21-01-2023, 12:16 AM
मैंने खुश होकर हामी भर दी
![[Image: mpv-shot0079.jpg]](https://i.postimg.cc/rp0RyWH5/mpv-shot0079.jpg)
और गुप्ता जी के साथ बस के पिछले भाग की ओर जाने लगी , मगर मैं नहीं जानती थी कि जिसे मैं गुप्ता जी की उदारता समझ रही हूँ वो दरसल उनकी एक योजना का हिस्सा है । बस मे पीछे की ओर जाते हुए भी हमे एक भीड़ के दायरे को पार करना था । इसके लिए गुप्ता जी ने मेरा हाथ जो अभी भी उन्हे खुरदुरे हाथ मे अटखेलियाँ कर रहा था को अपनी कमर पर लपेटा और खुद अपना एक हाथ धीरे से मेरी पतली कमर से गुजारते हुए उसे मजबूती से अपने शिकंजे मे ले लिया
![[Image: 20221124-204802.gif]](https://i.postimg.cc/m24938XD/20221124-204802.gif)
और दूसरे हाथ को मेरी नंगी बैकलेस पीठ पर रखकर मुझे अपनी ओर ताकत से खींचा इससे मेरी जो चूचियाँ गुप्ता जी के सिने से अबतक रगड़ खा रही थी वो अब उनकी छाती से अब बिल्कुल दब गई और तो और इस झटके से मेरे और गुप्ता जी के होंठ भी एक दूसरे के बिल्कुल करीब आ गए और हमारे होंठों से निकलने वाली गरम साँसों ने एक दूसरे को काम-क्रिया को दी जाने वाली संजीवनी की तरह एक दूसरे को रोमांचित करना शुरू कर दिया ।
![[Image: tumblr-p0ydza-XWl-H1udxqyao1-400.gif]](https://i.postimg.cc/CLGWtQLq/tumblr-p0ydza-XWl-H1udxqyao1-400.gif)
मेरे और गुप्ता जी के होंठों के मध्य अब बस नाम मात्र का फ़ासला था ऐसा लगता रहा था कि गुप्ता जी के काले खुरदुरे होंठ किसी भी पल मेरे रसीले शरबत से भरे होंठों पर टूट पड़ेंगे और इनका सारा रस-शरबत पी जाएंगे । इस प्रकार एक भीड़ भरी बस मे एक पराए मर्द के साथ चिपकने मे मुझे बोहोत शर्म आ रही थी
![[Image: actress-divyayani-chakravarthi-backless-03.jpg]](https://i.postimg.cc/d3ptxSqX/actress-divyayani-chakravarthi-backless-03.jpg)
और ऊपर से गुप्ता जी थे भी तो उम्र मे मुझसे कही बड़े । मेरे मन मे ये चिंता भी थी कि कही कोई हमे इस तरह एक दूसरे का आलिंगन कीये हुए ना देख ले , मैंने अपने चारों ओर देखा तो पाया किसी का ध्यान हम पर नहीं था सब लोग भीड़ के कारण परेशान थे । मुझे अपने जिस्म से ऐसे ही चिपकाए गुप्ता जी उस भारी भीड़ मे आगे बढ़ने लगे और हर पल के साथ मेरे जिस्म पर अपने हाथों की पकड़ और भी मजबूत करते गए और अपने हाथ मेरी कमर और पीठ पर घुमा-कर उनपर अपनी ऊँगलियों की चाप छोड़ने लगे । बीच -2 मे गुप्ता जी के होंठों से निकलती भारी साँसों की गंध मेरे मुहँ और नाक के जरिए मेरे अन्दर जाने लगी और मेरी साँसों मे भी खलबली मचने लगी ।
![[Image: rash.gif]](https://i.postimg.cc/449dKsBR/rash.gif)
एक तो पहले से ही गुप्ता जी के इतने करीब होने से मेरी साँसे शर्म के मारे बावली हो रही थी और दूसरे हमले के लिए गुप्ता जी के खुरदुरे हाथ जो पीछे से मेरे जिस्म का आनंद उठा रहे थे, मेरे अन्दर रोम-रोम को तना रहे थे । गुप्ता जी का वो हाथ जो अबतक मेरी कमर को अपनी पकड़ मे बाँधे हुए था अब धीरे-2 नीचे सरकते हुए मेरे नितम्बों पर आ टीका था और उनपर बड़े प्यार से सहला रहा था अन्दर ही अन्दर मैं गुप्ता जी को कोस रही थी "अगर वो वहाँ आकर उस टैक्सी ड्राइवर से झगड़ा ना करते तो मैं कैसे भी मैंनेज करके उसी टैक्सी मे चली जाती, मगर अब गुप्ता जी के साथ इस भीड़ भरी बस मे धक्के खाते हुए जाना पड़ रहा है वो भी खड़े-खड़े और ऊपर से गुप्ता जी की ये बेबाक हरकते मेरे जिस्म को मोमबत्ती की तरह पिघलने पर मजबूर कर रही है । " मैं अपने विचारों की दुविधा मे थी कि इसी दौरान भीड़ से निकलते हुए एकाक बस मे एक धक्का सा लगा गुप्ता जी अपने स्थान से विचलित होते हुए मेरे होंठों पर गिरने को हो गए, मैं और गुप्ता जी पहले ही बेहद करीब थे और इसपर गुप्ता जी का मेरी ओर झुकना इसका सीधा मतलब था गुप्ता जी का मेरे होंठों पर होने वाला हमला , पर मैंने समय रहते स्थिति को संभाल लिया और ऐन मौके पर अपने होंठों को गुप्ता जी के होंठों से दूर खींचते हुए अपना सर दूसरी ओर घुमा लिया लेकिन इतना करने पर मेरे होंठ तो गुप्ता जी के होंठों से बच गए पर मेरे गाल उनके होंठों के स्पर्श से नहीं बच पाए और गुप्ता जी ने मौका पाते ही , मेरे गाल के निचले हिस्से पर अपने होंठ रगड़ते हुए वहाँ पर मुझे चूम लिया ।![[Image: 26892154c6810588a21410744e9f8f7a422b468b.jpg]](https://i.postimg.cc/d1RxX7JK/26892154c6810588a21410744e9f8f7a422b468b.jpg)
एकदम से हुए इस वाक्या से गुप्ता जी थोड़े सम्भलते हुए मेरी ओर देखकर बोले - "ओह ... माफ करना पदमा ,पीछे से एकदम से धक्का लग गया था । " अपने आप को संभालते हुए मैंने सबसे पहले ये देखा कि कही गुप्ता जी को ऐसा करते हुए किसी और ने बस मे देखा तो नहीं । जब मैंने सुनिश्चित कर लिया की सब अपने मे मस्त है किसी को हम पर नजर रखने की फुर्सत नहीं तो मैंने गुप्ता जी की बात का जवाब दिया -
मैं - कोई बात नहीं गुप्ता जी , मैं समझ सकती हूँ बस मे बोहोत भीड़ है ।
मेरी बात सुनकर गुप्ता जी थोड़े सीधे हुए और आगे बढ़ने लगे । मैं तो बस जल्द से जल्द गुप्ता जी के चंगुल से निकलना चाहती थी ,क्योंकि गुप्ता जी का जो हाथ मेरे गोल भारी मांसल नितम्बों को पहले केवल सहला रहा था अब धीरे धीरे उन्हे अपने हाथों मे भरने की कोशिशे करने लगा था । और एक बार तो गुप्ता जी ने भीड़ का फायदा उठाते हुए मेरे एक नितम्ब को अपने हाथ मे जितना हो सके उतना भरकर जोर से दबा दिया ।
![[Image: 20230116-194054.gif]](https://i.postimg.cc/nzV4FMvx/20230116-194054.gif)
हड़बड़ाहट और रोमांच मे मेरे मुहँ से एक "आह......" फूट पड़ी ।
मेरी आह सुनते ही गुप्ता जी अपने होंठों पर एक कुटिल मुस्कान लिए मेरी आँखों मे देखते हुए बोले - "क्या हुआ पदमा । "
अपनी नज़रों को गुप्ता जी की सवालिया नज़रों से चुराते हुए और अपनी घबराहट छिपाते हुए मैं उनसे कहा - "कुछ नहीं गुप्ता जी , थोड़ा भीड़ की वजह से ......... "
मैंने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया जिसे गुप्ता जी ने पूरा किया ।
गुप्ता जी - ओह ..... बस थोड़ी देर और पदमा । "
फिर थोड़ी ओर जद्दो -जहद के बाद आखिर हम दोनों एक दूसरे को अपने जिस्म से सटाये बस के आखिर मे पहुँच गए जैसा गुप्ता जी ने कहा था बस मे पीछे की ओर वाकई मे काफी जगह थी यहाँ पर लोग बोहोत ही कम थे ,और जो थे वो हमसे आगे ही थे । यहाँ आकर हमे कुछ राहत मिली और एक सुकून की साँस हम दोनों ने ली । मगर यहाँ आकर भी गुप्ता जी ने मुझे अपनी बाहों की पकड़ से आजाद नहीं किया बल्कि उसी तरह अपने एक हाथ से मेरी पीठ को पकड़े और दूसरे हाथ से मेरे नितम्बों की गोलाइयों को थामे गुप्ता जी मुझे अपने जिस्म की ओर बाँधे खड़े रहे ।
![[Image: video2gif-20190104-160814.gif]](https://i.postimg.cc/J0ZdfPZ0/video2gif-20190104-160814.gif)
मानों वो मुझसे दूर हटना भूल गए हों या शायद हटना ही ना चाहते हो । जब गुप्ता जी की ओर से कोई गतिविधि नहीं हुई तब मैंने ही उनकी ओर देखते हुए कहा -
मैं - गुप्ता जी.... ।
गुप्ता जी( वैसे ही ) - हम्म क्या हुआ पदमा ।
मैं - मुझे छोड़िए ना अब ।
मेरी बात सुनकर जैसे गुप्ता जी को ध्यान आया की मैं अभी भी उनकी बाहों की कैद मे हूँ और फिर " ओह हाँ पदमा ....... । " कहते हुए गुप्ता जी ने अपना एक हाथ मेरी पीठ से वापस खिंच किया और दूसरा हाथ भी मेरे नितम्बों पर से हटा लिया और मुझे अपनी पकड़ से आजाद करके शांति से वही खड़े हो गए । हम दोनों बस के बिल्कुल आखिर मे खड़े थे हमारे साथ बगल मे कोई ओर दूसरा आदमी नहीं था । बाकी के सभी लोग हमसे आगे ही खड़े थे, वो सब लोग सामने की ओर चेहरा करके खड़े थे और उन सबकी पीठ हमारी ओर ही थी । इतनी देर उस भीड़ मे गुप्ता जी के साथ चिपके रहने से मेरी साँसे बोहोत भारी हो गई थी और मेरी साँसे बोहोत तेज तेज चल रही थी जिसके कारण मेरी चूचियाँ भी तेजी के साथ ऊपर नीचे हो रही थी
![[Image: vidya-balan-hot-hi-blitz-magazine-stills-2.jpg]](https://i.postimg.cc/s25QZWYS/vidya-balan-hot-hi-blitz-magazine-stills-2.jpg)
और उनपर गुप्ता जी किसी गिद्ध की तरह नजर गड़ाए खड़े थे । जब मैंने ये बात नोटिस की तो अपने आप को नॉर्मल करते हुए , गुप्ता जी की ओर से घूमकर दूसरी तरफ मुहँ कर लिया और खड़ी हो गई ।![[Image: XMiGmJP.gif]](https://i.postimg.cc/BQ3h8525/XMiGmJP.gif)
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और गुप्ता जी के साथ बस के पिछले भाग की ओर जाने लगी , मगर मैं नहीं जानती थी कि जिसे मैं गुप्ता जी की उदारता समझ रही हूँ वो दरसल उनकी एक योजना का हिस्सा है । बस मे पीछे की ओर जाते हुए भी हमे एक भीड़ के दायरे को पार करना था । इसके लिए गुप्ता जी ने मेरा हाथ जो अभी भी उन्हे खुरदुरे हाथ मे अटखेलियाँ कर रहा था को अपनी कमर पर लपेटा और खुद अपना एक हाथ धीरे से मेरी पतली कमर से गुजारते हुए उसे मजबूती से अपने शिकंजे मे ले लिया
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और दूसरे हाथ को मेरी नंगी बैकलेस पीठ पर रखकर मुझे अपनी ओर ताकत से खींचा इससे मेरी जो चूचियाँ गुप्ता जी के सिने से अबतक रगड़ खा रही थी वो अब उनकी छाती से अब बिल्कुल दब गई और तो और इस झटके से मेरे और गुप्ता जी के होंठ भी एक दूसरे के बिल्कुल करीब आ गए और हमारे होंठों से निकलने वाली गरम साँसों ने एक दूसरे को काम-क्रिया को दी जाने वाली संजीवनी की तरह एक दूसरे को रोमांचित करना शुरू कर दिया ।
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मेरे और गुप्ता जी के होंठों के मध्य अब बस नाम मात्र का फ़ासला था ऐसा लगता रहा था कि गुप्ता जी के काले खुरदुरे होंठ किसी भी पल मेरे रसीले शरबत से भरे होंठों पर टूट पड़ेंगे और इनका सारा रस-शरबत पी जाएंगे । इस प्रकार एक भीड़ भरी बस मे एक पराए मर्द के साथ चिपकने मे मुझे बोहोत शर्म आ रही थी
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और ऊपर से गुप्ता जी थे भी तो उम्र मे मुझसे कही बड़े । मेरे मन मे ये चिंता भी थी कि कही कोई हमे इस तरह एक दूसरे का आलिंगन कीये हुए ना देख ले , मैंने अपने चारों ओर देखा तो पाया किसी का ध्यान हम पर नहीं था सब लोग भीड़ के कारण परेशान थे । मुझे अपने जिस्म से ऐसे ही चिपकाए गुप्ता जी उस भारी भीड़ मे आगे बढ़ने लगे और हर पल के साथ मेरे जिस्म पर अपने हाथों की पकड़ और भी मजबूत करते गए और अपने हाथ मेरी कमर और पीठ पर घुमा-कर उनपर अपनी ऊँगलियों की चाप छोड़ने लगे । बीच -2 मे गुप्ता जी के होंठों से निकलती भारी साँसों की गंध मेरे मुहँ और नाक के जरिए मेरे अन्दर जाने लगी और मेरी साँसों मे भी खलबली मचने लगी ।
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एक तो पहले से ही गुप्ता जी के इतने करीब होने से मेरी साँसे शर्म के मारे बावली हो रही थी और दूसरे हमले के लिए गुप्ता जी के खुरदुरे हाथ जो पीछे से मेरे जिस्म का आनंद उठा रहे थे, मेरे अन्दर रोम-रोम को तना रहे थे । गुप्ता जी का वो हाथ जो अबतक मेरी कमर को अपनी पकड़ मे बाँधे हुए था अब धीरे-2 नीचे सरकते हुए मेरे नितम्बों पर आ टीका था और उनपर बड़े प्यार से सहला रहा था अन्दर ही अन्दर मैं गुप्ता जी को कोस रही थी "अगर वो वहाँ आकर उस टैक्सी ड्राइवर से झगड़ा ना करते तो मैं कैसे भी मैंनेज करके उसी टैक्सी मे चली जाती, मगर अब गुप्ता जी के साथ इस भीड़ भरी बस मे धक्के खाते हुए जाना पड़ रहा है वो भी खड़े-खड़े और ऊपर से गुप्ता जी की ये बेबाक हरकते मेरे जिस्म को मोमबत्ती की तरह पिघलने पर मजबूर कर रही है । " मैं अपने विचारों की दुविधा मे थी कि इसी दौरान भीड़ से निकलते हुए एकाक बस मे एक धक्का सा लगा गुप्ता जी अपने स्थान से विचलित होते हुए मेरे होंठों पर गिरने को हो गए, मैं और गुप्ता जी पहले ही बेहद करीब थे और इसपर गुप्ता जी का मेरी ओर झुकना इसका सीधा मतलब था गुप्ता जी का मेरे होंठों पर होने वाला हमला , पर मैंने समय रहते स्थिति को संभाल लिया और ऐन मौके पर अपने होंठों को गुप्ता जी के होंठों से दूर खींचते हुए अपना सर दूसरी ओर घुमा लिया लेकिन इतना करने पर मेरे होंठ तो गुप्ता जी के होंठों से बच गए पर मेरे गाल उनके होंठों के स्पर्श से नहीं बच पाए और गुप्ता जी ने मौका पाते ही , मेरे गाल के निचले हिस्से पर अपने होंठ रगड़ते हुए वहाँ पर मुझे चूम लिया ।
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एकदम से हुए इस वाक्या से गुप्ता जी थोड़े सम्भलते हुए मेरी ओर देखकर बोले - "ओह ... माफ करना पदमा ,पीछे से एकदम से धक्का लग गया था । " अपने आप को संभालते हुए मैंने सबसे पहले ये देखा कि कही गुप्ता जी को ऐसा करते हुए किसी और ने बस मे देखा तो नहीं । जब मैंने सुनिश्चित कर लिया की सब अपने मे मस्त है किसी को हम पर नजर रखने की फुर्सत नहीं तो मैंने गुप्ता जी की बात का जवाब दिया -
मैं - कोई बात नहीं गुप्ता जी , मैं समझ सकती हूँ बस मे बोहोत भीड़ है ।
मेरी बात सुनकर गुप्ता जी थोड़े सीधे हुए और आगे बढ़ने लगे । मैं तो बस जल्द से जल्द गुप्ता जी के चंगुल से निकलना चाहती थी ,क्योंकि गुप्ता जी का जो हाथ मेरे गोल भारी मांसल नितम्बों को पहले केवल सहला रहा था अब धीरे धीरे उन्हे अपने हाथों मे भरने की कोशिशे करने लगा था । और एक बार तो गुप्ता जी ने भीड़ का फायदा उठाते हुए मेरे एक नितम्ब को अपने हाथ मे जितना हो सके उतना भरकर जोर से दबा दिया ।
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हड़बड़ाहट और रोमांच मे मेरे मुहँ से एक "आह......" फूट पड़ी ।
मेरी आह सुनते ही गुप्ता जी अपने होंठों पर एक कुटिल मुस्कान लिए मेरी आँखों मे देखते हुए बोले - "क्या हुआ पदमा । "
अपनी नज़रों को गुप्ता जी की सवालिया नज़रों से चुराते हुए और अपनी घबराहट छिपाते हुए मैं उनसे कहा - "कुछ नहीं गुप्ता जी , थोड़ा भीड़ की वजह से ......... "
मैंने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया जिसे गुप्ता जी ने पूरा किया ।
गुप्ता जी - ओह ..... बस थोड़ी देर और पदमा । "
फिर थोड़ी ओर जद्दो -जहद के बाद आखिर हम दोनों एक दूसरे को अपने जिस्म से सटाये बस के आखिर मे पहुँच गए जैसा गुप्ता जी ने कहा था बस मे पीछे की ओर वाकई मे काफी जगह थी यहाँ पर लोग बोहोत ही कम थे ,और जो थे वो हमसे आगे ही थे । यहाँ आकर हमे कुछ राहत मिली और एक सुकून की साँस हम दोनों ने ली । मगर यहाँ आकर भी गुप्ता जी ने मुझे अपनी बाहों की पकड़ से आजाद नहीं किया बल्कि उसी तरह अपने एक हाथ से मेरी पीठ को पकड़े और दूसरे हाथ से मेरे नितम्बों की गोलाइयों को थामे गुप्ता जी मुझे अपने जिस्म की ओर बाँधे खड़े रहे ।
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मैं - गुप्ता जी.... ।
गुप्ता जी( वैसे ही ) - हम्म क्या हुआ पदमा ।
मैं - मुझे छोड़िए ना अब ।
मेरी बात सुनकर जैसे गुप्ता जी को ध्यान आया की मैं अभी भी उनकी बाहों की कैद मे हूँ और फिर " ओह हाँ पदमा ....... । " कहते हुए गुप्ता जी ने अपना एक हाथ मेरी पीठ से वापस खिंच किया और दूसरा हाथ भी मेरे नितम्बों पर से हटा लिया और मुझे अपनी पकड़ से आजाद करके शांति से वही खड़े हो गए । हम दोनों बस के बिल्कुल आखिर मे खड़े थे हमारे साथ बगल मे कोई ओर दूसरा आदमी नहीं था । बाकी के सभी लोग हमसे आगे ही खड़े थे, वो सब लोग सामने की ओर चेहरा करके खड़े थे और उन सबकी पीठ हमारी ओर ही थी । इतनी देर उस भीड़ मे गुप्ता जी के साथ चिपके रहने से मेरी साँसे बोहोत भारी हो गई थी और मेरी साँसे बोहोत तेज तेज चल रही थी जिसके कारण मेरी चूचियाँ भी तेजी के साथ ऊपर नीचे हो रही थी
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और उनपर गुप्ता जी किसी गिद्ध की तरह नजर गड़ाए खड़े थे । जब मैंने ये बात नोटिस की तो अपने आप को नॉर्मल करते हुए , गुप्ता जी की ओर से घूमकर दूसरी तरफ मुहँ कर लिया और खड़ी हो गई ।
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