09-01-2023, 06:59 PM
(This post was last modified: 10-01-2023, 10:53 AM by rajusethzee. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैं उनसे छूटने के लिए जोर लगाने लगी और बोली- ये क्या कर रहे है आप पापा जी … छोड़िये ये सब गलत है. आपने ज्यादा पी ली है शायद इसलिए भूल गए हैं कि मैं आपकी बहू हूँ.
ससुर जी- हां मैंने ज्यादा पी ली है नैना और ये कुछ भी गलत नहीं है. नैना, हम दोनों ही को पता है कि हम एक दूसरे से क्या चाहते हैं. आज तुम मुझे मत रोको. तुम भी एक मर्द का साथ पाने के लिए तड़फ रही हो.
मैं- नहीं नहीं पापाजी, आप मुझे छोड़ दीजिए. ये सब किसी को पता चल गया तो बड़ी बदनामी होगी, आप इस बात को समझिए.
ससुर जी- जब कोई किसी को बताएगा, तभी तो किसी को पता चलेगा. जो बात रहेगी, हम दोनों के बीच रहेगी.
इतना कहते हुए उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरी चिकनी कमर को कस कर पकड़ लिया.
वो मेरे गालों को चूमने लगे.
मैं मचल रही थी और बोले जा रही थी- नहीं पापाजी, ऐसा मत कीजिए.
लेकिन मजा मुझे भी आ ही रहा था और मैं केवल झूठा विरोध कर रही थी.
कुछ देर में मेरा विरोध भी खत्म हो गया और मैं भी उनसे लिपट गई.
मन ही मन मैं बहुत खुश हो रही थी और सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि आज ससुर जी ने शराब पी ली, जिससे उनके अन्दर इतनी हिम्मत आ गई कि उन्होंने शुरूआत कर दी.
कुछ देर मेरे गालों को चूमने के बाद उन्होंने मेरे चेहरे का दोनों हाथों से थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए.
मैं भी उनके होंठों से होंठ लगा कर उनको चुम्बन में साथ देने लगी थी, साथ ही मैं अपने हाथों से उनके बालों को सहलाने लगी थी.
वो भी समझ गए थे कि चिड़िया ने दाना चुग लिया है.
वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालने की कोशिश करने लगे थे.
खुद मैं इतनी जोश में आ गई थी कि अपनी जीभ निकाल कर उनके मुँह में डालने लगी जिसे वो अपने दांतों से हल्के हल्के काटते हुए चूसने लगे.
मैं उनकी जांघ पर बैठी हुई थी और उन्होंने मेरी साड़ी कमर तक निकाल दी थी.
ससुर जी- हां मैंने ज्यादा पी ली है नैना और ये कुछ भी गलत नहीं है. नैना, हम दोनों ही को पता है कि हम एक दूसरे से क्या चाहते हैं. आज तुम मुझे मत रोको. तुम भी एक मर्द का साथ पाने के लिए तड़फ रही हो.
मैं- नहीं नहीं पापाजी, आप मुझे छोड़ दीजिए. ये सब किसी को पता चल गया तो बड़ी बदनामी होगी, आप इस बात को समझिए.
ससुर जी- जब कोई किसी को बताएगा, तभी तो किसी को पता चलेगा. जो बात रहेगी, हम दोनों के बीच रहेगी.
इतना कहते हुए उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरी चिकनी कमर को कस कर पकड़ लिया.
वो मेरे गालों को चूमने लगे.
मैं मचल रही थी और बोले जा रही थी- नहीं पापाजी, ऐसा मत कीजिए.
लेकिन मजा मुझे भी आ ही रहा था और मैं केवल झूठा विरोध कर रही थी.
कुछ देर में मेरा विरोध भी खत्म हो गया और मैं भी उनसे लिपट गई.
मन ही मन मैं बहुत खुश हो रही थी और सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि आज ससुर जी ने शराब पी ली, जिससे उनके अन्दर इतनी हिम्मत आ गई कि उन्होंने शुरूआत कर दी.
कुछ देर मेरे गालों को चूमने के बाद उन्होंने मेरे चेहरे का दोनों हाथों से थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए.
मैं भी उनके होंठों से होंठ लगा कर उनको चुम्बन में साथ देने लगी थी, साथ ही मैं अपने हाथों से उनके बालों को सहलाने लगी थी.
वो भी समझ गए थे कि चिड़िया ने दाना चुग लिया है.
वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालने की कोशिश करने लगे थे.
खुद मैं इतनी जोश में आ गई थी कि अपनी जीभ निकाल कर उनके मुँह में डालने लगी जिसे वो अपने दांतों से हल्के हल्के काटते हुए चूसने लगे.
मैं उनकी जांघ पर बैठी हुई थी और उन्होंने मेरी साड़ी कमर तक निकाल दी थी.