18-01-2023, 08:28 AM
मैं उनकी जांघें बिना खोले उन पर लेट गया और चूत के नीचे लंड पेल दिया।
वे सिसिया गईं, उन्होंने जांघें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने दोनों तरफ से अपनी जांघों से दबाया हुआ था। मेरा लौड़ा उनकी चूत के मुंह से होकर जांघों में घुसा था और मैं उसे अंदर-बाहर किए जा रहा था।
कसम से ऐसा मजा पहले कभी नहीं आया था।
मैं उन पर लेट कर सूट ऊपर कर मम्मे चूसता और उन्हें हर जगह से रगड़ता दबाता, घस्से मारता रहा कि तभी उन्हें मौका मिल गया; उन्होंने अपनी जांघें चौड़ी कीं। तभी मेरे घोड़े को गरम-नरम गुफा में रास्ता मिला और वह बेलगाम दौड़ पड़ा।
मैं तो जैसे स्वर्ग में था। मैं अब पूरी तरह उनकी जांघों के बीच आ गया और उनकी बाजुओं के नीचे से हाथ लेजाकर उनके कंधे पकड़ लिए और वहशियों की तरह पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर बुरी तरह घस्से लगाने लगा।
मेरे मुंह से हूं.. हूं…हूं की हुंकार निकल रही थीं और वे मेरे बालों को जोर से खींचते हुए टांगें पूरी चौड़ी किए हुए सिसकारियां मार रही थीं। मेरा पतला पेट उनके गुदगुदे मगर सपाट पेट पर चोट कर रहा था और मेरा रीछ जैसे बालों से भरा शरीर उनके कोमल, रोमरहित शरीर को खरोंच रहा था।
मैं चाहता था कि उनसे पहले न झड़ जाऊँ और इसलिए खुद को कंट्रोल करने की कोशिश भी कर रहा था पर एक्साइट इतना ज्यादा था कि ज्यादा देर चल ना सका और तभी उनका भी सारा बदन थर थर कांपने लगा। इससे मेरा जोश और बढ़ गया, मेरे आखिरी घस्से किसी हथिनी को भी घायल करने के लिए काफी थे। मैं इस तरह भिड़ रहा था कि कंधे ना पकड़े होते तो वे ऊपर सरक जातीं।
आखिर हुंकारते हुए मैंने सारा ध्यान लौड़े की टिप पर लगा दिया और आनन्द में गोते लगाते हुए झड़ने लगा। उस वक्त मुझे आंटी का कोई ख्याल ना रहा।
जब होश आया तो आंटी भी अस्त-व्यस्त थीं, उनकी लटें बिखर गई थीं और होठों के ऊपर पसीने की बूंदें थीं।
वे सिसिया गईं, उन्होंने जांघें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने दोनों तरफ से अपनी जांघों से दबाया हुआ था। मेरा लौड़ा उनकी चूत के मुंह से होकर जांघों में घुसा था और मैं उसे अंदर-बाहर किए जा रहा था।
कसम से ऐसा मजा पहले कभी नहीं आया था।
मैं उन पर लेट कर सूट ऊपर कर मम्मे चूसता और उन्हें हर जगह से रगड़ता दबाता, घस्से मारता रहा कि तभी उन्हें मौका मिल गया; उन्होंने अपनी जांघें चौड़ी कीं। तभी मेरे घोड़े को गरम-नरम गुफा में रास्ता मिला और वह बेलगाम दौड़ पड़ा।
मैं तो जैसे स्वर्ग में था। मैं अब पूरी तरह उनकी जांघों के बीच आ गया और उनकी बाजुओं के नीचे से हाथ लेजाकर उनके कंधे पकड़ लिए और वहशियों की तरह पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर बुरी तरह घस्से लगाने लगा।
मेरे मुंह से हूं.. हूं…हूं की हुंकार निकल रही थीं और वे मेरे बालों को जोर से खींचते हुए टांगें पूरी चौड़ी किए हुए सिसकारियां मार रही थीं। मेरा पतला पेट उनके गुदगुदे मगर सपाट पेट पर चोट कर रहा था और मेरा रीछ जैसे बालों से भरा शरीर उनके कोमल, रोमरहित शरीर को खरोंच रहा था।
मैं चाहता था कि उनसे पहले न झड़ जाऊँ और इसलिए खुद को कंट्रोल करने की कोशिश भी कर रहा था पर एक्साइट इतना ज्यादा था कि ज्यादा देर चल ना सका और तभी उनका भी सारा बदन थर थर कांपने लगा। इससे मेरा जोश और बढ़ गया, मेरे आखिरी घस्से किसी हथिनी को भी घायल करने के लिए काफी थे। मैं इस तरह भिड़ रहा था कि कंधे ना पकड़े होते तो वे ऊपर सरक जातीं।
आखिर हुंकारते हुए मैंने सारा ध्यान लौड़े की टिप पर लगा दिया और आनन्द में गोते लगाते हुए झड़ने लगा। उस वक्त मुझे आंटी का कोई ख्याल ना रहा।
जब होश आया तो आंटी भी अस्त-व्यस्त थीं, उनकी लटें बिखर गई थीं और होठों के ऊपर पसीने की बूंदें थीं।