29-01-2023, 08:26 AM
पत्नी के अधिकांश समय घर पर ना रहने के कारण मुझे नौकरानी रखनी पड़ी। ऐसी नौकरानी चाहिये थी जो सुबह मेरे ऑफिस जाने से पहले आ कर घर को साफ कर दे और मेरे लिये नाश्ता बना कर दोपहर का खाना बना कर दे दे। बाद में शाम को आने पर रात के लिये भी खाना बना दे। कई औरतें आयी लेकिन सुबह जल्दी आने के लिये कोई तैयार नहीं हो रही थी। मुझे लगा कि नौकरानी की मेरी तलाश पुरी नहीं हो पायेगी। लेकिन एक दिन शनिवार को एक 30 एक साल की महिला आयी और बोली कि वह मेरे यहां काम करने के लिये आयी है मैंने उसे अपनी शर्तो के बारें में बताया तो वह बोली कि वह अभी खाली है अगर उसे यहां काम मिल जायेगा तो वह कहीं और काम नहीं करेंगी।
उस ने जो मेहनताना माँगा वह मुझे ज्यादा नहीं लगा इस लिये मैंने हां कर दी। मैंने उसे सारा घर दिखाया और बताया कि उसे क्या क्या करना है। वह कुछ नहीं बोली नहीं, मैंने उस से कहा कि वह आज से ही काम शुरु कर सकती है, खाना बना दे ताकि मैं उसे बता सकुँ कि मुझें कैसा खाना पसन्द है? उस ने सहमति में सिर हिलाया और किचन की तरफ चल दी। मैंने उसे किचन में रखे सामान के बारे में बताया और उस से कहा कि वह एक सब्जी या दाल के साथ फुल्कें बना दे। वह हाथ धो कर आटा गुधने में लग गयी और मैं बाहर आ गया। एक घंटे बाद वह ड्राइग रुम में खाना ले कर आ गयी और बोली कि आप खाना खा कर बताये कि कैसा बना है? मैंने मेज पर लगे खाने को देखा तो लगा कि इस को खाना बनाने और खिलाने की तमीज है।
मैं हाथ धोने चला गया और आ कर मेज पर खाना खाने बैठ गया। रोटी का कौर तोड़ कर सब्जी ले कर मुँह में डाला तो लगा कि खाना स्वादिस्ट बना है। मैं जब तक खाना खाता रहा वह पास में ही खड़ी रही। खाना खत्म करने के बाद उस ने मुझ से पुछा कि साहब खाना कैसा बना था? मैं उस की तरफ देख कर कहा कि सही था ऐसा ही बनाया करों। मेरी बात सुन कर वह बोली कि साहब आगे से ऐसा ही खाना बनाया करुंगी। यह कह कर वह खाने के बरतन उठा कर किचन में चली गयी। इस के बाद मैं उसे घर में सफाई करने के बारें में बताता रहा। वह मेरी बातें सुनती रही और सफाई करती रही।
मैंने नोट किया की उसे खाना बनाने और सफाई करने में दो घंटे से ज्यादा का समय लगा था। जब वह चलने लगी तो उस से पुछा कि वह शाम को कितने बजे आये? मैंने कहा कि सात बजे तक आ सकती है। मैंने उस से पुछा कि रात को ज्यादा देर होने से उसे परेशानी तो नहीं होगी तो वह बोली कि उसे कोई परेशानी नहीं होगी। वह नौ बजे तक घर जा सकती है। यह कह कर वह चली गयी।
उस के जाने के बाद मैंने घर घुम कर देखा तो लगा कि सफाई सही हुई है। मेरे मन में यह शंका थी कि पता नहीं यह कब तक काम करेगी? खाना खा कर मैं सो गया। जब जागा तो शाम के पांच बज रहे थे। चाय बना कर पीने बैठ गया। छः बजे काम वाली जो आज सुबह रखी थी आ गयी वह बोली कि साहब देर ना हो जाये इस लिये जल्दी घर से निकल पड़ी थी, एक दो दिन में अंदाजा लग जायेगा कि मुझे घर से यहां तक आने में कितनी देर लगेगी, इस पर मैंने पुछा कि वह कहाँ से आती है तो उस ने बताया कि उस का घर यहां से 3-4 किलोमीटर दूर है वह वहां से पैदल ही आती है। मुझे लगा कि रात में यह इतनी दूर कैसे जायेगी।
मैंने पुछा कि रात को जाने में कोई परेशानी तो नहीं होगी तो वह बोली कि नहीं साहब रोड़ पर भीड़ रहती है इस लिये कोई डर नहीं लगेगा। उस की यह बात सुन कर मुझे चैन मिला। वह अपना राशन कार्ड लायी थी उस की कॉपी मैंने अपने पास रख ली। एक घंटे में रात का खाना बना कर वह चली गयी। खाना लगाने से मैंने उसे मना कर दिया कि मैं रात को खुद लगा लुंगा। यह सुन कर वह चली गयी।
उस के जाने के बाद मुझे लगा कि बीवी की गैर मौजुदगी में घर की सफाई और मेरे खाने की समस्या शायद हल हो गयी है। दूसरें दिन वह सुबह जल्दी आ गयी मैं उठ कर चाय बनाने की सोच ही रहा था। वह आ कर बोली कि साहव आप के लिये चाय बनाऊं तो मैंने हां कहा और कहा कि वह अपने लिये भी चाय बना ले। वह यह सुन कर खुश हो कर चली गयी। मुझे पता था कि वह घर से कुछ खा कर नहीं आयी होगी। चाय पी कर मैं नहाने चला गया। वह जब नाश्ता बना रही थी तो मैंने किचन में जा कर उस से पुछा कि वह सुबह कुछ खा कर आयी है तो उस ने ना में सर हिला दिया।
मैंने उस से कहा कि वह अपने लिये भी नाश्ता बना ले और सफाई करने से पहले नाश्ता कर ले। खाली पेट काम करना गलत है उस ने सर हिला दिया।
नाश्ते में आलु के पराठें बनाये थे, स्वाद सही सा था। इतने सालों से पत्नी के हाथों के स्वाद की आदत थी सो किसी और के हाथों की बनी चीज इतनी जल्दी कहां समझ में आने वाली थी। बीना हां यही नाम था मेरी काम करने वाली का। नाश्ता करने के बाद वह घर साफ करने में लग गयी और उस के बाद मुझ से पुछ कर दोपहर का खाना बना कर चली गयी। इस सब काम में कोई दो से ढाई घंटें का समय लगा था इस का मतलब था कि उसे छः साढें छः बजे मेरे यहां आना पड़ेगा और इस के लिये उसे अपने घर से पांच-साढ़े पांच बजे निकलना पड़ेगा, मेरे अनुसार यह समय जल्दी था लेकिन उस के समय पर आने को लेकर मैं संतुष्ट नहीं था। मैंने सोचा कि आगे देखा जायेगा कि क्या करा जाये?
उस के जाने के बाद मैं कपड़ें धोने लग गया। इस सब काम में कब समय बीत गया पता ही नहीं चला। दोपहर का खाना खा कर मैं सो गया। शाम को उठा तो चाय बना कर पीते-पीते टीवी देखने लगा। कोई साढें छः बजे बीना आ गयी बाहर कपड़ें सुखते देख कर बोली कि साहब आप ने मुझ से क्यों नहीं कहा मैं धो कर जाती। मैंने उस से कहा कि मुझे इस सब की आदत है आगे से उसे ही धोनें पड़ेगे। वह यह सुन कर मुस्करा कर चली गयी। रात के लिये दाल और रोटी बना कर वह बोली कि साहब कपड़ें वगैरहा प्रेस करने हो तो दे दो, मैं प्रेस कर देती हूँ। उसकी यह बात सुन कर मुझे ध्यान आया कि प्रेस भी तो करनी है लेकिन अपने कीमती कपड़ें उसे देने में डर रहा था वह मेरी हिचक देख कर बोली की उसे कपड़ें प्रेस करने आते है उसने कई साल कपड़ें भी प्रेस किये है।
मैं उस की यह बात सुन कर मुस्करा दिया और बोला कि बीना कोई काम है जो तुम्हें नहीं आता तो वह चुपचाप खड़ी रही। मैंने उसे पेंट शर्ट निकाल कर दिये और बताया कि प्रेस, और टेबल कहां पर है। वह कपड़ें लेकर उन्हें प्रेस करने लगी। आठ बज रहे थे यह देख कर मैंने उस से कहा कि बीना बाकि कपड़ें किसी और दिन प्रेस कर लेना अब तुम जाओ। वह मेरी बात सुन कर बचे कपड़ें अलमारी में रख कर चली गयी। उस के जाने के बाद मैंने कपड़ें देखे। वाकई मैं उसे कपड़े प्रेस करने आते थे। कपड़ें सही तरह से प्रेस करके फोल्ड कर दिये गये थे। यह देख कर मुझे खुशी हुई कि मेरा एक और काम खत्म हो गया।
इस के बाद मैंने खाना खाया और स्काच का पैग बना कर टीवी देखने बैठ गया। पैग पीते पीते मुझे ध्यान आया कि यह कामवाली कुछ ज्यादा ही अच्छी नहीं है इस का ध्यान रखना पड़ेगा कही कोई और समस्या ना खड़ी हो जाये। रात को पत्नी को फोन करके काम वाली के बारे में बताया तो वह भी बोली कि जरा सावधान रहना, आज कल इतनी अच्छी काम वाली कहां मिलती है? मैंने उस की हां में हां मिलायी। वह अभी घर आने के मुड में नहीं थी। कुछ देर एडल्ट फिल्म देखने के बाद मैं सोने चला गया।
दूसरे दिन सोमवार था और मुझे ऑफिस जाना था। मैं अपनी आदत के अनुसार सुबह पांच बजे उठ गया और कुछ देर योगासन करने के बाद बैठ कर अखबार पढ़ रहा था कि बीना आ गयी वह छः बजने से पहले ही आ गयी थी। वह चाय बनाने चली गयी और मुझे चाय दे कर नाश्ता बनाने लग गयी, इस के बाद खाना बनाने लगी। मैं भी नहाने चला गया। जब नहा कर आया तो वह घर की सफाई कर रही थी। मैं तैयार हो कर आया तो वह नाश्ता मेज पर लगा रही थी। उस ने मुझ से पुछा कि साहब लंच बॉक्स कहां पर है? मुझे घ्यान आया कि मुझे भी नहीं पता कि कहां पर रखा होगा क्योंकि काफी लम्बें समय से मैं दोपहर का खाना ले कर ही नहीं जाता था।
कुछ सोच कर मैंने उस से कहा कि आज तो वह किसी कैसरोल में खाना रख दे, मैं आते में लंच बॉक्स लेता आऊंगा मेरी बात सुन कर वह बोली कि साहब मेम साहब से पुछ लो शायद उन को पता हो? मैंने उस से कहा कि मेम साहब बीजी है तुम छोटे केसरोल में सब्जी रख दो और बड़ें में रोटी रख दो मैं आज ऐसे ही काम चला लुगा। कल तुम्हें परेशानी नहीं होगी। वह मेरा कहा सुन कर खाना पैक करने चली गयी। मैंने एक थैले में दोनों केसरोल रखे और उसे कार में रख दिया। इस के बाद घर बंद करने लगा। बीना बोली कि साहब शाम को कब तक आयेगे? तो मैंने उसे बताया कि मैं छः बजे तक आ जाता हूँ। तभी मुझे याद आया कि इस का फोन नम्बर तो लिया ही नहीं है। मैंने उस से पुछा कि मोबाइल है तो वह बोली कि है तो सही लेकिन चल नहीं रहा है। मैंने कहा कि रात को उसे ले कर आना मैं देख लुगां कि क्या खराबी है, वह बोली कि रात को ले कर आती हूँ। यह कह कर वह चली गयी और मैं भी कार ले कर ऑफिस के लिये निकल गया।
दोपहर में खाना खाते समय याद आया कि लंच बॉक्स लेना है तो पास के मॉल में चला गया वहां पर एक बढ़िया लंच बॉक्स खरीद कर ले आया। शाम को जब घर आया तो मुझे याद आया कि मेरा एक पुराना फोन पड़ा है शायद वह बीना के काम आ जाये। कुछ देर बाद बीना भी आ गयी मैंने उसे लंच बॉक्स दिया तो वह खुश हो कर बोली कि साहब इस में तो दो सब्जी आ जायेगी मैं आप को दो सब्जियां बना कर दिया करुंगी। मैं उस की बात सुन कर मुस्करा दिया। वह खाना बनाने चली गयी। तभी मुझे याद आया कि उस से फोन के बारे में पुछना है।
मैंने किचन में जा कर उस से मोबाइल के बारे में पुछा तो उस ने ब्लाउज में से पुराना सा छोटा फोन निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया। मैंने उसे ऑन करने की कोशिश की तो वह ऑन नहीं हुआ। मैं उसे ले कर कमरे में आ गया, वहां पर अपने पुराने फोन को ढुढ़ कर उस में बीना के फोन की सिम डाली और फोन को ऑन किया। फोन चल गया। मैंने उस फोन से अपना नंबर डायल करके बीना का फोन नंबर ले लिया। उस की सिम चल रही थी। बीना के फोन में क्या खराबी थी वह मैं पता नही कर पाया, मुझे लगा कि उस में समय खराब करना बेकार है इस लिये उसे बंद कर दिया और अपने फोन में अपने नाम से अपना नंबर सेव कर दिया।
बीना जब घर जाने लगी तो उसे बुला कर मैंने नये फोन को उसे दिया और कहा कि यह मेरे पास बेकार पड़ा था तुम्हारा फोन शायद खराब है, उसे सही करवा लेना, तब तक मेरे फोन से काम चलाओ, मैं तुम्हें इस का चार्जर दे देता हूं । कम से कम तुम से बात तो हो पायेगी अगर में किसी दिन रात को देर से आया तो तुम्हें बता तो भी दूंगा। वह बोली कि साहब आप का फोन कैसे चलेगा यह भी समझा दिजिये। मैंने उसे पास बिठा कर सब समझा दिया। वह जल्दी ही उसे चलाना सीख गयी। जाने से पहले वह खाना लगा कर चली गयी। उस के जाने के बाद मैं खाना खा कर शराब पीने बैठ गया। यह मेरा रोज का शगल था। कुछ देर किताब पढ़ने के बाद नींद आने लगी तो मैं सोने चला गया। सोने से पहले सारे घर को अच्छी तरह से देखा कि कोई दरवाजा खुला तो नही रह गया है।
अगले दिन बीना समय पर आ गयी थी, उस ने आज दो सब्जी और चावल भी बना कर लंच बॉक्स में दिये थे, आज मेरा लंच बॉक्स देख कर मेरी सेक्रटरी बोली कि सर लगता है मैडम आ गयी है, मैने उसे बताया कि मैडम नहीं आयी है मैंने एक काम वाली रखी है जो मेरा खाना बनाती है। वह बोली कि सर अब घर का खाना तो खा पायेगे। मैं उस की बात सुन कर मुस्करा दिया। उसे पता था कि मैं ज्यादातर बाहर का खाना ही खाता था। पत्नी के बाहर चले जाने के बाद दोपहर का खाना बाहर से ही आता था। मैं मन में सोच रहा था कि देखते है यह व्यवस्था कब तक चलती है। शाम को ऑफिस से आने के बाद में कपड़ें बदल कर बैठा ही था कि बीना आ गयी। उसने बताया कि उसे अपने घर से यहां तक आने में एक घंटा लगता है, अब से वह सात बजे आयेगी और खाना बना कर आठ बजे वापस चली जायेगी। मैंने कहा कि यह सही रहेगा वह भी समय पर अपने घर पहुंच जायेगी।
बीना खाना बनाने लगी। खाना बनाने के बाद वह बोली कि साहब कल जो कपड़ें प्रेस के लिये बच गये थे, उन्हें मैं आज प्रेस कर देती हूँ, मैंने उस के साथ चल कर अलमारी से कपड़ें निकाल कर दे दिये। वह जब कपड़ें प्रेस कर रही थी तब मैंने उसे घ्यान से देखा वह सावलें रंग की छरहरे शरीर की थी। उस का कद साढ़े पांच फुट के करीब था। उस ने साफ कपड़ें सलीके से पहले हुये थे। चेहरे पर कोई मैकअॅप नहीं था, लेकिन इस के बावजूद उस के चेहरे पर चमक थी। 32-28-32 साईज कहा जा सकता था। उसे यह पता नहीं था कि मैं उसे ध्यान से देख रहा हूँ।
बीवी के लम्बें अरसे तक साथ ना रहने के कारण मेरी सेक्स लाइफ संतोषजनक नहीं थी। जब कभी मौका पड़ता था तो मैं इधर-उधर मुँह मार ही लेता था। सेक्स को लेकर कोई खास लगाव तो नहीं था लेकिन उस की चाहत तो रहती ही थी लेकिन सेक्स मनमुताबिक नहीं मिल पाता था। सामाजिक रुतबे के कारण हर किसी से संबंध नही बनाये जा सकते थे। यही कारण था कि मन में सेक्स को लेकर प्यास बनी रहती थी। बीना को देख कर कुछ लग तो नही रहा था क्योकि उस का शरीर और कपड़ें किसी को आकर्षित करने में सहयोग नहीं कर रहे थे। मन में कब कोई उमंग जन्म ले, यह कोई नहीं बता सकता।
तभी बाहर से जोर से बादल गड़गड़ाने की आवाज आयी, यह सुन कर मैं बाहर गया तो देखा कि तुफान आ गया था जोर-जोर से हवा चल रही थी और बारिश शुरु हो गयी थी। हवा के साथ पानी घुम-घुम कर बरस रहा था, आकाश में जोर जोर से बिजली कड़क रही थी। बीना भी बाहर आ कर मौसम का हाल देखने लगी। ऐसा मौसम देख कर उसे चिन्ता हो रही थी कि वह घर कैसे जायेगी? मैंने उसे चिन्तित देख कर कहा कि बीना चिन्ता मत करो यह तुफान कुछ देर में खत्म हो जायेगा तब तुम चली जाना। वह बोली कि बारिश बहुत जोर से हो रही है ऐसी हालत में रास्ते में कोई सवारी भी नही मिलेगी।
इस पर मैंने उस से पुछा कि घर पर कौन-कौन है? उस ने बताया कि बुढ़े मां-बाप और बच्चें है। कुछ देर हम बाहर खड़ें रहे फिर बारिश ना रुकते देख कमरे में अंदर आ गये। बीना कपड़ें प्रेस करने लगी। यह काम खत्म करने के बाद उस ने मेरा खाना लगा दिया और कहा कि साहब आप खाना खा लो मैं घर पर फोन कर देती हूं कि मुझे आने में देर हो जायेगी। यह कह कर वह फोन करने लगी। मैं खाना खाने लगा। मुझे यह चिन्ता हो रही थी कि यह रात को घर कैसे जायेगी? और अगर इसे रात को रुकना पड़ा तो उसे कहाँ सुलाऊंगा।
बाहर जोरदार बारिश हो रही थी, बिजली के कड़कने की आवाज पुरे वातावरण में गुंज रही थी। दस बजे मैंने बीना से कहा कि वह अपने घर में फोन करके आने की मना कर दे। बाहर मौसम बहुत खराब है वह आज की रात यहीं पर रुक जाये। बीना कुछ देर सोचती रही फिर फोन करने लगी। बीना ने अपने घर फोन करके ना आने के बारे में बता दिया। मैंने बीना से कहा कि वह अपने लिये खाना बना ले तब तक मैं उस के सोने का इंतजाम करता हूं। मेरी बात सुन कर वह किचन में चली गयी।
मैं भी उस के सोने के लिये कपड़ों का इंतजाम करने के लिये कमरे में चला गया। घर का सामान कहाँ रखा था यह मुझे ज्यादा पता नहीं था। बीवी से फोन करके पुछने का कोई कारण नहीं था। मुझे एक चटाई मिली और एक तकिया मिल गया। एक चद्दर भी मिल गयी, मैं सब सामान ले कर कमरे से बाहर आ गया। रात को सुरक्षा की भी मुझे चिन्ता थी बीना के बारें में मुझे कुछ ज्यादा पता नहीं था, इसी लिये मैं कोई खतरा नहीं उठाना चाहता था सो बड़ें कमरे के बगल में पैसेज में चटाई वगैरहा सब सामान रख दिया।
रात को इस कमरे का दरवाजा ताला लगा कर बंद कर दिया जाता है। अन्य कमरों को भी मैं रात को ताला लगा कर बंद कर दूंगा ऐसा मैंने सोचा। कुछ देर बाद बीना खाना खा कर आ गयी, मैंने उस से कहा कि वह कमरे में चटाई बिछा कर सो जाये यहां पर हवा भी नहीं लगेगी और अगर गरमी लगे तो पंखा भी चला सकती है।
बीना भी सकुचा सी रही थी सो मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगाने के बाद कमरे के दरवाजे में ताला लगा दिया और वहां की लाईट बंद करके अपने कमरे में आ गया और कमरे के दरवाजे को बंद कर लिया। बाहर से आ रही जोरदार बारिश की आवाज के कारण नींद आना आसान नहीं था। कुछ देर बाद कमरे का दरवाजा बीना ने खटखटाया, वह दूध का गिलास लायी थी। मैं रात को दूध नहीं पीता या यह कहे कि कोई देने वाला ही नहीं है। लेकिन आज उस के हाथ से गिलास ले लिया, वह खड़ी रही, मैंने गिलास से दूध पी कर खाली गिलास उसे दे दिया।
फिर मैंने उस से पुछा कि उसे रात को डर तो नहीं लगेगा तो वह बोली कि नहीं लगेगा। यह कह कर वह दरवाजा बंद करके चली गयी। मैं भी सोने के लिये कपड़ें बदलने लगा, और दिनों में तो मैं ब्रीफ उतार कर बाक्सर पहन कर सोता हूँ लेकिन आज ऐसा करना सही नहीं लग रहा था सो ब्रीफ के ऊपर बाक्सर पहन लिया। ऊपर तो बनियान ही पहन रखी थी उसे उतार कर पुरानी टी शर्ट डाल ली।
इस के बाद बेड पर लेट गया, थका तो था लेकिन बिजली की तड़कने की जोरदार आवाज के कारण नींद आना मुश्किल था। आंखे बंद करके बेड पर करवट बदलता रहा। जब नहीं रहा गया तो बेड से उठ कर दरवाजा खोल कर बाहर आ गया। बाहर जल रहा नाइट बल्ब टिमटिमा रहा था। बाहर पैसेज में बीना सो रही थी उस के शरीर पर हल्की सी रोशनी पड़ रही थी। उस ने चद्दर को लपेट रखा था, बारिश के कारण ठंड़ बढ़ गयी थी इसी कारण से उसे ठंड़ लग रही थी और चद्दर से कोई फायदा नहीं हो रहा था। बाहर बारिश बिना रुके बरस रही थी। मैं फिर से कमरे में आ गया और कोई कंबल या मोटी चद्दर बीना के लिये ढुढ़ने लगा। मुझे एक कंबल मिल तो गया। उसे लेकर मैं बाहर आया और सो रही बीना पर ओढ़ा दिया, गरमी पा कर बीना के पांव सीधे हो गये और वह करवट बदल कर सो गयी।
इस के बाद मैं कुछ देर कमरे में टहलता रहा फिर थक कर कमरे में चला आया और बेड पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगा। पता नहीं कब मेरी आंख गयी। सुबह कमरे के दरवाजे के खटखटाने की आवाज से मेरी नींद खुली, उठ कर दरवाजा खोला तो बीना चाय लेकर खड़ी थी, मुझे देख कर बोली कि साहब कहीं जल्दी तो नहीं उठा दिया? मैंने कहा नहीं और उस के हाथ से चाय ले ली।
चाय लेकर कमरे से बाहर आ गया बीना भी अपनी चाय लेकर आ गयी थी और उसे पी रही थी मैं खिड़की खोल कर बाहर देख रहा था, बारिश कम हो गयी थी लेकिन हवा जोर से चल रही थी, इसी वजह से ठंड़ बढ़ गयी थी। मैं बाक्सर और टी शर्ट में खड़ा हो कर कांप रहा था। ठंड़ से बचने के लिये मैंने खिड़की बंद कर दी और कमरे में वापस आ गया। कुछ देर बाद बीना आयी और बोली कि साहब आज नाश्ते में क्या बनाऊं? मैंने पुछा कि क्या है तो वह बोली कि कुछ नहीं है, आज सब्जी और ब्रेड वगैरहा लानी पड़ेगी। मैंने कहा कि शाम को आ कर यह सब सामान ला दुंगा।
वह बोली कि आज क्या करुं? मैंने उस से कहा कि दलिया बना लो लेकिन मैं बताता हूँ कि मैं कैसा दलिया खाता हूँ। मैं उस के साथ किचन में चला आया और दलिया उसे दे कर बताया कि आलु, प्याज काट कर दलिया कुकर में चढ़ा दे और चार-पांच सीटी के बाद उतार ले, सुखा दलिया सब्जी के साथ तैयार हो जायेगा, मैं दलिया इसी तरीके का खाता हूँ, वह बोली कि जैसा आपने बताया है वैसा बनाने की कोशिश करती हूँ, मैंने उससे कहा कि कोई परेशानी हो तो मुझ से पुछ लेना। उस ने सर हिला दिया। कुछ देर बाद उस की आवाज किचन से आयी तो मैं उस के पास गया वह बोली कि साहब कितना पानी डालना है तो मैंने उसे पानी का अनुपात बता दिया। उस ने पानी डाल कर दलिया बनाने रख दिया।
मैंने बीना से कहा कि आज वह दाल चावल बना कर दे दे। फिर मुझे कुछ याद आया तो मैंने पुछा कि उस ने अपने लिये क्या बनाया है तो वह बोली कि साहब आप के लिये दलिया बनाया है उसी में से खा लुगी। मैंने हंस कर पुछा कि सही नही लगा तो? उस ने कहा कि अगर आप खा सकते है तो मैं क्यों नहीं खा सकती। उस के उत्तर ने मुझे चुप करा दिया।
मैं नहाने के लिये चला गया। बीना शायद खाना बनाने लगी थी। जब नहा कर तैयार हो कर आया तो वह नाश्ता लगा रही थी, मुझ से बोली कि साहब आप दलिया खा कर बताओ कि कैसा बना है? मैंने दलिया चम्मच में ले कर मुँह में डाला तो स्वाद सही था नमक मिर्च भी सही थे। मैंने बीना को बताया कि दलिया सही बना है बाद में जब भी बनाये तो इस में कोई और सब्जी भी डाल सकती है जैसे गाजर, गोभी इत्यादि। मैं नाश्ता करता रहा। बीना घर की सफाई करती रही। आज शायद जल्दी ही तैयार हो गया था सो नाश्ते के बाद आराम से बैठ कर बीना को काम करते देखने लगा। वह चुपचाप काम कर रही थी।
मैंने उस से पुछा कि कल वह रात को यहां रुकी थी इस बात को लेकर उस के घर में कोई कलह तो नही होगी तो वह सर उठा कर बोली कि कलह कौन करेगा, साहब, आदमी तो जाने कब का छोड़ के भाग गया है, मां-बाप को मेरे पर विश्वास है बच्चें इतने बड़े नही है। उस की बात सुन कर मुझे शान्ति सी मिली।
वह मुझ से बोली कि आप ने मुझ से नहीं पुछा कि मुझे कैसा लगा? उस की बात सुन कर मैं अचकचा गया। मैंने कहा कि हां पुछना तो चाहता था लेकिन सोचा कि पता नहीं तुम क्या सोचोगी?, इस लिये नहीं पुछा। वह बोली कि आप ने मेरी इतनी फिक्र की रात को मुझे कंबल उढ़ाया, मुझे आराम से सोने दिया। मैं उस की बात सुनता रहा। मैंने कहा कि किसी औरत को घर में अकेले सुलाना बड़ी जिम्मेदारी का काम है इस लिये मैं शायद ज्यादा परेशान था लेकिन ऐसी बारिश में जाने भी नहीं दे सकता था, इस लिये तुम्हें रात को रोकना पड़ा।
वह बोली कि साहब मेरे को डर तो लगा लेकिन फिर सोचा कि आप ऐसे आदमी नहीं लगते हो जो किसी की मजबुरी का फायदा उठायोगें। मैंने हंस कर पुछा कि दो-चार दिनों में तुमने मुझ में ऐसा क्या देखा कि इतना विश्वास कर लिया तो वह बोली कि साहब हम औरतों को भगवान् नें छठी इन्द्रिय दे रखी है आदमी की नजर देख कर उस के मन की बात समझ आ जाती है। मैं उस की बात सुन कर हैरान रह गया। उस ने आगे कहा कि अगर विश्वास नहीं होता तो चाहे कितनी भी परेशानी होती वह रात को नहीं रुकती और अपने घर चली जाती। यह कहते में मुझे उस की नजरों में चमक दिखायी दी। मैंने कहा कि बीना मैं भी परेशान था कि मैडम के ना होने के कारण किसी को रात में रोकना सही नहीं लग रहा था लेकिन ऐसी बारिश में जाने देना भी सही नहीं लग रहा था, अगर तुम चली जाती तो मैं सारी रात चिन्ता करता रहता इस से तो अच्छा था कि तुम्हें रात को रोक कर अपनी चिन्ता पर काबु पा लुं।
वह मेरी बात सुन कर मुस्करा दी।
मैंने उस के कहा कि वह सब्जी वगैरहा शाम को आते में खुद ही खरीद लाये अगर उसे लाने में परेशानी ना हो तो, मैं उसे पैसे दे देता हूँ मेरा कुछ पता नही है शाम को आते में जल्दीबाजी में भुल ना जाऊं। उस ने हां में सर हिलाया तो मैंने 500 रूपये का नोट निकाल कर उसे थमा दिया। वह बोली कि कुछ और कम होगा तो वह भी लेती आयेगी। फिर हम दोनों घर बंद करके निकल गये।
दोपहर में जब खाना खाने बैठा तो मेरी सेक्रेटरी दाल चावल देख कर बोली कि सर क्या बात है आज खाना कम क्यों है तो मैंने उसे बताया कि आज खाने का सामान खत्म हो गया था। वह बोली कि सर शाम को जाते में मॉल से खरीदारी कर के जाना सब सामान एक जगह पर मिल जायेगा। मुझे उस की यह बात अच्छी लगी तो मैंने उस से कहा कि उसे भी मेरे साथ चलना पड़ेगा तो वह खुशी से तैयार हो गयी। शाम को ऑफिस के बाद हम दोनों मॉल में चले गये और अपनी सेक्रेटरी की सहायता से मैंने घर के लिये राशन खरीद लिया।
जब घर पहुंचा तो बीना मुझे बाहर बैठी मिली, मैंने पुछा कि उस ने मुझे फोन क्यों नहीं किया तो वह बोली कि मुझे लगा कि आप देर से आने के लिये फोन करेगे? मैंने उसे बताया कि मैं राशन लेने के लिये मॉल में चला गया था इस लिये देर हो गयी और उसे फोन करने का ध्यान ही नहीं रहा। फिर मैंने देखा कि वह भी सब्जी वगैरहा खरीद कर लायी थी। घर में आ कर मैंने सारा राशन कार से निकाल कर रख दिया। बीना बोली कि साहब आप को कैसे पता चला कि क्या-क्या खरीदना है? इस पर मैंने उसे बताया कि राशन खरीदने में मेरी सक्रेटरी ने सहायता की थी।
यह सुन कर वह कुछ नहीं बोली। चुपचाप सब्जी ले कर किचन में चली गयी। कुछ देर बाद वह चाय ले कर आ गयी। उस ने बचे पैसे मुझे वापस कर दिये। मैंने बीना से पुछा कि उसे कुछ एडवान्स तो नहीं चाहिये तो वह बोली कि साहब पैसे की तो हमेशा कमी बनी रहती है अगर आप कुछ पैसे दे देगें तो मुझे उधार में सामान नहीं खरीदना पड़ेगा, नहीं तो उधार में मंहगा सामान मजबुरी में खरीदना पड़ता है। यह सुन कर मैंने पर्स से हजार रूपयें निकाल कर उसे दे दिये। उस ने पैसे ले कर अपने ब्लाउज में खोंस लिये। उस ने पुछा कि खाने में सब्जी बना दूं मैंने कहा हां कोई सब्जी बना लो सुबह भी उसी से काम चला लेगें। वह बोली कि सुबह के लिये अलग सब्जी बनाऊंगी। आप बासी सब्जी क्यों खायेगें? मैं ने कुछ नहीं कहा।
उस ने जो मेहनताना माँगा वह मुझे ज्यादा नहीं लगा इस लिये मैंने हां कर दी। मैंने उसे सारा घर दिखाया और बताया कि उसे क्या क्या करना है। वह कुछ नहीं बोली नहीं, मैंने उस से कहा कि वह आज से ही काम शुरु कर सकती है, खाना बना दे ताकि मैं उसे बता सकुँ कि मुझें कैसा खाना पसन्द है? उस ने सहमति में सिर हिलाया और किचन की तरफ चल दी। मैंने उसे किचन में रखे सामान के बारे में बताया और उस से कहा कि वह एक सब्जी या दाल के साथ फुल्कें बना दे। वह हाथ धो कर आटा गुधने में लग गयी और मैं बाहर आ गया। एक घंटे बाद वह ड्राइग रुम में खाना ले कर आ गयी और बोली कि आप खाना खा कर बताये कि कैसा बना है? मैंने मेज पर लगे खाने को देखा तो लगा कि इस को खाना बनाने और खिलाने की तमीज है।
मैं हाथ धोने चला गया और आ कर मेज पर खाना खाने बैठ गया। रोटी का कौर तोड़ कर सब्जी ले कर मुँह में डाला तो लगा कि खाना स्वादिस्ट बना है। मैं जब तक खाना खाता रहा वह पास में ही खड़ी रही। खाना खत्म करने के बाद उस ने मुझ से पुछा कि साहब खाना कैसा बना था? मैं उस की तरफ देख कर कहा कि सही था ऐसा ही बनाया करों। मेरी बात सुन कर वह बोली कि साहब आगे से ऐसा ही खाना बनाया करुंगी। यह कह कर वह खाने के बरतन उठा कर किचन में चली गयी। इस के बाद मैं उसे घर में सफाई करने के बारें में बताता रहा। वह मेरी बातें सुनती रही और सफाई करती रही।
मैंने नोट किया की उसे खाना बनाने और सफाई करने में दो घंटे से ज्यादा का समय लगा था। जब वह चलने लगी तो उस से पुछा कि वह शाम को कितने बजे आये? मैंने कहा कि सात बजे तक आ सकती है। मैंने उस से पुछा कि रात को ज्यादा देर होने से उसे परेशानी तो नहीं होगी तो वह बोली कि उसे कोई परेशानी नहीं होगी। वह नौ बजे तक घर जा सकती है। यह कह कर वह चली गयी।
उस के जाने के बाद मैंने घर घुम कर देखा तो लगा कि सफाई सही हुई है। मेरे मन में यह शंका थी कि पता नहीं यह कब तक काम करेगी? खाना खा कर मैं सो गया। जब जागा तो शाम के पांच बज रहे थे। चाय बना कर पीने बैठ गया। छः बजे काम वाली जो आज सुबह रखी थी आ गयी वह बोली कि साहब देर ना हो जाये इस लिये जल्दी घर से निकल पड़ी थी, एक दो दिन में अंदाजा लग जायेगा कि मुझे घर से यहां तक आने में कितनी देर लगेगी, इस पर मैंने पुछा कि वह कहाँ से आती है तो उस ने बताया कि उस का घर यहां से 3-4 किलोमीटर दूर है वह वहां से पैदल ही आती है। मुझे लगा कि रात में यह इतनी दूर कैसे जायेगी।
मैंने पुछा कि रात को जाने में कोई परेशानी तो नहीं होगी तो वह बोली कि नहीं साहब रोड़ पर भीड़ रहती है इस लिये कोई डर नहीं लगेगा। उस की यह बात सुन कर मुझे चैन मिला। वह अपना राशन कार्ड लायी थी उस की कॉपी मैंने अपने पास रख ली। एक घंटे में रात का खाना बना कर वह चली गयी। खाना लगाने से मैंने उसे मना कर दिया कि मैं रात को खुद लगा लुंगा। यह सुन कर वह चली गयी।
उस के जाने के बाद मुझे लगा कि बीवी की गैर मौजुदगी में घर की सफाई और मेरे खाने की समस्या शायद हल हो गयी है। दूसरें दिन वह सुबह जल्दी आ गयी मैं उठ कर चाय बनाने की सोच ही रहा था। वह आ कर बोली कि साहव आप के लिये चाय बनाऊं तो मैंने हां कहा और कहा कि वह अपने लिये भी चाय बना ले। वह यह सुन कर खुश हो कर चली गयी। मुझे पता था कि वह घर से कुछ खा कर नहीं आयी होगी। चाय पी कर मैं नहाने चला गया। वह जब नाश्ता बना रही थी तो मैंने किचन में जा कर उस से पुछा कि वह सुबह कुछ खा कर आयी है तो उस ने ना में सर हिला दिया।
मैंने उस से कहा कि वह अपने लिये भी नाश्ता बना ले और सफाई करने से पहले नाश्ता कर ले। खाली पेट काम करना गलत है उस ने सर हिला दिया।
नाश्ते में आलु के पराठें बनाये थे, स्वाद सही सा था। इतने सालों से पत्नी के हाथों के स्वाद की आदत थी सो किसी और के हाथों की बनी चीज इतनी जल्दी कहां समझ में आने वाली थी। बीना हां यही नाम था मेरी काम करने वाली का। नाश्ता करने के बाद वह घर साफ करने में लग गयी और उस के बाद मुझ से पुछ कर दोपहर का खाना बना कर चली गयी। इस सब काम में कोई दो से ढाई घंटें का समय लगा था इस का मतलब था कि उसे छः साढें छः बजे मेरे यहां आना पड़ेगा और इस के लिये उसे अपने घर से पांच-साढ़े पांच बजे निकलना पड़ेगा, मेरे अनुसार यह समय जल्दी था लेकिन उस के समय पर आने को लेकर मैं संतुष्ट नहीं था। मैंने सोचा कि आगे देखा जायेगा कि क्या करा जाये?
उस के जाने के बाद मैं कपड़ें धोने लग गया। इस सब काम में कब समय बीत गया पता ही नहीं चला। दोपहर का खाना खा कर मैं सो गया। शाम को उठा तो चाय बना कर पीते-पीते टीवी देखने लगा। कोई साढें छः बजे बीना आ गयी बाहर कपड़ें सुखते देख कर बोली कि साहब आप ने मुझ से क्यों नहीं कहा मैं धो कर जाती। मैंने उस से कहा कि मुझे इस सब की आदत है आगे से उसे ही धोनें पड़ेगे। वह यह सुन कर मुस्करा कर चली गयी। रात के लिये दाल और रोटी बना कर वह बोली कि साहब कपड़ें वगैरहा प्रेस करने हो तो दे दो, मैं प्रेस कर देती हूँ। उसकी यह बात सुन कर मुझे ध्यान आया कि प्रेस भी तो करनी है लेकिन अपने कीमती कपड़ें उसे देने में डर रहा था वह मेरी हिचक देख कर बोली की उसे कपड़ें प्रेस करने आते है उसने कई साल कपड़ें भी प्रेस किये है।
मैं उस की यह बात सुन कर मुस्करा दिया और बोला कि बीना कोई काम है जो तुम्हें नहीं आता तो वह चुपचाप खड़ी रही। मैंने उसे पेंट शर्ट निकाल कर दिये और बताया कि प्रेस, और टेबल कहां पर है। वह कपड़ें लेकर उन्हें प्रेस करने लगी। आठ बज रहे थे यह देख कर मैंने उस से कहा कि बीना बाकि कपड़ें किसी और दिन प्रेस कर लेना अब तुम जाओ। वह मेरी बात सुन कर बचे कपड़ें अलमारी में रख कर चली गयी। उस के जाने के बाद मैंने कपड़ें देखे। वाकई मैं उसे कपड़े प्रेस करने आते थे। कपड़ें सही तरह से प्रेस करके फोल्ड कर दिये गये थे। यह देख कर मुझे खुशी हुई कि मेरा एक और काम खत्म हो गया।
इस के बाद मैंने खाना खाया और स्काच का पैग बना कर टीवी देखने बैठ गया। पैग पीते पीते मुझे ध्यान आया कि यह कामवाली कुछ ज्यादा ही अच्छी नहीं है इस का ध्यान रखना पड़ेगा कही कोई और समस्या ना खड़ी हो जाये। रात को पत्नी को फोन करके काम वाली के बारे में बताया तो वह भी बोली कि जरा सावधान रहना, आज कल इतनी अच्छी काम वाली कहां मिलती है? मैंने उस की हां में हां मिलायी। वह अभी घर आने के मुड में नहीं थी। कुछ देर एडल्ट फिल्म देखने के बाद मैं सोने चला गया।
दूसरे दिन सोमवार था और मुझे ऑफिस जाना था। मैं अपनी आदत के अनुसार सुबह पांच बजे उठ गया और कुछ देर योगासन करने के बाद बैठ कर अखबार पढ़ रहा था कि बीना आ गयी वह छः बजने से पहले ही आ गयी थी। वह चाय बनाने चली गयी और मुझे चाय दे कर नाश्ता बनाने लग गयी, इस के बाद खाना बनाने लगी। मैं भी नहाने चला गया। जब नहा कर आया तो वह घर की सफाई कर रही थी। मैं तैयार हो कर आया तो वह नाश्ता मेज पर लगा रही थी। उस ने मुझ से पुछा कि साहब लंच बॉक्स कहां पर है? मुझे घ्यान आया कि मुझे भी नहीं पता कि कहां पर रखा होगा क्योंकि काफी लम्बें समय से मैं दोपहर का खाना ले कर ही नहीं जाता था।
कुछ सोच कर मैंने उस से कहा कि आज तो वह किसी कैसरोल में खाना रख दे, मैं आते में लंच बॉक्स लेता आऊंगा मेरी बात सुन कर वह बोली कि साहब मेम साहब से पुछ लो शायद उन को पता हो? मैंने उस से कहा कि मेम साहब बीजी है तुम छोटे केसरोल में सब्जी रख दो और बड़ें में रोटी रख दो मैं आज ऐसे ही काम चला लुगा। कल तुम्हें परेशानी नहीं होगी। वह मेरा कहा सुन कर खाना पैक करने चली गयी। मैंने एक थैले में दोनों केसरोल रखे और उसे कार में रख दिया। इस के बाद घर बंद करने लगा। बीना बोली कि साहब शाम को कब तक आयेगे? तो मैंने उसे बताया कि मैं छः बजे तक आ जाता हूँ। तभी मुझे याद आया कि इस का फोन नम्बर तो लिया ही नहीं है। मैंने उस से पुछा कि मोबाइल है तो वह बोली कि है तो सही लेकिन चल नहीं रहा है। मैंने कहा कि रात को उसे ले कर आना मैं देख लुगां कि क्या खराबी है, वह बोली कि रात को ले कर आती हूँ। यह कह कर वह चली गयी और मैं भी कार ले कर ऑफिस के लिये निकल गया।
दोपहर में खाना खाते समय याद आया कि लंच बॉक्स लेना है तो पास के मॉल में चला गया वहां पर एक बढ़िया लंच बॉक्स खरीद कर ले आया। शाम को जब घर आया तो मुझे याद आया कि मेरा एक पुराना फोन पड़ा है शायद वह बीना के काम आ जाये। कुछ देर बाद बीना भी आ गयी मैंने उसे लंच बॉक्स दिया तो वह खुश हो कर बोली कि साहब इस में तो दो सब्जी आ जायेगी मैं आप को दो सब्जियां बना कर दिया करुंगी। मैं उस की बात सुन कर मुस्करा दिया। वह खाना बनाने चली गयी। तभी मुझे याद आया कि उस से फोन के बारे में पुछना है।
मैंने किचन में जा कर उस से मोबाइल के बारे में पुछा तो उस ने ब्लाउज में से पुराना सा छोटा फोन निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया। मैंने उसे ऑन करने की कोशिश की तो वह ऑन नहीं हुआ। मैं उसे ले कर कमरे में आ गया, वहां पर अपने पुराने फोन को ढुढ़ कर उस में बीना के फोन की सिम डाली और फोन को ऑन किया। फोन चल गया। मैंने उस फोन से अपना नंबर डायल करके बीना का फोन नंबर ले लिया। उस की सिम चल रही थी। बीना के फोन में क्या खराबी थी वह मैं पता नही कर पाया, मुझे लगा कि उस में समय खराब करना बेकार है इस लिये उसे बंद कर दिया और अपने फोन में अपने नाम से अपना नंबर सेव कर दिया।
बीना जब घर जाने लगी तो उसे बुला कर मैंने नये फोन को उसे दिया और कहा कि यह मेरे पास बेकार पड़ा था तुम्हारा फोन शायद खराब है, उसे सही करवा लेना, तब तक मेरे फोन से काम चलाओ, मैं तुम्हें इस का चार्जर दे देता हूं । कम से कम तुम से बात तो हो पायेगी अगर में किसी दिन रात को देर से आया तो तुम्हें बता तो भी दूंगा। वह बोली कि साहब आप का फोन कैसे चलेगा यह भी समझा दिजिये। मैंने उसे पास बिठा कर सब समझा दिया। वह जल्दी ही उसे चलाना सीख गयी। जाने से पहले वह खाना लगा कर चली गयी। उस के जाने के बाद मैं खाना खा कर शराब पीने बैठ गया। यह मेरा रोज का शगल था। कुछ देर किताब पढ़ने के बाद नींद आने लगी तो मैं सोने चला गया। सोने से पहले सारे घर को अच्छी तरह से देखा कि कोई दरवाजा खुला तो नही रह गया है।
अगले दिन बीना समय पर आ गयी थी, उस ने आज दो सब्जी और चावल भी बना कर लंच बॉक्स में दिये थे, आज मेरा लंच बॉक्स देख कर मेरी सेक्रटरी बोली कि सर लगता है मैडम आ गयी है, मैने उसे बताया कि मैडम नहीं आयी है मैंने एक काम वाली रखी है जो मेरा खाना बनाती है। वह बोली कि सर अब घर का खाना तो खा पायेगे। मैं उस की बात सुन कर मुस्करा दिया। उसे पता था कि मैं ज्यादातर बाहर का खाना ही खाता था। पत्नी के बाहर चले जाने के बाद दोपहर का खाना बाहर से ही आता था। मैं मन में सोच रहा था कि देखते है यह व्यवस्था कब तक चलती है। शाम को ऑफिस से आने के बाद में कपड़ें बदल कर बैठा ही था कि बीना आ गयी। उसने बताया कि उसे अपने घर से यहां तक आने में एक घंटा लगता है, अब से वह सात बजे आयेगी और खाना बना कर आठ बजे वापस चली जायेगी। मैंने कहा कि यह सही रहेगा वह भी समय पर अपने घर पहुंच जायेगी।
बीना खाना बनाने लगी। खाना बनाने के बाद वह बोली कि साहब कल जो कपड़ें प्रेस के लिये बच गये थे, उन्हें मैं आज प्रेस कर देती हूँ, मैंने उस के साथ चल कर अलमारी से कपड़ें निकाल कर दे दिये। वह जब कपड़ें प्रेस कर रही थी तब मैंने उसे घ्यान से देखा वह सावलें रंग की छरहरे शरीर की थी। उस का कद साढ़े पांच फुट के करीब था। उस ने साफ कपड़ें सलीके से पहले हुये थे। चेहरे पर कोई मैकअॅप नहीं था, लेकिन इस के बावजूद उस के चेहरे पर चमक थी। 32-28-32 साईज कहा जा सकता था। उसे यह पता नहीं था कि मैं उसे ध्यान से देख रहा हूँ।
बीवी के लम्बें अरसे तक साथ ना रहने के कारण मेरी सेक्स लाइफ संतोषजनक नहीं थी। जब कभी मौका पड़ता था तो मैं इधर-उधर मुँह मार ही लेता था। सेक्स को लेकर कोई खास लगाव तो नहीं था लेकिन उस की चाहत तो रहती ही थी लेकिन सेक्स मनमुताबिक नहीं मिल पाता था। सामाजिक रुतबे के कारण हर किसी से संबंध नही बनाये जा सकते थे। यही कारण था कि मन में सेक्स को लेकर प्यास बनी रहती थी। बीना को देख कर कुछ लग तो नही रहा था क्योकि उस का शरीर और कपड़ें किसी को आकर्षित करने में सहयोग नहीं कर रहे थे। मन में कब कोई उमंग जन्म ले, यह कोई नहीं बता सकता।
तभी बाहर से जोर से बादल गड़गड़ाने की आवाज आयी, यह सुन कर मैं बाहर गया तो देखा कि तुफान आ गया था जोर-जोर से हवा चल रही थी और बारिश शुरु हो गयी थी। हवा के साथ पानी घुम-घुम कर बरस रहा था, आकाश में जोर जोर से बिजली कड़क रही थी। बीना भी बाहर आ कर मौसम का हाल देखने लगी। ऐसा मौसम देख कर उसे चिन्ता हो रही थी कि वह घर कैसे जायेगी? मैंने उसे चिन्तित देख कर कहा कि बीना चिन्ता मत करो यह तुफान कुछ देर में खत्म हो जायेगा तब तुम चली जाना। वह बोली कि बारिश बहुत जोर से हो रही है ऐसी हालत में रास्ते में कोई सवारी भी नही मिलेगी।
इस पर मैंने उस से पुछा कि घर पर कौन-कौन है? उस ने बताया कि बुढ़े मां-बाप और बच्चें है। कुछ देर हम बाहर खड़ें रहे फिर बारिश ना रुकते देख कमरे में अंदर आ गये। बीना कपड़ें प्रेस करने लगी। यह काम खत्म करने के बाद उस ने मेरा खाना लगा दिया और कहा कि साहब आप खाना खा लो मैं घर पर फोन कर देती हूं कि मुझे आने में देर हो जायेगी। यह कह कर वह फोन करने लगी। मैं खाना खाने लगा। मुझे यह चिन्ता हो रही थी कि यह रात को घर कैसे जायेगी? और अगर इसे रात को रुकना पड़ा तो उसे कहाँ सुलाऊंगा।
बाहर जोरदार बारिश हो रही थी, बिजली के कड़कने की आवाज पुरे वातावरण में गुंज रही थी। दस बजे मैंने बीना से कहा कि वह अपने घर में फोन करके आने की मना कर दे। बाहर मौसम बहुत खराब है वह आज की रात यहीं पर रुक जाये। बीना कुछ देर सोचती रही फिर फोन करने लगी। बीना ने अपने घर फोन करके ना आने के बारे में बता दिया। मैंने बीना से कहा कि वह अपने लिये खाना बना ले तब तक मैं उस के सोने का इंतजाम करता हूं। मेरी बात सुन कर वह किचन में चली गयी।
मैं भी उस के सोने के लिये कपड़ों का इंतजाम करने के लिये कमरे में चला गया। घर का सामान कहाँ रखा था यह मुझे ज्यादा पता नहीं था। बीवी से फोन करके पुछने का कोई कारण नहीं था। मुझे एक चटाई मिली और एक तकिया मिल गया। एक चद्दर भी मिल गयी, मैं सब सामान ले कर कमरे से बाहर आ गया। रात को सुरक्षा की भी मुझे चिन्ता थी बीना के बारें में मुझे कुछ ज्यादा पता नहीं था, इसी लिये मैं कोई खतरा नहीं उठाना चाहता था सो बड़ें कमरे के बगल में पैसेज में चटाई वगैरहा सब सामान रख दिया।
रात को इस कमरे का दरवाजा ताला लगा कर बंद कर दिया जाता है। अन्य कमरों को भी मैं रात को ताला लगा कर बंद कर दूंगा ऐसा मैंने सोचा। कुछ देर बाद बीना खाना खा कर आ गयी, मैंने उस से कहा कि वह कमरे में चटाई बिछा कर सो जाये यहां पर हवा भी नहीं लगेगी और अगर गरमी लगे तो पंखा भी चला सकती है।
बीना भी सकुचा सी रही थी सो मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगाने के बाद कमरे के दरवाजे में ताला लगा दिया और वहां की लाईट बंद करके अपने कमरे में आ गया और कमरे के दरवाजे को बंद कर लिया। बाहर से आ रही जोरदार बारिश की आवाज के कारण नींद आना आसान नहीं था। कुछ देर बाद कमरे का दरवाजा बीना ने खटखटाया, वह दूध का गिलास लायी थी। मैं रात को दूध नहीं पीता या यह कहे कि कोई देने वाला ही नहीं है। लेकिन आज उस के हाथ से गिलास ले लिया, वह खड़ी रही, मैंने गिलास से दूध पी कर खाली गिलास उसे दे दिया।
फिर मैंने उस से पुछा कि उसे रात को डर तो नहीं लगेगा तो वह बोली कि नहीं लगेगा। यह कह कर वह दरवाजा बंद करके चली गयी। मैं भी सोने के लिये कपड़ें बदलने लगा, और दिनों में तो मैं ब्रीफ उतार कर बाक्सर पहन कर सोता हूँ लेकिन आज ऐसा करना सही नहीं लग रहा था सो ब्रीफ के ऊपर बाक्सर पहन लिया। ऊपर तो बनियान ही पहन रखी थी उसे उतार कर पुरानी टी शर्ट डाल ली।
इस के बाद बेड पर लेट गया, थका तो था लेकिन बिजली की तड़कने की जोरदार आवाज के कारण नींद आना मुश्किल था। आंखे बंद करके बेड पर करवट बदलता रहा। जब नहीं रहा गया तो बेड से उठ कर दरवाजा खोल कर बाहर आ गया। बाहर जल रहा नाइट बल्ब टिमटिमा रहा था। बाहर पैसेज में बीना सो रही थी उस के शरीर पर हल्की सी रोशनी पड़ रही थी। उस ने चद्दर को लपेट रखा था, बारिश के कारण ठंड़ बढ़ गयी थी इसी कारण से उसे ठंड़ लग रही थी और चद्दर से कोई फायदा नहीं हो रहा था। बाहर बारिश बिना रुके बरस रही थी। मैं फिर से कमरे में आ गया और कोई कंबल या मोटी चद्दर बीना के लिये ढुढ़ने लगा। मुझे एक कंबल मिल तो गया। उसे लेकर मैं बाहर आया और सो रही बीना पर ओढ़ा दिया, गरमी पा कर बीना के पांव सीधे हो गये और वह करवट बदल कर सो गयी।
इस के बाद मैं कुछ देर कमरे में टहलता रहा फिर थक कर कमरे में चला आया और बेड पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगा। पता नहीं कब मेरी आंख गयी। सुबह कमरे के दरवाजे के खटखटाने की आवाज से मेरी नींद खुली, उठ कर दरवाजा खोला तो बीना चाय लेकर खड़ी थी, मुझे देख कर बोली कि साहब कहीं जल्दी तो नहीं उठा दिया? मैंने कहा नहीं और उस के हाथ से चाय ले ली।
चाय लेकर कमरे से बाहर आ गया बीना भी अपनी चाय लेकर आ गयी थी और उसे पी रही थी मैं खिड़की खोल कर बाहर देख रहा था, बारिश कम हो गयी थी लेकिन हवा जोर से चल रही थी, इसी वजह से ठंड़ बढ़ गयी थी। मैं बाक्सर और टी शर्ट में खड़ा हो कर कांप रहा था। ठंड़ से बचने के लिये मैंने खिड़की बंद कर दी और कमरे में वापस आ गया। कुछ देर बाद बीना आयी और बोली कि साहब आज नाश्ते में क्या बनाऊं? मैंने पुछा कि क्या है तो वह बोली कि कुछ नहीं है, आज सब्जी और ब्रेड वगैरहा लानी पड़ेगी। मैंने कहा कि शाम को आ कर यह सब सामान ला दुंगा।
वह बोली कि आज क्या करुं? मैंने उस से कहा कि दलिया बना लो लेकिन मैं बताता हूँ कि मैं कैसा दलिया खाता हूँ। मैं उस के साथ किचन में चला आया और दलिया उसे दे कर बताया कि आलु, प्याज काट कर दलिया कुकर में चढ़ा दे और चार-पांच सीटी के बाद उतार ले, सुखा दलिया सब्जी के साथ तैयार हो जायेगा, मैं दलिया इसी तरीके का खाता हूँ, वह बोली कि जैसा आपने बताया है वैसा बनाने की कोशिश करती हूँ, मैंने उससे कहा कि कोई परेशानी हो तो मुझ से पुछ लेना। उस ने सर हिला दिया। कुछ देर बाद उस की आवाज किचन से आयी तो मैं उस के पास गया वह बोली कि साहब कितना पानी डालना है तो मैंने उसे पानी का अनुपात बता दिया। उस ने पानी डाल कर दलिया बनाने रख दिया।
मैंने बीना से कहा कि आज वह दाल चावल बना कर दे दे। फिर मुझे कुछ याद आया तो मैंने पुछा कि उस ने अपने लिये क्या बनाया है तो वह बोली कि साहब आप के लिये दलिया बनाया है उसी में से खा लुगी। मैंने हंस कर पुछा कि सही नही लगा तो? उस ने कहा कि अगर आप खा सकते है तो मैं क्यों नहीं खा सकती। उस के उत्तर ने मुझे चुप करा दिया।
मैं नहाने के लिये चला गया। बीना शायद खाना बनाने लगी थी। जब नहा कर तैयार हो कर आया तो वह नाश्ता लगा रही थी, मुझ से बोली कि साहब आप दलिया खा कर बताओ कि कैसा बना है? मैंने दलिया चम्मच में ले कर मुँह में डाला तो स्वाद सही था नमक मिर्च भी सही थे। मैंने बीना को बताया कि दलिया सही बना है बाद में जब भी बनाये तो इस में कोई और सब्जी भी डाल सकती है जैसे गाजर, गोभी इत्यादि। मैं नाश्ता करता रहा। बीना घर की सफाई करती रही। आज शायद जल्दी ही तैयार हो गया था सो नाश्ते के बाद आराम से बैठ कर बीना को काम करते देखने लगा। वह चुपचाप काम कर रही थी।
मैंने उस से पुछा कि कल वह रात को यहां रुकी थी इस बात को लेकर उस के घर में कोई कलह तो नही होगी तो वह सर उठा कर बोली कि कलह कौन करेगा, साहब, आदमी तो जाने कब का छोड़ के भाग गया है, मां-बाप को मेरे पर विश्वास है बच्चें इतने बड़े नही है। उस की बात सुन कर मुझे शान्ति सी मिली।
वह मुझ से बोली कि आप ने मुझ से नहीं पुछा कि मुझे कैसा लगा? उस की बात सुन कर मैं अचकचा गया। मैंने कहा कि हां पुछना तो चाहता था लेकिन सोचा कि पता नहीं तुम क्या सोचोगी?, इस लिये नहीं पुछा। वह बोली कि आप ने मेरी इतनी फिक्र की रात को मुझे कंबल उढ़ाया, मुझे आराम से सोने दिया। मैं उस की बात सुनता रहा। मैंने कहा कि किसी औरत को घर में अकेले सुलाना बड़ी जिम्मेदारी का काम है इस लिये मैं शायद ज्यादा परेशान था लेकिन ऐसी बारिश में जाने भी नहीं दे सकता था, इस लिये तुम्हें रात को रोकना पड़ा।
वह बोली कि साहब मेरे को डर तो लगा लेकिन फिर सोचा कि आप ऐसे आदमी नहीं लगते हो जो किसी की मजबुरी का फायदा उठायोगें। मैंने हंस कर पुछा कि दो-चार दिनों में तुमने मुझ में ऐसा क्या देखा कि इतना विश्वास कर लिया तो वह बोली कि साहब हम औरतों को भगवान् नें छठी इन्द्रिय दे रखी है आदमी की नजर देख कर उस के मन की बात समझ आ जाती है। मैं उस की बात सुन कर हैरान रह गया। उस ने आगे कहा कि अगर विश्वास नहीं होता तो चाहे कितनी भी परेशानी होती वह रात को नहीं रुकती और अपने घर चली जाती। यह कहते में मुझे उस की नजरों में चमक दिखायी दी। मैंने कहा कि बीना मैं भी परेशान था कि मैडम के ना होने के कारण किसी को रात में रोकना सही नहीं लग रहा था लेकिन ऐसी बारिश में जाने देना भी सही नहीं लग रहा था, अगर तुम चली जाती तो मैं सारी रात चिन्ता करता रहता इस से तो अच्छा था कि तुम्हें रात को रोक कर अपनी चिन्ता पर काबु पा लुं।
वह मेरी बात सुन कर मुस्करा दी।
मैंने उस के कहा कि वह सब्जी वगैरहा शाम को आते में खुद ही खरीद लाये अगर उसे लाने में परेशानी ना हो तो, मैं उसे पैसे दे देता हूँ मेरा कुछ पता नही है शाम को आते में जल्दीबाजी में भुल ना जाऊं। उस ने हां में सर हिलाया तो मैंने 500 रूपये का नोट निकाल कर उसे थमा दिया। वह बोली कि कुछ और कम होगा तो वह भी लेती आयेगी। फिर हम दोनों घर बंद करके निकल गये।
दोपहर में जब खाना खाने बैठा तो मेरी सेक्रेटरी दाल चावल देख कर बोली कि सर क्या बात है आज खाना कम क्यों है तो मैंने उसे बताया कि आज खाने का सामान खत्म हो गया था। वह बोली कि सर शाम को जाते में मॉल से खरीदारी कर के जाना सब सामान एक जगह पर मिल जायेगा। मुझे उस की यह बात अच्छी लगी तो मैंने उस से कहा कि उसे भी मेरे साथ चलना पड़ेगा तो वह खुशी से तैयार हो गयी। शाम को ऑफिस के बाद हम दोनों मॉल में चले गये और अपनी सेक्रेटरी की सहायता से मैंने घर के लिये राशन खरीद लिया।
जब घर पहुंचा तो बीना मुझे बाहर बैठी मिली, मैंने पुछा कि उस ने मुझे फोन क्यों नहीं किया तो वह बोली कि मुझे लगा कि आप देर से आने के लिये फोन करेगे? मैंने उसे बताया कि मैं राशन लेने के लिये मॉल में चला गया था इस लिये देर हो गयी और उसे फोन करने का ध्यान ही नहीं रहा। फिर मैंने देखा कि वह भी सब्जी वगैरहा खरीद कर लायी थी। घर में आ कर मैंने सारा राशन कार से निकाल कर रख दिया। बीना बोली कि साहब आप को कैसे पता चला कि क्या-क्या खरीदना है? इस पर मैंने उसे बताया कि राशन खरीदने में मेरी सक्रेटरी ने सहायता की थी।
यह सुन कर वह कुछ नहीं बोली। चुपचाप सब्जी ले कर किचन में चली गयी। कुछ देर बाद वह चाय ले कर आ गयी। उस ने बचे पैसे मुझे वापस कर दिये। मैंने बीना से पुछा कि उसे कुछ एडवान्स तो नहीं चाहिये तो वह बोली कि साहब पैसे की तो हमेशा कमी बनी रहती है अगर आप कुछ पैसे दे देगें तो मुझे उधार में सामान नहीं खरीदना पड़ेगा, नहीं तो उधार में मंहगा सामान मजबुरी में खरीदना पड़ता है। यह सुन कर मैंने पर्स से हजार रूपयें निकाल कर उसे दे दिये। उस ने पैसे ले कर अपने ब्लाउज में खोंस लिये। उस ने पुछा कि खाने में सब्जी बना दूं मैंने कहा हां कोई सब्जी बना लो सुबह भी उसी से काम चला लेगें। वह बोली कि सुबह के लिये अलग सब्जी बनाऊंगी। आप बासी सब्जी क्यों खायेगें? मैं ने कुछ नहीं कहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.