25-01-2023, 05:21 PM
अपडेट ४
लगभग ६०० फुट का कमरा था दाहिनी और डायनिंग टेबल जहा अभी कुछ देर पहले माँ डेड अंकल आंटी बैठे थे. उस के बराबर सामने घर का प्रवेश द्वार, बायीं और में और यस खड़े थे और हमसे ४ कदम आगे रंजना अर्ध बेहोशी के होल मे फर्श पर पड़ी थी यसने उसकी और ध्यान दिए बगैर मुज साइड मे रहे एक कमरे की और धकेला.
"पर रंजू बेहोश पड़ी है हमे उसे संभालना चाहिए." मेने यस को कहा
"सम्भल जाएगी खुद. और होश नहीं रहता तो पीती क्यों है इतना. तुमने देखा न पप्पा ने भी मना किया फिर भी नहीं मानी." इतने में अमजद ने बीच के रस्ते से मेरे घर में प्रवेश किया. उस से करीब २० कदम दूर रंजना बेहोश पड़ी थी ६ फिट का अधेड़ परन्तु हट्टाकट्टा ५५ वर्षीय सिन्हा अंकल का खास नौकर,+ ड्राइवर + बॉडीगार्ड ने एक भूखी नजर मुज पे मारी. मानो निगाहो से ही चोद देता अगर ऐसा हो सकता तो. में यस की बाँहों में थी यस की पीठ उसकी और थी मेरा चेहरा उस के चेहरे के सामने. अचानक उस ने मुझे आँख मार दी. में चौक गयी. मेने यस को कहा "यस"
"हा बेबी अमजद रंजू को उठा के लेके जाए बाद में हम कमरे में चलते हैं." बोलके उसने पीछे मुड़े बिना ही अमजद के लिए आदेशात्मक चुटकी बजायी और कहा "कविक"
"यस छोटे बाबू" बोल के अमजद ज़ुका और अपना दाया हाथ रंजूकी कमर में डालके उसको झटका देके खड़ा किया. कुछ बुदबुदाती रंजू ने उस के चहेरे को देखा. थोड़ा मुस्कुराई और फिर अपनी आखे बांध कर दी. "एन्जॉय छोटे बाबू" बोलके अमजदने लगभग घसीटते हुए रंजना को उसके बेडरूम में पहुंचाने का कार्य प्रारंभ किया. मेने जो आखिर में देखा वो ये था की अमजद के दायें हाथ की मोटी उंगलियों के बीच में रंजना का दाहिना स्तन फसा हुवा था और वो किसी हॉर्न की भांति उसे दबा रहा था.
xxxx
करीब ४० मिनिट बाद यस और में अलग हुवे मेरी सिल्की फ्रॉक उपरसे खुली हुयी थी ब्रा किधर कमरे के कोण में पड़ी हुयी थी और दोनों बूब्स पुरे लाल होचुके थे कमीने यस ने उसे काट काट के लाल कर दिए थे. निप्पल भी तन के करीब १ इंच की हो चुकी थी और यस का हाथ मेरे पानी से भीग गया था. उसके कहने के बावजूद मेने उस को मेरी पेंटी नहीं उतारने दी थी.
"पर साक्षी अब क्या प्रॉब्लम है हम जवान हे. अपनी मर्जी से जी सकते हे. उसने ज़ूज़लाकर मुझे पूछा था.
"यस, अभी हमारी शादी की रजामंदी हुयी हे. शादी नहीं. सब्र रखो. मेरा शीलभंग तुम ही करोगे."
"पर आज क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी जगह रंजू होती और मेरी जगह उसका यार तो अब तक वो उसकी योनि में डाल चूका होता. तुजे क्यों सती सावित्री बनने का शौख हे समाज में नहीं आता हे. मैंने किस हठीली से प्यार किया है"
"शादी की रात को जो मर्जी कर लेना. मैं नहीं रोकूंगी." मेने निश्चयात्मक आवाज में कहा. तो उसने अपना हाथ मेरी योनि से हटा लिया और कहा. "ठीक है में इंतजार करूँगा. जो तेरी इच्छा वो ही मेरी इच्छा. पर एक बात याद रखना शादी की रात तेरी गांड मारूंगा. वो जो आज तुमने मुझे रोका है उसकी पनिशमेंट होगी. रेप ही हॉग तेरी गांड पे.. देखेंगे की तुझे कौन बचाता है उस दिन. और हां. तेरा बदन तेरा अधिकार पर में कोई वादा नहीं करता हु एसा. अपनी शादी तक में जब चाहु जिसे चाहु चोद सकता हु तुम्हारे सिवा समजी?" बोल के वो चला गया. में भी अपनी ब्रा उठाई और मेर बेडरूम मे जा के सो गयी.
xxxx
दूसरे दिन में करीब ११ बजे उठी. कॉलेज में मैंने छुट्टी ली थी. आखिर मेरा बर्थ दे जो था. वैसे भी लास्ट यर था. और पढ़ने में में काफी होशियार थी मतलब की में यस और रंजना ३नो काफी होशियार थे. यस अमेरिका में MBA करने जा रहा था. रंजनाने आगे पढ़ाई करने से इंकार कर दिया था. में १ साल बाद पैदा हुई थी तो मेरा लास्ट यर चालू था. में अपने बेडरूम से बहार आयी और देखा तो हॉल में कोई नहीं था. मेने कामवाली कमलाबाई से पूछा "सब कहां है?"
"साहब तो ऑफिस चले गए और मेडम अपने बेडरूम में तैयार हो रही हे. आज किटी अपने घर पर हे. आपकी बर्थडे है न इस लिए. आपका चाय नाश्ता लगा दू?" उस ने कहा,
"नहीं में पहले नहा लेती हु. बाद में" कहे के में नहाने चली गई. आदमकद आईने मे अपने अनावृत बदन को देख के में खुद अपने प्यार में पद गई. "यार ऐसा बदन देख के यस तो क्या कोई बूठउ भी पागल हो जाये. और साथ ही साथ में मुझे अमजद की वो नजर भी याद आ गई. कल रात में वो जरूर नजरो से मुझे चोदा होगा और मेरे नाम की २-३ बार मुठ मारी होगी. क्योकि उस की औरत तो गांव में थी. पर में गलत थी उसने मेरे नाम की मुठ नहीं मारी थी. है मुझे याद जरूर किया था.
xxxx
में नहा के नास्ता कर रही थी तभी मेरे मोबाईल में रिंग बजी मेने खाते खाते फोन उठाया और देखा की सामने रंजना थी. मेने ख़ुशी से खा "हेलो रंजू. क्या कर रही हो?"
"बोर हो रही हु. तू क्या कर रही है ?"
"नास्ता."
"फटाफट खा के बहार मिल हम लोग शॉपिंग के लिए जा रहे है। "
"नहीं यार, मुझे कंटाला आ रहा है वैसे भी अगले विक से टेस्ट शरू हो रहे हे कॉलेज में. में नहीं आ रही."
"पागल लड़की ५ मिनिट में बहार आ. अगर तुजे जानना हो की मेरी सील कल रात में कैसे टूटी। यस आई एम् नॉट वर्जिन नाउ. में गाड़ी बहार निकलती हु जल्दी आ." कहेके उसने फोन काट दिया. मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया मुँह में रहा सेंडविच का टुकड़ा मुज पर हस रहा था.
लगभग ६०० फुट का कमरा था दाहिनी और डायनिंग टेबल जहा अभी कुछ देर पहले माँ डेड अंकल आंटी बैठे थे. उस के बराबर सामने घर का प्रवेश द्वार, बायीं और में और यस खड़े थे और हमसे ४ कदम आगे रंजना अर्ध बेहोशी के होल मे फर्श पर पड़ी थी यसने उसकी और ध्यान दिए बगैर मुज साइड मे रहे एक कमरे की और धकेला.
"पर रंजू बेहोश पड़ी है हमे उसे संभालना चाहिए." मेने यस को कहा
"सम्भल जाएगी खुद. और होश नहीं रहता तो पीती क्यों है इतना. तुमने देखा न पप्पा ने भी मना किया फिर भी नहीं मानी." इतने में अमजद ने बीच के रस्ते से मेरे घर में प्रवेश किया. उस से करीब २० कदम दूर रंजना बेहोश पड़ी थी ६ फिट का अधेड़ परन्तु हट्टाकट्टा ५५ वर्षीय सिन्हा अंकल का खास नौकर,+ ड्राइवर + बॉडीगार्ड ने एक भूखी नजर मुज पे मारी. मानो निगाहो से ही चोद देता अगर ऐसा हो सकता तो. में यस की बाँहों में थी यस की पीठ उसकी और थी मेरा चेहरा उस के चेहरे के सामने. अचानक उस ने मुझे आँख मार दी. में चौक गयी. मेने यस को कहा "यस"
"हा बेबी अमजद रंजू को उठा के लेके जाए बाद में हम कमरे में चलते हैं." बोलके उसने पीछे मुड़े बिना ही अमजद के लिए आदेशात्मक चुटकी बजायी और कहा "कविक"
"यस छोटे बाबू" बोल के अमजद ज़ुका और अपना दाया हाथ रंजूकी कमर में डालके उसको झटका देके खड़ा किया. कुछ बुदबुदाती रंजू ने उस के चहेरे को देखा. थोड़ा मुस्कुराई और फिर अपनी आखे बांध कर दी. "एन्जॉय छोटे बाबू" बोलके अमजदने लगभग घसीटते हुए रंजना को उसके बेडरूम में पहुंचाने का कार्य प्रारंभ किया. मेने जो आखिर में देखा वो ये था की अमजद के दायें हाथ की मोटी उंगलियों के बीच में रंजना का दाहिना स्तन फसा हुवा था और वो किसी हॉर्न की भांति उसे दबा रहा था.
xxxx
करीब ४० मिनिट बाद यस और में अलग हुवे मेरी सिल्की फ्रॉक उपरसे खुली हुयी थी ब्रा किधर कमरे के कोण में पड़ी हुयी थी और दोनों बूब्स पुरे लाल होचुके थे कमीने यस ने उसे काट काट के लाल कर दिए थे. निप्पल भी तन के करीब १ इंच की हो चुकी थी और यस का हाथ मेरे पानी से भीग गया था. उसके कहने के बावजूद मेने उस को मेरी पेंटी नहीं उतारने दी थी.
"पर साक्षी अब क्या प्रॉब्लम है हम जवान हे. अपनी मर्जी से जी सकते हे. उसने ज़ूज़लाकर मुझे पूछा था.
"यस, अभी हमारी शादी की रजामंदी हुयी हे. शादी नहीं. सब्र रखो. मेरा शीलभंग तुम ही करोगे."
"पर आज क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी जगह रंजू होती और मेरी जगह उसका यार तो अब तक वो उसकी योनि में डाल चूका होता. तुजे क्यों सती सावित्री बनने का शौख हे समाज में नहीं आता हे. मैंने किस हठीली से प्यार किया है"
"शादी की रात को जो मर्जी कर लेना. मैं नहीं रोकूंगी." मेने निश्चयात्मक आवाज में कहा. तो उसने अपना हाथ मेरी योनि से हटा लिया और कहा. "ठीक है में इंतजार करूँगा. जो तेरी इच्छा वो ही मेरी इच्छा. पर एक बात याद रखना शादी की रात तेरी गांड मारूंगा. वो जो आज तुमने मुझे रोका है उसकी पनिशमेंट होगी. रेप ही हॉग तेरी गांड पे.. देखेंगे की तुझे कौन बचाता है उस दिन. और हां. तेरा बदन तेरा अधिकार पर में कोई वादा नहीं करता हु एसा. अपनी शादी तक में जब चाहु जिसे चाहु चोद सकता हु तुम्हारे सिवा समजी?" बोल के वो चला गया. में भी अपनी ब्रा उठाई और मेर बेडरूम मे जा के सो गयी.
xxxx
दूसरे दिन में करीब ११ बजे उठी. कॉलेज में मैंने छुट्टी ली थी. आखिर मेरा बर्थ दे जो था. वैसे भी लास्ट यर था. और पढ़ने में में काफी होशियार थी मतलब की में यस और रंजना ३नो काफी होशियार थे. यस अमेरिका में MBA करने जा रहा था. रंजनाने आगे पढ़ाई करने से इंकार कर दिया था. में १ साल बाद पैदा हुई थी तो मेरा लास्ट यर चालू था. में अपने बेडरूम से बहार आयी और देखा तो हॉल में कोई नहीं था. मेने कामवाली कमलाबाई से पूछा "सब कहां है?"
"साहब तो ऑफिस चले गए और मेडम अपने बेडरूम में तैयार हो रही हे. आज किटी अपने घर पर हे. आपकी बर्थडे है न इस लिए. आपका चाय नाश्ता लगा दू?" उस ने कहा,
"नहीं में पहले नहा लेती हु. बाद में" कहे के में नहाने चली गई. आदमकद आईने मे अपने अनावृत बदन को देख के में खुद अपने प्यार में पद गई. "यार ऐसा बदन देख के यस तो क्या कोई बूठउ भी पागल हो जाये. और साथ ही साथ में मुझे अमजद की वो नजर भी याद आ गई. कल रात में वो जरूर नजरो से मुझे चोदा होगा और मेरे नाम की २-३ बार मुठ मारी होगी. क्योकि उस की औरत तो गांव में थी. पर में गलत थी उसने मेरे नाम की मुठ नहीं मारी थी. है मुझे याद जरूर किया था.
xxxx
में नहा के नास्ता कर रही थी तभी मेरे मोबाईल में रिंग बजी मेने खाते खाते फोन उठाया और देखा की सामने रंजना थी. मेने ख़ुशी से खा "हेलो रंजू. क्या कर रही हो?"
"बोर हो रही हु. तू क्या कर रही है ?"
"नास्ता."
"फटाफट खा के बहार मिल हम लोग शॉपिंग के लिए जा रहे है। "
"नहीं यार, मुझे कंटाला आ रहा है वैसे भी अगले विक से टेस्ट शरू हो रहे हे कॉलेज में. में नहीं आ रही."
"पागल लड़की ५ मिनिट में बहार आ. अगर तुजे जानना हो की मेरी सील कल रात में कैसे टूटी। यस आई एम् नॉट वर्जिन नाउ. में गाड़ी बहार निकलती हु जल्दी आ." कहेके उसने फोन काट दिया. मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया मुँह में रहा सेंडविच का टुकड़ा मुज पर हस रहा था.