21-01-2023, 01:48 AM
मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था , सर्दी मे भी मे पसीने-पसीने हो रही थी , मैंने अपना थूक गले मे गटका और उत्तेजना मे बहकते हुए गुप्ता जी के सवाल का जवाब दे बैठी ।
मैं - बोहोत लंबा है ..... गुप्ता जी ...... ।
"ऑफ ..... ये मैंने क्या कह दिया ? गुप्ता जी क्या सोचेंगे मेरे बारे मे । "
गुप्ता जी ने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और कहा - " पदमा !"
मैंने गुप्ता जी के उद्बोधन पर उनकी ओर देखा तो उन्होंने अपनी बात पूरी की -
गुप्ता जी - इससे खेलों ना पदमा ..... इसे अपने नाजुक हाथों का स्पर्श करा दो ताकि ये धन्य हो जाए ।
जब से मैंने गुप्ता जी के लिंग को देखा था तब से मेरे मन मे उसे छूने की लालसा जाग रही थी और अब गुप्ता जी ने मुझे खुद उसे अपने हाथ मे लेने का न्योता दे डाला , मगर मैं हिम्मत नहीं कर पा रही थी अपने हाथ को आगे बढ़ाकर उसे छूने की । बस टकटकी लगाए उसे देखे जा रही थी , गुप्ता जी का लिंग अभी भी उनकी पैंट के बाहर उसी तरह तनाव मे झटके खा रहा था । गुप्ता जी मेरी मनो-स्थिति समझ गए थे तो उन्होंने खुद अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने खड़े लिंग पर रखकर एक जोर की आह भरी ।
गुप्ता जी के लिंग पर हाथ पड़ते ही मेरे पूरे जिस्म मे एक करंट सा दौड़ गया और मैंने तेजी से अपने हाथ उनके लिंग से पीछे खेन्च लिए । मगर गुप्ता जी हार कहाँ मानने वाले थे उन्होंने फिर से मेरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया और खुद अपने हाथों से मेरी चुचियाँ पकड़कर अपने होंठ मेरी चुचियों पर रखकर उन्हे अपने मुहँ मे भर-भरकर उनका दूध निचोड़ने लगे ।
इस बार मैंने भी अपना हाथ गुप्ता जी के लिंग से नहीं हटाया और उसे अच्छे से महसूस करने के लिए पकड़े हुए ही थोड़ा आगे पीछे करने लगी । गुप्ता जी का लिंग बोहोत काला था अब तक के जीतने मैंने देखे थे उनमे सबसे काला गुप्ता जी का ही था । गुप्ता जी मेरे लिंग के हिलाने के साथ-साथ बीच मे कराहने लगे और अपने दोनों हाथ मेरे पीछे लेजाकर मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरे बड़े-बड़े नितम्बों को मसलने लगे । ऐसा लग रहा था कि मानो गुप्ता जी के लिए तो वहाँ कोई कपड़ा ही नहीं है और वो ऐसे ही मेरे नितम्बों को मसल रहे थे जैसे मैं बिल्कुल नग्न उनकी बाहों मे खड़ी हूँ ।
मेरे नितम्बों को मसलते हुए गुप्ता जी बोले - " पदमा ...... इसे मुहँ मे लो ना ..... ।
"क्या ......???.. मुहँ मे ...... " - ये क्या बोल रहे है गुप्ता जी ... । जैसे ही मैंने ये सुना मेरे कान खड़े हो गए । मैंने तो आज तक अशोक का लिंग भी अपने मुहँ मे नहीं लिया और गुप्ता जी मुझे चलती हुई बस मे अपना लिंग मुहँ मे लेने को कह रहे है । नहीं नहीं ये नहीं तो सकता ।
मैंने अपने हाथ गुप्ता जी के लिंग से वापस खेन्चने चाहे मगर गुप्ता जी शायद जान गए थे कि मैं क्या करने वाली हूँ इसलिए उन्होंने अपने हाथ से मेरा हाथ अपने लिंग पर ही दबाए रखा और बोले - " क्या हुआ पदमा ? क्या तुम्हें मेरा लण्ड पसंद नहीं आया ? "
मैं - गुप्ता जी .......... ।
गुप्ता जी - जल्दी करो पदमा ...... हमारा स्टॉप आने वाला है , किसी ने पीछे मुड़ के देख लिया तो हम दोनों को समस्या हो जाएगी । इसे जल्दी से अपने मुहँ मे लेकर शांत कर दो ।
ये पहली बार था जब गुप्ता जी ने मुझे ये कहा था कि कोई पीछे मुड के ना देख ले और गुप्ता जी की बात सुनकर मुझे भी घबराहट हो गई कि कही कोई वाकई मे पीछे मुड़ के ना देख ले । मैं खुद भी बोहोत ज्यादा चुदासी हो चुकी थी और अगर ये बस ना होती तो शायद आज मे अब तक गुप्ता जी के हाथों पूरी तरह से लूट चुकी होती । मैंने गुप्ता जी की ओर देखा तो वो मेरी तरफ एक बड़ी ही आशा भरी नज़रों से देख रहे थे मानो उन्हे यकीन हो की मैं उनके लिंग को अपने मुहँ मे ले लूँगी , फिर मैंने गुप्ता जी के लिंग की ओर देखा जो मेरे हाथों मे आने के बाद से और भी ज्यादा फनफना रहा था , मैं गुप्ता जी के लिंग के प्रति पहले से ही आकर्षित थी मेरे होंठ मेरे दाँतों मे फँसे हुए थे । फिर आई वो घड़ी जिसका गुप्ता जी ना जाने कबसे इंतज़ार कर रहे थे , हवस मे मेरे कदम ऐसे बहक जाएंगे मैंने कभी सोचा भी नहीं था । मेरी सारी मर्यादाएं टूट गई और जो काम मैंने कभी अपने पति के साथ भी नहीं किया वो अपने से लगभग 22-23 साल बड़े एक मर्द के साथ करने का पाप कर दिया ... । और नीचे झुककर गुप्ता जी का वो काला मोटा लिंग अपने होंठों के बीच से ले जाते हुए अपने मुहँ मे ले लिया ।
जैसे ही मेरी जीभ गुप्ता जी के लिंग के टोपे से टकराई , गुप्ता जी ने मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ा और अपने लिंग पर दबाते हुए , धीमे-धीमे कराहने लगे । गुप्ता जी के लिंग का स्वाद कुछ अनोखा था , और मे इतनी गरम हो चुकी थी कि मुझे अपने परिवार और पति की इज्जत का कुछ भी ख्याल नहीं रहा । मेरे मुहँ मे आकर गुप्ता जी का लिंग जोरदार झटके लेने लगा और मेरा मुहँ गुप्ता जी के लिंग से भर गया ।
इतना बड़ा लिंग ,मैं सही से अपने मुहँ मे ले भी नहीं पा रही थी मगर फिर भी गुप्ता जी मेरे सर को अपने लिंग पर दबाते हुए मस्ती मे कुछ बड़बड़ाते जा रहे थे ।
गुप्ता जी - चूस ... चूस ...... पदमा ..... ..। ऐसे ही चूस ..... कबसे इंतज़ार था इस लम्हे का ..... चूस ...... मेरा लण्ड .... आह .. ।
मैं भी मस्ती मे गुप्ता जी के लिंग को चूसती रही और तभी बस का हॉर्न बजा ,, ये हमारे वाले स्टॉप का हॉर्न था , हॉर्न सुनते ही मैं एक दम से घबरा गई और गुप्ता जी के लिंग को अपने मुहँ से निकाल-कर , जल्दी से खड़ी होकर अपने कपड़े ठीक करते हुए उतरने की तैयारी करने लगी
गुप्ता जी ने भी मुझे अब नहीं टोका , घबराहट के मारे मेरी हवस अब काफूर हो गई । उधर गुप्ता जी ने भी अपने लिंग को अपने हाथ से पकड़कर 5-6 बार तेजी से हिलाया और एकदम से अपने दाँत भींचते हुए अपना कितना ही वीर्य वही बस मे गिरा दिया
और फिर जल्दी से अपना लिंग अपनी पेन्ट के अन्दर डाल लिया । मैं जब तक नॉर्मल हुई मेरा स्टॉप आ गया और बस के पिछले गेट खुल गए , मैंने बिना गुप्ता जी की ओर देखे आगे कदम बढ़ाए और बस से उतरते हुए तेजी से गली मे चलने लगी । मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मैंने एक बार भी पलटकर गुप्ता जी की ओर नहीं देखा , जल्दी -2 मे मैं , गुप्ता जी से अपना कमरबन्द लेना भी भूल गई ।
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गुप्ता जी - इससे खेलों ना पदमा ..... इसे अपने नाजुक हाथों का स्पर्श करा दो ताकि ये धन्य हो जाए ।
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गुप्ता जी के लिंग पर हाथ पड़ते ही मेरे पूरे जिस्म मे एक करंट सा दौड़ गया और मैंने तेजी से अपने हाथ उनके लिंग से पीछे खेन्च लिए । मगर गुप्ता जी हार कहाँ मानने वाले थे उन्होंने फिर से मेरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया और खुद अपने हाथों से मेरी चुचियाँ पकड़कर अपने होंठ मेरी चुचियों पर रखकर उन्हे अपने मुहँ मे भर-भरकर उनका दूध निचोड़ने लगे ।
इस बार मैंने भी अपना हाथ गुप्ता जी के लिंग से नहीं हटाया और उसे अच्छे से महसूस करने के लिए पकड़े हुए ही थोड़ा आगे पीछे करने लगी । गुप्ता जी का लिंग बोहोत काला था अब तक के जीतने मैंने देखे थे उनमे सबसे काला गुप्ता जी का ही था । गुप्ता जी मेरे लिंग के हिलाने के साथ-साथ बीच मे कराहने लगे और अपने दोनों हाथ मेरे पीछे लेजाकर मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरे बड़े-बड़े नितम्बों को मसलने लगे । ऐसा लग रहा था कि मानो गुप्ता जी के लिए तो वहाँ कोई कपड़ा ही नहीं है और वो ऐसे ही मेरे नितम्बों को मसल रहे थे जैसे मैं बिल्कुल नग्न उनकी बाहों मे खड़ी हूँ ।
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"क्या ......???.. मुहँ मे ...... " - ये क्या बोल रहे है गुप्ता जी ... । जैसे ही मैंने ये सुना मेरे कान खड़े हो गए । मैंने तो आज तक अशोक का लिंग भी अपने मुहँ मे नहीं लिया और गुप्ता जी मुझे चलती हुई बस मे अपना लिंग मुहँ मे लेने को कह रहे है । नहीं नहीं ये नहीं तो सकता ।
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इतना बड़ा लिंग ,मैं सही से अपने मुहँ मे ले भी नहीं पा रही थी मगर फिर भी गुप्ता जी मेरे सर को अपने लिंग पर दबाते हुए मस्ती मे कुछ बड़बड़ाते जा रहे थे ।
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गुप्ता जी ने भी मुझे अब नहीं टोका , घबराहट के मारे मेरी हवस अब काफूर हो गई । उधर गुप्ता जी ने भी अपने लिंग को अपने हाथ से पकड़कर 5-6 बार तेजी से हिलाया और एकदम से अपने दाँत भींचते हुए अपना कितना ही वीर्य वही बस मे गिरा दिया
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