13-12-2022, 01:38 PM
खेर ने नहा धो के गीले कपड़े धो के दूसरे कपड़े धो के खाना खाने किचन में गया । मामी मुझे देखते ही नजरे झुका ली । मुझे भी उनका सामना करने पे थोड़ा जीझक हो रही थी पर मैंने हमारे बीच नॉर्मल माहोल बनाने के लिए बात करी ।
" अरे आज तो बोहोत अच्छी खुशबू आ रही हे लगता है आज कुछ स्पेशल बना हे " मैने बोला
" हां तड़ी सब्जी गरम मचाले दे कर अच्छे से बनाया है और अंडा कड़ी भी । " मामी ने शर्माते हुए जवाब दिया ।
मामी ने मेरे लिए खाना पड़ोंच दिया । और तब मुंह नीचे कर के शर्माती हुई बोली " लल्ला मुझे माफ कर दे । वो में दरवाजा बंद करना भूल गई थी । लल्ला तू किसी को बताना मत । वो में । तू समझता है हर किसी की अपनी कुछ जरूरत होती है "
में मामी का दोनों हाथ पकड़ के बोला " मेरा हे ही कोन जो किसी को कुछ बताऊंगा । पागल हूं क्या हो में घर की इतज्जत उछालूंगा बाहर । और मां चाची से तो बता भी नही सकता । आपने कुछ गलत थोरी किया है । सबको होती है सब करते हे । आप शिंता मत करो "
मामी की होठों पर हल्की मुस्कान आ गई और मुझे गले लगा के बोली " मेरा लल्ला बोहोत समझदार हो गया हे "
में भी मामी को बाहों में भर लेता हूं । काफी दिनों बाद मामी को गेले लगा रहा था में । लेकिन हमारी जिंदगी बदल चुकी थी बोहोत कुछ बदल चुका था । मामी उस वक्त एक साधारण सी हरी सारी और काले रंग के जगह जगह पर फीके पड़े रंग के ब्लाउज। इतनी मेहनत करने से मामी की बदन से वो पहले वाली त्वचा की चमक गायब हो गई थी । कपरे के खुले हिस्से पर तपती गर्मी और धूप के कारण थोड़े सावले रंग पड़ गए थे फिर भी मामी किसी भी सब्जी वाली से खूबसूरत दिख रही थी । उसकी बदन से उसकी प्राकृतिक और पसीने की मिला खुला 7खुसबू मेरे जेहन में उतर रहा था । उसकी सर्बी मुलायम बदन का क्या एहसास था गर्म थी । में बेकाबू हो गया था ।
में धीरे धीरे बहक रहा था मामी की कामुक जिस्म पर मेरे खुद के कंट्रोल से बाहर हो रहा था और मेरा लंद भी खड़ा होने लगा था । में मामी के चेहरे को दोनों हाथों से उठाया और बोला " मेरी मामी कितनी सुंदर है । "
मामी भी मुस्कुराई " बदमाश "
में मामी की चेहरे को चूमने लगा और नाक से नाक रगड़ कर प्यार झटाया और ये करने पड़ मैने जान बूझ कर एक दो बार अपना होंठ मामी की होंठ पर तकराया तो मामी भी साएद बहक रही थी उसने भी मेरे होंठ पर हल्के से चूम लिया । और हम दोनों एक दम से सहम गए लेकिन फिर मैने ही हिम्मत कर के मामी की होंठ पर होठ रख दिया ।
मैने मेहसूस किया की मामी बदन एक दम से झटके खा कर उठी और मेरे सर पकड़ कर सिद्धत से मेरे होंठ चूसने लगी एक गहरी सांस में । में भी उत्तेजीत हो कर मामी को बाहों में भींचने लगा और उसकी गीली होठ जैसे चबा के चूसने लगा । और मामी भी मुझे अपने अंदर समा लेना चाहती थी ।
दोनो ही शरीर की भूख में बेहेक रहे थे । क्या गलत क्या सही क्या वक्त दोनो ही भूल गए थे । एक दिन अचानक ऐसा होगा की कभी सोचा भी नही था ।
में मामी तरफ झुक कर उसकी गर्दन और कांधे पर चूमने लगा मुंह रगड़ने लगा । में पहली बार किसी औरत के ऊपर इतना जोशीला हो रहा था एक लड़की से किस के आगे कभी कुछ नही था पर आज मामी के ऊपर मेरा वासना जाग गया था ।
" आअह्ह्ह लल्ला । लल्ला उफ्फ। खा जा मुझे लल्ला। उह्ह्ह्ह पता नही क्या हो रहा हे मुझे । उफ्फ खा जा मुझे " मामी की धड़कन तेज हो रही थी जोर जोर से सासें ले रही रही थी ।
और ये कह कर मुझे आगे बढ़ने में और हिम्मत दी मामी ने । में मामी की गर्दन गाल और छाती पागलों की तरह चूमने चाटने लगा था । मामी भी सिर्फ और सिर्फ मेरा सर पकड़ कर आहे भर रही थी । उनकी कामुक आंखों में इतनी भूख देख कर में भी हैरान था ।
में मामी को पकड़ के किचन की सींक पर उठा के बैठाना चाहा पर उसकी इतनी भाड़ी बदन उठाना इतना अचान नही था तो वो खुद चढ़ गई । और में उसकी दहेक्ति हुई दोनो तरबूज को दोनों हाथों से दबाया । मामी सिसियाई उठी में ब्लाउज के हुक खोलने लगा ।
मामी खुद ब्लाउज उतार कर एक चूची पकड़ कर मेरे मुंह में ठूंस दे कर बोली "आह्ह्ह लल्ला चूस पी जा "
में दोनो हाथो से दबाते हुए निपल चूसने लगा । मामी इतनी ज्यादा गर्म थी की मामी का बदन तड़प रही थी । जैसे मेने बिजली की तार प्लस माइनस जोड़ दी और सिंगारी फूट गई । मामी आहे भर भर के बोली " लल्ला जोर से काट तो दाने को "
मैने नजर उठा के मामी की चेहरे पर देखा तो मामी की इतनी कामुक चेहरे को देख कर मेरे मन में सवाल उठा की सच में मेरी ही वो संस्कारी भली भली मामी है या कोई और मुझे तो सिर्फ एक जिस्म की प्यासी औरत नजर आ रही थी। मैंने भी कटा निपल दात के निचान और उंगलियों का लाल लाल चाप कर दिए मामी की बड़ी बड़ी चूचियों पर ।
मामी मेरे कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मेरी आंखों में देखा कर बोला " लल्ला डाल मेरी ओखली में । जो होगा देखा जायेगा उह्ह्ह्ह । मुझसे रहा नही जा रहा है डाल दे । चींटीया रेंग रही है अंदर ।"
में समझ गया कि मामी को जोर दार चुदाई चाहिए । और मैने भी अपना पैंट उतार दिया । मामी खुद सारी ऊपर कर दी और टांगे फैला दी । बालों से भरी चूत गीली हो कर चमक रही थी मैने भी आओ देखा ना ताओ और एक ही झटके में घुसा दिया । मामी मेरा कमर से मुझे बाहों में भर लिया । उफ्फ क्या मजा अनुभव हो रहा था चूत के अंदर इतना आनंद आता है पहली बार ये मेहसूस कर के स्वर्ग सुधार गया ।
में भी मामी की चेहरे को पकड़ के उसकी होंठ चूम कर धक्के मारने लगा । तो मामी आहे भरने लगी ।
पर मामी की भूख ज्यादा थी आज कोई पहलवान भी होता तो भी मामी के आगे पानी पानी हो जाता दम मार मार के । क्यू की कूची देर में मामी बोली " आह्ह्ह्ह लल्ला । जरा दम लगा "
में भी जोश में आ गया और मामी की आंखों में देख के डाट पिछते हुए जोर जोर से धक्के मारने लगा जिसके मामी की बड़ी चुतर से मेरा झांघ टकराने से धाप शाप आवाज गूंज उठा किचन में । और मामी मेरे हर धक्के पर मुंह खोल के मेरी आंखों में देख कर " आन्ह्ह्ह्ह । हान्हह लल्ला। ऐसे ही हा। उन्ह्ह्ह मार लल्ला । ओहह हा। उम्मम्म लल्ला " कर रही थी ।
कुछ देर बाद मामी बोली " रुक लल्ला "
में रुक गया । मामी किचन में पड़ी टोकरी की तरफ इशारा करते हुए बोली " लल्ला वाहा से एक बैंगन उठा और मेरी चूत में डाल । उह्ह्ह बड़ा मन कर रहा है पता नही क्या हो गया हे आज मुझे "
" अरे आज तो बोहोत अच्छी खुशबू आ रही हे लगता है आज कुछ स्पेशल बना हे " मैने बोला
" हां तड़ी सब्जी गरम मचाले दे कर अच्छे से बनाया है और अंडा कड़ी भी । " मामी ने शर्माते हुए जवाब दिया ।
मामी ने मेरे लिए खाना पड़ोंच दिया । और तब मुंह नीचे कर के शर्माती हुई बोली " लल्ला मुझे माफ कर दे । वो में दरवाजा बंद करना भूल गई थी । लल्ला तू किसी को बताना मत । वो में । तू समझता है हर किसी की अपनी कुछ जरूरत होती है "
में मामी का दोनों हाथ पकड़ के बोला " मेरा हे ही कोन जो किसी को कुछ बताऊंगा । पागल हूं क्या हो में घर की इतज्जत उछालूंगा बाहर । और मां चाची से तो बता भी नही सकता । आपने कुछ गलत थोरी किया है । सबको होती है सब करते हे । आप शिंता मत करो "
मामी की होठों पर हल्की मुस्कान आ गई और मुझे गले लगा के बोली " मेरा लल्ला बोहोत समझदार हो गया हे "
में भी मामी को बाहों में भर लेता हूं । काफी दिनों बाद मामी को गेले लगा रहा था में । लेकिन हमारी जिंदगी बदल चुकी थी बोहोत कुछ बदल चुका था । मामी उस वक्त एक साधारण सी हरी सारी और काले रंग के जगह जगह पर फीके पड़े रंग के ब्लाउज। इतनी मेहनत करने से मामी की बदन से वो पहले वाली त्वचा की चमक गायब हो गई थी । कपरे के खुले हिस्से पर तपती गर्मी और धूप के कारण थोड़े सावले रंग पड़ गए थे फिर भी मामी किसी भी सब्जी वाली से खूबसूरत दिख रही थी । उसकी बदन से उसकी प्राकृतिक और पसीने की मिला खुला 7खुसबू मेरे जेहन में उतर रहा था । उसकी सर्बी मुलायम बदन का क्या एहसास था गर्म थी । में बेकाबू हो गया था ।
में धीरे धीरे बहक रहा था मामी की कामुक जिस्म पर मेरे खुद के कंट्रोल से बाहर हो रहा था और मेरा लंद भी खड़ा होने लगा था । में मामी के चेहरे को दोनों हाथों से उठाया और बोला " मेरी मामी कितनी सुंदर है । "
मामी भी मुस्कुराई " बदमाश "
में मामी की चेहरे को चूमने लगा और नाक से नाक रगड़ कर प्यार झटाया और ये करने पड़ मैने जान बूझ कर एक दो बार अपना होंठ मामी की होंठ पर तकराया तो मामी भी साएद बहक रही थी उसने भी मेरे होंठ पर हल्के से चूम लिया । और हम दोनों एक दम से सहम गए लेकिन फिर मैने ही हिम्मत कर के मामी की होंठ पर होठ रख दिया ।
मैने मेहसूस किया की मामी बदन एक दम से झटके खा कर उठी और मेरे सर पकड़ कर सिद्धत से मेरे होंठ चूसने लगी एक गहरी सांस में । में भी उत्तेजीत हो कर मामी को बाहों में भींचने लगा और उसकी गीली होठ जैसे चबा के चूसने लगा । और मामी भी मुझे अपने अंदर समा लेना चाहती थी ।
दोनो ही शरीर की भूख में बेहेक रहे थे । क्या गलत क्या सही क्या वक्त दोनो ही भूल गए थे । एक दिन अचानक ऐसा होगा की कभी सोचा भी नही था ।
में मामी तरफ झुक कर उसकी गर्दन और कांधे पर चूमने लगा मुंह रगड़ने लगा । में पहली बार किसी औरत के ऊपर इतना जोशीला हो रहा था एक लड़की से किस के आगे कभी कुछ नही था पर आज मामी के ऊपर मेरा वासना जाग गया था ।
" आअह्ह्ह लल्ला । लल्ला उफ्फ। खा जा मुझे लल्ला। उह्ह्ह्ह पता नही क्या हो रहा हे मुझे । उफ्फ खा जा मुझे " मामी की धड़कन तेज हो रही थी जोर जोर से सासें ले रही रही थी ।
और ये कह कर मुझे आगे बढ़ने में और हिम्मत दी मामी ने । में मामी की गर्दन गाल और छाती पागलों की तरह चूमने चाटने लगा था । मामी भी सिर्फ और सिर्फ मेरा सर पकड़ कर आहे भर रही थी । उनकी कामुक आंखों में इतनी भूख देख कर में भी हैरान था ।
में मामी को पकड़ के किचन की सींक पर उठा के बैठाना चाहा पर उसकी इतनी भाड़ी बदन उठाना इतना अचान नही था तो वो खुद चढ़ गई । और में उसकी दहेक्ति हुई दोनो तरबूज को दोनों हाथों से दबाया । मामी सिसियाई उठी में ब्लाउज के हुक खोलने लगा ।
मामी खुद ब्लाउज उतार कर एक चूची पकड़ कर मेरे मुंह में ठूंस दे कर बोली "आह्ह्ह लल्ला चूस पी जा "
में दोनो हाथो से दबाते हुए निपल चूसने लगा । मामी इतनी ज्यादा गर्म थी की मामी का बदन तड़प रही थी । जैसे मेने बिजली की तार प्लस माइनस जोड़ दी और सिंगारी फूट गई । मामी आहे भर भर के बोली " लल्ला जोर से काट तो दाने को "
मैने नजर उठा के मामी की चेहरे पर देखा तो मामी की इतनी कामुक चेहरे को देख कर मेरे मन में सवाल उठा की सच में मेरी ही वो संस्कारी भली भली मामी है या कोई और मुझे तो सिर्फ एक जिस्म की प्यासी औरत नजर आ रही थी। मैंने भी कटा निपल दात के निचान और उंगलियों का लाल लाल चाप कर दिए मामी की बड़ी बड़ी चूचियों पर ।
मामी मेरे कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मेरी आंखों में देखा कर बोला " लल्ला डाल मेरी ओखली में । जो होगा देखा जायेगा उह्ह्ह्ह । मुझसे रहा नही जा रहा है डाल दे । चींटीया रेंग रही है अंदर ।"
में समझ गया कि मामी को जोर दार चुदाई चाहिए । और मैने भी अपना पैंट उतार दिया । मामी खुद सारी ऊपर कर दी और टांगे फैला दी । बालों से भरी चूत गीली हो कर चमक रही थी मैने भी आओ देखा ना ताओ और एक ही झटके में घुसा दिया । मामी मेरा कमर से मुझे बाहों में भर लिया । उफ्फ क्या मजा अनुभव हो रहा था चूत के अंदर इतना आनंद आता है पहली बार ये मेहसूस कर के स्वर्ग सुधार गया ।
में भी मामी की चेहरे को पकड़ के उसकी होंठ चूम कर धक्के मारने लगा । तो मामी आहे भरने लगी ।
पर मामी की भूख ज्यादा थी आज कोई पहलवान भी होता तो भी मामी के आगे पानी पानी हो जाता दम मार मार के । क्यू की कूची देर में मामी बोली " आह्ह्ह्ह लल्ला । जरा दम लगा "
में भी जोश में आ गया और मामी की आंखों में देख के डाट पिछते हुए जोर जोर से धक्के मारने लगा जिसके मामी की बड़ी चुतर से मेरा झांघ टकराने से धाप शाप आवाज गूंज उठा किचन में । और मामी मेरे हर धक्के पर मुंह खोल के मेरी आंखों में देख कर " आन्ह्ह्ह्ह । हान्हह लल्ला। ऐसे ही हा। उन्ह्ह्ह मार लल्ला । ओहह हा। उम्मम्म लल्ला " कर रही थी ।
कुछ देर बाद मामी बोली " रुक लल्ला "
में रुक गया । मामी किचन में पड़ी टोकरी की तरफ इशारा करते हुए बोली " लल्ला वाहा से एक बैंगन उठा और मेरी चूत में डाल । उह्ह्ह बड़ा मन कर रहा है पता नही क्या हो गया हे आज मुझे "