03-01-2023, 04:50 PM
थोड़ी देर छत की रेलिंग के सहारे मैं खड़ा रहा। उसके बाद मैंने शिल्पी को कॉल किया। शिल्पी से मैंने कन्फर्म किया कि मंजु, प्रीति और मनीष सो चुके है। मैंने उसे हॉल का गेट और अपने कमरे को खोलने को बोला।
प्रीति ने हॉल का गेट खोला और मैं चुपचाप नीचे आ गया। मैंने देखा मंजु और प्रीति अपने कमरे में सोए है और मनीष अपने कमरे में। मैं शिल्पी के कमरे में गया और गेट को अंदर से लॉक किया। शिल्पी ने एक छोटा सा हॉट पैंट और टॉप पहना हुआ था।
अंदर जाते ही शिल्पी को मैंने अपने गले से लगा लिया। शिल्पी के बूब्स अब धीरे धीरे बड़े हो रहें थे और मैं बूब्स को अपनी छाती के ऊपर अच्छे से महसूस कर पा रहा था।
शिल्पी हल्की आवाज में मुझसे थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए - इतने दिन से मुझे क्यों छोड़ रखा है?
मैं - इंतजार का फल मीठा होता है, डार्लिग।
शिल्पी - बहाने मत बनाओ, सच सच बताओ।
मैं - तुम्हे तो पता है प्रीति के एडमिशन और ऑफिस का काम
शिल्पी - फिर सुबह ट्यूशन के लिए मना क्यों किया
अब इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने बात बदलते हुए उसे गोद में उठाया और बेड पर आ गया। मैं भी बेड पर लेट गया और शिल्पी को अपने ऊपर लिटा दिया
शिल्पी फिर से बोली - बोलों मॉर्निंग में छत पर आने से मना क्यों किया?
मैं - कहा तुम एक बात पकड़ के बैठ गई, फिर से मॉर्निंग स्टार्ट करता हूँ।
यह बोल कर मैंने शिल्पी को गर्दन के पीछे से पकड़ा और उसके होंठो को अपने होंठो के पास लाया और उसे चूसने लगा। शिल्पी भी जो तीन -चार दिनों से चुदने को बेताब हो रही थी, वों भी पूरी मस्ती से होंठो को चूसने लगी।
शिल्पी की होंठो को चूसते चूसते मेरे हाथ उसके हॉट पैंट के अंदर चले गए और मैं उसकी चूतड़ों को कसके दबाने लगा। शिल्पी की आह नकल गई। होंठो को चूसने के बाद मैंने शिल्पी को अपने कमर से नीचे की ओर सरकाया और घुटने पर लाकर रोक दिया। शिल्पी समझ गई अब उसे क्या करना है।
शिल्पी मेरे जीन्स के बटन को खोल जींस को नीचे किया और अंडरवियर के अंदर उफनते लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाया। मैंने भी तुरंत जीन्स को नीचे किया और उतार दिया। शिल्पी ने बिना वक्त गवाए मेरे अंडरवियर को भी नीचे किया और मेरे लंड से खेलने लगी। वों अपने हाथो से लंड को पकड़कर ऊपर नीचे करने लगी और लंड के सुपारे में ऊँगली फेड़ती। मैंने बोला साली मुँह में ले और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। वों मेरा लंड लेकर मुँह में चूसने लगी। ऐसा करते करते मेरे लंड ने उसके मुँह में ही वीर्य छोड़ दिया।
शिल्पी के मुँह में वीर्य छोड़ने के बाद उसने अपनी जीभ से मेरे पूरे लंड को पोछा और उसके बाद मैंने उसकी हॉट पैंट नीचे कर दी। उसकी नंगी चिकनी चुत मेरे सामने थी। मैंने अपने लंड को उसके चुत के अंदर घुसाया और जम के चुदाई की। दो राउंड की चुदाई के बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए।
अभी मैं सोया ही था तभी मेरे फोन की घंटी बजी। अभी रात के लगभग 2:30 बजे होंगे और यह कॉल नीरज का था।
प्रीति ने हॉल का गेट खोला और मैं चुपचाप नीचे आ गया। मैंने देखा मंजु और प्रीति अपने कमरे में सोए है और मनीष अपने कमरे में। मैं शिल्पी के कमरे में गया और गेट को अंदर से लॉक किया। शिल्पी ने एक छोटा सा हॉट पैंट और टॉप पहना हुआ था।
अंदर जाते ही शिल्पी को मैंने अपने गले से लगा लिया। शिल्पी के बूब्स अब धीरे धीरे बड़े हो रहें थे और मैं बूब्स को अपनी छाती के ऊपर अच्छे से महसूस कर पा रहा था।
शिल्पी हल्की आवाज में मुझसे थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए - इतने दिन से मुझे क्यों छोड़ रखा है?
मैं - इंतजार का फल मीठा होता है, डार्लिग।
शिल्पी - बहाने मत बनाओ, सच सच बताओ।
मैं - तुम्हे तो पता है प्रीति के एडमिशन और ऑफिस का काम
शिल्पी - फिर सुबह ट्यूशन के लिए मना क्यों किया
अब इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने बात बदलते हुए उसे गोद में उठाया और बेड पर आ गया। मैं भी बेड पर लेट गया और शिल्पी को अपने ऊपर लिटा दिया
शिल्पी फिर से बोली - बोलों मॉर्निंग में छत पर आने से मना क्यों किया?
मैं - कहा तुम एक बात पकड़ के बैठ गई, फिर से मॉर्निंग स्टार्ट करता हूँ।
यह बोल कर मैंने शिल्पी को गर्दन के पीछे से पकड़ा और उसके होंठो को अपने होंठो के पास लाया और उसे चूसने लगा। शिल्पी भी जो तीन -चार दिनों से चुदने को बेताब हो रही थी, वों भी पूरी मस्ती से होंठो को चूसने लगी।
शिल्पी की होंठो को चूसते चूसते मेरे हाथ उसके हॉट पैंट के अंदर चले गए और मैं उसकी चूतड़ों को कसके दबाने लगा। शिल्पी की आह नकल गई। होंठो को चूसने के बाद मैंने शिल्पी को अपने कमर से नीचे की ओर सरकाया और घुटने पर लाकर रोक दिया। शिल्पी समझ गई अब उसे क्या करना है।
शिल्पी मेरे जीन्स के बटन को खोल जींस को नीचे किया और अंडरवियर के अंदर उफनते लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाया। मैंने भी तुरंत जीन्स को नीचे किया और उतार दिया। शिल्पी ने बिना वक्त गवाए मेरे अंडरवियर को भी नीचे किया और मेरे लंड से खेलने लगी। वों अपने हाथो से लंड को पकड़कर ऊपर नीचे करने लगी और लंड के सुपारे में ऊँगली फेड़ती। मैंने बोला साली मुँह में ले और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। वों मेरा लंड लेकर मुँह में चूसने लगी। ऐसा करते करते मेरे लंड ने उसके मुँह में ही वीर्य छोड़ दिया।
शिल्पी के मुँह में वीर्य छोड़ने के बाद उसने अपनी जीभ से मेरे पूरे लंड को पोछा और उसके बाद मैंने उसकी हॉट पैंट नीचे कर दी। उसकी नंगी चिकनी चुत मेरे सामने थी। मैंने अपने लंड को उसके चुत के अंदर घुसाया और जम के चुदाई की। दो राउंड की चुदाई के बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए।
अभी मैं सोया ही था तभी मेरे फोन की घंटी बजी। अभी रात के लगभग 2:30 बजे होंगे और यह कॉल नीरज का था।