20-12-2022, 05:21 PM
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एकाएक कार मे से धड़धड़ाते हुए हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मी निकले और सारी भीड़ को धक्का देते हुए पूरे रास्ते पर छा गये थे। सिक्युरिटीवाले जो हमेशा अदृश्य रहते थे वह भी न जाने कँहा से निकल आये और सड़क पर खड़े हुए लोगों को हटाने मे लग गये थे। उनको आया देख कर शिराज़ी भी मुझे वहीं छोड़ कर अन्दर चला गया। मै रेस्त्राँ के किनारे दीवार के सहारे खड़ा हो कर वहाँ पर सुरक्षाकर्मीयों की मुस्तैदी का जायज़ा लेने मे लग गया। हाथों मे अत्याधुनिक एम-17 स्वचलित गन को भीड़ की ओर करके सुरक्षाकर्मी बार-बार भीड़ को पीछे रहने के लिए कह रहे थे। जब नाइटकल्ब का पूरा रास्ता साफ हो गया तब कारों के दरवाजे खुले और एक शेख अपनी अरब वेशभूषा मे सबसे पहले कार से निकला और उसके बाद निकलने वालों का ताँता सा लग गया। कुछ बुर्कापोश महिलाएँ निकली और फिर कुछ हिजाब पहने युवतियाँ और उनके पीछे बच्चे और बच्चियाँ एक कतार मे अलग-अलग कार से बाहर आ गये थे। शेख बिना किसी की परवाह किये नाइटक्ल्ब के अन्दर दाखिल हो गया और उसके पीछे-पीछे उसका पूरा काफिला अन्दर चला गया। सारी लीमोजीनें एक-एक करके घूमी और फिर भीड़ को पीछे छोड़ कर पार्किंग की दिशा की ओर चल दी। मै भी रेस्त्राँ के अन्दर जाने के लिए मुड़ा ही था कि तभी मेरी नजर एक लीमोजीन पर पड़ी जो एकाएक लौटते हुए रुक गयी थी।
एक पल के लिए मुझे लगा कि शायद जगह न होने की वजह से रुकी होगी। लेकिन तभी कार का गेट खुला और दो साये उसमे से तेजी से उतरे और दौड़ते हुए सड़क पार करके भीड़ मे शामिल गये थे। वह कार तुरन्त आगे बढ़ गयी। मै बस इतना ही देख पाया था कि तभी शिराज़ी ने आवाज़ दी… अली भाई आ जाईए। एक पल के लिए मै ठिठक कर उन दो व्यक्तियों को देखने के लिए रुका और फिर अपना सिर झटक कर रेस्त्राँ के दरवाजे की ओर चल दिया। मैने कुछ कदम ही बढ़ाये थे कि पीछे से दो नवयुवतियाँ मुझे हल्का सा धक्का दे कर आगे बढ़ गयी। मै कुछ बोलने ही वाला ही था कि एक लड़की मुड़ी और एक प्यारी सी मुस्कान के साथ बोली… सौरी। इतना कह कर वह अपनी दोस्त के साथ आगे बढ़ गयी थी। एक पल के लिए मेरी नजर उसके लय से थिरकते हुए पुष्ट नितंबों पर पड़ी और फिर मुड़ कर मै रेस्त्राँ मे दाखिल हो गया। रेस्त्राँ पूरा भरा हुआ था। शिराज़ी ने शीशे के साथ लगी हुई कोने की एक टेबल की ओर इशारा किया और मै वहाँ पर जा कर जम गया। वहाँ से बाहर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था। अभी भी नाइटक्ल्ब के सामने भीड़ जमी हुई थी। मैने अपने खाने का आर्डर दिया और फिर ठँडी बीयर की चुस्कियाँ लेते हुए बाहर का नजारा देखने मे लग गया।
…अली भाई, आज का खाना मेरी ओर से है। शिराज़ी मेरे पास आ कर बैठ गया। …आपने देख लिया कि जब यह लोग आते है तो यहाँ का क्या हाल होता है। …भाईजान, यह सब पैसे की माया है। इन लोगों ने दुनिया को सिर्फ तेल बेच कर यह पैसा कमाया है जिसको यह इस तरह अपनी ऐयाशियों पर लुटा रहे है। …अली भाई, मगर उस तेल पर वहाँ के लोगों का भी तो हक है। क्या यह अमीर उनके लिए भी कुछ कर रहे है? …हाँ मियाँ, यह लोग उनके खून से अपनी जमीन सींच रहे है। …भाईजान, आपने तो काफी समय अमीरात मे गुजारा है आज कल वहाँ का क्या हाल है? …वहाँ का भी वही हाल है जो सिरीया या यमन का हाल है। बस फर्क इतना है कि यमन और सीरिया पर खुले आम बम और गोले के धमाके होते है और अमीरात मे छिप कर हमले होते है। हम अभी राजनितिक चर्चा मे उलझे हुए थे कि मेरी नजर बाहर चली गयी। चार-पाँच युवकों ने दो लड़कियों को घेर कर उनसे किसी बात मे उलझे हुए थे। आधी रात के बाद यह नजारा तो यहाँ की आम बात थी परन्तु इस वक्त सैलानियों की भीड़ मे वह लड़कियाँ परेशान सी लग रही थी। युवक बार-बार उन्हें छूने की कोशिश कर रहे थे और वह दोनों उनके हाथ झटक रही थी।
पता नहीं उनकी परेशानी देख कर मुझे क्या हुआ कि मै तेजी से अपनी जगह से उठा… इमरान भाई मै अभी आया। इतना कह कर मै रेस्त्राँ से बाहर निकल आया और उनकी ओर तेज कदमों से चलते हुए पहुँच गया। एक युवक उस युवती का हाथ पकड़ कर अंग्रेजी मे कह रहा था… नखरे मत करो। आज की रात हमारे साथ चलो। हम तुम्हें जन्नत की सैर कराएँगें। युवती रुआँसी आवाज मे बोल रही थी… हमें अकेला छोड़ दो वर्ना तुम पर खुदा का कहर टूट पड़ेगा। पता नहीं शराब का नशा था या अपने साथियों के सामने युवती का इंकार कि वह गुस्से मे उसका हाथ छोड़ कर उसे धक्का देते हुए बोला… कैसे नहीं चलेगी। चलो दोस्तों इन दोनों को जबरदस्ती ले कर चलते है। दो युवतियाँ यह सुन कर चीखीं लेकिन तब तक बाकी युवकों ने उन्हें अपनी बाँहों मे उठा लिया। इससे पहले और कुछ होता मैने उनके पीछे से कहा… अगर यह जाना नहीँ चाहती तो इन्हें यहीं छोड़ कर तुम लोग चलते बनो।
मेरी आवाज सुन कर एक पल के लिए सब लोग सकते मे आ गये थे। उनमे से वही युवक जिसने अपने दोस्तों को युवतियों को उठाने का हुक्म दिया था वह गुस्से मे बोला… ओल्ड मैन, तुम अपनी खैर चाहते हो तो अपना रास्ता नापो। एक नजर उन युवकों पर डाल कर मै धीमे कदमों से चलते हुए उन युवतियों के पास आ कर खड़ा हो गया था। उसकी बात को अनसुना करते हुए सामने खड़े हुए युवक जिसने एक युवती को अपनी बाँहे मे उठा रखा था उसके कँधे की हड्डी पर अपनी उँगलिया गड़ाते हुए कहा… छोड़ दो। वह दर्द से चीखा और तुरन्त वह युवती उसकी बाँहों से निकल कर हड़बड़ा कर मेरे पीछे खड़ी हो गयी और अपनी भाषा मे कुछ बड़बड़ायी। एक पल के लिए अचम्भित हो कर मैने पूछ लिया… अरब। वह भी आश्चर्यचकित होकर अरबी भाषा मे तुरन्त बोली… अरब। प्लीज हमारी मदद किजीए। यह लोग हमे परेशान कर रहे है। …तुम दोनों यहाँ क्या कर रही हो? हमारी अनजान भाषा को सुन कर सारे युवक कुछ पीछे हट गये और अचंभे से मेरी ओर देखने लगे। मैने अंग्रेजी भाषा मे समझाने हेतु कहा… इनको यहीं छोड़ कर चुपचाप यहाँ से दफा हो जाओ। नाइटकल्ब की ओर खड़े हुए सुरक्षाकर्मियों की ओर इशारा करते हुए कहा… अगर उनको हल्कीसी भनक भी लग गयी कि तुम इन लड़कियों के साथ बदतमीजी कर रहे हो तो शायद जिन्दगी मे फिर कभी अपने पाँव पर खड़े न हो सको। उनकी नजरों ने मेरे इशारे का पीछा किया और सामने खड़े हुए सुरक्षाकर्मियों पर नजर डाल कर तुरन्त वह दो कदम पीछे हो गये। तभी वही युवक गुस्से से भिन्नाते हुए बोला… तुम मुझे नहीं जानते। ऐसे लोग मेरे आगे पीछे नौकर की तरह घूमते है। तुम यहाँ से जाते हो कि नहीं? उसके एक साथी ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर एक ओर ले गया और उनके पीछे-पीछे उनके बाकी साथी भी चले गये। वह दोनों युवतियाँ मेरे पास खड़ी रह गयी थी। मैने फौरन उनकी भाषा मे कहा… चलो जल्दी यहाँ से निकलो वर्ना कोई नया बखेड़ा खड़ा हो जाएगा। दोनों युवतियाँ एक पल के वहीं हतप्रभ सी खड़ी रही और फिर तेजी से मेरे आगे निकल गयी। उनके जाते ही मै वापिस रेस्त्राँ मे दाखिल हो गया।
अपनी कुर्सी पर जमते ही शिराज़ी बोला… अली भाई किस पचड़े मे पड़ गये। यह तो रोजाना की बात है। …भाईजान आप सही कह रहे हैं। इसके आगे मै कुछ बोल पाता कि मेरे नजर बाहर चली गयी। वह दोनों युवतियाँ वापिस लौट कर रेस्त्राँ मे प्रवेश कर रही थी। पल भर मे दोनों मेरे सामने आ कर खड़ी हो गयी। उनमे से एक धीरे से बोली… शुक्रान। समय की नज़ाकत को समझते ही शिराज़ी फौरन कुर्सी से उठा और काऊन्टर की ओर चला गया। रेस्त्राँ की मध्यम रौशनी मे मैने पहली बार उन दोनों को ध्यान से देखा था। दोनों मेकअप किए हुए पश्चिमी वेशभूषा मे थी लेकिन शक्ल से दोनों कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ सी लग रही थी। यह मेरे लिए आश्चर्य की बात थी कि अरब मूल की कॉलेजी लड़कियाँ इस माहौल मे बिना किसी मर्द की निगरानी मे अकेले यहाँ क्या कर रही थी। जिस लड़की से मैने बात की थी उसकी ओर मुखातिब हो कर मैने पूछा… तुम दोनों यहाँ क्या कर रही थी? …हम घूमने आये हुए है। …बिना हिज़ाब और बिना किसी के साथ? एक बार फिर से मैने उसको उपर से नीचे तक निहारा।
वह देखने मे बेहद सुन्दर थी। तीखे नयन-नक्श, कन्धें से नीचे तक झूलते हुए काले बाल, कमर से कुछ उँचा ब्लाउज और उसमे से बाहर झाँकते हुए अर्ध-कलश, गले मे सोने की चेन, पतली कमर और उठते हुए नितंबो पर बंधी हुई स्किन-टाईट जीन्स पहने कयामत लग रही थी। अचानक हमारी नजरें मिली और उसने झेंपते हुए निगाहें नीचे कर ली। …अगर आप एक दूसरे को देख चुके तो क्या मै बैठ जाऊँ। खनकती हुई आवाज मेरे कानों मे पड़ी तो मैने झेंपते हुए खड़े होते हुए उसके साथ खड़ी हुई नवयुवती से कहा… हाँ प्लीज बैठिए। एक पल के लिए मेरी नजर उस पर जा टिकी थी। वह उसी की तरह हुबहू दिख रही थी। बस उसके गले मे स्कार्फ था जिसके कारण उसका सीना ढक गया था। दोनों चुपचाप मेरे सामने बैठ गयी। एक बार फिर से मैने कहा… इस वक्त आप दोनों बिना किसी के साथ यहाँ पर क्या कर रही है? मेरा प्रश्न सुन कर दोनों ने एक दूसरे को देखा जैसे दोनों एक दूसरे से पूछ रही हो कि क्या जवाब दें। मै चुपचाप उनकी ओर देखता रहा। मन ही मन मै सोच रहा था कि उन लड़कों का भी कोई दोष नहीं था। उनको देख कर कोई भी दीवाना हो सकता था।