15-01-2023, 01:05 PM
मीरा आंटी की मस्त चूडाई
हल्लो दास्तो मेंरा नाम रवि है .और मै जयपुर का रहने वाला हू।
जो कहानी मै आप सब को बताने जा रहा हु .वो कहानी मेरी और मीरा आंटी की चूडाई की है।
आज से 3 महीने पहले की बात है .मेरे दोस्त संदीप के पापा का एक्सीडेंट हो गया था।
उसके पापा हाँस्पीटल मे भर्ती थे .उसका पूरा परिवार जयपुर मे रूम ले के रहने लगा था।
मै भी उन्हे देखने अस्पताल चले जाया करता था।
एक दिन संदीप ने मुझ से कहा की
संदीप: रवि आज मै अस्पताल मे रात को रूकने वाला हु.तू एक काम करेगा क्या
मै: क्या
संदीप : तू जाते जाते मेरी मम्मी को रूम पे छोड ते हुये चले जाना ।
मै: थीक है
मैने मीरा आंटी को बाइक पे बैठाया ओर वहाँ से चल दिये।
आज मौसम थोडा खराब था.मै आंटी के रूम पे पहुंचा तो अचानक से बारिश शुरू हो गयी।
आंटी: रवि बारिश शुरू हो गयी है ओर मौसम भी खराब है.तू अंदर आजा और थोडी देर बैठ जा।
मै अंंदर आके बैठ गया।
रात के 8 बज गये लेकिन बारिश रूकने का नाम ही नही ले रही थी।
इतने मे संदीप का फोन आया की बारिश बहुत हो रही है आज मेरे रूम पे ही रूक जा।
मैने मना किया लेकिन वो नही माना।
मीरा आंटी रूम मे जाकर सो गयी.
मै बाहर सोफे पे लेट गया .
कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी तो मै किचिन की तरफ गया .तो मैने देखा की मीरा आंटी सो रही थी .ओर हवा से उनकी साडी को पल्लू नीचे लटका हुआ था।
और जैसे जैसे वो सांस ले रही थी वैसे वैसे उनके बूब्स फुलते जा रहे थे। मानो की अभी ब्लाउज फाड कर बाहर आजायेंगे।
मै मीरा आंटी को देखे ही जा रहा था
मीरा आंटी का रंग हल्का सांवला ओर बूब्स मोटे
और उनकी गांड भी चौडी थी
शायद अंकल मीरा आंटी को धोडी बनाकर चोदा करते थे।
मुझ से अब रहा नही जा रहा था .और मै मीरा आंटी के पास गया .और मैने अपना एक हाथ मीरा आंटी की छाती पे रखा .
और बूब्स को दबाने लगा.ब्लाउज के उपर से आंटी के बूब्स एक दम गद्दी दार लग रहे थे।
मेरा एक हाथ मेरे पजामे के अंदर दिया हुआ था .
ओर एक मीरा आंटी की छाती पे था।
कुछ देर बाद मीरा आंटी की आंखे खुल गयी ओर
वो एक दम से खडी हुई तूम यहाँ क्या कर रहे हो .
मैने तुंरत अपना हाथ पजामे से बाहर निकाला.
आंटी : तूम ये सब क्या कर रहे थे .
तूम मेरे बेटे के दोस्त हो ओर तूम्हे शर्म नही आती क्या।
मै शर्म के मारे कुछ बोल भी नही पाया .
मै रूम से बाहर आ गया और अपने घर जाने के लिए तैयार होने लगा.
तभी मीरा आंटी ने मुझे आवाज देकर अपने रूम मे बुलाया.
आंटी: कहाँ जा रहे हो ईतनी रात को.
मै:घर
मीरा आंटी ने मेरा हाथ पकडा और बेड पर बैठा लिया
और रोने लगी.
आंटी: रोते हुए अब तुम्हारे अंकल कभी अपने पैरो पे खडे नही हो पांयेगे।
मीरा आंटी रोने लगी .
मैने आंटी का हाथ पकडा और उन्हे होसला देने लगा।
कुछ देर बाद मे आंटी मेरे गले लग कर रोने लगी
हल्लो दास्तो मेंरा नाम रवि है .और मै जयपुर का रहने वाला हू।
जो कहानी मै आप सब को बताने जा रहा हु .वो कहानी मेरी और मीरा आंटी की चूडाई की है।
आज से 3 महीने पहले की बात है .मेरे दोस्त संदीप के पापा का एक्सीडेंट हो गया था।
उसके पापा हाँस्पीटल मे भर्ती थे .उसका पूरा परिवार जयपुर मे रूम ले के रहने लगा था।
मै भी उन्हे देखने अस्पताल चले जाया करता था।
एक दिन संदीप ने मुझ से कहा की
संदीप: रवि आज मै अस्पताल मे रात को रूकने वाला हु.तू एक काम करेगा क्या
मै: क्या
संदीप : तू जाते जाते मेरी मम्मी को रूम पे छोड ते हुये चले जाना ।
मै: थीक है
मैने मीरा आंटी को बाइक पे बैठाया ओर वहाँ से चल दिये।
आज मौसम थोडा खराब था.मै आंटी के रूम पे पहुंचा तो अचानक से बारिश शुरू हो गयी।
आंटी: रवि बारिश शुरू हो गयी है ओर मौसम भी खराब है.तू अंदर आजा और थोडी देर बैठ जा।
मै अंंदर आके बैठ गया।
रात के 8 बज गये लेकिन बारिश रूकने का नाम ही नही ले रही थी।
इतने मे संदीप का फोन आया की बारिश बहुत हो रही है आज मेरे रूम पे ही रूक जा।
मैने मना किया लेकिन वो नही माना।
मीरा आंटी रूम मे जाकर सो गयी.
मै बाहर सोफे पे लेट गया .
कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी तो मै किचिन की तरफ गया .तो मैने देखा की मीरा आंटी सो रही थी .ओर हवा से उनकी साडी को पल्लू नीचे लटका हुआ था।
और जैसे जैसे वो सांस ले रही थी वैसे वैसे उनके बूब्स फुलते जा रहे थे। मानो की अभी ब्लाउज फाड कर बाहर आजायेंगे।
मै मीरा आंटी को देखे ही जा रहा था
मीरा आंटी का रंग हल्का सांवला ओर बूब्स मोटे
और उनकी गांड भी चौडी थी
शायद अंकल मीरा आंटी को धोडी बनाकर चोदा करते थे।
मुझ से अब रहा नही जा रहा था .और मै मीरा आंटी के पास गया .और मैने अपना एक हाथ मीरा आंटी की छाती पे रखा .
और बूब्स को दबाने लगा.ब्लाउज के उपर से आंटी के बूब्स एक दम गद्दी दार लग रहे थे।
मेरा एक हाथ मेरे पजामे के अंदर दिया हुआ था .
ओर एक मीरा आंटी की छाती पे था।
कुछ देर बाद मीरा आंटी की आंखे खुल गयी ओर
वो एक दम से खडी हुई तूम यहाँ क्या कर रहे हो .
मैने तुंरत अपना हाथ पजामे से बाहर निकाला.
आंटी : तूम ये सब क्या कर रहे थे .
तूम मेरे बेटे के दोस्त हो ओर तूम्हे शर्म नही आती क्या।
मै शर्म के मारे कुछ बोल भी नही पाया .
मै रूम से बाहर आ गया और अपने घर जाने के लिए तैयार होने लगा.
तभी मीरा आंटी ने मुझे आवाज देकर अपने रूम मे बुलाया.
आंटी: कहाँ जा रहे हो ईतनी रात को.
मै:घर
मीरा आंटी ने मेरा हाथ पकडा और बेड पर बैठा लिया
और रोने लगी.
आंटी: रोते हुए अब तुम्हारे अंकल कभी अपने पैरो पे खडे नही हो पांयेगे।
मीरा आंटी रोने लगी .
मैने आंटी का हाथ पकडा और उन्हे होसला देने लगा।
कुछ देर बाद मे आंटी मेरे गले लग कर रोने लगी