21-01-2023, 01:02 AM
और अब गुप्ता जी ने अपने हाथों की सखताई मेरे गद्देदार नितम्बों पर और भी मजबूत कर दी और मेरी साड़ी को उठा-उठाकर मेरे नितम्बों को रगड़ने लगे अब मेरे हौसले भी जवाब देने लगे थे और गुप्ता जी ने मुझे हवस के गहरे कुएँ धकलने का पूरा इंतेजम कर लिया ।
गुप्ता जी एक दर्जी थे जो उनके हाथों के पकड़ने की कला से ही जाहिर हो जाता है , मेरे नितम्बों की गोलाइयों का बराबर माप लेते हुए वो उन्हे मसलने लगे और मेरे गालों पर चूमते हुए गुप्ता जी ने मेरे कान को एक बार अपने गरम होंठों मे भर लिया और उसे ना केवल जी भरकर चूसा बल्कि अंत मे अपने कठोर दाँतों से उस पर काट कर वहाँ अपने प्यार का प्रतीक बना दिया ।
" आह .........।..। गुप्ता जी ................... । " - मैंने अपने होंठों से हुँकार भरी । जिसे सुनकर गुप्ता जी पीछे से ही बोले - " मजा आ रहा है ना पदमा । "
मैं - ऑफफ ...... गुप्ता जी ये आप क्या कर रहे है ...... ।
गुप्ता जी - तुम बस मजा लो पदमा ......... । आज तुम्हें बोहोत मजा आने वाला है ।
मैं - म्मम्म् ..... नहीं गुप्ता जी .... मुझे छोड़िए कोई देख लेगा .... आह ..... ।
गुप्ता जी मेरी हर बात को नज़रअंदाज़ करते हुए बस आपनी वासना की आग मिटाने मे लगे थे और मुझे अब पीछे से अपनी बाहों मे भरकर अपनी पैंट मे कैद फनफनाते हुए लिंग से मेरे नितम्बों धीरे-धीरे पर धक्के लगाने लगे । मेरी दिल की धड़कनों का ऐसा हाल था की मेरी चूचियाँ मेरा ब्लाउज और ब्रा फाड़कर बाहर निकलने को बेताब हो रही थी और साँसे तो मैं क्या ही कहूँ ?
मुझे इतना अजीब जी उत्तेजना महसूस हो रही थी कि मैं बता नहीं सकती । बस के अन्दर एक अजीब ही माहोल बन गया था कितने ही लोग हमसे आगे खड़े सीधे देख रहे थे और इधर गुप्ता जी मुझे लूटने मे व्यस्त थे ।
गुप्ता जी - पदमा ..... तुम्हें अपना वादा याद है ना ।
मैं समझ रही थी कि गुप्ता जी क्या कहना चाह रहे है ......
मैं - शशशश......कौन स वादा गुप्ता जी ....... ?
गुप्ता जी - अभी बताता हूँ ..... ।
कहते हुए गुप्ता जी ने मेरे पीछे से अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर और अपनी बाहों को भी मेरे इर्द-गिर्द से हटा लिया अब गुप्ता जी के लिंग का वार मेरे नितम्बों पर नहीं हो रहा था और ना ही उनके वो चुंबन मे कानों और गले पर पड़ रहे थे । एक बार को तो मुझे थोड़ा आश्चर्य सा हुआ कि ये क्या हुआ गुप्ता जी को , क्योंकि मुझे भी इस खेल मैं अब मजा आ रहा था और मैं भी गुप्ता जी के जिस्म से मिलने वाले मजे का आनंद ले रही थी , और अगले ही पल गुप्ता जी ने मुझे मेरी कमर के दोनों भागों से पकड़कर अपनी ओर घूमा दिया
और बिना देरी कीये मेरी साड़ी का पल्लू सामने से हटाते हुए मेरे गले से लेकर ब्लाउज के क्लीवेज तक मुझे ज़ोरों से चूमने लगे । मेरे बदन की नस-नस मे गुप्ता जी ने अपनी हवस की बिजली भरनी शुरू करदी
मैं - आह ..... गुप्ता जी ..... अब बस कीजिए ...... नाह ....... ।
गुप्ता जी ने एक पल के लिए अपने होंठ मेरे जिस्म से हटाते हुए कहा - " पहले बताओ .... अपना वादा याद है ना ? " और इतना कहकर फिर से मुझे चूमने लगे और अपने हाथ मेरे पीछे साड़ी पर लेजाकर मेरे नितम्बों को जोर जोर से रगड़ने और मसलने लगे ।
मैं - हाँ .... गुप्ता जी ..... मुझे ...याद है ..... अपना वादा ..... ओह ..।
गुप्ता जी - तो वादा पूरा करो पदमा .... ।
मैं - ओह गुप्ता जी ..... यहाँ नहीं ...... प्लीज ...... ।
गुप्ता जी - नहीं पदमा ..... अब मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता ..। मेरे होंठ बोहोत प्यासे हो चुके है अब इनकी प्यास तुम्हारे इन रसीले लबों के शरबत से ही बुझेगी ।
मैं - गुप्ता जी ...... प्लीज ..... नहीं ,,,,,,, कोई देख लेगा .... तो मैं बर्बाद हो जाऊँगी .... ।