29-01-2023, 10:43 AM
कहानी है आज से 14साल पहले की मतलब साल २००९ की | उस वक़्त मैं १२वी पास कर चुका था और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था यानी की एक साल ड्रॉप आउट था | मेरा एक दोस्त जो की मेरा बैचमेट था उसने साल २००८ मे ही पुणे के एक फेमस कालेज मे दाखिला ले लिया था | मेरा पहला प्यार मुझे मेरे इसी दोस्त की वजह से ही मिला था |
हुआ यूँ की ये मेरा दोस्त पहले सेमेस्टर के बाद अपने घर गवालियर आया हुआ था, मैं भी उस वक़्त वही आया हुआ था | ह्म शुरू से ही काफ़ी अच्छे दोस्त रहे है | ३१ दिसम्बर की रात को हम आपस मे गप्पे लड़ा रहे थे, मैं उससे उसके कालेज के बारे मे पूछ रहा था | जाहिर है लड़कियों की बात तो निकलनी ही थी, मैने उससे पूछा की कॉलेज मे कोई गर्लफ़्रंड बनाया है क्या ? . . उसने कहा नही अभी कोई मिली नही वैसी | मैने मज़ाक मे ही कहा फिर मुझे कोई दिला दे अपने कॉलेज वाली | उसने भी मज़ाक मे ही अपने कॉलेज की एक लड़की का नंबर दे दिया | उस लड़की का नाम था ‘अनामिका घोष’ |
हुआ यूँ की ये मेरा दोस्त पहले सेमेस्टर के बाद अपने घर गवालियर आया हुआ था, मैं भी उस वक़्त वही आया हुआ था | ह्म शुरू से ही काफ़ी अच्छे दोस्त रहे है | ३१ दिसम्बर की रात को हम आपस मे गप्पे लड़ा रहे थे, मैं उससे उसके कालेज के बारे मे पूछ रहा था | जाहिर है लड़कियों की बात तो निकलनी ही थी, मैने उससे पूछा की कॉलेज मे कोई गर्लफ़्रंड बनाया है क्या ? . . उसने कहा नही अभी कोई मिली नही वैसी | मैने मज़ाक मे ही कहा फिर मुझे कोई दिला दे अपने कॉलेज वाली | उसने भी मज़ाक मे ही अपने कॉलेज की एक लड़की का नंबर दे दिया | उस लड़की का नाम था ‘अनामिका घोष’ |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.