20-12-2022, 05:18 PM
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…मेजर, तुम्हारी टुकड़ी को वापिस भेज दिया गया है जिससे रस अल-खैमाय का अमीर शान्त हो कर बैठ जाए लेकिन मै तुम्हें वापिस नहीं भेजना चाहता हूँ। तुम इस जगह के चप्पे-चप्पे से पूरी तरह वाकिफ हो ओर यहाँ की भाषा मे भी पारंगत हो गये हो। तुम यहाँ के हर जायज़ और नाजायज़ गुट को जानते और पहचानते हो। एक पल के लिए जनरल मुस्कुराये और फिर मेरी ओर देख कर बोले… एक खास बात तुम मे मैने देखी है कि तुम सरकारी नियमावली के गुलाम नहीं हो जिसकी वजह से तुम ऐसे हालात मे काम करने के लिए बिलकुल योग्य साबित हुए हो। अगर उस दिन तुम सैन्य कार्यवाही नहीं करते तो अमीरात के छ: अमीरों को कितना नुकसान झेलना पड़ता उसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते। मेरे समझाने पर संयुक्त अरब अमीरात के समूह के राष्ट्रपति ने तुम्हें बेदाग घोषित करने के लिए एक शर्त रखी है कि तुम अपनी सेना से इस्तीफा दे कर यहाँ के सुरक्षा सलाहकार के पद पर मेरे स्टाफ मे नियुक्त हो जाओ। अब यह तुम्हारे उपर है कि तुम कोर्ट मार्शल का रास्ता चुनते हो या यहाँ पर मेरे सुरक्षा सलाहकार की हैसियत से काम करना चुनते हो। इतना कह कर वह मेरे सामने पड़ी हुई मेज पर बैठ गये।
एक पल में मेरी पूरी जिन्दगी मेरी आँखों के सामने से गुजर गयी थी। मेरा नाम अली मोहम्मद ज़ान्ज़ुआ है। जब मुझे व मेरी टुकड़ी को संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के रूप मे काम करने का अवसर दिया गया तब मै भारतीय सेना की जाट रेजीमेन्ट मे मेजर के पद पर कार्यरत था। बारह साल की सेना की नौकरी मे मैने लगभग सभी प्रकार की खतरनाक व विष्म परिस्तिथियों मे काम किया था। सिया-चिन सुरक्षा, कश्मीर मे बढ़ती हूई आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्यवाही, पूर्वी उतर राज्यों मे आतंकवाद के खिलाफ मोर्चे की अगुवाई के अलावा एक बार पंजाब मे आतंकवाद से निबटने के लिए भी मुझे भेजा गया था। मेरा सारा जीवन अब तक ऐसे ही हालातों से जूझने मे निकला था। बहुत बार मै घायल भी हुआ था जिसके निशान मेरे जिस्म पर आज भी चिन्हित थे। आज तक मैने सभी काम एक भारतीय सेना के अधिकारी के रूप मे किये थे। भारतीय सेना की हरे रंग की युनीफार्म ने मुझे वह इज्जत और गौरव का एहसास कराया था जो शायद आज के बाद मै फिर कभी जिन्दगी मे नही कर सकता था। ऐसे कई मौके आये जब मेरे साथी किसी खतरनाक नियुक्ति से बचने के लिए मुझसे आग्रह करते कि मै अपने नाम को आगे रख कर उनको इस मुसीबत से निजात दिलवा दूँ। हर बार मै उनकी परिवारिक जिम्मेदारियों को देख कर अपना नाम आगे बड़ा देता था। परन्तु आज कोई भी मेरी सेना की ओर से मदद करने के लिए आगे नहीं आ सकता था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि एक तरफ निश्चित मौत खड़ी हुई है दूसरी ओर उस गौरवमय हरी वर्दी से हमेशा-हमेशा के लिए अल्विदा करने का समय मुझे ताक रहा था।
ऐसा भी नहीं था कि मेरा अपना परिवार नहीं था। मेरे अब्बा और अम्मी अलीगड़ ,., युनीवर्सिटी मे प्रोफेसर थे परन्तु वह सेवानिवृत हो कर मेरे बड़े भाई के परिवार के साथ रह रहे थे। मेरा बड़ा भाई अपनी विलक्षण बुद्धि के कारण आईआईटी से इंजीनियरिंग करके अमरीका मे जा कर बस गया था। मैने पढ़ाई मे औसत बुद्धि लेकर जैसे-तैसे प्रथम अंकों से बारवीं की परीक्षा पास की थी। बस अपनी जिन्दगी मे शायद एक जगह मेरे परिवार की ओर से दी गयी मेरी बुद्धि ने मुझे राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी की परीक्षा मे पास करा दिया था। उसके बाद मैने सिर्फ सेना और उसके काम का ही अनुभव प्राप्त किया था। सेना के कारण मै अपने परिवार से कट कर रह गया था। मेरा परिवार जब कभी छुट्टियों मे भारत आता तब मुझे छुट्टियाँ नहीं मिलती थी। सेना के आप्रेशन्स अधिकारी होने के कारण मेरा भी अमरीका जाना लगभग नामुमकिन था। इसीलिए मेरा घर और परिवार भारतीय सेना तक ही सिमित हो कर रह गया था। बहुत बार अपनी छुट्टियों मे अपने सैनिक दोस्तों के साथ ऐयाशी और स्त्री संसर्ग के लिए कभी गोवा और कभी मुम्बई और कभी कोलकता चला जाता था लेकिन फिर भी मेरी ज्यादातर छुट्टियाँ सेना के बेस पर ही गुजरती थी।
…मेजर, तुम्हारे जवाब का मै इंतजार कर रहा हूँ। अचानक जनरल मोर्गन की आवाज ने मुझे वापिस वहीं ला कर खड़ा कर दिया था जहाँ से मै चला था। …सर, क्या मेरे पास आपकी सलाह मानने के आलावा कोई और विकल्प बचा है? जनरल मोर्गन ने गरदन हिला कर मेरे सवाल का जवाब बड़ी आसानी से दे दिया था। न चाहते हुए भी मैने भी अपनी हामी मे सिर हिला दिया। फिर क्या था तुरत-फुरत मे मेरा इस्तीफा बनाया गया और जनरल मोर्गन ने अपनी ओर से निवेदन करते हुए भारतीय सेना से मेरा इस्तीफा जल्द से जल्द मंजूर करने की सिफारिश कर दी। जब तक मेरा इस्तीफा मंजूर होता तब तक के लिए जनरल मोर्गन ने मुझे सलाह दी कि मै छुट्टियाँ बिताने के लिए अमीरत से बाहर चला जाऊँ। उन्होंने ही मुझे इबिज़ा जाने की सलाह दी थी। उनका मानना था कि मेरे जाने बाद यहाँ का माहौल अपने-आप ही शान्त हो जाएगा। यही सोच कर उनकी सलाह मानते हुए मै इस जन्नतनुमा जगह के दर्शन करने क लिए आ गया था।
आज भी हमेशा की तरह मै रात की रंगीनियों का मजा लेने के लिए शहर मे आ गया था। हर ओर जगमगाती हुई सड़कों के किनारे पर्यटकों की भीड़ लगी हुई थी। नाइट क्ल्बों के बाहर युवक और युवतियों का ताँता लगा हुआ था। कुछ सड़क के किनारे जमीन पर बैठ कर बीयर पी रहे थे और कुछ भड़कीले वस्त्रों मे युवतियाँ ग्राहक तलाश कर रही थी। सड़कों के दोनों ओर वतावरण मे संगीत गूँज रहा था और हर ओर जवानी मदमस्त हो कर झूम रही थी। मेरे कदम अपने आप ही ब्लू नाईटिन्गेल कल्ब की ओर बढ़ते जा रहे थे। यह इज़िबा शहर का सबसे महँगा और एक्सक्लूसिव नाइट कल्ब था। यहाँ पर दुनिया की एक से बड़ी एक हस्ती पहुँचती थी। मेरे लिए अन्दर जाना तो मुम्किन नहीं था लेकिन उसके बाहर स्थित एक रेस्त्राँ में बैठ कर ही वहाँ के मनोरम दृश्य का आनंद लिया करता था। उस रेस्त्राँ का मालिक इमरान शिराज़ी अरब मूल का व्यक्ति था और वहाँ कुछ रोज़ लगातार आने की वजह से उसके साथ मेरी जान पहचान भी हो गयी थी। वह भी कभी-कभी देर रात को मेरे पास बतियाने के लिए बैठ जाता था।
आज भी नाइटकल्ब के बाहर हुजूम लगा हुआ था। कोई हालीवुड का अभिनेता अपनी दोस्त के साथ आने वाला था। मै सड़क पर टहलते हुए अपने आस-पास का जायज़ा लेते हुए रेस्त्राँ की बढ़ रहा था कि अचानक एक सफेद लम्बी सी लिमोजीन कार मेरे पास से तेजी से गुजरी और नाइटक्ल्ब के द्वार पर जा कर खड़ी हो गयी। हालीवुड का अभिनेता अपनी अर्धनग्न दोस्त की कमर मे हाथ डाल कर भीड़ की ओर हाथ हिलाते हुए कुछ पलों के लिए बाहर रुका तब तक वहाँ खड़े हुए लोगों मे उस अभिनेता को देखने के लिए एक होड़ सी लग गयी थी। भीड़ मे लोग आनन-फानन मे अपने फोन कैमरे से उनकी फोटो खींचने के लिए धक्का-मुक्की मे लग गये थे। मन ही मन उस भीड़ को गाली देते हुए मै रेस्त्राँ के बाहर पड़ी हुई कुर्सी पर जा कर जम गया। मुझे आया देख कर काउन्टर पर बैठा हुआ शिराज़ी अपनी जगह छोड़ कर मेरे पास आ कर बोला… अली भाई, आज आपको अन्दर बैठना पड़ेगा। आज यहाँ पर सारी रात हंगामा रहेगा। कुछ हालीवुड से लोग यहाँ आएंगें और अमीरात से एक अमीर का परिवार भी कुछ देर मे यहाँ आने वाला है। बाहर बैठने से उसके सुरक्षाकर्मी आपको नाहक ही परेशान करेंगें। आप अन्दर आ जाईए। मै आपके लिए बैठने का इंतजाम करवाता हूँ। अभी वह बोल कर चुका ही था कि अचानक पाँच लम्बी काली चमचमाती लीमोजीनों का ताँता सा आकर नाईटक्लब के गेट पर लग गया था।