23-12-2022, 08:26 PM
दिल्ली
वक्त अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। लेकिन रवि को कुछ समझ नहीं आ रहा था एक तो वो छोटे शहर से था और दूसरा था बड़ा मासूम उसे काम वासना की चपेट ने अभी तक अपने अंदर घेरा नहीं था। यहां रूपा और अजय के बीच में जो कुछ भी चल रहा था उससे वो उतना ही अनजान था जितना की आप इस समय पढ़ते वक्त। लेकिन एक बात उसे सताए जा रही थी की एक ही रात में उसे कुछ ऐसा अनुभव हुआ जो उसने अपने अब तक के जीवन काल में अनुभव नहीं किया। एक अलग तरह का आनंद उसका स्वागत कर रही थी। उसे समझ में नहीं आया की इस बारे में किस्से बात करे, आखिर था तो वो नया इस शहर में उसका ना कोई मित्र ना साथी संगत बिल्कुल जैसे वीराने में एक भटके इंसान के जैसे एक रोशनी की तलाश में रहता है जिससे उसे कुछ राहत मिले आगे का हौंसला मिले ठीक उसी तरह रवि एक रोशनी रूपी दोस्त के तलाश में था उसने सोचा काश कोई ऐसा होता जिसे मैं अपनी बातें बता पाता
रवि इन सब खयालों से अभी बाहर आया भी ना था की दरवाजे पे किसी ने दस्तक दी
रूपा: रवि जरा देख कौन है मैं नहा रही हूं
रवि अपने खयालों से बाहर आते हुए कुछ सोचते हुए दरवाजा खोलता है। बाहर अजय अपने हाथ में कुछ सामान लिए खरा था और रवि को देख मुस्कुरा रहा था उसने प्यार से रवि के माथे पे हाथ फेरा और कहा अंदर चलोगे या यही रहोगे
रवि: अंकल आप
अजय: हां जी मैं वो क्या है घर पे अकेले बोर हो रहा था तो सोचा नए मेहमान से मिल लूं कुछ बातें कर लूं
रवि को ये सुन के अच्छा लगा उसने कहा
रवि: मैं तो बच्चा हूं मुझसे आपको क्या मजा मिलेगा यहां भी बोर हो होंगे
अजय: अरे ऐसे कैसे इतने भी छोटे नहीं हो तुम और वैसे भी तुम क्यों फिकर करते हो तुम्हारी दीदी है ही ना मजे के लिए
ये कहते हुए उसने अपने लंड को अपने पैंट में ही मसल दिया रवि के देखने पे कहा कि चिटी बहौत है तुम्हारे घर में रवि सिर्फ मुस्कुरा के रह गया
अजय: यार रवि रूपा नहीं दिख रही
रवि: हां अंकल वो नहाने गई है
तभी रूपा की आवाज आती है रवि जरा टॉवेल ला तो मैं भूल गई।
रवि: अभी लाता हूं
अजय: अरे रवि तू ये जूते पहन के देख मैं लेके आया हूं तेरे लिए
रवि: थोड़ी देर में अभी दीदी ने बुलाया है
अजय: अरे दीदी को छोड़ वो तो ऐसे ही बोलती है अच्छा एक काम कर तू अपने रूम में जा अच्छे से पहन के देख तब तक मैं तेरी दीदी को टॉवेल दे के आता हूं
रवि अपने मन में कई तरह के सवाल लिए अपने रूम में चला जाता है और अजय मुस्कुराते हुए रूपा के बाथरूम के बाहर टॉवेल ले के
रूपा: दे ना रवि
अजय: रवि से भी लोगी अब क्या हाहाहाहाहा
रूपा: बाहर झांक कर अरे तुम यहां जाओ अभी रवि देख लेगा
अजय: चला जाऊंगा पहले ये टॉवेल तो ले लो
रूपा: अच्छा बाबा दो
अजय: ऐसे नहीं या तो तुम बाहर आप या मैं अंदर आता हूं तभी टॉवेल मिलेगा
रूपा: बच्चों जैसी ज़िद मत करो जल्दी टॉवल दो रवि देख लेगा।
अजय: बच्चा समझ के ही आने दो वैसे भी इस बच्चे को बहुत प्यास लगी है
रूपा: मुस्कुराती हुई प्यास लगी है तो पानी पी लो
अजय: पानी ही तो पीना है ?
रूपा: छी अच्छा जल्दी आओ और टॉवेल दो और कुछ करना मत रवि अंदर है
अजय टॉवेल ले अंदर चला जाता है और झट से दरवाजा बंद कर देता है
रूपा: अरे दरवाजा क्यों बंद किया हटो
अजय: अरे मेरी जान अब अब बस हम दोनो हैं
रूपा: आते रवि आ जायेगा
अजय: कुछ नहीं होगा वो बच्चा है
रूपा: तुम भी ना बिना अपने मन का किए सुधरोगे नहीं
अजय: देर तुम ही कर रही हो
उधर रवि ने जूते पहन लिए थे उसे वो जूते बहुत पसंद आए उसने सोचा चलो कोई तो मिला दोस्त ना सही पर इस अनजान शहर में हाथ नहीं तो उंगली ही सही। वो खुशी खुशी बाहर आया और कहा अंकल पहन लिए। पर ये क्या वो देखता है की अंकल वहां हैं ही नहीं और उनका सामान अभी भी यहीं है और गेट अंदर से बंद है। उसे बड़ी दुविधा हुई की अंकल कहा चले गए। इतने में अजय ने रूपा को अपनी गोद में उठा के दरवाजे पे पटका जिससे जोड़ से आवाज आई उस बेचारे को लगा की उसकी दीदी कहीं गिर तो नहीं गई जब वह दीदी दीदी करते गेट पे पहुंचा तो देखा अंकल का शर्ट और पैंट वहीं दरवाजे पे उतरा हुआ था। उसे कुछ समझ नहीं आया फिर भी उसने दरवाजा खटखटाया और पूछा
रवि: दीदी आप ठीक है ना ये आवाज कैसी थी?
अजय ने तब तक अपना विशाल काय लंड रूपा के मुंह में दे दिया था जिससे रूपा को सांस तक बड़ी परेशानी से आ रही थी फिर वो रवि के सवालों का जवाब कैसे देती
इतने में जब रवि ने दुबारा पूछा तो अजय ने जवाब दिया
अजय: रवि रूपा ठीक है
रवि: अंकल अंदर तो दीदी थी आप क्या कर रहे हैं
अजय: वो तेरा गीजर अचाननक खराब हो गया तो बेचारी रूपा इतनी ठंड में कैसे नहाती तो उसने मुझे कहा जरा देख लोगे।
रवि: पर दीदी कुछ बोल क्यों नहीं रही और आपके कपड़े भी बाहर हैं
तभी रूपा कैसे भी कर के अजय का लंड निकलते हुए हांफते हुए कहती है की
रूपा: रवि तू जा मैं ठीक हूं ये गीजर ठीक कर रहे उसी की आवाज थी। भीग ना जाए इसीलिए कपरे बहार उतरे हैं। रूपा गुस्से से अजय को देख रही थी और अजय अपना लंड उसके माथे पर रख झटके मरते हुए उसे देख रहा था और मुस्कुरा रहा था।
रवि को कुछ सूझ नहीं रहा था वो हाल में चुप चाप बैठ गया।
वक्त अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। लेकिन रवि को कुछ समझ नहीं आ रहा था एक तो वो छोटे शहर से था और दूसरा था बड़ा मासूम उसे काम वासना की चपेट ने अभी तक अपने अंदर घेरा नहीं था। यहां रूपा और अजय के बीच में जो कुछ भी चल रहा था उससे वो उतना ही अनजान था जितना की आप इस समय पढ़ते वक्त। लेकिन एक बात उसे सताए जा रही थी की एक ही रात में उसे कुछ ऐसा अनुभव हुआ जो उसने अपने अब तक के जीवन काल में अनुभव नहीं किया। एक अलग तरह का आनंद उसका स्वागत कर रही थी। उसे समझ में नहीं आया की इस बारे में किस्से बात करे, आखिर था तो वो नया इस शहर में उसका ना कोई मित्र ना साथी संगत बिल्कुल जैसे वीराने में एक भटके इंसान के जैसे एक रोशनी की तलाश में रहता है जिससे उसे कुछ राहत मिले आगे का हौंसला मिले ठीक उसी तरह रवि एक रोशनी रूपी दोस्त के तलाश में था उसने सोचा काश कोई ऐसा होता जिसे मैं अपनी बातें बता पाता
रवि इन सब खयालों से अभी बाहर आया भी ना था की दरवाजे पे किसी ने दस्तक दी
रूपा: रवि जरा देख कौन है मैं नहा रही हूं
रवि अपने खयालों से बाहर आते हुए कुछ सोचते हुए दरवाजा खोलता है। बाहर अजय अपने हाथ में कुछ सामान लिए खरा था और रवि को देख मुस्कुरा रहा था उसने प्यार से रवि के माथे पे हाथ फेरा और कहा अंदर चलोगे या यही रहोगे
रवि: अंकल आप
अजय: हां जी मैं वो क्या है घर पे अकेले बोर हो रहा था तो सोचा नए मेहमान से मिल लूं कुछ बातें कर लूं
रवि को ये सुन के अच्छा लगा उसने कहा
रवि: मैं तो बच्चा हूं मुझसे आपको क्या मजा मिलेगा यहां भी बोर हो होंगे
अजय: अरे ऐसे कैसे इतने भी छोटे नहीं हो तुम और वैसे भी तुम क्यों फिकर करते हो तुम्हारी दीदी है ही ना मजे के लिए
ये कहते हुए उसने अपने लंड को अपने पैंट में ही मसल दिया रवि के देखने पे कहा कि चिटी बहौत है तुम्हारे घर में रवि सिर्फ मुस्कुरा के रह गया
अजय: यार रवि रूपा नहीं दिख रही
रवि: हां अंकल वो नहाने गई है
तभी रूपा की आवाज आती है रवि जरा टॉवेल ला तो मैं भूल गई।
रवि: अभी लाता हूं
अजय: अरे रवि तू ये जूते पहन के देख मैं लेके आया हूं तेरे लिए
रवि: थोड़ी देर में अभी दीदी ने बुलाया है
अजय: अरे दीदी को छोड़ वो तो ऐसे ही बोलती है अच्छा एक काम कर तू अपने रूम में जा अच्छे से पहन के देख तब तक मैं तेरी दीदी को टॉवेल दे के आता हूं
रवि अपने मन में कई तरह के सवाल लिए अपने रूम में चला जाता है और अजय मुस्कुराते हुए रूपा के बाथरूम के बाहर टॉवेल ले के
रूपा: दे ना रवि
अजय: रवि से भी लोगी अब क्या हाहाहाहाहा
रूपा: बाहर झांक कर अरे तुम यहां जाओ अभी रवि देख लेगा
अजय: चला जाऊंगा पहले ये टॉवेल तो ले लो
रूपा: अच्छा बाबा दो
अजय: ऐसे नहीं या तो तुम बाहर आप या मैं अंदर आता हूं तभी टॉवेल मिलेगा
रूपा: बच्चों जैसी ज़िद मत करो जल्दी टॉवल दो रवि देख लेगा।
अजय: बच्चा समझ के ही आने दो वैसे भी इस बच्चे को बहुत प्यास लगी है
रूपा: मुस्कुराती हुई प्यास लगी है तो पानी पी लो
अजय: पानी ही तो पीना है ?
रूपा: छी अच्छा जल्दी आओ और टॉवेल दो और कुछ करना मत रवि अंदर है
अजय टॉवेल ले अंदर चला जाता है और झट से दरवाजा बंद कर देता है
रूपा: अरे दरवाजा क्यों बंद किया हटो
अजय: अरे मेरी जान अब अब बस हम दोनो हैं
रूपा: आते रवि आ जायेगा
अजय: कुछ नहीं होगा वो बच्चा है
रूपा: तुम भी ना बिना अपने मन का किए सुधरोगे नहीं
अजय: देर तुम ही कर रही हो
उधर रवि ने जूते पहन लिए थे उसे वो जूते बहुत पसंद आए उसने सोचा चलो कोई तो मिला दोस्त ना सही पर इस अनजान शहर में हाथ नहीं तो उंगली ही सही। वो खुशी खुशी बाहर आया और कहा अंकल पहन लिए। पर ये क्या वो देखता है की अंकल वहां हैं ही नहीं और उनका सामान अभी भी यहीं है और गेट अंदर से बंद है। उसे बड़ी दुविधा हुई की अंकल कहा चले गए। इतने में अजय ने रूपा को अपनी गोद में उठा के दरवाजे पे पटका जिससे जोड़ से आवाज आई उस बेचारे को लगा की उसकी दीदी कहीं गिर तो नहीं गई जब वह दीदी दीदी करते गेट पे पहुंचा तो देखा अंकल का शर्ट और पैंट वहीं दरवाजे पे उतरा हुआ था। उसे कुछ समझ नहीं आया फिर भी उसने दरवाजा खटखटाया और पूछा
रवि: दीदी आप ठीक है ना ये आवाज कैसी थी?
अजय ने तब तक अपना विशाल काय लंड रूपा के मुंह में दे दिया था जिससे रूपा को सांस तक बड़ी परेशानी से आ रही थी फिर वो रवि के सवालों का जवाब कैसे देती
इतने में जब रवि ने दुबारा पूछा तो अजय ने जवाब दिया
अजय: रवि रूपा ठीक है
रवि: अंकल अंदर तो दीदी थी आप क्या कर रहे हैं
अजय: वो तेरा गीजर अचाननक खराब हो गया तो बेचारी रूपा इतनी ठंड में कैसे नहाती तो उसने मुझे कहा जरा देख लोगे।
रवि: पर दीदी कुछ बोल क्यों नहीं रही और आपके कपड़े भी बाहर हैं
तभी रूपा कैसे भी कर के अजय का लंड निकलते हुए हांफते हुए कहती है की
रूपा: रवि तू जा मैं ठीक हूं ये गीजर ठीक कर रहे उसी की आवाज थी। भीग ना जाए इसीलिए कपरे बहार उतरे हैं। रूपा गुस्से से अजय को देख रही थी और अजय अपना लंड उसके माथे पर रख झटके मरते हुए उसे देख रहा था और मुस्कुरा रहा था।
रवि को कुछ सूझ नहीं रहा था वो हाल में चुप चाप बैठ गया।