26-12-2022, 04:50 PM
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अंधेरा हो चुका था। अबू धाबी शहर रात की रौनक मे जगमगाता हुआ दिख रहा था। मै अपने आफिस को बंद करके मेन गेट की ओर चल दिया। मै जानता था कि आज की रात भी मुझे होटल मे गुजारनी पड़ेगी इसीलिए मै अपना सामान साथ नहीं लाया था। वैसे भी मेरे पास सामान की दृष्टि से बस कुछ कपड़े ही थे। मै धीमे कदमों से चलते हुए कोम्पलेक्स के बाहर निकल आया। रात मे खाड़ी के कारण हवा भी ठंडी चल रही थी। मै बाहर खड़ी हुई टैक्सी मे बैठा और अपने होटल का पता बता कर अपनी आगे आने वाली मुश्किलों को गिनने बैठ गया। मेरी सबसे बड़ी मुश्किल इन गुटों मे अपने आदमियों का नेटवर्क बनाने की नज़र आ रही थी। मेरा दिमाग इस समस्या मे उलझ कर रह गया था। अपने होटल के डाईनिंग रूम मे अकेले बैठ कर खाना खाया और फिर कमरे मे सोने चला गया।
होटल के कमरे मे पहुँच कर मै अपने कपड़े बदल रहा था की मेरी नजर ज़ारा के स्कार्फ पर पड़ी। एकाएक फ्रेया का चेहरा न चाहते हुए भी मेरी आँखों के सामने एक बार फिर आ गया। मैने जेब से उसकी चेन निकाली और एक बार उस पर नजर डाल कर मेज पर रख दी। सुबह से एक बार भी उसका नाम मेरे जहन मे नहीं आया था लेकिन इस वक्त एक बार फिर होटल के खाली कमरे का अकेलापन मुझे विचलित कर रहा था। मैने टीवी चला दिया और अल जज़ीरा का स्थानीय चैनल देखने के लिए बैठ गया। चैनल पर कोई ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी। मैने जल्दी से उसकी आवाज बढ़ा दी और सुनने के लिए बैठ गया। रुवाई मे स्थित अबू धाबी आयल रिफाईनरी मे शाम को बम्ब फटने के कारण जान और माल का काफी नुकसान हो गया था। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली थी लेकिन सिक्युरिटी सूत्रों का कहना था कि अल नुसरा फ्रंट का इस धमाके मे हाथ था। मैने मन ही मन कहा… मेरा शक बिल्कुल सही था। मै ध्यान से खबर सुनने के लिए बैठ गया।
शिफ्ट खत्म होने के टाइम पर जब वहाँ पर बहुत से लोग बाहर होते थे तब सी-विंग मे एक विस्फोट हुआ और उसके कारण गैस टैंक मे आग लग गयी जिसकी वजह से भरे हुए गैस के सिलेंडरों ने आग पकड़ ली और एक-एक करके फटने लगे जिसकी वजह से पूरा सी-विंग नष्ट हो गया था। गैस के सिलेंडरों के फटने की वजह से वहाँ पर काम करने वाले और अगली शिफ्ट के लोग जो सी-विंग के बाहर इंतजार कर रहे थे वह भी विस्फोट की चपेट मे आ गये थे। आखिरी खबर के अनुसार 128 लोग मारे गये और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे जो आस-पास के अस्पतालों मे इलाज के लिए भेज दिए गये थे। मेरा ध्यान खबरों मे लगा हुआ था कि मेरे मोबाईल की घंटी बज उठी। मेरी नजर सबसे पहले घड़ी की ओर गयी। रात के ग्यारह बज रहे थे। इस वक्त मुझे कौन फोन कर सकता है? मैने जल्दी से फोन उठा कर बोला… हैलो। …मेजर, तुमने आज शाम की खबर तो देख ली होगी। जनरल मोर्गन की आवाज दूसरी ओर से सुन कर मैने तुरन्त कहा… यस सर। …तुम कहाँ ठहरे हुए हो? …होटल होलीडे इन। …ठीक है तैयार हो कर नीचे पोर्च मे मेरा इंतजार करो। हमे अभी किसी से मिलना है। …इस वक्त? लेकिन तब तक फोन कट चुका था। मैने जल्दी से कपड़े बदले और तेजी से होटल के रिसेप्शन एरिये की ओर चल दिया।
दस मिनट के बाद जनरल की कार होटल के पोर्टिको मे आ कर रुकी। मै तेजी से शीशे के गेट को खोल कर उस कार की ओर झपटा और दरवाजा खोल अन्दर की ओर झाँका तो जनरल मोर्गन मुझे बैठे हुए दिखायी दे गये। …कम आन मेजर। हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। मै जल्दी से उनके साथ बैठ गया… सर इस वक्त हम कहाँ जा रहे है? …राष्ट्रपति ने अपने सलाहकारों की मीटींग फौरन तलब की है। हम उसमे जा रहे है। मै चुपचाप बैठ गया। …तुम्हें किसी पर शक है? …सर आप जानते है कि मै जब तक उस जगह की पूरी रिपोर्ट न देख लूँ तब तक मै किसी को भी दोषी नहीं कह सकता। यह जगह हमारी चौकी की ज्युरिस्डिकशन मे आती है। इसकी जाँच हम क्यों नहीं कर रहे है? टीवी से पता चला है सिक्युरिटी का कहना है कि इसके पीछे अल नुसरा फ्रंट का हाथ है। पर मै यकीन से कह सकता हूँ कि यह गुट इस तरह का काम अंजाम नहीं दे सकता। जनरल ने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला ही था कि हमारी कार राष्ट्रपति निवास मे प्रवेश कर गयी थी। हम दोनों जल्दी से रिसेप्शन की ओर चले गये और उन्होंने हमे एक बड़े से मीटींग रूम मे ले जा कर बिठा दिया। कुछ लोग तो पहले से ही वहाँ बैठे हुए थे। सब लोग जनरल मोर्गन से परिचित थे। सभी ने हाथ हिला कर जनरल का अभिवदन किया और फिर अपनी बातों मे लग गये।
…मेजर, क्या तुम इन लोगों को जानते हो? …नहीं सर। कौन है यह लोग? …कुछ सरकारी मंत्री है और कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी। जनरल मोर्गन और मुझको छोड़ कर सभी अरब वेशभूषा मे थे। अगले दस मिनट मे पूरा मीटींग रूम भर गया था। अचानक सामने का दरवाजा खुला। पहले राष्ट्र्पति के गार्डस ने कमरे मे कदम रखा और फिर उनमे से एक ने तेज आवाज मे कहा… राष्ट्रपति पधार रहे है। सभी अपनी-अपनी जगह पर उठ कर सावधान मुद्रा मे खड़े हो गये। कुछ ही देर मे राष्ट्रपति का अगमन हो गया। अपने चिरपरिचित अंदाज मे उन्होंने सभी का अभिवादन किया और फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गये। खड़े हुए सारे लोग उनका इशारा पाते ही अपनी-अपनी जगह पर चुप हो कर बैठ गये। मै चुपचाप जनरल मोर्गन के पीछे रखी हुई कुर्सी पर बैठ गया।
राष्ट्रपति ने बिना कोई औपचारिकता निभाए सीधे मुद्दे की बात करके मीटींग की कार्यवाही आरंभ की… आपने रुवाई की खबर तो अब तक सुन ली होगी। आपको इसलिए इतने कम समय मे इकठ्ठा होने के लिए कहा गया है कि इसका क्या उपाय किया जाए? यहाँ स्थित सभी आतंकी संगठन अब निर्भीक होते जा रहे है। पहले गृह मंत्री कुछ देर बोले और उसके बाद दो मंत्रियों ने अपना पक्ष सबके सामने रखा। पहली बार मै इतनी महत्वपूर्ण मीटींग को इतने नजदीक से देख रहा था। काफी देर के बाद राष्ट्रपति के कहने पर जनरल मोर्गन ने अपनी बात रखी। उनका कहना था कि यह सब अन्दरुनी लोगों की शह पर हो रहा है। अचानक जनरल मोर्गन की बात सुन कर मै चौंक गया क्योंकि वह कह रहे थे कि मेरे सुरक्षा सलाहकार की सोच आज की वारदात के बारे मे आपसे भिन्न है। इतना कह कर वह बोले… मेजर। एकाएक सबकी नजरें मेरी ओर चली गयी। पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मै सिकुड़ कर रह गया था।
मै अपनी जगह पर खड़ा हो गया और सावधान की मुद्रा लिए बोला… संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना पिछले दो सालों से आपकी सरकार को ऐसी ही किसी घटना से आगाह कर रही थी। वह शरणार्थी कैंम्प अब एक नया आतंकी स्वरूप ले चुके है। मध्य-पूर्वी एशिया का कोई ऐसा आतंकी गुट नही है जिसकी यहाँ पर शाखा न हो। आज की घटना के पीछे भी अल नुसरा फ्रंट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। परन्तु इसमे उनका क्या फायदा है? मेरा मानना है कि आप ही के कुछ लोगों ने अल नुसरा फ्रंट का नाम उछाल कर आपको भटकाने की चेष्टा की है। अगर आप अल नुसरा फ्रंट के पिछले कुछ मध्य-पूर्वी एशिया के हमलों को देखने की कोशिश करे तो आप उनको आज की वारदात के लिए सिरे से खारिज कर सकते है। परन्तु मै आपका ध्यान एक ओर खींचना चाहता हूँ कि विस्फोट शिफ्ट बदलने के समय पर और सिर्फ सी-विंग मे ही क्यों हुआ? मुझे लगता है कि यह एक बहुत सोची और समझी हुई योजना का हिस्सा है। मेरे पास आपकी सभी बातों का जवाब है लेकिन इस बात का नहीं है कि अल नुसरा फ्रंट को इस विस्फोट से क्या हासिल होगा। इतना कह कर मै चुप हो गया।
कमरे मे सब चुप बैठे हुए थे। किसी ने मेरी बात का विरोध नहीं किया। जनरल मोर्गन सबसे पहले बोले… एक्सीलैन्सी, मेरी गुजारिश है कि इस विस्फोट की जाँच के लिए शांति सेना को आज्ञा दी जाए क्योंकि यह जगह हमारी चौकी की हद मे आती है। राष्ट्रपति ने एक बार अपने ग्रह मंत्री की ओर देखा और फिर रुक कर कहा… जनरल, आप संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना है। यह हमारा अन्द्रूनी मामला है और हम किसी भी हाल मे शांति सेना को इस जाँच मे शामिल नहीं कर सकते। इतना कह कर वह पल भर के लिए चुप हो गये और फिर कुछ सोच कर बोले… हाँ, हम इतना जरूर कर सकते है कि हमारी जाँच एजेन्सी आपके सुरक्षा सलाहकार से कुछ जरूरी मसलों पर सलाह जरूर ले सकती है। इतना बोल कर राष्ट्रपति ने अपने मंत्रियों को रोक कर बाकी सब को जाने की आज्ञा दे दी। कुछ ही देर के बाद जनरल मोर्गन और मै वापिस लौट रहे थे।
…माई बोय, मै बहुत खुश हूँ। मै उनकी बात समझ नहीं पाया था इसीलिए मैने पूछ लिया… सर, राष्ट्रपति ने आपके प्रोपोजल को ठुकरा दिया तो इसमे कौनसी खुशी की बात है? …मेजर, वह बेहद शातिर इंसान है। उसने सबके सामने यह दिखा दिया कि वह हमारी कोई मदद लेना नहीं चाहता लेकिन उसने तुम्हें अपनी जाँच मे शामिल जरूर कर लिया है। मै यही चाहता था कि इस जाँच मे हमारा कोई आदमी जरूर होना चाहिए। कम से कम तुम अगर उनके साथ होगे तो यह तो पता चल सकेगा कि इस विस्फोट के पीछे असलियत मे किस अमीर का हाथ था। मेरा होटल आ गया था। मैने उनसे विदा ली और अपने रूम की ओर चल दिया। बिस्तर पर लेटने के बाद पूरे वाक्ये के बारे मे सोच कर मुझे ऐसा लगने लगा था कि जनरल मोर्गन ने मुझे मोहरे के रूप मे यहाँ की राजनीतिक शतरंज की बिसात पर एक चाल के स्वरूप मे आगे बढ़ाया था। अब देखना था कि उनका प्यादा विपक्ष के किस मोहरे को अपना निशाना बनाता है। यह विचार आते ही मेरे दिमाग मे बत्ती जली जिसने मुझे सावधान रहने की चेतावनी दी। यही सोचते हुए जल्दी ही मै अपने सपनों की दुनिया मे खो गया।
अगली सुबह हैवी मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप मेरे होटल के बाहर मुझे लेने के लिए आयी हुई थी। मैने होटल से चेक आउट किया और अपना किट पीछे फेँकते हुए जीप मे सवार हो गया। …कल शाम की खबर सुन ली? मैने अपने पाँचोँ साथियों से मुखातिब हुआ। …यस सर। होटल से यूएन कोम्पलेक्स का रास्ता मुश्किल से बीस मिनट का था लेकिन उस रोज़ हमें एक घंटे से ज्यादा लगे थे। पता करने पर मालूम हुआ कि सुबह तड़के ही अमीरात सेना की मूवमेन्ट के कारण मेन हाईवे बन्द कर दिया गया था जिसकी वजह से सारा ट्राफिक शहर के अन्दर से हो कर निकल रहा था। बड़ा अजीब सा दृश्य था कि एक से एक महंगी गाड़ियों के बीचोंबीच एक नीली मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप फँसी हुई नजर आ रही थी। मुझे अपने साथी किन्ग के उपर दया आ रही थी जो मशीनगन पर पूरी मुस्तैदी से तैनात था। कारों बैठे हुए बच्चे उसकी ओर देखते हुए इशारे करते और वह एक पत्थर की मूर्ति की तरह अपने काम मे लगा हुआ था। अन्दर बैठे हुए उसके साथी उस पर छींटाकशी करने से बाज नहीं आ रहे थे। मुझे भी सुच्चा सिंह की याद आ गयी क्यों कि हम भी कभी-कभी उसको चिड़ाने के लिए कह देते थे कि सरदारजी बच्चों से कोई खतरा नहीं है तो कभी हँस भी लिया करो। वह भी जब मशीन गन पर तैनात होता तो एक सजग फौजी की तरह अपने चेहेरे पर एक मुस्कुराहट भी नहीं आने देता था।
मै अपने आफिस पहुँच कर सबसे पहले अपनी पाँचों की टीम को इकठ्ठा किया और फिर उनके सामने अबू धाबी के नक्शे को फैला कर एक-एक संवेदनशील इलाके को इंकित करते हुए समझाना शुरू कर दिया। टोनी को भी वहीं बिठा लिया जिससे उसे भी हमारे काम के बारे मे पूरी जानकारी हो सके। दोपहर तक ब्रीफिन्ग का दौर जारी रहा। करीब तीन बजे मेरे पास पिछले तीन साल की मुठभेड़ों की फेहरिस्त रिकार्ड रूम से आ गयी थी। मैने वह फेहरिस्त उनके हवाले करते हुए कहा… अब आप समझ गये होंगें कि आपको क्या करना है। आप लोग इस नक्शे पर उन सभी जगह निशान लगा दिजिए जहाँ पर हमारी सेना की किसी भी कारणवश सैन्य कार्यवाही हुई है। इतना कह कर उन पाँचों को साथ वाले कमरे मे भेज कर मै टोनी को ले कर अपने नये फ्लैट को देखने के लिए चला गया। तीन कमरो का फुली फरनिश्ड फ्लैट था। सभी आराम की चीजें उसमे उपलब्ध थी। …टोनी, यह फ्लैट ठीक है। लौट कर जूली से कहना कि वह मेरा किट बैग यहाँ पर ला कर छोड़ दे। बस इतना कह कर हम वापिस लौट कर आ गये और मै अपने काम मे लग गया।
लगभग पाँच बजे टोनी ने आ कर सूचना दी कि कुछ लोग अमीरात सरकार के आंतरिक मंत्रालय से मिलने आये हुए है। मैने उनको अन्दर बुला लिया। तीन लोग थे। उन्होंने अपने आपको जाँच कमेटी का सदस्य बताते हुए कहा… हम कल के हमले के बारे मे आपसे बात करना चाहते है। …बोलिए मुझसे क्या चाहते है? उनमे सबसे वरिष्ठ दिखने वाले आदमी ने कहा… मेरा नाम कर्नल इमरान उल-बशीर है। मै काऊन्टर इन्टेलीजेन्स से हूँ। मेजर अली कल के हादसे के बारे मे जो भी आप की सोच है वह हमे बताईए। मैने उसे टोकते हुए कहा… मै सेवा निवृत एक्स-मेजर हूँ। आप मुझे अली के नाम से बुलाईए। एक पल के लिए वह चुप हो गया और फिर मुस्कुरा कर बोला… वैसे तो वन्स अ मेजर इज आलवेज़ अ मेजर। लेकिन ठीक है मिस्टर अली बताईए कि आप किस दिशा की ओर सोच रहे है? …कर्नल मेरे विचार से यह एक बहुत सोची हुई साजिश है। विस्फोट का समय और जगह इस बात की ओर मेरा ध्यान खींचते है कि विस्फोटकारी की मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की नहीं थी परन्तु उसके वितरण को अस्त-वयस्त करने की रही होगी। अगर उसकी मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की होती तो यह विस्फोट प्रोसेसिंग सेन्टर मे हुआ होता जिससे पूरी रिफाईनरी एक विस्फोट मे पूरी धवस्त हो जाती और दोबारा तेल के उत्पादन मे लगभग छ: महीने से एक साल तक का समय लग सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अब यह आपको सोचना है कि उसने ऐसा क्यों किया? मेरी बात सुन कर कर्नल बशीर और उसके साथ आए हुए लोग काफी देर तक मुझसे सवाल जवाब करते रहे। आखिर मे मैने कहा… जब तक मै उस जगह जा कर देख नहीं लेता तब तक मै कोई बात यकीन से नहीं कह सकता।
…मिस्टर अली यह नहीं हो सकेगा। आप हमे बताईए कि हम किस चीज पर ध्यान दें जिससे हमलावर के बारे मे हमे कोई सुराग मिल सके। …कर्नल बशीर आप मुझसे अंधेरे मे तीर चलाने की कह रहे है। मुझे इसकी आदत नहीं है। इस से ज्यादा मै आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। हाँ इतना जरूर कह सकता हूँ कि क्या आपकी रिफाईनरी कम्पनी बाग है जिसमे जब भी और जो कोई भी आना चाहे तो क्या वह आ सकता है। …क्या मतलब है आपका? कर्नल बशीर ने एकाएक अपने रुख को कड़ा करते हुए कहा। …मेरा मतलब साफ है कि विस्फोट करने का साधन आपके स्टोर मे तो उपलब्ध नहीं हो सकता। तो इसका मतलब है कि वह रिफाईनरी के बाहर से आया होगा। उसको वहाँ कौन लाया होगा? अगर इसका आपको जवाब मिल जाए तो आपको हमलावर का सुराग भी मिल जाएगा। खैर कर्नल मै आपकी इससे ज्यादा मदद नहीं कर सकता। वह कुछ पूछना चाहता था लेकिन मैने कहा… कर्नल सात बज रहे है। मेरा स्टाफ अभी भी आपकी वजह से बैठा हुआ है। अगर आपको मुझे मिलना हो तो कृपया जल्दी आने की कोशिश किजीए। मेरे ख्याल से आज के लिए इतना काफी है। अब जनरल मोर्गन से मिलने का समय हो गया है, मुझे जाना है। इतना कह कर मै खड़ा हो गया। तीनों आये हुए लोग एक पल के लिए भौचक्के हो कर मेरी ओर देखते रहे फिर कर्नल बशीर उठ कर खड़ा हो गया और बोला… आपके समय के लिए शुक्रिया। वह तीनों चुपचाप बाहर निकल गये और उनके पीछे टोनी ने अन्दर आ कर कहा… जनरल मोर्गन के आफिस से काल आयी थी। …टोनी तुम जा सकती हो। उन पाँचो को भी जाने को कह दो। मै जल्दी से जनरल के आफिस की ओर चला गया।
अब तक एक बात मुझे समझ मे आ चुकी थी कि जनरल को इस मीटिंग के बारे मे पहले से ही पता था। अब मेरे सामने सवाल था कि जनरल को उनके आने का कैसे पता चला? क्या कोई मेरा आदमी उनके पास खबर दे रहा है या फिर जनरल मोर्गन सरकार के किसी अति विशिष्ट व्यक्ति के लिए काम कर रहा है। मुझे इन दो विकल्पों के अलावा और कुछ भी नहीं सूझ रहा था। सूजन के दरवाजे को खोल कर अन्दर झाँकते हुए पूछा… कोई इस वक्त जनरल के साथ है? वह जल्दी से बोली… तुम्हारा इंतजार कर रहे है। मै तेजी जनरल के दरवाजे पर दस्तक दे कर अन्दर घुस गया। जनरल मोर्गन अपनी यथावत जगह पर बैठ कर सिगरेट के कश लगा रहे थे। मुझे देखते ही बोले… मेजर क्या खबर है? …सर हम अपने काम मे लग गये है। जल्दी ही आपको मै रिपोर्ट देनी शुरू करूँगा। बस एक चीज जानना चाहता था कि क्या आपको हरेक प्रान्त की संवेदनशील जगहों की एक रिपोर्ट चाहिए या हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए? जनरल ने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा… जो टीम आयी थी उससे क्या बात हुई?
…सर मैने उनको साफ कह दिया कि अंधेरे मे तीर चलाने की मेरी आदत नहीं है। कुछ भी बोलने से पहले मै एक बार रिफाईनरी का दौरा करना चाहूँगा अन्यथा वहाँ से उपलब्ध सारी जानकारी की रिपोर्ट देखना चाहूँगा। …मेजर यह कर्नल बशीर बेहद चालाक लोमड़ी है। इस से सावधान रहने की जरूरत है। इसने पूरे अमीरात मे अपना नेटवर्क फैला रखा है। इसको अमीरात मे होने वाली हर घटना की सूचना रहती है। इस बार इससे चूक हो गयी जिसकी वजह से यह पागल कुते की तरह सूँघता फिर रहा है। जिस काम पर मैने तुम्हें लगाया है उसकी हल्की सी भनक इस इंसान नहीं होनी चाहिए। मै चुपचाप सामने बैठे हुए जनरल को समझने की कोशिश मे लगा हुआ था कि उनके दिमाग मे क्या चल रहा है। वह पल भर के लिए चुप हो गए और फिर बोले… मुझे हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए। …सर एक बात और है जो मुझे परेशान कर रही है। हमे अपना नेटवर्क इन गुटों मे बनाने की क्या जरूरत है? जहाँ तक जानकारी रखने की बात है वह तो सरकार का काम है। मुझे लगता है कि अपना नेटवर्क बनाने मे समय और पैसा काफी लगेगा। …मेजर आतंक के फ्रंट पर हमारी सेना बैठी हुई है। हमारे हाथ बाँध कर हमसे उम्मीद की जा रही है कि हम यहाँ के नागरिकों सुरक्षा प्रदान करे। यह काम बिना नेटवर्क के नहीं हो सकेगा। जहाँ तक समय और पैसे की बात है तो तुम्हारे पास समय भी है और अमीरात सरकार का दिया हुआ अपना बजट भी है। इसलिए तुम अपने नेटवर्क को जमाने की बात सोचना शुरू कर दो। इतना कह कर जनरल अपनी सीट से खड़े हो गये और बोले… और कुछ? मै समझ गया कि अब मुझे चलना चाहिए इसीलिए मै भी खड़ा हो कर बोला… कुछ नहीं सर। अब मै भी चलता हूँ। इतना कह कर मै भी उनके साथ कमरे से बाहर निकल आया।
अंधेरा हो चुका था। आफिस कोम्पलेक्स अंधकार मे डूबा हुआ था। पैदल चलता हुआ मै अपने फ्लैट की ओर बढ़ रहा था कि मेरे मोबाईल की घंटी ने मेरा ध्यान तोड़ दिया। मैने जल्दी से फोन को जेब से निकाला लेकिन तब तक लाइन कट चुकी थी। अपने फ्लैट पर पहुँच कर मैने अपने किट बैग से सामान निकाला और अलमारी मे रखने मे लग गया। मै अपने रात के खाने का इंतजाम करने मे लग गया था। सब काम समेट कर जैसे ही मै आराम करने के बेड पर लेटा ही था कि फिर से मोबाइल फोन की घंटी बज उठी। अबकी बार मैने झपट कर फोन उठाया और दूसरी ओर की आवाज सुनने के लिए इंतजार करने लगा। कुछ पल इंतजार के बाद दूसरी ओर से किसी ने कहा… हैलो। मर्दानी आवाज थी। मैने जल्दी से फोन पर कहा… अली मोहम्मद बोल रहा हूँ। आप कौन बोल रहे है। दूसरी ओर से उसने कहा… मै आपसे मिलना चाहता हूँ। परन्तु आपके आफिस के बजाय किसी सार्वजनिक स्थान पर मिले तो अच्छा होगा। …मुझसे क्यों मिलना चाहते हो? …यह मै मिल कर ही बता सकता हूँ। …ठीक है, कल हम ग्यारह बजे एमजीएम माल मे मिलते है। इतना कह कर मैने फोन काट दिया। सारी बात स्थानीय भाषा मे हुई थी इसी लिए यह तो पक्की बात थी कि कोई अरब ही मुझसे मिलने के लिए इच्छुक था। मै भी इस फोन से ज्यादा बात नहीं करना चाहता था। मन मे एक शक था कि कहीं मेरा फोन कोई टैप तो नहीं कर रहा है? यह फोन मुझे आफिस की ओर से मिला था। शाम को जनरल से बात करने के बाद मैने निश्चय कर लिया था कि अबसे बेहद सावधानी के साथ काम करूँगा।
टीवी पर न्यूज लगा कर मै अपने काम मे लग गया। आज कोई खास खबर नहीं थी सिवाय कल के विस्फोट पर तरह-तरह के लोगों को बुला कर उनसे बात की जा रही थी। अपने सारे काम भुगता कर जब बिस्तर पर लेटा तो थकान से बोझिल आँखे तुरन्त बन्द हो गयी थी। परन्तु जब दिमाग मे खतरा मंडरा रहा होता है तो शांति से नींद भी नहीं आती है। उस रात चौंक कर न जाने कितनी बार मै जाग गया था। सुबह जल्दी से तैयार हो कर मै अपने आफिस की ओर निकल गया था।
अंधेरा हो चुका था। अबू धाबी शहर रात की रौनक मे जगमगाता हुआ दिख रहा था। मै अपने आफिस को बंद करके मेन गेट की ओर चल दिया। मै जानता था कि आज की रात भी मुझे होटल मे गुजारनी पड़ेगी इसीलिए मै अपना सामान साथ नहीं लाया था। वैसे भी मेरे पास सामान की दृष्टि से बस कुछ कपड़े ही थे। मै धीमे कदमों से चलते हुए कोम्पलेक्स के बाहर निकल आया। रात मे खाड़ी के कारण हवा भी ठंडी चल रही थी। मै बाहर खड़ी हुई टैक्सी मे बैठा और अपने होटल का पता बता कर अपनी आगे आने वाली मुश्किलों को गिनने बैठ गया। मेरी सबसे बड़ी मुश्किल इन गुटों मे अपने आदमियों का नेटवर्क बनाने की नज़र आ रही थी। मेरा दिमाग इस समस्या मे उलझ कर रह गया था। अपने होटल के डाईनिंग रूम मे अकेले बैठ कर खाना खाया और फिर कमरे मे सोने चला गया।
होटल के कमरे मे पहुँच कर मै अपने कपड़े बदल रहा था की मेरी नजर ज़ारा के स्कार्फ पर पड़ी। एकाएक फ्रेया का चेहरा न चाहते हुए भी मेरी आँखों के सामने एक बार फिर आ गया। मैने जेब से उसकी चेन निकाली और एक बार उस पर नजर डाल कर मेज पर रख दी। सुबह से एक बार भी उसका नाम मेरे जहन मे नहीं आया था लेकिन इस वक्त एक बार फिर होटल के खाली कमरे का अकेलापन मुझे विचलित कर रहा था। मैने टीवी चला दिया और अल जज़ीरा का स्थानीय चैनल देखने के लिए बैठ गया। चैनल पर कोई ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी। मैने जल्दी से उसकी आवाज बढ़ा दी और सुनने के लिए बैठ गया। रुवाई मे स्थित अबू धाबी आयल रिफाईनरी मे शाम को बम्ब फटने के कारण जान और माल का काफी नुकसान हो गया था। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली थी लेकिन सिक्युरिटी सूत्रों का कहना था कि अल नुसरा फ्रंट का इस धमाके मे हाथ था। मैने मन ही मन कहा… मेरा शक बिल्कुल सही था। मै ध्यान से खबर सुनने के लिए बैठ गया।
शिफ्ट खत्म होने के टाइम पर जब वहाँ पर बहुत से लोग बाहर होते थे तब सी-विंग मे एक विस्फोट हुआ और उसके कारण गैस टैंक मे आग लग गयी जिसकी वजह से भरे हुए गैस के सिलेंडरों ने आग पकड़ ली और एक-एक करके फटने लगे जिसकी वजह से पूरा सी-विंग नष्ट हो गया था। गैस के सिलेंडरों के फटने की वजह से वहाँ पर काम करने वाले और अगली शिफ्ट के लोग जो सी-विंग के बाहर इंतजार कर रहे थे वह भी विस्फोट की चपेट मे आ गये थे। आखिरी खबर के अनुसार 128 लोग मारे गये और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे जो आस-पास के अस्पतालों मे इलाज के लिए भेज दिए गये थे। मेरा ध्यान खबरों मे लगा हुआ था कि मेरे मोबाईल की घंटी बज उठी। मेरी नजर सबसे पहले घड़ी की ओर गयी। रात के ग्यारह बज रहे थे। इस वक्त मुझे कौन फोन कर सकता है? मैने जल्दी से फोन उठा कर बोला… हैलो। …मेजर, तुमने आज शाम की खबर तो देख ली होगी। जनरल मोर्गन की आवाज दूसरी ओर से सुन कर मैने तुरन्त कहा… यस सर। …तुम कहाँ ठहरे हुए हो? …होटल होलीडे इन। …ठीक है तैयार हो कर नीचे पोर्च मे मेरा इंतजार करो। हमे अभी किसी से मिलना है। …इस वक्त? लेकिन तब तक फोन कट चुका था। मैने जल्दी से कपड़े बदले और तेजी से होटल के रिसेप्शन एरिये की ओर चल दिया।
दस मिनट के बाद जनरल की कार होटल के पोर्टिको मे आ कर रुकी। मै तेजी से शीशे के गेट को खोल कर उस कार की ओर झपटा और दरवाजा खोल अन्दर की ओर झाँका तो जनरल मोर्गन मुझे बैठे हुए दिखायी दे गये। …कम आन मेजर। हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। मै जल्दी से उनके साथ बैठ गया… सर इस वक्त हम कहाँ जा रहे है? …राष्ट्रपति ने अपने सलाहकारों की मीटींग फौरन तलब की है। हम उसमे जा रहे है। मै चुपचाप बैठ गया। …तुम्हें किसी पर शक है? …सर आप जानते है कि मै जब तक उस जगह की पूरी रिपोर्ट न देख लूँ तब तक मै किसी को भी दोषी नहीं कह सकता। यह जगह हमारी चौकी की ज्युरिस्डिकशन मे आती है। इसकी जाँच हम क्यों नहीं कर रहे है? टीवी से पता चला है सिक्युरिटी का कहना है कि इसके पीछे अल नुसरा फ्रंट का हाथ है। पर मै यकीन से कह सकता हूँ कि यह गुट इस तरह का काम अंजाम नहीं दे सकता। जनरल ने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला ही था कि हमारी कार राष्ट्रपति निवास मे प्रवेश कर गयी थी। हम दोनों जल्दी से रिसेप्शन की ओर चले गये और उन्होंने हमे एक बड़े से मीटींग रूम मे ले जा कर बिठा दिया। कुछ लोग तो पहले से ही वहाँ बैठे हुए थे। सब लोग जनरल मोर्गन से परिचित थे। सभी ने हाथ हिला कर जनरल का अभिवदन किया और फिर अपनी बातों मे लग गये।
…मेजर, क्या तुम इन लोगों को जानते हो? …नहीं सर। कौन है यह लोग? …कुछ सरकारी मंत्री है और कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी। जनरल मोर्गन और मुझको छोड़ कर सभी अरब वेशभूषा मे थे। अगले दस मिनट मे पूरा मीटींग रूम भर गया था। अचानक सामने का दरवाजा खुला। पहले राष्ट्र्पति के गार्डस ने कमरे मे कदम रखा और फिर उनमे से एक ने तेज आवाज मे कहा… राष्ट्रपति पधार रहे है। सभी अपनी-अपनी जगह पर उठ कर सावधान मुद्रा मे खड़े हो गये। कुछ ही देर मे राष्ट्रपति का अगमन हो गया। अपने चिरपरिचित अंदाज मे उन्होंने सभी का अभिवादन किया और फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गये। खड़े हुए सारे लोग उनका इशारा पाते ही अपनी-अपनी जगह पर चुप हो कर बैठ गये। मै चुपचाप जनरल मोर्गन के पीछे रखी हुई कुर्सी पर बैठ गया।
राष्ट्रपति ने बिना कोई औपचारिकता निभाए सीधे मुद्दे की बात करके मीटींग की कार्यवाही आरंभ की… आपने रुवाई की खबर तो अब तक सुन ली होगी। आपको इसलिए इतने कम समय मे इकठ्ठा होने के लिए कहा गया है कि इसका क्या उपाय किया जाए? यहाँ स्थित सभी आतंकी संगठन अब निर्भीक होते जा रहे है। पहले गृह मंत्री कुछ देर बोले और उसके बाद दो मंत्रियों ने अपना पक्ष सबके सामने रखा। पहली बार मै इतनी महत्वपूर्ण मीटींग को इतने नजदीक से देख रहा था। काफी देर के बाद राष्ट्रपति के कहने पर जनरल मोर्गन ने अपनी बात रखी। उनका कहना था कि यह सब अन्दरुनी लोगों की शह पर हो रहा है। अचानक जनरल मोर्गन की बात सुन कर मै चौंक गया क्योंकि वह कह रहे थे कि मेरे सुरक्षा सलाहकार की सोच आज की वारदात के बारे मे आपसे भिन्न है। इतना कह कर वह बोले… मेजर। एकाएक सबकी नजरें मेरी ओर चली गयी। पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मै सिकुड़ कर रह गया था।
मै अपनी जगह पर खड़ा हो गया और सावधान की मुद्रा लिए बोला… संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना पिछले दो सालों से आपकी सरकार को ऐसी ही किसी घटना से आगाह कर रही थी। वह शरणार्थी कैंम्प अब एक नया आतंकी स्वरूप ले चुके है। मध्य-पूर्वी एशिया का कोई ऐसा आतंकी गुट नही है जिसकी यहाँ पर शाखा न हो। आज की घटना के पीछे भी अल नुसरा फ्रंट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। परन्तु इसमे उनका क्या फायदा है? मेरा मानना है कि आप ही के कुछ लोगों ने अल नुसरा फ्रंट का नाम उछाल कर आपको भटकाने की चेष्टा की है। अगर आप अल नुसरा फ्रंट के पिछले कुछ मध्य-पूर्वी एशिया के हमलों को देखने की कोशिश करे तो आप उनको आज की वारदात के लिए सिरे से खारिज कर सकते है। परन्तु मै आपका ध्यान एक ओर खींचना चाहता हूँ कि विस्फोट शिफ्ट बदलने के समय पर और सिर्फ सी-विंग मे ही क्यों हुआ? मुझे लगता है कि यह एक बहुत सोची और समझी हुई योजना का हिस्सा है। मेरे पास आपकी सभी बातों का जवाब है लेकिन इस बात का नहीं है कि अल नुसरा फ्रंट को इस विस्फोट से क्या हासिल होगा। इतना कह कर मै चुप हो गया।
कमरे मे सब चुप बैठे हुए थे। किसी ने मेरी बात का विरोध नहीं किया। जनरल मोर्गन सबसे पहले बोले… एक्सीलैन्सी, मेरी गुजारिश है कि इस विस्फोट की जाँच के लिए शांति सेना को आज्ञा दी जाए क्योंकि यह जगह हमारी चौकी की हद मे आती है। राष्ट्रपति ने एक बार अपने ग्रह मंत्री की ओर देखा और फिर रुक कर कहा… जनरल, आप संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना है। यह हमारा अन्द्रूनी मामला है और हम किसी भी हाल मे शांति सेना को इस जाँच मे शामिल नहीं कर सकते। इतना कह कर वह पल भर के लिए चुप हो गये और फिर कुछ सोच कर बोले… हाँ, हम इतना जरूर कर सकते है कि हमारी जाँच एजेन्सी आपके सुरक्षा सलाहकार से कुछ जरूरी मसलों पर सलाह जरूर ले सकती है। इतना बोल कर राष्ट्रपति ने अपने मंत्रियों को रोक कर बाकी सब को जाने की आज्ञा दे दी। कुछ ही देर के बाद जनरल मोर्गन और मै वापिस लौट रहे थे।
…माई बोय, मै बहुत खुश हूँ। मै उनकी बात समझ नहीं पाया था इसीलिए मैने पूछ लिया… सर, राष्ट्रपति ने आपके प्रोपोजल को ठुकरा दिया तो इसमे कौनसी खुशी की बात है? …मेजर, वह बेहद शातिर इंसान है। उसने सबके सामने यह दिखा दिया कि वह हमारी कोई मदद लेना नहीं चाहता लेकिन उसने तुम्हें अपनी जाँच मे शामिल जरूर कर लिया है। मै यही चाहता था कि इस जाँच मे हमारा कोई आदमी जरूर होना चाहिए। कम से कम तुम अगर उनके साथ होगे तो यह तो पता चल सकेगा कि इस विस्फोट के पीछे असलियत मे किस अमीर का हाथ था। मेरा होटल आ गया था। मैने उनसे विदा ली और अपने रूम की ओर चल दिया। बिस्तर पर लेटने के बाद पूरे वाक्ये के बारे मे सोच कर मुझे ऐसा लगने लगा था कि जनरल मोर्गन ने मुझे मोहरे के रूप मे यहाँ की राजनीतिक शतरंज की बिसात पर एक चाल के स्वरूप मे आगे बढ़ाया था। अब देखना था कि उनका प्यादा विपक्ष के किस मोहरे को अपना निशाना बनाता है। यह विचार आते ही मेरे दिमाग मे बत्ती जली जिसने मुझे सावधान रहने की चेतावनी दी। यही सोचते हुए जल्दी ही मै अपने सपनों की दुनिया मे खो गया।
अगली सुबह हैवी मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप मेरे होटल के बाहर मुझे लेने के लिए आयी हुई थी। मैने होटल से चेक आउट किया और अपना किट पीछे फेँकते हुए जीप मे सवार हो गया। …कल शाम की खबर सुन ली? मैने अपने पाँचोँ साथियों से मुखातिब हुआ। …यस सर। होटल से यूएन कोम्पलेक्स का रास्ता मुश्किल से बीस मिनट का था लेकिन उस रोज़ हमें एक घंटे से ज्यादा लगे थे। पता करने पर मालूम हुआ कि सुबह तड़के ही अमीरात सेना की मूवमेन्ट के कारण मेन हाईवे बन्द कर दिया गया था जिसकी वजह से सारा ट्राफिक शहर के अन्दर से हो कर निकल रहा था। बड़ा अजीब सा दृश्य था कि एक से एक महंगी गाड़ियों के बीचोंबीच एक नीली मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप फँसी हुई नजर आ रही थी। मुझे अपने साथी किन्ग के उपर दया आ रही थी जो मशीनगन पर पूरी मुस्तैदी से तैनात था। कारों बैठे हुए बच्चे उसकी ओर देखते हुए इशारे करते और वह एक पत्थर की मूर्ति की तरह अपने काम मे लगा हुआ था। अन्दर बैठे हुए उसके साथी उस पर छींटाकशी करने से बाज नहीं आ रहे थे। मुझे भी सुच्चा सिंह की याद आ गयी क्यों कि हम भी कभी-कभी उसको चिड़ाने के लिए कह देते थे कि सरदारजी बच्चों से कोई खतरा नहीं है तो कभी हँस भी लिया करो। वह भी जब मशीन गन पर तैनात होता तो एक सजग फौजी की तरह अपने चेहेरे पर एक मुस्कुराहट भी नहीं आने देता था।
मै अपने आफिस पहुँच कर सबसे पहले अपनी पाँचों की टीम को इकठ्ठा किया और फिर उनके सामने अबू धाबी के नक्शे को फैला कर एक-एक संवेदनशील इलाके को इंकित करते हुए समझाना शुरू कर दिया। टोनी को भी वहीं बिठा लिया जिससे उसे भी हमारे काम के बारे मे पूरी जानकारी हो सके। दोपहर तक ब्रीफिन्ग का दौर जारी रहा। करीब तीन बजे मेरे पास पिछले तीन साल की मुठभेड़ों की फेहरिस्त रिकार्ड रूम से आ गयी थी। मैने वह फेहरिस्त उनके हवाले करते हुए कहा… अब आप समझ गये होंगें कि आपको क्या करना है। आप लोग इस नक्शे पर उन सभी जगह निशान लगा दिजिए जहाँ पर हमारी सेना की किसी भी कारणवश सैन्य कार्यवाही हुई है। इतना कह कर उन पाँचों को साथ वाले कमरे मे भेज कर मै टोनी को ले कर अपने नये फ्लैट को देखने के लिए चला गया। तीन कमरो का फुली फरनिश्ड फ्लैट था। सभी आराम की चीजें उसमे उपलब्ध थी। …टोनी, यह फ्लैट ठीक है। लौट कर जूली से कहना कि वह मेरा किट बैग यहाँ पर ला कर छोड़ दे। बस इतना कह कर हम वापिस लौट कर आ गये और मै अपने काम मे लग गया।
लगभग पाँच बजे टोनी ने आ कर सूचना दी कि कुछ लोग अमीरात सरकार के आंतरिक मंत्रालय से मिलने आये हुए है। मैने उनको अन्दर बुला लिया। तीन लोग थे। उन्होंने अपने आपको जाँच कमेटी का सदस्य बताते हुए कहा… हम कल के हमले के बारे मे आपसे बात करना चाहते है। …बोलिए मुझसे क्या चाहते है? उनमे सबसे वरिष्ठ दिखने वाले आदमी ने कहा… मेरा नाम कर्नल इमरान उल-बशीर है। मै काऊन्टर इन्टेलीजेन्स से हूँ। मेजर अली कल के हादसे के बारे मे जो भी आप की सोच है वह हमे बताईए। मैने उसे टोकते हुए कहा… मै सेवा निवृत एक्स-मेजर हूँ। आप मुझे अली के नाम से बुलाईए। एक पल के लिए वह चुप हो गया और फिर मुस्कुरा कर बोला… वैसे तो वन्स अ मेजर इज आलवेज़ अ मेजर। लेकिन ठीक है मिस्टर अली बताईए कि आप किस दिशा की ओर सोच रहे है? …कर्नल मेरे विचार से यह एक बहुत सोची हुई साजिश है। विस्फोट का समय और जगह इस बात की ओर मेरा ध्यान खींचते है कि विस्फोटकारी की मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की नहीं थी परन्तु उसके वितरण को अस्त-वयस्त करने की रही होगी। अगर उसकी मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की होती तो यह विस्फोट प्रोसेसिंग सेन्टर मे हुआ होता जिससे पूरी रिफाईनरी एक विस्फोट मे पूरी धवस्त हो जाती और दोबारा तेल के उत्पादन मे लगभग छ: महीने से एक साल तक का समय लग सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अब यह आपको सोचना है कि उसने ऐसा क्यों किया? मेरी बात सुन कर कर्नल बशीर और उसके साथ आए हुए लोग काफी देर तक मुझसे सवाल जवाब करते रहे। आखिर मे मैने कहा… जब तक मै उस जगह जा कर देख नहीं लेता तब तक मै कोई बात यकीन से नहीं कह सकता।
…मिस्टर अली यह नहीं हो सकेगा। आप हमे बताईए कि हम किस चीज पर ध्यान दें जिससे हमलावर के बारे मे हमे कोई सुराग मिल सके। …कर्नल बशीर आप मुझसे अंधेरे मे तीर चलाने की कह रहे है। मुझे इसकी आदत नहीं है। इस से ज्यादा मै आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। हाँ इतना जरूर कह सकता हूँ कि क्या आपकी रिफाईनरी कम्पनी बाग है जिसमे जब भी और जो कोई भी आना चाहे तो क्या वह आ सकता है। …क्या मतलब है आपका? कर्नल बशीर ने एकाएक अपने रुख को कड़ा करते हुए कहा। …मेरा मतलब साफ है कि विस्फोट करने का साधन आपके स्टोर मे तो उपलब्ध नहीं हो सकता। तो इसका मतलब है कि वह रिफाईनरी के बाहर से आया होगा। उसको वहाँ कौन लाया होगा? अगर इसका आपको जवाब मिल जाए तो आपको हमलावर का सुराग भी मिल जाएगा। खैर कर्नल मै आपकी इससे ज्यादा मदद नहीं कर सकता। वह कुछ पूछना चाहता था लेकिन मैने कहा… कर्नल सात बज रहे है। मेरा स्टाफ अभी भी आपकी वजह से बैठा हुआ है। अगर आपको मुझे मिलना हो तो कृपया जल्दी आने की कोशिश किजीए। मेरे ख्याल से आज के लिए इतना काफी है। अब जनरल मोर्गन से मिलने का समय हो गया है, मुझे जाना है। इतना कह कर मै खड़ा हो गया। तीनों आये हुए लोग एक पल के लिए भौचक्के हो कर मेरी ओर देखते रहे फिर कर्नल बशीर उठ कर खड़ा हो गया और बोला… आपके समय के लिए शुक्रिया। वह तीनों चुपचाप बाहर निकल गये और उनके पीछे टोनी ने अन्दर आ कर कहा… जनरल मोर्गन के आफिस से काल आयी थी। …टोनी तुम जा सकती हो। उन पाँचो को भी जाने को कह दो। मै जल्दी से जनरल के आफिस की ओर चला गया।
अब तक एक बात मुझे समझ मे आ चुकी थी कि जनरल को इस मीटिंग के बारे मे पहले से ही पता था। अब मेरे सामने सवाल था कि जनरल को उनके आने का कैसे पता चला? क्या कोई मेरा आदमी उनके पास खबर दे रहा है या फिर जनरल मोर्गन सरकार के किसी अति विशिष्ट व्यक्ति के लिए काम कर रहा है। मुझे इन दो विकल्पों के अलावा और कुछ भी नहीं सूझ रहा था। सूजन के दरवाजे को खोल कर अन्दर झाँकते हुए पूछा… कोई इस वक्त जनरल के साथ है? वह जल्दी से बोली… तुम्हारा इंतजार कर रहे है। मै तेजी जनरल के दरवाजे पर दस्तक दे कर अन्दर घुस गया। जनरल मोर्गन अपनी यथावत जगह पर बैठ कर सिगरेट के कश लगा रहे थे। मुझे देखते ही बोले… मेजर क्या खबर है? …सर हम अपने काम मे लग गये है। जल्दी ही आपको मै रिपोर्ट देनी शुरू करूँगा। बस एक चीज जानना चाहता था कि क्या आपको हरेक प्रान्त की संवेदनशील जगहों की एक रिपोर्ट चाहिए या हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए? जनरल ने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा… जो टीम आयी थी उससे क्या बात हुई?
…सर मैने उनको साफ कह दिया कि अंधेरे मे तीर चलाने की मेरी आदत नहीं है। कुछ भी बोलने से पहले मै एक बार रिफाईनरी का दौरा करना चाहूँगा अन्यथा वहाँ से उपलब्ध सारी जानकारी की रिपोर्ट देखना चाहूँगा। …मेजर यह कर्नल बशीर बेहद चालाक लोमड़ी है। इस से सावधान रहने की जरूरत है। इसने पूरे अमीरात मे अपना नेटवर्क फैला रखा है। इसको अमीरात मे होने वाली हर घटना की सूचना रहती है। इस बार इससे चूक हो गयी जिसकी वजह से यह पागल कुते की तरह सूँघता फिर रहा है। जिस काम पर मैने तुम्हें लगाया है उसकी हल्की सी भनक इस इंसान नहीं होनी चाहिए। मै चुपचाप सामने बैठे हुए जनरल को समझने की कोशिश मे लगा हुआ था कि उनके दिमाग मे क्या चल रहा है। वह पल भर के लिए चुप हो गए और फिर बोले… मुझे हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए। …सर एक बात और है जो मुझे परेशान कर रही है। हमे अपना नेटवर्क इन गुटों मे बनाने की क्या जरूरत है? जहाँ तक जानकारी रखने की बात है वह तो सरकार का काम है। मुझे लगता है कि अपना नेटवर्क बनाने मे समय और पैसा काफी लगेगा। …मेजर आतंक के फ्रंट पर हमारी सेना बैठी हुई है। हमारे हाथ बाँध कर हमसे उम्मीद की जा रही है कि हम यहाँ के नागरिकों सुरक्षा प्रदान करे। यह काम बिना नेटवर्क के नहीं हो सकेगा। जहाँ तक समय और पैसे की बात है तो तुम्हारे पास समय भी है और अमीरात सरकार का दिया हुआ अपना बजट भी है। इसलिए तुम अपने नेटवर्क को जमाने की बात सोचना शुरू कर दो। इतना कह कर जनरल अपनी सीट से खड़े हो गये और बोले… और कुछ? मै समझ गया कि अब मुझे चलना चाहिए इसीलिए मै भी खड़ा हो कर बोला… कुछ नहीं सर। अब मै भी चलता हूँ। इतना कह कर मै भी उनके साथ कमरे से बाहर निकल आया।
अंधेरा हो चुका था। आफिस कोम्पलेक्स अंधकार मे डूबा हुआ था। पैदल चलता हुआ मै अपने फ्लैट की ओर बढ़ रहा था कि मेरे मोबाईल की घंटी ने मेरा ध्यान तोड़ दिया। मैने जल्दी से फोन को जेब से निकाला लेकिन तब तक लाइन कट चुकी थी। अपने फ्लैट पर पहुँच कर मैने अपने किट बैग से सामान निकाला और अलमारी मे रखने मे लग गया। मै अपने रात के खाने का इंतजाम करने मे लग गया था। सब काम समेट कर जैसे ही मै आराम करने के बेड पर लेटा ही था कि फिर से मोबाइल फोन की घंटी बज उठी। अबकी बार मैने झपट कर फोन उठाया और दूसरी ओर की आवाज सुनने के लिए इंतजार करने लगा। कुछ पल इंतजार के बाद दूसरी ओर से किसी ने कहा… हैलो। मर्दानी आवाज थी। मैने जल्दी से फोन पर कहा… अली मोहम्मद बोल रहा हूँ। आप कौन बोल रहे है। दूसरी ओर से उसने कहा… मै आपसे मिलना चाहता हूँ। परन्तु आपके आफिस के बजाय किसी सार्वजनिक स्थान पर मिले तो अच्छा होगा। …मुझसे क्यों मिलना चाहते हो? …यह मै मिल कर ही बता सकता हूँ। …ठीक है, कल हम ग्यारह बजे एमजीएम माल मे मिलते है। इतना कह कर मैने फोन काट दिया। सारी बात स्थानीय भाषा मे हुई थी इसी लिए यह तो पक्की बात थी कि कोई अरब ही मुझसे मिलने के लिए इच्छुक था। मै भी इस फोन से ज्यादा बात नहीं करना चाहता था। मन मे एक शक था कि कहीं मेरा फोन कोई टैप तो नहीं कर रहा है? यह फोन मुझे आफिस की ओर से मिला था। शाम को जनरल से बात करने के बाद मैने निश्चय कर लिया था कि अबसे बेहद सावधानी के साथ काम करूँगा।
टीवी पर न्यूज लगा कर मै अपने काम मे लग गया। आज कोई खास खबर नहीं थी सिवाय कल के विस्फोट पर तरह-तरह के लोगों को बुला कर उनसे बात की जा रही थी। अपने सारे काम भुगता कर जब बिस्तर पर लेटा तो थकान से बोझिल आँखे तुरन्त बन्द हो गयी थी। परन्तु जब दिमाग मे खतरा मंडरा रहा होता है तो शांति से नींद भी नहीं आती है। उस रात चौंक कर न जाने कितनी बार मै जाग गया था। सुबह जल्दी से तैयार हो कर मै अपने आफिस की ओर निकल गया था।