29-01-2023, 12:43 AM
मेरी उम्र 30 वर्ष है। और यह घटना 6 साल पुरानी है।
पहले में अपनी पारिवारिक पृष्ठ भूमि बता दूँ। मेरे घर में हम 3 बहन और 1 भाई हुआ करते थे। मेरी 2 बड़ी बहनें तीसरे नंबर पर मैं और 2 साल छोटा भाई।
पिताजी की मर्डर तभी हो गया था जब मैं बहुत छोटी थी और मेरी माँ 32 साल की थी।
जैसे जैसे हम बड़े हुए और कुछ समझदार हुए तो मम्मी जी के कारनामों के बारे में सुनने समझने लगे।
दरअसल पापा का मर्डर भी मम्मी के किसी आशिक ने ही किया था। यहाँ ‘किसी’ का मतलब पता नहीं मम्मी के कितने आशिक थे। हमारा गुजारा भी उन अंकलों के दिये पैसों से हो रहा था।
अपनी मम्मी की रंगरेलियाँ मैंने अपनी जवानी की शुरुआत से ही देखनी शुरू कर दी थी और देखती रही हूँ।
मम्मी के आशिक हमारे घर में ही आते और मम्मी को चोदते और हम बहनें भाई केवल देखते रहते।
उम्र के हिसाब से बड़ी बहनों की शादी हो गयी।
अब घर में मैं भाई और मम्मी रह गए। मम्मी को तो सेक्स की इतनी लत लग गयी थी या पैसे की भूख थी अब वो होटलों में और बाहर भी रात रात भर रहने लगी थी। कई बार तो गांव से बाहर भी कई दिन तक रहती।
मेरी उम्र 22 साल हो गयी थी और भाई भी 20 वर्ष में जवानी की दहलीज पर था। तो घर हमें ही संभालना पड़ रहा था। अब तक इतना सुकून था कि मम्मी ने मुझे और मेरी बहनों को इस दलदल में नहीं धकेला था।
पहले में अपनी पारिवारिक पृष्ठ भूमि बता दूँ। मेरे घर में हम 3 बहन और 1 भाई हुआ करते थे। मेरी 2 बड़ी बहनें तीसरे नंबर पर मैं और 2 साल छोटा भाई।
पिताजी की मर्डर तभी हो गया था जब मैं बहुत छोटी थी और मेरी माँ 32 साल की थी।
जैसे जैसे हम बड़े हुए और कुछ समझदार हुए तो मम्मी जी के कारनामों के बारे में सुनने समझने लगे।
दरअसल पापा का मर्डर भी मम्मी के किसी आशिक ने ही किया था। यहाँ ‘किसी’ का मतलब पता नहीं मम्मी के कितने आशिक थे। हमारा गुजारा भी उन अंकलों के दिये पैसों से हो रहा था।
अपनी मम्मी की रंगरेलियाँ मैंने अपनी जवानी की शुरुआत से ही देखनी शुरू कर दी थी और देखती रही हूँ।
मम्मी के आशिक हमारे घर में ही आते और मम्मी को चोदते और हम बहनें भाई केवल देखते रहते।
उम्र के हिसाब से बड़ी बहनों की शादी हो गयी।
अब घर में मैं भाई और मम्मी रह गए। मम्मी को तो सेक्स की इतनी लत लग गयी थी या पैसे की भूख थी अब वो होटलों में और बाहर भी रात रात भर रहने लगी थी। कई बार तो गांव से बाहर भी कई दिन तक रहती।
मेरी उम्र 22 साल हो गयी थी और भाई भी 20 वर्ष में जवानी की दहलीज पर था। तो घर हमें ही संभालना पड़ रहा था। अब तक इतना सुकून था कि मम्मी ने मुझे और मेरी बहनों को इस दलदल में नहीं धकेला था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.