20-12-2022, 07:23 PM
(This post was last modified: 27-12-2022, 04:39 PM by Youngsters. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ये कहानी समाज के नियमों के खिलाफ है पर ऐसी कहानी पढ़ने वाले ढेरों हैं इसलिए उन लोगो के लिए लिखा गया है सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन के लिए ।
कहानी सैत्य घटना पर है लेकिन उसमे कुछ बदलाव तड़का डाल के लिखावट में बनावटी होगा । कहानी कुछ अतीत से शुरू करते है।
में बलबीर सिंह उर्फ बागिरा । बचपन से ही मुझे लड़ने में रूचि रहा है । और में बचपन में कुस्ती आखाड़े में खेल कूद कर बड़ा हुआ हूं । जवान होते होते मेरी फिजिक्स इतनी अच्छी हो गई की किसी सांड को पछाड़ दूं। उन दिनों शहर में नया जिम खुला था और में जिम देख कर मोहित हो गया । जिम की उद्घाटन में विदेशी bodybuilder आए थे जिसकी बॉडी और उनके मसल देख कर मैंने भी ठान लिया कि मुझे ऐसा ही bodybuilder बनना है। और में कुस्ती छोड़ कर जिम ज्वाइन किया । तीन साल में मेरी बॉडी मसल उभर आए उन दिन स्टीरियड का नाम नही था । हां कुछ सप्लीमेंट हमे दिया जाता था । ज्यादा पढ़े लिखे नही थे किसी तरह दसवी कक्षा तक दो बार फेल हो कर पोहोचा था ।
मैने भी बॉडी बिल्डिंग प्रोतियोगिता में भाग लेना शुरू किया और में कमियाबी की छीढ़ी चढ़ने लगा था । डिस्ट्रिक लेवल पर मेडल भी मिला । मेरा ट्रेनर मुझसे बोहोत खुश थे और मुझे हमेशा कहता था कि तुझे में इंटरनेशनल चैंपियन बनाऊंगा पूरे ब्रह्मांड की मिस्टर यूनिवर्स बनाऊंगा और में दिन में सपने देखने लगा ।
और मेरी मुलाकात हुई एक लड़की से जिसे देख कर ही में फ्लैट हो गया था । मासूम सी भली भाली सी ऐसा तो नहीं कहूंगा क्यू की इसका भी कारण है आगे बताता हू। शहर से में गांव गया हुआ था । मुझे कमिटी ने खास मेहमान कि तौर पे बुलाया था बड़ी शान की बाद थी की एम एल ए की बगल वाली कुर्सी पर बैठा था में । एम एल ए मुझे इतज्जत दे रहा था । सामने आखाड़े में कुस्ती की प्रतियोगिता हो रही थी बच्चो से ले कर बुड्ढे पहलवान तक।
मुझे नही पता था कि वहा लड़कियों की भी कुस्ती हो रही थी । लेकिन जब लड़कियों की कुस्ती शुरू हुआ और में दो मैच देख चुका था कुछ रूचि नहीं आ रहा था और में पेशाब का बहाना मार के उठने ही वाला था कि मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी जो सलवार सूट पहनी हुई थी कमर में चूर्णी कस कर बंधी हुई थी मिट्टी से लिपटी हुई उसकी गठीला गदराई हुई जोशीला बदन । चेहरे पर गुस्सा पसीने से लथपथ और सामने वाली प्रोटियोगी से दांव लगा रही थी । उसकी दाव पेश देख कर में चेयर पर चिपक कर बैठ गया । में बास उसी लड़की पर खो गया था । होश तब आया जब रेफरी ने उसकी हाथ उठा कर विजेता घसीट कर दिया था । और एम एल ए भी उस लड़की की गुण गा रही थी । उस लड़की की चेहरे पर जीत की खुशी उसकी नजरे दर्शकों पर और होठों पर मुस्कान। जो अपनी संस्कारी से दर्शकों हाथ जोड़ कर नमन कर रही थी ।
पहली बार किसी लड़की को देख कर में बेखबर अपनी मंजिल से भटक गया था । वरना हमेशा मुझे एक ही सपना दिखाई देता था की मुझे इंटरनेशनल चैंपियन बनना ही हे कैसे भी कर के ।
कुछ ही देर में विजेताओं को पुरस्कार से सम्मानित करने की अवसर आ गया और तब उसकी नाम मुझे पता चला वैशाली माझी । एक गरीब घर की लड़की थी 21 बर्ष बताया जा रहा था उसकी और में मन में सोच रहा था में 25 का अच्छी जमेगी हमारी ।
किस्मत भी साथ दे रहा था एम एल ए ने मुझे वैशाली को पुरस्कार दे कर सम्मानित करने को बोला । और जब में वैशाली जो पुरस्कार अपने हाथो से से रहा था तब उसकी नजर मेरी नजर से मिली हुई थी । उसकी चेहरे पर खुशी की मुस्कान । मैने उसे बधाई दी तो उसने मुझे शुक्रिया सार जी बोली । में थोड़ा हैरान था पहली बार किसी ने मुझे सार बोला था ।
वो दिन में भूल नही पा रहा था । उसकी नाम पता सबकुछ खोगोल कर निकल लिया और मजनू की तरह लग गया लाईन मारने । वो पढ़ाई में अच्छी थी शहर में पढ़ने आती थी कॉलेज में । और उसे भी पता थी की में कौन हूं । मैने उसके सक्कर में ही नया स्कूटर लिया था ।
लाईन मारते मारते हमारी बाते होने लगी एक दो । मेरी नजरे वो समझती थी । हमेशा उसके साथ सेहेलिया रहती थी लेकिन में अकेला स्कूटर ले कर उसके पीछे मंडराता रहता था । ऐसे ही चार पांच महीने बीत गए और एक दिन वो मेरा रास्ता रोक दी । में थोड़ा दर गया था पता नही क्यू उसकी चेहरे पर भी गुस्सा थी । और गुस्से में किसी शेरनी से कम नही लगती थी ।
लेकिन उसने भले ही चेहरे पर गुस्सा भाव रख के बात की पर अच्छे से समझदारी लहजे में बात की । उसने पूछा क्यूं रोज रोज मेरा पीछा करते हो । तो मैंने भी हिम्मत कर के सीधा बोल दिया की। इसका मतलब तुम भली भाती जानती हो लेकिन में आवारा लफंगा नही हू। तुमसे शादी करना ही मुझे । अपने जीवन में तुम्हे खुश रखना चाहता हूं ।
तो उसने मुंह टेढ़ा कर के एक नखरीले अंदाज से बोली की मुझे अभी शादी नहीं करनी हे। मुझे कुश्ती में अपना करियर बनाना है। जब शादी करनी होगी तब पूरी दुनिया को बता दूंगी तब तुम भी लाईन में लग जाना । क्या पता तुम्हारी भी किस्मत खुल जाय । दुबारा मेरा पीछा मत करना वरना सिक्युरिटी में शिकायत कर दूंगी ।
वो तेजी से मुड़ी और अपने सेहेलियो के साथ चली गई । क्या अंदाज थी उसकी अब तक तो मुझे सार सार के कर पुकारती थी लेकिन आज तो चुल्लू भर पानी में डूबो कर चली गई मुझे
। मेरी सकल की सफेद रंग देख कर उसकी सहेलियां मुझपे हस्ती हुई गई ।
खैर ये बात मेरे ट्रेनर को पता चला और उसने मुझे बोहोत दाता समझाया । में बोहोत मानता था अपने ट्रेनर को और उसने मेरी स्कूटर भी बेस दिया । में हार नही माना था पर में ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान देने लगा ।
और तीन महीने बाद में फिर एक कंपटीशन जीत गया । और वैशाली मुझे बैक स्टेज मिली में सॉक्ड था उसे देख कर । और फिर हमारी कुछ ऐसे ही बाते हुई । बातो में पता चला उसी शहर पर जिस शहर पर मेरा कंपटीशन था वाहा उसकी कुस्ती लड़ने आया हे जो अगले दिन होना था ।
में मन में खुद को बोल रहा था बस अब कुछ महीने ट्रेनिंग से थोड़ा सुतकारा मिलेगा और तेरे पीछे भाग के तुझे जल्द ही पता लूंगा ।
जब में उससे विदा ले कर जा रहा था तो उसने सबके सामने चिंख कर बोली की परसो मेरा शादी हे आजाना लाईन में । में खड़े खड़े ही जिंदा लाश बन गया । मतलब में कन्फ्यूज था पागल लड़की सच बोल रही है मझक कर रही है लेकिन वो मुस्कुराती हुई चली गई ।
परसो का दिन भी आ गया और में गांव चला गया सीधा उसके घर । लेकिन घर में कोई ऐसा माहौल नहीं था की उसकी शादी हो रही हे । उसके घर में उसके मां बाप और एक छोटे भाई थे ।
मुझे देख कर उसके घर वाले पहचान तो गए पर में क्यू उन लोगो के घर में हूं ये बात वो लोग समझ नही पा रहे थे पर वैशाली दरवाजे की कोने में मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी ।
उसके मां बाप ने आने का कारण पूछा तो। में भी सांस ले कर बोल दिया " मुझे आपकी बेटी पसंद है और में उससे शादी करना चाहता हूं । आप लोग मंजूरी दे तो "
वैशाली भी सॉकेड थी और उसके मां बाप भी । उसके मां बाप बोलने लगे की वो लोग नीचे जाती का में ऊंचे जाती का । पर मैंने साफ बोल दिया कि में ये सब नहीं मानता अगर आप लोगो को मंजूर हो खबर कर देना । और में साय पानी पी कर चला गया ।
अगले तीन महीने में हमारी शादी हो गई । सुहागरात के दिन वैशाली ने मुझे एक ही बात बिना शर्म के बोली की " जिस दिन आपने मुझे पुरस्कार दिया था उसी दिन में आपसे प्यार कर बैठी थी । "
ये बात मुझे इतना सकून इतनी खुशी दिलाई की क्या काहू। पर उसने जो मुझे इतने दिन जलाया उसका बदला तो मैंने लिया ।
वो कुंवारी थी में भी कुंवारा पर फटनी तो उसकी थी । उसकी फटी भी पर थी पहलवान दर्द बर्दास्त करती हुई मुझे अपने बाहों ने सिमट कर दर्द भरी कराह के साथ आनंद दायक सिसकारियों से मुझे जोश भी दिलाया । नया पलंग भी मर मरा गया था ।
और ऐसे ही हमारी जिंदगी की गाड़ी बिना रुके चल रही थी । वो भी कुस्ती पर ध्यान दे रही थी और में भी अपने चैंपियन बनने पर । पर मेरा ट्रेनर मुझे रोक लगा रहा था की हफ्ते में सिर्फ दो बार अपनी बीवी के पास जाना ।
देर साल के अंदर ही वैशाली ने दो जडूवा बच्चे जन्म दिए । में अभी बच्चा नहीं चाहता था लेकिन वैशाली चाहती थी उसका मानना था की बाद में उसकी उम्र बढ़ गई तो हो सकता है उसे मां बनने मे दिक्कत आए । पर थोड़ी दुखी भी अब कमसे कम दो तीन साल तक तो वो कुस्ती नही कर पाएगी पर दो मासूम बच्चे किलकारी हर मां को खुश कर देती है । दोनो बच्चे लड़के थे नाम रखा गया विजय और प्रबल ।
लेकिन मेरी किस्मत में कुछ और ही लिखा था । एक दिन जब में लेग प्रेस मार रहा था तो अचानक मुझे अपनी रीढ़ की हड्डी में तेज दर्द हुआ और दर्द के मारे बेहोश ही हो गया था ।
हॉस्पिटल में मुझे पता चला की मेरी रीढ़ की हड्डियां टूट गई हे थोड़ा सा । लेकिन वो थोड़ा ही मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी । में ठीक तो हो गया पर उस तरह से नही की में दुबारा डम्बल उठा पाऊ।
में डिप्रेशन में चला गया पर उस वक्त वैशाली अपने साथ साथ मुझे भी संभाल रही थी । उसकी करियर में भी रोक लग गई । कोई साल ऐसे ही बीता । बच्चे बड़े हो रहे थे और जमीदारिया मुझे जगा रहा था । और में एक दिन होश में आया । मेरे अपने पैसे तो इतने दिनो तक खर्चा चलाने में खतम हो गए । मेरे पिताजी धन वान थे मैने अपने हिस्से की जमीन बेच कर एक जिम खोल लिया और धीरे धीरे मेरी मेहनत रंग लाई । और आज इतने सालों में मेरे जिम से कोई चैंपियन बने । आज में 44 का हूं और वशाली 40 की । अपने सपने भले पूरे नही कर पाए पर हम फिर भी खुश है। बोहोत खुश हे ना पैसों की ना समाज में इत्तज्जत की कमी है। किसी तरह की कमी नही पर कहते है ना हर चीज सब तरीके से परफेक्ट नही होता हे। कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाता है। और वो कमी ही एक कहानी बन जाती है।
कहानी सैत्य घटना पर है लेकिन उसमे कुछ बदलाव तड़का डाल के लिखावट में बनावटी होगा । कहानी कुछ अतीत से शुरू करते है।
में बलबीर सिंह उर्फ बागिरा । बचपन से ही मुझे लड़ने में रूचि रहा है । और में बचपन में कुस्ती आखाड़े में खेल कूद कर बड़ा हुआ हूं । जवान होते होते मेरी फिजिक्स इतनी अच्छी हो गई की किसी सांड को पछाड़ दूं। उन दिनों शहर में नया जिम खुला था और में जिम देख कर मोहित हो गया । जिम की उद्घाटन में विदेशी bodybuilder आए थे जिसकी बॉडी और उनके मसल देख कर मैंने भी ठान लिया कि मुझे ऐसा ही bodybuilder बनना है। और में कुस्ती छोड़ कर जिम ज्वाइन किया । तीन साल में मेरी बॉडी मसल उभर आए उन दिन स्टीरियड का नाम नही था । हां कुछ सप्लीमेंट हमे दिया जाता था । ज्यादा पढ़े लिखे नही थे किसी तरह दसवी कक्षा तक दो बार फेल हो कर पोहोचा था ।
मैने भी बॉडी बिल्डिंग प्रोतियोगिता में भाग लेना शुरू किया और में कमियाबी की छीढ़ी चढ़ने लगा था । डिस्ट्रिक लेवल पर मेडल भी मिला । मेरा ट्रेनर मुझसे बोहोत खुश थे और मुझे हमेशा कहता था कि तुझे में इंटरनेशनल चैंपियन बनाऊंगा पूरे ब्रह्मांड की मिस्टर यूनिवर्स बनाऊंगा और में दिन में सपने देखने लगा ।
और मेरी मुलाकात हुई एक लड़की से जिसे देख कर ही में फ्लैट हो गया था । मासूम सी भली भाली सी ऐसा तो नहीं कहूंगा क्यू की इसका भी कारण है आगे बताता हू। शहर से में गांव गया हुआ था । मुझे कमिटी ने खास मेहमान कि तौर पे बुलाया था बड़ी शान की बाद थी की एम एल ए की बगल वाली कुर्सी पर बैठा था में । एम एल ए मुझे इतज्जत दे रहा था । सामने आखाड़े में कुस्ती की प्रतियोगिता हो रही थी बच्चो से ले कर बुड्ढे पहलवान तक।
मुझे नही पता था कि वहा लड़कियों की भी कुस्ती हो रही थी । लेकिन जब लड़कियों की कुस्ती शुरू हुआ और में दो मैच देख चुका था कुछ रूचि नहीं आ रहा था और में पेशाब का बहाना मार के उठने ही वाला था कि मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी जो सलवार सूट पहनी हुई थी कमर में चूर्णी कस कर बंधी हुई थी मिट्टी से लिपटी हुई उसकी गठीला गदराई हुई जोशीला बदन । चेहरे पर गुस्सा पसीने से लथपथ और सामने वाली प्रोटियोगी से दांव लगा रही थी । उसकी दाव पेश देख कर में चेयर पर चिपक कर बैठ गया । में बास उसी लड़की पर खो गया था । होश तब आया जब रेफरी ने उसकी हाथ उठा कर विजेता घसीट कर दिया था । और एम एल ए भी उस लड़की की गुण गा रही थी । उस लड़की की चेहरे पर जीत की खुशी उसकी नजरे दर्शकों पर और होठों पर मुस्कान। जो अपनी संस्कारी से दर्शकों हाथ जोड़ कर नमन कर रही थी ।
पहली बार किसी लड़की को देख कर में बेखबर अपनी मंजिल से भटक गया था । वरना हमेशा मुझे एक ही सपना दिखाई देता था की मुझे इंटरनेशनल चैंपियन बनना ही हे कैसे भी कर के ।
कुछ ही देर में विजेताओं को पुरस्कार से सम्मानित करने की अवसर आ गया और तब उसकी नाम मुझे पता चला वैशाली माझी । एक गरीब घर की लड़की थी 21 बर्ष बताया जा रहा था उसकी और में मन में सोच रहा था में 25 का अच्छी जमेगी हमारी ।
किस्मत भी साथ दे रहा था एम एल ए ने मुझे वैशाली को पुरस्कार दे कर सम्मानित करने को बोला । और जब में वैशाली जो पुरस्कार अपने हाथो से से रहा था तब उसकी नजर मेरी नजर से मिली हुई थी । उसकी चेहरे पर खुशी की मुस्कान । मैने उसे बधाई दी तो उसने मुझे शुक्रिया सार जी बोली । में थोड़ा हैरान था पहली बार किसी ने मुझे सार बोला था ।
वो दिन में भूल नही पा रहा था । उसकी नाम पता सबकुछ खोगोल कर निकल लिया और मजनू की तरह लग गया लाईन मारने । वो पढ़ाई में अच्छी थी शहर में पढ़ने आती थी कॉलेज में । और उसे भी पता थी की में कौन हूं । मैने उसके सक्कर में ही नया स्कूटर लिया था ।
लाईन मारते मारते हमारी बाते होने लगी एक दो । मेरी नजरे वो समझती थी । हमेशा उसके साथ सेहेलिया रहती थी लेकिन में अकेला स्कूटर ले कर उसके पीछे मंडराता रहता था । ऐसे ही चार पांच महीने बीत गए और एक दिन वो मेरा रास्ता रोक दी । में थोड़ा दर गया था पता नही क्यू उसकी चेहरे पर भी गुस्सा थी । और गुस्से में किसी शेरनी से कम नही लगती थी ।
लेकिन उसने भले ही चेहरे पर गुस्सा भाव रख के बात की पर अच्छे से समझदारी लहजे में बात की । उसने पूछा क्यूं रोज रोज मेरा पीछा करते हो । तो मैंने भी हिम्मत कर के सीधा बोल दिया की। इसका मतलब तुम भली भाती जानती हो लेकिन में आवारा लफंगा नही हू। तुमसे शादी करना ही मुझे । अपने जीवन में तुम्हे खुश रखना चाहता हूं ।
तो उसने मुंह टेढ़ा कर के एक नखरीले अंदाज से बोली की मुझे अभी शादी नहीं करनी हे। मुझे कुश्ती में अपना करियर बनाना है। जब शादी करनी होगी तब पूरी दुनिया को बता दूंगी तब तुम भी लाईन में लग जाना । क्या पता तुम्हारी भी किस्मत खुल जाय । दुबारा मेरा पीछा मत करना वरना सिक्युरिटी में शिकायत कर दूंगी ।
वो तेजी से मुड़ी और अपने सेहेलियो के साथ चली गई । क्या अंदाज थी उसकी अब तक तो मुझे सार सार के कर पुकारती थी लेकिन आज तो चुल्लू भर पानी में डूबो कर चली गई मुझे
। मेरी सकल की सफेद रंग देख कर उसकी सहेलियां मुझपे हस्ती हुई गई ।
खैर ये बात मेरे ट्रेनर को पता चला और उसने मुझे बोहोत दाता समझाया । में बोहोत मानता था अपने ट्रेनर को और उसने मेरी स्कूटर भी बेस दिया । में हार नही माना था पर में ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान देने लगा ।
और तीन महीने बाद में फिर एक कंपटीशन जीत गया । और वैशाली मुझे बैक स्टेज मिली में सॉक्ड था उसे देख कर । और फिर हमारी कुछ ऐसे ही बाते हुई । बातो में पता चला उसी शहर पर जिस शहर पर मेरा कंपटीशन था वाहा उसकी कुस्ती लड़ने आया हे जो अगले दिन होना था ।
में मन में खुद को बोल रहा था बस अब कुछ महीने ट्रेनिंग से थोड़ा सुतकारा मिलेगा और तेरे पीछे भाग के तुझे जल्द ही पता लूंगा ।
जब में उससे विदा ले कर जा रहा था तो उसने सबके सामने चिंख कर बोली की परसो मेरा शादी हे आजाना लाईन में । में खड़े खड़े ही जिंदा लाश बन गया । मतलब में कन्फ्यूज था पागल लड़की सच बोल रही है मझक कर रही है लेकिन वो मुस्कुराती हुई चली गई ।
परसो का दिन भी आ गया और में गांव चला गया सीधा उसके घर । लेकिन घर में कोई ऐसा माहौल नहीं था की उसकी शादी हो रही हे । उसके घर में उसके मां बाप और एक छोटे भाई थे ।
मुझे देख कर उसके घर वाले पहचान तो गए पर में क्यू उन लोगो के घर में हूं ये बात वो लोग समझ नही पा रहे थे पर वैशाली दरवाजे की कोने में मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी ।
उसके मां बाप ने आने का कारण पूछा तो। में भी सांस ले कर बोल दिया " मुझे आपकी बेटी पसंद है और में उससे शादी करना चाहता हूं । आप लोग मंजूरी दे तो "
वैशाली भी सॉकेड थी और उसके मां बाप भी । उसके मां बाप बोलने लगे की वो लोग नीचे जाती का में ऊंचे जाती का । पर मैंने साफ बोल दिया कि में ये सब नहीं मानता अगर आप लोगो को मंजूर हो खबर कर देना । और में साय पानी पी कर चला गया ।
अगले तीन महीने में हमारी शादी हो गई । सुहागरात के दिन वैशाली ने मुझे एक ही बात बिना शर्म के बोली की " जिस दिन आपने मुझे पुरस्कार दिया था उसी दिन में आपसे प्यार कर बैठी थी । "
ये बात मुझे इतना सकून इतनी खुशी दिलाई की क्या काहू। पर उसने जो मुझे इतने दिन जलाया उसका बदला तो मैंने लिया ।
वो कुंवारी थी में भी कुंवारा पर फटनी तो उसकी थी । उसकी फटी भी पर थी पहलवान दर्द बर्दास्त करती हुई मुझे अपने बाहों ने सिमट कर दर्द भरी कराह के साथ आनंद दायक सिसकारियों से मुझे जोश भी दिलाया । नया पलंग भी मर मरा गया था ।
और ऐसे ही हमारी जिंदगी की गाड़ी बिना रुके चल रही थी । वो भी कुस्ती पर ध्यान दे रही थी और में भी अपने चैंपियन बनने पर । पर मेरा ट्रेनर मुझे रोक लगा रहा था की हफ्ते में सिर्फ दो बार अपनी बीवी के पास जाना ।
देर साल के अंदर ही वैशाली ने दो जडूवा बच्चे जन्म दिए । में अभी बच्चा नहीं चाहता था लेकिन वैशाली चाहती थी उसका मानना था की बाद में उसकी उम्र बढ़ गई तो हो सकता है उसे मां बनने मे दिक्कत आए । पर थोड़ी दुखी भी अब कमसे कम दो तीन साल तक तो वो कुस्ती नही कर पाएगी पर दो मासूम बच्चे किलकारी हर मां को खुश कर देती है । दोनो बच्चे लड़के थे नाम रखा गया विजय और प्रबल ।
लेकिन मेरी किस्मत में कुछ और ही लिखा था । एक दिन जब में लेग प्रेस मार रहा था तो अचानक मुझे अपनी रीढ़ की हड्डी में तेज दर्द हुआ और दर्द के मारे बेहोश ही हो गया था ।
हॉस्पिटल में मुझे पता चला की मेरी रीढ़ की हड्डियां टूट गई हे थोड़ा सा । लेकिन वो थोड़ा ही मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी । में ठीक तो हो गया पर उस तरह से नही की में दुबारा डम्बल उठा पाऊ।
में डिप्रेशन में चला गया पर उस वक्त वैशाली अपने साथ साथ मुझे भी संभाल रही थी । उसकी करियर में भी रोक लग गई । कोई साल ऐसे ही बीता । बच्चे बड़े हो रहे थे और जमीदारिया मुझे जगा रहा था । और में एक दिन होश में आया । मेरे अपने पैसे तो इतने दिनो तक खर्चा चलाने में खतम हो गए । मेरे पिताजी धन वान थे मैने अपने हिस्से की जमीन बेच कर एक जिम खोल लिया और धीरे धीरे मेरी मेहनत रंग लाई । और आज इतने सालों में मेरे जिम से कोई चैंपियन बने । आज में 44 का हूं और वशाली 40 की । अपने सपने भले पूरे नही कर पाए पर हम फिर भी खुश है। बोहोत खुश हे ना पैसों की ना समाज में इत्तज्जत की कमी है। किसी तरह की कमी नही पर कहते है ना हर चीज सब तरीके से परफेक्ट नही होता हे। कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाता है। और वो कमी ही एक कहानी बन जाती है।