Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Thriller जंग, मोहब्बत और धोखा
#12
8


जब मै आफिस पहुँचा तब तक वहाँ कोई नहीं आया था। मै अपने कमरे मे बैठ कर उस अनजान व्यक्ति से मिलने की तैयारी मे जुट गया। कागज पर युँहि लकीरे खींचते हुए मै अपने दिमाग मे उससे मिलने की योजना बना रहा था। ठीक नौ बजे टोनी ने आ कर मुझसे कहा… आप आज जल्दी आ गये। आपकी टीम आपके घर के बाहर आपका इंतजार कर रही है। …टोनी उन्हें बुला लो। मुझे अभी थोड़ी देर मे बाहर जाना है। उन्हें फोन करने के लिए वह तुरन्त बाहर निकल गयी। मेरी टीम के आते ही वह अपने बताए हुए काम मे दोबारा जुट गयी थी। ठीक दस बजे मैने टोनी को बुलाया… मै आफिस के बाहर जा रहा हूँ। इन्हें काम करने दो। मैने जाने के लिए टैक्सी बुलाई हुई है। बस जल्दी से इतना करो कि अपने व उन पाँचों के आईडेन्टिटी कार्ड की फोटोकापी करके ले आओ। टोनी फोटोकापी कराने के लिए अपने आफिस की ओर चली गयी और मै अपनी योजना को अमल मे लाने की तैयारी मे जुट गया। दस मिनट के बाद छ: आईडेन्टिटी कार्डस की कापी मेरे सामने रखी हुई थी। मैने जल्दी से उसे अपनी जेब मे रखा और आफिस के बाहर निकल गया। मैने टैक्सी को गेट के बाहर खड़ी रहने का निर्देश दिया था। 

मै बाहर निकला तो एक टैक्सी मेन गेट से कुछ दूरी पर खड़ी हुई थी। मै उसमे बैठा और अपने गंतव्य स्थान की ओर चल दिया। एमजीएम माल अबू धाबी शहर के बीचोंबीच एक जानी पहचानी जगह है। मै वक्त से पहले पहुँच कर एक बार माल का जायज़ा लेना चाहता था। टैक्सी ने मुझे गेट पर छोड़ दिया था। माल मे प्रवेश करते ही मै एक टेलीफोन कम्पनी के शोरूम मे चला गया। मैने साधारण से छह मोबाईल फोन खरीदे और फिर प्री-पेड सिम कार्ड बेचने वाली दुकान की तलाश में निकल गया। माल के हर कोने मे सिम कार्ड बेचने वालों की दुकाने लगी हुई थी। मैने तीन अलग कम्पनियों के दो-दो प्री-पेड सिम कार्ड अपने छ: साथियों के नाम पर खरीद लिये और कुछ ही देर मे मेरे पास छ: नये कनेक्शन सहित फोन आ गये थे। इन सब काम करने मे समय का पता ही नहीं चला। मेरी घड़ी सवा ग्यारह दिखा रही थी। मैने स्टारबक्स से एक काफी ली और आराम से चलते हुए माल के बीचोंबीच जा कर खड़ा हो गया। यहाँ से मुख्य द्वार पर नजर आसानी से रखी जा सकती थी। मै जानना चाहता था कि क्या वह अनजान व्यक्ति मुझे शक्ल से पहचानता है कि नहीं। काफी पीते हुए मेरी नजर आने जाने वाले लोगों पर लगी हुई थी।
इस वक्त भी माल मे काफी लोग घूम रहे थे। पर्यटक अपनी खरीदारी मे लगे हुए थे। कुछ परिवार अपने बच्चों के साथ माल मे घूमने आये हुए थे। युवक और युवतियों के झुन्ड इधर-उधर घूम रहे थे। कुछ अकेले लोग भी घूमते हुए दिख रहे थे लेकिन उनमे से कोई भी मुझे ऐसा नहीं लगा जिसका मै इंतजार कर रहा था। मेरी काफी खत्म हो गयी थी लेकिन न तो मुझे किसी ने काल किया और न ही कोई मेरे पास आया था। मुझे वहाँ पर खड़े हुए दो घंटे से ज्यादा समय हो गया था। मैने एक बार अपनी घड़ी पर नजर डाली और फिर तेजी से माल के बाहर निकल गया और उसी तेजी के साथ एक किनारे मे पेड़ की आढ़ ले कर खड़ा हो गया। मै देखना चाहता था कि कोई मेरे पीछे-पीछे माल से तो बाहर नहीं निकला था। मै कुछ देर वहाँ खड़ा रहा लेकिन बाहर निकलने वालो मे से कोई ऐसा नहीं दिखा जिस पर शक किया जा सके। कुछ और देर रुक कर मैने किनारे खड़ी हुई टैक्सी को युएन कोम्पलेक्स चलने के लिए कहा और पीठ टिका कर उस व्यक्ति के बारे मे सोचने लगा जिससे मै यहाँ मिलने आया था।
…जनाब। टैक्सी ड्राईवर की आवाज मेरे कानों मे पड़ी तो मेरा ध्यान उसकी ओर आकर्षित हो गया। …आप जिसका माल मे इंतजार कर रहे थे वह मै ही हूँ। कल रात को मैने ही आपको फोन किया था। एक पल के लिए मै कुछ बोल नहीं पाया फिर संभलते हुए बोला… अगर मुझसे ऐसे ही मिलना था तो फोन करके मुझे बता देते। मै इतना समय वहाँ खड़े-खड़े  खराब तो नहीं करता। खैर सीधे काम की बात पर आ जाओ। मुझसे क्यों मिलना चाहते थे? …तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। एक पल के लिए मै चकरा कर रह गया था। …शुक्रिया किस के लिए मियाँ? उसने एक खाली जगह देख कर टैक्सी किनारे मे रोक कर मेरी ओर घूम कर देखा और फिर धीरे से बोला… जनाब हमारे उपर लगे हुए झूठे आरोप को खारिज करने के लिए। मेरे दिमाग मे एकाएक घंटी बजी… क्या तुम अल नुसरा फ्रंट से हो? वह एक पल के लिए चुप हो गया और फिर कुछ सोच कर बोला… मै फ्रंट का आदमी नहीं हूँ लेकिन उनकी तरफ से एक मेसेज देना है। सलाहुद्दीन जनाब तुमसे मिलना चाहते है। …पर मै उनसे क्यों मिलूँ। मेरी बात सुन कर वह अचकचा कर बोला… आखिर तुम चाहते क्या हो? …बस इतना कि उस ब्लास्ट के पीछे किसका हाथ था। अगर वह मुझे इसके बारे मे कोई जानकारी दे सकते है तभी मै उनसे मिल सकता हूँ। मैने अपनी जेब से एक नया फोन निकाला और उसपर लिखे हुए नम्बर को उसे देते हुए कहा… अपने सलाहुद्दीन जनाब को यह नम्बर दे देना और याद रहे कि आज के बाद मेरे आफिशियल फोन पर भूल कर भी काल मत करना। अब चुपचाप मुझे वापिस युएन कोम्पलेक्स पर छोड़ दो। उसने वैसा ही किया जैसा उसे कहा गया था।
वह मुझे आफिस के सामने छोड़ कर वापिस चला गया था लेकिन मेरे लिए बहुत सी बातें सोचने के लिए छोड़ गया था। अपने आफिस की ओर जाते हुए एक बात मुझे बार-बार खटक रही थी कि वह मुझे कैसे पहचानता था? इसका जवाब मेरे पास नहीं था। दूसरी बात जिसकी वजह से मैने सलाहुद्दीन से मिलने की शर्त रखी थी वह सिर्फ एक थी कि अल नुसरा फ्रंट के लोगों को कैसे पता चला कि मैने उस मीटींग मे उन पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। यह सिर्फ वो ही इंसान बता सकता था जो उस मीटींग मे शामिल था या फिर जनरल मोर्गन। यही सोच कर मैने उससे खुल कर बात नहीं की थी। मैने जानबूझ कर उसे अपना प्राईवेट नम्बर दिया था कि वह सच बोल रहा होगा तो सलाहुद्दीन मुझसे बात करेगा लेकिन अगर वह किसी चाल का हिस्सा था तो मेरा सिर्फ एक फोन ही उनकी भेंट चड़ गया था। यही सोचते हुए मै अपनी कुर्सी पर जा कर जम गया और अगले कदम की योजना बनाने मे लग गया। मेरे बैठते ही टोनी ने सूचना दी कि पिछले दो घंटे मे तीन बार कर्नल बशीर ने फोन कर चुके है। मैने उसकी बात को अनसुनी करते हुए कहा… ठीक है जब अगली बार वह फोन करे तो मेरी बात करा देना। टोनी वापिस अपने आफिस मे चली गयी और मै एक बार फिर से अपनी व्युहरचना मे जुट गया।
जनरल मोर्गन अब मुझे एक पहेली की भाँति लग रहे थे। मेरा दिमाग मुझे बार-बार उनसे सावधान रहने के इशारे कर रहा था। कुछ भी करने से पहले मुझे जनरल मोर्गन नाम की पहेली सुलझानी जरूरी थी। अभी तक होने वाली सभी घटना कहीं न कहीं जनरल मोर्गन से जुड़ी हुई थी। मै दो साल से अमीरत मे उनका स्टाफ आफीसर रहा था। वैसे मै उनके बारे मे ज्यादा कुछ नहीं जानता था सिवाय उसके जो आफिशियल रिकार्ड दिखाते थे। जनरल मोर्गन ब्रिटिश सेना से सेवानिवृत हो कर युएन शांति सेना के कमांडर का पदभार तीन साल पहले संभाला था। वह ब्रिटिश सेना के अलंकृत सेना अधिकारी थे। उस दिन की मीटिंग के बाद यह भी साफ हो गया था कि उनके संबंध अमीरात सरकार के साथ बेहद अच्छे है। इतना सब कुछ जानने के बाद भी न जाने क्यों मेरी शक की सुई बार-बार जनरल मोर्गन की दिशा मे इंकित कर रही थी। 
मै अपनी उलझन को सुलझाने मे लगा हुआ था कि मेरी मेज पर लगा हुआ फोन बज उठा। …हैलो। …सर, कर्नल बशीर लाइन पर है। …मेरी बात कराओ। एक पल के लिए लाइन शान्त रही फिर कर्नल बशीर की रोबीली आवाज सुनाई दी… हैलो मेजर। …एक्स-मेजर। बताईए कर्नल मै आपके लिए क्या कर सकता हूँ। मिस्टर अली मै आपसे मिलना चाहता हूँ लेकिन मै आपके आफिस इस वक्त नहीं आ सकता। क्या यह मुम्किन है कि आप मेरे आफिस आ जाईए? एक पल के लिए मै कुछ बोलने से पहले रुक गया लेकिन फिर मैने जल्दी से कहा… कब मिलना चाहते है? …क्या आप अभी आ सकते है? …कर्नल मै कोशिश जरूर कर सकता हूँ। आप अपना पता बताईए। …मेजर ओह सौरी मिस्टर अली आपको मेरा आफिस ढूँढना पड़ेगा। मै अपनी कार आपके आफिस भेज देता हूँ वह आपको यहाँ ले आयेगी और काम खत्म होने के बाद वह आपको वापिस आफिस भी छोड़ देगी। …ठीक है कर्नल। आप अपनी कार भेज दिजीए। …ओके खुदा हाफिज़। इतना कह कर उसने फोन काट दिया। मैने टोनी को बुला कर कह दिया कि मुझे एक बार फिर किसी काम से बाहर जाना है। कोई फोन आये तो बस इतना कहना कि मै आफिस मे नहीं हूँ। हाँ एक कार मुझे लेने के लिए आ रही है। जैसे ही कार आए मुझे फौरन बता देना। टोनी ने चुपचाप सुना और फिर मुड़ कर वापिस अपने कमरे की ओर चली गयी।
मैने जल्दी से अपनी मेज की ड्रावर मे स्विच आफ करके पाँच फोन रख कर ताला लगा दिया और एक फोन अपने आफिशियल फोन के साथ अपनी जेब मे डाल लिया। मुश्किल से बीस मिनट गुजरे होंगें की टोनी ने आ कर मुझे बताया कि कार आ गयी है। मैने चलते हुए कहा… अगर मै पाँच बजे तक नहीं लौटता तो मेरा आफिस बन्द करके चली जाना। मै जल्दी से आफिस कोम्पलेक्स मे बाहर खड़ी हुई सफेद कार की ओर चल दिया जिस पर अमीरात सरकार का चिन्ह बना हुआ था। ड्राइवर ने मुझे आता देख कर कार का गेट खोल दिया और मेरे बैठते ही उसने गेट बन्द करके बड़ी फुर्ती से अपनी सीट पर आ कर बैठ गया। मुश्किल से बीस मिनट मे वह कार एक आलीशान शीशे की बनी हुई इमारत के सामने खड़ी हुई थी। ड्राईवर जल्दी से बाहर निकला और गेट खोल कर बोला… जनाब आईए। कार को वही छोड़ कर वह मेरे साथ चल दिया। आधुनिक हथियारों से लैस सेनाकर्मी पूरी इमारत की सुरक्षा मे  लगे हुए थे। कर्नल के आफिस पहुँचने मे मुझे दस मिनट लगे। कर्नल बशीर मेरा इन्तजार कर रहा था। उसने बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया और आलीशान आफिस के एक कोने मे रखे हुए सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए कहा… मिस्टर अली प्लीज तशरीफ रखिए।  मै सोफे पर बैठ गया और वह मेरे सामने रखे हुए सोफे पर बैठ कर बोला… शुक्रिया कि आपने इतने शार्ट नोटिस पर भी कुछ समय निकाल सके।  
…कर्नल बताईए आप किसलिए मिलना चाहते थे? …मेजर शब्द से लगता है आपको चिड़ है और मिस्टर अली काफी फोर्मल लगता है। मै इस पेशोपश मे हूँ कि आपको क्या कहूँ। पहली बार उसके सामने मुस्कुराते हुए मैने कहा… कर्नल, मुझे मेजर शब्द से कोई चिढ़ नही है। यह तो मेरे लिए फक्र की बात है। बस जब मै किसी अपने से उँची रैंक के आदमी से मिलता हूँ तब मै पहले ही साफ कर देना चाहता हूँ कि अब मै उसके मातहत नहीं हूँ। आप मुझे अली कह सकते है। वह बहुत जोर से खुल कर हँसा और फिर वह बोला… मै ऐसी गुस्ताखी बिल्कुल नहीं कर सकता। मेजर शब्द से मुझे अपनापन लगता है। लेकिन मेरे लिए अली भाई भी ठीक है। लेकिन फिर मै चाहूँगा कि आप मुझे बशीर भाई से सम्बोधित किजीए। मुझे अचानक जनरल मोर्गन की चेतावनी याद आ गयी कि कर्नल बशीर निहायत ही चालाक व्यक्ति है। मैने बात को संभालते हुए कहा… जैसी आपकी इच्छा। मै कुछ बोलने वाला था कि उसके आफिस के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
कर्नल बशीर एकाएक सतर्क हो गया। जब तक वह खड़ा होता तब तक दरवाजा खुला और दो व्यक्तियों ने कमरे मे प्रवेश किया। दोनो ही शाही अरब वेषभूशा मे थे। कर्नल बशीर फौरन खड़ा हो गया। उसको देखा-देखी मै भी खड़ा हो गया। …यह अबू धाबी प्रान्त के उत्तराधिकारी प्रिंस फैज़ल है और उनके साथ अमीरात के आंतरिक मंत्री है। मैने फौरन करारा सा मिलीट्री सैल्युट किया और सावधान की मुद्रा मे कर्नल के साथ खड़ा हो गया। प्रिंस फैज़ल बैठते ही बोले… मिस्टर अली बैठिए। कर्नल बशीर आप भी बैठिए। हम दोनों उनके सामने बैठ गये। …हम आपसे मिलना चाहते थे लेकिन हमने कुछ सोच कर मिलने के लिए कर्नल बशीर का आफिस चुना था। हम इस मीटींग को गुप्त रखना चाहते है। हम उम्मीद करते है कि आप भी इस बात को गुप्त रखेंगें। रिफाईनरी मे हुए ब्लास्ट के बारे मे जो कुछ भी आपकी बात कर्नल बशीर से हुई थी हम भी आपके के विचारों से सहमत है। हम चाहते है कि आप हमारी इस जाँच मे मदद करें और जल्दी से जल्दी उन लोगों का पता लगाईए जो इस ब्लास्ट के पीछे है। लेकिन हमारी एक मजबूरी है कि हम खुले तौर पर आपके जनरल मोर्गन से इसके लिए कह नहीं सकते। क्या आप बिना अपने आफिस को जानकारी दिये इस काम मे हमारी मदद कर सकते है? मै अजीब सी उलझन मे फँस गया था। इनको न बोलने का दुःसाहस तो जनरल मोर्गन भी नहीं कर सकता था लेकिन बिना जनरल मोर्गन की जानकारी के बिना यह काम करना तो नामुम्किन था।
…किस सोच मे पड़ गये मिस्टर अली? …एक्सीलैन्सी मुझे समझ नहीं आ रहा कि मै आपसे क्या कहूँ। मै तो एक छोटा अधिकारी हूँ। आपकी बात को न कहने की मै कैसे गुस्ताखी कर सकता हूँ। बस मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि बिना जनरल मोर्गन को बताए मै यह कार्य कैसे कर सकता हूँ। इस बार आंतरिक मंत्री बोले… मिस्टर अली आप छुट्टी पर चले जाईए। प्रिंस फैज़ल ने उसकी बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा… यह मुमकिन नहीं है। जाँच के लिए मिस्टर अली का यहाँ होना जरूरी है। अबकी बार मैने संभलते हुए कहा… एक्सीलैन्सी यह तब ही मुमकिन हो सकता है कि जब कर्नल बशीर मेरे साथ मिल कर काम करे। यह आगे रहे और मै पीछे से इनकी मदद करूँ। मै जानता हूँ कि इनका नेटवर्क बेजोड़ है और पूरे अमीरात मे फैला हुआ है। अगर हम एक साथ इस काम को करते है तो यकीनन हम जल्द ही इस साजिश से पर्दा उठाने मे कामयाब हो जाएँगें परन्तु सारे काम कर्नल बशीर को आगे रह कर करने पड़ेंगें और मै पीछे से इनकी मदद करूँगा। मै सिर्फ इनके संपर्क मे रहूँगा और मै किसी और से इस मामले मे बात नहीं करूँगा। हाँ बस इस बात का वादा करता हूँ कि इस जाँच का जो कुछ भी परिणाम निकलेगा वह मेरे सीने मे ही दफ़्न हो कर रह जाएगा। प्रिंस फैज़ल ने कर्नल बशीर की ओर देखा और फिर आंतरिक मंत्री से कहा… कर्नल बशीर को तुरन्त इस काम पर लगा दिजीए। इतना कह कर प्रिंस फैज़ल उठ कर खड़े हो गये। हम सभी उनके साथ खड़े हो गये। प्रिंस मुड़े और कर्नल बशीर की ओर मुखातिब हो कर बोले… कर्नल जल्दी से जल्दी इस काम को पूरा करके सिर्फ मुझे रिपोर्ट किजीए। जो भी बात इस कमरे मे हुई है वह बस इस चारदीवारी मे ही रहनी चाहिए। इतना कह कर प्रिंस कमरे के बाहर निकल गये और उनके पीछे आंतरिक मंत्री भी चले गये। कमरे मे सिर्फ मै और कर्नल बशीर रह गये थे। अभी भी मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मै अबू धाबी के सिरमौर से मिल कर चुका था।


For more stories, please visit: http://virafghan.blogspot.com/
Like Reply


Messages In This Thread
RE: जंग, मोहब्बत और धोखा - by Virafghan - 03-01-2023, 05:41 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)