था। उसने फिर से एक गहरी सांस लेते हुए आंह भरी। उसने जोर से मेरा सर पकड़ लिया और उसका सर पीछे की ओर लटका रहा था। मैंने उसके निप्पल को चूसते हुए ही अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ की तरफ ब्रा के हूक्स के पास ले जाकर उसे बिस्तर पे लिटा दिया। फिर मैं ब्रा के हूक्स को खोलने की कोशिश करने लगा। जब मेरी कोशिश के बाद भी हुक नहीं निकला तो मैंने कहा, “ये कैसे निकलेगा।”
इस बार उसने बिना कुछ कहे मेरी तरफ देखा और थोडा ऊपर उठकर ब्रा के हूक्स खोल दिए। बाकी का काम पूरा करने में मैंने उसकी मदद की। अब उसके कमर से ऊपर कोई भी कपडे नहीं थे। मैं उसके स्तनों को टक टकी लगा कर देख रहा था। वो कभी अपनी आँखें खोलती कभी बंद कर लेती। शायद वो देखना चाहती थी मैं क्या कर रहा हूँ। मैंने उसके बूब्स को निहारते हुए अपना शर्ट निकाल लिया। मैंने शर्ट के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था तो मैं उसकी ही अवस्था मैं आ गया। मैं फिर से उसके होठों को चूसने लगा। फिर तेज़ी से उसकी गर्दन और बूब्स चुमते हुए उसकी नाभि के पास जा पंहुचा। मैं उसकी नाभि पे हल्की-हल्की जीभ फेर रहा था। उसकी आँखें मटक रही थी और नाभि का भाग कॉप रहा था जैसे मैं तरंगे छोड़ रहा हूँ। ये देख मुझे मर्डर फिल्म का हॉट सीन याद आ गया था। मैं फिर भी जीभ फेरता रहा और वो पलट कर पेट के बल हो गयी मैंने उसकी पीठ पर जीभ चलाना जारी रखा। उसकी पीठ पे थोड़े सर के बाल आ रहे थे जिसे मैंने हाथों से हटाकर एक ओर कर दिया। मैं पूरी तरह से उसके ऊपर आकर उसके हाथों को अपने हाथों से दबाकर गर्दन से लेकर कमर तक बेतहासा चूमने लगा। फिर मैंने उसे पीठ के बल लिटा दिया और एक तरफ लेट कर उसके बूब्स को चूसने और दबाने लगा। वो फिर से आहें भरने लगी। मैं उसके निप्पलस से भी खेल रहा था और बारी-बारी से दोनों को चूस रहा था। बीच -बीच में मैं उसके मुलायम मम्मो को काट लेता था। ये उसे पसंद आ रहा था क्यूंकि उसने मुझे ऐसा कहा ।
एग्जाम के एक दिन पहले मैं पुणे पंहुच गया। उसी दिन मैं उससे मिलने उसके कॉलेज पंहुचा। ये थी हमारी पहली मुलाक़ात। वो अपने कुछ दोस्तों के साथ थी, मैं भी अपने पुणे वाले दोस्त क साथ था। मैं तो काफी शर्मा रहा था क्यूंकि ये मेरी पहली डेट थी। उसे भी थोड़ी शर्म आ रही थी। उसने ब्लैक जींस और वाइट टॉप पहना था। उसकी फिगर थी 34 28 32 जैसा की उसने फ़ोन पे बताया था। थोड़ी देर में हमारे दोस्त चले गए। हम दोनों कॉलेज कैंपस मे ही बेंच पे बैठे थे। मैं अभी भी शर्म से उसकी तरफ नहीं देख पा रहा था। आखिर उसने कह ही दिया की “तुम तो लड़की की तरह शरमा रहे हो।”
मैं झेंप गया और कहा “नहीं मै कंहा शरमा रहा हूँ।”
मैंने इधर -उधर नजरे दौड़ाई दूर में कुछ लोग थे पर वो हमारी तरफ नही देख रहे थे। मैं अपनी बात साबित करने के लिए उसके गालो को चूमने के लिए बढ़ा। लेकिन वो मुझसे दूर हो गयी।
देखा, “मैं नहीं शरमा रहा हूँ, तुम शरमा रही हो।”
फिर हम इधर-उधर की बातें करने लगे। कॉलेज कैंटीन से वो मेरे लिए कुछ खाने को ले कर आई थी। हमने साथ-साथ खाया। फिर थोड़ी देर में मै वंहा से चला आया। चूँकि मेरा दोस्त हॉस्टल मे रहता था तो मैंने ठहरने के लिए होटल ले लिया था।
अगले दिन ही मेरा एग्जाम भी था। हमारा प्लान था की हम मेरे एग्जाम के बाद मिलेंगे। लेकिन मेरा मन अब एग्जाम देने का नहीं था।
होटल आने के बाद मैंने रात को उससे कहा की,”मेरा एग्जाम देने का मन नहीं है और वैसे भी ये बहुत जरुरी एग्जाम नहीं है।” तुम सुबह को ही होटल आ जाओ।
उसने भी हामी भर दी। शायद वो भी मेरे साथ ज्यादा समय बिताना चाहती थी।
अगले दिन सुबह मै जल्दी जागकर फ्रेश होकर उसका इंतज़ार करने लगा।मैंने उस दिन जीन्स और शर्ट पहनी थी। मैंने कंडोम का एक पैकेट जिन्स मे रख लिया ताकि जरुरत पढने पे ढूंढना न पड़े। करीब आधे घंटे बाद वो आ गयी। उसे होटल में जाने में बहुत डर लग रहा था।कामुकता के पाठको ये मेरी पहली कहानी है
मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “बिना कुछ बात किये मेरे साथ चलो।”
थोड़ी ही देर में हम होटल के कमरे में थे। वो आकर बेड पे बैठ गयी। मैंने टी वी ओन किया। मै उससे थोड़ी दूर जा बैठा। आज उसने सलवार कमीज पहना हुआ था। उसके बाल खुले हुए थे और कानो में एअरिंग लटक रहे थे। हम टी वी देखते हुए बात करने लगे। मैं अभी भी उसकी तरफ देख नहीं पा रहा था। कुछ समय बाद हमने ब्रेकफास्ट में चाय और ब्रेड आमलेट मँगा लिया।
चाय खत्म करने के बाद हमने बेड पे ही ब्रेड आमलेट खाना शुरु किया। खाते हुए भी हमारी बातचीत जारी थी। अचानक से मैंने उसे होंठों पे किस किया और करता ही चला गया, लगभग 30 सेकंड मेरे होंठ उसके होंठो से चिपके रहे। वो मुझसे दूर नहीं जा पायी। उसने अपनी आँखें बंद कर ली। ये मेरा,उसका और हमारा पहला किश था। जब मैंने उसे छोड़ा तो वो मुझसे नजरे नहीं मिला पा रही थी। उसकी सांसें तेज़ हो गयी थी और वो बेड पे लेट गयी। हमने खाना खत्म नहीं किया था। मैंने उसे हाथ पकड़ कर बिठाने की कोशिश की…मैंने उसे खाने को कहा, उसने कुछ जबाव नहीं दिया बस ना मे गर्दन हिला दी। मेरी भी धड़कने तेज़ हो चली थी। उस के बाद हम खाने की हालत में नहीं थे।
वो अभी भी बिस्तर पे ही लेटी थी पर शायद थोड़ी डरी हुई थी। मैं भी बिस्तर पर उसके बगल में लेट गया। उसने अपनी आँखें बंद की हुई थी। बगल में लेटे हुए ही मैं उसे निहारने लगा। उसकी सांसें अभी भी तेज़ थी और मैं उसके स्तनों को ऊपर नीचे होता देख पा रहा था। इसी तरह लेटे-लेटे मैं अपने होठों को उसके होठों के करीब ले गया। मेरी सांसें उसकी सांसो से मिल रही थी। उसकी सांसें और भी तेज़ हो गयी और अब तो उसके स्तन साफ-साफ नीचे-ऊपर होते दिखाई दे रहे थे। मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लग रहा था। मेरा लिंग मे तनाव में आ चूका था और शायद उसके स्तन भी शख्त हो चुके थे। फिर मेरे होंठो ने उसके होठों से मिलने मे देरी नहीं की। ये चुम्बन पिछली बार से ज्यादा गहरा और प्रगाढ़ था। मैं उसके दोनों होंठों का रस ले रहा था। चंद सेकंडो में वो भी मेरा साथ देने लगी। उसके हाथ कुछ हरकत में आये। शायद वो मुझे गले लगाना चाहती थी। पर मैं बगल से उसके ऊपर था तो उसने मुझे गर्दन से पकड़ कर और भी ज्यादा करीब खिंच लिया। मुझे और ज्यादा जोश आ गया। मैं पागलों की तरह उसके नरम होठों को चूसने लग गया। अकस्मात ही मेरा बायाँ हाँथ उसके स्तनों पे चला गया और उसके दाहिने गोलाइयों को दबाने लग गया। मेरा अनुमान सही था, वो काफी सख्त हो चुके थे। उसने एक जोर की आंह भरी और मेरी गर्दन पे उसका दबाव बढ़ गया। मैंने चूमना नहीं छोड़ा था। फिर मैं थोडा उठा और दोनों हाथों से दोनों स्तनों को दबाते हुए उसके गालो से होते हुए उसके गर्दन और सीने को चूमने लगा। वो जोर-जोर से आहें भरती गयी।
अब मैंने उसे चूमना छोड़ कर उसके स्तनों की तरफ ध्यान दिया।उसकी सांसें थोड़ी थमी हुई थी। मैंने गले के तरफ से कमीज़ में हाथ डाल कर उसके स्तनों को छुआ और कमीज़ थोड़ी ऊपर करके उसके सख्त हो चुके स्तनों को देखने की कोशिश कर रहा था।उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी।मैं उसके स्तनों का कुछ ही भाग देख पा रहा था।
उसने अपनी आँखें खोली और मुझे देखते हुए उसने कहा, “मत करो।”
लेकिन मैं नहीं रुका या फिर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। मैं जल्द से जल्द उसके गोलाइयों को निहारना चाहता था। मैं कमीज़ के गले की ओर से ही उन दो उभारो को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा।
उसने कहा, “ये ऐसे बाहर नहीं आयेंगे। ”
मैंने जल्दी से उसकी कमीज़ नीचे से गर्दन तक मोड़ दिया। अब मै उसके कप्नुमा ब्रा देख सकता था। पर मुझे फिर भी चैन नहीं मिला और मै कमीज़ को पूरा निकालने लगा।
उसने आपत्ति जताते हुए कहा, “अब पूरा बाहर निकालोगे क्या??”
मैंने कहा, “हाँ प्लीज निकालो न।”
वो उठकर बैठी और अपनी कमीज़ निकाल दी। बैठे बैठे ही मैं दोनों हाथों से उसके नारंगियो को प्यार से गोलाई में मसलने लगा। और फिर से मैंने अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिया। चुमते हुए मैंने ब्रा के कप को बूब्स के ऊपर खिसका दिया। पहली बार मै उसके नगन बूब्स को अपने हाथो में ले रखा था। ये मेरे अन्दर तूफान से कम नहीं था। मैंने अपने लिंग को इतना सख्त कभी नहीं महसूस किया था जितना की आज कर रहा था। मैंने चूमना छोड़ दिया और उसके स्तनों के दर्शन करने लगा। उसके निप्पलस नुकीले और हलके ब्राउन रंग के थे और उसके आस-पास का घेरा 2 रुपये के सिक्के के माप का था। जल्दी ही उसके निप्पल मेरे मुँह मे थे। मैं उसके दायें निप्पल को चूस रहा था और दूसरा मेरे दायें हथेली मे कैद था। उसने फिर से एक गहरी सांस लेते हुए आंह भरी। उसने जोर से मेरा सर पकड़ लिया और उसका सर पीछे की ओर लटका रहा था। मैंने उसके निप्पल को चूसते हुए ही अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ की तरफ ब्रा के हूक्स के पास ले जाकर उसे बिस्तर पे लिटा दिया। फिर मैं ब्रा के हूक्स को खोलने की कोशिश करने लगा। जब मेरी कोशिश के बाद भी हुक नहीं निकला तो मैंने कहा, “ये कैसे निकलेगा।”
इस बार उसने बिना कुछ कहे मेरी तरफ देखा और थोडा ऊपर उठकर ब्रा के हूक्स खोल दिए। बाकी का काम पूरा करने में मैंने उसकी मदद की। अब उसके कमर से ऊपर कोई भी कपडे नहीं थे। मैं उसके स्तनों को टक टकी लगा कर देख रहा था। वो कभी अपनी आँखें खोलती कभी बंद कर लेती। शायद वो देखना चाहती थी मैं क्या कर रहा हूँ। मैंने उसके बूब्स को निहारते हुए अपना शर्ट निकाल लिया। मैंने शर्ट के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था तो मैं उसकी ही अवस्था मैं आ गया। मैं फिर से उसके होठों को चूसने लगा। फिर तेज़ी से उसकी गर्दन और बूब्स चुमते हुए उसकी नाभि के पास जा पंहुचा। मैं उसकी नाभि पे हल्की-हल्की जीभ फेर रहा था। उसकी आँखें मटक रही थी और नाभि का भाग कॉप रहा था जैसे मैं तरंगे छोड़ रहा हूँ। ये देख मुझे मर्डर फिल्म का हॉट सीन याद आ गया था। मैं फिर भी जीभ फेरता रहा और वो पलट कर पेट के बल हो गयी मैंने उसकी पीठ पर जीभ चलाना जारी रखा। उसकी पीठ पे थोड़े सर के बाल आ रहे थे जिसे मैंने हाथों से हटाकर एक ओर कर दिया। मैं पूरी तरह से उसके ऊपर आकर उसके हाथों को अपने हाथों से दबाकर गर्दन से लेकर कमर तक बेतहासा चूमने लगा। फिर मैंने उसे पीठ के बल लिटा दिया और एक तरफ लेट कर उसके बूब्स को चूसने और दबाने लगा। वो फिर से आहें भरने लगी। मैं उसके निप्पलस से भी खेल रहा था और बारी-बारी से दोनों को चूस रहा था। बीच -बीच में मैं उसके मुलायम मम्मो को काट लेता था। ये उसे पसंद आ रहा था क्यूंकि उसने मुझे ऐसा कहा ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.