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Thriller जंग, मोहब्बत और धोखा
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स्पेन के इबिज़ा शहर के बोटहाउस मे पिछले एक महीने से रह रहा हूँ। समुद्र के किनारे लहरों को अठखेलियाँ करते हुए और कभी वहीं पर सैंकड़ों विचरती हुई अर्धनग्न स्त्रियों की खूबसूरती को देखते हुए मेरा पूरा दिन गुजर जाता है। अगर जीतेजी मैने दो साल नर्क मे बिताये थे तो अल्लाह ने कुछ समय के लिए मुझे जन्न्त मे ला कर छोड़ दिया था। दिन भर समुद्र के किनारे निकालने के बाद शाम होते ही इबिजा शहर की ओर निकल गया था। अंधेरा होते ही यह शहर मानो जाग जाता है। हर कोने मे नाइटकल्ब और उसमे से छन कर आती हुई संगीत की आवाज पूरे शहर को संगीतमय कर देती है। जैसे-जैसे रात जवान होती है वैसे-वैसे हसीन चेहरे अपने चारों ओर दिखायी देने लगते है। पूरी रात शराब पानी की तरह बहती है और यहाँ स्त्री का साथ तो शराब से भी सस्ता है। आज अचानक मन ही मन ख्याल आया कि अगर दुनिया मे कहीं जन्नत है तो यहीं पर, यहीं पर और यहीं पर है।

एक महीने पहले तक मै एक अलंकृत यूएन शांति सेना का वरिष्ठ सैन्य अधिकारी था। परन्तु रस अल-खैमाय के बार्डर पर स्थित चौकी पर अचानक निरीक्षण के दौरान शाम के धुंधलके मे एक आतंकवादी गुट ने हमला बोल दिया था। उस चौकी को अमीरात की सबसे बड़ी तेल की पाइपलाइन की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। ऐसा लग रहा था कि आतंकवादी पाइपलाइन को ध्वस्त करने के इरादे से आये थे। उस पाइपलाइन को बचाने के लिए मुझे तुरन्त सैन्य कार्यवाही करने के निर्देश देने पड़े थे। इस मुठभेड़ मे चौबीस आतंकवादी मारे गये थे। इस सैन्य कार्यवाही मे हमारा कोई भी सैनिक हताहत नहीं हुआ था। स्थानीय गुटों और मिडिया ने मिल कर उन मरे हुए आतंकवादियों को शहीदों का दर्जा देते हुए देश भर मे शांति सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और अल जजीरा के स्थानीय नेटवर्क ने मुझे रात ही रात मे रस अल-खैमाय का कसाई के नाम से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। इन सब की वजह से रस अल-खैमाय का अमीर इब्ने मुशारत उल मोहम्मद बिन खुम्म ने प्रदर्शनकारियों के दबाव मे आकर शांति सेना को अमीरात से हटाने की मांग कर डाली थी। इसी वजह से मुझे तुरन्त सस्पैन्ड कर दिया गया और मेरी टुकड़ी को भारत वापिस भेज दिया गया था। जनरल मोर्गन ने मेरे कोर्ट मार्शल तक मुझे वापिस जाने की इजाजत नहीं दे कर मुझे वहीं पर रुकने के लिए मजबूर कर दिया था।

उसी शाम को जनरल मोर्गन मुझसे मिलने आये जहाँ मुझको कैदी के तौर पर रखा गया था। वह मेरे पास आकर बोले कि फौजी कोर्ट को बैठने मे एक महीना लगेगा इसीलिए तुम एक महीने के लिए कहीं घूम कर आ जाओ। एक पल के लिए मै उन्हें आवाक सा खड़ा देखता रह गया क्योंकि मै सैन्य कानून से पूरी तरह परिचित था। मुझ पर अकारण सैन्य कार्यवाही करने का आरोप लगाया गया था जिसकी वजह से दो दर्जन निहत्थे नागरिक बेवजह मारे गये थे। जहाँ छोटी-छोटी बात के लिए सौ कोड़े की सजा दी जाती थी वहाँ इतने जघन्य अपराध की सजा सिर्फ मौत ही हो सकती थी। इन हालात मे जनरल मुझे अमीरात के बाहर घूमने की सलाह क्यों दे रहे थे। यह बात मेरी समझ के बाहर थी। …मेजर, तुम एक सैनिक हो जिसको या तो दोस्त दिखायी देता है और या दुश्मन। परन्तु यहाँ तुम सैनिक नहीं बल्कि यहाँ की कूटनीति का एक मोहरा हो। एक अमीर तुम्हारे खिलाफ है लेकिन बाकी छ: अमीर उस पाइपलाइन को बचाने के कारण तुम्हारे पक्ष मे है। मै चुपचाप उनकी बात सुनने और समझने की कोशिश मे लग गया।
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RE: जंग, मोहब्बत और धोखा - by Virafghan - 20-12-2022, 05:14 PM



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