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Thriller जंग, मोहब्बत और धोखा
#6
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…हम अपने परिवार के साथ यहाँ आये हुए है। आज शाम को घूमने के लिए हम दोनों अपने परिवार से पूछ कर निकले थे। …उन्होनें ऐसे माहौल मे तुम्हें अकेले बाहर जाने दिया? मै नहीं मान सकता लेकिन खैर तुम्हारी मर्जी। मेरी सलाह मानो तुम्हारा इस वक्त यहाँ अकेले घूमना ठीक नहीं है। अगर घूमना है तो दिन मे घूम लिया करो। रात को शराब पी कर कोई भी तुम्हारी जैसी खूबसूरत परियों को देख कर बहक सकता है। मैने मुस्कुरा कर उनको कह कर सामने पड़े हुए अपने ग्लास को उठा कर एक घूँट भरा और शिराज़ी को देखने के लिए अपनी नजरें घुमाई। वह अपने काउन्टर पर जमा हुआ था लेकिन उसकी नजरे मेरी ओर ही लगी हुई थी। …आप भी तो शराब पी रहे है। लेकिन आप तो नहीं बहके। मेरे कानों मे उसकी आवाज पड़ी लेकिन मेरी निगाहें शिराजी की ओर लगी हुई थी क्योंकि वह बाहर की ओर इशारा कर रहा था। 

मैने बाहर की ओर देखा तो वहाँ हड़कम्प मचा हुआ था। अरब के शेख के साथ आये हुए सुरक्षाकर्मी बेतहाशा इधर-उधर भाग रहे थे। सड़क पर भगदड़ सी मची हुई थी। अचानक मैने उनकी ओर देखा तो वह दोनों भी बाहर की ओर देख रही थी। अचानक मुझे उन दो सायों की याद आ गयी जो उस लीमोजीन से उतर कर भीड़ मे खो गये थे। …क्या वह लोग तुम्हें ढूँढ रहे है? दोनों ने घबरा कर एक नजर बाहर डाली और फिर मेरी ओर देखा। उनके भययुक्त चेहरे को देख कर मै उनके जवाब सुने बिना ही सारी परिस्थिति को भाँप गया था। …तुम्हारा क्या नाम है? अबकी बार उसने धीरे से कहा… मेरा नाम फ़्रेया और मेरी बहन का नाम ज़ारा है। …टुविन्स? …जी। प्लीज हमारी मदद किजीए। …कैसे। अगर तुम्हारे अब्बा ने तुम्हें यहाँ पर मेरे साथ देख लिया तो सोचो मेरा क्या हश्र होगा। मै जल्दी से अपनी सीट छोड़ कर जाने को हुआ तभी फ्रेया ने आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ लिया… प्लीज। मै एक पल के लिए ठिठक कर रुक गया और फिर जल्दी से कहा… मेरे पीछे आओ। इतना कह कर मै रेस्त्राँ की किचन मे चला गया और वहाँ से निकल कर पीछे के गलियारे से होता हुआ सड़क के चौराहे के पास निकल आया। मेरे पीछे वह दोनों भी चुपचाप सिर झुकाए चल रही थी। 
मैने अपने कदम धीरे करके हुए उनके साथ चलते हुए पूछा… अब क्या सोचा है? फ्रेया और ज़ारा ने एक दूसरे की ओर देखा और फिर घबराये हुए स्वर मे फ्रेया ने कहा… समझ मे नहीं आ रहा कि क्या करें। अब्बा हुज़ूर सुबह होने से पहले हमारी खाल खिंचवा देंगें। दोनों बेहद भयग्रस्त थी। …यह काम क्या पहली बार किया है? ज़ारा ने अबकी बार अपनी बहन को दोष देते हुए कहा… मैने मना किया था लेकिन इसने मेरी एक बात न मानी। यह जिद्द पकड़ कर बैठ गयी कि एक बार हम भी आम पर्यटकों की तरह घूमने के लिए चलते है। मै भी बेकार इसकी बातों मे आ गयी। …ज़ारा, उस माहौल मे दम घुट कर रह गया है। बड़ी मुश्किल से पहली बार बाहर निकले है। आप ही बताईए कि क्या किसी को अपने तरीके से जीना का कोई हक नहीं है? अगर वह लड़के हमारा समय नहीं खराब करते तो हम बड़े आराम से घूम कर इस वक्त नाइटक्ल्ब मे होते और किसी को पता भी नहीं चलता। …लेकिन अब क्या करे? मै चुपचाप उनकी बात सुन रहा था। मै अमीरात के माहौल से परिचित था इसीलिए फ्रेया की बात सुन कर मुझे उनकी कुंठा का आभास हो गया था। …फ्रेया तुम सब किस होटल मे ठहरे हुए हो? …हिल्टन ग्राँड। …अब तुम्हारे बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है कि मै तुम्हें हिल्टन ग्राँड मे छोड़ देता हूँ। कह देना कि एकाएक ज़ारा की तबियत खराब होने के कारण तुम दोनों नाइट्कल्ब से टैक्सी लेकर वापिस होटल आ गयी थी। …और उन्होंनें पूछा कि किसी को क्यों नहीं बताया तो इसका यह क्या जवाब देंगें? …कह देना कि सब खुश थे और हम उनके रंग मे भंग नहीं डालना चाहते थे इसीलिए बिना किसी को बताए हम होटल वापिस आ गये थे। 
मैने जाती हुई टैक्सी को इशारे से रोका और हिल्टन ग्राँड बोल कर सवार हो गया। मेरे पीछे-पीछे दोनों बहने भी टैक्सी मे बैठ गयी। …आप साउदी से है? …नहीं, लेकिन मै काम के सिलसिले मे अमीरात मे रहता हूँ। …वहाँ कहाँ रहते है? …अबू धाबी। फ़्रेया कुछ बोलना चाही लेकिन ज़ारा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे चुप कराते हुए पूछा… अबू धाबी मे कहाँ पर? …यूएनओ कोम्पलेक्स। क्या तुम लोग भी वहीं से आए हो? ज़ारा ने जल्दी से कहा… नहीं, हम दुबई मे रहते है। लेकिन अबू धाबी कभी-कभी घूमने के लिए जाते रहते है। …आपने अपना नाम नहीं बताया? …मेरा नाम अली मोहम्मद है। होटल नजदीक आ रहा था मैने ड्राईवर के हाथ मे कुछ यूरो थमाते हुए कहा… मै यहीं उतर रहा हूँ। इन दोनों को होटल के अन्दर छोड़ कर लौटते हुए यहीं से मुझे ले लेना। मुझे वापिस वहीं जाना है जहाँ से आये थे। उसने टैक्सी को सड़क के किनारे रोक दिया। गेट खोल कर मैने उतरते हुए कहा… पता नहीं फिर कब मिलना होगा लेकिन नसीहत के तौर पर कह रहा हूँ। वक्त बहुत खराब है ऐसे ही किसी राह चलते हुए पर आँख बन्द करके विश्वास मत करना। तुम जैसी खूबसूरत लड़कियों को वैसे भी अकेले नहीं घूमना चाहिए। मै उतर चुका था लेकिन अचानक फ्रेया ने मेरे हाथ पकड़ कर बड़े अधिकार से मुझे रोकते हुए कहा… एक मिनट रुकिए। उसने अपनी गले की चेन खींची और मेरे हाथ मे थमाते हुए कहा… पता नहीं किस्मत मे दोबारा मिलना हो कि नहीं लेकिन यह मेरी निशानी आपको मेरी याद हमेशा दिलाती रहेगी। ज़ारा ने भी जल्दी से अपना स्कार्फ गले से निकाला और मेरी ओर उछालते हुए कहा… यह मेरी याद दिलाएगा। मै कुछ कह पाता उन्होंने जल्दी से गेट बन्द करते हुए ड्राईवर को कहा… चलो।
मै वहीं सड़क के किनारे अपनी मुठ्ठी मे बन्द दोनों चीजों को लिये खड़ा रह गया और जाती हुई टैक्सी की लाल टेल लाइट को काफी देर यूहिं खड़ा देखता रह गया था। चंद घड़ी की मुलाकात मे फ्रेया का चेहरा अभी भी मेरी आँखों के सामने घूम रहा था। दिल के किसी कोने मे एक बार फिर मिलने की चाह उत्पन्न हो गयी थी। टैक्सी को वापिस लौटने मे दस मिनट लग गये थे। उस दौरान मेरा सारा ध्यान बस फ्रेया मे उलझ कर रह गया था। वापिस रेस्त्राँ की ओर लौटते हुए पहली बार मैने अपनी मुठ्ठी को खोल कर चेन पर निगाह डाली थी। सोने की पतली सी चेन थी जिसमे एक गहरे सुर्ख लाल रंग के रूबी का पेन्डेन्ट था। ज़ारा के स्कार्फ से अभी भी उसके सेन्ट की महक आ रही थी। उनके साथ बिताये हुआ कुछ मिनट मेरे जहन मे अब तक घर कर चुके था। ऐसा पहली बार मेरे साथ हुआ था। मन मे हल्की सी ग्लानि भी थी कि मै अपने से आधी उम्र की लड़की के बारे मे इतना विचलित महसूस कर रहा था। अपना सिर झटक सारे ख्यालों को निकाल कर कल रात वाली लड़की पर ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा।     
पिछली रात को मुझे सोफिया उसी नाईटकल्ब के बाहर खड़ी हुई मिली थी। वह ईटालियन थी जो अपने दोस्त के साथ युरोप देखने के लिए निकली थी। लेकिन उसका दोस्त एक रात पहले उसके सारे पैसे ले कर उसे यहाँ अकेला छोड़ कर भाग गया था। वह अपनी मुश्किलों से निजात पाने के लिए कल्ब के बाहर खड़ी हुई मिली थी। मै उसकी खूबसूरती पर मोहित हो गया और समय बिताने के लिए उसे अपने साथ लेकर बोट हाउस पर आ गया था। पहले शराब का दौर चला और फिर एक लम्बा दौर रोमान्स और सेक्स का चला। सुबह की पहली किरण निकलने से पहले हम थक कर चूर हो कर नींद के आगोश मे चले गये थे। जब नशे का खुमार उतरा और मेरी आँख खुली तब तक सोफिया जा चुकी थी और उसी के साथ मेरा पर्स भी चला गया था। अपने आप को मन ही मन गाली दे कर समझाया कि शायद पैसे की जरूरत ने उसे इस काम के लिए मजबूर किया होगा वर्ना बातचीत से वह ऐसी नहीं लगी थी। पिछली रात को याद करने के बावजूद भी मै फ्रेया को दिल से बाहर नहीं निकाल पाया था। वह मेरे ज़हन मे बस चुकी थी।
…महाशय नाइटक्लब आ गया है। मै जल्दी से टैक्सी से उतरा और युरो का एक नोट देकर शिराज़ी के रेस्त्राँ की ओर बढ़ गया। सड़क का माहौल अब तक शांत हो चुका था। वही भीड़ चारों ओर घूमती हुई दिखायी दे रही थी। युवक और युवतियाँ अभी भी एक दूसरे को लुभाने के लिए इधर उधर घूमते हुए दिखायी दे रहे थे। आज पहली बार मुझे अकेलापन खल रहा था। समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। पल भर मे सब कुछ बेमानी सा लग रहा था। रेस्त्राँ मे कदम रखते ही शिराज़ी मेरी ओर आ कर बोला… अली भाई, कौन थी वह लड़कियाँ और आप उन्हें कैसे जानते हो? एक साथ ही उसने प्रश्नों की झड़ी सी लगा दी। मुझे कुछ पता होता तो उसे बताता लेकिन मै भी तो उनसे अनजान था। …भाईजान, मै भी नहीं जानता वह दोनों कौन थी। हम और आप जब बात कर रहे थे तो मेरी नजर बाहर चली गयी थी जहाँ चार-पाँच लड़के उनके साथ बदतमीजी कर रहे थे। मै तो बीच-बचाव करने के लिए बाहर निकला था। बस इसके अलावा उनके बारे मे और कुछ नहीं जानता। शिराज़ी ने एक पल के लिए मुझे घूरा और फिर धीरे से बोला… उस शेख के परिवार की लड़कियाँ होंगीं। उस शेख के लोग हरेक दुकान और रेस्त्राँ मे घुस कर शायद उन्हें ही तलाश कर रहे थे। कुछ ही देर मे उन्होंने यहाँ पर हंगामा मचा दिया था। 
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RE: जंग, मोहब्बत और धोखा - by Virafghan - 20-12-2022, 05:24 PM



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